Hindi Sex Stories तीन बेटियाँ - Page 14 - SexBaba
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Hindi Sex Stories तीन बेटियाँ

आशा ने जगदीश राय को साफ मना कर दिया था चूत चोदने के लिए।इसलिए वो आशा की गांड में थूक लगाकर धीरे धीरे ऊँगली पेलने लगे।
उनका कठोर लंड आशा की चूत पे टकरा रहा था….
जगदीश राय आशा की चुचिया मसलते हुए उसके होठो को चुम रहे थे…..

जगदीश राय का लंड आशा की गाँड में घुसने के लिए….. बेक़रार था ।
उन्होंने आशा की टाँगे फैला कर … 
अपना लंड आशा की गाँड में पेल दिया 
आशा के मुह से सिसकी निकल गयी ।वह सिसियाने लगी ।
हाआआयय्य्य्य्य्य उफ्फ्फ्फ्फ़ स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स 
जगदीश राय का पूरा लंड अंदर घुसने के बाद उन्होंने धक्के लगाने शुरू किये 
आशा पापा के हर धक्के को कमर उचका कर जवाब देने लगी ।
जगदीश राय: लगता है बेटी तुमको पहले जैसा दर्द नहीं हो रहा ।
आशा: नहीं पापा … अब दर्द नहीं हो रहा … बहोत मजा आ रहा है .... और तेज करिये ना …...
जगदीश राय ने अपनी स्पीड बढ़ा दी ….
कुछ देर धक्के मारने के बाद वो रुके .... 
उन्होंने आशा को उठाया ……

और खुद निचे लेटे … अब उनका वो फौलादी लंड कुतुबमीनार की तरह खड़ा था 
जगदीश राय: आओ.... बेटी .... बैठो अपनी सवारी पर……
आशा उनकी दोनों ओर पैर रख कर खड़ी हुयी ……
एक हाथ से पकड़कर उनका लंड अपनी गाँड पर अड्जस्ट करके धीरे धीरे निचे बैठने लगी …...
अब उनका वो मोटा लंड पूरी तरह से आशा की टाइट गांड में कैद हो गया था ….
आशा पापा का लंड अंदर लेते लेते थक गयी थी 
सो लंड पूरा अंदर जाने के बाद में बैठे बैठे हांपने लगी 
आशा को आराम से बैठा देख उसके पापा बोले 
आशा बेटी .... सिर्फ बैठना नहीं है… जरा ऊपर निचे करो …मेरे लंड पर  
फिर देखना कैसा जन्नत का मजा आता है 
फिर आशा थोडी सी ऊपर हुयी … और निचे भी ….
धीरे धीरे उसकी स्पीड बढ़ती गयी 
उसके बाल बार बार चहरे पर आ रहे थे 
जगदीश राय ने उन बालो की लट को ठीक किया ….
 
आशा को बहोत ही मस्त लगा रहा था इसी मस्ती में उसके मुह से आहे निकल रही थी।
धीरे धीरे वह पापा के लंड पर उछलने लगी 
और उसकी आहे भी तेज होने लगी ।अब आशा पूरी तेजी से अपनी गांड अपने पापा के लंड पर पटक रही थी।लंड एक ही बार में आशा की गांड में पूरा घुस जाता और फिर अगले ही पल निकलने लगता।
10 मिनट घुड़सवारी करने के बाद आशा निचे उतरी ....फिर जगदीश राय ने बेड में सुलाकर आशा की गांड में लंड घुसाकर पेलते हुए बोला।
जगदीश राय: वाह क्या उछली हो मेरी जान … पूरी रंडी लग रही थी तुम….
आशा: छिः पापा … ये क्या आप मेरे लिए इतना गन्दा बोल रहे हो …..
जगदीश राय:इसमें गन्दा क्या है बेटी …… मैं तो तेरी तारीफ़ कर रहा हु …..
आशा: ऐसे करते है तारीफ।.... रंडी क्या अच्छा वर्ड है।

