Hindi Sex Stories तीन बेटियाँ - Page 15 - SexBaba
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Hindi Sex Stories तीन बेटियाँ

निशा ने भी कुछ नही कहा...वैसे भी उसे एक्साइट करने के लिए सही ढंग से चूत की चुसाई करना बहुत ज़रूरी था ...और ये काम आशा से अच्छी तरह कोई और कर ही नही सकता था...


जगदीश राय निशा की टाँगो के बीच से उठकर उपर बेड की तरफ चला गया...और आशा उसकी जगह पर आकर बैठ गयी...उसने निशा की दोनो टाँगो को दोनो दिशाओं में फेलाया और अपनी जीभ निकाल कर उसकी नोक से ढेर सारा शहद समेटा और दोनो हाथों की उंगलियों से निशा की चूत की फांके फेला कर नीचे से उपर की तरफ ले जाते हुए उसकी चूत का को चाटना शुरू कर दिया...एक लंबी आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह के साथ निशा ने अपनी बगल में बैठे अपने पापा के लंड को बुरी तरह से पकड़ा और ज़ोर से मसल डाला...


निशा:''आआआआआआआआआआआआआआआआआहह ओह...... आशाआआआआआअ......''


आशा की जीभ ने वो ठंडा -2 शहद उसकी खुली हुई चूत के अंदर धकेलना शुरू कर दिया था...

ये शहद वाली ट्रिक उसने कई दिनो से सोच के रखी हुई थी किसी लड़की के लिए...लेकिन उसे करने का मौका ऐसे आएगा ये उसने सपने में भी नही सोचा था...वो भी अपनी सगी बहन के साथ।

जगदीश राय भी अपने घुटनो के बल बैठकर अपने लंड को उसके मुँह के करीब ले आया...और निशा उसे किसी गली की कुतिया की तरह चाटने लगी...अपनी जीभ से लपलपा कर उसने जगदीश राय के लंड को अपने ही शहद से तर-बतर कर दिया...ठीक उसी तरह जिस तरह से उसकी चूत को आशा ने कर दिया था इस वक़्त..

आशा तो बड़े ही चाव से उसकी चूत के हर भाग को शहद में लपेट कर चाट रही थी....चूत से निकलता खट्टापन अब शहद में मिलकर कुछ अलग ही स्वाद दे रहा था...जो आशा को काफ़ी पसंद आया...और उसे पता था की पापा को भी ये स्वाद पसंद आएगा...

कुछ देर बाद वो अपने रस से भीगे होंठ वहां से उठा कर बोली : "आओ पापा....अब ट्राइ करो...''

जगदीश राय ने एक लंबी छलाँग लगाई
और बेड से नीचे उतर आया...आशा के हटते ही उसने मोर्चा संभाल लिया और जब उसकी जीभ निशा की चूत से टकराई तो वहां के बदले स्वाद को महसूस करते ही वो पागल सा हो गया...और पहले से कही ज़्यादा तेज़ी से उसकी चूत को अपने मुँह से चोदने लगा...इधर आशा निचे बैठकर अपने पापा का लंड अपने मुँह में भरकर चूसने लगी।

जगदीश राय: आह बेटी,आह आराम से चूसो।
 
इधर निशा को इतना मज़ा आ रहा था की वह गांड उठाकर अपनी चूत अपने पापा के मुँह पर धकेल रही थी। करीब दस मिनट तक अच्छी तरह से चूसवाने के बाद निशा को एहसास हो गया की चूत की ऐसी चुसाई से बड़ा मजा इस दुनिया में और कोई नहीं है।


और इधर जगदीश राय को भी अहसास हो गया की अब निशा की चूत अंदर और बाहर से पूरी तरह गीली है...यही सही मौका है....उसके चूत में अपना मोटा लंड पेलने का।

इधर आशा ने जगदीश राय के लंड को चूस चूसकर रॉड बना दिया था।
वो उठा और अपने लंड को उसने निशा की गर्म चूत पर टीका दिया..

ये वो मौका था जब निशा और आशा अपनी साँसे रोके एक साथ उस पॉइंट को देख रही थी...जहाँ पर जगदीश राय के लंबे लंड और निशा की गीली चूत का मिलन हो रहा था.

