Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही - Page 49 - SexBaba
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Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही

उस रात मैने और सोनिया ने 3 बार और सेक्स किया था,,,,उसकी पहली चुदाई थी इसलिए वो कुछ
ज़्यादा ही मस्ती मे थी और मुझे सोनिया के साथ मस्ती करने का मौका मिला था उसको हाँसिल करने
का मौका मिला था इसलिए मैं भी कुछ ज़्यादा ही एग्ज़ाइट था,,,,पूरी रात हम लोगो ने कोई बात
नही की बस मस्ती करते रहे,,,,,


पता नही कितने बजे सोए थे हम लोग,,,,सुबह उठा तो हल्की हल्की रोशनी हो गयी थी,
मैं उठा तो देखा सोनिया अभी भी नंगी ही मेरे साथ चिपकी हुई थी,,,उसका कुर्ता बाहर
छत पर था टंकी के पास और मेरी टी-शर्ट भी,,,,मैने दरवाजा खोला तो सुबह हो चुकी
थी,,,दरवाजा खुले से आवाज़ हुई तो सोनिया की आँख भी खुल गयी,,,उसने खुद को नंगी हालत
मे देखा तो शरमा गयी और उसी चद्दर से खुद को कवर कर लिया जिस पर लेटा कर मैने
पूरी रात उसकी चुदाई की थी,,


अभी हम लोगो को नीचे जाना था क्यूकी घर वालो के उठने से पहले हम लोगो को अपने रूम
मे जाके लेट जाना था,,,,मैने तो अपना पयज़ामा पहन लिया लेकिन सोनिया के पास कोई कपड़ा नही
था ,,,,उसका कुर्ता बाहर गिरा हुआ था और गंदा हो गया था,,,छत पर पानी था कुर्ता गीला
भी था,,,उसकी पयज़ामी भी गंदी हो गयी थी ,,,,हालाकी मेरा पयज़ामा भी गंदा हो गया था 
लेकिन मैने उसको ऐसे ही पहन लिया था,,,,हम दोनो ने अभी तक कोई बात नही की थी,,,



तभी मैने उसको उठने का इशारा किया और वो उठने लगी ,,उसके बदन पर जो चद्दर थी वो
मेरे लंड के पानी से,,,उसकी चूत के खून से,,,,उसकी चूत के पानी और पेशाब से पूरी
तरह गंदी हो गयी थी,,,उसने चद्दर की तरफ एशारा किया तो मैने पास ही मे पड़ी हुई
दूसरी चद्दर जो पुरानी थी लेकिन सॉफ थी,,,मैने वो चद्दर उसके पास फैंक दी और उसने
गंदी चद्दर को अपने जिस्म से अलग किया और सॉफ चद्दर को अपने जिस्म पर लपेट लिया और
उठ कर खड़ी होने लगी,,,,,तभी एक दम से दर्द से कराह उठी और उसके मुँह से अहह
निकल गयी और वो वापिस ज़मीन पर गिर गयी,,,,मैने आगे बढ़के उसको संभाला लेकिन देर हो गयी
थी वो ज़मीन पर गिर गयी थी,,,,मैने उसकी हालत समझ गया था इसलिए मैने उसको अपनी
बाहों मे भर लिया और गोद मे उठा लिया,,,,,


मेरा उपर का जिस्म नंगा था और मैं अपने रात वाले गंदे पयज़ामे मे था जबकि सोनिया नंगी
थी और चद्दर मे लिपटी हुई थी,,,,मैने उसको गोद मे उठाया और छत से नीचे की तरफ आने
लगा,,,,वो मेरी नज़रो मे देख कर शरमा रही थी,,,हम दोनो की रात खूब मस्ती मे कटी
थी लेकिन हम लोगो ने अभी तक कोई बात नही की थी,,,,,,


मैं उक्सो छत से नीचे लेके आ रहा था,,,बड़े हल्के कदमो से चल रहा था मैं,,सर्दी
का मौसम था मुझे ठंड लग रही थी मैं जल्दी से अपने कमरे मे जाके कपड़े बदल लेना
चाहता था,,,,जब तक तो सोनिया के साथ लेटा रहा ठंड नही लग रही थी लेकिन अब ठंड 
लगने लगी थी मुझे,,,,सोनिया गोद मे थी इसलिए कुछ गर्मी का एहसास तो हो रहा था लेकिन
फिर भी मैं रूम मे जाना चाहता था जल्दी से,,,,और उस से भी ज़्यादा मुझे डर था कोई 
हम दोनो को ऐसी हालत मे ना देख ले क्यूकी जो भी हम दोनो को देख लेता वो हम दोनो की
हालत से समझ जाता कि हम दोनो मे क्या हुवा है,,



मुझे डर था कहीं कोई हमको देख ना ले,,,,,,और तभी मेरा डर सच साबित हो गया,,,मैं
सोनिया को गोद मे लेके खड़ा हुआ था अपने रूम के पास ,,मेरा आधा जिस्म नंगा था और सोनिया
एक चद्दर मे मेरी गोद मे थी,,,,,और सामने उपर वाले किचन से भुआ कुछ समान हाथ मे
पकड़ कर किचन से बाहर आ रही थी,,,



जैसे ही भुआ की नज़र हम लोगो पर पड़ी मेरी तो गान्ड ही फॅट गयी और वही हाल था शायद
सोनिया का भी,,,,,मैने सोनिया की तरफ देखा तो वो डरी हुई नही थी बस शरमा रही थी