जगदीश राय: अरे बेटी कहा ये अच्छे बुरे के बारे में सोच रही हो ….चुदाई में कुछ गलत नहीं ….कुछ गन्दा नहीं होता।
आशा: … पर.... 
जगदीश राय: अरे बेटी .... एक अच्छी रंडी ही सबसे बेहतर चुदना जानती है ….. ये एक बहोत बड़ी कला है मेरी जान ….हाँ ये रण्डी वर्ड कुछ लोगो को बुरा लगता है……. पर बेटी चुदाई के समय ऐसे शब्द यूज़ करना बड़ा अच्छा लगता है ….
आशा: अगर आपको अच्छा लगता है … तो … आप मुझे जो चाहे बुलाओ…..
जगदीश राय: हाय मेंरी प्यारी बिटिया।… 
आशा: हा मेरे प्यारे पापा …… अपनी इस रंडी से टूट के प्यार करो … चोद डालो अपनी इस रंडी को ….
जगदीश राय:आशा … तू भी मुझे गालिया दे तो और भी मजा आएगा … 
आशा: तो मैं क्या आपसे डरती हु क्या … आप भी तो बेटीचोद …..हो।अपनी दो दो बेटियों को चोद रहे हो।
 
जगदीश राय: वाह मेरी रंडी साली.... मजा आ गया ….
तेरी गांड में जो मज़ा है।वो किसी में नहीं है।कितनी गरम और टाइट गांड है तेरी।कितना भी पेलो तुझे फर्क नहीं पड़ता।साली तेरी कुँवारी चूत में जिसका लंड पहली बार जाएगा वो कितना लकी होगा।
 
आशा:और जोर से पेलो पापा।आप भी कम लकी नहीं हो।आपको मेरी कुँवारी गांड मिली।चूत भी चूस लेते हो।जीभ से चोद भो देते हो।मेरी चूत में ऊँगली भी घुसा देते हो।और मेरे मुँह को तो चूत की तरह चोदते हो और आपको क्या चाहिए पापा।
और आज तो आपने मुझे अपनी रंडी भी बना दिया

जगदीश राय:ठीक है मेरी रांड।आज से तू मेरी पर्सनल रांड है।अब तू साली कुतिया बन जा।आज मैं तेरी गाँड को इतना फाडूँगा की उसमे से आज फिर खून निकल जाए।तू दर्द से चीखने लगे।

आशा बेड से निचे उतरकर अपने पापा के लंड को पकड़कर हिलाने लगती है।लंड आशा की गांड से निकला था।वो रस में भीगा पिला रंग का हो गया था।लेकिन आशा ने लंड को अपने मुँह में भर लिया और चुसने चाटने लगी।जगदीश राय भी मस्ती में भरकर आशा के मुँह को चोदने लगा।

कुछ देर बाद जगदीश राय ने निशा को कुतिया बना दिया।

जगदीश राय: हाँ बेटी अब मैं तुम्हे अपनी फेवरेट पोजीशन में चोदूंगा .... 
आशा : तो चोदो न पापा .... 
जगदीश राय: लेकिन इसबार तुम्हें बहोत दर्द हो सकता है ।क्योंकि इस बार तुम्हारी गांड फाड़ने का मन कर रहा है … 
आशा : आप उस की चिंता मत करो पापा …आप मुझे जैसे चाहो वैसे चोदो …… मेरे दर्द की परवाह मत करो 

