hotaks444
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कुछ देर विनोद की चौड़ी और सख़्त छाती पर प्यार भरे अंदाज़ में अपने हाथ फेरने के बाद में आहिस्ता आहिस्ता अपने हाथ को नीचे लाई. और विनोद के ढीले पड़ते लंड को अपने हाथ में ले कर उस की मूठ लगाने लगी.
हम दोनो मियाँ बीवी चूँकि अपनी ज़ोर दार चुदाई की वजह से अब काफ़ी थक चुके थे.
इसीलिए कुछ देर यूँ ही आपस में मस्तियाँ करते हुए हम दोनो एक साथ ही नींद की वादी में चले गये.
रात भर की चुदाई की वजह से थके हुए हम दोनो एक दूसरे की बाहों में जकडे काफ़ी देर तक सोते रहे.
दूसरी सुबह में विनोद से पहले नींद से जाग गई और आँख खुलते ही मेरी नज़र विनोद के लंड पर पड़ी.
जो रात भर मेरी चुदाई के बाद विनोद की तरह उस की टाँगों के दरमियाँ थक हार कर सो रहा था.
“उफफफफफफफफफफफफ्फ़ देखू तो सही, मेरी मासूम गान्ड की सील तोड़ने के बाद केसे आराम से सो रहा है ये ज़ालिम लंड” विनोद के मोटे और लंबे लंड को उस की टाँगों के दरमियाँ झूलते देख कर मेरे जेहन में ख्याल आया.
विनोद के लंड का एक बार फिर भरपूर जायज़ा लेते हुए मुझे अंदाज़ा हुआ. कि उस के लंड पर लगने वाला मेरी चूत और गान्ड का पानी अब सूख कर खुशक हालत में विनोद के लंड पर जम चुका था.
पूरी रात की ज़ोर दार चुदाई की वजह से मेरा पूरे जिस्म अंग अंग दर्द कर रहा था.और मेरी चूत और ख़ास तौर पर मेरी गान्ड का तो और भी बुरा हाल था.
मगर इस के बावजूद अपने हिंदू आशिक़ के मोटे लंड पर अपनी पाकीज़ा मुस्लिम चूत और गान्ड के पानी को यूं चमकता देख कर मेरी चूत को विनोद के लंड की प्यास के आगे कुछ नही सूझ रहा था.
रात भर अपने यार से अपनी चुदाई करवाने के बावजूद मेरे गरम जिस्म और प्यासी चूत को विनोद के मोटे लंड की तलब हो रही थी.
इसलि लिए में एक दम नीचे को झुकी और विनोद के मोटे लंड को अपने मुँह में भर कर अपने नये आशिक़ के लंड पर सूखे हुए अपनी चूत और गान्ड के पानी को चूसना और चाटना शुरू कर दिया.
“ओह मेरी जान सायराआआआआआ” मेरे गरम मुँह को अपने लंड पर महसूस करते ही विनोद ने एक दम अपनी आँख खोली और मुझे मज़े से अपना लौडा चूस्ते देख कर सिसकार उठा.
मेरे मुँह की गर्मी को महसूस करते ही विनोद का ढीला और सोया हुआ लंड अपनी नींद से जाग कर जोश में आते हुए सख़्त होने लगा था.
“हाईईईईईईईईई में तो तुम्हारे इस गधे जेसे लंड का स्वाद अपनी चूत में ले कर पहले ही पागल हो गई थी, मगर कल रात की गान्ड चुदाई के बाद तो तुम्हारे इस मोटे अनकट लौडे ने मुझे अपनी दासी बना लिया है, अब में हर वक्त अपनी चूत और गान्ड को तुम्हारे लिए तैयार रखूं गी, और तुम मेरी दोनो सड़कों को चोद कर मुझे अपने लंड का स्वाद देना मेरे गुरु महराज”मैने अपने जानू विनोद के सख़्त होते लौडे का चुस्का लगाते हुए विनोद के लंड को जोश से अपने मुँह के अंदर बाहर करते हुए कहा.
“ओह तुम्हारी इतनी तंग, गरम गान्ड के कंवारे पन का पानी पीने के बाद मेरा ये लंड भी तुम्हारा गुलाम हो चुका है, और आज के बाद में भी इस लौडे को भी किसी और गान्ड में नही जाने दूँगा मेरी जान” अपने लंड के मोटे टोपे पर चलते मेरे नाज़ुक होंठों को फिरते हुए महसूस करते विनोद मज़े से सिसकते हुए बोला.
विनोद के मुँह से अपनी गान्ड की तारीफ सुन कर मुझे एक बार फिर जोश आया. और में विनोद के लंड को अपने मुँह में पूरा भरते हुए अपनी ही चूत और गान्ड के पानी को विनोद के लंड से चाट कर सॉफ करने में मशगूल हो गई.
