hotaks444
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मेरा रंगीला जेठ और भाई
मित्रो एक और कहानी पोस्ट कर रहा हूँ जिसे मैने नही लिखा और इस फोरम पर भी नही है आपको पढ़ कर मज़ा आएगा
मैं सुमन २० साल की महिला हूँ !मेरी शादी करीब १ साल पहले रमेश से हुई !मैं दिल्ली में रहती हूँ और लखनऊ के पास एक गांव में मेरा ससुराल है !ससुराल में मेरी सास अपने दो बेटों के साथ रहती है ! मेरा देवर का बचपन में ही दौरे पड़ने की बीमारी लग गई थी ,और वो अपाहिज की ज़िन्दगी जी रहा था !दौरे के वक़्त उसको तुरंत इंजेक्शन देना पड़ता था,जिसके लिए एक नर्स हमेशा उसके साथ रहती थी !वो बिस्तर पर ही पर रहता था ,और चल फिर नहीं पाता था !सास को भी घुटनो के परेशानी की वज़ह से व्हील चेयर और बेड पर ही रहना पड़ता था !मेरे जेठ जी ने जनरल फिजिशियन और gynacology के डाक्टर का कोर्स किया था पर गावं में रहकर ही सबकी देखभाल करते थे , और मरीज़ों को देखते थे !गावं के औरतों की डिलीवरी भी इन्ही के क्लिनिक में होती थी,जिसके लिए एक और नर्स रखी हुई थी! दूर दूर के गावं में उनका नाम था, और लोगों को विश्वास था की उनके इलाज़ से बाँझ को भी बच्चा हो जाता था !लोग उनको भगवान की तरह मानते थे और इज़्ज़त करते थे ! एक चीज़ जो उन्हें और भी महान बनाती थी .वो ये की घर में दो दो अपाहिजों के चलते , ४५ साल के होते हुए भी उन्होंने शादी नहीं की थी !वैसे अभी भी वो २५ साल के लड़कों को कुश्ती में हरा देते थे ,दिखने में भी डाक्टर काम पहलवान ज्यादा लगते थे !शादी के बारे उनका कहना था की कोई भी पत्नी दो दो अपाहिजों को नही झेल सकती !उनकी इस बात का रमेश हमेशा जिक्र करते थे और खुद को छोटा समझते थे की वो नौकरी के लिए बाहर हैं! मैं भी जेठ जी की इस बात पर बहुत गर्व महसूस करती थी, क्योंकि एक दिन में मैं बहुत परेशान हो जाती थी ! देवर के चलते मुझे भी इंजेक्शन लगाना सीखना पड़ा था ,क्योंकि घर में हर आदमी को सिखाया गया था की क्या जाने कब जरुरत पड़ जाए ! रमेश हर हफ्ते गावं जाते थे , और बड़े भाई का हाथ खेती में और छोटे भाई और माँ की सेवा में लगाते थे !मैं भी कभी कभी साथ जाती थी ,पर कभी एक रात से ज्यादा नही रूकती थी ! घर में सब मुझे बहुत प्यार करते थे और जेठ जी मुझे सोना बेटा कहते थे ,और मैं उनको भैया कहती थी !
साल में एक बार पिताजी के बरसी पे घर के सभी रिश्तेदार को बुलाया जाता था, और पूरे गावं को खाना खिलाया जाता था ! मेरे लिए ये दूसरा मौका था !पहली बार मैं नई नवेली दुल्हन थी ,और चुप चाप बिस्तर पर ही बैठी रही थी !लेकिन इस बार सारा काम मेरे जिम्मे था !रमेश की ट्रेनिंग चल रही थी ,और ट्रेनिंग के बाद उसको १० दिन के लिए अमेरिका जाना था !शहर में खाली समय रहने के कारण मैंने एक बहुत महंगा कोर्स ज्वाइन कर लिया था !रोज़ एक घंटे की क्लास होती थी !छुट्टी एडजस्ट करना मुस्किल था !गावं की नर्स एक हफ्ते छुट्टी पर थी , जिसकी वजह से भैया भी,देवर के कारण गावं से नहीं आ सकते थे !अंत में ये फैसला हुआ कि रमेश मुझे गावं छोड़ कर ,उसी रात लौट आयेगे! और भैया मुझे तीन दिन के बाद वापस दिल्ली छोड़ आएंगे और मेरे साथ वहां १० दिन रहेंगे ,जब तक रमेश अमेरिका से वापस नहीं आ जाते !