जगदीश राय ने आशा को खीच के गले लगाया उसे चूमा …...
बाद में उन्होंने आशा को पलंग को पकड़ कर कुतिया जैसा खड़ा किया ….
आशा की टाँगे फैला दी…..
और खुद उसकी गांड के पीछे खड़े हुए …… 
उन्होंने अपना लंड आशा की गांड के भूरे छेद पे रगड़ा… 
और अचानक एक करारा धक्का दे कर आधा लंड अंदर पेल दिया …..
आशा इस अचानक हमले के लिए तैयार नहीं थी ….
वह गिरते गिरते बची …..
फिर जगदीश राय ने झुककर आशा की चुचिया थामी … और उसे पीछे खींचा।
जगदीश राय ने बेदर्दी से आशा की चूचियोंको मसलना शुरू किया बिलकुल रफ तरीके से। 
आशा के मुह से जोरो की आह निकल गयी 
ओफ्फ्फ्फ्फ्फ़ ह्म्म्म्म्म्म पापा हाय्य्य्य्य्य्य्य 
जगदीश राय: साली रंडी अभी तो शुरू भी नहीं किया है … अभी इतना तड़प रही है तो आगे क्या होगा।
आशा: नहीं पापा कुछ नहीं हुआ है .... आप आगे बढ़ो 
और आशा ने अपनी गांड उभार के दिखाई 
जगदीश राय गांड पे थप्पड लगाते बोले…. "वाह….. बेटी…...ये हुयी ना बात।और अपनी गांड पीछे कर।

फिर उन्होंने एक और तेज झटका मार के पूरा के पूरा लंड आशा की गाण्ड में घुसा दिया। 
आशा अपने होठ दबा रखे थे .... वह चाहती थी की उसके मुह से कराह न निकले। 
फिर जगदीश राय ने आशा की कमर थामी 
और लंड आगे पीछे करके आशा की गांड में अपना 9 इंच का लंड पेलने लगे ।
धीरे धीरे वो अपनी स्पीड में इजाफा कर रहे थे 
कुछ ही देर में उनकी स्पीड इतनी बढ़ गयी .... 
की उनके हर धक्के से आशा तो हिल ही जाती लेकिन साथ साथ पलंग भी चरमरा जाता।साथ ही साथ थप्पड़ मार मार के उन्होंने आशा के चुचड़ पुरे लाल कर दिए थे।इतनी बुरी तरह से आज पहली बार उन्होंने आशा की गांड मारी थी। 
अब दोनों खड़े खड़े पसीने में भीग गए थे 
जगदीश राय ने खूब धक्के लगाये। … 
आशा इस धुँवाधार चुदाई में दो बार झड़ी थी 
जब जगदीश राय को लगा की वो झड़ने वाले है … 
वो बोले " बेटी.... अब मैं झड़ने वाला हूँ। .... 
आशा: तो झड़ियें ना पापा … आप के माल से मेरी गाण्ड भर दो पापा ।
जगदीश राय: मैं तुम्हारे मुह में झड़ना चाहता हु साली रंडी।मुह खोल के बैठ साली कुतिया … 
आशा सीधी हुयी और बोली " तो डाल दो न पापा … आपका लंड अपनी रंडी बेटी के मुँह में ।
आशा उनके आगे घुटनो पर बैठी 
उनका लंड हाथ में लेकर उसे चाटने और चूसने लगी। 
और उसी समय जगदीश राय नेअपना लंड आशा के मुह में घुसाया ….और उसका सर पकडे वो आशा के मुह को चोदने लगे...
 
आशा उनकी आँखों में आँखे डाले उन्हें देख रही थी ...
उनके चहरे के हाव भाव से उसे पता चला की अब वो झड़ने की कगार पर है ...
तो आशा ने अपनी मुट्ठी उनके लंड पर कसी और चूसने लगी ...
आशा के चूसते चूसते ही.... उसके मुँह में उसके पापा के वीर्य की बौछार होने लगी ...कुछ भीतर मुह में जा रहा था ।पापा का वीर्य इतना ज्यादा था की कुछ वीर्य आशा मुह से टपक रहा था ….
वीर्य की आखरी बून्द तक वह चूसती रही ।