अपने नये शौहर के लौडे को अपने होंठों और ज़ुबान से चाटते के बाद मैने विनोद के लंड को अपने मुँह से निकाला. और फिर विनोद के पेट और चौड़े जवान सीने पर अपनी ज़ुबान चलाती हुई आहिस्ता आहिस्ता उपर को बढ़ी तो नीचे से विनोद का सख़्त लौडा मेरी चूत से टच होने लगा.
मैने उपर होते हुए विनोद के मुँह में अपने मुँह डाला और बोली “मेरे पाकीज़ा जिस्म को तुम्हारे अनकट हिंदू लौडे की ज़रूरत है, मुझे अपने अनकट लंड की रखेल बना लो, मेरे पाकीज़ा मुस्लिम जिस्म को पी जाओ, अपने घोड़े जितने लौडे से मेरी चूत और गान्ड का भोसड़ा बना दो, मेरे हिंदू चुदक्कड राजा”
“हान्ंनननणणन् आज्ज्जज्ज्ज्ज्ज्ज से में तुम्हें अपने इस अनकट लौडे की कनीज़ बना कर रखूं गा मेरी सायरा बेगम” मेरी बात के जवाब में मेरे गोरे गोरे मोटे चूतड़ पर अपने सख़्त भारी हाथ फेरते और मेरे चूतड़ दबाते हुए विनोद बोला.
इस के साथ ही विनोद ने नीचे से अपने गान्ड को हल्का सा उपर उछाला तो उस का मोटा सख़्त लौडा एक बार फिर मेरी फुद्दि में दौड़ता हुए दाखिल हो गया.
“ओःह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मेरी जानंननननननणणन्” विनोद के लौडे को अपने अंदर लेते हुए मैने मज़े से अपने मुँह को विनोद के मुँह में डाल कर अपनी ज़ुबान को विनोद की ज़ुबान से लड़ाना शुरू कर दिया.
विनोद से एक बार फिर अपनी चूत मरवाते वक्त मेरा रोम रोम खुशी से झूम रहा था.
विनोद आहिस्ता आहिस्ता अपने लंड को मेरी चूत के अंदर बाहर करने लगा था.
मुझे चोदते वक्त विनोद जब अपना लंड बाहर निकालता तो मेरी चूत की पंखुड़ियाँ उस के लौडे के साथ चिपक कर बाहर की तरफ खिचने लगती थी.
जिस की वजह से मुझे ऐसा महसूस होता जेसे मेरी चूत उस का लंड छोड़ने को तैयार नही है.
मुझे छोड़ने के दौरान विनोद को ना जाने एक दम किया सूझी. कि मेरी चूत में लंड डाले डाले वो एक दम मुझे अपनी गोद में उठाए हुए बिस्तर से उठ कर कमरे के फर्श पर खड़ा हो गया.
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हम दोनो मियाँ बीवी चूँकि अपनी ज़ोर दार चुदाई की वजह से अब काफ़ी थक चुके थे.
इसीलिए कुछ देर यूँ ही आपस में मस्तियाँ करते हुए हम दोनो एक साथ ही नींद की वादी में चले गये.
रात भर की चुदाई की वजह से थके हुए हम दोनो एक दूसरे की बाहों में जकडे काफ़ी देर तक सोते रहे.
दूसरी सुबह में विनोद से पहले नींद से जाग गई और आँख खुलते ही मेरी नज़र विनोद के लंड पर पड़ी.
जो रात भर मेरी चुदाई के बाद विनोद की तरह उस की टाँगों के दरमियाँ थक हार कर सो रहा था.
“उफफफफफफफफफफफफ्फ़ देखू तो सही, मेरी मासूम गान्ड की सील तोड़ने के बाद केसे आराम से सो रहा है ये ज़ालिम लंड” विनोद के मोटे और लंबे लंड को उस की टाँगों के दरमियाँ झूलते देख कर मेरे जेहन में ख्याल आया.
विनोद के लंड का एक बार फिर भरपूर जायज़ा लेते हुए मुझे अंदाज़ा हुआ. कि उस के लंड पर लगने वाला मेरी चूत और गान्ड का पानी अब सूख कर खुशक हालत में विनोद के लंड पर जम चुका था.
पूरी रात की ज़ोर दार चुदाई की वजह से मेरा पूरे जिस्म अंग अंग दर्द कर रहा था.और मेरी चूत और ख़ास तौर पर मेरी गान्ड का तो और भी बुरा हाल था.
मगर इस के बावजूद अपने हिंदू आशिक़ के मोटे लंड पर अपनी पाकीज़ा मुस्लिम चूत और गान्ड के पानी को यूं चमकता देख कर मेरी चूत को विनोद के लंड की प्यास के आगे कुछ नही सूझ रहा था.
रात भर अपने यार से अपनी चुदाई करवाने के बावजूद मेरे गरम जिस्म और प्यासी चूत को विनोद के मोटे लंड की तलब हो रही थी.
इसलि लिए में एक दम नीचे को झुकी और विनोद के मोटे लंड को अपने मुँह में भर कर अपने नये आशिक़ के लंड पर सूखे हुए अपनी चूत और गान्ड के पानी को चूसना और चाटना शुरू कर दिया.
