Hindi Sex Stories By raj sharma - Page 7 - SexBaba
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Hindi Sex Stories By raj sharma

मेरी दीदी की ननद --3

गतांक से आगे.............
मैने पारो को दो बार चोदा था लेकिन उस की भोस ठीक से देखी नहीं थी. इस वक़्त पहली बार गौर से देख ने का मौक़ा मिला था मुझे. उस की मोन्स काफ़ी उँची थी. बड़े होठ मोटे थे और एक दूजे से सटे हुए थे. मोन्स पर और बड़े होठ के बाहरी हिस्से पर काले घुंघराले झांट थे. बड़े होठ बीच तीन इंच लंबी दरार थी. मैने होले से बड़े होठ चौड़े किए. अंदर का कोमल हिस्सा दिखाई दिया. जांवली गुलाबी रंग के छोटे होठ सूज गये मालूम होते थे. छोटे होठ आगे जहाँ मिलते थे वहाँ उस की क्लैटोरिस थी. इस वक़्त क्लैटोरिस कड़ी हुई थी, एक इंच लंबी थी. उस का छोटा सा मत्था चेरी जैसा दिखता था. दरार के पिछले भाग में था योनी का मुख, जो अभी बंद था. सारी भोस काम रस से गीली गीली हो गयी थी.मुज़े फिर किताब की शिक्षा याद आई, कैसे प्रिया की भोस चाटी जाती है पहले मेने बड़े होठ के बाहरी भाग पर जीभ चलाई. आगे से पीछे और पीछे से आगे, दो नो साइड चाटी. पारो के नितंब हिलने लगे. होठ चौड़े कर के मेने जीभ की नोक से अंदारी हिस्सा चाटा और क्लटोरिस टटोली. क्लटोरिस को मेरे होटों बीच लिया और चूसा. पारो से सहा नहीं गया. मेरा सर पकड़ कर उस ने हटा दिया और मुज़े खींच कर अपने उपर ले लिया. उस ने अपनी जांघें मेरी कमर में डाल दी तो भोस मेरे लंड साथ जुट गयी धीरे से वो बोली: चल ना, कितनी देर लगाता है ?राह देख ने की क्या ज़रूरत थी ? हाथ में पकड़ कर लंड का मत्था मेने भोस की दरार में रगडा , ख़ास तौर से क्लैटोरिस पर इस वक़्त मुझे पता था की चूत कहाँ है इसी लिए लंड को ठीक निशाने पर लगाने में दिक्कत ना हुई. लंड का मत्था चूत के मुँह में फसा कर में पारो पर लेट गया.मैने कहा : पारो, दर्द हॉवे तो बता देना.हलके दबाव से मैने लंड चूत में डाला. स र र र र र करता हुआ लंड जब आधा सा अंदर गया तब में रुका. मैने पारो से फिर पूछा : दर्द होता है क्या?जवाब में उस ने अपनी बाहें मेरे गले में डाली और सर हिला कर ना कही. अब मैं आगे बढ़ा और होले होले पूरा लंड चूत में पेल दिया. उस की सीकुडी चूत की दीवारें लंड से चिपक गयीउपरवाले ने भी क्या जोड़ी बनाई है लंड चूत की. ? अभी तो चूत में डाला ही था, चोद ना शुरू किया नही था, फिर भी सारे लंड में से आनंद का रस झर ने लगा था. लंड से निकली हुई झुरझूरी सारे बदन में फैल जाती थी. थोड़ी देर लंड को चूत की गहराई में दबा रख मैं रुका और चूत का मज़ा लिया. मैने उन से पूछा : पारो, मज़ा आता है ना ?इतना कह कर मैने लंड खींचा. तुरंत उस ने मेरे कुले पर पाँव से दबाव डाला और चूत सिकोड कर लंड नीचोड़ा. मैने फिर कहा : अब तू मुँह से कहोगी तब ही चोदुन्गा वरना उतर जा उंगा., क्या करना है ?वो बोली : क्यूं सताते हो ? मैं नहीं बोल सकती.मैं : पाँव पसारे लंड ले सकती हो और बोल नहीं सकती ? एक बार बोल, मुज़े चोदो.हिचकिचाती हुई वो बोली : म ---- मुझे च ---- चो --- दो.फिर क्या कहना था ? आधा लंड बाहर निकाल कर मैने फिर घुसा दिया. धीरे और लंबे धक्के से मैं पारो को चोद ने लगा: स र र र र बाहर, स र र र र अंदर. वो भी अपने नितंब हिला हिला कर इस तरह चुदवाती थी की लंड का मत्था चूत की अलग अलग जगह से घिस पाए. किताब में मैने क्लैटोरिस के बारे में पढ़ा था. मैं भी इस तरह धक्के देता था जिस से क्लैटोरिस रगडी जाए.तीन दिन के बाद ये पहली चुदाई थी पारो के लिए हम दोनो जल्दी एक्साइट हो गये लंड चूत में आते जाते ठुमक ठुमक करने लगा. योनी में स्पंदन होने लगे. पारो ज़ोरों से मुझ से लिपट गई. मेरे धक्के तेज़ और अनियमित हो गये मैं घचा घच्छ, घचा घच्छ चोद ने लगा. एका एक पारो का बदन अकड गया और वो चिल्ला उठी, मेरी पीठ पर उस ने नाख़ून गाड़ दिए ज़ोर ज़ोर से चारों ओर नितंब घुमा कर झटके देने लगी चूत में फट फट फटाके होने लगे. अपने स्तन मेरे सीने से रगड दिए ओर्गाझम तीस सेकंड चला.ओर्गाझम के बाद भी वो मुझ से हाथ पाँव से जकड़ी रही. मैं झरने से क़रीब था इसी लिए रुका नहीं. धना धन धना धन धक्के लगता रहा, लंड कड़ा था और चूत गीली थी इसी लिए ऐसी घमासान चुदाई हो सकी. ज़ोरों के पाँच सात धक्के मार मैने पिचकारी छोड़ दी. मेरे वीर्य से उस की योनी छलक गयीकुछ देर तक हम होश खो बैठे. जब होश आया तो पता चला की पारो चिल्लई थी और हो सकता था की दीदी और जीजू ने चीख सुन भी ली हो. घबड़ा कर मैं झटपट उतरा और बोला : पारो, जलदी कर, चली जा यहाँ से. दीदी जीजू आ जाएँगे तो मुसीबत खड़ी हो जाएगी.पारो का जवाब सुन कर मैं हैरान रह गया, वो बोली : आने भी दे, तू डर मत. मैं ख़ुद भैया से कहूँगी की तेरा कसूर नहीं है मैं ही अपने आप चु ---- चु --- वो करवाने चली आई हूँ अब लेट जा मेरे साथ.हम दोनो एक दूजे से लिपट कर सो गये दीदी या जीजू कोई आया नहीं.सुबह पाँच बजे वो जागी और अपने कमरे में जाने तैयार हुई. मुँह पर किस कर मुझे जगाया और बोली : मैं चलती हूँ सुबह के पाँच बजे हें, तुम सोते रहो और आराम करो. रात फिर मिलेंगे.मैं लेकिन कहाँ उस को जाने देनेवाला था ? खींच कर उसे आगोश में ले लिया. वो ना नूं करती रही, मैं जगह जगह पर किस कर ता रहा. आख़िर उस ने पाजामा उतारा और जांघें फैलाई. मेरा लंड तैयार ही था. एक झटके में चूत की गहराई नाँपने लगा. इस वक़्त सावधानी की कोई जरूरत नहीं थी, धना धन फ़ास्ट चुदाई हो गयी तीन मिनिट तक दोनो साथ साथ झरे.मैने पारो को दो बार चोदा था लेकिन उस की भोस ठीक से देखी नहीं थी. इस वक़्त पहली बार गौर से देख ने का मौक़ा मिला था मुझे. उस की मोन्स काफ़ी उँची थी. बड़े होठ मोटे थे और एक दूजे से सटे हुए थे. मोन्स पर और बड़े होठ के बाहरी हिस्से पर काले घुंघराले झांट थे. बड़े होठ बीच तीन इंच लंबी दरार थी. मैने होले से बड़े होठ चौड़े किए. अंदर का कोमल हिस्सा दिखाई दिया. जांवली गुलाबी रंग के छोटे होठ सूज गये मालूम होते थे. छोटे होठ आगे जहाँ मिलते थे वहाँ उस की क्लैटोरिस थी. इस वक़्त क्लैटोरिस कड़ी हुई थी, एक इंच लंबी थी. उस का छोटा सा मत्था चेरी जैसा दिखता था. दरार के पिछले भाग में था योनी का मुख, जो अभी बंद था. सारी भोस काम रस से गीली गीली हो गयी थी.मुज़े फिर किताब की शिक्षा याद आई, कैसे प्रिया की भोस चाटी जाती है पहले मेने बड़े होठ के बाहरी भाग पर जीभ चलाई. आगे से पीछे और पीछे से आगे, दो नो साइड चाटी. पारो के नितंब हिलने लगे. होठ चौड़े कर के मेने जीभ की नोक से अंदारी हिस्सा चाटा और क्लटोरिस टटोली. क्लटोरिस को मेरे होटों बीच लिया और चूसा.
