hotaks444
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उसने धीरे से अपने कमरे का दरवाज़ा खोला और बाथरूम के तरफ देखा। घर पर 2 बाथरूम था। एक उसके रूम में और एक कॉमन। कॉमन बाथरूम तो खुला था, उसने जाना की पापा अभी तक नहाने नहीं गए है।
उसने दाबे पाँव हॉल में झाँका। और जो उसने देखा उसकी आँखें खुली रह गयी।
पापा सोफे पर बैठे हुए थे। उनका शॉर्ट्स पैरों के बीच पड़ा हुआ था। वह पुरे नंगे थे , और उनका पूरा शरीर लाइट के नीचे तेल के कारण चमक रहा था।
और फिर निशा ने अपने पापा के हाथों में पापा का लंड देखा लंड देखते ही वह उसे घूरते रह गयी। इतना मोटा लंड उसने कभी नहीं देखा था। और पुरे लंड पर तेल लगा हुआ था। तेल से वह लंड और भी मुश्टण्डा लग रहा था, किसी गरम लोहे की तरह।
लंड का उपरी भाग पूरा लाल हो गया था और एप्पल की तरह फुला हुआ था। लंड की चमड़ी पूरी नीचे सरक गयी थी। लंड पर बहुत सारा तेल लगा हुआ था। और पापा लंड को धीरे धीरे मल रहे थे।
निशा ने बहुत बार ब्लू फिल्म देखी थी लेकिन उसके मुह में पापा के लंड को देखकर एक अजीब सा नशा चढ गया।
तेल लंड से निकलकर उनके टट्टो (बॉल्स) को भी नहला रही थी। निशा ने देखा की पापा के बॉल्स भी बहुत बड़े है। वह लटके हुये थे।
पापा कुछ बड़बड़ा रहे थे पर वह सुन नहीं पायी।
अचानक पापा का हाथ तेज़ चलना शुरू हुआ। हॉल से "पच पच फच" की आवाज़ आ रही थी। निशा समझी की लंड और तेल की रगड का नतीजा है।
और तभी पापा जोर जोर से लंड हिलाने लगे और कुछ गुर्राती रहे। और फिर उसके पापा जोर से चिल्लाये।
पापा: निशा आआआआआआ आएह… आह…
उसने पापा के लंड से सफ़ेद मलाई की छिंटें उडती देखि और फिर ढेर सारा सफ़ेद पानी, पापा के हाथों से लगकर सीधें फर्श पर गिर रहा था।
निशा दंग रह गयी। वह तुरंत भागकर अपने रूम में घुस गयी और रूम का दरवाज़ा ज़ोर से बंद कर दिया। दरवाज़े ने ज़ोर का आवाज़ बनाया।
निशा को अपनी गलती का अंदर आते ही एहसास हुआ।
वहाँ जगदीश राय अपने हाथों में लंड लेके वीर्य की आखरी बूंद निकालने का प्रयत्न कर रहा था।
अचानक हुई दरवाज़े की आवाज़ से वह चौक पडा। उसे लगा शायद आशा और सशा आ गई। वह झटके से उठ कर अपना पायजामा और शॉर्ट्स चढा लिया।
फिर उसने जाना की वह निशा का दरवाज़ा था।
जगदीश राय (मन ही मन): क्या निशा ने देख लिया मुझे। ओह गोड़, यह क्या हो गया। मुझे लगा की वह नहाने गयी होगी। वह क्या सोचेगी अब मेरे बारे में।
जगदीश राय वहां से जल्दी से सीडी चढ़कर कॉमन बाथरूम में घूस गया, शायद यह सोचकर कर की पानी से अपना सोच को साफ़ करे।
अपने कमरे में निशा , हॉल में देखे हुए सीन से बहुत गरम हो चुकी थी। उसने खुद को सम्भाला और बेड पर बेठकर ठन्डे दिमाग से सोचना शुरू किया।
निशा (मन में): "यह बात तो पक्का हुआ की पापा मुझे सोचकर मुठ मार रहे थे, नाम तो मेरा ही लिया था। पर क्यु। क्या मैं इतनी खूबसूरत हूँ।
या फिर पापा माँ को मिस कर रहे है। हा, शायद यही बात है। पापा माँ को मिस कर रहे है। एक आदमी कब तक औरत के बिना रह सकता है। और पापा ने हमारे लिए दूसरी शादी भी नहीं कि, हम तीन लड़कियों के लिये।
मेरी पेंटी और गिली चूत देखकर शायद वह आज अपने आप को कण्ट्रोल नहीं कर पाये होंगे। बेचारे।
पापा है तो बड़े भोले। कभी दूसरी औरत के ऊपर मुह उठाकर भी नहीं देखते। और अगर वह किसी दूसरी औरत के पास गए तो कितनी बदनामी होगी हमारी।
मुझे आज के वाक्यात का बुरा नहीं मानना चहिये। एक तरह से जो हुआ ठीक हुआ, खास कर बेचारे पापा के लिये। वह कहते है न आल फॉर द बेस। "
निशा के चेहरे पर मुसकान थी। वह ऐसा समझ रही थी की उसने अपने पापा की हेल्प की है।
वह अपने कमरे से, सर उठा कर, मुसकान लेकर बाहर आ गयी। वह अपने पापा को फेस करने के लिए तैयार थी।
पर जगदीश राय तो बाथरूम में था। बाथरूम में आकर वह गहरी सोच में पड़ गया। शावर चालु था और पानी सर और शरीर पर पडते ही सुकून आ रहा था।
वह समझ नहीं पा रहा था की कैसे निशा से आँख मिलाये। और निशा को कैसे ओर्गास्म आया उसे छुकर, एक 50 साल उम्र के इंसान को।
