Hindi Sex Kahaniya हाईईईईईईई में चुद गई दुबई में - SexBaba
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Hindi Sex Kahaniya हाईईईईईईई में चुद गई दुबई में

hotaks444

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हाईईईईईईई में चुद गई दुबई में

डियर फ्रेंड्स मैं बहुत दिनों से बोर हो रही थी तो मैने इसका ये हल निकाला कि क्यों ना एक स्टोरी ही शुरू कर दी जाय तो फ्रेंड्स एक मस्त सेक्सी स्टोरी शुरू कर रही हूँ आप सब का साथ चाहिए होगा जोकि आप सब देते भी हैं तो चलिए बातें बहुत हो गईं कहानी शुरू करते हैं............... 

मेरा नाम सायरा है और में 24 साल से कुछ उपर की एक शादी शुदा औरत हूँ. 

में ताल्लुक पेशावर पाकिस्तान की एक पठान फॅमिली से है. मगर में पिछले कुछ महीनो से दुबई में रह रही हूँ.

में अपने लंबे कद और भरे हुए जिस्म की वजह से अपनी पूरी फॅमिली में सब से खूबसूरत लड़की तस्व्वर की जाती हूँ.

इस का रीज़न सब के ख्याल मे ये है कि मेरी अम्मी स्वात की हसीन वादियों मे पैदा हुई.. और उस का हुश्न मुझे विरासत मे मिला है. 

में अपने पेरेंट्स की इक्लोति बेटी हूँ. इसीलिए मेरी परवरिश बड़े लाड और प्यार से हुई है.

मेट्रिक (10थ) पास करने के बाद जब मेने अपने घर के करीब वाकीया फ्रॉंटियर कॉलेज पेशावर में अड्मिशन लिया. तो मुझे पता चला की मुझ मे कुछ खास बात ज़रूर है...

क्यूँ कि सिर्फ़ दो दिनो मे मैं पूरी कॉलेज मे फेमस हो गई... ईवन बहुत सी खूबसूरत और स्मार्ट लड़कियाँ भी मुझ से जलन और हसद महसूस करने लगी. 

चूँकि मेरा घर मेरे कॉलेज के क़रीब था.. इसलिए मैं वॉक करती कॉलेज आती थी... और पूरे रास्ते लोगो की नज़रो की चुभन अपने जिस्म पर महसूस करती... 

फर्स्ट एअर से ही मेरे लिए रिश्तो की लाइन लग गई. लेकिन पापा ने मेरे लिए अपने बड़े भाई के बेटे को जो मुझ से 2 साल बड़ा था चुन लिया था.. 

उस का नाम यासिर है. यासिर दुबई यूएई मे सेट्ल है. वो भी मेरी तरह अपने पेरेंट्स का इकलौता बेटा था... 

वो काफ़ी हॅंडसम और गुड लुकिंग था... वो भी मुझे शुरू से ही पसंद करता था.. हमारे बीच काफ़ी अंडरस्टेंडिंग थी...

हमारी मँगनी के बाद यासिर हर हफ्ते मुझे कॉल करता और हम एक दूसरे से काफ़ी देर तक बात करते थे... 

जैसे ही मैने ग्रड्यूशन कर ली.. हमारी शादी की बातें शुरू हो गई...



और फिर मेरे ग्रेजुएशन के एक डेढ़ साल बाद 23 साल की मे उमर में यासिर से मेरी शादी हो गई. 



शादी क बाद 2 मंत यासिर मेरे साथ पाक मे रहा ... 



इन दो महीनो में यासिर ने मेरी गरम चूत की काफ़ी तसल्ली की. 

और फिर जल्द मिलने का प्रॉमिस कर के मुझे पुर-नम आँखो के साथ छोड़ के दुबई वापिस चला गया.... 

शादी के बाद कई दफ़ा अपने शोहर से चुदवाने के बावजूद में माँ ना बन सकी.

में शादी के बाद तकरीबन एक साल यासिर के अम्मी अब्बू के पास रही.

क्योंकि शादी होने से पहले जब तक मेने लंड का मज़ा नही चखा था. उस वक्त तक तो मुझे चुदाइ की लज़्जत का पता नही था.

मगर शादी के बाद जब लंड का चस्का मेरी चूत को लग गया. तो अब शोहर के लौडे के बगैर मेरा जीना मुहाल होने लगा था.

इसीलिए मेरी जब भी फोन पर यासिर से बात होती. तो मेरी उन से हर वक्त ये ही ज़िद होती कि या तो खुद पाकिस्तान शिफ्ट हो जाए, या फिर मुझे अपने पास बुला लो. 

मगर हर बार यासिर मुझे झूठी तसल्ली दे कर टाल देता.

फिर आख़िर कार खुदा ने मेरी सुन ली और यासिर ने मुझे दुबई बुला लिया. 

यूँ शादी के एक साल और 3 महीने बाद मैं उस के पास दुबई शिफ्ट हो गई....

ये मेरा फॅमिली बॅकग्राउंड था... अब आते हैं स्टोरी की तरफ जिस ने मेरी लाइफ चेंज कर दी... और एक मासूम सी पठान लड़की क्या से क्या बन गई.
 
दुबई एरपोर्ट काफ़ी बड़ा और पर रोनक था...मैने पिंक कलर की शलवार - क़मीज़ पहनी थी... और दुबई एरपोर्ट पर सब से अलग देखाई दे रही थी... 

डिफरेंट नॅशनॅलिटीस के लोग आ जा रहे थे... और जो भी मुझे एक नज़र देखता... नज़र घुमा कर एक बार फिर देखने पर मजबूर होता.. ईवन कई यूरोपियन ने कॉंप्लिमेंट भी दिए... यू सब की निगाहों का माहवार बनना मुझे अच्छा भी लग रहा था और शरम भी महसूस हो रही थी..... 

जैसे ही मैं एरपोर्ट से एग्ज़िट हुई... वहाँ पर यासिर मुझे रिसेव करने के लिए मोजूद था.. 

यासिर ने मुझे देखते ही मेरा नाम ले कर अपनी तरफ बुलाया...

जैसे मैं यासिर की तरफ बढ़ी तो देखा कि वो मुझे लेने अकेला नही आया. बल्कि उस के साथ एक कपल भी माजूद था.

मुझे मिलते ही यासिर ने मेरा अपने फ्रेंड्स से इंट्रोडक्षन कराया “सायरा इन से मिलो, ये मेरा इंडियन दोस्त विनोद है और ये विनोद की वाइफ सपना है”.

“वेलकम टू दुबई भाभी” विनोद ने अपने दोनो हाथ जोड़ कर मुझे “नमस्ते” करते हुए कहा. 



जब कि उस की वाइफ ने आगे बढ़ कर मुझे हग करते हुए मेरे कान मे कहा. “ वओ यू आर लुकिंग सो क्यूट, यासिर ईज़ रीयली आ लकी गाइ”

मैने शरमाते हुए उसी थॅंक्स कहा.


