hotaks444
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दोनो मजबूर थे,,कुछ नही कर सकते थे,,,,एक माँ को अपने ही बच्चे की भुआ बनके रहना
पड़ रहा था और अशोक हर बार ऐसा बोलता कि बस कुछ दिन की बात है बस कुछ दिन की बात
है तो गीता भी अशोक का यकीन कर लेती,,,,,सरिता भी विशाल को अपने बच्चे जैसे प्यार
करती ,,,,हालाकी सरिता और गीता की बिल्कुल नही बनती लेकिन सरिता विशाल को बहुत प्यार
करती थी,,,,इस बात से गीता को गुस्सा भी था,,,लेकिन वो कुछ कर नही सकती थी,,,
लेकिन फिर वो दिन आया जब सरिता पेट से हुई,,,,,सरिता पेट से हो गयी और घर का काम
करना मुश्किल हो गया ,,,,गीता भी उसकी कोई हेल्प नही करती थी इसलिए घर का काम करने
के लिए किशन लाल ने मुझे यहाँ भेज दिया,,,,,क्यूकी अगर रेखा को भेज देता तो फिर
हवस किसके साथ पूरी करता,,,,,,,
मैं अब सरिता की हेल्प करने शहर आ गया,,,,,लोगो ने पूछा तो बता दिया मैं सरिता का
भाई हूँ,,बस बन गया मैं विशाल का मामा वैसे भी गीता का बेटा था वो मेरा भांजा ही
लगता था,,,,,लेकिन लोगो की नज़र मे वो सरिता का बेटा था और मैं सरिता का भाई,,
मैं गाँव मे तो कुछ नही कर सका लेकिन शहर मे मुझे किशन लाल का डर नही था,मैं
किचन मे तो काम करता था साथ ही सरिता की हर काम मे हेल्प करता था,,सरिता और मेरी
खूब बनती थी,,,,,वैसे भी मैं गीता का भाई था इस लिए सरिता मेरा ज़्यादा ख्याल रखती
जिस से गीता को और भी ज़्यादा गुस्सा आता था सरिता पर,,,,और इन दोनो की दुश्मनी का फ़ायदा
मैं उठा रहा था और सरिता के ज़्यादा करीब जा रहा था,,,,फिर कुछ टाइम बाद सरिता को
बेटी हुई ,,,शोभा,,,,,,,,शोभा के होने के बाद अशोक ने सरिता को एक बच्चा देके उसका मन
खुश कर दिया था,,,,अपना काम पूरा कर लिया था,,,,इसलिए अब वो सरिता की तरफ ज़्यादा
ध्यान नही देता था और इस बात का फ़ायदा भी मुझे हुआ और मैं सरिता के करीब बहुत
करीब हो गया और उसको वो सुख देने लगा जो अशोक नही दे पा रहा था वैसे भी मैने सोचा
कि ठाकुर से बदला नही लिया तो क्या हुआ उसकी बेटी सरिता ही सही,,,,
अब ये नोबत आ गयी थी कि सरिता मेरे साथ सोने लगी थी और गीता अशोक के साथ,,,अशोक
को भी सब पता था मेरे और सरिता के बारे मे ,,,,लेकिन वो मजबूर था गीता की वजह से
इसलिए उसने मुझे सरिता के करीब रहने दिया,,,,क्यूकी सरिता को भी वो सुख चाहिए थे
जो अशोक गीता को दे रहा था लेकिन गीता की वजह से वो वही सुख सरिता को नही दे
सकता था इसलिए उसने मुझे उसकी कमी पूरी करने दी और सरिता को वो सुख देने दिया जो वो
खुद नही दे पा रहा था,,,,
फिर देखते ही देखते बच्चे बड़े होने लगे,,,,विशाल शुरू से ही गीता को भुआ और सरिता
को माँ कहता था और शोभा भी गीता को भुआ सरिता को माँ और मुझे मामा कहने लगी थी
कुछ टाइम बाद वो खबर आई जब पता चला कि किशन लाल ने केवल की पत्नी सीमा का
रेप कर दिया ,,,,और जब केवल को पता चला कि सीमा की कोख से पैदा हुए बच्चे उसके नही
उसके बाप की संतान है तो वो उनको किशन लाल के पास गाँव छोड़ गया,,,,
सरिता को जब पता चला इस सब के बारे मे तो सरिता और मैं कुछ दिन के लिए गाँव चले
गये ,,,सरिता तुम बच्चों को(सोनिया और सन्नी) गाँव की गंदगी मे किशन लाल के पास नही
