hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
उस रात मैने और सोनिया ने 3 बार और सेक्स किया था,,,,उसकी पहली चुदाई थी इसलिए वो कुछ
ज़्यादा ही मस्ती मे थी और मुझे सोनिया के साथ मस्ती करने का मौका मिला था उसको हाँसिल करने
का मौका मिला था इसलिए मैं भी कुछ ज़्यादा ही एग्ज़ाइट था,,,,पूरी रात हम लोगो ने कोई बात
नही की बस मस्ती करते रहे,,,,,
पता नही कितने बजे सोए थे हम लोग,,,,सुबह उठा तो हल्की हल्की रोशनी हो गयी थी,
मैं उठा तो देखा सोनिया अभी भी नंगी ही मेरे साथ चिपकी हुई थी,,,उसका कुर्ता बाहर
छत पर था टंकी के पास और मेरी टी-शर्ट भी,,,,मैने दरवाजा खोला तो सुबह हो चुकी
थी,,,दरवाजा खुले से आवाज़ हुई तो सोनिया की आँख भी खुल गयी,,,उसने खुद को नंगी हालत
मे देखा तो शरमा गयी और उसी चद्दर से खुद को कवर कर लिया जिस पर लेटा कर मैने
पूरी रात उसकी चुदाई की थी,,
अभी हम लोगो को नीचे जाना था क्यूकी घर वालो के उठने से पहले हम लोगो को अपने रूम
मे जाके लेट जाना था,,,,मैने तो अपना पयज़ामा पहन लिया लेकिन सोनिया के पास कोई कपड़ा नही
था ,,,,उसका कुर्ता बाहर गिरा हुआ था और गंदा हो गया था,,,छत पर पानी था कुर्ता गीला
भी था,,,उसकी पयज़ामी भी गंदी हो गयी थी ,,,,हालाकी मेरा पयज़ामा भी गंदा हो गया था
लेकिन मैने उसको ऐसे ही पहन लिया था,,,,हम दोनो ने अभी तक कोई बात नही की थी,,,
तभी मैने उसको उठने का इशारा किया और वो उठने लगी ,,उसके बदन पर जो चद्दर थी वो
मेरे लंड के पानी से,,,उसकी चूत के खून से,,,,उसकी चूत के पानी और पेशाब से पूरी
तरह गंदी हो गयी थी,,,उसने चद्दर की तरफ एशारा किया तो मैने पास ही मे पड़ी हुई
दूसरी चद्दर जो पुरानी थी लेकिन सॉफ थी,,,मैने वो चद्दर उसके पास फैंक दी और उसने
गंदी चद्दर को अपने जिस्म से अलग किया और सॉफ चद्दर को अपने जिस्म पर लपेट लिया और
उठ कर खड़ी होने लगी,,,,,तभी एक दम से दर्द से कराह उठी और उसके मुँह से अहह
निकल गयी और वो वापिस ज़मीन पर गिर गयी,,,,मैने आगे बढ़के उसको संभाला लेकिन देर हो गयी
थी वो ज़मीन पर गिर गयी थी,,,,मैने उसकी हालत समझ गया था इसलिए मैने उसको अपनी
बाहों मे भर लिया और गोद मे उठा लिया,,,,,
मेरा उपर का जिस्म नंगा था और मैं अपने रात वाले गंदे पयज़ामे मे था जबकि सोनिया नंगी
थी और चद्दर मे लिपटी हुई थी,,,,मैने उसको गोद मे उठाया और छत से नीचे की तरफ आने
लगा,,,,वो मेरी नज़रो मे देख कर शरमा रही थी,,,हम दोनो की रात खूब मस्ती मे कटी
थी लेकिन हम लोगो ने अभी तक कोई बात नही की थी,,,,,,
मैं उक्सो छत से नीचे लेके आ रहा था,,,बड़े हल्के कदमो से चल रहा था मैं,,सर्दी
का मौसम था मुझे ठंड लग रही थी मैं जल्दी से अपने कमरे मे जाके कपड़े बदल लेना
चाहता था,,,,जब तक तो सोनिया के साथ लेटा रहा ठंड नही लग रही थी लेकिन अब ठंड