सुबह हम पहुंचे ,और मैं काम में लग गई !शाम को गावं को खाना खिलने के बाद रमेश को दिल्ली वापस जाना था ! मैं पुरे दिन काम काज में लगी रही !पूरा बदन टूट चूका था !लगता था कि अब बेहोश हो जाउंगी !मुझे दो बार चक्कर सी आई ,पर रमेश को नहीं बताया क्योंकि वो बेकार परेशान होता !मैंने भैया से कहा, उन्होंने चेक करने के बाद दो सफ़ेद और दो गुलाबी टेबलेट दी !सफ़ेद वाली आज और कल रात के लिए और गुलाबी दिन में खाने को बोला !
घर में मेहमान के कारण मुझे किचन के ऊपर का कमरा दिया गया था ,जो आँगन के दूसरी तरफ था !ऊपर दो कमरे थे !एक में भैया और देवर को रखा गया था !भैया के न होने पर मैं इंजेक्शन दे सकती थी , इसलिए मुझे उनके साथ ही रखा गया था !रमेश के जाते ही मै अपने कमरे में आ गई !दूसरे कमरे में देवर सो रहा था !मैंने गुलाबी साटन कि साड़ी और और ब्लाउज पहन राखी थी !अंदर शैतान कि ही मैचिंग ब्रा और पॅंटी पहनी थी !सर में दर्द था और चक्कर भी आ रहे थे !मैंने सोचा कि दवा खा कर थोड़ी देर लेटती हूँ ,फिर नाईट ड्रेस पहन लुंगी !बिस्तर पर लेटते ही कब नींद आ गई ,पाता नहीं चला !करीब पांच बजे सुबह नींद खुली तो कुछ अजीब सा लगा !साड़ी पूरी उठी हुई थी ,पेटीकोट के साथ !पैंटी में बहुत गीलापन था !ब्रा के हुक अंदर से खुले थे और निप्पल के पास पूरा गीला था !मैंने जल्दी से कपड़े ठीक किये और बाथरूम भागी !पैंटी उतारते ही मैं चौंक गयी,क्योकि पैंटी उलटी थी !मैंने ज़िन्दगी में कभी उलटी पैंटी नही पहनी थी ,और मुझे पूरा विस्वास था कि कल भी मैंने सीधी पहनी थी! ब्लाउज उतारा तो देखा कि ब्रा का सिर्फ एक हुक लगा है वो भी गलत जगह !इसका मतलब था कि किसी ने मेरी ब्लाउज और ब्रा खोली,पैंटी उतारी और वापस पहना दिया !मेरे चिकने चूत पर भी एक चमक थी,जैसे किसी ने उसको रगड़ रगड़ के साफ़ किया हो !मेरे तो होश उड़ गए कि कौन हो सकता है ,क्या किसी ननद ने किया है या किसी मर्द ने !ताज़्ज़ुब इस बात का था कि मुझे पाता नहीं चला !किसी तरह इस टेंशन में मैं तैयार होकर नीचे उतरी ,घर के काम काज के लिए !