रहने देना चाहती थी इसलिए हम लोग हमारे घर मे रहे जो घर रेखा का था,,,हम लोग
करीब 1-2 साल उसी घर मे रहे और फिर बच्चों को लेके वापिस शहर आ गये ताकि किसी को
शक ना हो,,,,लोग यही समझने लगे थे कि तुम दोनो भी सरिता के बच्चे हो लेकिन जब
लोगो मे तरह तरह की बातें होने लगी और बच्चे बड़े होने लगे तो अशोक को डर था कहीं
बच्चे कुछ पूछ ना ले,,,इसलिए अशोक ने वो घर छोड़ दिया और हम लोग दूसरे मुहल्ले मे
चले गये,,,,,लेकिन अब तक शोभा और विशाल कुछ बड़े हो गये थे वो लोग गीता को भुआ
और मुझे मामा ही कहने लगे थे और उनकी नज़र मे सरिता उनकी माँ थी,,,
फिर तुम लोग बड़े होते गये और यही रिश्ता बनता गया हम सबका,,,,विशाल अशोक और गीता का
बेटा था जबकि उसकी नज़र मे गीता उसकी भुआ थी और सरिता उसकी माँ,,,,,,इधर शोभा की
नज़र मे भी अशोक उसका बाप और सरिता उसकी माँ थी इसलिए गीता को उसकी भी भुआ बनना
पड़ा,,,,वैसे भी सरिता से बदला लेने के लिए गीता शोभा को बहुत प्यार करती थी,,,और हर
टाइम उसको अपने साथ रखती थी,,,,,जैसे विशाल का प्यार सरिता के साथ ज़्यादा था वैसे ही
शोभा का ज़्यादा प्यार गीता के साथ था,,,,लेकिन तुम दोनो को हर किसी का बराबर प्यार मिला
था,,,,क्यूकी तुम्हारा किसी से खून का रिश्ता नही था,,तुम दोनो से किसी की लड़ाई नही
थी,,,,तुमको जितना प्यार सरिता से मिला उतना ही गीता से मिला,,,,,तुम बच्चे बड़े होने लगे
थे और मेरा शैतानी डेमाग अपनी गंदी सोच को अंजाम देने के बारे मे सोचने लगा था
,,,,,
मैं चाहता था कि जैसे मेरे परिवार को आपस मे हवस की आग मे जलाने का काम किया था
ठाकुर और किशन लाल ने मैं भी वैसे ही उनके परिवार को हवस की आग मे जला देना
चाहता था,,,,
हालाकी विशाल गीता का बेटा था लेकिन वो सरिता को अपनी माँ समझता था और मुझे भी अपना
बदला लेना था इसलिए सरिता को चुदाई की बुरी आदत लगा कर इसको अजीब अजीब शॉंक पैदा
कर दिए मैने इसके दिल मे जिस से ये विशाल से चुदवाने को तैयार हो गयी थी,,,,गीता ने
मुझे रोका भी था लेकिन मैं नही रुका,,,,,मैं तो चाहता था कि गीता भी मेरा साथ दे
और अशोक को शोभा के करीब करके लेकिन गीता ने मेरी बात नही मानी और फिर मैने अपना
शैतानी दिमाग़ चलाया और अशोक से ऐसी ऐसी बातें करने लगा कि अशोक का नज़रिया ही
बदल गया शोभा को देखने का,,,,,,और जब उसने विशाल को सरिता के साथ देख लिया तो
उसके दिल मे भी आग लग गयी शोभा के साथ सेक्स करने की,,,,,गीता भी मजबूर हो गयी ,अब
गीता मेरे शैतानी प्लान के बारे मे अशोक को कुछ नही बता सकती थी क्यूकी मैं उसका
भाई था वो अशोक को मेरे बारे मे सच बता कर मुझे नुकसान नही पहुचाना चाहती थी
इसलिए मजबूर होके उसने भी शोभा को अशोक के करीब कर दिया,,,,,
मैं अपने प्लान मे कामयाब हो गया था,,,,मैने भी इस परिवार मे हवस की आग लगा दी थी
अब बारी थी तेरी,,,,,तुझे भी मैं इस खेल मे शामिल करना चाहता था लेकिन तू तो पहले
से खेल मे शामिल होने के बारे मे सोच रहा था,,,,तेरे पर ज़्यादा मेहनत ही नही करनी
पड़ी मुझे,,,,,बस सोनिया पर करनी थी मेहनत,,,लेकिन जब अशोक का ध्यान जाने लगा सोनिया
की तरफ तो उसने गीता को बोला और गीता ने कोशिश की सोनिया के करीब जाने की तो सब