तभी भुआ हम दोनो के पास आई और एक नज़र हम दोनो को देखा और सीडियों से नीचे की 
तरफ चली गयी,,,,,



मैं बहुत डर गया था लेकिन सोनिया क्यूँ नही डरी,,,,वो शरमा क्यूँ रही थी,,,क्या उसको डर
नही था कि भुआ ने हम दोनो को एसी हालत मे देख लिया है,,,,,



खैर मैं सोनिया को लेके रूम के अंदर चला गया,,,जैसे ही मैं सोनिया को रूम के अंदर
जाके उसके बेड पर लेटाने लगा तो उसने मुझे वॉशरूम की तरफ इशारा किया ,, मैं उसको
वॉशरूम मे ले गया और उसको गोद से उतारकर ज़मीन पर खड़ा कर दिया,,,,



उसने मुझे वहाँ से बाहर जाने का इशारा किया लेकिन मैने मना कर दिया,,,,मैं जानता था
रात भर की चुदाई से उसका नाज़ुक बदन बुरी तरह से टूट चुका है ,,उसकी हालत इतनी
खराब थी कि उसकी टाँगे उसका वजन भी नही संभाल पा रही थी,,,



उसने मुझे फिर से बाहर जाने का इशारा किया और मैने फिर से सर को ना मे हिला कर उसको
मना कर दिया,,,,,वो भी समझ गयी थी कि अब मैं बाहर नही जाने वाला इसलिए उसने मुझे
पलट कर खड़े होने को बोला और चेहरा दूसरी तरफ करने को बोला,,,,क्यूकी उसको मेरे सामने
पेशाब करने मे शरम आ रही थी,,,,, 


मैं उसकी बात समझ गया और पलट कर खड़ा हो गया ,,,,तभी वो टाय्लेट सीट पर बैठकर 
पेशाब करने लगी,,,,,मुझे उसके पेशाब करने की आवाज़ आने लगी तभी उसके मुँह से आहह
माआआ निकल गया,,,,,,मैं समझ गया कि उसकी नाज़ुक और कोमल चूत बुरी तरह से छिल
गयी होगी तभी तो पेशाब भी लगकर आ रहा था उसको,,,,पेशाब करने से भी उसकी चूत
मे जलन हो रही थी,,,,


जब उसने पेशाब कर लिया और चूत को सॉफ करके मेरे पास आके मेरे शोल्डर पर हाथ रखा
तो मैने पलट कर उसको पकड़ा और गोद मे उठा लिया और बाहर आके बेड पर लेटा दिया,,,


तभी मेरा दिल किया उसकी चूत देखने को ताकि देख सकूँ कितना बुरा हाल किया है मैने उस
बेचारी सोनिया का,,,कितना दर्द दिया है उसको,,,,मैने चद्दर उठाने की कोशिश की लेकिन
उसने मुझे रोक दिया और ना मे सर हिला कर बता दिया सन्नी मत देखो तुम देख नही सकते
,,,,


मैने फिर कोशिश की तो उसने फिर से मना कर दिया,,,,तभी मैने अपना पयज़ामा निकाला जो
काफ़ी गंदा हो गया था और सॉफ पयज़ामा और टी-शर्ट पहन-ने लगा,,,,मैं उसके सामने ही कपड़े
चेंज करने लगा तो वो शरमा गयी और चद्दर से अपने फेस को कवर कर लिया,,,


कपड़े चेंज करके मैं रूम से बाहर जाने लगा,,जैसे ही मैने दरवाजा खोला तो सोनिया
ने चद्दर को नीचे करके मेरी तरफ देखा और नज़रो ही नज़रो मे सवाल करने लगी कि सन्नी
तुम कहाँ जा रहे हो,,,,,,मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया और नीचे की तरफ आ
गया,,,,



मैं खुद तो उसकी चूत नहीं देख सकता था ना ही उसका दर्द ठीक कर सकता था लेकिन मुझे
उसका दर्द ठीक करना था इसलिए मैं नीचे भुआ को लेने गया था क्यूकी भुआ ने सब कुछ देख
लिया था और सोनिया को भी भुआ से डर नही लगा था तब जब भुआ ने हम दोनो को उस हालत मे
देखा था,,,,


मैं नीचे की तरफ आया तो मुझे किचन से कुछ आवाज़ सुनाई दी और मैं किचन मे चला
गया ,,,,जहाँ माँ और भुआ दोनो अपना काम कर रही थी,,,



मुझे देखकर माँ बोली,,,,,,अरे आज क्या हुआ तुझे इतनी जल्दी उठ गया,,,,अभी तो कॉलेज 
जाने मे भी बहुत टाइम है ,,,


कुछ नही माँ बस आज आँख जल्दी खुल गयी,,,,,,



तभी भुआ बोली,,,,आँख जल्दी खुल गयी थी या पूरी रात सोया ही नही,,,,भुआ ने इतना बोला 
तो माँ और भुआ दोनो हँसने लगी,,,,,



इस से पहले मैं कुछ बोलता या समझ पाता भुआ एक गर्म पानी का बर्तन हाथ मे लेके मेरे
करीब से होके किचन से बाहर आ गयी और साथ मे माँ भी,,,,,
 
तभी माँ मुझे बोली,,,,,,1-2 दिन रुक नही सकता था क्या ,,,इतनी आग लगी हुई थी तेरे
जिस्म मे,,,,,





मैं समझ गया भुआ ने माँ को सब कुछ बता दिया है,,,,,लेकिन माँ गुस्सा क्यूँ नही हो रही
मेरे पर,,,,,और 1-2 दिन रुकने को क्यूँ बोला मा ने मुझे,,,,,1-2 दिन मे क्या होने वाला है