जयसिंह ने धीरे-2 करके अपने लंड को निशा की चूत के अंदर पेलना शुरू किया...

निशा : "उम्म्म्म.....पापा.....आह धीरे धीरे....पेलो।

निशा कई बार चुद चुकी थी अपने पापा से पर आज वो ऐसे रियेक्ट कर रही थी मानो उसकी पहली चुदाई हो।

जगदीश राय : "नही मेरी जान.....इतनी देर तक जो तेरी चूत को तैयार किया है, वो इसलिए ही ना की दर्द ना हो....अब सिर्फ़ मज़ा ही मज़ा मिलेगा...दर्द नही...''

और जैसे-2 उसका लंड निशा के अंदर जाता जा रहा था, उसके चेहरे के एक्शप्रेशन बदलते जा रहे थे...

और धीरे-2 करते हुए जगदीश राय ने अपना आधे से ज़्यादा लंड उसकी चूत में पेल दिया....अब तक निशा को थोडा थोडा दर्द होने लगा था..पर वो अपने मुँह पर हाथ रखकर अपनी दर्द को बाहर नही निकलने दे रही थी...

जगदीश राय ने उसके दोनो हाथो को बेड पर टीकाया और धीरे से उसके उपर झुकते हुए बोला : "बस बेटी....थोड़ा सा और....'''

वो कुछ बोल पाती, इससे पहले ही जगदीश राय ने अपना पूरा का पूरा भार उसके उपर एक झटके मे डाल दिया ....और उसका खंबे जैसा लंड निशा की चूत को किसी ककड़ी की तरह चीरता हुआ अंदर तक घुसता चला गया...
 
निशा: ''आआआआआआआआआआआआहह ऊऊऊऊऊऊओह मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्रर्र्र्ररर गईईईईईईईईईईईईईईsssssssss ..... आआआआआआआआआहहsssssssssss पापाsssssssss..................................''

आशा भागकर उसके करीब गई और बेड पर चढकर वो निशा के चेहरे को चूमने लगी ।

वो तो ऐसे दिलासा दे रही थी उसे जैसे वो बरसो से चुदती आई है, आशा अपने होंठ उसके होंठो पर रखकर उसे बुरी तरह से चूसने भी लगी.

आशा की किस का जवाब भी देना शुरू कर दिया था निशा ने....दोनो एक दूसरे के होंठों को किसी भूखी बिल्लियों की तरह से चूस रही थी...और आशा ने जब देखा की निशा का दर्द अब गायब हो चुका है तो वो बेमन से वापिस अपनी जगह पर जाकर बैठ गयी..

निशा ने जाते हुए उसे थेंक्स भी कहा...और फिर अपने पापा के साथ वो एक बार फिर से मस्ती के खेल में शामिल हो गयी.

अब तो वो अपनी टांगे दोनो दिशाओ में फेलाकर पूरे जोश से अपने पाप के लंबे लंड को अंदर तक ले रही थी...और सिसकारियाँ मारकर उसे और ज़ोर से चोदने के लिए उकसा भी रही थी...

निशा:''आआआआआआआआहह पापा........ मेरी जानssssssssss ....... और तेज़ी से करो.................. उम्म्म्ममममममममममम...... आहह पापा.............. मजा आ रहा है ....................... उम्म्म्ममममममममम..... इसी मज़े के लिए कब से तरस रही थी..... आआआआआआआआहह ........ ऐसे ही................... हमेशा मेरे अंदर ही रहना ...................... दिन रात...................चोदो मुझे ..................मेरे प्यारे पापा............................ सिर्फ़ मेरे पापा.................''


दूर बैठी छोटी बहन आशा बुदबुदा उठी ..'तेरे ही क्यो....मेरे भी तो पापा है...

वो अपनी चूत को खोलकर मसल रही थी ..... और साथ ही साथ बाहर की तरफ निकले हुए क्लिट के दाने को भी रगड़कर अपनी गर्मी शांत करने की कोशिश कर रही थी।


लेकिन जगदीश राय और निशा में से किसी का भी ध्यान उसकी तरफ नहीं था, वो दोनों तो बुरी तरह से एक दूसरे को चोदने में लगे हुए थे

जगदीश राय भी अपनी पागल सी हुई जा रही बेटी को इस तरह से चोदकर बावला हुए जा रहा था, और वो इस मौके का भरपूर फायदा उठा रहा था....