कुछ उल्टा ही हो गया,,,,
फिर मैने भी कभी कोशिश नही की इसके करीब जाने की,,,,,हालाकी मैं चाहता था ये
भी इस सब हवस के खेल मे शामिल हो जाए ,,,,,,मैं बदले की आग मे जल रहा था
लेकिन अब रेखा की शादी पर जब इतनी बड़ी हवेली सरिता ने गिफ्ट मे रेखा को दे दी तो
मेरे से रहा नही गया,,,,मेरी बहन जो अब तक ठाकुर की नोकरानि थी ,,किशन लाल की
नोकरानी थी अब वही एक हवेली की मालकिन बन गयी थी,,,,ये सब देखकर मेरा दिल पसीज
गया और मैने सरिता को सब कुछ बता दिया और अशोक को भी,,,,,इसलिए अशोक ने उस दिन
मुझे हवेली मे मारा था,,,,,
तभी अशोक बोला,,,,,,हां बेटा यही वजह थी कि मैने सुरेंदर को मारा था,,लेकिन फिर
मैने सोचा कि इसमे इसकी क्या ग़लती,,ये तो बदले की आग मे जल रहा था ,,ग़लती तो हम
लोगो की थी मेरी थी,,,कि मैं भी हवस मे इतना अँधा हो गया कि अपनी ही बेटी पर गंदी
नज़र रखने लगा अपनी ही बेटी के साथ हवस पूरी करने लगा,,,जितना कसूर सुरेंदर का
है उतना ही कसूर हम सब लोगो का है,,,,पहले सब बुरा लगता था लेकिन फिर तो आदत सी
हो गयी थी,,,,,लेकिन जब सुरेंदर ने अपना जुर्म कबूल कर लिया तो हम सब की आँखें भी
खुल गयी और उस दिन से वो हवस का गंदा खेल ही बंद कर दिया हम लोगो ने,,,,
विशाल को भी सब बता दिया इसलिए वो बाहर देश चला गया,,,वो इस सब गंदगी से दूर
जाना चाहता है ,,,सब कुछ भूल जाना चाहता है,,,,
शोभा की शादी भी जल्दी जल्दी मे इसलिए की है ताकि वो भी इस सब से दूर चली जाए और
एक नयी ज़िंदगी शुरू करे,,,,,
वो लोग तो अपनी नयी जिंदगी की तरफ चले गये लेकिन तुम ,,,तुम सन्नी बेटा फिर से उसी
हवस की तरफ जा रहे हो,,,,,
पड़ रहा था और अशोक हर बार ऐसा बोलता कि बस कुछ दिन की बात है बस कुछ दिन की बात
है तो गीता भी अशोक का यकीन कर लेती,,,,,सरिता भी विशाल को अपने बच्चे जैसे प्यार
करती ,,,,हालाकी सरिता और गीता की बिल्कुल नही बनती लेकिन सरिता विशाल को बहुत प्यार
करती थी,,,,इस बात से गीता को गुस्सा भी था,,,लेकिन वो कुछ कर नही सकती थी,,,
लेकिन फिर वो दिन आया जब सरिता पेट से हुई,,,,,सरिता पेट से हो गयी और घर का काम
करना मुश्किल हो गया ,,,,गीता भी उसकी कोई हेल्प नही करती थी इसलिए घर का काम करने
के लिए किशन लाल ने मुझे यहाँ भेज दिया,,,,,क्यूकी अगर रेखा को भेज देता तो फिर
हवस किसके साथ पूरी करता,,,,,,,
मैं अब सरिता की हेल्प करने शहर आ गया,,,,,लोगो ने पूछा तो बता दिया मैं सरिता का
भाई हूँ,,बस बन गया मैं विशाल का मामा वैसे भी गीता का बेटा था वो मेरा भांजा ही
लगता था,,,,,लेकिन लोगो की नज़र मे वो सरिता का बेटा था और मैं सरिता का भाई,,
मैं गाँव मे तो कुछ नही कर सका लेकिन शहर मे मुझे किशन लाल का डर नही था,मैं
किचन मे तो काम करता था साथ ही सरिता की हर काम मे हेल्प करता था,,सरिता और मेरी
खूब बनती थी,,,,,वैसे भी मैं गीता का भाई था इस लिए सरिता मेरा ज़्यादा ख्याल रखती
जिस से गीता को और भी ज़्यादा गुस्सा आता था सरिता पर,,,,और इन दोनो की दुश्मनी का फ़ायदा
मैं उठा रहा था और सरिता के ज़्यादा करीब जा रहा था,,,,फिर कुछ टाइम बाद सरिता को
बेटी हुई ,,,शोभा,,,,,,,,शोभा के होने के बाद अशोक ने सरिता को एक बच्चा देके उसका मन