 
पारो से सहा नहीं गया. मेरा सर पकड़ कर उस ने हटा दिया और मुज़े खींच कर अपने उपर ले लिया. उस ने अपनी जांघें मेरी कमर में डाल दी तो भोस मेरे लंड साथ जुट गयी धीरे से वो बोली: चल ना, कितनी देर लगाता है ?राह देख ने की क्या ज़रूरत थी ? हाथ में पकड़ कर लंड का मत्था मेने भोस की दरार में रगडा , ख़ास तौर से क्लैटोरिस पर इस वक़्त मुझे पता था की चूत कहाँ है इसी लिए लंड को ठीक निशाने पर लगाने में दिक्कत ना हुई. लंड का मत्था चूत के मुँह में फसा कर में पारो पर लेट गया.मैने कहा : पारो, दर्द हॉवे तो बता देना.हलके दबाव से मैने लंड चूत में डाला. स र र र र र करता हुआ लंड जब आधा सा अंदर गया तब में रुका. मैने पारो से फिर पूछा : दर्द होता है क्या?जवाब में उस ने अपनी बाहें मेरे गले में डाली और सर हिला कर ना कही. अब मैं आगे बढ़ा और होले होले पूरा लंड चूत में पेल दिया. उस की सीकुडी चूत की दीवारें लंड से चिपक गयीउपरवाले ने भी क्या जोड़ी बनाई है लंड चूत की. ? अभी तो चूत में डाला ही था, चोद ना शुरू किया नही था, फिर भी सारे लंड में से आनंद का रस झर ने लगा था. लंड से निकली हुई झुरझूरी सारे बदन में फैल जाती थी. थोड़ी देर लंड को चूत की गहराई में दबा रख मैं रुका और चूत का मज़ा लिया. मैने उन से पूछा : पारो, मज़ा आता है ना ?इतना कह कर मैने लंड खींचा. तुरंत उस ने मेरे कुले पर पाँव से दबाव डाला और चूत सिकोड कर लंड नीचोड़ा. मैने फिर कहा : अब तू मुँह से कहोगी तब ही चोदुन्गा वरना उतर जा उंगा., क्या करना है ?वो बोली : क्यूं सताते हो ? मैं नहीं बोल सकती.मैं : पाँव पसारे लंड ले सकती हो और बोल नहीं सकती ? एक बार बोल, मुज़े चोदो.ूसरे दिन मैने दीदी से पूछा की आईने में देखते हुए चुदाई का मज़ा कैसा होता है वो बोली : शैतान, तुझे कैसे पता चला की हम ----- की हम ----- ?मैं दीदी को कोतरी में ले गया और सुराख दिखाई. वो समझ गयीशालिनी : तो तू ने आख़िर हमारी चुदाई देख ही ली.मैं : मैने नहीं, हम ने कहो.शालिनी : ओह, पारो भी साथ थी ?मैं : हाँ थी.शालिनी : तब तो तूने उसे ---- उसे ---- ?मैं : हाँ मैने उसे चोदा जी भर के.शालिनी : चूत भर के कहो. कैसी लगी उस की कँवारी चूत ?मैं : बहुत प्यारी. मेरा लंड भी कँवारा ही था ना ?शालिनी : अब क्या ? शादी करेगा उस से ?दोस्तो, आ गाये हम स्क्वेर ए पर मेरी समस्या. मैं दीदी के घर ज़्यादा रुका नहीं लेकिन जीतने दिन रहा इतने दिन रोज़ाना रात को पारो को चोदा. किताब में दिखाए आसनों में से कोई कोई ट्राय कर देखे. किताब के मुताबिक़ लंड चुस ना उस को सिखाया. अकेले मुँह को क्लैटोरिस से लगा कर मैने उसे ओर्गाझम दिए छुट्टियाँ ख़तम हो ने से पहले मैं घर लौट आया.सवाल अब ये है की मुझे पारो से शादी करनी चाहिए या नहीं. हम ने जो चुदाई की उस में प्यार शामिल नहीं था. वो लंड के लिए तरस रही थी और मेरी बहन को परेशन किए जा रही थी. मेरे दिमाग़ में बदले की भावना थी और मेरी बहन को सुखी करने का मेरा प्रयत्न था. यूँ कहो की दीदी के वास्ते ही मैने पारो को चोदा ---- पहली बार. बाक़ी की चुदाई हम आनंद के लिए करते रहे.दुसरी ओर मैं सोचता हूँ की जैसी हो वैसी पारो एक कँवारी मासूम लड़की थी जिस के साथ मिल कर हम दोनो ने हमारे कौमार्य का बलिदान दिया. मेरे लंड के वास्ते पारो की चूत पहली चूत थी और उन के लिए मेरा लंड पहला लंड था. और ये भी हक़ीकत है की हम दोनो ने जम कर चुदाई की और बहुत आनंद लिया. पारो और मैं एक दूजे के लिए 100% अनुकूल साबित हुए. हो सके की मेरी नयी पत्नी मुझ से और पारो का नया पति उन से इतने अनुकूल ना भी निकले. वैसे तो पारो अच्छी लड़की है उस के हॉर्मोन्स ने उसे उकसा दिया था. लेकिन पति पत्नी बीच जो प्यार का सीमेंट होना चाहिए वो नहीं है क्या करूँ मैं ?चुदाई का स्वाद चख ने के बाद मैं -- योग्य पात्र -- की रह देखने के मूड में नहीं हूँ मुझे चूत चाहिए पारो की है वैसी. कर लूं शादी पारो से ?और हाँ दीदी कहती थी की मुझ से शादी करने पारो राज़ी है दीदी और जीजा भी.समझ में नहीं आता मेरी. आप लोग राय दे कर मदद कीजिएगा, प्लीज़ये कहानी भी स्मापत हुई अपनें विचार प्रकट करें

समाप्त............
 
Raj-Sharma-stories

आआहह बस करो मामा


मैं देल्ही मैं रहती हूँ और मेरा नाम शशि है. उमर अभी केवल 15 साल है. मैं एकलौती हूँ मेरी माँ भी अभी केवल 35 साल की हैं. मेरे छोटे मामा अक्सर घर आया करते हैं. वो ज़्यादातर मम्मी के कमरे मे ही घुसे रहते हैं. मुझे पहले तो कुच्छ नही लगा पर एक दिन जान ही गयी की मम्मी अपने छोटे भाई यानी मेरे मामा से ही मज़ा लेती हैं. मुझे बहुत आश्चर्य हुआ पर अजीब सा मज़ा भी मिला दोनो को देखकर. मैं जान गयी मम्मी अपने भाई से फाँसी है और दोनो चुदाई का मज़ा लेते हैं. मामा करीब 25 साल के थे. मामा अब मुझे भी अजीब नज़रो से देखते थे. मैं कुच्छ ना बोलती थी.
घर के माहौल का असर मुझ पर भी पड़ा. मामा को अपनी चूचियों को घूरते देख अजीब सा मज़ा मिलता था. अगर पापा नही होते तू मम्मी मामा को अपने रूम मैं ही सुलाती. एक रात मम्मी के रूम मैं कान लगा दोनो की बात सुन रही थी तो दोनो की बात सुन दंग रह गयी.
मामा ने कहा, "दीदी अब तो शशि भी जवान हो गयी है. दीदी आप ने कहा था की शशि का मज़ा भी तुम लेना."
"औह मेरे प्यारे भैया तुमको रोकता कौन है. तुम्हारी भांजी है जो करना है करो. जवान हो गयी है तू चोद दो साली को. जब मैं शशि की उमर की थी तो कई लंड खा चुकी थी. 5 साल से सिर्फ़ तुमसे ही चुद्वा रही हूँ. आजकल तो लड़किया 14 साल मे चुद्वाने लगती हैं." मैं चुप चाप दोनो की बात सुन रही थी और बेचैन हो रही थी.
"वा गुस्सा ना हो जाए."
"नही होगी. तुम गधे हो. पहली बार सब लड़कियाँ बुरा मनती है पर जब मज़ा पाएगी तो लाइन देने लगेगी. ज़रा चूत चाटो."
"जी दीदी." वो मम्मी की चूत को चाटने लगा. कुच्छ देर बाद फिर मामा की आवाज़ आई, "पूरी गदरा गयी है दीदी."
