Hindi Sex Stories By raj sharma - Page 12 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Hindi Sex Stories By raj sharma

मेने क्रीम ली और उसकी गांद में लगाने लगा. जब उसकी गांद अंदर
तक चिकिनी हो गयी तो में उसके पीछे आ गया और अपने लंड को उसकी
गंद के छेद पर रख दिया. मेने थोड़ा ज़ोर लगाकर अंदर घुसाने की
कोशिश कि पर मेरा लंड नही घुस पा रहा था.

"नही घुस रहा है चाची." मेने थोड़ा और ज़ोर लगाकर कहा.

रागिनी ने फिर अपने चूतड़ अपने हाथों से पकड़ अपनी गंद को और
फैला दिया. "अब कोशिश करो."

इस बार मेने थोड़ी और ताक़त लगाई तो मेरे लंड का सूपड़ा उसकी गंद
मे घुस गया और वो दर्द से चीख पड़ी, "उउउइईईईईईई माआआआआ
माआआर गाआआए."

उसकी कसी कसी गंद मुझे मज़ा दे रही थी, मेने अपना लंड थोड़ा
बाहर खींचा और उसके चूतड़ पकड़ ज़ोर का धक्का दिया. इस बार आधे
से ज़्यादा लंड उसकी गंद मे घुस गया.

"ओह राआाज तोड़ााअ धीरे करो दर्द हो रहा है." वो
सिसकी.

पर उसकी बात को सुने बिना मेने और ज़ोर का धक्का लगाकर पूरा लंड
उसकी गंद मे पेल दिया. मेने आगे हाथ बढ़ा उसकी चूत में अपनी एक
उंगली डाल दी और अपने लंड को उसकी गंद के अंदर बाहर करने लगा.

थोड़ी देर मे उसे भी मज़ा आने लगा और वो अपने चूतड़ पीछे को
धकेल मेरे धक्को का साथ देने लगी. दो चार कस के धक्के मारने के
बाद मेने अपना वीर्य उसकी गंद मे उंड़ेल दिया.

जब तक चाचा शहेर के बाहर रहे हम चुदाई का मज़ा लूटते
रहे. चाची ने अलग आसनो से चुदवा कर मुझे चोद्ना सिखाया. हम
हर तरह के आसान से चुदाई करते. कभी चाची घोड़ी बन जाती तो
कभी मेरे उपर चढ़ मुझे चोद्ति. हम घर के हर हिस्से में
चुदाई करते, हॉल में, कित्चिन में डिन्निंग टेबल पर तो कभी
दोनो साथ नहाते और बाथरूम में.

मेरी परीक्षा के बाद मुझे दूसरे शहर में नौकरी मिल गयी. में
अपनी पहली चुदाई कभी भूल नही पाया. मगर जब भी मौका मिलता
है हम चुदाई कर लेते है. मेरी चाची रागिनी मेरी दोस्त भी है
और गुरु भी.
दोस्तो आपको ये कहानी कैसी लगी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा 
 
पत्नी को पति का तोहफा--1



हाई दोस्तो कैसे है आप दोस्तो एक ऑर नई कहानी का मज़ा लीजिए
आँखों पे बँधी पट्टी कमरे में होने वाली हर रोशनी को रोक रही
थी, पट्टी वाकई में काफ़ी अच्छी थी, प्रीति ने महसूस किया. आज
उसका जनम दिन था और उसके पति ने उसे एक अनोखा तोहफा देने का वादा
किया था. प्रीति अपने कान खड़े कर दूसरे कमरे में से आने वाली
आवाज़ को सुनने की कोशिस कर रही थी. थोड़ी देर पहले ही फोन की
घंटी बज़ी थी जब राज ने उसकी आँखों पर पट्टी बाँध उसे बेडरूम
में लेकर आया था.

"में फोन सुनकर अभी गया और अभी आया," राज बोला.

प्रीति सुनने की कोशिश कर रही थी कि राज क्या कह रहा है पर
आँखों के साथ थोड़ी पट्टी कानो पर भी थी जिससे उसे सुनने और
समझने में तकलीफ़ हो रही थी.

प्रीति ने कमरे मे आती कदमों की आवाज़ सुनी.