माँ और भुआ उपर की तरफ जाने लगे,,,,भुआ के हाथ मे गर्म पानी का बर्तन था जबकि माँ
के हाथ मे कुछ कपड़े और मेडिसिन थी,,,,,



मैं भी उन लोगो के साथ चलके उपर की तरफ जाने लगा,,,,मुझे कुछ ज़्यादा ही जल्दी थी
सोनिया के पास जाने की ,,,,जैसे ही मैं रूम के दरवाजे तक पहुँचा और दरवाजा खोलकर 
अंदर गया तो सोनिया हल्की आवाज़ मे बोली,,,,,


कहाँ गया था भाई,,,,,मुझे अकेला छोड़कर,,,,,


इस से पहले मैं कुछ बोलता भुआ और माँ अंदर आ गयी,,,,सोनिया ने जब भुआ और माँ को देखा
तो डर गयी और शरमा कर चद्दर से अपने फेस को कवर कर लिया,,,,


तभी माँ और भुआ चलके सोनिया के बेड के पास चले गये,,,,,,तभी भुआ बोली,,,तो तुम दोनो
ने अपनी मनमानी कर ही ली,,,,थोड़ा टाइम इंतजार नही कर सकते थे क्या,,,इतनी भी क्या
जल्दी थी,,,,भुआ ने अपने हाथ मे पकड़ा हुआ गर्म पानी का बर्तन टेबल पर रख दिया और
अपने हाथ से चद्दर को सोनिया के फेस से हटा दिया,,,,


सोनिया ने डर और शरम से अपनी आँखें बंद ही रखी,,,,,वो माँ और भुआ का सामना करने को
तैयार नही थी,,,,



तभी भुआ ने सोनिया के गाल पर हल्के से थप्पड़ लगाया ,,,,बोल इतनी क्या जल्दी थी,,थोड़ा 
इंतजार नही कर सकती थी तुम सोनिया,,,,,



तभी मैं एक दम से बोल पड़ा,,,,मत मारो इसको भुआ,,,इसकी कोई ग़लती नही,,,सारी ग़लती 
मेरी थी,,,,,ये बेचारी तो,,,,,



मैं अभी बोल ही रहा था कि माँ और भुआ हँसने लगी,,,,,देखो तो कितनी फ़िक्र है सोनिया की
,,,,सारा इल्ज़ाम अपने सर लेने को तैयार हो गया है सन्नी,,,,



तभी माँ बोली,,,,,,चल दिखा मुझे कितना बुरा हाल किया है तेरा सन्नी ने,,,,माँ ने इतना
बोला और आगे बढ़के सोनिया के जिस्म से चद्दर उथ कर उसकी चूत को देखने लगी,,,,सोनिया इस
सब के लिए तैयार नही थी लेकिन माँ ने उसकी टाँगों को एक ही बार मे नंगा कर दिया था और
जैसे ही माँ और भुआ की नज़र पड़ी सोनिया की चूत पर तो दोनो हैरान रह गयी,,,



मैं भी एक दम हैरान हो गया सोनिया की चूत की ऐसी हालत देखकर,,,उसकी चूत के वो 
छोटे छोटे लिप्स जो रात को एक दूसरे से चिपके हुए थे वो अब काफ़ी दूर दूर हो गये थे
और काफ़ी सूज भी गये थे,,,,उसकी चूत एक दम लाल रंग की हो गयी थी और सूजन दूर
से ही नज़र आ रही थी,,,,मैं उसकी हालत देखकर परेशान हो गया,,,,मुझे तरस आने लगा
था बेचारी सोनिया पर,,,,,,रात को चुदाई करते टाइम मैने कोई ज़्यादा ध्यान नही दिया था
उसकी चूत पर और ना ही उसने मुझे ज़्यादा ज़ाहिर होने दिया था उसकी चूत के दर्द के बारे
मे,,,,,,


हयी मैं मर गयी,,,,,क्या हाल कर दिया मेरी फूल जैसी बच्ची का,,,,थोड़ा तरस नही खा
सकता था इस फूल जैसी कोमल लड़की पर,,,देख ज़रा क्या हाल किया तूने इसका सन्नी,,कोई
ऐसा हाल करता है क्या अपनी बहन का,,,,थोड़ा तो तरस खाना था इस्पे,,,,या फिर मस्ती
मे भूल गया था ये तेरी छोटी और नाज़ुक बहन सोनिया है,,,,


माँ मैं वो मैं,,,,,,मुझे कोई बात नही सूझ रही थी,,,


तभी सोनिया बोली,,,,,,माँ सन्नी की ग़लती नही है,,,,मैने ही इसको ,,,,,


सोनिया अभी बोलने लगी तो माँ फिर से बीच मे बोल पड़ी,,,,,हां हां जानती हूँ ना तेरी
ग़लती है और ना तेरे भाई की,,,,चल तू बाहर निकल सन्नी और हम लोगो को अपना काम करने
दे,,,,,


मैं कुछ नही बोला और रूम से बाहर जाने लगा तभी सोनिया बोली,,,,,माँ इसको बाहर मत 
भेजो,,,यहीं रहने दो ना,,,,


माँ ने मुझे दूसरे बेड पर बैठने को बोला और मैं बेड पर उन लोगो को तरफ पीठ करके 
बैठ गया ,,,,फिर मुझे सोनिया की दर्द से भरी आह अह्ह्ह्ह की आवाज़ आती रही और साथ साथ
भुआ और माँ की आवाज़ जो इस सब क लिए मुझे कोस रही थी,,,,,