खुश कर दिया था,,,,अपना काम पूरा कर लिया था,,,,इसलिए अब वो सरिता की तरफ ज़्यादा
ध्यान नही देता था और इस बात का फ़ायदा भी मुझे हुआ और मैं सरिता के करीब बहुत
करीब हो गया और उसको वो सुख देने लगा जो अशोक नही दे पा रहा था वैसे भी मैने सोचा
कि ठाकुर से बदला नही लिया तो क्या हुआ उसकी बेटी सरिता ही सही,,,,
अब ये नोबत आ गयी थी कि सरिता मेरे साथ सोने लगी थी और गीता अशोक के साथ,,,अशोक
को भी सब पता था मेरे और सरिता के बारे मे ,,,,लेकिन वो मजबूर था गीता की वजह से
इसलिए उसने मुझे सरिता के करीब रहने दिया,,,,क्यूकी सरिता को भी वो सुख चाहिए थे
जो अशोक गीता को दे रहा था लेकिन गीता की वजह से वो वही सुख सरिता को नही दे
सकता था इसलिए उसने मुझे उसकी कमी पूरी करने दी और सरिता को वो सुख देने दिया जो वो
खुद नही दे पा रहा था,,,,
फिर देखते ही देखते बच्चे बड़े होने लगे,,,,विशाल शुरू से ही गीता को भुआ और सरिता
को माँ कहता था और शोभा भी गीता को भुआ सरिता को माँ और मुझे मामा कहने लगी थी
कुछ टाइम बाद वो खबर आई जब पता चला कि किशन लाल ने केवल की पत्नी सीमा का
रेप कर दिया ,,,,और जब केवल को पता चला कि सीमा की कोख से पैदा हुए बच्चे उसके नही
उसके बाप की संतान है तो वो उनको किशन लाल के पास गाँव छोड़ गया,,,,
सरिता को जब पता चला इस सब के बारे मे तो सरिता और मैं कुछ दिन के लिए गाँव चले
गये ,,,सरिता तुम बच्चों को(सोनिया और सन्नी) गाँव की गंदगी मे किशन लाल के पास नही
रहने देना चाहती थी इसलिए हम लोग हमारे घर मे रहे जो घर रेखा का था,,,हम लोग
करीब 1-2 साल उसी घर मे रहे और फिर बच्चों को लेके वापिस शहर आ गये ताकि किसी को
शक ना हो,,,,लोग यही समझने लगे थे कि तुम दोनो भी सरिता के बच्चे हो लेकिन जब
लोगो मे तरह तरह की बातें होने लगी और बच्चे बड़े होने लगे तो अशोक को डर था कहीं
बच्चे कुछ पूछ ना ले,,,इसलिए अशोक ने वो घर छोड़ दिया और हम लोग दूसरे मुहल्ले मे
चले गये,,,,,लेकिन अब तक शोभा और विशाल कुछ बड़े हो गये थे वो लोग गीता को भुआ
और मुझे मामा ही कहने लगे थे और उनकी नज़र मे सरिता उनकी माँ थी,,,
फिर तुम लोग बड़े होते गये और यही रिश्ता बनता गया हम सबका,,,,विशाल अशोक और गीता का
बेटा था जबकि उसकी नज़र मे गीता उसकी भुआ थी और सरिता उसकी माँ,,,,,,इधर शोभा की
नज़र मे भी अशोक उसका बाप और सरिता उसकी माँ थी इसलिए गीता को उसकी भी भुआ बनना
पड़ा,,,,वैसे भी सरिता से बदला लेने के लिए गीता शोभा को बहुत प्यार करती थी,,,और हर
टाइम उसको अपने साथ रखती थी,,,,,जैसे विशाल का प्यार सरिता के साथ ज़्यादा था वैसे ही
शोभा का ज़्यादा प्यार गीता के साथ था,,,,लेकिन तुम दोनो को हर किसी का बराबर प्यार मिला
था,,,,क्यूकी तुम्हारा किसी से खून का रिश्ता नही था,,तुम दोनो से किसी की लड़ाई नही
थी,,,,तुमको जितना प्यार सरिता से मिला उतना ही गीता से मिला,,,,,तुम बच्चे बड़े होने लगे
थे और मेरा शैतानी डेमाग अपनी गंदी सोच को अंजाम देने के बारे मे सोचने लगा था
,,,,,
मैं चाहता था कि जैसे मेरे परिवार को आपस मे हवस की आग मे जलाने का काम किया था