"क्या तुम अपने अनोखे तोहफे के लिए तय्यार हो?" राज ने कमरे में
रखे रेडियो की आवाज़ तेज करते हुए पूछा.

"हां में तय्यार हूँ" प्रीति थोड़ा हिक्किचाते हुए बोली.

"अब ये याद रखो कि ना ही तुम कुछ बोल सकती हो और ना ही कोई सवाल
पूछ सकती हो." राज ने कहा.

इसके पहले दोनो ने एक अच्छे रेस्टोरेंट में रात का खाना खाया था.
खाने के साथ दो दो पेग भी पिए थे जिससे महॉल थोड़ा खुशनुमा हो
जाए. राज ने आज शाम को ही इस तोहफे का इंतेज़ाम किया था. उसकी
उत्सुकता और बढ़ गयी थी कि ऐसा कौन सा तोहफे का इंतेज़ाम किया है
राज ने उसके जनम दिन पर.

राज ने उसकी पट्टी को एक बार और दुरुस्त किया और फिर उसे चूमने
लगा. कमरा अंधेरे में डूबा हुआ था सिवाय कुछ मोमबतियों के जो
कमरे को सुरमई रंग दे रही थी.

प्रीति बेड के पास खड़ी थी और राज उसे बाहों में भरे उसको चूम
रहा था. वो कभी उसके होटो पर चूमता और फिर उसकी गर्दन पर
चूमने लगता. उसके चूमने की अदा ने प्रीति को गरमा दिया था.

राज जब उसे उसके कुल्हों से पकड़ अपनी और खींच ओर ज़ोर से चूमता
तो वो महसूस करती कि राज का लंड उसकी जांघों पर टक्कर मार रहा
है.

राज ने धीरे से उसके टॉप को उपर उठा निकाल दिया, ये ध्यान रखा कि
उसकी पट्टी आँखों से ना हटे. फिर उसे घुमा कर उसकी ब्रा के हुक
खोल कर वो भी निकाल दी.
उसकी चुचियों को भींचते हुए उसने प्रीति को और अपने करीब किया
और जांघों को उसकी जांघों के साथ रगड़ने लगा.

राज अपने हाथों को प्रीति की नंगी पीठ पर फेर रहा था, फिर उसने
अपने हाथ से प्रीति की जीन्स के बटन खोले और उसकी जीन्स को नीचे
खस्का दिया.
 
पत्नी को पति का तोहफा--1



हाई दोस्तो कैसे है आप दोस्तो एक ऑर नई कहानी का मज़ा लीजिए
आँखों पे बँधी पट्टी कमरे में होने वाली हर रोशनी को रोक रही
थी, पट्टी वाकई में काफ़ी अच्छी थी, प्रीति ने महसूस किया. आज
उसका जनम दिन था और उसके पति ने उसे एक अनोखा तोहफा देने का वादा
किया था. प्रीति अपने कान खड़े कर दूसरे कमरे में से आने वाली
आवाज़ को सुनने की कोशिस कर रही थी. थोड़ी देर पहले ही फोन की
घंटी बज़ी थी जब राज ने उसकी आँखों पर पट्टी बाँध उसे बेडरूम
में लेकर आया था.

"में फोन सुनकर अभी गया और अभी आया," राज बोला.

प्रीति सुनने की कोशिश कर रही थी कि राज क्या कह रहा है पर
आँखों के साथ थोड़ी पट्टी कानो पर भी थी जिससे उसे सुनने और
समझने में तकलीफ़ हो रही थी.

प्रीति ने कमरे मे आती कदमों की आवाज़ सुनी.

"क्या तुम अपने अनोखे तोहफे के लिए तय्यार हो?" राज ने कमरे में
रखे रेडियो की आवाज़ तेज करते हुए पूछा.

"हां में तय्यार हूँ" प्रीति थोड़ा हिक्किचाते हुए बोली.

"अब ये याद रखो कि ना ही तुम कुछ बोल सकती हो और ना ही कोई सवाल
पूछ सकती हो." राज ने कहा.