कुछ टाइम बाद माँ और भुआ का काम हो गया और वो दोनो वहाँ से जाने लगी,,,,,वैसे जो हो
गया सो हो गया लेकिन अगर तुम दोनो 1-2 दिन रुक जाते तो अच्छा होता,,,चल अब जल्दी तैयार होके
नीचे आजा नाश्ता लगा देती हूँ फिर कलाज चले जाना,,,,,,सोनिया तो अब 1-2 दिन आराम ही
करेगी,,,,,,और तू 1-2 दिन करीब भी मत जाना इसके,,वरना ,,,माँ और भुआ हँसती हुई वहाँ से
चली गयी,,,,


मुझे समझ नही आ रहा था ये 1-2 दिन का क्या मसला है,,,,,


तभी मैं जाके सोनिया के पास बैठ गया और उसके सर पर हाथ फिराते हुए बोला,,,,बहुत
दर्द हो रहा है क्या,,,,


वो कुछ नही बोली बस शर्माके सर को हाँ मे हिला दिया,,,,,,


अगर इतना ही दर्द हो रहा था तो रात मुझे रोका क्यूँ नही तूने,,,क्यूँ करने दिया वो सब और
क्यूँ मुझे तेरे को हर्ट करने दिया,,,,,,,,



नही नही सन्नी,,,,रात दर्द नही हुआ तेरी कसम,,,,रात तो मुझे कुछ पता ही नही चला
,,,,इतना मज़ा जो आ रहा था ,,,दर्द तो सुबह शुरू हुआ जब आँख खुली,,,,



सच मे रात मज़ा आया तुझे,,,,,इतना मज़ा आया कि दर्द का भी पता नही लगा,,,,


हां सन्नी,,,बहुत मज़ा आया,,,लेकिन कविता ठीक कहती थी,,,तू जान निकाल देता है,,पहले
पहले तो कुछ पता नही चला कि तू जान कैसे निकालता है लेकिन अब कविता की एक एक बात
सच साबित हो रही है,,,,




क्या अभी बहुत दर्द हो रहा है,,,,



फिर उसने कुछ नही बोला और सर को हां मे हिला दिया,,,,और बता दिया कि उसको बहुत दर्द हो
रहा है,,,,मैं उसके करीब लेट गये और उसके फोरहेड पर किस करते हुए सर पर हाथ 
फिरने लगा और उसको कुछ दिलासा देने लगा,,,,,लेकिन मैं कुछ भी कर लूँ अब उसका दर्द
कम नही कर सकता था,,,,,



चल अब उठ और तैयार हो सन्नी,,,तूने कॉलेज भी जाना है,,,,


लेकिन तेरा ख्याल कॉन रखेगा अगर मैं कॉलेज चला गया तो,,,,,

तू मेरी फिकर मत कर मेरा ख्याल रखने के लिए माँ और भुआ है,,तू बस कॉलेज जा और
अपनी स्टडी पर ध्यान लगा,,,,


फिर उसने मुझे फ्रेश होके कॉलेज जाने को बोला तो मैं तैयार होके नाश्ता करके कॉलेज 
चला गया,,,, 

कॉलेज आने का दिल तो नही था फिर भी सोनिया के कहने पर मैं कॉलेज आ गया था,,,लेकिन अभी
भी मुझे सोनिया की वो फूली हुई चूत और दर्द से कराहती हुई उसकी आह आह की आवाज़ सुनाई दे
रही थी जब माँ और भुआ उसका दर्द ठीक करने की कोशिश कर रही थी,,,,सच मे बहुत बुरा हाल 
कर दिया था मैने उस मासूम का,,,,,



लेकिन उसने मुझे रोका क्यूँ नही क्यूँ करीब आने दिया क्यूँ खुद को हर्ट करने दिए जबकि वो तो मेरे
करीब आने से डरती थी,,,मेरे करीब आके वो घर वालो को दुखी नही करना चाहती थी,,और भला
माँ और भुआ 1-2 दिन रुकने की बात क्यूँ बोल रही थी,,,,,यही सब सोच रहा था कि कविता मेरे पास
आ गयी,,,
 
कहाँ खोया हुआ है सन्नी,,,,,तबीयत तो ठीक है तेरी,,,,,उसने पास आके मेरे फोरहेड पर हाथ 
लगाया और तबीयत चेक करने लगी,,,,



मैं बिल्कुल ठीक हूँ कविता,,,,बस थोड़ा परेशान हूँ,,,,



क्या परेशानी है,,,,मुझे बता मैं दूर करती हूँ तेरी परेशानी,,,,,,


तुझे नही बताउन्गा तो किसको बताउन्गा,,,,,,लेकिन तू परेशानी दूर नही कर सकती,,,,,


अच्छा ,,ऐसी क्या परेशानी है,,,पता तो चले,,,,


वो सोनिया ,,,,मैं अभी बोलने ही लगा था कि कविता परेशान हो गयी,,,


क्या हुआ सोनिया को,,ठीक तो है वो,,,,,,


हाँ वो ठीक है कविता,,,,,बस वो ,,मैं,,,,


क्या बता है,,, सीधी तरह बोलता क्यूँ नही,,,,



तभी मैं बोलने लगा,,,,,,तुझे पता है ना कल रात बारिश हो रही थी,,,,


हां पता है,,,तो बारिश और सोनिया का क्या लेना देना,,,,क्या बारिश मे भीग कर बीमार हो गयी है
वो,,,,