आशा लगभग सारा वीर्य गटक गयी …फिर भी थोडा सा उसके होठो के आसपास और उसकी ठुड्डी पर लगा था। पापा के वीर्य की टेस्ट आशा बहोत अच्छी लगी ….
आशा ने अपने होठो पे जीभ घुमाकर इदर उधर लगा माल चाट लिया… 
फिर पापा और आशा पलंग पर लेटे आराम करने लगे…
और हम एकदूसरे की बाहो में समां गए…. 
कुछ देर तक युही ख़ामोशी से पड़े रहने के बाद पापा बाते करने लगे …..
जगदीश राय : सॉरी बेटी मैंने तुमको गाली दिया।
आशा:कोई बात नहीं पापा।रफ सेक्स में गाली सुनने में भी मज़ा आता है।
जगदीश राय:कैसा लगा आशा बेटी…..
आशा: आपने तो मेरी जान ही निकाल दी थी पापा .... 
जगदीश राय: इतनीसी चुदाई से जान नहीं निकलती मेरी जान … चुदाई का मजा आया की नहीं …..
आशा:मुझे भी बाद में बहुत मज़ा आया पापा।




कुछ देर बाद आशा बोली- चलो पापा, खाना खा लेते हैं.
जगदीश राय- ठीक है लेकिन हम लोग ऐसे ही नंगे रह कर खाना खाएंगे और तू मेरी गोद में बैठकर खाना खाएगी. मेरा लंड भी खाते वक़्त तेरी गांड में रहेगा।
तुझे खाने के साथ मेरी आइसक्रीम भी खानी पड़ेगी.. मंजूर है!
आशा बोली- ठीक है पापा आज आप जो कहोगे, वह मैं करूँगी.

फिर दोनों ने मिल कर टेबल पर खाना सजाया.जगदीश राय ने अलग से फ्रिज से आइसक्रीम भी निकाल कर सजा दी.जगदीश राय ने आइसक्रीम को आशा की चूचियों पर लगा दिया और चूचियों को चूसने और चाटने लगा . आशा भी बहुत गर्म हो गई थी.पूरा आइसक्रीम चाटने तक जगदीश राय चूचियों और निप्पलों को काटता रहा ,चूसता रहा।
 
जगदीश राय ने कुछ आइसक्रीम अपने लंड पर भी लगा दी और आशा को चूसने का इशारा किया.आशा आइसक्रीम के साथ साथ जगदीश राय के लंड को भी चूस रही थी. फिर कभी कभी आइसक्रीम वह उसके होंठों पर भी लगा देता था और दोनों फ्रेंच किस करने लगते. जगदीश राय आइसक्रीम के साथ साथ आशा के चेहरे को भी चूस और चाट रहा था।


अब जगदीश राय आशा की गाँड में उंगली डालने लगा. वह पूरी तरह से गर्म हो गई थी. जगदीश राय का भी लंड पूरा खड़ा हो गया था. जगदीश राय ने कहा- तुम मेरे लंड पर अपनी गांड चौड़ी करके बैठ जाओ. उसके बाद हम लोग खाना खाते हैं.

आशा अपनी गांड में अपने पापा का लंड लेकर उनकी गोद में बैठ गई. उसकी गाँड में जगदीश राय लंड अन्दर तक घुस गया. अब दोनों खाना खाने लगे.

आशा बोली- बहुत दर्द कर रहा है पापा. लेकिन जगदीश राय उसके चेहरे को चूसते हुए नीचे से धीरे-धीरे उसकी गाण्ड में लंड की ठोकर मारता रहा.इसी तरह चुदाई करते हुए दोनों ने खाना खा लिया था.

कुछ देर बाद जगदीश राय ने उसे टेबल के सहारे झुका के कुतिया बना दिया और उसकी गाँड मारने लगा. कुछ ही देर में आशा झड़ गई.जगदीश राय जोर-जोर से उसकी गाँड में अपना लंड पेलता रहा. कुछ देर बाद जगदीश राय का वीर्य निकलने वाला था तो उसने अपना वीर्य आइसक्रीम में गिरा दिया और अपनी बेटी को बोला कि वह मेरा पूरा वीर्य आइसक्रीम के साथ चाट जाए.
आशा भी पूरी गर्म थी, वो आइसक्रीम के साथ अपने पापा लंड भी चाट रही थी.वो पूरा वीर्य और आइसक्रीम चाट के खा गई।

एक ही दिन में जगदीश राय ने आशा को पूरा रंडी बना दिया था. इस वक्त आशा एक कुतिया की तरह अपने बाप के लंड के रस को आइसक्रीम के साथ चाट कर खा गई।
फिर हम लोग नंगे ही आराम करने लगे.
 