इसके पहले दोनो ने एक अच्छे रेस्टोरेंट में रात का खाना खाया था.
खाने के साथ दो दो पेग भी पिए थे जिससे महॉल थोड़ा खुशनुमा हो
जाए. राज ने आज शाम को ही इस तोहफे का इंतेज़ाम किया था. उसकी
उत्सुकता और बढ़ गयी थी कि ऐसा कौन सा तोहफे का इंतेज़ाम किया है
राज ने उसके जनम दिन पर.

राज ने उसकी पट्टी को एक बार और दुरुस्त किया और फिर उसे चूमने
लगा. कमरा अंधेरे में डूबा हुआ था सिवाय कुछ मोमबतियों के जो
कमरे को सुरमई रंग दे रही थी.

प्रीति बेड के पास खड़ी थी और राज उसे बाहों में भरे उसको चूम
रहा था. वो कभी उसके होटो पर चूमता और फिर उसकी गर्दन पर
चूमने लगता. उसके चूमने की अदा ने प्रीति को गरमा दिया था.

राज जब उसे उसके कुल्हों से पकड़ अपनी और खींच ओर ज़ोर से चूमता
तो वो महसूस करती कि राज का लंड उसकी जांघों पर टक्कर मार रहा
है.

राज ने धीरे से उसके टॉप को उपर उठा निकाल दिया, ये ध्यान रखा कि
उसकी पट्टी आँखों से ना हटे. फिर उसे घुमा कर उसकी ब्रा के हुक
खोल कर वो भी निकाल दी.
उसकी चुचियों को भींचते हुए उसने प्रीति को और अपने करीब किया
और जांघों को उसकी जांघों के साथ रगड़ने लगा.

राज अपने हाथों को प्रीति की नंगी पीठ पर फेर रहा था, फिर उसने
अपने हाथ से प्रीति की जीन्स के बटन खोले और उसकी जीन्स को नीचे
खस्का दिया.
 
राज ज़ोर से अपनी जीभ को प्रीति की चूत के अंदर बाहर कर रहा
था, प्रीति अपनी कुल्हों को उठा उसकी इस अदा मे उसका साथ दे रही
थी. प्रीति ने अपने शरीर को अकड़ता पाया और उसकी चूत ने उस दिन
का पहला पानी छोड़ दिया.

प्रीति की चूत में जोरों की खुजली हो रही थी और वो राज से कहना
चाहती थी कि वो उसे कस्के चोदे पर राज ने कुछ कहने से मना किया
था ये सोच वो चुप रह गयी.

राज उसकी जांघों के बीच से उठ खड़ा हुआ और उसके होठों को चूमने
लगा. राज का एक हाथ उसके मम्मो को दबा रहे थे और दूसरा हाथ उसके
सिर को ज़ोर से पकड़ा हुआ था. राज ने अपनी ज़ुबान प्रीति के मूह में
डाल दी और उसकी जीभ से खेलने लगा.

इतने मे प्रीति ने अपनी जांघों के बीच किसी को महसूस किया, ये
कैसे हो सकता है जब राज उसे चूम रहा है तो उसकी जांघों के
बीच कौन है. उसे लगा कि कोई अपनी ज़ुबान उसकी जांघों के अन्द्रुनि
हिस्से पर फेर रहा.

जैसे ही उसने कुछ कहने के लिए अपना मूह खोलना चाहा, राज ने उसके
होठों को ज़ोर से चूम लिया.

"कुछ कहने की ज़रूरत नही है, यही तुम्हारा अनोखा तोहफा है." राज
ने कहा.

प्रीति ये सुन कर सहम गयी, ये अंजाना व्यक्ति कमरे में कौन है?
वो मर्द है या औरत ये विचार उसके दिमाग़ में घूमने लगा.

इतने में उसने महसूस किया कि वो जो कोई भी था अब उसकी चूत को
चाट रहा था, उसकी उत्तेजना फिर भड़क रही थी. इतने में राज उसकी
छाती पर चढ़ गया और अपना खड़ा लंड उसकी होठों पर रख दिया.

उस अंजाने व्यक्ति की ज़ुबान की रफ़्तार उसकी चूत पेर तेज हो गयी थी
और उसके मूह से सिसकारी फुट पड़ी.

"ओह आआआआआआहह" जैसे ही उसका मूह खुला राज ने
अपना लंड उसके मूह में घुसा दिया. प्रीति ने राज के लंड को चूसना
शुरू किया और वहीं उस व्यक्ति की रफ़्तार और तेज होती गयी.