अंदर से मैं बहुत डर गई थी , ज़िन्दगी में पहली बार मेरे साथ ऐसा हुआ था ! किसी से कुछ पूछना या बोलना मेरे लिए असंभव था ! एक बार सोचा की रमेश से बात करूँ ,पर मुझे लगा कि अभी तो क्या ,मैं पूरी ज़िन्दगी यह बोलने का साहस नहीं कर पाउंगी ! किचन से चाय लेकर निकली तो देखा कि भैय्या खेत से वापस आ गए थे ! उन्होंने पुछा कि तबियत कैसी है , दवा टाइम पर ले रही हो या नहीं ! मैंने हाँ में सर झुकाया ,और आगे बढ़ गई !बदन में अजीब सी सनसनाहट हो रही थी ! चूत बहुत ज्यादा कोमल लग रही थी ! पैंटी के साथ हलकी सी रगड़ भी सनसनाहट दे रही थी !मेरे लिए ये नया अनुभव था ! कौन है वो जिसने मेरे अंगों से खेला है !औरत होने के नाते एक बात का मुझे पक्का यकीन था कि मेरे साथ सेक्स नहीं हुआ है ,पर बाहर से किसी ने जी भर के चूमा चाटा है ! मेरा किसी भी काम में मन नहीं लग रहा था ! मैं इतनी बेहोश कैसे हो सकती हूँ कि मुझे पता नहीं चला !दिन भर रिश्तेदारों के साथ बातें होती रही ! दिन में आराम का मौका ही नहीं मिला ,जिससे थकावट बहुत ज्यादा हो गई थी !भैया किसी जरुरी डिलीवरी पर बगल के गावं चले गए थे , उनके आने का कुछ पता नहीं था ! बोल कर गए थे कि शायद न भी आ सकें रात को ! शाम होते होते मुझे बहुत ज्यादा थकावट होने लगी थी !मैंने खाना शाम को ही खाया था ,इसलिए रात को खाना नहीं खाना था !मेरी सास ने कहा कि मैं जा के आराम कर लूँ !मैंने कह दिया कि अब मैं रूम में जा रही हूँ सोने के लिए ! ऊपर रूम में आकर मैंने कपड़े बदलने कि सोची , नाईट ड्रेस पहना और दवा खाकर सोने चली गई ! नाईट ड्रेस के साथ मैं ब्रा और पैंटी नहीं पहनती थी ! दिमाग में कल कि बातें चल रही थी !मैंने सोच लिया था कि अगर आज ऐसा कुछ हुआ तो मैं जरूर पकड़ लुंगी उस अनजान चेहरे को !शाम के ७ बजते बजते मुझे गहरी नींद आ गई !देर रात मुझे अहसास हुआ कि कोई मेरे चूत को जीभ से चाट रहा है !मैं डर के मारे आँख नहीं खोल पाई !मेरी नाईट ड्रेस ऊपर गर्दन तक उठे हुए थे , अजनबी के दोनों हाथ मेरे चूची को सहला रहे थे !कमरे में हलकी रौशनी तो थी, पर आँखें खोल कर देखने का साहस मुझमे नहीं था !चूत चाटने वाला बड़े आराम से चूत का कोना कोना जीभ से साफ़ कर रहा था , कोई जल्दी नहीं लग रही थी ! ज़िंदगी में पहली बार किसी मर्द ने मुझे उस जगह छुआ था !रमेश ने तो आज तक मेरी चूत देखी भी नहीं थी ! पूरा बदन सनसना रहा था ! कि अचानक मेरे पूरे बदन में एक तनाव सा आया , और लगा जैसे मेरी चूत से फौवारा छूटा है ! उसके बाद मेरे कमर के नीचे का हिस्सा बिलकुल ही ढीला पर गया !शायद अज़नबी को कुछ शक हुआ की मैं जाग रही हूँ !थोड़ी देर के लिए सब कुछ शांत हो गया !मैं समझी की चलो बला टली !मैं चुप चाप लेटी रही !मैं यह चाहती थी की अजनबी को लगे कि मुझे कुछ पता नहीं चला कि मेरे साथ क्या हुआ !मैं किसी आहट का इंतज़ार कर रही थी कि उसके जाते जाते मैं उसे देख पाउ और कम से कम ये जान तो लूँ कि ये कौन है !कुछ समय ऐसे ही बीत गया !मैं चाहती थी कि जल्दी से मैं नाईटी को नीचे करू ,क्यूकि नंगे बदन मुझे बड़ा अजीब लग रहा था !मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि कभी मेरे साथ ऐसा हो सकता है !रमेश ने भी मुझे कभी नंगा नहीं किया ! बस अँधेरे कमरे में नाईटी कमर तक उठा कर जो भी उससे बन पड़ता था ,कर लेता था !मुझे भी सेक्स के बारे ज्यादा पता नहीं था ,जीभ से चूत को चाटा जाता है , ये तो बिलकुल मेरी समझ के बाहर था ! मुझे बस एक ही बात अच्छी लगी थी कि मेरी चूत ने उसे बहुत पसंद किया था और पहली बार मुझे पूरा संतोष लग रहा था !लेकिन अनजाने मर्द का ख्याल आते ही मन घृणा से भर गया ! मैं किस मुह से रमेश के सामने जाउंगी ,मेरे दिमाग में ये बात चल रही थी !मुझे पहली बार ऐसा लगा कि मैंने रमेश के साथ धोखा किया !लेकिन मैं कर भी क्या सकती थी !जब पहली बार मेरी चूत और चूची चाटी गई, तो मुझे पता भी न चला , अब आज अगर रोक भी लेती तो दाग तो लग ही चूका था मेरे दामन पे ! इन उलझलों में अभी खोई ही थी कि एक ऊँगली का अहसास मेरे चूत को हुआ ! वो ऊँगली से मेरे चूत को सहला रहा था !स्पर्श इतना हल्का था कि मेरे रोएँ खड़े हो गए थे !वो मेरे चूत के आस पास ऊँगली से सहला रहा था और बीच बीच में चूत में भी थोड़ा सा घुसा कर आगे पीछे कर रहा था ! अज़नबी की ऊँगली रमेश के लण्ड से मोटी थी ! फिर मुझे लगा कि कोई मेरे बगल में आकर लेटा है! उसका एक हाथ मेरे चूत पर था और दूसरे से वो मेरे होंठ सहला रहा था !फिर अचानक से मेरे चूची पर जीभ फिराने का अहसास होने लगा, और उसने एक निप्पल मुंह में ले लिया !जैसे जैसे वो मेरे निप्पल को मुंह में लेकर चूस रहा था ,मेरा शरीर मेरा साथ छोड़ रहा था !शरीर और अंतरात्मा में जंग छिड़ गयी थी !बदन पूरी तरह अज़नबी का साथ दे रहा था और अंतरात्मा मुझे धिक्कार रही थी ! मुझे लगा अगर जल्दी से मैंने कोई कदम नहीं उठाया तो अनर्थ हो जायेगा !शरीर में कंपकपी होने लगी थी !मैंने पूरी हिम्मत के साथ अपनी आँख थोड़ी सी खोली !हलकी रौशनी कमरे में थी ! डर से आँख ज्यादा नहीं खोल रही थी क्योंकि मैं यही चाहती थी कि मुझे उसका सामना न करना पड़े और वो बस इतने पर वापस चला जाये ! उसकी हिम्मत बढ़ती जा रही थी,क्योकि वो बीच बीच में मेरे होंठ भी चूस लेता था !अब मुझे लगा कि अब नहीं तो फिर बहुत देर हो जाएगी ! मैंने अपने बदन को इस तरह घुमाया , जैसे मैं करवट ले रही हूँ !लेकिन मेरी उम्मीद के उलट अज़नबी ने मुझे अपने बाँहों में ले लिया ! शुक्र था कि उसने कपड़े पहन रखे थे !अब मेरे बगल में अजनबी लेटा था !उसने अपना एक पैर मेरे दोनों पैर के ऊपर डाल कर मुझे हिलने डुलने से रोक दिया !बहुत ही ताक़त थी उसके बंधन में और बहुत गठीला जवान मर्द का अहसास हो रहा था मुझे !अब उसने मेरे मुंह में अपनी जबान डाल दी और रास पीने लगा !मेरे लिए अब बर्दाश्त से बाहर हो रहा था ,और मुझे लग रहा था कि अब किसी भी वक़्त वो मुझे चोद सकता है ,क्योंकि वो आक्रामक होता जा रहा था ! न जाने क्यों ये सब मुझे बहुत अच्छा लग रहा था ,लेकिन रमेश के साथ मैं मरते दम तक बेवफाई नहीं कर सकती थी ! काश ये सब रमेश कर रहा होता , मैं तो गुलाम बन जाती उसकी !