लगने लगी थी मुझे,,,,सोनिया गोद मे थी इसलिए कुछ गर्मी का एहसास तो हो रहा था लेकिन
फिर भी मैं रूम मे जाना चाहता था जल्दी से,,,,और उस से भी ज़्यादा मुझे डर था कोई
हम दोनो को ऐसी हालत मे ना देख ले क्यूकी जो भी हम दोनो को देख लेता वो हम दोनो की
हालत से समझ जाता कि हम दोनो मे क्या हुवा है,,
मुझे डर था कहीं कोई हमको देख ना ले,,,,,,और तभी मेरा डर सच साबित हो गया,,,मैं
सोनिया को गोद मे लेके खड़ा हुआ था अपने रूम के पास ,,मेरा आधा जिस्म नंगा था और सोनिया
एक चद्दर मे मेरी गोद मे थी,,,,,और सामने उपर वाले किचन से भुआ कुछ समान हाथ मे
पकड़ कर किचन से बाहर आ रही थी,,,
जैसे ही भुआ की नज़र हम लोगो पर पड़ी मेरी तो गान्ड ही फॅट गयी और वही हाल था शायद
सोनिया का भी,,,,,मैने सोनिया की तरफ देखा तो वो डरी हुई नही थी बस शरमा रही थी
तभी भुआ हम दोनो के पास आई और एक नज़र हम दोनो को देखा और सीडियों से नीचे की
तरफ चली गयी,,,,,
मैं बहुत डर गया था लेकिन सोनिया क्यूँ नही डरी,,,,वो शरमा क्यूँ रही थी,,,क्या उसको डर
नही था कि भुआ ने हम दोनो को एसी हालत मे देख लिया है,,,,,
खैर मैं सोनिया को लेके रूम के अंदर चला गया,,,जैसे ही मैं सोनिया को रूम के अंदर
जाके उसके बेड पर लेटाने लगा तो उसने मुझे वॉशरूम की तरफ इशारा किया ,, मैं उसको
वॉशरूम मे ले गया और उसको गोद से उतारकर ज़मीन पर खड़ा कर दिया,,,,
उसने मुझे वहाँ से बाहर जाने का इशारा किया लेकिन मैने मना कर दिया,,,,मैं जानता था
रात भर की चुदाई से उसका नाज़ुक बदन बुरी तरह से टूट चुका है ,,उसकी हालत इतनी
खराब थी कि उसकी टाँगे उसका वजन भी नही संभाल पा रही थी,,,
उसने मुझे फिर से बाहर जाने का इशारा किया और मैने फिर से सर को ना मे हिला कर उसको
मना कर दिया,,,,,वो भी समझ गयी थी कि अब मैं बाहर नही जाने वाला इसलिए उसने मुझे
पलट कर खड़े होने को बोला और चेहरा दूसरी तरफ करने को बोला,,,,क्यूकी उसको मेरे सामने
पेशाब करने मे शरम आ रही थी,,,,,
मैं उसकी बात समझ गया और पलट कर खड़ा हो गया ,,,,तभी वो टाय्लेट सीट पर बैठकर
पेशाब करने लगी,,,,,मुझे उसके पेशाब करने की आवाज़ आने लगी तभी उसके मुँह से आहह
माआआ निकल गया,,,,,,मैं समझ गया कि उसकी नाज़ुक और कोमल चूत बुरी तरह से छिल
गयी होगी तभी तो पेशाब भी लगकर आ रहा था उसको,,,,पेशाब करने से भी उसकी चूत
मे जलन हो रही थी,,,,
जब उसने पेशाब कर लिया और चूत को सॉफ करके मेरे पास आके मेरे शोल्डर पर हाथ रखा
तो मैने पलट कर उसको पकड़ा और गोद मे उठा लिया और बाहर आके बेड पर लेटा दिया,,,
तभी मेरा दिल किया उसकी चूत देखने को ताकि देख सकूँ कितना बुरा हाल किया है मैने उस
बेचारी सोनिया का,,,कितना दर्द दिया है उसको,,,,मैने चद्दर उठाने की कोशिश की लेकिन
उसने मुझे रोक दिया और ना मे सर हिला कर बता दिया सन्नी मत देखो तुम देख नही सकते
,,,,