उसका शरीर अकड़ रहा था और उसे अपने आपको रोकना मुश्किल लग रहा
था. वो उत्तेजना में और ज़ोर से राज के लंड को चूसने लगी और उसकी
चूत ने दुबारा पानी छोड़ दिया.

राज ने अपना लंड उसके मूह से निकाल लिया और उसपर से खड़ा हो गया.
प्रीति भी अपनी साँसे संभालने में लगी हुई थी.

"ओह ये सब कितना अछा लग रहा है." प्रीति सोच रही थी कि
उसने फिर किसी को अपनी जांघों के बीच महसूस किया.
 
"अब चुदाई का वक्त हो गया है," कहकर राज ने अपना लंड उसकी चूत
पर रख थोडा सा अंदर घुसा दिया.

"ओह माआआअ" उसके मूह से आवाज़ निकली.

प्रीति की चूत इतनी गीली हो चुकी थी राज के हल्के से दबाव से ही
उसका पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया, इतने में उसने एक और लंड
को उसके होठों के पास महसूस किया. उसने अपना मूह खोला और उस व्यक्ति
को अपना लंड उसके मूह में डालने दिया.

"ये कौन हो सकता है?' वो सोच रही थी.

राज अब प्रीति को जम कर चोद रहा था. उसके धक्को की रफ़्तार और तेज
होती जा रही थी. प्रीति भी अब अपने कूल्हे उछाल उसकी ताल से ताल
मिला रही थी.

"अगर मेने राज की गांद पे जूते नही मारे तो मेरा नाम प्रीति नही,"
वो अपने आप को बार बार याद दिला रही थी जैसे ही अंजाने व्यक्ति का
लंड उसके मूह में ज़ोर से घुसता.

जैसे जैसे राज की रफ़्तार बढ़ती प्रीति के शरीर में कामुकता और
बढ़ जाती. ना चाहते हुए भी उस व्यक्ति के लंड को ज़ोर ज़ोर से चूस
रही थी.

"अगर राज यही चाहता है कि में दूसरे मर्द से चुदाई करवाउ तो
ठीक है में भी बता देना चाहती हूँ कि मैं चुद्वा सकती हूँ," ये
सोचकर प्रीति और ज़ोर से उस लंड को चूसने लगी. उसने उस लंड से
पानी छुट ता महसूस किया. राज धक्के पे धक्के दिए जा रहा था और
उसकी चूत पानी छोड़े जा रही थी.

प्रीति खूब मज़े ले के उस व्यक्ति के लंड के पानी को पी रही थी.
ऐसी चुदाई का उसका ये पहला मौका था. राज ने भी दो धक्कों के बाद
उसकी चूत में पानी छोड़ दिया.

राज ने जैसे ही अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाला प्रीति को बुरा
लगा वो और चुद्वाना चाहती थी. राज ने उसके हाथों की रस्सी खोल दी
और उसे बिस्तर पर पलट दिया.

अब वो पेट के बल हो गयी थी और तकिये पर होने के कारण उसकी गांद
थोड़ी उठ गयी थी. राज बिस्तर के किनारे पे आ गया जिससे उसका लंड
आसानी से प्रीति के मुँह मे जा सके, "प्रीति अब मेरा लॉडा चूसो."
राज ने कहा.

प्रीति ने राज के वीर्य रिक्त लंड को अपने मूह में ले लिया तभी उसने
अंजाने व्यक्ति के हाथ अपनी गांद पे महसूस किए, जैसे ही उस व्यक्ति
ने अपना लंड उसकी गीली चूत में पेला प्रीति ने सोचा. "हे भगवान
अब ये मुझे चोद्ने वाला है."

एक बार तो उसका मन किया की वो यहाँ से भाग जाए पर उसकी काम इच्छा
ने उसे रोक दिया. उसके अंदर की आग इतनी भड़क चुकी थी कि वो
चुद्वाने के अलावा उसके पास कोई उपाय नही था.

अंजाने व्यक्ति उसके दोनो कुल्हों को पकड़ ज़ोर से अपना लंड उसकी चूत
में डाल दिया, वहीं राज ने उसके पट्टी बँधे सिर को अपने लंड पर
दबा दिया जो अब खड़ा होने लगा था.