मित्रो एक और कहानी पोस्ट कर रहा हूँ जिसे मैने नही लिखा और इस फोरम पर भी नही है आपको पढ़ कर मज़ा आएगा
मैं सुमन २० साल की महिला हूँ !मेरी शादी करीब १ साल पहले रमेश से हुई !मैं दिल्ली में रहती हूँ और लखनऊ के पास एक गांव में मेरा ससुराल है !ससुराल में मेरी सास अपने दो बेटों के साथ रहती है ! मेरा देवर का बचपन में ही दौरे पड़ने की बीमारी लग गई थी ,और वो अपाहिज की ज़िन्दगी जी रहा था !दौरे के वक़्त उसको तुरंत इंजेक्शन देना पड़ता था,जिसके लिए एक नर्स हमेशा उसके साथ रहती थी !वो बिस्तर पर ही पर रहता था ,और चल फिर नहीं पाता था !सास को भी घुटनो के परेशानी की वज़ह से व्हील चेयर और बेड पर ही रहना पड़ता था !मेरे जेठ जी ने जनरल फिजिशियन और gynacology के डाक्टर का कोर्स किया था पर गावं में रहकर ही सबकी देखभाल करते थे , और मरीज़ों को देखते थे !गावं के औरतों की डिलीवरी भी इन्ही के क्लिनिक में होती थी,जिसके लिए एक और नर्स रखी हुई थी! दूर दूर के गावं में उनका नाम था, और लोगों को विश्वास था की उनके इलाज़ से बाँझ को भी बच्चा हो जाता था !लोग उनको भगवान की तरह मानते थे और इज़्ज़त करते थे ! एक चीज़ जो उन्हें और भी महान बनाती थी .वो ये की घर में दो दो अपाहिजों के चलते , ४५ साल के होते हुए भी उन्होंने शादी नहीं की थी !वैसे अभी भी वो २५ साल के लड़कों को कुश्ती में हरा देते थे ,दिखने में भी डाक्टर काम पहलवान ज्यादा लगते थे !शादी के बारे उनका कहना था की कोई भी पत्नी दो दो अपाहिजों को नही झेल सकती !उनकी इस बात का रमेश हमेशा जिक्र करते थे और खुद को छोटा समझते थे की वो नौकरी के लिए बाहर हैं! मैं भी जेठ जी की इस बात पर बहुत गर्व महसूस करती थी, क्योंकि एक दिन में मैं बहुत परेशान हो जाती थी ! देवर के चलते मुझे भी इंजेक्शन लगाना सीखना पड़ा था ,क्योंकि घर में हर आदमी को सिखाया गया था की क्या जाने कब जरुरत पड़ जाए ! रमेश हर हफ्ते गावं जाते थे , और बड़े भाई का हाथ खेती में और छोटे भाई और माँ की सेवा में लगाते थे !मैं भी कभी कभी साथ जाती थी ,पर कभी एक रात से ज्यादा नही रूकती थी ! घर में सब मुझे बहुत प्यार करते थे और जेठ जी मुझे सोना बेटा कहते थे ,और मैं उनको भैया कहती थी !
साल में एक बार पिताजी के बरसी पे घर के सभी रिश्तेदार को बुलाया जाता था, और पूरे गावं को खाना खिलाया जाता था ! मेरे लिए ये दूसरा मौका था !पहली बार मैं नई नवेली दुल्हन थी ,और चुप चाप बिस्तर पर ही बैठी रही थी !लेकिन इस बार सारा काम मेरे जिम्मे था !रमेश की ट्रेनिंग चल रही थी ,और ट्रेनिंग के बाद उसको १० दिन के लिए अमेरिका जाना था !शहर में खाली समय रहने के कारण मैंने एक बहुत महंगा कोर्स ज्वाइन कर लिया था !रोज़ एक घंटे की क्लास होती थी !छुट्टी एडजस्ट करना मुस्किल था !गावं की नर्स एक हफ्ते छुट्टी पर थी , जिसकी वजह से भैया भी,देवर के कारण गावं से नहीं आ सकते थे !अंत में ये फैसला हुआ कि रमेश मुझे गावं छोड़ कर ,उसी रात लौट आयेगे! और भैया मुझे तीन दिन के बाद वापस दिल्ली छोड़ आएंगे और मेरे साथ वहां १० दिन रहेंगे ,जब तक रमेश अमेरिका से वापस नहीं आ जाते !