और हम सब एक ही गाड़ी में बैठ कर अपने घर की तरफ चल पड़े.

एरपोर्ट से घर के सफ़र के दोरान मैने नोट किया कि विनोद बॅक-मिरर मे बार बार मुझे देख रहा था.. 

इस दोरान जब भी मेरी नज़र उस से मिलती... वो अपने नज़रें दूसरी तरफ फेर लेता था... 

विनोद की निगाहों में मुझे अपने लिए एक अजीब सी प्यास दिखाई दे रही थी... 

विनोद के बदकास उस की वाइफ बहुत नाइस और बातूनी थी... पूरा रास्ता मेरा हाथ अपने हाथो मे पकड़े मुझ से मेरे बारे मे पूछती रही... और चन्द ही मिंटो मे उस ने अपनी बातों से मुझे अपना गर्वीदा बना लिया था.

सपना से पहली ही मुलाकात में मुझे ऐसी लगने लगा जैसे ये हमारी पहली मुलाकात नही बल्कि पहले से एक दूसरे को जानती हैं....

हमे ड्रॉप करते हुए विनोद ने एक गिफ्ट पॅक मेरी तरफ बढ़ाते हुए कहा “भाभी ये हमारी तरफ से आप के लिए एक छोटा सा वेड्डिंग गिफ्ट है इस कबूल करें”

मेने यासिर की तरफ सवालिया नज़रो से देखा.तो उस ने हाँ मे इशारा करते हुए लेने को कहा.

मैने गिफ्ट लेते हुए उस को थॅंक कहा.तो उस ने मोस्ट वेलकम कहते हुए अपनी बीवी सपना को चलने का इशारा किया.

सपना गाड़ी में बैठने से पहले एक बार फिर मुझ से गले मिली और बोली “ शाम का खाना हमारे घर है, प्लीज़ हो सके तो ज़रा जल्दी आ जाना” ये कहते हुए सपना ने मेरे दोनो गालो पर बड़े प्यार से किस किया.

ज्यों ही सपना मुझे गालों पर प्यार कर के मुझ से अलग हुई. तो उस के शोहर विनोद ने ये देखते हुए एक अहह भरी और एक दम बोला “आह सपना यू आर लकी.”

फिर मेरी तरफ देखती हुए यासिर से कहने लगा.." यासिर क्या क़िस्मत पाई है तुम ने.सायरा भाभी तो पिक्स से भी ज़्यादा हसीन निकली.. कॉंग्रेट्स.. 9:00 पी एम तक भाभी को लेकर घर पहुँच जाना यार".

मुझे अपने ही शोहर के सामने एक गैर मर्द के मुँह से अपनी तारीफ सुन कर बहुत शरम महसूस हुई. इसीलिए शरमाते हुए मेने अपनी नज़रें एक दम ज़मीन पर झुका लीं.
लेकिन ना जाने क्यों मुझे एक पराए मर्द के मुँह से अपने हुश्न की तारीफ सुन कर दिल में एक अजीब सी खुशी महसूस हुई ..

"यप आइ आम लकी टू हॅव सायरा,वैसे सपना भाभी देख रही हो, आप के सामने होते हुए भी विनोद किसी और की बीवी की तारीफ कर रहा है " अपने शौहर के मुँह से ये अल्फ़ाज़ सुन कर मैने हैरान होते हुए अपनी नज़रें उठा कर एक दम अपने शौहर यासिर की तरफ देखा. 

तो अपने रिक्षन के भदकस मैने जब यासिर को शर्मिंदा नज़र होने की बजाय विनोद की बीवी सपना की तरफ आँख मारते हुए देखा. तो अपने शौहर का ये रवैया देख कर मुझे समझ नही आई कि ये सब हो क्या रहा है.
 
"विनोद इस आब्सोल्यूट्ली राइट. सायरा के सामने में तो क्या पूरे दुबई की लड़किया कुछ भी नही." सपना ने बड़े प्यार और बगैर किसी हसद के मेरी तरफ देखते हुए कहा... और फिर वो दोनो मियाँ बीवी हंसते हुए अपनी कार में बैठ कर चले गये....

"सायरा ये गुमेरा लेक टवर है.. इसी ज्ल्ट भी कहते है... और हमारा अपार्टमेंट 25थ फ्लोर पर है." विनोद और सपना के जाने के बाद यासिर ने मेरा सूट केस हाथ में उठा कर मुझे अपार्टमेंट कॉंप्लेक्स के अंदर लाके , और लिफ्ट में 25थ फ्लोर का बटन प्रेस करते हुए कहा.

अपने अपार्टमेंट में एंटर होते ही मैने इस का जायज़ा लिया. तो देखा कि अपार्टमेंट काफ़ी खुला है और बड़े ही अच्छे अंदाज़ से सजाया गया था... 

वॉल पेपर का कलर और डेसिंग बहुत ही प्यारा लग रहा था... ये 2 बेडरूम और हॉल पर मुश्तमिल था... हर चीज़ बड़ी नफ़ासत से सजाई गई थी...

जियसे ही मैने फ्लॅट का जायज़ा कंप्लीट किया.. 



तो यासिर ने बड़ी बे सबरी से मुझे अपनी बाँहो में लिया.. और इसी हालत में मुझे खींचते हुए मास्टर बेडरूम की तरफ ले गया....

"उफ़फ्फ़ ये क्या कर रहे हो.. छोड़ो मुझे में कहीं भागी तो नही जा रही हो.." मैने उस से अपने आप को छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा... 

लेकिन उस ने जैसे मेरी बात सुनी ही नही... और इस से पहले कि में कुछ और कहती उस ने अपने लिप्स से मेरा मूँह बंद कर दिया.... तो मैने भी मुज़हमत करना छोड़ दी.. और उस के बाल पकड़ कर उसे पीछे बेड पर गिरा कर खुद भी उस पर गिर गई... और कुछ ही लम्हो में हमारे जिस्मो पर कुछ भी ना रहा...

यासिर पर शायद सेक्स का भूत सवार हो चुका था.... एक घंटे में वो तीन बार क्लाइमॅक्स को पहुँच चुका था... फिर भी रुकने का नाम नही ले रहा था.. 

आज इतने महीनो के बाद मुझे फिर से चोदने के दौरान यासिर की कैफियत देखते हुए में भी पूरी तरह से उस का साथ दे रही थी... 

यासिर मेरे पूरे जिस्म को को दीवानो की तरह कभी किस कर रहा था.. और कभी कभी तो ज़ोर से काट भी देता... 

अपनी शौहर का ये वलिहाना प्यार पा कर मेरे मुँह से भी सरूर भरी सिसकियाँ निकल निकल कर पूरे कमरे में घूग रही ती.

फिर जब यासिर मेरे अंदर चौथी बार फारिघ् हुआ तो उसे आख़िर क़रार आ ही गया.

जब कि यासिर से चुदवाने के दौरान में कितनी बार फारिग हुई. इस का मुझे खुद भी अंदाज़ा ना रहा था.