मैने फिर कोशिश की तो उसने फिर से मना कर दिया,,,,तभी मैने अपना पयज़ामा निकाला जो
काफ़ी गंदा हो गया था और सॉफ पयज़ामा और टी-शर्ट पहन-ने लगा,,,,मैं उसके सामने ही कपड़े
चेंज करने लगा तो वो शरमा गयी और चद्दर से अपने फेस को कवर कर लिया,,,
कपड़े चेंज करके मैं रूम से बाहर जाने लगा,,जैसे ही मैने दरवाजा खोला तो सोनिया
ने चद्दर को नीचे करके मेरी तरफ देखा और नज़रो ही नज़रो मे सवाल करने लगी कि सन्नी
तुम कहाँ जा रहे हो,,,,,,मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया और नीचे की तरफ आ
गया,,,,
मैं खुद तो उसकी चूत नहीं देख सकता था ना ही उसका दर्द ठीक कर सकता था लेकिन मुझे
उसका दर्द ठीक करना था इसलिए मैं नीचे भुआ को लेने गया था क्यूकी भुआ ने सब कुछ देख
लिया था और सोनिया को भी भुआ से डर नही लगा था तब जब भुआ ने हम दोनो को उस हालत मे
देखा था,,,,
मैं नीचे की तरफ आया तो मुझे किचन से कुछ आवाज़ सुनाई दी और मैं किचन मे चला
गया ,,,,जहाँ माँ और भुआ दोनो अपना काम कर रही थी,,,
मुझे देखकर माँ बोली,,,,,,अरे आज क्या हुआ तुझे इतनी जल्दी उठ गया,,,,अभी तो कॉलेज
जाने मे भी बहुत टाइम है ,,,
कुछ नही माँ बस आज आँख जल्दी खुल गयी,,,,,,
तभी भुआ बोली,,,,आँख जल्दी खुल गयी थी या पूरी रात सोया ही नही,,,,भुआ ने इतना बोला
तो माँ और भुआ दोनो हँसने लगी,,,,,
इस से पहले मैं कुछ बोलता या समझ पाता भुआ एक गर्म पानी का बर्तन हाथ मे लेके मेरे
करीब से होके किचन से बाहर आ गयी और साथ मे माँ भी,,,,,
ज़्यादा ही मस्ती मे थी और मुझे सोनिया के साथ मस्ती करने का मौका मिला था उसको हाँसिल करने
का मौका मिला था इसलिए मैं भी कुछ ज़्यादा ही एग्ज़ाइट था,,,,पूरी रात हम लोगो ने कोई बात
नही की बस मस्ती करते रहे,,,,,
पता नही कितने बजे सोए थे हम लोग,,,,सुबह उठा तो हल्की हल्की रोशनी हो गयी थी,
मैं उठा तो देखा सोनिया अभी भी नंगी ही मेरे साथ चिपकी हुई थी,,,उसका कुर्ता बाहर
छत पर था टंकी के पास और मेरी टी-शर्ट भी,,,,मैने दरवाजा खोला तो सुबह हो चुकी
थी,,,दरवाजा खुले से आवाज़ हुई तो सोनिया की आँख भी खुल गयी,,,उसने खुद को नंगी हालत
मे देखा तो शरमा गयी और उसी चद्दर से खुद को कवर कर लिया जिस पर लेटा कर मैने
पूरी रात उसकी चुदाई की थी,,
अभी हम लोगो को नीचे जाना था क्यूकी घर वालो के उठने से पहले हम लोगो को अपने रूम
मे जाके लेट जाना था,,,,मैने तो अपना पयज़ामा पहन लिया लेकिन सोनिया के पास कोई कपड़ा नही
था ,,,,उसका कुर्ता बाहर गिरा हुआ था और गंदा हो गया था,,,छत पर पानी था कुर्ता गीला
भी था,,,उसकी पयज़ामी भी गंदी हो गयी थी ,,,,हालाकी मेरा पयज़ामा भी गंदा हो गया था
लेकिन मैने उसको ऐसे ही पहन लिया था,,,,हम दोनो ने अभी तक कोई बात नही की थी,,,
तभी मैने उसको उठने का इशारा किया और वो उठने लगी ,,उसके बदन पर जो चद्दर थी वो