सुबह हम पहुंचे ,और मैं काम में लग गई !शाम को गावं को खाना खिलने के बाद रमेश को दिल्ली वापस जाना था ! मैं पुरे दिन काम काज में लगी रही !पूरा बदन टूट चूका था !लगता था कि अब बेहोश हो जाउंगी !मुझे दो बार चक्कर सी आई ,पर रमेश को नहीं बताया क्योंकि वो बेकार परेशान होता !मैंने भैया से कहा, उन्होंने चेक करने के बाद दो सफ़ेद और दो गुलाबी टेबलेट दी !सफ़ेद वाली आज और कल रात के लिए और गुलाबी दिन में खाने को बोला !
घर में मेहमान के कारण मुझे किचन के ऊपर का कमरा दिया गया था ,जो आँगन के दूसरी तरफ था !ऊपर दो कमरे थे !एक में भैया और देवर को रखा गया था !भैया के न होने पर मैं इंजेक्शन दे सकती थी , इसलिए मुझे उनके साथ ही रखा गया था !रमेश के जाते ही मै अपने कमरे में आ गई !दूसरे कमरे में देवर सो रहा था !मैंने गुलाबी साटन कि साड़ी और और ब्लाउज पहन राखी थी !अंदर शैतान कि ही मैचिंग ब्रा और पॅंटी पहनी थी !सर में दर्द था और चक्कर भी आ रहे थे !मैंने सोचा कि दवा खा कर थोड़ी देर लेटती हूँ ,फिर नाईट ड्रेस पहन लुंगी !बिस्तर पर लेटते ही कब नींद आ गई ,पाता नहीं चला !करीब पांच बजे सुबह नींद खुली तो कुछ अजीब सा लगा !साड़ी पूरी उठी हुई थी ,पेटीकोट के साथ !पैंटी में बहुत गीलापन था !ब्रा के हुक अंदर से खुले थे और निप्पल के पास पूरा गीला था !मैंने जल्दी से कपड़े ठीक किये और बाथरूम भागी !पैंटी उतारते ही मैं चौंक गयी,क्योकि पैंटी उलटी थी !मैंने ज़िन्दगी में कभी उलटी पैंटी नही पहनी थी ,और मुझे पूरा विस्वास था कि कल भी मैंने सीधी पहनी थी! ब्लाउज उतारा तो देखा कि ब्रा का सिर्फ एक हुक लगा है वो भी गलत जगह !इसका मतलब था कि किसी ने मेरी ब्लाउज और ब्रा खोली,पैंटी उतारी और वापस पहना दिया !मेरे चिकने चूत पर भी एक चमक थी,जैसे किसी ने उसको रगड़ रगड़ के साफ़ किया हो !मेरे तो होश उड़ गए कि कौन हो सकता है ,क्या किसी ननद ने किया है या किसी मर्द ने !ताज़्ज़ुब इस बात का था कि मुझे पाता नहीं चला !किसी तरह इस टेंशन में मैं तैयार होकर नीचे उतरी ,घर के काम काज के लिए !