"हाँ हाथ लगाओगे तू और गदराएगी. डरने की ज़रूरत नही. अगर नखरे दिखाए तो पटक कर चोद दो. देखना मज़ा पाते ही अपने मामा की दीवानी हो जाएगी जैसे मैं अपने भैया की दीवानी हो गयी हूँ. चाटो मेरे भाई मुझे चटवाने मैं बहुत मज़ा आता है."
"हाँ दीदी मुझे भी तुम्हारी चूत्त चाटने मैं बड़ा मज़ा मिलता है."
मैं दोनो की बात सुन मस्त हो गयी. मन का डर तो मम्मी की बात सुनकर निकल गया. जान गयी की मेरा कुँवारापन बचेगा नही. मम्मी खुद मुझे चुदवाना चाह रही थी. जान गयी की जब मम्मी को इतना मज़ा आ रहा है तो मुझे तो बहुत आएगा. मम्मी तो अपने सगे भाई से चुदवा ही रही थी साथ ही मुझे भी चोदने को कह रही थी.
मम्मी और मामा की बात सुनकर मैं वापस आ अपने कमरे मैं लेट गयी. दोनो चूचियों तेज़ी से मचल रही थी और राणो के बीच की चूत गुदगुदा रही थी. कुच्छ देर बाद मैं फिर खिड़की के पास गयी और अंदर की बात सुनने लगी. अजीब सी पुक्क पुक्क की आवाज़ आ रही थी. मैने सोचा की यह कैसी आवाज़ है. तभी मम्मी की आवाज़ सुनाई दी, "हाए थोड़ा और. साले बेहन्चोद तुमने तो आज थका ही दिया."
"अरे साली रंडी अभी तो 100 बार ऐसे ही करूँगा."
मैं तड़प उठी दोनो की गंदी बातें सुनकर. जान गयी की पुक्क पुक्क की आवाज़ चुदाई की है और मम्मी अंदर चुद रही हैं. मामा मम्मी को चोद रहें हैं. तभी मम्मी ने कहा, "हाए बहुत दमदार लंड है तुम्हारा. ग़ज़ब की ताक़त है मेरी दो बार झड़ चुकी है. आआअहह बस ऐसे ही तीसरी बार निकलने वाला है. आअहह बस राजा निकला. तुम सच मैं एक बार मैं दो तीन को शांत कर सकते हो. जाओ अगर तुम्हारा मन और कर रहा हो तो शशि को जवान करदो जाकर."
"कहाँ होगी."
"अपने कमरे मैं. जाओ दरवाज़ा खुला होगा. मुझमे तो अब जान ही नही रह गयी है." मम्मी ने तो यह कह कर मुझे मस्त ही कर दिया था. घर मैं सारा मज़ा था. मामा अपनी बड़ी बहन को चोद्ने के बाद अब अपनी कुँवारी भांजी को चोद्ने को तैयार थे.
मम्मी के चुप हो जाने के बाद मैं अपने कमरे मैं आ गयी. जान गयी की मामा मम्मी को चोद्ने के बाद मेरी कुँवारी चूत को चोद्कर जन्नत का मज़ा लेने मेरे कमरे मैं आएँगे. पूरे बदन मे करेंट दौड़ने लगा. रूम मे आकर फ़ौरन मॅक्सी पहनी. मैं चड्डी पहनकर सोती थी पर आज चड्डी भी नही पहनी. आज तो कुँवारी चूत की ओपनिंग थी. चूत की धड़कन बढ रही थी और चूचियों मे रस भर रहा था. मन कर रहा था की कहदूँ मामा मम्मी तो बूढ़ी है. मैं जवान हूँ. चोडो मुझे.
रात के 11:30 बज चुके थे. दरवाज़ा खुला रखा था. मॅक्सी को एक टाँग से ऊपर चड़ा दिया और एक चूची को गले की और से थोड़ी सी बाहर निकाल दिया और मामा के आने की आहट लेने लगी. मैं मस्त थी और ऐसे पोज़ मे थी की कोई भी आता तो उसे अपनी चखा देती. अभी तक लंड नही देखा था बस सुना था.
10 मिनिट बाद मामा की आहट मिली. मेरे रोएँ खड़े हो गये. मुझे करार नही मिला तो झटके से पूरी चूची को बाहर निकाल आँखें बंद कर ली. जब मामा 35 साल की चूत का दीवाना था तो मेरी 15-16 साल की देखकर तो पागल हो जाएगा. तभी मामा कमरे मैं आया. मैं गुदगुदी से भर गयी.
जो सोचा था वही हुआ. पास आते ही उसकी आँख मेरी बिखरी मॅक्सी पर राणो के बीच गयी. मम्मी के पास से वापस आने पर मामा का जो मज़ा खराब हुआ था वो अब फिर आने लगा था. वो अपने दोनो हाथ पलंग पर जमा मेरी राणो पर झुका तो मैने आँखे बंद कर ली. मेरी साँस तेज़ हो गयी और मेरी चूचियों और चूत मे फुलाव आ गया. मैने दोनो राणो के बीच 1 फुट का फासला किया और उसे 15 साल की चूत का पूरा दीदार करा रही थी.
कुच्छ देर तक वो मेरी चूत को घूरता रहा फिर मेरे दोनो उभरे उभरे अनारो को निहारता धीरे से बोला, "हाए क्या उम्दा चीज़ है, एकदम पाव रोटी का टुकड़ा. हाए राज़ी हो जाती तो कितना मज़ा आता." और इसके साथ ही उसने झुककर मेरी चूत को बेताबी के साथ चूम लिया तो पूरे बदन मे करेंट दौड़ गया.
 
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आआहह बस करो मामा


मैं देल्ही मैं रहती हूँ और मेरा नाम शशि है. उमर अभी केवल 15 साल है. मैं एकलौती हूँ मेरी माँ भी अभी केवल 35 साल की हैं. मेरे छोटे मामा अक्सर घर आया करते हैं. वो ज़्यादातर मम्मी के कमरे मे ही घुसे रहते हैं. मुझे पहले तो कुच्छ नही लगा पर एक दिन जान ही गयी की मम्मी अपने छोटे भाई यानी मेरे मामा से ही मज़ा लेती हैं. मुझे बहुत आश्चर्य हुआ पर अजीब सा मज़ा भी मिला दोनो को देखकर. मैं जान गयी मम्मी अपने भाई से फाँसी है और दोनो चुदाई का मज़ा लेते हैं. मामा करीब 25 साल के थे. मामा अब मुझे भी अजीब नज़रो से देखते थे. मैं कुच्छ ना बोलती थी.
घर के माहौल का असर मुझ पर भी पड़ा. मामा को अपनी चूचियों को घूरते देख अजीब सा मज़ा मिलता था. अगर पापा नही होते तू मम्मी मामा को अपने रूम मैं ही सुलाती. एक रात मम्मी के रूम मैं कान लगा दोनो की बात सुन रही थी तो दोनो की बात सुन दंग रह गयी.
मामा ने कहा, "दीदी अब तो शशि भी जवान हो गयी है. दीदी आप ने कहा था की शशि का मज़ा भी तुम लेना."
"औह मेरे प्यारे भैया तुमको रोकता कौन है. तुम्हारी भांजी है जो करना है करो. जवान हो गयी है तू चोद दो साली को. जब मैं शशि की उमर की थी तो कई लंड खा चुकी थी. 5 साल से सिर्फ़ तुमसे ही चुद्वा रही हूँ. आजकल तो लड़किया 14 साल मे चुद्वाने लगती हैं." मैं चुप चाप दोनो की बात सुन रही थी और बेचैन हो रही थी.
"वा गुस्सा ना हो जाए."
"नही होगी. तुम गधे हो. पहली बार सब लड़कियाँ बुरा मनती है पर जब मज़ा पाएगी तो लाइन देने लगेगी. ज़रा चूत चाटो."
"जी दीदी." वो मम्मी की चूत को चाटने लगा. कुच्छ देर बाद फिर मामा की आवाज़ आई, "पूरी गदरा गयी है दीदी."
"हाँ हाथ लगाओगे तू और गदराएगी. डरने की ज़रूरत नही. अगर नखरे दिखाए तो पटक कर चोद दो. देखना मज़ा पाते ही अपने मामा की दीवानी हो जाएगी जैसे मैं अपने भैया की दीवानी हो गयी हूँ. चाटो मेरे भाई मुझे चटवाने मैं बहुत मज़ा आता है."
"हाँ दीदी मुझे भी तुम्हारी चूत्त चाटने मैं बड़ा मज़ा मिलता है."