करीब आधा घंटे बाद जगदीश राय ने आशा को बाथरूम जाते देखा. तो वो भी उसके साथ बाथरूम में चला गया. आशा शरमाते हुए बोली- पापा, आप बाहर जाइए ना मुझे सु सु करना है.
जगदीश राय- कोई बात नहीं, मुझे तुमको सु सु करते हुए देखना है. आज तक मैंने किसी लड़की को सू सू करते हुए नहीं देखा है.अभी मेरा लंड भी खड़ा हो गया है, तुम सू सू करो.
आशा- लंड खड़ा हो गया है तो क्या आप मुझे अभी ही चोदने की सोच रहे हैं?

जगदीश राय:मैं तो चाहता हूँ की अपना लंड तुम्हारी गांड में पेल दूँ।और मैं इधर पेलता रहूँ और तुम सु सु करती रहो।

आशा:क्या क्या सोचते रहते हो आप भी।जल्दी अपना लंड मेरी गांड में पेलो।मेरी भी गाण्ड में खुजली हो रही है।
जगदीश राय ने आशा को कुतिया की तरह झुक दिया और उसकी गांड पे थूक दिया और उंगली से उसकी गांड सहलाने लगा. कुछ ही देर में उसकी गांड का छेद मुलायम हो गया.
अब जगदीश राय अपने लंड को आशा की गांड के होल में घुसा दिया.
वो “आअह्ह.. पापा..” करते हुए चिल्लाने लगी.
जगदीश राय तेजी से आशा की गांड मारने लगा.
और अब आशा को बर्दास्त नहीं हुवा ।
वह धक्के के साथ ही सु सु करने लगी।

काफी देर तक जगदीश राय आशा की चूत में उंगली और गांड में लंड पेलता रहा.
आशा दो बार झड़ गई.. लेकिन वह उसको पेलता रहा.

फिर आधे घंटे गांड मारने के बाद आशा की गांड में ही अपना वीर्य भर दिया.फिर जगदीश राय अपने लंड को उसके मुँह के पास ले गया और बोला- मेरे लंड को चूसो.फिर आशा ने जगदीश राय के लंड को चूसकर पूरा चमका दिया।

फिर दोनों लेटकर एक दूसरे को सहलाते हुए बात करने लगे।
जगदीश राय:आज मेरी ज़िन्दगी का सबसे हसीन पल था।मेरी बहुत सारी इच्छाये तुमने पूरी कर दी बेटी।
आशा:जगदीश राय को चूमते हुए।आप भी कमाल ले हो पापा।आप ले साथ मुझे बहुत मज़ा आया।आपकी और भी कोई इच्छा हो तो मैं पूरी करने की कोशिश करुँगी।

जगदीश राय:बेटी मेरी एक और इच्छा है की मैं चूत और गांड एक साथ मारूँ।मेरा लंड कभी चूत में घुसे तो कभी गांड में।

आशा:सॉरी पापा।मैं आपकी ये इच्छा पूरी नहीं कर सकती।आप तो जानते है मैं शादी तक वर्जिन रहना चाहती हूँ।
जगदीश:एक उपाय है बेटी ।तुम कुँवारी भी रहोगी और मेरी इच्छा भी पूरी हो जायेगी।
आशा:कैसे पापा।आप बताइये।आपकी ख़ुशी के लिए मैं करुँगी।

जगदीश:तुम और निशा एक साथ मिल जाओ तो मेरी इच्छा पूरी हो जायेगी।निशा की चूत और तुम्हारी मस्त गांड मेरे लंड के सारे ख्वाब पूरा कर देंगे।
आशा: ठीक है पापा। मैं कोशिश करुँगी।

