hotaks444
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घर पहुँचते ही राज बाथरूम की ओर चला गया….उसे अब किसी का डर तो था ही नही…बाथरूम का दवाजा खोले हुए ही लंड निकालकर मूतने लगा….उसे काफ़ी ज़ोर की सुसूसू आ रही थी……अपनी आँखे मुन्दे हुए करीब 5 मिनट तक मूतता रहा था….जब मूत ख़तम हुआ तो अपना लंड को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगा और टर्न हो गया…..सामने रश्मि खड़ी देख कर मुस्कुरा रही थी………राज ने जब देखा कि रश्मि सबकुच्छ देख ली है …तो मुस्कुराते हुए उसके पास आ गया और बिना चैन लगाए ही उससे चिपक गया………और उसके गालो पर एक पप्पी ले ली….रश्मि भी उसे चिपक गयी………..और बोली:
रश्मि: नेहा कैसी है?
राज: ठीक है….लंड का इंतजार है….
रश्मि: तो दे क्यो नही दिया?
राज: मे तो चाहता था पर उसने हां नही कहा तो मे क्या करू
रश्मि: औरत का “ना” हां होता है…..समझे बुद्धू
राज: मुझे मालूम है पर मुझे ज़बरदस्ती चोद्ना पसंद नही है….अब स्मृति के केस मे देखो…ये आख़िर-कार चुदी पर मुझे अच्छा और मज़ा नही आया……
रश्मि: ह्म्म्म्म मे समझ सकती हू…पर औरते इतनी आसानी से नही खुलती….सामाजिक बंधन होते है….क्या करे…बचपन से सिखाया जाता है कि किसी पराए मर्द से बात मत करना….अकेली मत घूमना…वग़ैरह वग़ैरह…….
राज: पर ये तो तुम पर भी लागू होता है…पर तुम हो कि……………..
रश्मि : इस बंदिश मे मैं भी थी…मे यू आपको अपना शरीर नही दिया है…इसमे मेरे हज़्बेंड की भी रज़ामंदी थी…कई दफ़ा वो कह चुक्का था कि किसी दूसरे मर्द के पास चली जाओ…मे क्या करती………….और उसपे उसकी “नामर्दि”…..मे क्या करू….मेने तो इस घर को बर्बाद होने से बचाया है…..घर की इज़्ज़त घर मे रहनी चाहिए….तभी हम और आप एक हुए है….
राज: अब ज़्यादा भाषण मत दो….इसके बारे मे सोचो…इसमे आग लगी हुई है…
रश्मि: तो मे कब मना कर रही हू….लेकिन पहले खाना खा लीजिए………………और इसे अंदर करो
राज: क्यू…इसने क्या किया…ये तो बेचारा हवा खा रहा है.
रश्मि: हवा नही घूर रहा है…कि घर मे कौन कौन है…किसका दरवाजा खुला है….. ……जिसे देख कर मेरा दरवाजा भी खुलने को तैयार है.
राज: ने उसे अपनी बाँहो मे ले लिया और वैसे ही सीढ़ियाँ चढ़ते हुए स्मृति के रूम की तरफ चलने लगा….रश्मि सिर्फ़ एक गाउन मे थी….अंदर एक पिंक कलर की पॅंटी और ब्रा पहन रखी थी…जो कि काफ़ी दिख रही थी…..उसका सारा जिस्म तराशा हुआ था…और ऐसा लगता था कि रश्मि आज सुबह ही ब्यूटी पार्लर गयी थी..क्योकि टाँगो मे एक भी बाल नही था….एक दम चिकनी….जिसे देख कर राज का लंड और कड़ा हो गया….वो सोचा कि अगर पैर मे बाल नही है तो चूत पर भी बाल सॉफ होगे……वैसे भी रश्मि अपनी चूत हमेशा शेव्ड रखती है….जिसका राज को पता है….उसे कई बार चोद चुक्का है…तो उसे पता है कि इस काम मे रश्मि एक दम परफ़ेक्ट है…वो ये भी जानती है कि राज को क्या चाहिए…….अब वो उसके आर्म-पिच को देखने लगा…जो कि सफाचट थी….रश्मि काफ़ी सेक्सी दिख रही थी…..जब 1स्ट फ्लोर पर आ गया तो रश्मि ने कहा …आप मुझे नीचे उतारो….दीदी का रूम आ गया है….आप अंदर चलो…मे खाना लगाती हू……स्मृति को भी बुला लो…मैं डिन्निंग रूम मे वेट करती हू….
जब रश्मि नीचे उतरी तो उसके लंड से टकरा गयी……लंड का टच उसकी गांद पर हुआ….
रश्मि: उईईईई म्माआ लग गयी….आप को कहा था ना कि इसे अंदर करो….लग गयी….
राज: लग गयी….कहाँ मेरी जान
रश्मि: चुप बेशर्म…..कुत्ते
राज: बताओगि भी कुतिया
रश्मि: मेरी आस पर
राज: आस मीन्स???
रश्मि: गाआाआंद……………….खुस?
राज:ह्म्म्म्म तो कहने मे शरमाती क्यू हो
रश्मि: शरमाती नही….आक्टिंग करती हू….जब आक्टिंग होगी तभी इसमे जोश आएगा…है ना?