मैं दोनो की बात सुन मस्त हो गयी. मन का डर तो मम्मी की बात सुनकर निकल गया. जान गयी की मेरा कुँवारापन बचेगा नही. मम्मी खुद मुझे चुदवाना चाह रही थी. जान गयी की जब मम्मी को इतना मज़ा आ रहा है तो मुझे तो बहुत आएगा. मम्मी तो अपने सगे भाई से चुदवा ही रही थी साथ ही मुझे भी चोदने को कह रही थी.
मम्मी और मामा की बात सुनकर मैं वापस आ अपने कमरे मैं लेट गयी. दोनो चूचियों तेज़ी से मचल रही थी और राणो के बीच की चूत गुदगुदा रही थी. कुच्छ देर बाद मैं फिर खिड़की के पास गयी और अंदर की बात सुनने लगी. अजीब सी पुक्क पुक्क की आवाज़ आ रही थी. मैने सोचा की यह कैसी आवाज़ है. तभी मम्मी की आवाज़ सुनाई दी, "हाए थोड़ा और. साले बेहन्चोद तुमने तो आज थका ही दिया."
"अरे साली रंडी अभी तो 100 बार ऐसे ही करूँगा."
मैं तड़प उठी दोनो की गंदी बातें सुनकर. जान गयी की पुक्क पुक्क की आवाज़ चुदाई की है और मम्मी अंदर चुद रही हैं. मामा मम्मी को चोद रहें हैं. तभी मम्मी ने कहा, "हाए बहुत दमदार लंड है तुम्हारा. ग़ज़ब की ताक़त है मेरी दो बार झड़ चुकी है. आआअहह बस ऐसे ही तीसरी बार निकलने वाला है. आअहह बस राजा निकला. तुम सच मैं एक बार मैं दो तीन को शांत कर सकते हो. जाओ अगर तुम्हारा मन और कर रहा हो तो शशि को जवान करदो जाकर."
"कहाँ होगी."
"अपने कमरे मैं. जाओ दरवाज़ा खुला होगा. मुझमे तो अब जान ही नही रह गयी है." मम्मी ने तो यह कह कर मुझे मस्त ही कर दिया था. घर मैं सारा मज़ा था. मामा अपनी बड़ी बहन को चोद्ने के बाद अब अपनी कुँवारी भांजी को चोद्ने को तैयार थे.
मम्मी के चुप हो जाने के बाद मैं अपने कमरे मैं आ गयी. जान गयी की मामा मम्मी को चोद्ने के बाद मेरी कुँवारी चूत को चोद्कर जन्नत का मज़ा लेने मेरे कमरे मैं आएँगे. पूरे बदन मे करेंट दौड़ने लगा. रूम मे आकर फ़ौरन मॅक्सी पहनी. मैं चड्डी पहनकर सोती थी पर आज चड्डी भी नही पहनी. आज तो कुँवारी चूत की ओपनिंग थी. चूत की धड़कन बढ रही थी और चूचियों मे रस भर रहा था. मन कर रहा था की कहदूँ मामा मम्मी तो बूढ़ी है. मैं जवान हूँ. चोडो मुझे.
रात के 11:30 बज चुके थे. दरवाज़ा खुला रखा था. मॅक्सी को एक टाँग से ऊपर चड़ा दिया और एक चूची को गले की और से थोड़ी सी बाहर निकाल दिया और मामा के आने की आहट लेने लगी. मैं मस्त थी और ऐसे पोज़ मे थी की कोई भी आता तो उसे अपनी चखा देती. अभी तक लंड नही देखा था बस सुना था.
10 मिनिट बाद मामा की आहट मिली. मेरे रोएँ खड़े हो गये. मुझे करार नही मिला तो झटके से पूरी चूची को बाहर निकाल आँखें बंद कर ली. जब मामा 35 साल की चूत का दीवाना था तो मेरी 15-16 साल की देखकर तो पागल हो जाएगा. तभी मामा कमरे मैं आया. मैं गुदगुदी से भर गयी.
जो सोचा था वही हुआ. पास आते ही उसकी आँख मेरी बिखरी मॅक्सी पर राणो के बीच गयी. मम्मी के पास से वापस आने पर मामा का जो मज़ा खराब हुआ था वो अब फिर आने लगा था. वो अपने दोनो हाथ पलंग पर जमा मेरी राणो पर झुका तो मैने आँखे बंद कर ली. मेरी साँस तेज़ हो गयी और मेरी चूचियों और चूत मे फुलाव आ गया. मैने दोनो राणो के बीच 1 फुट का फासला किया और उसे 15 साल की चूत का पूरा दीदार करा रही थी.
कुच्छ देर तक वो मेरी चूत को घूरता रहा फिर मेरे दोनो उभरे उभरे अनारो को निहारता धीरे से बोला, "हाए क्या उम्दा चीज़ है, एकदम पाव रोटी का टुकड़ा. हाए राज़ी हो जाती तो कितना मज़ा आता." और इसके साथ ही उसने झुककर मेरी चूत को बेताबी के साथ चूम लिया तो पूरे बदन मे करेंट दौड़ गया.
 
भाभी की बेबसी और मेरा प्यार--1

सभी पाठको (चुत वालियों व लंडवालों) के लिए एक बार फिर कामुकता से भरी कहानी पेश कर रहा हूँ. आशा हैं की आप लोगो को यह सत्य कथा पसंद आएगी. कृपया इस सत्य कथा पर अपने विचार प्रकट करनी की कृपा करे जैसे की आप जानते हैं जब मैं ५ साल का था तब एक बस दुर्घटना में मेरे माता पिता का देहांत हो गया था हालाँकि मैं में उस दुर्घटना में सामिल था पर इश्वर की कृपा से मैं बच गया था. मेरे पिताजी ने काफी बैंक बैलेंस रखा था इस कारण हमें कोई भी आर्थिक कमी नहीं थी हर महीने बैंक बैलेंस की रकम से करीब २५-३० हजार रूपये ब्याज के रूप में मिलते थे जिस कारण घर खर्च आराम से निकल जाता था. जब अब मैं २8 वर्ष का हो चूका था इसलिए मेरी देख भाल के लिए किसी की जरुरत नहीं थी खाना बनाने के लिए व बर्तन कपडे धोने के लिए २ नौकरानी रखी थी वे सुबह शाम आकर काम निबटा कर अपने अपने घर चली जाती थी. मैंने अब अपना पुराना मकान बेच कर उसी ईमारत में २ बेडरूम, एक हॉल और किचन वाला मकान ले लिया था. मेरे पास ६-७ छोटी छोटी कंपनिया थी जिस का अकाउंट व बिल्लिंग का काम घर पैर लाकर करता था जिस से अतिरित आय भी हो जाती थी और टाइम पास भी | मकान बड़ा होने के कारण मैं ११-११ महीने के लिए पेईंग गेस्ट रखता था मेरे बेड रूम में कंप्यूटर लगा था मेरे बेड रूम के बगल में बाथरूम व टोइलेट था और उसके बगल में एक और बेड रूम था उसके बगल में किचन और हॉल में टी वी सेट इत्यादि थे.पिछले २ महीने से पेईंग गेस्ट के रूप में ५० वर्षिय रहमान भाई व उनकी बीवी जान जो की ३८ वर्षिय थी और उनका नाम शकीना था. रहमान भाई सरकारी कर्मचारी थे जिनका तबादला कुछ महीनो के लिए इस शहर में हुआ था रहमान भाई ने ८ साल पहले शकीना से दूसरी शादी की थी उनकी पहले वाली बीवी का देहावास हो चूका था इसलिए उन्होंने दूसरी शादी की. पहले वाली बीवी से उनको एक लड़का हुआ जो अब २४ साल का हैं और कुवैत में रह कर काम करता हैं. शकीना (दूसरी बीवी) से उनको कोई औलाद नहीं हुई रहमान भाई को मैं भाई जान कहता था और शकीना को भाभी जान. शकीना भाभी बिलकुल जय ललिता (तमिल नाडू की मुख्य मंत्री) की तरह गोल मटोल गौरा चहेरा नुकीले नाक बड़ी बड़ी सुरमई आँखे, ठुड्डी पर छोटा सा तिल उनके मुख मंडल पर चार चाँद लगा रहे थे. उनके मोटे मोटे चूचियां तो उनके बदन की शोभा बड़ा रहे थे वो ऊँची कद काठी की खुबसूरत काया की मलिक्का थी जब वो चलती थी तब उनके मोटे मोटे गोल मटोल चुतड ऊपर निचे हिचकोले खाते थे मुझे उनकी मटक ती हुई गांड बहुत अच्छे लगती थी. मोटी और लम्बी कद होने के बावजूद वो हर एक को आकर्षित करने वाली हसमुख स्वाभाव की थोड़ी पढ़ी लिखी औरत थी. वो गरीब परिवार से थी इसलिए उसके माँ बाप ने रहमान भाई जान (जो की शकीना की उम्र से १२ वर्ष बड़े हैं) से निकाह कर दिया था हालाँकि रहमान भाई जान की सरकारी नौकरी थी इसलिए शकीना को भी कोई ऐतराज नहीं था शकीना हमेशा सलवार कुर्ते में रहती थी इन दो महीनो में हम तीनो काफी घुल मिल गए थे रहमान भाई को हर शनिवार और रविवार