फिर आशा जगदीश राय का लंड चूसकर खड़ा करती है।और जगदीश राय आशा को कुतिया बनाके उसकी गांड मारता है।आधे घंटे की रफ चुदाई के बाद दोनों थक जाते है।आशा दो बार झड़ चुकी थी।फिर जगदीश राय अपना लंड आशा के मुँह में पेलकर अपना सारा माल आशा को पिला देता है।फिर दोनों साफ सफाई करके अपने अपने रूम में चले जाते है।
 
जगदीश राय को ऑफिस के काम के सिलसिलें में चार पाँच दिन के लिए बाहर जाना पड़ा।उसने तीनों बेटियो को समझाकर पैसे भी दे दिए और चला गया।

आज निशा और आशा बहुत खुश थी क्योंकि आज उनके पापा आने वाले थे।लेकिन जब पापा ने बताया की वो शाम को ही घर आ पाएंगे तो दोनों को अच्छा नहीं लगा।

निशा पूरी गरम हो रही थी।पाँच दिन अपने पापा से दूर रहने से उसकी चूत पानी छोड़ रही थी।आज शशा की सहेली का बर्थडे था तो वो रात को उसके घर ही रुकने वाली थी।वह पापा से फ़ोन पर बात करके अपने सहेली के घर चली गई।

जगदीश राय जब शाम को घर आया तो घर में घुसते ही निशा और आशा दोनों अपने पापा से लिपट गई।निशा तो इतनी गरम हो चुकी थी की वो अपने पापा को उसने चूम लिया।जिसे देखकर आशा हंसने लगी।निशा शरमा गई।

कुछ देर बाद आशा अपने रूम में पढ़ने चली गई।निशा किचन में चली गई।पीछे पीछे जगदीश राय भी किचन में चला गया।किचन में घुसते ही निशा अपने पापा से लिपट गई और अपने पापा के होंठो पर होंठ रखके चूसने लगी।जगदीश राय भी निशा की मस्त चुचियों को मसलने लगा।साथ ही अपने लंड को निशा की गाँड के दरार में रगड़ने लगा।

निशा जल्दी ही जगदीश राय के आगे घुटनों पर बैठ गई और जगदीश राय के मोटे लंड को निकालकर चूसने चाटने लगी।वह अपने पापा के लंड को पूरा मुँह में भरकर चूसने लगी।तभी अचानक आशा आ गई और बोली:दीदी अकेले अकेले ही सारे मज़े मत ले लेना।
मेरे लिए भी छोड़ देना।

निशा:चल भाग यहाँ से।
आशा हँसते हुए भाग गई।

निशा:मुँह से लंड निकालकर पापा आपने आशा को और बिगाड़ दिया है।
जगदीश राय:अरे नहीं बेटी।उसकी भी गांड में खुजली हो रही होगी।
निशा:धत कितना गन्दा बोलते हो आप।आज तो मैं आपको नहीं छोड़ूँगी।रात भर हम साथ में सोयेंगे।

जगदीश राय:अरे बेटी ऐसा करोगी तो आशा को जानती हो न।उसे भी साथ बुला लेंगे।
निशा:कैसी बात करते हो पापा।मुझे तो बहुत शरम आयगी।
जगदीश राय:अरे बेटी अब शरमाने से काम नहीं चलेगा।आशा बोल रही थी।उसे तुम्हारे साथ कोई प्रॉब्लम नहीं है।मुझे भी बहुत मन था की कभी दो जवानी का मज़ा एक साथ लूँ।लेकिन लगता है मेरी ये इच्छा कभी भी पूरी नहीं होगी।

जगदीश राय ने इमोशनल होकर दुखी आवाज में कहा।
जिसे सुनकर निशा बोली।
अगर आपकी इच्छा है पापा तो मैं भी तैयार हूँ।आपकी ख़ुशी के लिए तो मैं कुछ भी कर सकती हूँ।
 