वो अंजना व्यक्ति उसकी गांद पर थप्पड़ मारते हुए ज़ोर ज़ोर से प्रीति
को चोदे जा
रहा था. और वो उतनी ज़ोर से राज के लंड को चूस रही थी. उसका
शरीर फिर तन रहा था.

अनजाना व्यक्ति जैसे ही अपने लंड को अंदर तक डालता प्रीति उतना ही
अपने कुल्हों को पीछे की ओर धकेल उसके लंड को और अपनी चूत की
जड़ तक ले लेती. उस व्यक्ति का लंड राज के लंड से बड़ा था और
प्रीति को उसकी चूत भारी सी महसूस हो रही थी.
 
"अगर राज यही चाहता है कि में अंजाने व्यक्ति से चुद्वाउ तो ठीक
है आज मेने भी इसके लंड की एक एक बूँद को निचोड़ के पी जाउन्गि"
सोच कर प्रीति और ज़ोर से राज के लंड को चूसने लगी.

उस व्यक्ति अपनी पूरी ताक़त से प्रीति को चोद रहा था. और प्रीति
जोरों से मूह को उपर नीचे कर राज के लंड को चूस रही थी. जब वो
पीछे को होती तो उस व्यक्ति का लंड जड़ तक समा जाता और जब वो आगे
को होती तो राज का लंड उसके गले तक आ जाता.

प्रीति पूरे आनंद के साथ इस समहुक चुदाई मे मस्त थी. वो अब
घोड़ी बन पूरे जोश से चुद्वा रही थी. राज उसकी चुचियों को
मसल्ते हुए ज़ोर से उसके मूह को चोद रहा था और वो व्यक्ति पूरे ज़ोर
से प्रीति के कुल्हों को पकड़ धक्के लगा रहा था.

उसका खून उबाल मार रहा था और उसकी चूत फिर से एक बार पानी
छोड़ने को तय्यार थी, "चूऊऊऊओदूऊ मुझे और ज़ोर सी चोदो" वो
चीखी और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.

प्रीति ने पूरी ताक़त से अपनी गांद उस व्यक्ति के पाट के साथ सटा दी
और उसने उस व्यक्ति का वीर्य छूटता महसूस किया. उसके लंड की
पिचकारी इतनी तेज थी कि उसे लगा की उसका वीर्य ठीक उसकी बच्चे
दानी पर छूट रहा है. उसके लंड से इतना पानी निकला कि उसकी चूत
पूरी भर गयी और पानी चूत से टपकने लगा.

तभी राज ने उसके सिर को ज़ोर से पकड़ा और उसके मूह में अपने लंड की
पिचकारी छोड़ दी.

वो अंजना व्यक्ति अभी उसे चोदे जा रहा था. उसका लंड तेज़ी से उसकी
चूत के अंदर बाहर हो रहा था. प्रीति तकिये पर लेटी सोचने
लगी "हे भगवान क्या ये फिर मेरी चूत में अपना पानी छोड़ेगा."

उस व्यक्ति ने उसे बालों से पकड़ अपना लंड उसकी चूत में जड़ तक
समा दिया. फिर एक बार प्रीति ने उसके गरम वीर्य की पिचकारी अपनी
चूत में महसूस की.

प्रीति निढाल हो बिस्तर पर गिर गयी और अपनी तेज सांसो को संभालने
लगी. उसे अभी भी अपने आप पर विश्वास नही हो रहा था कि वो किसी
अंजान व्यक्ति से चुड़वाई है. एक ऐसे व्यक्ति से जिसकी उसने शक्ल भी
नही देखी.

वो अपने ख़यालों में खोई हुई थी कि उसने एक गाड़ी के जाने की आवाज़
सुनी. राज ने आगे बढ़कर उसके आँखों से पट्टी उतार दी.

"हॅपी बर्तडे मेरी जान !" राज मुस्कुरकर उसकी आँखों मे झाँक
रहा था.

"वो कौन था राज?" प्रीति ने पूछा.

"ये में तुम्हे कभी नही बताउन्गा, यही तो तुम्हारा अनोखा तोहफा
था." राज ने जवाब दिया.

