hotaks444
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चीखती रूहें
जुलीना फिट्ज़वॉटर ने एक लंबी अंगड़ाई ली और उठ कर उस कमरे की तरफ चल पड़ी जहाँ लीज़ी और रॉबर्टू थे.
वो एक थका देने वाला दिन था जो जंगलों के पिछे सन-सेट के साथ दम तोड़ रहा था. जूलीया सोच रही थी कि रात शायद इस से भी
अधिक थका देने वाली होगी. जब कोई काम ना हो तो शंकाएँ और बेचैनी ही इस तरह थका देती हैं जैसे किसी पहाड़ की छोटी पर चढ़ना पड़ा हो.
अकेले जूलीया ही नहीं सभी चिंताग्रस्त थे. वो नहीं जानते थे कि रात किस तरह बीतेगी. दिन तो इस तरह बीता था कि वो हर पल इमरान की वापसी का इंतेज़ार करते रहे या किसी बड़ी घटना के.
बाली और उसके साथियों के गायब हो जाने के बाद भी उन लोगों का उसी बिल्डिंग मे रुके रहना हर एक के लिए बहुत बड़ी उलझन बन गया था.
इमरान चाहता क्या है?
"मैं पूछती हूँ आख़िर बोघा चाहता क्या है?" जूलीया ने रॉबर्टू से पुच्छा,
"वो अपने दुश्मनों को इसी तरह पागल बना देता है." रॉबर्टू ने कहा. "अब यही देखो कि हमें किस तरह अपने जाल मे फांसा और वहाँ
से निकाल लाया. अब वो चाहता है कि हम पागल हो कर कुत्तों की तरह भोंकने लगें."
"यानी.....बस इतना ही मकसद है?"
"निश्चित...."
"मैं इसे नहीं मान सकती. जो लोग हमारी क़ैद से निकल सकते हैं......वो पिच्छली रात हमें क़त्ल भी कर सकते थे. बाली और उसके साथियों ने आज़ाद होने के बाद हम पर हमला क्यों नहीं किया?"
"बोघा को समझना आसान नहीं है.....मैं फिर यही कहूँगा."
"हमारा वो सारा सामान भी मौजूद है जो साहिल पर रह गया था. वही लोग उसे यहाँ तक लाए होंगे."
"हां हां.....पहले भी तो इमरान और सफदार बोघा के क़ैदी रह चुके हैं. क्या उस ने उन्हें मार डाला था? अर्रे वो तो केवल काम लेना जानता है. उस ने उन लोगों से साधारण मज़दूरों की तरह पत्थर ढूलवाए थे. तुम्हें ये सुन कर हैरत होगी कि उस के मज़दूरों मे कयि बहुत ज़्यादा पढ़े लिखे लोग भी थे. यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर, टॉप जर्नलिस्ट और साइंटिस्ट्स."
"एनीवे......उस ने उन्हें ज़िंदा रख कर किसी प्रकार का लाभ उठाया था." जूलीया ने कहा.
"लीव इट..." रॉबर्टू ने अपने ग्लास मे रूम डालते हुए कहा. "जो कुच्छ भी है सामने आ जाएगा."
जूलीया की उलझन और बढ़ गयी. इमरान सुबह ही से गायब था. लेकिन उस ने उन्हें चेतावनी दी थी कि वो इमारत की अंदर तक ही सीमित रहें. उस के इस सजेशन का भी पालन किया गया था कि वो बोघा के उन आदमियों के मेक अप में आ जाएँ......जो उन्हें इस इमारत तक लाए थे.
जुलीना फिट्ज़वॉटर ने एक लंबी अंगड़ाई ली और उठ कर उस कमरे की तरफ चल पड़ी जहाँ लीज़ी और रॉबर्टू थे.
वो एक थका देने वाला दिन था जो जंगलों के पिछे सन-सेट के साथ दम तोड़ रहा था. जूलीया सोच रही थी कि रात शायद इस से भी
अधिक थका देने वाली होगी. जब कोई काम ना हो तो शंकाएँ और बेचैनी ही इस तरह थका देती हैं जैसे किसी पहाड़ की छोटी पर चढ़ना पड़ा हो.
अकेले जूलीया ही नहीं सभी चिंताग्रस्त थे. वो नहीं जानते थे कि रात किस तरह बीतेगी. दिन तो इस तरह बीता था कि वो हर पल इमरान की वापसी का इंतेज़ार करते रहे या किसी बड़ी घटना के.
बाली और उसके साथियों के गायब हो जाने के बाद भी उन लोगों का उसी बिल्डिंग मे रुके रहना हर एक के लिए बहुत बड़ी उलझन बन गया था.
इमरान चाहता क्या है?
"मैं पूछती हूँ आख़िर बोघा चाहता क्या है?" जूलीया ने रॉबर्टू से पुच्छा,
"वो अपने दुश्मनों को इसी तरह पागल बना देता है." रॉबर्टू ने कहा. "अब यही देखो कि हमें किस तरह अपने जाल मे फांसा और वहाँ
से निकाल लाया. अब वो चाहता है कि हम पागल हो कर कुत्तों की तरह भोंकने लगें."
"यानी.....बस इतना ही मकसद है?"
"निश्चित...."
"मैं इसे नहीं मान सकती. जो लोग हमारी क़ैद से निकल सकते हैं......वो पिच्छली रात हमें क़त्ल भी कर सकते थे. बाली और उसके साथियों ने आज़ाद होने के बाद हम पर हमला क्यों नहीं किया?"
"बोघा को समझना आसान नहीं है.....मैं फिर यही कहूँगा."
"हमारा वो सारा सामान भी मौजूद है जो साहिल पर रह गया था. वही लोग उसे यहाँ तक लाए होंगे."
"हां हां.....पहले भी तो इमरान और सफदार बोघा के क़ैदी रह चुके हैं. क्या उस ने उन्हें मार डाला था? अर्रे वो तो केवल काम लेना जानता है. उस ने उन लोगों से साधारण मज़दूरों की तरह पत्थर ढूलवाए थे. तुम्हें ये सुन कर हैरत होगी कि उस के मज़दूरों मे कयि बहुत ज़्यादा पढ़े लिखे लोग भी थे. यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर, टॉप जर्नलिस्ट और साइंटिस्ट्स."
"एनीवे......उस ने उन्हें ज़िंदा रख कर किसी प्रकार का लाभ उठाया था." जूलीया ने कहा.
"लीव इट..." रॉबर्टू ने अपने ग्लास मे रूम डालते हुए कहा. "जो कुच्छ भी है सामने आ जाएगा."
जूलीया की उलझन और बढ़ गयी. इमरान सुबह ही से गायब था. लेकिन उस ने उन्हें चेतावनी दी थी कि वो इमारत की अंदर तक ही सीमित रहें. उस के इस सजेशन का भी पालन किया गया था कि वो बोघा के उन आदमियों के मेक अप में आ जाएँ......जो उन्हें इस इमारत तक लाए थे.