फिर दोनों ने किस करके थोड़े बहुत मज़ा किये।फिर निशा खाना बनाने लगी।।

जब तीनों खाना खा लिए तो जगदीश राय ने आशा को भी बता दिया की आज हम तीनों एक साथ मज़ा करेंगे।
आशा भी खुश हो गई।

दस बजते ही जगदीश राय ने वियाग्रा की 1 गोली खा ली।क्योंकि निशा और आशा के आने का टाइम हो गया था।आज जगदीश राय की जिंदगी का सबसे हसीं पल आने वाला था।जब उसकी दोनों जवान गदराई बेटीयाँ उसकी बाहों में आ रही थी।


दस बजते ही निशा आ गई आते ही उसने पापा को किस किया और उनकी बाँहो में समा गई।अब दोनों ही एक दूसरे को किस करने लगे।जगदीश राय निशा के कपडे उतारने लगा।आशा के आने के पहले वह निशा को पूरा गरम कर देना चाहता था।

निशा भी आज कहाँ पीछे रहनेवाली थी उसने भी अपने पाप को पूरा नंगा कर दिया।

अब जगदीश राय ने नंगी पड़ी निशा को बेड पर लिटाया और उसके दोनो हाथो को उसने बेड पर एक हाथ से दबोच दिया..ताकि वो उसे रोक ना पाए...बेचारी उसके नीचे दबकर सिर्फ़ छटपटाने के अलावा कुछ नही कर पा रही थी।
उसके अंदर उठ रही तरंगे उसके जिस्म को उपर की तरफ उचका रही थी..और वो अपने कूल्हे उठाकर अपनी चूत को जगदीश राय के खड़े हुए लंड से रगड़ने की नाकाम कोशिश कर रही थी.

लेकिन जगदीश राय बड़ी ही चालाकी से अपने लंड को उसकी चूत से दूर रखकर उसकी बेकरारी को बड़ा रहा था.

जगदीश राय उसके बूब्स को चूसता - 2 नीचे की तरफ बढ़ने लगा...उसकी नाभि पर पहुँचकर उसने अपनी जीभ उसके अंदर डाल दी...और उसकी नाभि को अपनी जीभ से चोदने लगा..

तभी आशा रूम में आई।निशा ने तो नहीं देखा लेकिन जगदीश राय ने उसे दूर से ही देखने का इशारा किया।
वह ध्यान से देखने लगी।
 
निशा की नाभि की चुदाई देखकर दूर बैठी आशा ने भी अपनी टी शर्ट उतारकर अपनी नाभि की गहराई देखी की क्या वो भी जीभ से चोदने लायक है या नही...वो उतनी गहरी नही थी जितनी निशा की थी...कारण था निशा का गदराया हुआ जिस्म, जिसकी वजह से उसकी नाभि उसके पेट में थोड़ा अंदर जा धँसी थी...और इस वक़्त जगदीश राय उसी नाभि को अच्छी तरह से चाटकर उसे पूरी तरह से उत्तेजित कर रहा था.

थोड़ी देर बाद उसने फिर से निचे का रुख़ किया और उसकी जीभ निशा की चूत के द्वार पर जाकर रुक गयी...


जगदिश राय ने उपर मुँह करके निशा के चेहरे को देखा...वो साँस रोके उसके अगले कदम की प्रतीक्षा कर रही थी.

जगदिश राय ने अपनी उँगलियों से निशा की चूत की क्लिट को फैलाया,तो उसकी कमाल की चूत उभरकर जगदिश राय के सामने आती चली गयी.निशा की चूत इतनी गरम थी की लग रहा था की भाँप छोड़ रही हो।

कमाल की इसलिए की एक तो वो बिल्कुल गोरी थी...और उपर हर जगह से वो एकदम सफाचट थी.