मेरे लंड के पानी से,,,उसकी चूत के खून से,,,,उसकी चूत के पानी और पेशाब से पूरी
तरह गंदी हो गयी थी,,,उसने चद्दर की तरफ एशारा किया तो मैने पास ही मे पड़ी हुई
दूसरी चद्दर जो पुरानी थी लेकिन सॉफ थी,,,मैने वो चद्दर उसके पास फैंक दी और उसने
गंदी चद्दर को अपने जिस्म से अलग किया और सॉफ चद्दर को अपने जिस्म पर लपेट लिया और
उठ कर खड़ी होने लगी,,,,,तभी एक दम से दर्द से कराह उठी और उसके मुँह से अहह
निकल गयी और वो वापिस ज़मीन पर गिर गयी,,,,मैने आगे बढ़के उसको संभाला लेकिन देर हो गयी
थी वो ज़मीन पर गिर गयी थी,,,,मैने उसकी हालत समझ गया था इसलिए मैने उसको अपनी
बाहों मे भर लिया और गोद मे उठा लिया,,,,,
मेरा उपर का जिस्म नंगा था और मैं अपने रात वाले गंदे पयज़ामे मे था जबकि सोनिया नंगी
थी और चद्दर मे लिपटी हुई थी,,,,मैने उसको गोद मे उठाया और छत से नीचे की तरफ आने
लगा,,,,वो मेरी नज़रो मे देख कर शरमा रही थी,,,हम दोनो की रात खूब मस्ती मे कटी
थी लेकिन हम लोगो ने अभी तक कोई बात नही की थी,,,,,,
मैं उक्सो छत से नीचे लेके आ रहा था,,,बड़े हल्के कदमो से चल रहा था मैं,,सर्दी
का मौसम था मुझे ठंड लग रही थी मैं जल्दी से अपने कमरे मे जाके कपड़े बदल लेना
चाहता था,,,,जब तक तो सोनिया के साथ लेटा रहा ठंड नही लग रही थी लेकिन अब ठंड
लगने लगी थी मुझे,,,,सोनिया गोद मे थी इसलिए कुछ गर्मी का एहसास तो हो रहा था लेकिन
फिर भी मैं रूम मे जाना चाहता था जल्दी से,,,,और उस से भी ज़्यादा मुझे डर था कोई
हम दोनो को ऐसी हालत मे ना देख ले क्यूकी जो भी हम दोनो को देख लेता वो हम दोनो की
हालत से समझ जाता कि हम दोनो मे क्या हुवा है,,
मुझे डर था कहीं कोई हमको देख ना ले,,,,,,और तभी मेरा डर सच साबित हो गया,,,मैं
सोनिया को गोद मे लेके खड़ा हुआ था अपने रूम के पास ,,मेरा आधा जिस्म नंगा था और सोनिया
एक चद्दर मे मेरी गोद मे थी,,,,,और सामने उपर वाले किचन से भुआ कुछ समान हाथ मे
पकड़ कर किचन से बाहर आ रही थी,,,
जैसे ही भुआ की नज़र हम लोगो पर पड़ी मेरी तो गान्ड ही फॅट गयी और वही हाल था शायद
सोनिया का भी,,,,,मैने सोनिया की तरफ देखा तो वो डरी हुई नही थी बस शरमा रही थी
तभी भुआ हम दोनो के पास आई और एक नज़र हम दोनो को देखा और सीडियों से नीचे की
तरफ चली गयी,,,,,
मैं बहुत डर गया था लेकिन सोनिया क्यूँ नही डरी,,,,वो शरमा क्यूँ रही थी,,,क्या उसको डर
नही था कि भुआ ने हम दोनो को एसी हालत मे देख लिया है,,,,,
खैर मैं सोनिया को लेके रूम के अंदर चला गया,,,जैसे ही मैं सोनिया को रूम के अंदर
जाके उसके बेड पर लेटाने लगा तो उसने मुझे वॉशरूम की तरफ इशारा किया ,, मैं उसको
वॉशरूम मे ले गया और उसको गोद से उतारकर ज़मीन पर खड़ा कर दिया,,,,
उसने मुझे वहाँ से बाहर जाने का इशारा किया लेकिन मैने मना कर दिया,,,,मैं जानता था