अंदर से मैं बहुत डर गई थी , ज़िन्दगी में पहली बार मेरे साथ ऐसा हुआ था ! किसी से कुछ पूछना या बोलना मेरे लिए असंभव था ! एक बार सोचा की रमेश से बात करूँ ,पर मुझे लगा कि अभी तो क्या ,मैं पूरी ज़िन्दगी यह बोलने का साहस नहीं कर पाउंगी ! किचन से चाय लेकर निकली तो देखा कि भैय्या खेत से वापस आ गए थे ! उन्होंने पुछा कि तबियत कैसी है , दवा टाइम पर ले रही हो या नहीं ! मैंने हाँ में सर झुकाया ,और आगे बढ़ गई !बदन में अजीब सी सनसनाहट हो रही थी ! चूत बहुत ज्यादा कोमल लग रही थी ! पैंटी के साथ हलकी सी रगड़ भी सनसनाहट दे रही थी !मेरे लिए ये नया अनुभव था ! कौन है वो जिसने मेरे अंगों से खेला है !औरत होने के नाते एक बात का मुझे पक्का यकीन था कि मेरे साथ सेक्स नहीं हुआ है ,पर बाहर से किसी ने जी भर के चूमा चाटा है ! मेरा किसी भी काम में मन नहीं लग रहा था ! मैं इतनी बेहोश कैसे हो सकती हूँ कि मुझे पता नहीं चला !दिन भर रिश्तेदारों के साथ बातें होती रही ! दिन में आराम का मौका ही नहीं मिला ,जिससे थकावट बहुत ज्यादा हो गई थी !भैया किसी जरुरी डिलीवरी पर बगल के गावं चले गए थे , उनके आने का कुछ पता नहीं था ! बोल कर गए थे कि शायद न भी आ सकें रात को ! शाम होते होते मुझे बहुत ज्यादा थकावट होने लगी थी !मैंने खाना शाम को ही खाया था ,इसलिए रात को खाना नहीं खाना था !मेरी सास ने कहा कि मैं जा के आराम कर लूँ !मैंने कह दिया कि अब मैं रूम में जा रही हूँ सोने के लिए ! ऊपर रूम में आकर मैंने कपड़े बदलने कि सोची , नाईट ड्रेस पहना और दवा खाकर सोने चली गई ! नाईट ड्रेस के साथ मैं ब्रा और पैंटी नहीं पहनती थी ! दिमाग में कल कि बातें चल रही थी !मैंने सोच लिया था कि अगर आज ऐसा कुछ हुआ तो मैं जरूर पकड़ लुंगी उस अनजान चेहरे को !शाम के ७ बजते बजते मुझे गहरी नींद आ गई !देर रात मुझे अहसास हुआ कि कोई मेरे चूत को जीभ से चाट रहा है !मैं डर के मारे आँख नहीं खोल पाई !मेरी नाईट ड्रेस ऊपर गर्दन तक उठे हुए थे , अजनबी के दोनों हाथ मेरे चूची को सहला रहे थे !कमरे में हलकी रौशनी तो थी, पर आँखें खोल कर देखने का साहस मुझमे नहीं था !चूत चाटने वाला बड़े आराम से चूत का कोना कोना जीभ से साफ़ कर रहा था , कोई जल्दी नहीं लग रही थी ! ज़िंदगी में पहली बार किसी मर्द ने मुझे उस जगह छुआ था !रमेश ने तो आज तक मेरी चूत देखी भी नहीं थी ! पूरा बदन सनसना रहा था ! कि अचानक मेरे पूरे बदन में एक तनाव सा आया , और लगा जैसे मेरी चूत से फौवारा छूटा है ! उसके बाद मेरे कमर के नीचे का हिस्सा बिलकुल ही ढीला पर गया !शायद अज़नबी को कुछ शक हुआ की मैं जाग रही हूँ !थोड़ी देर के लिए सब कुछ शांत हो गया !मैं समझी की चलो बला टली !मैं चुप चाप लेटी रही !मैं यह चाहती थी की अजनबी को लगे कि मुझे कुछ पता नहीं चला कि मेरे साथ क्या हुआ !मैं किसी आहट का इंतज़ार कर रही थी कि उसके जाते जाते मैं उसे देख पाउ और कम से कम ये जान तो लूँ कि ये कौन है !कुछ समय ऐसे ही बीत गया !मैं चाहती थी कि जल्दी से मैं नाईटी को नीचे करू ,क्यूकि नंगे बदन मुझे बड़ा अजीब लग रहा था !मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि कभी मेरे साथ ऐसा हो सकता है !रमेश ने भी मुझे कभी नंगा नहीं किया ! बस अँधेरे कमरे में नाईटी कमर तक उठा कर जो भी उससे बन पड़ता था ,कर लेता था !मुझे भी सेक्स के बारे ज्यादा पता नहीं था ,जीभ से चूत को चाटा जाता है , ये तो बिलकुल मेरी समझ के बाहर था ! मुझे बस एक ही बात अच्छी लगी थी कि मेरी चूत ने उसे बहुत पसंद किया था और पहली बार मुझे पूरा संतोष लग रहा था !लेकिन अनजाने मर्द का ख्याल आते ही मन घृणा से भर गया ! मैं किस मुह से रमेश के सामने जाउंगी ,मेरे दिमाग में ये बात चल रही थी !मुझे पहली बार ऐसा लगा कि मैंने रमेश के साथ धोखा किया !लेकिन मैं कर भी क्या सकती थी !जब पहली बार मेरी चूत और चूची चाटी गई, तो मुझे पता भी न चला , अब आज अगर रोक भी लेती तो दाग तो लग ही चूका था मेरे दामन पे ! इन उलझलों में अभी खोई ही थी कि एक ऊँगली का अहसास मेरे चूत को हुआ ! वो ऊँगली से मेरे चूत को सहला रहा था !स्पर्श इतना हल्का था कि मेरे रोएँ खड़े हो गए थे !वो मेरे चूत के आस पास ऊँगली से सहला रहा था और बीच बीच में चूत में भी थोड़ा सा घुसा कर आगे पीछे कर रहा था ! अज़नबी की ऊँगली रमेश के लण्ड से मोटी थी ! फिर मुझे लगा कि कोई मेरे बगल में आकर लेटा है! उसका एक हाथ मेरे चूत पर था और दूसरे से वो मेरे होंठ सहला रहा था !फिर अचानक से मेरे चूची पर जीभ फिराने का अहसास होने लगा, और उसने एक निप्पल मुंह में ले लिया !जैसे जैसे वो मेरे निप्पल को मुंह में लेकर चूस रहा था ,मेरा शरीर मेरा साथ छोड़ रहा था !शरीर और अंतरात्मा में जंग छिड़ गयी थी !बदन पूरी तरह अज़नबी का साथ दे रहा था और अंतरात्मा मुझे धिक्कार रही थी ! मुझे लगा अगर जल्दी से मैंने कोई कदम नहीं उठाया तो अनर्थ हो जायेगा !शरीर में कंपकपी होने लगी थी !मैंने पूरी हिम्मत के साथ अपनी आँख थोड़ी सी खोली !हलकी रौशनी कमरे में थी ! डर से आँख ज्यादा नहीं खोल रही थी क्योंकि मैं यही चाहती थी कि मुझे उसका सामना न करना पड़े और वो बस इतने पर वापस चला जाये ! उसकी हिम्मत बढ़ती जा रही थी,क्योकि वो बीच बीच में मेरे होंठ भी चूस लेता था !अब मुझे लगा कि अब नहीं तो फिर बहुत देर हो जाएगी ! मैंने अपने बदन को इस तरह घुमाया , जैसे मैं करवट ले रही हूँ !लेकिन मेरी उम्मीद के उलट अज़नबी ने मुझे अपने बाँहों में ले लिया ! शुक्र था कि उसने कपड़े पहन रखे थे !अब मेरे बगल में अजनबी लेटा था !उसने अपना एक पैर मेरे दोनों पैर के ऊपर डाल कर मुझे हिलने डुलने से रोक दिया !बहुत ही ताक़त थी उसके बंधन में और बहुत गठीला जवान मर्द का अहसास हो रहा था मुझे !अब उसने मेरे मुंह में अपनी जबान डाल दी और रास पीने लगा !मेरे लिए अब बर्दाश्त से बाहर हो रहा था ,और मुझे लग रहा था कि अब किसी भी वक़्त वो मुझे चोद सकता है ,क्योंकि वो आक्रामक होता जा रहा था ! न जाने क्यों ये सब मुझे बहुत अच्छा लग रहा था ,लेकिन रमेश के साथ मैं मरते दम तक बेवफाई नहीं कर सकती थी ! काश ये सब रमेश कर रहा होता , मैं तो गुलाम बन जाती उसकी !