hotaks444
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छोटी सी जान चूतो का तूफान--1
लेखक- तुसार
मुकेश आज देल्ही से वापिस अपने घर आ रहा था…..वो देल्ही अपने दोस्त के छोटे भाई के शादी मे आया था……साथ मे उसका ड्राइवर भी था…मुकेश गुरदासपुर का रहने वाला था, और रात को वापिस अपने घर गुरदासपुर जा रहा था….रात के 1 बजे का टाइम था…..सड़क सुनसान थी, और चारो तरफ अंधेरा फेला हुआ था….वो अभी गुरदासपुर से कुछ 100 किमी के दूरी पर थी……मुकेश ड्राइवर के साथ अगली सीट पर बैठा हुआ था….
तभी हेडलाइट के रोशनी मे सामने सड़क पर कोई पड़ा हुआ नज़र आया…मुकेश का ड्राइवर कार को ड्राइव करते हुए एक साइड से आगे बढ़ गया. “ड्राइवर गाड़ी पीछे लो” मुकेश ने सड़क पर पड़े जिस्म की ओर देखते हुए कहा…..
ड्राइवर: साहब रहने दो…….पता नही कोन है…..फज़ूल मे लफडे मे काहे को पढ़ना…..
मुकेश: मेने कहा ना गाड़ी के पीछे लो, देखेने मे कोई बच्चा लगता है…..
ड्राइवर: ठीक साहब जैसे आपकी मर्ज़ी…..
ड्राइवर ने गाड़ी रिवर्स गियर मे डाली, और उस बच्चे के पास जाकर रोक दी, दोनो गाड़ी से नीचे उतरे, तो उन्होने देखा, एक 1***साल का बच्चा, खून से लत्पथ सड़क पर बेहोश पड़ा था…उसके सर और मूह से बहुत खून बह रहा था….मुकेश ने नीचे बैठते हुए, उसकी नब्ज़ देखी, और ड्राइवर के तरफ देखता हुआ बोला, अभी जिंदा है….चलो जल्दी से उठाओ इसे, इसको हॉस्पिटल लेकर जाना होगा….
ड्राइवर और मुकेश ने उस बच्चे को उठाया, और कार की पिछली सीट पर लेटा दिया….मुकेश जानता था कि, वो अपने सहर से 100 किमी की दूरी पर है, और अगर वो वक्त रहते वहाँ पहुच गया तो, इस बच्चे के जान बचाई जा सकती थी. मुकेश ने ड्राइवर के साथ आगे बैठते हुए कहा….जल्दी कार चलाओ, जितना तेज चला सकते हो….उतना तेज चलाओ….
मुकेश का ड्राइवर भी एक्सपर्ट था…..फिर क्या था, वो एक घंटे मे ही गुरदासपुर के सबसे बड़े हॉस्पिटल के अंदर थे…उस
बच्चे को आइसीयू मे भरती करा दया….और पोलीस को भी इनफॉर्म कर दिया गया…..मुकेश अपने इलाक़े का नामी गिरामी ज़मींदार था…..कई सो एकड़ ज़मीन और कई फार्महाउस थे….बड़े-2 लोगो से उसकी जान पहचान थी.
मुकेश को जो पता था, उसने सब पोलीस को बता दया था……अब बच्चे के होश मे आनने का इंतजार था….मुकेश हॉस्पिटल की लॉबी मे टहलता हुआ, रिसेप्षन तक फुँचा, और उसने वहाँ से अपने घर अपनी पत्नी शीला को फोन लगाया……थोड़ी देर बाद शीला ने फोन उठया…..दोस्तो ये 1988 की बात है, जब मोबाइल फोन नही हुआ करते थे…सिर्फ़ लॅंडलाइन फोन ही बात करने का ज़रिया थे……थोड़ी देर बाद उसकी पत्नी शीला ने फोन उठाया.
शीला: हेलो कॉन….
मुकेश: शीला मैं हूँ मुकेश……
शीला: आप अभी तक आए नही क्या हुआ ? सब ठीक तो है ना ?