ठाकुर और किशन लाल ने मैं भी वैसे ही उनके परिवार को हवस की आग मे जला देना
चाहता था,,,,
हालाकी विशाल गीता का बेटा था लेकिन वो सरिता को अपनी माँ समझता था और मुझे भी अपना
बदला लेना था इसलिए सरिता को चुदाई की बुरी आदत लगा कर इसको अजीब अजीब शॉंक पैदा
कर दिए मैने इसके दिल मे जिस से ये विशाल से चुदवाने को तैयार हो गयी थी,,,,गीता ने
मुझे रोका भी था लेकिन मैं नही रुका,,,,,मैं तो चाहता था कि गीता भी मेरा साथ दे
और अशोक को शोभा के करीब करके लेकिन गीता ने मेरी बात नही मानी और फिर मैने अपना
शैतानी दिमाग़ चलाया और अशोक से ऐसी ऐसी बातें करने लगा कि अशोक का नज़रिया ही
बदल गया शोभा को देखने का,,,,,,और जब उसने विशाल को सरिता के साथ देख लिया तो
उसके दिल मे भी आग लग गयी शोभा के साथ सेक्स करने की,,,,,गीता भी मजबूर हो गयी ,अब
गीता मेरे शैतानी प्लान के बारे मे अशोक को कुछ नही बता सकती थी क्यूकी मैं उसका
भाई था वो अशोक को मेरे बारे मे सच बता कर मुझे नुकसान नही पहुचाना चाहती थी
इसलिए मजबूर होके उसने भी शोभा को अशोक के करीब कर दिया,,,,,
मैं अपने प्लान मे कामयाब हो गया था,,,,मैने भी इस परिवार मे हवस की आग लगा दी थी
अब बारी थी तेरी,,,,,तुझे भी मैं इस खेल मे शामिल करना चाहता था लेकिन तू तो पहले
से खेल मे शामिल होने के बारे मे सोच रहा था,,,,तेरे पर ज़्यादा मेहनत ही नही करनी
पड़ी मुझे,,,,,बस सोनिया पर करनी थी मेहनत,,,लेकिन जब अशोक का ध्यान जाने लगा सोनिया
की तरफ तो उसने गीता को बोला और गीता ने कोशिश की सोनिया के करीब जाने की तो सब
कुछ उल्टा ही हो गया,,,,
फिर मैने भी कभी कोशिश नही की इसके करीब जाने की,,,,,हालाकी मैं चाहता था ये
भी इस सब हवस के खेल मे शामिल हो जाए ,,,,,,मैं बदले की आग मे जल रहा था
लेकिन अब रेखा की शादी पर जब इतनी बड़ी हवेली सरिता ने गिफ्ट मे रेखा को दे दी तो
मेरे से रहा नही गया,,,,मेरी बहन जो अब तक ठाकुर की नोकरानि थी ,,किशन लाल की
नोकरानी थी अब वही एक हवेली की मालकिन बन गयी थी,,,,ये सब देखकर मेरा दिल पसीज
गया और मैने सरिता को सब कुछ बता दिया और अशोक को भी,,,,,इसलिए अशोक ने उस दिन
मुझे हवेली मे मारा था,,,,,
तभी अशोक बोला,,,,,,हां बेटा यही वजह थी कि मैने सुरेंदर को मारा था,,लेकिन फिर
मैने सोचा कि इसमे इसकी क्या ग़लती,,ये तो बदले की आग मे जल रहा था ,,ग़लती तो हम
लोगो की थी मेरी थी,,,कि मैं भी हवस मे इतना अँधा हो गया कि अपनी ही बेटी पर गंदी
नज़र रखने लगा अपनी ही बेटी के साथ हवस पूरी करने लगा,,,जितना कसूर सुरेंदर का
है उतना ही कसूर हम सब लोगो का है,,,,पहले सब बुरा लगता था लेकिन फिर तो आदत सी
हो गयी थी,,,,,लेकिन जब सुरेंदर ने अपना जुर्म कबूल कर लिया तो हम सब की आँखें भी
खुल गयी और उस दिन से वो हवस का गंदा खेल ही बंद कर दिया हम लोगो ने,,,,
विशाल को भी सब बता दिया इसलिए वो बाहर देश चला गया,,,वो इस सब गंदगी से दूर
जाना चाहता है ,,,सब कुछ भूल जाना चाहता है,,,,
शोभा की शादी भी जल्दी जल्दी मे इसलिए की है ताकि वो भी इस सब से दूर चली जाए और
एक नयी ज़िंदगी शुरू करे,,,,,
वो लोग तो अपनी नयी जिंदगी की तरफ चले गये लेकिन तुम ,,,तुम सन्नी बेटा फिर से उसी
हवस की तरफ जा रहे हो,,,,,