फारिघ् होने क बाद यासिर मेरे साइड में सीधा लेट गया और कहने लगा “ सायरा, इस एक साल के अरसे में मैने तुम्हें बहुत मिस किया है मेरी जान”.

“उफफफफफफफफफ्फ़ मैने भी अप के बगैर ये वक्त कैसे गुज़ारा है ये सिर्फ़ में और मेरी चूत ही जानती है यासिर” मैने भी प्यार से अपने शौहर क बालो को सहलाते हुए जवाब दिया.

“मुझे पता है.. बस अब पुरानी बातों को भूल जाओ और थोड़ा रेस्ट कर लो, शाम को विनोद के घर भी जाना है” यासिर ने मेरे गाल पर किस करते हुए कहा.....

“ये विनोद और सपना के बारे में अप ने पहले तो कभी बताया नही” अपने शौहर की बात सुन कर मैने यासिर के पहलू में लेटे हुए पूछा.

“विनोद से मेरी फ्रेंडशिप 5 मंत पहले हुई है, विनोद असल में ऑफीस में मेरा बॉस है,मगर मेरी इस के साथ बहुत अच्छी अंदरस्टंडिंग है, ये बहुत ही नाइस कपल है,सपना को मैने ऑलरेडी कह दिया है.. वो तुम्ही कंपनी देगी .. उस ने तुम्हारे टाइम पास और जॉब की रिस्पोन्सबिलिटी अपने सर पर ली है.” यासिर ने डीटेल्स में बताते हुए कहा... 
 
शाम को जब में डिन्नर के रेडी होने लगी. तो नहाने से पहले मैने यासिर से पूछा “

“कॉन्सा ड्रेस पहनू?” मैने यासिर से पूछा…..

यासिर ने कुछ सोचते हो कहा“वो वाला शलवार क़मीज़ पहनो जो मैने तुम्हें लास्ट ईद पर खरीद कर दिया था… उस में तुम कमाल की लगती हो”

यासिर की बात पर अमल करते हुए मैने अपने सूट केस से वो ही शलवार कमीज़ निकाली और फिर नहाने के बाद कमरे में वापिस आ कर अपने शौहर की फरमाइश पर वो शाल्लवर कमीज़ पहन ली.

ये शलवार कमीज़ यासिर ने पिछले साल उस वक्त मेरे लिया खरीदा था. जब में थोड़ी पतली हुआ करती थी.

लेकिन एक साल में मेरा वज़न पहले से थोड़ा भर जाने की वजह से ये सूट अब मुझ पे थोड़ा टाइट हो गया था … 

लेकिन अपने शौहर की बात मानना भी ज़रूरी था. 



इसीलिए यासिर के कहने पे मैने वही ड्रेस पहेन लिया…. जिस से मेरा जिस्म और भी नुमाया हो गया….



मैने मेकप पे भी बहुत मेहनत की थी…. इसी लिए जब यासिर ने मुझे देखा तो देखता ही रह गया …. 

वो बे इख्तियार मेरी तरफ बढ़ा… में उस के इरादो को समझते हुए जल्दी से बोली…“प्ल्ज़ यासिर मेरा पूरा मेक अप खराब हो जाएगा…”

“यार तुम कयामत लग रही हो… विनोद तो तुम को देख कर पागल ही हो जाएगा,प्लीज़ उस के साथ ऐसा ज़ुल्म मत करो”

“क्या मतलब??? " मैने कुछ ना समझते हुए पूछा.

" यार विनोद तो तुम से मिलने से पहले तुम्हारी पिक्स देख कर ही तुम्हारे हुश्न से बहुत प्रभावित हो चुका था, वो तो तुम्हारी तारीफ करते हुए मुझ से ये भी कह चुका है.. की काश सपना भी तुम जैसी होती.... अब जब से उस ने तुम को देखा है मुझे यकीन है उस वक्त से उस के दिल की हालत बुरी हो चुकी हो गी.. " यासिर ने हंसते हुए कहा..

"यासिर तुम्ही शरम नही आती... कोई दूसरा तुम्हारे सामने तुम्हारी बीवी की तारीफ करता है... नाउ आइ म थिंकिंग दट यू आर रील आ पठान ऑर व्हाट? " मैने मासनोइ गुस्से से उस को छेड़ते हुए कहा.... 

"जान क्या करूँ.. तुम हो ही इतनी खूबसूरत ... कि कोई तुम को देख कर तारीफ तो करेगा ना.. अब में कितनो से झगड़ा करूँगा... इसलिए अगर कोई तुम्हारी तारीफ करेगा तो मुझे अच्छा लगे गा... क्यूँ कि हो तो तुम मेरी ही हो "" यासिर ने मुझे समझाते हुए कहा. और फिर मुझे साथ ले कर विनोद और सपना के घर की तरफ चल पड़ा.

यासिर ने ठीक ही कहा था... जैसे ही विनोद ने डोर ओपन किया.. और मुझ पर नज़र पड़ी... तो हमे अंदर आने को कहने की बजाय बुत बना खड़ा मुझे देखता ही रह गया.....

“वेक अप मॅन … ये सायरा है यासिर की वाइफ …. कोई मॉडेल नही”… सपना ने अपने शौहर विनोद को कुहनी मारते हुए कहा.

विनोद अपनी बीवी की आवाज़ सुन कर एक दम चोन्का और खिसियाने लहजे में मुझे वेलकम कहते हुए मुझ से हाथ मिलाने के लिए एक दम अपना हाथ आगे कर दिया. 
 
मुझे गैर मर्दो के साथ हाथ मिलाने की आदत नही थी. इसीलिए मैने एक दम अपने शौहर यासिर की तरफ देखा तो यासिर ने अपनी गर्दन को हल्का से हिलाते हुए “हां” कर दी.

में आम हालत में शायद विनोद से हाथ ना ही मिलाती. मगर अब यासिर की इजाज़त के बाद मुझे चार-ओ-नचार एक गैर मर्द से ज़िंदगी में पहली बार हाथ मिलना पड़ ही गया.

मुझ से हाथ मिलाते हो विनोद ने बड़े प्यार और नर्मी से मेरे हाथ को सहलाया… जिस से मुझे एक करेंट सा लगा.. में थोड़ी सी अनकंफर्टबल महसूस करने लगी . 

जब कि मैने नोट किया कि मेरा शौहर यासिर इस लम्हे मेरी और विनोद की हालत से लुफ्त अंदोज़ हो रहा था..

सपना मुझे और विनोद यासिर को साथ ले कर लाउन्ज में आ गये. और लाउन्ज में बिछे सोफे पर बैठ कर हम सब एक दूसरे से बातों में मसरूफ़ हो गये.

इस दौरान में महसूस कर रही थी. कि विनोद बे शक मेरे शौहर यासिर के साथ इधर उधर की बातें तो कर रहा है. मगर इस के बावजूद विनोद मुझे बार बार देखे जा रहा था.

मुझे विनोद का यूँ नदीदों की तरह देखना अच्छा नही लग रहा था. 