रात भर की चुदाई से उसका नाज़ुक बदन बुरी तरह से टूट चुका है ,,उसकी हालत इतनी
खराब थी कि उसकी टाँगे उसका वजन भी नही संभाल पा रही थी,,,
उसने मुझे फिर से बाहर जाने का इशारा किया और मैने फिर से सर को ना मे हिला कर उसको
मना कर दिया,,,,,वो भी समझ गयी थी कि अब मैं बाहर नही जाने वाला इसलिए उसने मुझे
पलट कर खड़े होने को बोला और चेहरा दूसरी तरफ करने को बोला,,,,क्यूकी उसको मेरे सामने
पेशाब करने मे शरम आ रही थी,,,,,
मैं उसकी बात समझ गया और पलट कर खड़ा हो गया ,,,,तभी वो टाय्लेट सीट पर बैठकर
पेशाब करने लगी,,,,,मुझे उसके पेशाब करने की आवाज़ आने लगी तभी उसके मुँह से आहह
माआआ निकल गया,,,,,,मैं समझ गया कि उसकी नाज़ुक और कोमल चूत बुरी तरह से छिल
गयी होगी तभी तो पेशाब भी लगकर आ रहा था उसको,,,,पेशाब करने से भी उसकी चूत
मे जलन हो रही थी,,,,
जब उसने पेशाब कर लिया और चूत को सॉफ करके मेरे पास आके मेरे शोल्डर पर हाथ रखा
तो मैने पलट कर उसको पकड़ा और गोद मे उठा लिया और बाहर आके बेड पर लेटा दिया,,,
तभी मेरा दिल किया उसकी चूत देखने को ताकि देख सकूँ कितना बुरा हाल किया है मैने उस
बेचारी सोनिया का,,,कितना दर्द दिया है उसको,,,,मैने चद्दर उठाने की कोशिश की लेकिन
उसने मुझे रोक दिया और ना मे सर हिला कर बता दिया सन्नी मत देखो तुम देख नही सकते
,,,,
मैने फिर कोशिश की तो उसने फिर से मना कर दिया,,,,तभी मैने अपना पयज़ामा निकाला जो
काफ़ी गंदा हो गया था और सॉफ पयज़ामा और टी-शर्ट पहन-ने लगा,,,,मैं उसके सामने ही कपड़े
चेंज करने लगा तो वो शरमा गयी और चद्दर से अपने फेस को कवर कर लिया,,,
कपड़े चेंज करके मैं रूम से बाहर जाने लगा,,जैसे ही मैने दरवाजा खोला तो सोनिया
ने चद्दर को नीचे करके मेरी तरफ देखा और नज़रो ही नज़रो मे सवाल करने लगी कि सन्नी
तुम कहाँ जा रहे हो,,,,,,मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया और नीचे की तरफ आ
गया,,,,
मैं खुद तो उसकी चूत नहीं देख सकता था ना ही उसका दर्द ठीक कर सकता था लेकिन मुझे
उसका दर्द ठीक करना था इसलिए मैं नीचे भुआ को लेने गया था क्यूकी भुआ ने सब कुछ देख
लिया था और सोनिया को भी भुआ से डर नही लगा था तब जब भुआ ने हम दोनो को उस हालत मे
देखा था,,,,
मैं नीचे की तरफ आया तो मुझे किचन से कुछ आवाज़ सुनाई दी और मैं किचन मे चला
गया ,,,,जहाँ माँ और भुआ दोनो अपना काम कर रही थी,,,
मुझे देखकर माँ बोली,,,,,,अरे आज क्या हुआ तुझे इतनी जल्दी उठ गया,,,,अभी तो कॉलेज
जाने मे भी बहुत टाइम है ,,,
कुछ नही माँ बस आज आँख जल्दी खुल गयी,,,,,,
तभी भुआ बोली,,,,आँख जल्दी खुल गयी थी या पूरी रात सोया ही नही,,,,भुआ ने इतना बोला
तो माँ और भुआ दोनो हँसने लगी,,,,,
इस से पहले मैं कुछ बोलता या समझ पाता भुआ एक गर्म पानी का बर्तन हाथ मे लेके मेरे
करीब से होके किचन से बाहर आ गयी और साथ मे माँ भी,,,,,