आख़िरकार ज़ोर-2 से चिलाते हुए निशा झड़ गयी ...


निशा: ''आआआआआआआआहह ओह माय गॉड ................ पापा ..................... आई एम कमिंग ..................''



जगदीश राय भी चिल्लाया : "मैं भी आआआआआआय्य्ाआआआआ... मेरी ज़ाआाआआनन्न....''


निशा : "अंदर ही निकालो .............पापा............. आज मेरे...................... अंदर ही निकााआआाआल्लो.....''
 
लेकिन यहाँ ना तो कंडोम लगाने का टाइम था और ना ही जगदीश राय ने कुछ समझदारी दिखाई....और उपर से निशा खुद ये बात बोल रही थी की उसके रस को अंदर ही निकाले....क्या वो प्रेगञेन्ट होना चाहती है....ये बात आशा को परेशान कर रही थी.


निशा ने भी ऐसा कुछ नही सोचा था....लेकिन इस मौके पर आकर वो एक बार अपने अंदर तक अपने पापा के प्यार को महसूस करना चाहती थी...इसलिए उसने एक सेकेंड में ही ये सोच लिया की आज जो हो रहा है, होने दो...बाद में टेबलेट ले लेगी...


जगदीश राय ने भी एक सांड की तरह हुंकारते हुए अपने लंड का सारा पानी अपनी प्यारी बेटी की चूत के अंदर निकाल दिया....



''आआआआआआआआआआअहह मेरी ज़ाआाआआआअन्न् ......ये ले......................''

जगदीश राय ने अपनी प्यारी बेटी के लिए सहेज के रखा हुआ प्रेम रस पूरी तरह से उसकी प्यासी चूत
मे उडेल दिया , अपनी बाल्स को पूरी तरह से खाली कर दिया उसने..
निशा की चूत ने भी जगदीश राय के लंड को किसी वेक्यूम क्लीनर की तरह चूस डाला और पूरी तरह से तृप्त होकर पस्त हो गयी.



और फिर गहरी साँसे लेता हुआ उसके मुम्मों पर सिर रखकर लेट गया...उसका लंड अपने आप फिसलकर बाहर निकल आया...और पीछे से निकला दोनो के प्यार का मिला जुला पानी में लिपटा सफ़ेद जूस...


आशा ने जो आज देखा था उसे सोचकर उसका पूरा शरीर गर्म सा हो रहा था....वो भी कुछ देर में इसी लंड से गांड मरवाएगी ...और उसका भी ऐसे ही पानी निकलेगा...वो भी मज़े लेगी...वो भी चिल्लाएगी....ये सब सोचते-सोचते वो मुस्कुरा दी।
 
जगदीश राय और निशा दोनो ने नोट ही नही किया की उनके पीछे खड़ी आशा उनके इस मिलन को देखकर कैसे अपने बूब्स और चूत को रगड़ रही है...

उसे पता था की अभी तक उसका नंबर नही आया है,इसलिए वो इस तरह से दूर खड़ी होकर अभी के लिए तो बस यही कर सकती थी...पर वो ऐसी थी नही...वो जानती थी की आजकल की दुनिया में ऐसे दूर रहकर कुछ नही मिलने वाला...बड़े लोग हमेशा छोटो को दबाते है..उनके हक को खुद छीनकर ले जाते है...भले ही अभी के लिए इन दोनों बहनों में ऐसी कोई भी भावना नही थी पर इस तरह दूर खड़े होकर वो निश्चिन्त तौर पर कुछ खो ही रही थी...या ये कह लो की उसकी बहन सारे मज़े खुद लेकर उसे ऐसे मज़े से वंचित रख रही थी..

और कुछ पाने के लिए वो उन दोनो के करीब आ गयी...

वो भी तो नंगी ही थी...इसने अपना वो नंगा बदन अपने पापा से ले जाकर चिपका दिया...

क्योंकि वो जानती थी की जो भी उसके साथ होगा वो पापा के लंड द्वारा ही होगा...