मगर उस के घर में होने की वजह से खुद उठ कर कहीं जा भी नही सकती थी.

“यार ये दोनो तो शुरू हो गये… आओ हम किचन में चल कर बाते भी करते है और साथ में डिन्नर भी लगाते है” यासिर और विनोद को अपनी गुफ्तगू में गुम देख कर सपना ने मुझे अपने साथ चलने की दावत दी.

में इस मोके को गनीमत जानते हुए सपना के साथ चलती हुई उन के किचन में चली आई.

ये मेरी ज़िंदगी का दुबई में पहला दिन था. और अपने शौहर यासिर के इंडियन दोस्त विनोद और उस की बीवी सपना से पहली मुलाकात थी.

दूसरे दिन यासिर के जॉब पर जाने के बाद सपना ने मुझे कॉल की. 

और फिर मुझे अपनी कार में पिक अप कर के दुबई के माल में शॉपिंग के लिए ले गई.

वो पूरा दिन मेने और सपना ने एक साथ गुज़ारा … सपना ने एमरेट्स माल से मेरी लिए थोड़ी शॉपिंग भी की… 

चूँकि इंडियन और पाकिस्तानी कल्चर में खाने,ज़ुबान,लिबास समेत काफ़ी चीज़े आपस में एक दूसरे से मिलती जुलती हैं.

इसीलिए दो अलग अलग कंट्रीज़ और मज़हब के होने के बावजूद बाहर के मुमालिक में इंडियन और पाकिस्तानी लोग अक्सर एक दूसरे के अच्छे दोस्त बन जाते हैं.

ये ही मेरे साथ भी हुआ कि पहले ही दिन से विनोद और यासिर की तरह मेरी और सपना की भी आपस में अच्छी दोस्ती हो गईं.

उस एक दिन में हम दोनो एक दूसरे के इतनी क़रीब आ गई,, जैसे बरसो से एक दूसरे से पहचान हो…

सपना बाते करने में बहुत माहिर थी…. बातों बातों में वो मेरी तारीफ भी करती थी .. और एक औरत के मुँह से अपनी तारीफ सुन कर में दिल ही दिल में खुशी से फूले नही समा पाती थी.

मुझे अब दुबई आए 2,3 महीने होने वाले थे. और इस अरसे में सपना और में एक दूसरे की बहुत बे तकल्लुफ सहेलियाँ बन चुकी थी.

मेरे दुबई आने के कुछ महीने बाद विनोद और यासिर को अपनी जॉब के सीलसले में एक हफ्ते के लिए बॅंकाक जाना पड़ गया.

और ये अब पहला मोका था जब में अपने शौहर से कुछ अरसे के लिए दूर हुई थी.

दुबई आने के बाद अब मुझे बिना नागा अपने शौहर के लंड लेने की आदत पड़ चुकी थी. 

इसीलिए यासिर के जाने के दूसरी ही रात मुझे अपना बिस्तर काटने को दौड़ने लगा.

मेरी चूत एक ही दिन में अपने शौहर की जुदाई में गरम हो हो कर अपना पानी छोड़ने लगी थी.

में रात के तकरीबन 9 बजे अभी बिस्तर पर करवट बदलते हुए अपनी गरम चूत को तसल्ली देने का नाकाम कॉसिश में मसरूफ़ थी. कि इतने में दरवाज़े की बेल बज उठी.

में हड़बड़ा कर उठी और जल्दी से अपने कपड़ों को ठीक करती दरवाज़े की तरफ लपकी.

मैने ज्यों ही दरवाज़ा खोला तो रात के उस वक्त सपना को अपने सामने खड़े पाया.

“तुम और इस वक्त ख़ैरियत” मैने सपना को अपने सामने देखा. तो हैरत से पूछने लगी.

“” वो कहते हैं ना कि खूब गुज़रे गी जब मिल बैठेंगे दीवाने दो, मुझे कल से विनोद के बगैर नींद नही आ रही थी, तो सोचा तुम्हारे पास चली आऊ,क्योंकि यासिर के बगैर तुम्हारी हालत भी मेरी जैसे ही हो गी” मेरे दरवाज़ा खोलते ही सपना ये बात कहते हुए अंदर आई और मुझे ले कर सीधा मेरे बेडरूम में घुस आई.
 
बेडरूम में आते ही सपना ने अपने बॅग से एक सीडी निकाली और सामने पड़े डीवीडी प्लेयर में वो सीडी लगा दी.

मैने उस से कहा “कोन्सी मूवी है?” 

सपान ने मुझे जवाब नही दिया और मेरे बेड पर मेरी क़रीब आ कर ही बैठ गई. 

जैसे ही मूवी शुरू हुई तो मूवी का पहला सीन ही देख कर में चोन्क सी गई…. 

क्यू कि उस में दो लड़किया एक दूसरी के साथ ऐसी हरकतें कर रही थी की मैने शर्मा के अपनी निगाहें झुका दी…. 

वो एक लेस्बियन एक्सएक्सएक्स मूवी थी….मैने उस से मूवी बंद करने को कहा लेकिन वो नही मानी …. 

“ये क्या उठा लाई हो तुम सपना” में थोड़ा गुस्से में बोली.

“मैने सोचा कि तुम यासिर की कमी महसूस कर रही हो गी,तो तुम्हारे लिए ये मूवी ले आई” सपना ने मुस्कराते हुए मुझे जवाब दिया.और फिर सपना बहुत इन्मिहाक से टीवी पर लगी मूवी देखने लगी.

पहले तो मैने सोचा कि में उठ कर अपने कमरे से बाहर निकल जाऊं. मगर चाहने के बावजूद उधर से उठ ना पाई.

में कुछ देर तो इधर उधर देखती रही.. लेकिन फिर मेरी नज़र भी स्क्रीन पे ही जम गई… 

वो दोनो लड़किया पागलो की तरह एक दूसरी को चाट रही थी… और अजीब अजीब हरकतें कर रही थी… आहिस्ता आहिस्ता में गरम होने लगी… 

सपना की तरह में भी ज्यों ही मूवी को देखने में मगन हुई. 

तो सपना की एक हरकत ने मुझे एक दम हिला कर रख दिया.

सपना कनखियों से मुझे देख रही थी… जब उस ने देखा कि में गरम हो चुकी हूँ.. तो वो अपना एक हाथ मेरी रान पर रख कर आहिस्ता आहिस्ता मेरी रान को सहलाने लगी….

मैने चौंक के ज्यों ही सपना की तरफ देखा. तो सपना ने एक दम मुझे बड़े ज़ोर से अपने गले से लगाया.

इस से पहले कि में कुछ करती. 



कि सपना ने अपने लब मेरे होंठो पे रख के मुझे कुछ कहने से रोक दिया.