को दफ्तर की छुटी होती थी तो कभी कभार मैं और रहमान भाई संग में बैठ शराब पी लेते थे तब शकीना भाभी अपनी गांड मटकाते हुवे हमारे लिए खाने को कुछ ना कुछ लाकर देती थी जब मैं शराब का घुट लेकर शकीना भाभी को गांड मटका कर जाते हुवे देखता तो मेरे लंड राज में हल चल मच जाती थी. रहमान भाई बहुत ही रसिया इन्सान थे जिसका मुझे कुछ दिनों में पता चला. घर की मुख्य दरवाजे की दो चाबियाँ थी एक मेरे पास रहती थी और एक उन मिया बीवी के पास होती थी रहमान भाई सुबह ८ बजे दफ्तर चले जाते थे उनके जाने के बाद शकीना भाभी नहाकर रसोई में खाना बनाने लगती थी और मैं सुबह ९-१० बजे उठ कर दिनचर्या निबटा कर नहाने चला जाता था फिर भाभी जान और मैं मिल कर नाश्ता करते थे. जैसे की मैंने बताया की शकीना भाभी जब रहमान भाई घर में होते थे तब वो मुझसे कम बाते करती थी और उनके दफ्टर जाते ही वो बहुत बातूनी बन जाती थी और मेरे साथ हंसी मजाक करने लगती थी मैं भी उनसे फ्री होकर रहमान भाई की अनुपस्तिथि में उनसे हंसी मजाक कर लेता था और और भाई जान के सामने काम बोलता था एक दिन मैं बाथ रूम में नहाने गया तो मेरी नजर कोने में पड़े बकेट पर गयी क्योंकि उसमे शकीना भाभी की पीले रंग सलवार व कमीज पड़ी थी मैंने सलवार कमीज को उठा उनके पेंटी और ब्रा को तलाशने लगा पर बकेट में पेंटी ब्रा नाम की कोई चीज नहीं थी यानि की शकीना भाभी पेंटी नहीं पहनती थी और जब घर में होती तो ब्रा भी नहीं पहनती थी सो मैंने सलवार को उठा कर उस हिस्से को देखा जो की शकीना भाभी की चुत छुपाये रहती हैं वो हिस्सा थोडा गिला था और वहां पर ३-४ झांटो के बाल चिपके थे यानि की वो नंगी होकर नहाने का आनंद उठाती थी मैं उनकी मोटी फूली चुत की कल्पना में खो कर सलवार के उस हिस्से को सूंघते सूंघते मुठ मारा फिर स्नान करके बहार आ गया. अगले दिन जब मैं सुबह जल्दी उठा रहमान भाई दफ्तर जा चुके थे तब मैं रसोई में गया और शकीना भाभी से चाय लेकर हॉल में बैठ कर चाय पी रहा था तो शकीना भाभी भी चाय लेकर मेरे बगल में बैठ गयी -पप्पू आज कहीं बहार जाना हैं क्या जो जल्दी उठ गए -नहीं भाभी जान मुझे कहीं नहीं जाना हैं बस दोपर को एक आध घंटे के लिए पेमेंट लाने जाना हैं क्यों कुछ काम हैं क्या -नहीं रे मैं तो बस यूँही पूछ रही थी और सुनाओ काम कैसा चल रहा हैं -ठीक चल रहा हैं, भाभी मेरे लिए खाना मत बनना मैं जहां जा रहा हूँ वहां खाना खा के आऊंगा -अच्छा ठीक हैं अगर तुम्हे जल्दी नहीं हो तो मैं नहा लेती हूँ -आप नहा लो मैं बाद में नहा लूँगा वो उठ कर अपने कमरे में गयी और तोवेल और सफ़ेद रंग का सलवार कमीज ले के आई और बाथ रूम में चली गयी जब वो नहा कर लौटी तो मैंने देखा की वो केवल सफ़ेद रंग की सलवार पहनी थी और सफ़ेद ही रंग की कमीज पहनी थी कमीज केवल उनकी चूतडों तक ही थी सफ़ेद रंग के कमीज में से उनके मोटी मोटी चुचिओ के भूरे रंग के निपल्स दिख रहे थे जैसा की मैंने बताया की वो ब्रा नहीं पहनी थी और जब वो अपने कमरे में जाने लगी तो उनका तोलिया जो उनके कंधे पर था वो जमीन पर गिर पड़ा सो उन्होंने उसे झुक कर उठाया जब वो झुकी तो उनकी मोटी मोटी गोल मटोल चुतड और उसके कटाक्ष मस्त लग रहे थे वो तोलिया उठा कर जाने लगी तो देखा की सलवार के साथ साथ कमीज उनकी गांड की दरारों के बिच फंसी थी जिस कारण उनकी मोटी मोटी भारी चुतड कटाव मनमोहक लगने लगा फिर वो अपने एक हाथ से गांड की दरारों के बिच फंसी हुई कमीज को खिंच कर गांड की दरार से निकाला और गांड मटकाते हूए अपने कमरे में घुस गयी मेरा तो यह नजारा देख कर लंड मोहदय ख़ुशी की मारे तन गया था फिर मैं बाथ रूम जाकर नहाने से पहले उनकी उतारी हुई सलवार को सूंघते हुवे मुठ मार कर नहा कर अपने कमरे आ गया और क्या करता अब तक उनके गदराये हुवे बदन नो निहारने के अलावा कोई चारा नहीं.हम दोनों बैठ कर नाश्ता किये और मैं करीब १२ बजे घर से बहार नक़ल गया करीब ३:३० को घर आया और अपनी चाबी से दरवाजा खोल कर अपने कमरे में जा कर कपडे बदल कर रसोई में गया तो वहां शकीना भाभी नहीं थी ना ही हॉल में थी मैं समज गया की वो खाना खा कर अपने कमरे में आराम फरमा रही होगी मैं हॉल में बैठ कर अख़बार उलटे लगा पर मन नहीं लगा और दिमाग में शैतानी कीड़ा कुलबुलाने लगा और दबे पैर शकीना भाभी के कमरे के पास जाकर दरवाजे के एक होल से अन्दर झाँकने लगा. (प्यारे पाठको आप को बता देना चाहता हूँ की मैंने बाथ रूम और जो रूम किराये पर देता हूँ उन दरवाजे में एक छोटा सा होल बना रखा था जिस का ध्यान मेरे अवाला किसी को नहीं रहता था) जब अन्दर झाँका तो देखा शकीना भाभी पलंग पर लेट कर कोई किताब पड़ने में मस्त थी पलंग कमरे के बीचोबीच लगा था पलंग का सिरहाना जहां से मैं झांक रहा था वहां से मेरे बाएं ओर था, पलंग का पगवाना दाहिने ओर था शकीना भाभी किताब पढने में लीन थी की यका यक उन्होंने अपनी कमीज को अपने चुचिओं के ऊपर सरका कर अपने बड़े बड़े स्तन को बहार निकाल कर एक हाथ से एक चूची की घुंडी को किताब पढ़ती हुई अपने अंगूठे और उंगली के बिच पकड़ कर घुंडी को मसल ने लगी मुझे थोडा अचरज हुआ क्यों की वो किताब पढ़ते हूए घुंडी को मसल रही थी फिर मन में खयाल आया की जरुर वो कोई वासना मयी किताब पढ़ रही थी. कुछ देर घुंडी को मसल ने के बाद किताब पढ़ते हूए उन्होंने एक हाथ से सलवार का नाडा खिंच कर वो हाथ सलवार के अन्दर डाल कर शायद वो अपनी चुत को रगड़ रही होगी यह सब देख कर तो मेरा बाबु मोशाय पजामे के उस हिस्से को तम्बू का रूप दे डाला जहां वो छुपा रहता हैं यानि की लंड राज फुल कर लोहे के समान कड़क हो गया था मैं लंड को पजामे से बहार निकाल कर अन्दर का नजारा देखते हूए हस्तमैथुन करने लगा. शकीना भाभी थोड़ी देर तक किताब पढ़ती हुई सलवार के अन्दर से अपनी चुत रगड़ रही थी उनका चहरा वासना से भर कर सुर्ख होने लगा था फिर उन्होंने उस किताब को पलग के गद्दे जे निचे रख कर एक हाथ से अपने उर्वोरोज की घुंडी मसल रही थी और एक हाथ से चुत सहला रही थी कुछ देर में उनका शरिर अकड़ने लगा और वो पसीने से तर बतर हो कर लम्बी लम्बी सांसे लेने लगी मैं समज गया था की वो झड़ चुकी हैं पर मैं अब तक झडा नहीं तो बाथरूम में आकर हस्तमैथुन करके अपनी हवस को शांत किया और हॉल में आकर बैठ गया. थोड़ी देर बाद शकीना भाभी अपने कमरे से निकल कर बाथरूम गयी और फिर मेरे बगल में आकार बैठ गयी. उनका चेहरा अभी भी पसीने से लथपथ था -पप्पू तुम कब आये-बस भाभी जान ५ मिनट पहले ही आया था -तुम्हारा काम हो गया क्या -हाँ भाभी जान सामने वाली पार्टी ने पेमेंट कर दिया हैं -हो यह तो अच्छी