hotaks444
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विनोद ने उस रात मुझे इतना ज़्यादा और जोश से चोदा था. कि इतनी बार और इतने जोश से तो में अपनी असल सुहाग रात में यासिर से भी नही चुदि थी.
विनोद के लंड से पूरी रात चुद चुद कर मेरी फुद्दि ने कितनी बार अपना पानी चोदा इस का मुझे खुद भी अंदाज़ नही रही था.
फिर रात के आख़िरी पहर हम दोनो तक कर एक दूसरी की बाहों में ऐसे सोए जैसे विनोद ही मेरा शौहर हो और में उस की बीवी.
अगली सुबह के तकरीबन 10 बजे जब मेरी आँख खुली.तो मुझे अंदाज़ा हुआ कि रात भर की चुदाई के बाद में तो विनोद की बाहों में आराम से ऐसे सोती रही,जैसे शादी के बाद में अपने शौहर के साथ हनीमून पर आई हुई हूँ.
इस वजह से आँख खुलते ही अपने नंगे वजूद को विनोद की बाहों में पा कर में एक दम हडबडा कर बिस्तर से उठ खड़ी हुई.
“उफफफफफफफफफ्फ़ जज़्बात की रो में बहक कर कल रात मुझ से ये क्या गुनाह सर्ज़ाद हो गया है,विनोद से चुदवाने के बाद यासिर तो क्या में खुद अपने आप को अपना मुँह दिखाने के काबिल नही रही” रात भर विनोद के मोटे लंड से अपनी प्यासी चूत की प्यास बुझवाने के बाद अब दूसरी सुबह मेरी आँख खुली . तो कल के वाकिये के मुतलक सोचते हुए मुझे अपने किए पर अब पछतावा महसूस होने लगा था.
इसी बात को सोचते और परेशान होते हुए एक दम जम्प मार कर बिस्तर से उठी. तो बिस्तर से निकलने के दौरान ही दर्द की एक लहर मुझे अपने जिस्म में फैलती हुई महसूस हुई.
और इस के साथ साथ रात भर की चुदाई के दौरान विनोद का लंड का छोड़ा हुआ वीर्य भी मुझे अपनी चूत से बह कर अपनी टाँगों पर गिरता हुआ महसूस होने लगा.
“हाईईईईईईईईईईईई मुझे इतनी तकलीफ़ तो अपनी सुहाग रात के बाद दूसरी सुबह नही महसूस हुई थी,जितनी आज विनोद के मोटे लंड से चुदवाने के बाद महसूस हो रही है” अपनी टाँगों के दरमियाँ से फूटने वाली दर्द ही हल्की हल्की टीसो को महसूस करते हुए मेरे दिल में ख्याल आया.तो शरम और नदमत के मारे में एक दम काँप कर रह गई.
“ हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई कल रात में इस तरह गुनाह में डूबी थी, के मुझे कुछ होश ही नहा रहा कि में किधर हूँ और क्या कर रही हूँ” बेड से उठते ही मैने सोचा.और इस के साथ ही मैने रात भर की चुदाई के बाद अभी तक महती नींद के मज़े लेते हुए विनोद की तरफ नज़र दोड़ाई. तो रात भर मेरी चूत में आग लगाने वाला विनोद का लंड को अब उस की टाँगों में किसी मुरझाए हुए फूल की तरह झूलते हुए देख कर मुझे एक दम शरम सी आ गई.
अभी में बेड के पास खड़े हो कर बिस्तर पर बदस्तूर लेटे विनोद के उस मोटे लंड का दीदार करने में मसरूफ़ थी. कि इतने में विनोद की आँख भी खुद बा खुद खुल गई.
अपनी आँख खुलते ही विनोद ने जब मुझे बिस्तर से उठ कर कमरे के फरश पर खड़े हो कर अपनी तरफ देखते पाया तो एक दम बोला “तुम इतनी जल्दी उठ गईं,ख़ैरियत तो है सायरा”
इस के बाजवूद कि में रात भर विनोद के साथ हम बिस्तरी करते हुए विनोद के लंड से खूब मज़ा लिया था.