उसने आशा की तरफ देखा तो वो अपनी चूत मसलते हुए जगदीश राय को देखकर मुस्कुरा उठी...और अपने बूब्स को प्रेस करके एक सिसकारी भी मारी...जगदीश राय समझ गया की आशा भी पूरी गरम हो चुकी है।

अब जगदीश राय के सामने एकदम रसीली और जूस से भरी हुई चूत पड़ी थी...उसने अपनी जीभ को तैयार किया और टूट पड़ा निशा की चूत में .



सेलाब तो कब से उमड़ रहा था उसकी चूत में ....अब जगदीश राय की जीभ से चोदकर उसकी चूत में सैलाब लेकर आना था....और वो ये काम करना बख़ुबी जानता था.

जगदीश राय निशा की चुत चूसने लगा था, तभी आशा बोल पड़ी, पापा दीदी की चुत खट्टी मीठी है ना।

ये सुनकर निशा ने शरमाते हुए आशा की तरफ देखा और बोली तो तू छुपकर हमें देख रही है।

आशा : "नही दीदी....मैं तो एक आइडिया लेकर आई हूँ ...जिसमे पापा को इसे सक्क करने में ज़्यादा मज़ा आएगा...''
 
इतना कहकर वो भागकर किचन में गयी और फ्रिज खोलकर एक छोटी सी शहद की शीशी निकाल लाई...

जगदीश राय समझ गया की ये क्या करने वाली है...

अब आशा करीब आई और उसने वो ठंडा-2 शहद निशा की चूत के उपर उडेल दिया....एक गाड़ी सुनहरे रंग की लकीर के रूप में वो शहद धीरे-2 निशा की गरमा गरम चूत को अपने रंग में रंगने लगा..थोड़ा शहद उसने उसकी गांड की तरफ से भी डाल दिया,जो धीरे-२ बहकर उसकी चुत तक पहुँचने लगा।

जगदीश राय देख पा रहा था की आशा शहद उड़ेलते हुए अपनी जीभ ऐसे लपलपा रही थी जैसे वो बरसो की प्यासी हो....
शहद की पूरी शीशी उड़ेलने के बाद वो बोली : "लो पापा....अब आपकी ये स्वीट डिश आपके लिए तैयार है...''


और ये कहकर जैसे ही वो उठकर जाने लगी, जगदीश राय ने उसकी कलाई पकड़ ली और बोला : "अब इतना काम कर दिया है तो थोड़ा और कर दो मेरे लिए....इसे अपनी दीदी की चुत पर फैला भी दो...अपने अंदाज में ..''आशा आगे बढ़ने लगी तो जगदीश राय बोला।पहले पूरी नंगी तो हो जा।


ये बात सुनते ही आशा के होंठ थरथरा उठे...उसके पूरे शरीर के रोँये खड़े हो गये....अपनी बड़ी दीदी और पापा के साथ सेक्स के बारे में सोचकर।

वो सोचने लगी की इसका मतलब ये है की पापा उसे इस सेक्स के खेल में शामिल होने के लिए बोल रहे है...

और दूसरी तरफ निशा को भी झटका लगा...वो नही चाहती थी की आज आशा उनके इस चुदाई वाले खेल में शामिल हो...वो बस यही चाहती थी की वो दूर बैठकर ये खेल सिर्फ़ देखे..


लेकिन आशा के चेहरे और निशा के दिमाग़ में चल रही बातो को जैसे जगदीश राय ने पढ़ लिया था...वो बोला... : "देखो....तुम सिर्फ़ और सिर्फ़ ये एक छोटा सा काम करोगी...और कुछ नही...उसके बाद वापिस अपनी जगह पर जाकर बैठ जाओगी...अच्छे बच्चो की तरह....ओके ..''


आशा के लिए ये एक सपने जैसा ही था...वो अपनी बहन की शहद से भीगी चूत को चूसने वाली थी...उसी चूत को जिसे उसके पापा सिर्फ़ दस मिनट बाद चोदने वाले थे...यानी उसके पापा चाहते थे की वो अपनी बहन की चूत खुद तैयार करे,ताकि वो बाद में उसकी चुदाई सही से कर सके।वो जल्दी से पूरी नंगी हो गई।
 
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