और तब उसे अपने दूसरी गलती का एहसास हुआ। उसका वीर्य(कम) वही फर्श पर पड़ा हुआ है।
उसने दाबे पाँव हॉल में झाँका। और जो उसने देखा उसकी आँखें खुली रह गयी।
पापा सोफे पर बैठे हुए थे। उनका शॉर्ट्स पैरों के बीच पड़ा हुआ था। वह पुरे नंगे थे , और उनका पूरा शरीर लाइट के नीचे तेल के कारण चमक रहा था।
और फिर निशा ने अपने पापा के हाथों में पापा का लंड देखा लंड देखते ही वह उसे घूरते रह गयी। इतना मोटा लंड उसने कभी नहीं देखा था। और पुरे लंड पर तेल लगा हुआ था। तेल से वह लंड और भी मुश्टण्डा लग रहा था, किसी गरम लोहे की तरह।
लंड का उपरी भाग पूरा लाल हो गया था और एप्पल की तरह फुला हुआ था। लंड की चमड़ी पूरी नीचे सरक गयी थी। लंड पर बहुत सारा तेल लगा हुआ था। और पापा लंड को धीरे धीरे मल रहे थे।
निशा ने बहुत बार ब्लू फिल्म देखी थी लेकिन उसके मुह में पापा के लंड को देखकर एक अजीब सा नशा चढ गया।
तेल लंड से निकलकर उनके टट्टो (बॉल्स) को भी नहला रही थी। निशा ने देखा की पापा के बॉल्स भी बहुत बड़े है। वह लटके हुये थे।
पापा कुछ बड़बड़ा रहे थे पर वह सुन नहीं पायी।
अचानक पापा का हाथ तेज़ चलना शुरू हुआ। हॉल से "पच पच फच" की आवाज़ आ रही थी। निशा समझी की लंड और तेल की रगड का नतीजा है।
और तभी पापा जोर जोर से लंड हिलाने लगे और कुछ गुर्राती रहे। और फिर उसके पापा जोर से चिल्लाये।
पापा: निशा आआआआआआ आएह… आह…
उसने पापा के लंड से सफ़ेद मलाई की छिंटें उडती देखि और फिर ढेर सारा सफ़ेद पानी, पापा के हाथों से लगकर सीधें फर्श पर गिर रहा था।
निशा दंग रह गयी। वह तुरंत भागकर अपने रूम में घुस गयी और रूम का दरवाज़ा ज़ोर से बंद कर दिया। दरवाज़े ने ज़ोर का आवाज़ बनाया।
निशा को अपनी गलती का अंदर आते ही एहसास हुआ।
वहाँ जगदीश राय अपने हाथों में लंड लेके वीर्य की आखरी बूंद निकालने का प्रयत्न कर रहा था।
अचानक हुई दरवाज़े की आवाज़ से वह चौक पडा। उसे लगा शायद आशा और सशा आ गई। वह झटके से उठ कर अपना पायजामा और शॉर्ट्स चढा लिया।
फिर उसने जाना की वह निशा का दरवाज़ा था।
जगदीश राय (मन ही मन): क्या निशा ने देख लिया मुझे। ओह गोड़, यह क्या हो गया। मुझे लगा की वह नहाने गयी होगी। वह क्या सोचेगी अब मेरे बारे में।
जगदीश राय वहां से जल्दी से सीडी चढ़कर कॉमन बाथरूम में घूस गया, शायद यह सोचकर कर की पानी से अपना सोच को साफ़ करे।
अपने कमरे में निशा , हॉल में देखे हुए सीन से बहुत गरम हो चुकी थी। उसने खुद को सम्भाला और बेड पर बेठकर ठन्डे दिमाग से सोचना शुरू किया।
निशा (मन में): "यह बात तो पक्का हुआ की पापा मुझे सोचकर मुठ मार रहे थे, नाम तो मेरा ही लिया था। पर क्यु। क्या मैं इतनी खूबसूरत हूँ।
या फिर पापा माँ को मिस कर रहे है। हा, शायद यही बात है। पापा माँ को मिस कर रहे है। एक आदमी कब तक औरत के बिना रह सकता है। और पापा ने हमारे लिए दूसरी शादी भी नहीं कि, हम तीन लड़कियों के लिये।
मेरी पेंटी और गिली चूत देखकर शायद वह आज अपने आप को कण्ट्रोल नहीं कर पाये होंगे। बेचारे।
पापा है तो बड़े भोले। कभी दूसरी औरत के ऊपर मुह उठाकर भी नहीं देखते। और अगर वह किसी दूसरी औरत के पास गए तो कितनी बदनामी होगी हमारी।
मुझे आज के वाक्यात का बुरा नहीं मानना चहिये। एक तरह से जो हुआ ठीक हुआ, खास कर बेचारे पापा के लिये। वह कहते है न आल फॉर द बेस। "
निशा के चेहरे पर मुसकान थी। वह ऐसा समझ रही थी की उसने अपने पापा की हेल्प की है।
वह अपने कमरे से, सर उठा कर, मुसकान लेकर बाहर आ गयी। वह अपने पापा को फेस करने के लिए तैयार थी।
पर जगदीश राय तो बाथरूम में था। बाथरूम में आकर वह गहरी सोच में पड़ गया। शावर चालु था और पानी सर और शरीर पर पडते ही सुकून आ रहा था।
वह समझ नहीं पा रहा था की कैसे निशा से आँख मिलाये। और निशा को कैसे ओर्गास्म आया उसे छुकर, एक 50 साल उम्र के इंसान को।
और तब उसे अपने दूसरी गलती का एहसास हुआ। उसका वीर्य(कम) वही फर्श पर पड़ा हुआ है।