बात हैं तुम बैठो मैं चाय बना कर लाती हूँ वो अपने कूल्हों (चूतडों) को मटकाती हुई रसोई में गयी और कुछ ही देर में वो चाय लेकर आई हम दोनों चाय पीते हूए इधर उधर की बाते करने लगे. करीब ५ बजे मेरे मोबाइल पर रहमान भाई जान का फोन आया -पप्पू भाई जरा तुम्हारी भाभी जान से बात करा दो -लो भाभी जान भाई जान का फ़ोन हैं भाई जान ने भाभी से फ़ोन पर बात की और बात ख़त्म होते ही भाभी जान ने सेल मुझे वापस कर दिया उनका चेहरा थोडा उदास हो गया था. भाभी जान क्या कह रहे थे भाई जान -आज जुम्मा (शुक्रवार) हैं ना तो कह रहे थे की बाज़ार से गोस्त लाकर पकाना और पप्पू भाई जान को कहना की शाम को कहीं जाना मत वो घर सात बजे आजायेंगे -ठीक हैं पर इसमें आप उदास क्यों हो गयी हो -पप्पू भाई तुम नहीं समजोगे, तुम्हारे भाई जान में जान तो हैं नहीं ऊपर से पीने के बाद रात में काफी तंग करते हैं -(कुटिल मुस्कान लाते हूए) तो क्या हुआ आखिर वो आप का शोहर हैं ना -तुम नहीं समजोगे पप्पू, जब भी वो पीते हैं तो रात में उनकी हरकतों से में परेसान हो जाती हैं -कौनसी हरकत करते हैं ?-(लम्बी साँस लेकर )खैर छोडो जब वक़्त आएगा तो मैं अपनी बेबसी की दास्तान सुनाउंगी अब मैं बाज़ार जाकर गोस्त लाती हूँ तब तक तुम प्याज वैगेरह काट कर गोस्त की ग्रेवी तयार करो कह कर वो बाज़ार चली गयी और मैं ग्रेवी की तैयारी करने लग गया पर यका यक खयाल आया की शकीना भाभी के कमरे में जा कर वो किताब तो देखूं जो वो दोपहर को पढ़ रही थी सो मैं उनके कमरे में जाकर गद्दे के निचे से किताब निकाल कर देखा तो वो मस्तराम की कहानियों की किताब थी जरुर रहमान भाई जान ने भाभी के लिए लाये होंगे. उस किताब में सचित्र कहानिया छपी थी जिसमे अतृप्त औरतें अपने मकान मालिक, देवर, नौकर , इत्यादि को मोहित कर के उनके संग सम्भोग करके अपने तन की प्यास भुझाती हैं कुछ पन्नो को उलट कर मैंने किताब को यथा स्थान रख कर ग्रेवी की तयारी में जुट गया करीब ३०-४० मिनट के बाद शकीना भाभी गोस्त लेकर आई और रसोई में गोस्त ब्रियानी बनाने में जुट गयी मैं भी रसोई में उनकी मदद कर रहा था. करीब ७ बजे बेल बजी-लगता हैं तुम्हारे भाई जान आ गए हैं अब तुम जाओ हॉल में बैठो -ठीक हैं मैं दरवाजा खोल कर हॉल में बैठ कर टी वी देखने लगा, रहमान भाई जान अपने कमरे में जा कर कपडे बदले पजामा कुर्ता पहन कर विस्की की बोतल और दो गलास ले कर हॉल में आ गए -पप्पू भाई आज पीने का मन हो रहा था तो सोचा क्यों ना वीक एंड एन्जॉय किया जाये -हाँ भाई जान वीक एंड तो जरुर एन्जॉय करना चाहिए-रज्जू जरा बर्फ और पानी लाना भाभी जान बर्फ और पानी लाकर अपने चूतडों को मटकाती हुई जाने लगी -सुनो रज्जू ब्रियानी में पका गोस्त मिलाने से पहले एक प्लेट में थोडा गोस्त तो ला दो नो -थोड़ी देर बाद शकीना भाभी प्लेट में गोस्त लेकर आई और हमेश की तरह अपने भारी भरकम चूतडों को ऊपर निचे करते हूए रसोई में चली गयी और हम बाते करते करते जाम पर जाम पीने लगे आज भाई जान काफी मूड में थे क्योंकि काफी सेक्सी जोक सुना रहे थे -क्या बात हैं भाई जान आज काफी मुड़ में हो(आँख मारते हूए) वीक एंड हैं ना और आज सारी रात कई वर्सो बाद मोज मस्ती करूँगा मेरे प्यारे पप्पू भाई हम लोग लगभग रात १० बजे पीने का सिलसिला ख़त्म करके खाना खाया रहमान भाई ने अपने रूम में जाकर अपने बिगम साहिबा के साथ खाना खाया. बागम साहिबा यानि की शकीना भाभी सारा काम निबटा कर अपने कमरे में चली गयी थी मैं खाना खा कर टी वी देखने में लीन था करीब ११:५० पर फिल्म ख़त्म हुई पर मुझे नींद नहीं आ रही थी ने चेनल बदल कर एक इंग्लिश मूवी लगाई वो भी १० मिनट्स में ख़त्म हो गयी मैं बोर होने लगा तो मैंने रहमान भाई जान के कमरे की ओर देखा तो पाया कमरे का दरवाजा बंद था और अन्दर की लाईट चालू थी इसलिए जिज्ञासा वस मैं उनके कमरे की ओर रुख करके दरवाजे के छेद से देखा तो पाया रहमान भाई और शकीना भाभी दोनों निर्वस्त्र पलंग पर लेते थे रहमान भाई कोई किताब पड़ रहे थे उनका खतना किया हुआ लंड मुरझाया पड़ा था वो शकीना भाभी का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रखा.-रज्जू लंड सहला कर खड़ा करो ना -पहले भी मैं सहला कर खड़ा करने की कोशिश की पर नहीं होता तो क्या करूँ -पर आज करने का बहुत मुड़ हैं रज्जू -क्या फायदा जब खड़ा ही नहीं होता हैं चलो रहने दो ना -अबकी बार जरुर खड़ा होगा क्यों की यह कहानी काफी सेक्सी हैं और चुदाई से युक्त कहानी तो मुर्दों के लंड में जान डाल देती हैं तो अबकी बार जरुर खड़ा होगा मुझे भाई जान का लंड और भाभी जान की चूचियां साफ़ साफ़ नजर आरही थी भाभी जान की चुत रानी पर घने झांटे होने के कारण उनकी बुर बालों से ढकी थी वो भाई जान के लंड को सहलाने में मग्न थी भाई जान का लंड पतला था वैसे भी वे ५० के उम्र के थे तो लवडे में जान कहाँ से आये गी पर शायद यह मस्तराम की कहानी का असर था जो वो पढ़ रहे थे की उनके लंड में तनाव आने लगा. तब वो किताब को गद्दे के निचे रख कर पलंग के किनारे पैर निचे कर के बैठ गए उन्होंने भाभी जान से कुछ कहा तो शकीना भाभी भी पलंग से उठ कर जमीन पर घुटनों के बल बैठ कर भाई जान का लंड चूसने लगी भाई जान उनसे लंड चुसवाते हूए उनकी चुचियों की घुंडी मसल रहे थे. भाभी जान के भारी भरकम चूतडों को देख कर मन हुआ की पीछे से जाकर उनकी मोटी गांड में लंड पेल दूँ पर लाचार था. कुछ देर की लंड चुसाई से भाई जान के लंड में जान आई तो उन्होंने शकीना भाभी को उठा कर पलंग के ऊपर पीठ के बाल लेटा कर उनकी बुर में अपना लंड डाल कर अन्दर बहार करने लगे पर यह क्या ४-५ धक्को के बाद वो उठ गए मुझे लगा की वो झड़ गए होंगे पर नहीं क्यों की उनके लंड में अभी भी तनाव बरक़रार था उन्होंने शकीना भाभी से कुछ कहा तो शकीना भाभी पेट के बल लेट गयी रहमान भाई ने तेल की शीशी उठा कर अपने लंड को तेल से सरोबर करके शकीना भाभी की गांड के छेद पर भी तेल लगा कर चिक्नायुक्त करके अपने लंड के सुपाडे को गांड की छेद पर टिका कर धीरे धीरे गांड में घुसाने लगे. शकीना भाभी के चेहरे पर दर्द का नमो निशान नहीं था यानि की उनकी गांड अपने शोहर के लंड की साइज़ से वाकिफ हो चुकी थी पर यह क्या ५-६ धक्को में ही रहमान भाई का शरिर अकड़ने लगा और पसीने से तर बतर हो कर लम्बी लम्बी सांसे लेते हूए उन्होंने अपना पतला वीर्य शकीना भाभी की चूतडों पर गिरा कर हाफ्ते हूए लेट गए. बिचारी शकीना सिर्फ अपने तन की प्यास की परवाह ना करते हूए बेबस हो कर उनके हुकुम का पालन करते हूए बिन पानी के तड़पती हुई मछली के समान लेट गयी. क्रमशः....