चन्द लम्हे तो में कुछ नही समझी.. फिर अपने आप को छुड़ाने की कोशिश करते हुए बोली “ये क्या कर रही हो तुम,छोड़ो मुझे प्लीज़” 

लेकिन सपना ने मेरी बात की परवाह ना करते हुए मुझे और भी ज़ोर से जकड लिया … 

और मुझे बिस्तर पर गिरा कर मेरे होंठ चुसते हुए अपना एक हाथ मेरी छाती(बूब) पे रख के आराम से दबाने लगी.

में तो सपना को अपनी सहेली समझ रही थी.

मगर अब सपना की इस हरकत ने तो मुझे हैरान और परेशान कर के रख दिया था.

मेरी समझ में कुछ नही आ रहा था.. कि सपना को एक दम से अचानक हो क्या गया है… 

लेकिन जब सपना ने मेरे मम्मे दबाने शुरू किए.. तो मुझे ना चाहते हुए भी मज़ा आने लगा था…. 

जब उस ने अपने लब मेरे होंठो से हटा कर मेरे गालो को चूमने लगी… 

तो मैने तेज सांसो में धीमी आवाज़ से कहा “ ये तुम क्या कर रही हो?” “ 

“प्लीज़ सायरा कुछ ना कहो और मुझे ना रोको … सिर्फ़ 2 मिनट और” सपना अब मेरे पूरे जिस्म पे हाथ फेर रही थी.. 

“क्या तुम पागल हो?” मैने फिर उसे अपने उपर से हटाने की कॉसिश करते हुए कहा.

“सॉरी डियर…. में जानती हूँ कि मुझे ऐसा नही करना चाहिए था… लेकिन मैं पिछले कई महीनो से तुम्हारा इंतजार कर रही थी… जब से मैने तुम्हारी शादी की तस्वीरे देखी है… तब से में आशिक़ हो गई थी तुम पे” ये कहते हुए सपना के हाथ मेरी छातियों पर रेंगने लगे. जिस से मेरे जिस्म में भी मस्ती सी छाने लगी.

में सपना की बातें सुन कर हैरान रह गई…. कि अगर वो मुझ से ज़्यादा खूबसूरत नही तो कम भी नही थी….. 

“आख़िर मुझ में ऐसा क्या देखा है तुम ने मुझ में कि मुझ पर इतना फिदा हो गई हो तुम सपना” मैने हैरानी और ताजोसस के आलम में सपना से पूछा… 

“ये तुम नही समझोगी … कि तुम में क्या खास बात है… मगर यकीन मानो सिर्फ़ तुम्हारी वजह से में लेस्बियन बनने पर मजबूर हो गई हूँ सायरा” कहते हुए सपना मेरे होंठों को अपने होंठों में ले कर चूसने लगी.

ना जाने ये सपना की बातों या हरकतों का असर था कि मुझे सपना की इस हरकत में मज़ा आने लगा था.

यासिर के लंड की तलब की वजह से मेरी चूत में आग तो पहले ही भड़क रही थी.

मगर इस आग को बढ़ावा अब सपना के हाथों और होंठों ने दे दिया था.

में अपने बिस्तर पर मदहोश पड़ी हुई एक अजीब सी कश मकश में थी. 

मेरा दिमाग़ चाहता था कि सपना के अपने जिस्म पर फिरते हाथों को रोक दूं. लेकिन दिल इस ने स्वाद को चखने पर मजूबर करने लगा था. 

और आख़िर कर दिल की जीत हो गई. मेरे जवान जिस्म पर फिरते हुए सपना के हाथों की वजह से मेरे सारे बदन मे कंपकपि दौड़ गई.

जिस की वजह से मेरे मुँह से सिसकी निकल गई और मेने उस को ज़ोर से लिपटा लिया.

मैने अपने जिस्म हो बिस्तर से हल्का से उठाया. और सपना को अपनी बाहों मे भर लिया, 

यूँ हमारे होठ एक बार फिर से मिल गये लेकिन इस बार अलग ना होने के लिए. 



अब मेरी जीभ सपना के मुँह मे थी और वो बहुत आहिस्ता से मेरी ज़ुबान को दाँतों से दबाते हुए चूम रही थी. 

सपना ये जान चुकी थी कि अब में पूरी तरह से उस के बस मे हूँ और उस की की गई किसी हरकत को अब में नही रोक पाउन्गी.
 
इसीलिए मेरे होंठों को चूमते हुए सपना ने मेरे कमीज़ के अंदर हाथ डाल कर मेरे चिकने पेट पर अपना हाथ फिराया. 

और फिर मेरी ब्रा के नीचे से हाथ डाल कर ज्यों ही मेरे मोटे मम्मे को अपने हाथ की गिरफ़्त में लिया. तो मज़े के मारे मेरे मुँह से “अहह” निकल गई.

मेरे गुदाज होंठों को चूमते के साथ साथ सपना अब थोड़ी देर मेरे नंगे मम्मे को भी अपने हाथ से मसल कर मेरे जिस्म की गर्मी को तेज करती रही.

फिर कुछ देर मेरे निपल को अपने हाथ से मसलने के बाद सपना ने मेरी कमीज़ से अपने हाथ बाहर निकला. और मेरी कमीज़ का पल्लू हाथ में पकड़ा तो मेरे हाथ खुद ब खुद उपर उठ गये.

अपनी इस हरकत पर मुझे यूँ महसूस हुआ. जैसे में इंसान नही बल्कि एक रोबोट हूँ. 

जिस का मुकमल कंट्रोल अब सपना के हाथ में था.

मेरे हाथ उपर उठते ही सपना ने पहले मेरी कमीज़ और फिर मेरा ब्रेज़ियर भी उतार कर मेरे बदन से अलग कर दिया.

“उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ क्या सुडोल और गुदाज चुचियाँ हैं तुम्हराईईईईईईईईईईईईईईईई” मेरी नंगी छातियों पर नज़र पड़ते ही सपना के मुँह से एक सिसकारी निकली. और वो मेरे मोटे तने हुए गोल गोल मम्मो की तारीफ करने लगी.

मेरे दोनो चिकने मम्मे अब एक दम आज़ाद थे, मेरा गुलाबी अरेवला और उस पर डार्क पिंक निपल जो एक दम तने हुए थे. 

मेरे जिस्म के उपर वाले हिस्से को नंगा करते ही जब सपना ने मेरे एक ब्रेस्ट पर हाथ रखा. 

तो“आआआआअहह हमम्म्ममममममममममम सपना ये क्या कर रही है तूमम्म्ममममम.” मैने सिसकारियाँ भरते हुए कहा

“मेरी जान तुम्हे इस जिंदगी के मज़ा लेना सिखा रही हूँ, अब तक तू सिर्फ़ चुदाई का मज़ा ले रही थी. सेक्स क्या है ये तुझे पता ही नही है.” सपना ने मेरे निपल को मसल्ते हुए कहा. तो उस की इस हरकत पर में उछल पड़ी,

सपना ने ज़ोर से मेरे नंगे मम्मे को अपने हाथ मसला था, और उस की वजह से मेरे पूरे वजूद में मज़े की एक ऐसी लहर उठी. 