इधर जगदीश राय और निशा अब दूसरे राउंड के लिए पूरी तरह तैयार थे,जगदीश राय और निशा दोबारा एक दूसरे के होठों को चबाने में मशगूल हो गए,पर जगदीश राय को जब आशा के गर्म बदन का एहसास हुआ तो उसने अपनी किस्स तोड़ी और आशा की तरफ देखा...निशा भी उसे देखकर समझ चुकी थी की उसकी बदन में भी अब कुलबुलाहट शुरू हो चुकी है....दोनो ने मुस्कुराते हुए आशा को भी अपनी बाहों मे जगह देकर उसे अंदर घुसा लिया....और फिर एक साथ तीनो ने अपने-2 मुँह आगे कर दिए और तीन तरफ़ा स्मूच शुरू हो गयी....

दोनो बिल्लियों की तरह जगदीश राय के होंठों को ही चूसने का प्रयास कर रही थी...जगदीश राय भी कभी एक को तो कभी दूसरी को फ्रेंच किस कर रहा था...ऐसे अलग-2 नर्म होंठों को चूसने में उसे बहुत मज़ा आ रहा था...ऐसा ही कुछ वो उनकी चुतों के साथ भी करना चाहता था.

जगदीश राय ने तुरंत वो सामूहिक किस्स तोड़ी और अपनी गोद मे बैठी निशा को नीचे उतार दिया...वो तो उसपर से उतरने को ही राज़ी नही हो रही थी...पर जब जगदीश राय ने उसकी गर्म चूत में उंगली डाली तब जाकर वो नीचे उतरी...

उन दोनो को जगदीश राय ने धक्का देकर बेड पर लिटा दिया, जगदीश राय अपने होठों पर जीभ फिर रहा था, दोनो बहने उसे ऐसा करते हुए देख रही थी और अपनी चूत में उंगली और मुम्मो पर पंजा लाकर उसके आगे बढ़ने का इंतजार कर रही थी...

जगदीश राय के लण्ड को देखकर दोनो की चूत में से नींबू पानी निकल रहा था..

जगदीश राय ने दोनो की बहती हुई चूत देखी और वो उनके पैरों के पास आकर बैठ गया...अब तक दोनो समझ चुकी थी की उनके साथ क्या होने वाला है...दोनो ने एक दूसरे का हाथ जोरों से पकड़ लिया...

जगदीश राय ने दोबारा सबसे पहले निशा की चूत में अपना मुँह डाला...वहाँ से इतना गीलापन निकल रहा था की उसे एक पल के लिए ऐसा लगा की वो लिम्का पी रहा है...एकदम शहद में लिपटा खट्टा-मीठा सा स्वाद था उसकी चूत के रस का...



कुछ देर तक उसे चूसने के बाद वो आशा की तरफ पलटा...और अपनी जीभ लगाकर उसका स्वाद चखा...वो थोड़ा मीठा था...उसने अपने होंठों और दाँतों से उसकी चूत पर हमला कर दिया...
 
वो तड़प उठी...और तड़पकर उसने पास लेटी निशा को पकड़कर अपने उपर खींच लिया...और उसके मम्मों को जोरों से चूसने लगी...

''आआआआआआआआआहह माय बैबी...''


निशा को अपनी छोटी बहन अपनी बच्ची जैसी लग रही थी...जो अभी पैदा हुई थी...वो उसे माँ बनकर अपना दूध पिलाने लगी...नीचे से जगदीश राय उसकी चूत चूस रहा था और उपर से वो निशा के मम्मे चूसकर अपना सारा मज़ा आगे ट्रान्स्फर कर रही थी...

कुछ देर बाद जगदीश राय फिर से निशा की चूत पर आ लगा...और ऐसा उसने करीब 3-4 बार किया....कभी आशा तो कभी निशा की चूत चाटता...

अब निशा भी उठकर आ गई और अपने पापा के साथ साथ आशा की चूत चाटने लगी।जल्दी ही आशा की चूत ने जवाब दे दिया।आशा काफ़ी देर से बिलख रही थी...और आख़िरकार उसकी चूत ने पानी छोड़ ही दिया...

वो भरभराकर झड़ने लगी....जगदीश राय और निशा ने मिलकर उसकी चूत का पानी पी डाला..