 
भाभी की बेबसी और मेरा प्यार--2

गतान्क से आगे............. ...... मैं भी अपने कमरे में आकर हस्तमैथुन कर के नींद के आगोश में समा गया अब मैं शकीना भाभी के बारे में सोचने लगा बिचारी भाभी का भी चुदवाने का मन तो करता होगा पर उम्र दराज पति के प्रभावहिन पतले लंड के कारण मन मसोस के रह जाती होगी उंगली से चुत को शांत करने के अलावा शकीना भाभी के पास कोई उपाय भी नहीं था समाज के कारण किसी पराये मर्द से भी नहीं चुदवा सकती थी क्यों की उसमे बदनामी का डर रहता हैं बेचारी पूर्णतया बेबस मजबूर अबला नारी थी. मुझे उस पर अब तरस आने लगा था रहमान भाई की अनुपस्थिति में शकीना भाभी मुझसे ढेर सारी बातें करती थी मैं आज तक स्पष्ट रूप से चूंकि चुत का दीदार नहीं कर सका क्यों की दरवाजे के छेद से केवल शकीना भाभी को बुर सहलाते हूए देखा था पर सौभाग्य से ४ दिन बाद ही मुझे उनके चुत के मनभावक दर्शन हो गए उसदिन मैं सुबह जल्दी उठ गया था रहमान भाई नाश्ता कर रहे थे जब वो दफ्तर के लिए निकले तो मैं नहाकर हॉल में बैठ कर अख़बार पड़ने लगा इतने में शकीना भाभी अपने कमरे से निकाल कर नहाने बाथ रूम में चली गयी तो मेरे दिमाग में शैतानी कीड़े रेंगने लगे मैं उठ कर बाथ रूम के दरवाजे की चिरी से झांक कर देखा तो मेरा लंड राज फुंकारने लगा क्योंकि अन्दर का नजारा ही गजब का था शकीना भाभी दरवाजे की ओर मुह कर के मूत रही थी उनकी मोटी मोटी गौरी गौरी पैरों की पिंडलियाँ देख कर मैं उतेजित हो चूका था दोनों टांगो के बिच फूली हुई चूत की दोनों फांकें, उनके बीच का कटाव में से चूत के बड़े बड़े होंठों के बिच से निकलती मूत की धार साफ़ नज़र आ रहे थे, मुझे मुस्किल से १ मिनट तक चुत के साफ़ साफ़ दर्शन हूए गौरी गौरी मांसल जांघों के बीच में घना जंगल और उस जंगल से झांकती फूली हुई बादामी रंग के फानको के बिच गुलाबी चुत का कटाव ऊऊफ़्फ़्फ़ गजब का नजारा था मूत कर भाभी जान नहाने लगी और मैं वहीँ खड़ा होकर मुठ मारने लगा क्योंकि इसके अलावा कोई चारा नहीं था. फिर मैं अपने स्थान पर आकर अख़बार पड़ने लगा करीब २०-२५ मिनट के बाद भाभी सलवार कमीज पहन कर मेरे बगल में बैठ गयी और हम दोनों नाश्ता करने लगे. मेरे दिमाग में तो बस हर समय उनकी चुत की झलक घूमने लगी थी. प्यारे पाठको को यह बता दू की मैंने १८ साल की लड़की से लेकर ४८ साल की औरतों को चोदा हूँ (अब तक ८-९ जानो को चोदा हूँ जिस में १८ साल की नौकरानी को छोड़ कर सब मेरे किराये दार थे) अगर चुदाई के शौक़ीन वालो को चुदाई का असली मजा लेना हो तो परिपक्व व प्यासी औरतों को चोदना चाहिए हालाँकि उनलोगों की चुत कमसिन की अपक्षा कसी नहीं होती हैं पर परिपक्व होने के कारण उनके पास अनुभव होता हैं और ऊपर से जब वो प्यासी नारी हो तो चुदाई में खूब साथ देती हैं जिस से दोनों को अति आनंद मिलता हैं जिसका वर्णन करना मुश्किल हैं. अब तो हर दिन मैं इसी उधेड़ बुन में रहा की शकीना भाभी को चारा डालूं ताकी वे चुदवाने राजी हो जाये.इश्वर ने एक दिन मेरी सुन ली, और मुझे सुनेहरा मोका दिया मैंने सोचा पप्पू बेटा इस मोके का अगर तुम फायदा नहीं उठा सके तो शकीना भाभी को कभी भी नहीं चोद पाओगे इसलिए मैंने मन ही मन प्लानिंग करने लगा. हुआ यूँ की रहमान भाई जान को दफ्तर के सिलसिले में गुरुवार की सुबह ७ बजे की फ्लाईट से दुसरे शहर जाना था और शुक्रवार की रात को लौटने वाले थे उनकी अनुपस्थिति का मुझे फायदा उठाना था मैंने गुरुवार को सुबह रहमान भाई को एयर पोर्ट छोड़ कर घर पहुँच कर अपनी चाबी से दरवाजा खोल कर रसोई में गया वहां शकीना भाभी नहीं थी ना ही अपने कमरे में थी शायद वो नहा रही होगी इसलिए इन्तेजार करते करते मैं अख़बार पड़ने लगा. कुछ मिनटों में बाथ रूम का दरवाजा खुलने की आवाज आई तो मेरी नजर उस ओर पड़ी. देख कर तो मैं अवाक् रह गया और किसी पत्थर की मूर्ति की भांति बैठ कर देखने लगा शकीना भाभी बिलकुल नंग धडंग होकर तोवेल से अपने सिर पोछते हुवे, गुनगुनाते हुवे बाथ रूम से बहार निकर कर अपने कमरे में मोटी मोटी चूतडो नो मटकाती चली गयी शायद उन्हें मेरे उपस्थिति का एहसास नहीं था वर्ना वो कभी मेरे सामने नंग धडंग हो कर नहीं निकलती थी वैसे भी वो तोवेल से अपना सिर पोंछ रही थी इसलिए मैं उन्हें नजर नहीं आया होगा. मैंने मन ही मन सोचा इश्वर आज मेहरबान हैं क्योंकि अनजाने में ही सही शकीना भाभी के पूर्णतया नग्न अवस्था में सुबह सुबह दर्शन हो चुके थे. करीब १०-१५ मिनट्स बाद वो अपने कमरे से निकाल कर आई और मुझे देख कर चौक गयी -अरे पप्पू भाई जान तुम कब आये, मुझे तो पता ही नहीं चला -(मैंने सेक्सी स्माइल देकर) जब आप बाथ रूम में थी तब से आकर यहाँ बैठा हूँ -ऊईईईइ माँ (एक उंगली को दातों के बिच दबाकर) तो तुम ने मुझे उस हालत में देख लिया होगा -कौनसी हालत में ?-तुम बड़े बेशर्म हो पप्पू भाई जान अगर तुमने मुझे देखा तो अपना मुह घुमा लेना चाहिए था और मुझे तुमारी उपस्थिति का एहसास करना था या अल्लाह मुझे माफ़ करना क्यों की मैं एक पराये मर्द के सामने उस हालत में निकाली थी -अरे शकीना भाभी इसमें तुम्हारी गलती नहीं हैं मैं तो बस आप को उस रूप में देख कर किसी पत्थर की मूर्ति जैसे हो गया था इसलिए आप को मेरी उपस्थिति का एहसास नहीं करा सका मुझे माफ़ करना -अच्छा इस बात का जिक्र किसी से ना करना यह राज हम दोनों के बिच में रहना चाहिए, चलो तुम नहालो मैं नास्ता तैयार करती हूँ मैं नहाकर कपडे पहन कर हॉल में आया भाभी ने शर्माते हुवे नास्ता टेबल पर रख कर सिर निचे कर के मुस्कुराते हुवे रसोई में चली गयी मैं भी चुप चाप नास्ता कर के शकीना भाभी को घंटे भर में लोटूगा कह कर मैं दरवाजा बंद करके बहार निकाल गया. मैं रास्ते भर सोच रहा था की किस तरह हिम्मत जुटाऊ ताकी मैं आसानी से शकीना भाभी की चुत चोद सकूँ आखिर