"तो क्या मुझे अपने अगले जनमदिन तक रुकना पड़ेगा." प्रीति मन मन
सोची.

प्रीति की आँखों में चमक देख राज ने कहा, "मुझे खुशी है कि
तुम्हे तोहफा अच्छा लगा."

अगले पूरे हफ्ते तक प्रीति अपने जनमदिन की रात की चुदाई के
ख़यालों में खोई रही. जितना वो उस याद को मिटाने की कोशिश करती
उतनी ही याद ताज़ा हो जाती. उन यादों को सोचकर ही उसका बदन सिहर जाता
कि किस तरह उसके पति और एक अंजान मर्द ने उसे चोदा था.

कभी तो उसे अपने आप पर गुस्सा आता कि ये सब क्यों हुआ और उसके
पति ने कैसे एक अंजान मर्द को उनके बेडरूम मे ला अपनी ही पत्नी की
चुदाई करने दी, पर दूसरी और उसका दिल ये भी सोचता कि जितना आनंद
उसे उस रात चुदाई में आया था उतना कभी नही आया. एक रात में
शायद ही कभी उसकी चूत इतनी बार झड़ी होगी.

इन ख़यालों को मिटाने के लिए प्रीति ने अपने आपको काम में डुबा
दिया. फिर भी ये ख़याल कि उस रात को कौन था उसे सताते रहता
था. "ज़रूर वो राज का ही कोई दोस्त होगा, मुझे इसका पता लगाना ही
होगा." ये सोच वो फिर से अपने काम में जुट गयी.
 
गतान्क से आगे................
प्रीति अपनी नौकरी पर काम ख़त्म कर घर पहुँची और घर के काम
में मशरूफ हो गयी. राज नाइट शिफ्ट में काम करता था इसलिए उसे
अकेले ही खाना खाना पड़ा.

जब वो अपने बेडरूम में पहुँची तो फिर उन्ही ख्यालो ने उसे घेर
लिए. उस रात दो लंड के मज़े का नज़ारा उसकी आँखों के आगे आ गया.
खुद ब खुद उसका हाथ अपनी चूत पे चला गया और वो रगड़ने लगी.

"हे भगवान ये मुझे क्या होता जा रहा है?" प्रीति अपनी चूत को
ज़ोर ज़ोर से रगड़ते हुए सोच रही थी.

जैसे जैसे वो सोचती उतना ही ज़ोर से वो अपनी चूत को रगड़ रही
थी. आख़िर में उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.

इसी तरह कुछ हफ्ते निकल गये वो अक्सर उस रत के बारे में सोचती.
राज उसे हमेशा की तरह चोद्ता था पर उसने उस रात का जिकर कभी
नही किया. एक मर्द कैसे किसी गैर मर्द से अपनी बीवी चुदवाऐ और
उस विषय पर बात भी ना करे यही सोच प्रीति हैरान हो जाती थी.

वक्त गुज़रता गया और वो यादें भी धुन्द्लि पड़ती गयी. अब उसे
शनिवार का इंतेज़ार था जिस दिन राज और वो अपने ही ऑफीस में काम
करने वाली एक लड़की और उसके पति के साथ रात का खाना खाने होटेल
में जाने वाले थे.

प्रीति की दोस्त का नाम रश्मि है. रश्मि उम्र में प्रीति से छोटी
थी पर प्रीति को वो पसंद थी. रश्मि एक हस्मुख किस्म की खुले
विचारों वाली लड़की थी. उसका पति भी काफ़ी दिलचस्प इंसान था.
प्रीति ने कई बार उसे अपनी ओर देखते पाया था जब भी वो रश्मि के
घर उससे मिलने जाती.

"शनिवार को में इस बात का ध्यान रखूँगी कि सही में वो मेरी और
देखता है कि नही." प्रीति ने सोचा.

शनिवार की शाम प्रीति और राज, रश्मि और उसके पति से पहले से
तय होटेल में मिले. राज रश्मि के पति जीत से पहली बार मिल रहा
था. पर थोड़ी देर बाद कोई ये नही कह सकता था. दोनो आपस में
इतना घुल मिल गये थे जैसे बरसों की पहचान थी. प्रीति खुश हो
गयी थी कि कोई जोड़ी तो है जिसके साथ वो अक्सर बाहर जा सकते थे.