राज: तुम्हारी इसी अदा पर मे मरता हू…..आज मे तुम्हे पूरी नंगी करके चोदुन्गा
रश्मि: ह्म पर पहले खाना खाया जाए.
राज: अच्छा तुम चलो मे अभी आया…..और वो अंदर रूम मे चला गया…
क्रमशः............................
रश्मि: नेहा कैसी है?
राज: ठीक है….लंड का इंतजार है….
रश्मि: तो दे क्यो नही दिया?
राज: मे तो चाहता था पर उसने हां नही कहा तो मे क्या करू
रश्मि: औरत का “ना” हां होता है…..समझे बुद्धू
राज: मुझे मालूम है पर मुझे ज़बरदस्ती चोद्ना पसंद नही है….अब स्मृति के केस मे देखो…ये आख़िर-कार चुदी पर मुझे अच्छा और मज़ा नही आया……
रश्मि: ह्म्म्म्म मे समझ सकती हू…पर औरते इतनी आसानी से नही खुलती….सामाजिक बंधन होते है….क्या करे…बचपन से सिखाया जाता है कि किसी पराए मर्द से बात मत करना….अकेली मत घूमना…वग़ैरह वग़ैरह…….
राज: पर ये तो तुम पर भी लागू होता है…पर तुम हो कि……………..
रश्मि : इस बंदिश मे मैं भी थी…मे यू आपको अपना शरीर नही दिया है…इसमे मेरे हज़्बेंड की भी रज़ामंदी थी…कई दफ़ा वो कह चुक्का था कि किसी दूसरे मर्द के पास चली जाओ…मे क्या करती………….और उसपे उसकी “नामर्दि”…..मे क्या करू….मेने तो इस घर को बर्बाद होने से बचाया है…..घर की इज़्ज़त घर मे रहनी चाहिए….तभी हम और आप एक हुए है….
राज: अब ज़्यादा भाषण मत दो….इसके बारे मे सोचो…इसमे आग लगी हुई है…
रश्मि: तो मे कब मना कर रही हू….लेकिन पहले खाना खा लीजिए………………और इसे अंदर करो
राज: क्यू…इसने क्या किया…ये तो बेचारा हवा खा रहा है.
रश्मि: हवा नही घूर रहा है…कि घर मे कौन कौन है…किसका दरवाजा खुला है….. ……जिसे देख कर मेरा दरवाजा भी खुलने को तैयार है.
राज: ने उसे अपनी बाँहो मे ले लिया और वैसे ही सीढ़ियाँ चढ़ते हुए स्मृति के रूम की तरफ चलने लगा….रश्मि सिर्फ़ एक गाउन मे थी….अंदर एक पिंक कलर की पॅंटी और ब्रा पहन रखी थी…जो कि काफ़ी दिख रही थी…..उसका सारा जिस्म तराशा हुआ था…और ऐसा लगता था कि रश्मि आज सुबह ही ब्यूटी पार्लर गयी थी..क्योकि टाँगो मे एक भी बाल नही था….एक दम चिकनी….जिसे देख कर राज का लंड और कड़ा हो गया….वो सोचा कि अगर पैर मे बाल नही है तो चूत पर भी बाल सॉफ होगे……वैसे भी रश्मि अपनी चूत हमेशा शेव्ड रखती है….जिसका राज को पता है….उसे कई बार चोद चुक्का है…तो उसे पता है कि इस काम मे रश्मि एक दम परफ़ेक्ट है…वो ये भी जानती है कि राज को क्या चाहिए…….अब वो उसके आर्म-पिच को देखने लगा…जो कि सफाचट थी….रश्मि काफ़ी सेक्सी दिख रही थी…..जब 1स्ट फ्लोर पर आ गया तो रश्मि ने कहा …आप मुझे नीचे उतारो….दीदी का रूम आ गया है….आप अंदर चलो…मे खाना लगाती हू……स्मृति को भी बुला लो…मैं डिन्निंग रूम मे वेट करती हू….
जब रश्मि नीचे उतरी तो उसके लंड से टकरा गयी……लंड का टच उसकी गांद पर हुआ….
रश्मि: उईईईई म्माआ लग गयी….आप को कहा था ना कि इसे अंदर करो….लग गयी….
राज: लग गयी….कहाँ मेरी जान
रश्मि: चुप बेशर्म…..कुत्ते
राज: बताओगि भी कुतिया
रश्मि: मेरी आस पर
राज: आस मीन्स???
रश्मि: गाआाआंद……………….खुस?
राज:ह्म्म्म्म तो कहने मे शरमाती क्यू हो
रश्मि: शरमाती नही….आक्टिंग करती हू….जब आक्टिंग होगी तभी इसमे जोश आएगा…है ना?
राज: तुम्हारी इसी अदा पर मे मरता हू…..आज मे तुम्हे पूरी नंगी करके चोदुन्गा
रश्मि: ह्म पर पहले खाना खाया जाए.
राज: अच्छा तुम चलो मे अभी आया…..और वो अंदर रूम मे चला गया…
क्रमशः............................