अब जगदीश राय की बारी थी...निशा ने उन्हें बेड पर लिटा कर पीछे पिल्लो लगा दिया और खुद उनकी टाँगो के बीच पहुँच गयी...दूसरी तरफ से आशा भी आ गयी...फिर दोनो ने मुस्कुराते हुए एक दूसरे को देखा और मिलकर जगदीश राय के लंड पर टूट पड़ी...जगदीश राय का लंड जिसमे अभी भी निशा की चूत का पानी और वीर्य लगा हुवा था।लेकिन दोनों बहनें रंडियों की तरह अपने पापा का लंड चूसने चाटने लगी।

जगदीश राय ने तो बेड की चादर को ज़ोर से पकड़ लिया जब उसपर ये हमला हुआ तो...निशा ने उसके लण्ड को निगल लिया था और आशा ने उसकी गोटियों को....

ऐसा लग रहा था जैसे भूखे इंसानों को 1 महीने बाद कुछ खाने को मिला है...

जगदीश राय के लंड को चूस चूस करके दोनों खाने लगी...उनकी गर्म जीभे , तेज दाँत और नर्म होंठों के मिश्रण से उसे बहुत गुदगुदी भी हो रही थी...पर उससे ज़्यादा मज़ा भी बहुत आ रहा था...



जगदीश राय ने हाथ आगे करके दोनों के मुम्मे सहलाने शुरू कर दिए...दोनो के निप्पल एकदम कड़क हो चुके थे...उन्हे मसलने में उसे बहुत मज़ा आ रहा था...जगदीश राय दोनों के निप्पलों को दोनों हाथों से नोंच रहा था।

दोनों जगदीश राय के लंड को बुरी तरह से चूस रहे थे, एक गोटियां चूस रही थी तो दूसरी लंड.

दोनों बहने नंगी जगदीश राय के सामने थी..जगदीश राय के मुँह में पानी आ गया उन गोरी-2 छातियों को देखकर ।


और उसने आशा को अपनी तरफ खींचकर अपने होंठ लगा दिए उसके मुम्मों पर और जोरों से चूसने लगा..

आशा ने जगदीश राय के सिर को पकड़कर और ज़ोर से अपनी छाती में घुसा लिया और चिल्लाई : "ओह पापा........ ज़ोर से सक्क्क करो..... बहुत परेशान करते है ये.... दबाओ इन्हे..... चूसो.... काट लो दांतो से..... अहह ...ओह पापा ...... सस्सस्स ..''

जगदीश राय ने उसके बूब्स पर दांतो से काटना शुरू कर दिए...

कुछ देर तक अपनी ब्रेस्ट चुसवाने के बाद वो बड़े ही प्यार से बोली : "पापा..... मुझे भी चूसना है...''
जगदीश राय मुस्कुरा दिया उसके भोलेपन को देखकर...

कितनी मासूमियत से वो खुद ही उसके लंड को चूसने के लिए बोल रही थी...

इससे उसके उतावलेपन का सॉफ पता चल रहा था...

जगदीश राय जानता था की वो ज़्यादा देर तक तो इस खेल को बड़ा नही पाएगा,क्योंकि 5 दिन से वो झड़ा नहीं था। पर जितने मज़े वो ले सकता है उतने वो ले लेना चाहता था.

जगदीश राय ने हामी भर दी..
 
दोनों बहनें पूरी रंडी बनकर अपने पापा के लंड को खा जाने में जुटी थी,दोनों बहनों ने अपनी जीभ का वो कमाल दिखाया की जगदीश राय का लण्ड फटने को तैयार हो गया।दोनों बहनो ने दोनों तरफ से मुँह खोलकर लंड को चूसना और चाटना शुरू किया तो जगदीश राय को लगा की सारा पानी दोनों के मुँह पर ही छोड़ देगा।

कुछ ही देर में उनकी मेहनत रंग लाने लगी, जगदीश राय के लण्ड में ने फुफकारना शुरू कर चुका था और कुछ ही मिनट में अब वो रॉड की तरह खड़ा था।

अब जगदीश राय ने निशा को ऊपर मुँह करके सीधा लेटाया और उसके ऊपर आशा को उल्टा लिटा दिया।अब दोनों की चूचियाँ एक दूसरे से दब गई।और दोनों एक दूसरे को चूसने लगी।