खाना खाने के बाद जीत रश्मि को डॅन्स फ्लोर पे ले गया और डॅन्स
करने लगा. प्रीति ने देखा कि राज की नज़रें रश्मि को ही घूर रही
है, और घुरे भी क्यों ना, रश्मि थी ही इतनी सुंदर.
 
"चलो राज हम भी डॅन्स करते है." प्रीति राज का हाथ पकड़ उसे
डॅन्स फ्लोर पर ले आई. प्रीति राज को खींच रश्मि और जीत के
एकदम पास ले आई और डॅन्स करने लगी. प्रीति ने देखा कि जीत ने
रश्मि के कूल्हे पकड़ उसे अपने और नज़दीक कर लिया और उसके कुल्हों
को सहलाने लगा. फिर से उस रात का नज़ारा प्रीति की आँखों के आगे
घूम गया.

प्रीति ने अपनी आँखें बंद कर अपना सिर राज के कंधे पर रख दिया.
जब किसी ने राज के कंधों को ठप थपाया तो उसने आँख खोली.

"क्या में तुम्हारी बीवी के साथ डॅन्स कर सकता हूँ?" जीत ने राज से
पूछा.

"एक ही शर्त पर अगर में रश्मि के साथ डॅन्स करूँ." राज ने कहा.

दोनो एक दूसरे की बीवी के साथ डॅन्स करने लगे. जीत ने मुझे खींच
कर नज़दीक कर लिया. मुझे उसके शरीर से निकलती डियो की खुश्बू
बहोत ही अच्छी लग रही थी. इतने में जीत मेरे कूल्हे सहलाने लगा.

डॅन्स करते हुए प्रीति ने देखा की रश्मि और राज एक दूसरे से चिपत
कर डॅन्स कर रहे थे. एक मीठी सी जलन उसके दिल में उठी पर
उसने उसे बढ़ने दिया वो भी तो किसी और के साथ डॅन्स कर रही थी.
इतने में जीत ने उसे खींच कर अपने से एकदम सटा लिया. उसका
खड़ा लंड प्रीति की जांघों पर ठोकर मार रहा था.

"ओह में किसी और भी अछी लगती हूँ." ये सोच कर में मन ही मन
मुस्कुरा दी.

पता नही ड्रिंक्स का असर था जो खाने के साथ ली थी या कुछ और.
जीत को अपने से दूर हटाने के बजाय प्रीति और उसके नज़दीक आ गयी
और अपनी चूत को उसके लंड पर रगड़ने लगी. उसने अपनी आँखें बंद
की और फिर उस अंजान व्यक्ति के ख्यालो मे खो गयी.

"राज ये तुमने मुझे क्या कर दिया है !" प्रीति ने सोचा.

जब म्यूज़िक ख़त्म हुआ तो हम सब अपने टेबल पे लौट आए.

"क्या तुम लोग हमारे घर एक दो ड्रिंक लेना पसंद करोगे?" जीत ने
राज से पूछा.

"हां क्यों नही, चलो चलते है यहाँ से." राज ने जवाब दिया.

कार में उनके घर जाते हुए प्रीति ने राज से पूछा, "जीत तुम्हे
कैसा इंसान लगा?"
 
"काफ़ी अच्छा और हस्मुख इंसान है, मुझे अछा लगा." राज ने जवाब
दिया, "और तुम्हारी सहेली रश्मि मी भी काफ़ी सुन्दर है."

"चलो अच्छा है हम ऐसे लोगों से तो मिले जो हम दोनो को पसंद
है." प्रीति ने कहा.

रश्मि का मकान छोटा ज़रूर था पर काफ़ी अच्छा बना हुआ था. जब हम
लोग हॉल में पहुँचे तो जीत अपनी सीडी लाइब्ररी से कोई मूवी ढूँडने
लगा. "प्रीति आओ और ड्रिंक बनाने मे मेरी मदद करो." रश्मि ने
कहा.

प्रीति रश्मि के पीछे पीछे किचन मे गयी और राज सोफे पर ढेर
हो गया.