नही नही ऐसी बात नही,,,,,,वो बारिश मे भीगने छत पर गयी थी और मैं भी बारिश मे मस्ती 
करने छत पर चला गया कल रात को,,,,लेकिन मुझे नही पता था सोनिया वहाँ पर है,,,और जब
मुझे पता चला और मैने उसको देखा तो ,,,,,,



ओह्ह्ह्ह मययययी गूओड़दड़ ,,,,,कैसी है वो,,,,,तूने ज़्यादा हर्ट तो नही किया उसको,,,तुझे पता था ना कि
उसकी पहली बार है,,,,बोल ,,,ज़्यादा दर्द तो नही दिया उसको,,,,



रात तो पता नही चला लेकिन अब उसकी हालत बहुत खराब है,,,माँ और भुआ ने कुछ मेडिसिन लगाई
है सुबह उसको,,,,,


तो माँ और भुआ को भी पता चल गया,,,,लेकिन इस बात की मुझे फ़िक्र नही है,,,मुझे तो सोनिया की
फ़िक्र है,,पता नही क्या हाल किया होगा तूने उसका,,,,,वो बहुत मासूम है सन्नी तू जानता है ना,,


मैं कुछ नही बोला बस हां मे सर हिला दिया,,,,,


तभी कविता उठी ,,,,ओके मैं घर जा रही हूँ सोनिया के पास,,,,,इतना बोलकर वो उठी और जाने लगी
तभी उसका फोन बजने लगा,,,,


वो चलते चलते बात कर रही थी ,,,मुझे कुछ पता तो नही चल रहा था लेकिन वो जी डॅड जी डॅड
बोल रही थी,,,,,,लेकिन ये तो अपने बाप से कभी बात नही करती तो फिर किसको डॅड बोल रही थी,



खैर मैं कॉलेज से छुट्टी होने के बाद घर की तरफ चल पड़ा,,,मुझे बड़ी जल्दी थी सोनिया के
पास जाने की,,,,,हालाकी मैं उसके दर्द का कुछ नही कर सकता था लेकिन फिर भी मुझे उसके पास
रहना था,,,,,


मैं घर पहुँचा और सीधा गया सोनिया के रूम मे ,,,,,वहाँ सोनिया लेटी हुई थी जबकि कविता और
माँ उसके पास बैठी हुई थी,,,,,माँ ने मुझे रूम मे अंदर नही आने दिया और मुझे दूसरे रूम
मे जाके बैठने को बोला,,,,,


मैं रूम से बाहर जाने लगा तो सोनिया की तरफ देखने लगा,,,,वो खुश थी मुझे देखकर और साथ
ही कविता भी,,,,,,


मैं आके साथ वाले रूम मे बैठ गया,,,,,,शाम को कविता चली गयी,,,,लेकिन माँ सोनिया के रूम मे
ही रही,,,,उन्होने मुझे रूम के अंदर नही जाने दिया,,,,,अगले 2 दिन तक मैं सोनिया के रूम मे नही
जा सका क्यूकी माँ और भुआ मे से कोई ना कोई हर टाइम होता था उसके रूम मे,,,


2 दिन बाद मैं जब कॉलेज से वापिस आया और सोनिया के रूम मे गया तो देखा सोनिया रूम मे नही थी
मैं साथ वाले रूम मे गया वहाँ भी कोई नही था,,,,माँ और भुआ भी नज़र नही आ रही थी,,,मैं
फिर से नीचे गया तो देखा मामा और डॅड माँ के रूम से निकल कर बाहर आ रहे थे,,उनके हाथ मे
कुछ समान पकड़ा हुआ था,,,,


तभी मैने डॅड से पूछा,,,,,डॅड भुआ और माँ कहाँ है,,,,



डॅड ने जवाब नही दिया और मुझे कुछ समान पकड़ा कर बाहर कार मे रखने को बोला,,,,मैं कार मे
समान रखके वापिस घर के अंदर जाने लगा तो डॅड बोले,,,,,,अंदर जाने की ज़रूरत नही है,,,जल्दी
से कार मे बैठो,,,,,


मैं कुछ समझा नही और ना ही कोई सवाल किया डॅड से और कार मे बैठ गया,,,,,डॅड के साथ आगे वाली
सीट पर मामा भी बैठ गया और डॅड ने ड्राइव करनी शुरू की ,,डॅड ने मुझे कुछ नही बताया था कि
हम लोग कहाँ जा रहे थे,,,,मैने भी कोई सवाल नही किया था डॅड से,,,,डॅड कोई 5-6 अवर ड्राइव 
करते रहे ,,,,हम लोग अपने दूसरे शहर मे आ गये थे,,,,,तभी डॅड ने कार एक घर के सामने रोक
दी,,,,,मैने देखा कि भुआ की कार भी उसी घर के सामने खड़ी हुई थी,,,,


तभी डॅड ने कार घर के अंदर की और मुझे साथ चलने को बोला,,,मैं भी कार से उतर गया और डॅड
के साथ चलने लगा,,,,लेकिन मुझे समझ नही आ रहा था कि ये हम लोग कहाँ आ गये है और ये
घर किसका है,,,,,



तभी हम लोग घर के अंदर चले गये,,,,घर मे नया नया पैंट हुआ था,,,,घर का समान भी ज़्यादातर
नया ही लग रहा था,,,,मैं सारे घर को सवालिया नज़रो से देख रहा था तभी डॅड बोले,,,