तो मेरी चूत का पानी उछल कर बाहर निकला और मेरी रानों को भिगोता हुआ शलवार के साथ साथ मेरे बिस्तर की चादर को भी गीला करने लगा.

(जी हाँ दोस्तो में सिर्फ़ एक मिनट मे ही झड गई थी. अभी तो कुछ हुआ भी नही और मेरा ये हाल था,कितना सही कहती है सपना कि अब तक तो में सिर्फ़ चुदाई ही जानती थी सेक्स मे क्या मज़ा है ये मुझे पता ही नही था.)

में काँप कर सपना से लिपट गई और सपना मेरी नंगी पीठ को सहला रही थी.

उस के बाद सपना ने मेरी गर्दन से चूमने का सिलसिला शुरू किया. जो आगे आकर मेरे मोटे सीने पर रुका. 

सपना ने अपनी ज़ुबान निकाल कर मेरे निपल पर लगाई और नीचे से ऊपर की तरफ अपनी ज़ुबान से मेरे निपल को चूमा.

सपना की गरम नुकीली ज़ुबान को अपनी छातियों पर फिसलता हुआ महसूस कर के मुझे ऐसे लगा कि जैसे कोई बिच्छू मेरी छातियों पर रेंगने लगा हो. 

इतना अच्छा मुझे कभी नही लगा था, और फिर वो निपल को किसी छोटे बच्चे की तरह चूमने लगी, और में उसके सिर को अपने सीने पर दबाती जा रही थी. 

सपना ने अब दूसरा निपल मुँह मे लिया तो मेरे दाएँ मम्मे को अपने हाथ से पकड़ लिया. और आहिस्ता आहिस्ता दबाते हुए वो दूसरे मम्मे को चूम रही थी. 

आशिस्ता आहिस्ता चूमना, चाटने मे बदल गया और अब वो मेरे दोनो मम्मो को अपने मुँह और होंठों से चूस कर निचोड़ रही थी.

मेरे मम्मो को चुसते हुए सपना ने मेरी शलवार का नाडा ऐसे आराम से कब खोल दिया कि मुझे इस का पता ही नही चला,

मुझे अपनी शलवार खुलने का अहसास ताम हुआ जब सपना ने मेरे मोटे और भारी कुल्हों के नीचे फँसी मेरी शलवार को खींचने की कोशिश की.

जैसे ही सपना ने मेरे जिस्म से मेरी शलवार उतारने की कोशिश की. तो मैने अपनी बाहरी गान्ड को बिस्तर से उठा कर सपना को मेरे अपने वजूद पूरा नंगा करने में खुद ही मदद की.

अपनी शलवार उतारने के बाद में अब सपना की भूकि निगाहों के सामने बिल्कुल नंगी अपने बिस्तर पर पड़ी थी. 

“हाईईईईईईईईईईईईई क्याआआअ दिल कश जिस्म है तुम्हाराआआआआआआ” मुझे मुकमल नंगा कर के जब सपना ने मेरे नंगे जिस्म का जायज़ा लिया. तो शलवार के उपर से अपनी गरम चूत पर अपना हाथ रगड़ते हुए बोली.

अपने वजूद को नंगा पा कर अब मेरे दिल में भी ये तमन्ना जाग गई. 

कि सपना की तरह में भी अपनी सहेली को उस के कपड़ों के बोझ से आज़ाद कर दूँ. मगर चाहने के बावजूद में ऐसा नही कर पाई.

लेकिन सपना को दिमाग़ पढ़ने आता था, उसने झट से अपना कुर्ता और सलवार निकल फेंकी और वो अब भी मेरी तरह बिल्कुल नंगी मेरी आँखों के सामने थी.

अपने कपड़े उतारने के बाद सपना ने मेरी तरफ प्यार से देखा.

और फिर सपना एक दम मेरे नंगे वजूद पर ऐसे झपटी कि जैसे कोई भूका शेर अपने शिकार पर झपटता है.

मेरे करीब आते ही सपना ने मेरी चिकने पेट पर माजूद मेरी मोटी धुनि (नेवेल) को अपनी गरम ज़ुबान से छुआ. और फिर मेरी धुनि को अपनी नुकीली ज़ुबान से चाटने लगी.

“उफफफफफफफफफफफ्फ़ हाईईईईईईईईईईई ना करो ऐसे,मुझे गुदगुदी होती है यार” सपना की गरम ज़ुबान ने जैसे ही मेरी नेवेल को छुआ. तो मज़े से कराहती हुई में चिल्ला उठी.

“ज़रा सबर करो मेरी जान मुझे अपने इस गरम वजूद को प्यार तो कर लेने दो” सपना ने मेरी बात को नज़र अंदाज़ करते हुए जवाब दिया. 

और फिर अपने होंठों को आहिस्ता आहिस्ता नीचे ले जाते हुए अपने मुँह को मेरी टाँगों के दरमियाँ छुपी मेरी गरम चूत की तरफ बढ़ने लगी.

" ये क्या कर रही हो?" मैने ज्यों ही सपना का मुँह अपनी गरम चूत की तरफ बढ़ते देखा तो हैरानी से पूछ बैठी.

"तुमको प्यार का खेल सिखा रही हूँ मेरी जान," सपना मेरी तरफ देखते हुए वो फिर से बोली.

फिर देखते ही देखते सपना अपने मुँह को मेरी पानी छोड़ती चूत के करीब लाई.

और एक दम अपना मुँह खोल कर मेरी प्यासी चूत के होंठों पर अपने गरम होंठ रख दिए.

यासिर ने शादी के बाद से आज तक मुझे चुदाई के इस मज़े से रोशनाश नही करवाया था. 

जिस का स्वाद एक इंडियन औरत आज मुझे अपने मुँह से दे रही थी.

सपना ने ज्यों ही मेरी चूत को अपने मुँह में भर कर अपनी ज़ुबान से मेरी चूत के दाने को छुआ. 

तो मुझे ऐसा लगा जैसे मेरा सारा वजूद हवा में उड़ने लगा है.

मेरा सारा वजूद एक दम अकड सा गया. 


और मैने दूसरे ही लम्हे अपनी चूत का गरम पानी सपना के खुले मुँह में उडेल दिया.
 
थोड़ी देर बाद जब मेरा जिस्म पूर सकून हुआ तो सपना मेरी टाँगों के दरमियाँ में से उठ कर मेरे पहलू में लेटी. 

“मज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ा आया मेरी जान” मेरे पहलू में लेटते ही सपना ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया.

“हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईिन सपनााआआआआआ” में झटके लगाते अपने जिस्म को सपना की बाहों में सोन्पते हुए जवाब दिया.

मेरा जवाब सुनते ही सपना मुस्कुराइ और मेरे मुँह में अपना मुँह डाल कर अपने होंठों पर लगा हुआ मेरी ही चूत का रस मेरे मुँह में मुन्तिकल करने लगी.