रश्मि ने कॅबिनेट में से ग्लास निकालते हुए प्रीति से पूछा "क्या में
तुमसे कुछ पूछ सकती हूँ?"

"हां क्यों नही." प्रीति ने जवाब दिया.

"में समझती हू तुम्हारा पति काफ़ी हॅंडसम है और ये भी जानती हू
कि जीत तुम्हे चोद्ना चाहता है. क्या तुमने कभी स्वापिंग के बारे
में सुना है." रश्मि ने कहा.

"सुना तो है लेकिन कभी किया नही है," प्रीति ने जवाब
दिया. "हमने आपस में बात भी की है कि कभी मोका मिला तो कर के
देखेंगे."

"क्या आज अपने पति बदलना चाहोगी." रश्मि ने पूछा.

कुछ तो पहले की शराब का सुरूर और कुछ उस अंजान व्यक्ति की देन
प्रीति ने तुरंत कहा "हां क्यों नही."

"तो ठीक है जब हम ड्रिंक्स लेके हॉल में जाएँगे तो तुम मेरे पति
के पास बैठना और में तुम्हारे पति के पास फिर देखते है क्या होता
है." रश्मि ने ड्रिंक्स के ग्लास भरते हुए कहा.

"चलो देखते है क्या होता है." प्रीति ने जवाब दिया.

प्रीति रश्मि के पीछे हॉल में पहुँची तो देखा की हॉल में
एकदम अंधेरा है सिवाय टीवी की रोशनी के. रश्मि ने राज को ग्लास
पकड़ाया और उसके बगल में बैठ गयी. प्रीति ने जीत को ग्लास
पकड़ाया और वो भी उसके बगल में बैठ गयी.
 
"काफ़ी अच्छा और हस्मुख इंसान है, मुझे अछा लगा." राज ने जवाब
दिया, "और तुम्हारी सहेली रश्मि मी भी काफ़ी सुन्दर है."

"चलो अच्छा है हम ऐसे लोगों से तो मिले जो हम दोनो को पसंद
है." प्रीति ने कहा.

रश्मि का मकान छोटा ज़रूर था पर काफ़ी अच्छा बना हुआ था. जब हम
लोग हॉल में पहुँचे तो जीत अपनी सीडी लाइब्ररी से कोई मूवी ढूँडने
लगा. "प्रीति आओ और ड्रिंक बनाने मे मेरी मदद करो." रश्मि ने
कहा.

प्रीति रश्मि के पीछे पीछे किचन मे गयी और राज सोफे पर ढेर
हो गया.

रश्मि ने कॅबिनेट में से ग्लास निकालते हुए प्रीति से पूछा "क्या में
तुमसे कुछ पूछ सकती हूँ?"

"हां क्यों नही." प्रीति ने जवाब दिया.

"में समझती हू तुम्हारा पति काफ़ी हॅंडसम है और ये भी जानती हू
कि जीत तुम्हे चोद्ना चाहता है. क्या तुमने कभी स्वापिंग के बारे
में सुना है." रश्मि ने कहा.

"सुना तो है लेकिन कभी किया नही है," प्रीति ने जवाब
दिया. "हमने आपस में बात भी की है कि कभी मोका मिला तो कर के
देखेंगे."

"क्या आज अपने पति बदलना चाहोगी." रश्मि ने पूछा.

कुछ तो पहले की शराब का सुरूर और कुछ उस अंजान व्यक्ति की देन
प्रीति ने तुरंत कहा "हां क्यों नही."

"तो ठीक है जब हम ड्रिंक्स लेके हॉल में जाएँगे तो तुम मेरे पति
के पास बैठना और में तुम्हारे पति के पास फिर देखते है क्या होता
है." रश्मि ने ड्रिंक्स के ग्लास भरते हुए कहा.

"चलो देखते है क्या होता है." प्रीति ने जवाब दिया.

प्रीति रश्मि के पीछे हॉल में पहुँची तो देखा की हॉल में
एकदम अंधेरा है सिवाय टीवी की रोशनी के. रश्मि ने राज को ग्लास
पकड़ाया और उसके बगल में बैठ गयी. प्रीति ने जीत को ग्लास
पकड़ाया और वो भी उसके बगल में बैठ गयी.
 
Back
Top