मुकेश: हां मैं ठीक हूँ…..दरअसल अभी मैं हॉस्पिटल मे हूँ.
शीला: (घबराते हुए) जी क्या हुआ ? आप ठीक तो है ना ?
मुकेश: हां शीला मैं एक दम ठीक हूँ…दरअसल बात ये है कि,
उसके बाद मुकेश ने शीला को सारी बात बताई, और कहा कि, वो सुबह ही घर वापिस आ पाएगा….उसके बाद उसने फोन रख दया…
मुकेश 35 साल का हॅंडसम और उँची कद काठी वाला आदमी था…उसकी पत्नी निहायत ही खूबसूरत और 32 साल की थी…..बहुत ही धार्मिक विचारो वाली, दोनो मे बहुत प्यार था….पर शादी के 10 साल बाद भी उनके कोई संतान नही थी…..वजह थी शीला की बच्चेदानी मे कुछ प्राब्लम थी…..मुकेश ने शीला का कई जगह इलाज करवाया…..पर भगवान के आगे किसी की क्या चलती है….
सुबह के 6 बजे, मुकेश लॉबी मे एक बेंच पर बैठा हुआ था….तभी डॉक्टर ने उसे आकर बताया कि, उस लड़के को होश आ गया है….वहाँ का इनस्पेक्टर भी वही था…..बच्चे के होश मे आने के खबर सुनते ही मुकेश और इनस्पेक्टर दोनो रूम मे चले गये….इनस्पेक्टर ने बड़े ही प्यार से उस लड़के से पूछा…..
इनस्पेक्टर: बेटा तुम्हारा नाम क्या है ?
लड़का: (अपने आप को इस हालत मे देख कर घबराते हुए) जी जी साहिल…
इनस्पेक्टर: साहिल तुम्हारे मा पापा कोन है…….तुम्हारा आक्सिडेंट हुआ था….और तुम इनको (मुकेश की तरफ इशारा करते हुए) सड़क पर बेहोश मिले थे…..ये ही तुम्हें यहाँ लेकर आए है….कोन है तुम्हारे मा बाप. उनको खबर कर देते है……
लेखक- तुसार
मुकेश आज देल्ही से वापिस अपने घर आ रहा था…..वो देल्ही अपने दोस्त के छोटे भाई के शादी मे आया था……साथ मे उसका ड्राइवर भी था…मुकेश गुरदासपुर का रहने वाला था, और रात को वापिस अपने घर गुरदासपुर जा रहा था….रात के 1 बजे का टाइम था…..सड़क सुनसान थी, और चारो तरफ अंधेरा फेला हुआ था….वो अभी गुरदासपुर से कुछ 100 किमी के दूरी पर थी……मुकेश ड्राइवर के साथ अगली सीट पर बैठा हुआ था….
तभी हेडलाइट के रोशनी मे सामने सड़क पर कोई पड़ा हुआ नज़र आया…मुकेश का ड्राइवर कार को ड्राइव करते हुए एक साइड से आगे बढ़ गया. “ड्राइवर गाड़ी पीछे लो” मुकेश ने सड़क पर पड़े जिस्म की ओर देखते हुए कहा…..
ड्राइवर: साहब रहने दो…….पता नही कोन है…..फज़ूल मे लफडे मे काहे को पढ़ना…..
मुकेश: मेने कहा ना गाड़ी के पीछे लो, देखेने मे कोई बच्चा लगता है…..
ड्राइवर: ठीक साहब जैसे आपकी मर्ज़ी…..
ड्राइवर ने गाड़ी रिवर्स गियर मे डाली, और उस बच्चे के पास जाकर रोक दी, दोनो गाड़ी से नीचे उतरे, तो उन्होने देखा, एक 1***साल का बच्चा, खून से लत्पथ सड़क पर बेहोश पड़ा था…उसके सर और मूह से बहुत खून बह रहा था….मुकेश ने नीचे बैठते हुए, उसकी नब्ज़ देखी, और ड्राइवर के तरफ देखता हुआ बोला, अभी जिंदा है….चलो जल्दी से उठाओ इसे, इसको हॉस्पिटल लेकर जाना होगा….