ऊपर से जगदीश राय ने आशा की गांड पर थूक दिया और एक ही झटके में अपने पूरे लंड को उसकी गाण्ड में उतार दिया।आशा की गांड फटती चली गई और लंड पूरा घुसता चला गया।अब जगदीश राय आशा की टाइट गांड में अपना मूसल लंड पेलने लगा।फिर उसने अपने लंड को आशा की गाँड से निकालकर निशा की चूत में पेल दिया।निशा की चूत पूरा पानी छोड़ रही थी।जिसमे लंड फच फच कर रहा था।

कुछ देर निशा की चूत में पेलने के बाद फिर जगदीश राय ने अपने लण्ड को निशा की चूत से निकालकर आशा की मस्तानी गांड में पेल दिया।अब तो लण्ड आशा की गांड में पूरा जड़ तक घुसा के पेल रहा था।
एक मिनट आशा की गांड में पेलता फिर एक मिनट निशा की चूत में पेलने लगता।

लेकिन इस बार निशा की चूत में पेलने के बाद जगदीश राय ने लंड को फिर से निशा की कसी हुई टाइट गांड में ही पेल दिया।निशा दर्द से सिसियाने लगी।जब थोड़ी देर हुई तो आशा बोली।

आशा:पापा क्या कर रहे हो।कितनी देर से निशा दीदी को ही चोद रहे हो।इधर मेरी गाण्ड में खुजली हो रही है।जल्दी पेलो पापा।फाड़ डालो मेरी गांड को।

जगदीश राय: क्या करू बेटी।तेरी दीदी के पास दो दो छेद है।तो दोनों में पेल रहा हूँ।तू तो एक ही छेद दे रही है।इसलिए तेरी दीदी में ज्यादा टाइम लग रहा है।

आशा :कोई बात नहीं पापा।इसका बदला मैं भी लेकर रहूंगी।

निशा:अरे आशा तुझे जितना मन करे।चुदा ले।
 
आशा की गाण्ड लंड के इस घर्सण से उत्तपन्न गर्मी से पिघली जा रही थी, इधर निशा ने भी आशा के होठो और मुंम्मो पर लगातार हमला जारी रखा हुआ था।


इस दो तरफा हमले को सह पाना आशा के लिए बड़ा मुश्किल हुआ जा रहा था, जगदीश राय पोजीशन बदल बदल कर आशा की गांड की धज्जियां उडाए जा रहा था, बीच बीच मे अब वो अपना लंड निकालकर निशा की चुत में भी घुसेड़ देता ।

फिर जगदीश राय ने दोनों बेटियों को एक दूसरे के ऊपर कुतिया बनाके चोदना शुरू किया।पहले आशा की गांड मारता।फिर निशा की चूत और गांड मारने लगता।फिर अपना लंड आशा की गांड में पेल देता।दोनों की गांड पर कभी कभी थप्पड़ भी मारने लगता।
तीनों छेदों को 1 मिनट का भी आराम नहीं था।



चौथा छेद आशा की चूत में कभी कभी ऊँगली पेल देता।दोनों बहने कुतिया बने बने कितनी बार झड़ चुकी थी।

तकरीबन 45 मिनट की घमासान धमाकेदार चुदाई के बाद जगदीश राय ने अपना लंड बाहर निकाला और दोनों बेटीयों को निचे बैठ दिया और अपना पानी दोनों बहनों के मुँह और मुंम्मो पर छोड़ दिया जिसे दोनों बहनों ने अमृत समझ चाट लिया, इस बीच वो दोनों भी न जाने कितनी बार अपना पानी छोड़ चुकी थी।

कुछ देर आराम करने के बाद फिर दोनों ने जगदीश राय के लंड को सहलाना शुरू कर दिया।जगदीश राय ने दोनों बहनों को अपना लंड चाटने का इशारा किया।
अब जब दोनों बहनों में जगदीश राय के लंड को चूसना शुरू किया तो दो दो गरम मुँह की गर्मी से जगदीश राय के लंड का बुरा हाल हो गया।इस बार जगदीश राय ने फर्श पर गद्दा डलवाया और पहले निशा को उल्टा लिटा दिया।और आशा को उसकी गांड और चूत को गिला करने को कहा।आशा ने जल्दी ही निशा की चूत और गांड को अपनी जीभ से चाट कर और थूक लगाकर गिला कर दिया फिर उसने अपने पापा के लंड को भी गिला कर दिया और बोली और फाड़ डालो पापा दीदी की चूत और गांड।