अपनी चूत का पानी सपना के मुँह में खारिज करने के बाद मुझे इतना सकून मिला. कि में कब नींद में चली गई. इस का मुझे अंदाज़ा ही नही हुआ.

मेरी आँख तब खुली जब रात के आख़िरी पहर सपना ने मेरी चूत के लिप्स पर अपनी जीभ घुमाई, तो मेरी प्यासी चूत फिर से मचल उठी और मेरी सिसकी निकल गई.

में, "आआआहह आहिस्ता करो सपनााआआआआआ."

सपना समझ रही थी कि में राफ़ सेक्स की आदि नही हूँ, मेरे हज़्बेंड भी मुझे आहिस्ता आहिस्ता से मेरी चुदाई करते हैं.

सपना ने अपने दोनो हाथो से मेरी छूट को फैलाई और मेरी छूट के अंदर तक अपनी ज़ुबान ले गई.

उस की ज़ुबान कुछ ऐसा जादू कर रही थी में ना चाहते हुए भी पागल होने लगी थी.

मेरी चूत को चाटते हुए सपना एक दम मेरी टाँगों के दरमियाँ से उठी. 

और मेरे जिस्म पर चढ़ कर मेरे उपर इस अंदाज़ में लेट गई, कि अब उस का मुँह मेरे पैरों की तरफ था. और उस के पैर मेरे सर की तरफ थे.

मेरे जिस्म के उपर उस स्टाइल में चढ़ने के बाद सपना ने आहिस्ता से अपने वजूद हो नीचे किया. तो उस की गरम चूत मेरे खुले मुँह के बिल्कुल ऐन उपर आ गई.

“अब मेरी चूत को भी चाट कर इस की गर्मी निकालो मेरी जाआआन” अपनी गरम चूत को मेरे होंठों के उपर फेरते हुए सपना ने कहा. और साथ ही मेरी चूत में अपना मुँह डाल कर फिर से मेरी चूत का नमकीन पानी चाटने लगी.

चूत चाटना तो एक तरफ मैने ज़िंदगी में किसी दूसरी औरत की चूत को इतने करीब से देखा तक नही था,

इसीलिए पहले तो में मेरे दिल में ख्याल आया कि में “ना” कर दूं.

मगर ज्यों ही सपना ने ,मेरी फुद्दि में अपनी एक डाल कर मेरी चूत के देने पर पर ज़ुबान चलाना शुरू की. तो में भी अपने होश-ओ-हवास खो बैठी.

मैने बिना कोई सोचे समझे अपना मुँह खोला. 



और सपने की पानी छोड़ती मोटी फुद्दि में अपनी ज़ुबान डाल दी.

पहले पहल तो मुझे सपना की चूत का ज़ायक़ा अजीब सा लगा. मगर कुछ ही लम्हों के बाद सपना की तरह मुझे भी उस की फुददी को चाटने में मज़ा आने लगा.
 
अब कमरे में ये हालत थी. कि मेरे बिस्तर पर पड़ी दोनो गरम जवानियाँ बहुत शौक और प्यार से एक दूसरे की गरम फुद्दियो को चाट चाट कर एक दूसरे की चूत को अपनी अपनी ज़ुबान से ठंडा करने में मसरूफ़ थी.



फिर कुछ ही लम्हों बाद आख़िर कार सपना और में एक दूसरे के मुँह में अपनी अपनी फुद्दि का गरम और नमकीन पानी छोड़ कर एक दूसरे के जिस्म पर ढेर हो गईं. 

इस के बाद हम दोनो एक दूसरे की बाहों में लिपट कर लेट गई. और फिर उधर ही सो गईं.

दूसरी सुबह मेरी आँख खुलने से पहले ही सपना मुझे चुदाई के इस नये मज़े से पर्चित करवा कर अपने घर वापिस जा चुकी थी.

नींद से जागने के बाद कुछ देर अपने बिस्तर पर नंगे लेटे हुए में अपने और सपना के दरमियाँ होने वाले रात के इस हसीन वाकिये को याद कर के शरम के साथ साथ फिर से गरम होने लगी थी.

अपने बिस्तर पर लेटे हुए मेरी नज़र पास पड़े क्लॉक पर पड़ी. तो देखा कि सुबह के 8 बजने वाले हैं.

“ओह्ह्ह आज दोपहर तक तो यासिर ने वापिस आ जाने है,इसीलिए मुझे उठ कर अपनी और घर की सफाई कर लेनी चाहिए” घड़ी पर टाइम देखते ही में एक दम से शावर लेने बाथरूम में घुस गई.

नाश्ते के बाद घर की सफाई की तो तब तक यासिर की फ्लाइट का टाइम हो चुका था.

जब दोपहर के तकरीबन एक बजे के बाद यासिर घर आए. तो उन का लटका हुआ चेहरा देख कर में समझ गई. कि यासिर को कोई मसला पेश आ गया है.

“क्या हुआ ख़ैरियत तो है” अपने शौहर के परेशान चेहरे को देख कर मैने पूछा.

“आज के बाद तुम ना तो सपना से मिलो गी और ना उसे फोन करो गी” मेरे सवाल के जवाब में जब यासिर ने ये बात कही. तो मेरा दिल उछल कर मेरे हलक में आ गया.

“यासिर को कहीं मेरे और सपना की रात वाली हरकत का ईलम तो नही हो गया” ये सोच कर मेरी शकल भी रोने वाली बन गई. 

मगर फिर भी डरने के साथ में यासिर से पूछ बैठी “क्यो ऐसी क्या बात हो गई है”

“जो कांट्रॅक्ट में और विनोद साइन करने बॅंकाक गये थे,वो हमें नही मिल सका, मेरी ग़लती ना होने के बावहूद विनोद अब मुझे इस बात का कसूर वार ठहरा रहा है, इसी बात पर मेरा और उस का झगड़ा हो गया है, इसीलिए हमारी दोस्ती आज से ख़तम बसस्स्स्स्सस्स” यासिर ने गुस्से में जब सारी बात बताई. तो ये कहानी सुन कर मेरी साँस में साँस आई.

“ठीक है जैसा तुम कहो मेरी जान” यासिर की बात का जवाब देते हुए में किचन में चली गई. और अपने शौहर के लिए खाना निकालने लगी.

इस दिन के बाद एक महीना ना ही यासिर ने जॉब के अलावा विनोद से कोई फालतू बात चीत की. और ना ही सपना ने मुझ को फोन किया.

शायद यासिर की तरह विनोद ने भी गुस्से में उसे मुझ से मुलाकात करने से मना कर दिया था.

इस दौरान महीने के आखरी हफ्ते में मेरे पीरियड्स शुरू हो गये. अपने पीरियड्स के दौरान मुझे यासिर के लंड की बहुत तलब महसूस हुई. 

मगर अपनी माहवारी के खून की वजह से में अपने शौहर का लंड अपनी फुद्दि में नही ले पाई.