ये हम लोगो का नया घर है सन्नी,,,,,अब से हम लोगो को यहीं रहना है,,,,,,और आज से मैं तेरा
बाप हूँ और गीता तेरी माँ है,,,,,,और ये सुरेंदर तेरा चाचा और सरिता तेरी चाची है,,लेकिन
ये सब रिश्ता हम लोगो का घर के बाहर है,,,,,घर के अंदर तू जिसको जो चाहे बुला सकता है
लेकिन दुनिया की नज़रो मे मैं तेरा बाप और गीता तेरी माँ है,,,,


मैं कुछ नही समझा लेकिन डॅड की बात सुनता गया,,,,,



मुझे पता है तू सोनिया को बहुत प्यार करता है सन्नी और वो भी तुझे बहुत प्यार करती है,,,मुझे
गीता सरिता और कविता ने सब कुछ बता दिया था,,,और सबसे बड़ी बात तेरे और सोनिया के रिश्ते से
कविता को कोई परेशानी नही थी,,,,बस परेशानी मुझे ही थी सन्नी,,,,,जांटा हूँ तू अपनी बहन 
को प्यार करके दुनिया के सामने जाके इज़हार भी कर सकता है और दुनिया के सामने अपनी ही बहन को
अपनी दुल्हन बना कर रख सकता है ,,तू बड़ा हिम्मत वाला है सन्नी,,,,मुझे कविता ने सब बता
दिया ,,,वो माल वाली बात भी कि कैसे तूने अपने प्यार का इज़हार किया सोनिया के लिए वो भी इतने 
लोगो के सामने,,,,,लेकिन मुझमे इतनी हिम्मत नही है सन्नी,,,,मैं इतना हिम्मतवाला नही हूँ कि
दुनिया का सामना कर सकूँ,,,,इसलिए मैने ये नया घर ले लिया है वो भी दूसरे शहर मे,,,ताकि हम
लोग नये शहर मे नया रिश्ता शुरू कर सके,,,,नयी ज़िंदगी की शुरुआत कर सके,,,


जो कुछ भी हम लोगो के बीच हो चुका है उसको मैं भूल जाना चाहता हूँ,,,,उन यादों को वहीं
पुराने शहर मे पुराने घर मे दफ़न करके आया हूँ मैं,,,,,और यहाँ नये रिश्ते से नयी शुरुआत
करना चाहता हूँ जैसे विशाल इस सबसे दूर चला गया है ताकि वो सब कुछ भूल कर नयी शुरुआत
कर सके,,,,,वैसे ही शोभा के कहने पर मैने जल्दी से उसकी शादी करदी ताकि वो भी अपने पति के 
साथ नयी शुरुआत कर सके ,,,वैसे ही मैं चाहता हूँ कि मैं और गीता,,,,सुरेंदर और सरिता
वैसे ही तुम सोनिया और कविता भी नयी शुरुआत करो अपने रिश्ते की,,
 
तभी भुआ और माँ मेरे पीछे आ गयी,,,,,हाँ सन्नी अब हम सबको नये रिश्ते की नयी ज़िंदगी की नयी
शुरुआत करनी है,,,भूल जाना है वो सब कुछ जो भी हुआ हम लोगो के बीच,,,तुम भी भूल जाओ
और नयी शुरुआत करो,,,,हम लोगो ने कविता के भैया भाभी से भी बात करली है अब जब तक तेरी
शादी नही हो जाती कविता हम लोगो के साथ इसी घर मे रहेगी,,,,,और तू सोनिया के साथ भी नये
रिश्ते की शुरुआत कर सकता है,,,,




वो बेचारी हम लोगो की मर्ज़ी के बिना तेरे करीब नही आना चाहती थी,,लेकिन हम लोगो को पता था
कि वो तेरे से दूर नही रह पाएगी जैसे तू उस से दूर नही रह सकता,,,इसलिए हम लोगो ने ये
नया घर ले लिया और सोनिया को भी इजाज़त दे दी कि वो तेरे करीब आ सकती है तुझे खुलकर प्यार
कर सकती है लेकिन जब तक हम लोग नये घर मे नही जाते नये शहर मे नही जाते तब तक हमने
उसको तेरे से दूर रहने को बोला था लेकिन वो बेचारी इतनी तड़प रही थी तेरे करीब आने को कि
1-2 दिन का इंतजार भी नही कर सकी और खुल कर करीब आ गयी तेरे,,,,,




अब मैं समझा कि सोनिया ने उस रात बारिश मे इतनी आसानी से मुझे उसके करीब कैसे आने दिया,,अब
समझा कि उसको घर वालो की मंज़ूरी मिल गयी थी और घर वालो की मंज़ूरी मिलते ही उसने भी मुझे
अपनी रज़ामंदी बता दी थी,,,और इसलिए भुआ और माँ 1-2 दिन रुकने को बोल रही थी ताकि हम लोग नये
घर मे आ जाए,,,लेकिन सोनिया की तड़प उसको 1-2 दिन भी मेरे से दूर नही रख सकी और बारिश मे
वो मेरे करीब आने से खुद को रोक नही पाई,,,,


मैने सबकी बात सुन ली थी और अब मेरी नज़रे सोनिया और कविता को तलाश रही थी,,तभी भुआ बोली
,,जिसको तू तलाश रहा है वो दोनो उपर है अपने रूम मे और तेरा इंतजार कर रही है,,,,,