मगर हमारे दरमियाँ जो कुछ भी हुआ था. वो सब रात की तन्हाइ में हुआ था.
इसीलिए विनोद ने अब अपनी आँखो को खोल कर जब दिन की रोशनी में मेरे नंगे वजूद का जायज़ा लेते हुए मुझ से ये बात पूछी. तो ना जाने क्यों मुझे विनोद से शरम सी महसूस हुई.
मेरा दिल धक धक करने लगा. और चाहने के बावजूद में अपनी नज़रें झुकाते हुए खामोश खड़ी रही.
“उधर क्यों खड़ी हो मेरी जान,इधर मेरे पास आ कर लेटो,अभी तो मैने दिन के उजाले में तुम्हें प्यार करना है सायराआआआ” विनोद ने जब मुझे यूँ नज़रें झुका कर खामोश खड़े देखा. तो अपने नीम मुर्दा मोटे लंड को हाथ में मसल्ते हुए एक बार फिर मुझ से मुखातिब हुआ.
“इस से पहले कि यासिर और सपना उठ जाएँ, मुझे जल्दी से नीचे जा कर अपने कपड़े पहन लेना चाहिए” विनोद की टाँगों में आहिस्ता आहिस्ता दुबारा अंगड़ाई लेते विनोद के लंबे लंड को देखते हुए मैने जवाब दिया और मूड कर कमरे से बाहर जाने लगी.
“फिकर कब मिलो गी मेरी जान” मुझे कमरे से यूँ एक दम निकलते देख कर विनोद ने पीछे से आवाज़ दी.
“शायद अब कभी नही” विनोद की बात सुनते ही मैने बिना पीछे देखे उसे जवाब दिया.
“रात को तो तुम ने मुझ से बहुत शौक से अपनी फुद्दि मरवाई थी,अब दुबारा मिलने से क्यों मना कर रही हो फिर” मेरे इनकार को सुन कर विनोद ने फिर पूछा.
“रात मैने सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने शौहर यासिर की प्रमोशन की खातिर तुम से चुदवाया था,आज के बाद से मुझे ऐसी कोई मजबूरी नही हो गी,इसीलिए में आइन्दा कभी तुम से इस तरह का ताल्लुक रखना पसंद नही करूँगी विनोद” मैने बिना मुड़े विनोद की बात का एक बार फिर जवाब दिया. और इतनी देर में चलती हुई दरवाज़े तक आ गई.
“अच्छा तुम ऐसे जाना चाहती हो,तो में तुम्हें नही रोकूँगा, वैसे तुम यासिर को बता देना कि में आज उस की प्रमोशन की फाइल पर साइन कर दूँगा मेरी जान” विनोद ने मुझे कमरे से बाहर निकलता देख कर पीछे से फिर बोला.
“नहियीईईईई जब तक में ना कहूँ,तुम यासिर को प्रमोशन नही दो गे विनोद” विनोद की बात सुन कर कमरे से बाहर जाते मेरे कदम एक दम थम गये. और ना जाने क्यों अचानक ही ये बात मेरे मुँह से निकल गई.
“अच्छाा जैसे तुम चाहो मेरी जान” विनोद ने बिस्तर पर लेटे लेटे मेरी बात के जवाब में कहा. और में एक दम से कमरे से बाहर चली आई.
“उफफफफफफ्फ़ अगर यासिर और सपना जाग रहे हुए तो में अपने शौहर और अपनी सहेली का इस नंगी हालत में केसे सामना कर पाउन्गी” धड़कते दिल के साथ दबे पावं में आहिस्ता आहिस्ता चलती हुई नीचे घर के निचले फ्लोर पर बने हुए टीवी लाउन्ज में एंटर हुई तो टीवी लाउन्ज को बिल्कुल खाली पाया.
“हाईईईईईईईईई शूकर टीवी लाउन्ज इस वक्त खाली पड़ा है,लगता है हमारे बाद यासिर और सपना भी किसी कमरे में जा कर एक साथ ही सो गये हैं” में डरते डरते ज्यों ही टीवी रूम में गई. तो टीवी रूम में अपने शौहर और सहेली सपना को ना पा कर मुझे कुछ होसला मिला. और मैने तेज़ी के साथ इधर उधर बिखरे हुए अपने कपड़े उठा कर उन्हे जल्दी से पहन लिया.