ड्राइवर और मुकेश ने उस बच्चे को उठाया, और कार की पिछली सीट पर लेटा दिया….मुकेश जानता था कि, वो अपने सहर से 100 किमी की दूरी पर है, और अगर वो वक्त रहते वहाँ पहुच गया तो, इस बच्चे के जान बचाई जा सकती थी. मुकेश ने ड्राइवर के साथ आगे बैठते हुए कहा….जल्दी कार चलाओ, जितना तेज चला सकते हो….उतना तेज चलाओ….
मुकेश का ड्राइवर भी एक्सपर्ट था…..फिर क्या था, वो एक घंटे मे ही गुरदासपुर के सबसे बड़े हॉस्पिटल के अंदर थे…उस
बच्चे को आइसीयू मे भरती करा दया….और पोलीस को भी इनफॉर्म कर दिया गया…..मुकेश अपने इलाक़े का नामी गिरामी ज़मींदार था…..कई सो एकड़ ज़मीन और कई फार्महाउस थे….बड़े-2 लोगो से उसकी जान पहचान थी.
मुकेश को जो पता था, उसने सब पोलीस को बता दया था……अब बच्चे के होश मे आनने का इंतजार था….मुकेश हॉस्पिटल की लॉबी मे टहलता हुआ, रिसेप्षन तक फुँचा, और उसने वहाँ से अपने घर अपनी पत्नी शीला को फोन लगाया……थोड़ी देर बाद शीला ने फोन उठया…..दोस्तो ये 1988 की बात है, जब मोबाइल फोन नही हुआ करते थे…सिर्फ़ लॅंडलाइन फोन ही बात करने का ज़रिया थे……थोड़ी देर बाद उसकी पत्नी शीला ने फोन उठाया.
शीला: हेलो कॉन….
मुकेश: शीला मैं हूँ मुकेश……
शीला: आप अभी तक आए नही क्या हुआ ? सब ठीक तो है ना ?
मुकेश: हां मैं ठीक हूँ…..दरअसल अभी मैं हॉस्पिटल मे हूँ.
शीला: (घबराते हुए) जी क्या हुआ ? आप ठीक तो है ना ?
मुकेश: हां शीला मैं एक दम ठीक हूँ…दरअसल बात ये है कि,
उसके बाद मुकेश ने शीला को सारी बात बताई, और कहा कि, वो सुबह ही घर वापिस आ पाएगा….उसके बाद उसने फोन रख दया…
मुकेश 35 साल का हॅंडसम और उँची कद काठी वाला आदमी था…उसकी पत्नी निहायत ही खूबसूरत और 32 साल की थी…..बहुत ही धार्मिक विचारो वाली, दोनो मे बहुत प्यार था….पर शादी के 10 साल बाद भी उनके कोई संतान नही थी…..वजह थी शीला की बच्चेदानी मे कुछ प्राब्लम थी…..मुकेश ने शीला का कई जगह इलाज करवाया…..पर भगवान के आगे किसी की क्या चलती है….
सुबह के 6 बजे, मुकेश लॉबी मे एक बेंच पर बैठा हुआ था….तभी डॉक्टर ने उसे आकर बताया कि, उस लड़के को होश आ गया है….वहाँ का इनस्पेक्टर भी वही था…..बच्चे के होश मे आने के खबर सुनते ही मुकेश और इनस्पेक्टर दोनो रूम मे चले गये….इनस्पेक्टर ने बड़े ही प्यार से उस लड़के से पूछा…..
इनस्पेक्टर: बेटा तुम्हारा नाम क्या है ?
लड़का: (अपने आप को इस हालत मे देख कर घबराते हुए) जी जी साहिल…
इनस्पेक्टर: साहिल तुम्हारे मा पापा कोन है…….तुम्हारा आक्सिडेंट हुआ था….और तुम इनको (मुकेश की तरफ इशारा करते हुए) सड़क पर बेहोश मिले थे…..ये ही तुम्हें यहाँ लेकर आए है….कोन है तुम्हारे मा बाप. उनको खबर कर देते है……