मैं जल्दी से भाग कर उपर के रूम मे गया,,,,,जैसे ही मैं उपर गया तो देखा कि ये घर बिल्कुल
वैसा था जैसा हम लोगो का पुराना घर था लेकिन जहाँ पुराने घर मे उपर 2 बेडरूम थे वहीं
यहाँ पर सिर्फ़ एक रूम था,,,,,


मैं उस रूम मे गया तो सोनिया बेड पर लेटी हुई थी और कविता उसके पास बैठी हुई थी,,,,मुझे
रूम मे आते देख सोनिया धीरे से अपने बेड से उठी और खड़ी हो गयी ,,उसके साथ ही कविता भी खड़ी
हो गयी,,,,

मैं चलके उन दोनो के पास गया और उन दोनो ने मुझे गले लगा लिया,,,हम तीनो काफ़ी देर तक ऐसे
ही एक दूसरे के गले मिलके खड़े रहे ,,,,फिर वो दोनो पीछे हटी और मैने उनके चेहरे देखे तो
दोनो की आँखें नम थी,,,,,,वैसे मेरी आँखें भी नम थी,,,,,


अरे अरे अब रो क्यूँ रही हो तुम दोनो,,,,अब तो हम लोगो को खुश होना चाहिए,,,आख़िरकार हम सब
करीब आ गये है और अब तो घर वालो की मंज़ूरी भी मिल गयी है,,,,अब तो हम लोगो को मिलकर एक
नयी शुरुआत करनी है,,,,और ज़िंदगी की ये नयी शुरुआत रो कर नही हंस कर करनी है,,,,अब हम
लोगो को मिलकर खुशियाँ भरनी है अपनी ज़िंदगी मे,,,,,



भाई ये खुशी के आँसू है,,,,तड़प गयी थी तेरे पास आने के लिए,,,तड़प गयी थी तुझे हाँसिल करने
के लिए,,तड़प गयी थी तेरे साथ प्यार करने के लिए और अब जब तुझे हाँसिल कर लिया है तो खुशी
के मारे आँखें नम हो गयी मेरी,,,,

तभी कविता बोली,,,,बस बस अब रोना धोना बंद,,,अब तो खुशियों से नयी शुरुआत होगी ,,अब
कोई नही रोएगा,,अब तो सब कुछ ठीक हो गया है,,,,और अब तो मैं भी यही रहने वाली हूँ ,,अब
तो हम सब को मिलकर खुशी ने नयी ज़िंदगी का वेलकम करना है,,,



सही कहा कविता,,,,अब हम सब को मिलकर नयी ज़िंदगी का वेलकम करना है,,,अब कोई नही आएगा हम
लोगो के बीच मे,,,,,


तभी सोनिया बोली,,,,हाँ सन्नी कोई नही आएगा हम तीनो के बीच मे,,,और अगर कोई आया तो मैं उसकी
जान ले लूँगी,,,,,,सोनिया ने फिर से अपने हिट्लर वाले अंदाज़ मे बोला तो मैं और कविता हँसने लगे
और साथ मे सोनिया भी,,,,,रूम मे हम लोगो की हँसी गूँज उठी थी,,,, 

नये शहर मे आके सब रिश्ते बदल गये थे,,,अब तक अशोक मेरा बाप था और सरिता मेरी माँ जबकि
नये शहर मे अशोक मेरा बाप और गीता मेरी माँ बन गयी थी,,,,,,,


सुरेंदर मेरा मामा था और सरिता मेरी माँ,,जबकि नये शहर मे आके सुरेंदर मेरा चाचा बन गया था
और सरिता मेरी चाची,,,,,,



लेकिन ये सब रिश्ते लोगो की नज़र मे थे,,,,,घर मे अशोक मेरा बाप था सरिता मेरी माँ ,,,

सुरेंदर को मैं अभी भी मामा बोलता था और गीता को भुआ,,,,,कहने को हम लोगो का जो भी रिश्ता
था अब उस रिश्ते के मायने बदल गये थे,,,,,रिश्ता जैसा भी था अब ये मेरा परिवार था जो
अपनी मर्ज़ी से अपनी ज़िंदगी जीने वाला था,,,,अब इस परिवार को अपनी मर्ज़ी से ज़िंदगी जीने के लिए
समाज और दुनिया का भी डर नही था,,



घर मे नीचे 2 बेडरूम थे,,,,,एक मे अशोक और गीता सोने लगे थे और दूसरे मे सुरेंदर और सरिता



नये शहर मे आके गीता ने यहाँ भी बुटीक खोल लिया था और सरिता भी उसके साथ बुटीक का
काम संभालने लगी थी,,,,,नया बुटीक पुराने बूटीक से बहुत बड़ा और खूबसूरत तैयार किया
था दोनो ने मिलकर क्यूकी सरिता के पास बहुत पैसा था,,,,,अब गीता को भी सरिता के पैसे से
कोई परेशानी नही थी,,,,,दोनो मिलकर बुटीक का काम करने लगी थी,,,



इधर अशोक और सुरेंदर ने गाँव जाना शुरू कर दिया था और गाँव मे सरिता की ज़मीन पर खेती बाड़ी
का सारा काम संभाल लिया था,,,,,गाँव यहाँ से कोई 2-3 अवर्स की ड्राइव पर था ,,अशोक और सुरेंदर
हफ्ते मे 2-3 दिन गाँव जाते थे और सारा काम काज देखते थे,,,



उपर वाले रूम मे मैं कविता और सोनिया के साथ सोता था,,,,फाइनल एअर के बाद मेरी कविता और सोनिया
की शादी हो गयी थी और शादी के बाद मुझे कविता से एक बेटी हुई जिसका नाम हमने शोभा रखा था
और सोनिया से मुझे एक बेटा हुआ था जिसका नाम हमने विशाल रखा था,,,,