“ओह मेरी जान सायराआआआआआ” मेरे गरम मुँह को अपने लंड पर महसूस करते ही विनोद ने एक दम अपनी आँख खोली और मुझे मज़े से अपना लौडा चूस्ते देख कर सिसकार उठा.
मेरे मुँह की गर्मी को महसूस करते ही विनोद का ढीला और सोया हुआ लंड अपनी नींद से जाग कर जोश में आते हुए सख़्त होने लगा था.
“हाईईईईईईईईई में तो तुम्हारे इस गधे जेसे लंड का स्वाद अपनी चूत में ले कर पहले ही पागल हो गई थी, मगर कल रात की गान्ड चुदाई के बाद तो तुम्हारे इस मोटे अनकट लौडे ने मुझे अपनी दासी बना लिया है, अब में हर वक्त अपनी चूत और गान्ड को तुम्हारे लिए तैयार रखूं गी, और तुम मेरी दोनो सड़कों को चोद कर मुझे अपने लंड का स्वाद देना मेरे गुरु महराज”मैने अपने जानू विनोद के सख़्त होते लौडे का चुस्का लगाते हुए विनोद के लंड को जोश से अपने मुँह के अंदर बाहर करते हुए कहा.
“ओह तुम्हारी इतनी तंग, गरम गान्ड के कंवारे पन का पानी पीने के बाद मेरा ये लंड भी तुम्हारा गुलाम हो चुका है, और आज के बाद में भी इस लौडे को भी किसी और गान्ड में नही जाने दूँगा मेरी जान” अपने लंड के मोटे टोपे पर चलते मेरे नाज़ुक होंठों को फिरते हुए महसूस करते विनोद मज़े से सिसकते हुए बोला.
विनोद के मुँह से अपनी गान्ड की तारीफ सुन कर मुझे एक बार फिर जोश आया. और में विनोद के लंड को अपने मुँह में पूरा भरते हुए अपनी ही चूत और गान्ड के पानी को विनोद के लंड से चाट कर सॉफ करने में मशगूल हो गई.
अपने नये शौहर के लौडे को अपने होंठों और ज़ुबान से चाटते के बाद मैने विनोद के लंड को अपने मुँह से निकाला. और फिर विनोद के पेट और चौड़े जवान सीने पर अपनी ज़ुबान चलाती हुई आहिस्ता आहिस्ता उपर को बढ़ी तो नीचे से विनोद का सख़्त लौडा मेरी चूत से टच होने लगा.
मैने उपर होते हुए विनोद के मुँह में अपने मुँह डाला और बोली “मेरे पाकीज़ा जिस्म को तुम्हारे अनकट हिंदू लौडे की ज़रूरत है, मुझे अपने अनकट लंड की रखेल बना लो, मेरे पाकीज़ा मुस्लिम जिस्म को पी जाओ, अपने घोड़े जितने लौडे से मेरी चूत और गान्ड का भोसड़ा बना दो, मेरे हिंदू चुदक्कड राजा”
“हान्ंनननणणन् आज्ज्जज्ज्ज्ज्ज्ज से में तुम्हें अपने इस अनकट लौडे की कनीज़ बना कर रखूं गा मेरी सायरा बेगम” मेरी बात के जवाब में मेरे गोरे गोरे मोटे चूतड़ पर अपने सख़्त भारी हाथ फेरते और मेरे चूतड़ दबाते हुए विनोद बोला.
इस के साथ ही विनोद ने नीचे से अपने गान्ड को हल्का सा उपर उछाला तो उस का मोटा सख़्त लौडा एक बार फिर मेरी फुद्दि में दौड़ता हुए दाखिल हो गया.
“ओःह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मेरी जानंननननननणणन्” विनोद के लौडे को अपने अंदर लेते हुए मैने मज़े से अपने मुँह को विनोद के मुँह में डाल कर अपनी ज़ुबान को विनोद की ज़ुबान से लड़ाना शुरू कर दिया.
विनोद से एक बार फिर अपनी चूत मरवाते वक्त मेरा रोम रोम खुशी से झूम रहा था.
विनोद आहिस्ता आहिस्ता अपने लंड को मेरी चूत के अंदर बाहर करने लगा था.
मुझे चोदते वक्त विनोद जब अपना लंड बाहर निकालता तो मेरी चूत की पंखुड़ियाँ उस के लौडे के साथ चिपक कर बाहर की तरफ खिचने लगती थी.
जिस की वजह से मुझे ऐसा महसूस होता जेसे मेरी चूत उस का लंड छोड़ने को तैयार नही है.
मुझे छोड़ने के दौरान विनोद को ना जाने एक दम किया सूझी. कि मेरी चूत में लंड डाले डाले वो एक दम मुझे अपनी गोद में उठाए हुए बिस्तर से उठ कर कमरे के फर्श पर खड़ा हो गया.
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