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विनोद के लंड से पूरी रात चुद चुद कर मेरी फुद्दि ने कितनी बार अपना पानी चोदा इस का मुझे खुद भी अंदाज़ नही रही था.
फिर रात के आख़िरी पहर हम दोनो तक कर एक दूसरी की बाहों में ऐसे सोए जैसे विनोद ही मेरा शौहर हो और में उस की बीवी.
अगली सुबह के तकरीबन 10 बजे जब मेरी आँख खुली.तो मुझे अंदाज़ा हुआ कि रात भर की चुदाई के बाद में तो विनोद की बाहों में आराम से ऐसे सोती रही,जैसे शादी के बाद में अपने शौहर के साथ हनीमून पर आई हुई हूँ.
इस वजह से आँख खुलते ही अपने नंगे वजूद को विनोद की बाहों में पा कर में एक दम हडबडा कर बिस्तर से उठ खड़ी हुई.
“उफफफफफफफफफ्फ़ जज़्बात की रो में बहक कर कल रात मुझ से ये क्या गुनाह सर्ज़ाद हो गया है,विनोद से चुदवाने के बाद यासिर तो क्या में खुद अपने आप को अपना मुँह दिखाने के काबिल नही रही” रात भर विनोद के मोटे लंड से अपनी प्यासी चूत की प्यास बुझवाने के बाद अब दूसरी सुबह मेरी आँख खुली . तो कल के वाकिये के मुतलक सोचते हुए मुझे अपने किए पर अब पछतावा महसूस होने लगा था.
इसी बात को सोचते और परेशान होते हुए एक दम जम्प मार कर बिस्तर से उठी. तो बिस्तर से निकलने के दौरान ही दर्द की एक लहर मुझे अपने जिस्म में फैलती हुई महसूस हुई.
और इस के साथ साथ रात भर की चुदाई के दौरान विनोद का लंड का छोड़ा हुआ वीर्य भी मुझे अपनी चूत से बह कर अपनी टाँगों पर गिरता हुआ महसूस होने लगा.
“हाईईईईईईईईईईईई मुझे इतनी तकलीफ़ तो अपनी सुहाग रात के बाद दूसरी सुबह नही महसूस हुई थी,जितनी आज विनोद के मोटे लंड से चुदवाने के बाद महसूस हो रही है” अपनी टाँगों के दरमियाँ से फूटने वाली दर्द ही हल्की हल्की टीसो को महसूस करते हुए मेरे दिल में ख्याल आया.तो शरम और नदमत के मारे में एक दम काँप कर रह गई.
“ हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई कल रात में इस तरह गुनाह में डूबी थी, के मुझे कुछ होश ही नहा रहा कि में किधर हूँ और क्या कर रही हूँ” बेड से उठते ही मैने सोचा.और इस के साथ ही मैने रात भर की चुदाई के बाद अभी तक महती नींद के मज़े लेते हुए विनोद की तरफ नज़र दोड़ाई. तो रात भर मेरी चूत में आग लगाने वाला विनोद का लंड को अब उस की टाँगों में किसी मुरझाए हुए फूल की तरह झूलते हुए देख कर मुझे एक दम शरम सी आ गई.
अभी में बेड के पास खड़े हो कर बिस्तर पर बदस्तूर लेटे विनोद के उस मोटे लंड का दीदार करने में मसरूफ़ थी. कि इतने में विनोद की आँख भी खुद बा खुद खुल गई.
अपनी आँख खुलते ही विनोद ने जब मुझे बिस्तर से उठ कर कमरे के फरश पर खड़े हो कर अपनी तरफ देखते पाया तो एक दम बोला “तुम इतनी जल्दी उठ गईं,ख़ैरियत तो है सायरा”
इस के बाजवूद कि में रात भर विनोद के साथ हम बिस्तरी करते हुए विनोद के लंड से खूब मज़ा लिया था.
मगर हमारे दरमियाँ जो कुछ भी हुआ था. वो सब रात की तन्हाइ में हुआ था.