इन सालो मे बहुत कुछ बदल गया था,,,,,


विशाल बाहर देश मे ही रहने लगा था,,,,वो कभी वापिस नही आया,,,,फोन पर बात ज़रूरी कर
लेता था लेकिन वापिस आने को उसका दिल नही करता था,,,,उसने वहाँ शादी भी करली थी लेकिन फिर
भी वो वापिस आने को तैयार नही था,,,,


शोभा अपने पति के साथ सिंगापुर मे सेट थी,,,शादी के बाद उसको भी एक बेटा हुआ था,,,,और उसने
उसका नाम सन्नी रखा था,,,,



इधर अमित और उसके दोस्तो को जैल हो गयी थी लेकिन उनके लिए जैल की सज़ा ही काफ़ी नही थी,,जैल
मे कुछ बड़े गुंडे थे जो ख़ान भाई के कहने पर अमित और उसके दोस्तो को तंग करने लगे थे,,

उन लोगो ने अमित और उसके दोस्तो की गान्ड मारनी शुरू करदी थी जैल मे,,,,अमित और उसका एक दोस्त ऐसी
ज़िल्लत की ज़िंदगी बर्दाश्त नही कर सके और जैल मे ख़ुदकुशी करली थी उन्होने,,लेकिन अमित के कुछ 
दोस्त गान्डु बनके रह गये थे जैल मे,,,,जैसे उन लड़को ने ज़बरदस्ती की थी लड़कियों से वैसे ही
जैल मे ज़बरदस्ती उनकी गान्ड मारी जाती थी,,,और अब तो उनको जैसे तैसे यही जिंदगी बितानी थी
या ज़िल्लत की ज़िंदगी से तंग होके ख़ुदकुशी करनी थी,,,,


अमित के बाप मिस्टर सेठी को वैसे तो कुछ साल की ही सज़ा हुई थी लेकिन बदनामी की वजह से उसकी
कुर्सी और पॉवर दोनो ही चली गयी थी,,,,और पॉवर जाते ही सीबीआइ ने बाकी के केस पर भी काम करना 
शुरू कर दिया था,,,,अब तो मिस्टर सेठी मरके ही जैल से आज़ाद होने वाला था,,,


सुरेश का बाप सरकारी गवाह बन गया था उसको कम सज़ा ही हुई थी इसलिए जल्दी ही रिहा हो गया था 
वो जैल से,,,और बाहर आके उसने भी नयी शुरुआत की और नये सिरे से नयी ज़िंदगी जीने लगा,,,अब वो
वापिस पॉलिटिक्स मे नही गया और जितना भी पैसा था उसने ज़्यादातर पैसा अनाथ आश्रम और विधवा आश्रम
जैसी जगह पर दान करना शुरू कर दिया था,,,,




गाँव मे पुष्पा देवी की मौत हो गयी थी और घर के सभी लोग गये थे ,,,,अशोक को अग्नि जो देनी थी
अपनी माँ की चिता को,,,,,,लेकिन किसी ने भी किशन लाल से कोई बात नही की थी,,,फिर पुष्पा
देवी के मरने के बाद 2-3 महीने मे किशन लाल भी मर गया,,,वो तो पहले से बीमार रहता था
लेकिन उसकी मौत पर कोई नही गया गाँव,,,,



करण भी अपने बाप के पास जाके वहीं रहने लगा था,,,उसको बहुत खुशी हुई थी मेरे घर के बारे
मे सुनकर ,,,वो मेरी सोनिया और कविता की शादी से भी बहुत खुश था,,,,करण ने रितिका को सब कुछ
बता दिया था लेकिन रितिका को ये सब मंजूर नही था,,,,,इसलिए रितिका के प्यार की खातिर करण
अलका और शिखा से दूर हो गया था,,,,अलका और शिखा भी करण के बाप को शामिल करने से डर रही
थी उसको सच बताने से डर रही थी,,,इसलिए उनके परिवार मे भी वो सब नंगा नाच बंद हो गया था
जो अब तक होता था,,,,अलका जानती थी कि शिखा अकेली कैसे अपनी प्यास बुजा सकती है इसलिए अच्छा
लड़का देखकर उसकी भी शादी करदी थी अलका ने,,,,,



और यहाँ मेरा भी यही हाल था,,,,,,जहाँ कविता ने मेरे करीब आके मुझे कामिनी भाभी से दूर
कर दिया था वहीं सोनिया ने मेरे करीब आके मुझे मेरी बाकी की फॅमिली शोभा ,,,सरिता और गीता
से दूर कर दिया था,,,,,,



जहाँ सोनिया की वजह से मेरी इन्सेस्ट सेक्स लाइफ हमेशा के लिए सुनसान और वीरान हो गयी थी वहीं 
सोनिया की वजह से मैं नयी इन्सेस्ट लाइफ का मज़ा लेने लगा था ,, सुनसान और वीरान हो चुकी इन्सेस्ट
सेक्स लाइफ मे फिर से बहार ले आया था,,,,कहने को सोनिया मेरी बीवी थी लेकिन सच तो ये था कि वो
मेरी बहन थी और मैं उसको बहुत प्यार करता था,,उसी के साथ मेरी इन्सेस्ट सेक्स लाइफ आगे बढ़ने वाली
थी,,,,

दोस्तो ये कहानी अब यहीं समाप्त होती है आप सब का साथ देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद

समाप्त....................
दा एंड
 
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