जगदीश राय ने अपने लंड को निशा की चूत पर रखा और एक ही धक्के में अपना 9 इंच का लंड अपनी बेटी निशा की चूत में जड़ तक पेल दिया।निशा चिल्लाने लगी। 
 
लेकिन जगदीश राय को कोई फर्क नहीं पड़ा।वह तो धक्के पे धक्के मार के पेल रहा था।जब लंड पूरा गिला हो गया तो उसने लंड निकालकर आशा को चूसने को बोला।आशा जल्दी जल्दी चूसने लगी।इस बार जगदीश राय ने अपने लंड को निशा की गांड के भूरे छेद पर लगाया तो निशा कांप उठी।लेकिन जगदीश राय ने जोर का धक्का मारा और उसका पूरा लंड निशा की गाण्ड को फैलाता हुवा घुस गया।।


निशा:आह मरर गईईईईई पपाआआआ।धीरे धीरे पेलो ना।
लेकिन जगदीश राय को कोई फर्क नहीं पड़ा वह निशा की गांड से लंड निकाल के आशा के मुँह को चोदने लगता।फिर मुँह से निकालकर निशा की चूत और गांड फाड़ने लगता।इस बार पूरी बेरहमी से उसने निशा की चूत और गांड मारी।आखिरी समय में तो निशा मज़े से चिल्लाने लगी और बुरी तरह से झड़ गई।जगदीश राय ने भी अपना पूरा वीर्य अपनी बेटी निशा की गाँड में भर दिया।

जगदीश राय ने अपना लंड निशा की गांड से निकल कर आशा के मुँह में पेल दिया।जिसे आशा ने चाट चाट कर चमका दिया।निशा पूरी तरह थक गई थी।उसने अपने पापा को किस किया और सोने चली गई।

जगदीश राय और आशा ने कुछ देर रेस्ट किया फिर आशा बोली:पापा आपने तो आज दीदी की बैंड बजा दिया।

जगदीश राय:आ अब तेरी बारी है।इस बार तुझे भी ऐसा चोदुँगा की 2-3 दिनों तक तेरी गाँड में खुजली नहीं होगी।थोडा मेरा लंड तो चूस दे ।फिर देख तेरा क्या हाल करता हूँ।

आशा घुटनों पर बैठके अपने पापा का लंड चूसने लगती है।जगदीश राय दोनों हाथों से उसके सर को पकड़कर अपना लंड आशा की मुँह में पेलने लगता है।
पांच मिनट तक आशा की मुँह चोदने के बाद जगदीश राय आशा को कुतिया बना देता है।फिर अपना गिला लण्ड आशा की टाइट गांड में जबरदस्ती पेल देता है।
 
जगदीश राय:देख साली रंडी।अब तुझे कैसे कुतिया की तरह दौड़ा दौड़ा के पेलता हूँ।दौड़ते हुए थोडा भी रुकी तो साली तेरी गांड पर कितने थप्पड़ पड़ेंगे तुझे पता भी नहीं होगा।बोल साली रंडी तू मेरी क्या है।

आशा:मैं आपकी रांड हूँ।आपकी पर्सनल रांड।
मुझे जैसे चाहो मुझे चोदो मेरे मालिक।

फिर जगदीश राय आशा के दोनों पैरों को ऊपर उठा देता है।और आशा की गांड में लंड पेलते हुए उसे आगे चलने को कहता है।आशा दोनों हाथो के बल आगे चलने लगती है।फिर तो जगदीश राय आशा को किसी गली की कुतिया की तरह घर के कोने कोने में दौड़ाकर उसकी गांड मारता है।आधे घंटे तक जगदीश राय आशा की गांड मारता है।तब तक आशा दो बार झड़ चुकी है।

फिर जगदीश राय आशा की गांड से लंड निकालकर उसके मुँह को चोदने लगता है।फिर आशा भी अपने ही गाण्ड से निकले लंड को चूस चूसकर उसका पूरा वीर्य पि जाती है।फिर दोनों साफ सफाई करके सोने चले जाते है।
 
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