इसीलिए विनोद ने अब अपनी आँखो को खोल कर जब दिन की रोशनी में मेरे नंगे वजूद का जायज़ा लेते हुए मुझ से ये बात पूछी. तो ना जाने क्यों मुझे विनोद से शरम सी महसूस हुई.
मेरा दिल धक धक करने लगा. और चाहने के बावजूद में अपनी नज़रें झुकाते हुए खामोश खड़ी रही.
“उधर क्यों खड़ी हो मेरी जान,इधर मेरे पास आ कर लेटो,अभी तो मैने दिन के उजाले में तुम्हें प्यार करना है सायराआआआ” विनोद ने जब मुझे यूँ नज़रें झुका कर खामोश खड़े देखा. तो अपने नीम मुर्दा मोटे लंड को हाथ में मसल्ते हुए एक बार फिर मुझ से मुखातिब हुआ.
“इस से पहले कि यासिर और सपना उठ जाएँ, मुझे जल्दी से नीचे जा कर अपने कपड़े पहन लेना चाहिए” विनोद की टाँगों में आहिस्ता आहिस्ता दुबारा अंगड़ाई लेते विनोद के लंबे लंड को देखते हुए मैने जवाब दिया और मूड कर कमरे से बाहर जाने लगी.
“फिकर कब मिलो गी मेरी जान” मुझे कमरे से यूँ एक दम निकलते देख कर विनोद ने पीछे से आवाज़ दी.
“शायद अब कभी नही” विनोद की बात सुनते ही मैने बिना पीछे देखे उसे जवाब दिया.
“रात को तो तुम ने मुझ से बहुत शौक से अपनी फुद्दि मरवाई थी,अब दुबारा मिलने से क्यों मना कर रही हो फिर” मेरे इनकार को सुन कर विनोद ने फिर पूछा.
“रात मैने सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने शौहर यासिर की प्रमोशन की खातिर तुम से चुदवाया था,आज के बाद से मुझे ऐसी कोई मजबूरी नही हो गी,इसीलिए में आइन्दा कभी तुम से इस तरह का ताल्लुक रखना पसंद नही करूँगी विनोद” मैने बिना मुड़े विनोद की बात का एक बार फिर जवाब दिया. और इतनी देर में चलती हुई दरवाज़े तक आ गई.
“अच्छा तुम ऐसे जाना चाहती हो,तो में तुम्हें नही रोकूँगा, वैसे तुम यासिर को बता देना कि में आज उस की प्रमोशन की फाइल पर साइन कर दूँगा मेरी जान” विनोद ने मुझे कमरे से बाहर निकलता देख कर पीछे से फिर बोला.
“नहियीईईईई जब तक में ना कहूँ,तुम यासिर को प्रमोशन नही दो गे विनोद” विनोद की बात सुन कर कमरे से बाहर जाते मेरे कदम एक दम थम गये. और ना जाने क्यों अचानक ही ये बात मेरे मुँह से निकल गई.
“अच्छाा जैसे तुम चाहो मेरी जान” विनोद ने बिस्तर पर लेटे लेटे मेरी बात के जवाब में कहा. और में एक दम से कमरे से बाहर चली आई.
“उफफफफफफ्फ़ अगर यासिर और सपना जाग रहे हुए तो में अपने शौहर और अपनी सहेली का इस नंगी हालत में केसे सामना कर पाउन्गी” धड़कते दिल के साथ दबे पावं में आहिस्ता आहिस्ता चलती हुई नीचे घर के निचले फ्लोर पर बने हुए टीवी लाउन्ज में एंटर हुई तो टीवी लाउन्ज को बिल्कुल खाली पाया.
“हाईईईईईईईईई शूकर टीवी लाउन्ज इस वक्त खाली पड़ा है,लगता है हमारे बाद यासिर और सपना भी किसी कमरे में जा कर एक साथ ही सो गये हैं” में डरते डरते ज्यों ही टीवी रूम में गई. तो टीवी रूम में अपने शौहर और सहेली सपना को ना पा कर मुझे कुछ होसला मिला. और मैने तेज़ी के साथ इधर उधर बिखरे हुए अपने कपड़े उठा कर उन्हे जल्दी से पहन लिया.
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