“हाईईईईईईईईईईई आज नहाने के बाद में पूरी रात यासिर के लंड की सवारी करूँगी” पीरियड्स के आखरी दिन बाथरूम में अपनी फुद्दि की शेव करने और नहाने के दौरान में अपने शौहर के लंड के बारे में सोच कर गरम होती रही. और फिर यासिर के ऑफीस से अपने से पहले नहा कर पाक सॉफ हो गई.

उड़ दिन में तो अपने शौहर के लंड के लिए खुश हो रही थी. जब कि यासिर घर आया. तो वो भी काफ़ी खुश नज़र आ रहा था.

“आज ख़ैरियत तो है,बहुत खुश नज़र आ रहे हो जान” यासिर के चेहरे पर इतने दिनो बाद ये मुस्कुराहट देख कर मैने पूछा.

“आज विनोद ने मुझ से अपनी ग़लती की माफी माँगी है और साथ ही आज शाम हम दोनो को अपने नये मकान की खुशी में रखी गई पार्टी में इन्वाइट किया है,इसीलिए जल्दी से जाने की तैयारी करो” घर के अंदर आते ही यासिर ने मुझे इतला दी.

“आप एक दूसरे से राज़ी हो गये हैं, तो ये तो अच्छी बात है ना” मैं भी यासिर को यूँ खुश देख कर मुस्कारने लगी.
 
“हाईईईईईई रे किस्मत कि मुझे अब लंड के लिए पार्टी से वापसी तक इंतिज़ार की तकलीफ़ से गुज़रना हो गा” यासिर की बात सुन कर मेरी चूत के अरमानों पर ओस पड़ गई. 

में तो इस इंतिज़ार में थी कि यासिर के आते ही उस की ज़िप खोल कर अपने शौहर के लंड को अपनी प्यासी फुददी में डलवा लूँगी . मगर मेरे साथ धोखा हो गया था.

बदहाल यासिर की बात पर अमल करते हुए हम दोनो विनोद और सपना के नये घर जाने के लिए तैयार होने लगे. तो हास्बे मामोल मुझे समझ नही आ रही थी कि में आज शाम की पार्टी में क्या पहनू.

“आप शाम को पहनने के कपड़े सेलेक्ट करने में मेरी हेल्प करो प्लीज़” जब में अलमारी में से कपड़े निकाल निकाल कर थक गई. तो मैने यासिर से रिक्वेस्ट की.

“हां वो याद आया, कि तुम्हारे दुबई आने वाले दिन विनोद और सपना ने तुम्हे एक गिफ्ट दिया था, वो तो दिखाओ मुझे कि उस में है क्या” मेरी बात सुन कर यासिर भी मुस्करा दिया. और फिर विनोद के दिए हुए बॅग के मुतलक पूछने लगा.

“ओह हान्ंननणणन् वो बॅग तो में खोलना ही भूल गई” ये कहते हुए मैने अलमारी के एक कोने में पड़ा हुआ वो बॅग उठा लिया.

“लाओ में देखू, कि विनोद ने क्या गिफ्ट दिया है मेरी बीवी को” कहते हुए ज्यों ही यासिर ने बॅग खोला. तो उस में से निकलने वाले लोंग सिल्की स्कर्ट और सिल्की शर्ट को देख कर यासिर और में हैरत से एक दूसरे का मुँह देखने लगे.

“ये क्या ड्रेस उठा ली हैं इन दोनो मियाँ बीवी मेरे लिए” युरोपियन स्टाइल के इस ड्रेस को देख कर में हैरान होते हुए यासिर से कहने लगी.

“क्यों क्या हुआ अच्छा भला तो है,वैसे भी विनोद का नया घर बीच के किनारे पर है, इसीलिए मेरे ख्याल में आज की शाम ये ड्रेस तुम्हारे लिए अच्छा रहे गा,इसीलिए आज ये ही पहन लो मेरी जान” ये कहते हुए यासिर ने सपना और विनोद का दिया हुआ गिफ्ट ड्रेस मेरी तरफ फैंका.

“आप होश में तो हैं, ये ड्रेस स्लीव लेस भी है और सिल्की भी,मैने कभी इस तरह का ड्रेस आज तक नही पहना,इसीलिए मुझे शरम आएगी इस को पहन कर मेरी जान” में अपने शौहर की बात सुन कर हैरान हुई. और विनोद और सपना का दिया हुआ ड्रेस पहनने से इनकार कर दिया.

“यार अगर पहले नही पहना तो आज पहन लो, फिर ये विनोद की पार्टी है और वो तुम को अपने दिया हुआ गिफ्ट पहना देख कर यक़ीनन बहुत खुशी महसूस करे गा” मेरे इनकार पर मुझे समझाते हुए यासिर ने जब ये बात कही. तो मुझे गुस्सा आ गया.

“में सिर्फ़ आप के लिए ही बनती सँवर्ती हूँ, विनोद की खुशी से भला मुझे किया लेना देना” यासिर की बात के जवाब में मेरे मुँह से गुस्से में निकला.

“तुम समझती क्यों नही यार, विनोद ने आज कल में मेरी प्रमोशन की फाइल पर साइन भी करने हैं, लेकिन में जानता हूँ कि वो जान बूझ कर टाल मटोल कर रहा है, इसीलिए अगर तुम ये ड्रेस पहन कर उन के घर जाओगी , तो हो सकता है कि इसी खुशी में वो ये काम कल सुबह ही कर दे, वैसे भी एक बात का ध्यान रखना, कि चाहे कुछ भी हो तुम ने विनोद को नज़र नही करना, क्योंकि विनोद से मेरी एक महीने बाद दुबारा से दोस्ती हुई है, और में उसे दोबारा नाराज़ कर के अपनी प्रमोशन का कम बिगाड़ना नही चाहता” यासिर ने मुझे समझाया. 

तो मुझे ना चाहते हुए भी अपने शौहर की बात मान कर उस के दोस्त विनोद का दिया हुआ ड्रेस पहनना ही पड़ गया.

विनोद का दिया हुआ ड्रेस पहन कर जब मैने अपने ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़े हो कर अपने जिस्म का जायज़ा लिया.
लोंग स्कर्ट तो मेरी लंभी टाँगों के पावं तक पहुँचने की वजह से मेरे जिस्म का निचला हिसा पूरी तरह ढांप रही थी. 

मगर मेरी कसी हुई सिल्क की छोटी सी स्लीव लेस कमीज़ ने मेरी जिस्म के उपर वाले पोषीदा हिस्से को छुपाने की बजाय और वाइज़ा कर के रख दिया था. 



“उफफफफफफफफफ्फ़ इस सिल्की शर्ट में से तो ना सिर्फ़ मेरे मम्मे बल्कि मेरी ब्रेज़ियर की शेप भी बहुत नुमाया हो रही, और साथ ही साथ सिल्क की स्लीव लेस शर्ट ने तो मेरी चिकनी बाहों को और भी नंगा कर दिया हाईईईईईईईईई”विनोद की दी हुई कमीज़ में से अपनी उभरती हुई छातियों को देख कर मुझे खुद से भी शरम आने लगी.
 
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