कर एक विचार आया की विस्की लाकर पियूँ तो शायद हिम्मत जुट जाएगी इसलिए बाज़ार से मैं खाना वैगेरह बंधवाकर कर विस्की की एक बोतल लाया अपनी चाबी से दरवाजा खोल कर अपने कमरे में जाकर कपडे निकाल कर लुंघी और बनियान पहन कर हॉल की ओर जाते हुवे शकीना भाभी को आवाज लगाई, उन्होंने भी रसोई से ही उतर दिया -भाभी जान खाना मत बनना -क्यों, मैं तो खाने की तैयारी कर रही थी -मैं खाना बंधवा कर लाया हूँ, भाभी जान जरा मुझे ग्लास बर्फ और पानी तो देना -(ग्लास बर्फ पानी लाकर टेबल पर रख कर) क्या बात हैं आज दिन में प्रोग्राम बना रहे हो -हाँ भाभी आज में बहुत खुश हूँ आप भी काम सलटा कर यहाँ आ जाओ हम खूब बाते करेंगेभाभी ने करीब १५-२० मिनट्स में काम सलटा कर हॉल में आई और जमीन पर पैरो को घुटनों से मोड़ कर दिवार का सहारा ले कर बैठ गयी भाभी के दोनों हाथ घुटनों पर थे शकीना भाभी ने आज हलके गुलाबी रंग की सलवार कमीज पहने थी -हाँ तो पप्पू भाई जान आज खुश क्यों हों -(मैंने भाभी को झूठ बोला) आज मुझे बड़ा काम मिला इसलिए मैं बहुत खुश हूँ -वाह यह तो अच्छी बात हैं तुम्हे तो आज पार्टी देनी चाहिए -मेरी प्यारी भाभी जान, आप बस हुकुम करो मैं आप की फरमाइश पूरी कर दूंगा -आज हमारे देवर भाई बहुत रोमांटिक लग रहे हो क्या बात हैं -आज मैं बहुत खुश हूँ भाभी जान -तो जाओ अपनी मसूका के साथ दिन भर मोज मस्ती करो, सही बताना कोई मासुका पटा रखी हैं क्या ?-आप भी भाभी ना अच्छा मजाक कर लेटी हो. कसम से फ़िलहाल कोई मासुका नहीं हैं पहले थी पर उसके परिवार कहीं ओर शिफ्ट हो गए हा हा हा हा हा फ़िलहाल तो .....अआप ........आप .....-क्या आप आप कर रहे हो खुल कर कहो ना-भाभी जान बुरा नहीं मानना आज मुझे मेरी मसूका की कमी बहुत महसूस हो रही हैं उसका चहरा मोहरा बिलकुल आप की तरह था -पर मेरे देवर जी मैं आप की मसूका नहीं हूँ शादी सुदा औरत हूँ -वास्तव में भाभी भाई जान और आप बहुत लक्की हो जो भाई जान को आप जैसी और आप को भाई जान जैसा शोहर मिला मेरी बात सुन कर भाभी का चहरा उदासमयी हो गया और वो जमीन पर नज़ारे टिका कर कुछ सोचने लगी तब मैं उठ कर टोयीलेट चला गया क्यों की जोर की पिसाब लगी थी पिसाब करते करते दिमाग में शैतानी कीड़े कुलबुलाने लगे तो मैंने पिसाब कर के लंड मोहदय को अंडर वेअर में ना डाल कर बहार ही लटकने दिया और उसको लुंघी से सही तरह ढक कर रसोई से फ्रिज से कोल्ड ड्रिंक निकाल कर हॉल में आकार अपने स्थान पर बैठ कर जाम का घूंट पीने लगा भाभी जान उसी अवस्था में जमीन पर नज़ारे झुकाएं बैठी थी -भाभी जान आप का चेहरा क्यों उतर गया कहो ना क्या बात हैं -पप्पू भाई जान (थोडा सुबकते हुवे) लोगो की नज़रों में मैं बहुत खुश नशीब हूँ पर वास्तव में मैं बहुत ही बदनसीब बीवी हूँ -क्यों क्या हुआ खुल कर कहो डरो मत मैं कसम खता हूँ की यह सारी बातें हम दोनों के दरमियान रहेगी-(लम्बी सांसे लेकर) पप्पू भाई जान दरअसल बात यह हैं की मेरे और उनके बिच उम्र का काफी अंतर होने के बावजूद मुझे उनसे निकाह करने को मजबूर होना पड़ा और आज तक मैं मज़बूरी में बेबस हो कर घुट घुट के मर रही हूँ -भाभी जान ऐसी कौनसी मज़बूरी थी या हैं जो आप बेबस हो -मेरी शादी से ८ महीने पहले मेरी माँ बहुत बीमार हो गयी थी डॉक्टर ने भी जवाब दे दिया था पर मेरे अब्बा के एक दोस्त से तुम्हारे रहमान भाई जान का परिचय हुआ तब मेरे शोहर ने मेरे अब्बा को काफी आर्थिक व शाररिक रूप से मदद की पर मेरी अम्मी बच नहीं सकी और मेरे अब्बा अम्मी के गम में शराब पीने लगे और मेरे शोहर से और कर्ज लेते लेते कर्जदार हो गए इसका फायदा मेरे शोहर ने उठा कर मेरे अब्बा से मेरा हाथ माँगा,
 
उम्र का फर्क होने के कारण अब्बा ने उनसे १ सप्ताह का समय माँगा -फिर क्या हुआ (मैं जाम पीते पीते उनसे पूछ बैठा हालाँकि वो नज़ारे जमीन पर गाड कर अपनी दास्तान सुना रही थी इसलिए मैं मोके का फायदा उठा कर लुंघी को एक पैर पर सरका दिया ताकी मेरा अंडर वेअर से बहार निकला हुवा मुर्झित बाबु मोशाय का दीदार कर सके पर फ़िलहाल उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया०-फिर क्या अब्बू ने मुझे बताया की मैं बुरी तरह से रहमान भाई का कर्ज दार बन गया हूँ और अब वो मुझ से निकाह के लिए हाथ मांग रहा हूँ पर तुम्हारी और उसकी उम्र में काफी अंतर होने के कारण मैंने उनसे एक हफ्ते को मोहलत मांगी हूँ. यह सुन कर मुझे रोना आगया की कहीं कर्ज के कारण अब्बा मेरी उम्र से ज्यादा रहमान से निकाह ना करा दे. -फिर क्या हुआ की तुम को निकाह करने के लिए मजबूर होना पड़ा -अब्बा उनको १५-२० दिनों तक जवाब देने में टालते रहे तब अब्बा के जिस दोस्त के कारण अब्बा का रहमान से परिचय हुआ था उसे मेरे अब्बा को समझाने का माध्यम बना के एक दिन शाम को हमारे घर भेजा. उन्होंने पीने के दौरान मुझे सामने बैठा कर अब्बू को समझाने लगे उन्होंने कहा यार रजाक (मेरे अब्बू का नाम) तू तो अच्छी तरह से जनता हैं की तू बुरी तरह से रहमान भाई का कर्ज दार बन चूका हैं और अब तेरे पास इतनी भी कमाई नहीं हैं की तू कर्ज़ लौटा सके शकीना का निकाह रहमान भाई से निकाह कर के तू फायदे में रहेगा क्योंकि निकाह का पूरा खर्चा रहमान भाई करेंगे और हो सकता हैं तेरा कर्ज भी मुवाफ कर दे ऊपर से तेरी छोटी बेटी सादिया का निकाह का भी वो खर्च वो उठाएंगे और तो और (मेरी ओर रुख करके) शकीना बेटी रहमान के साथ रह कर तुम बेगम साहिबा जैसी राज करोगी रहमान भाई की बेहिसाब जायदाद हैं ऊपर से सरकारी मुलाजिम हैं उनके बाद उनकी पेंसन तुम्हे मिलेगी क्यों की तब तुम कानूनन उनकी बीवी होगी हालाँकि उनको एक बेटा हैं पर अब वो बालिग हैं और कमाता हैं मानलो वो आधी सम्पति भी बेटे नाम कर देगा तो आधी तुम्हारे नाम करेगा क्यों की मुझे मालूम हैं तुम जैसी नेक लड़की अपने शोहर का बहुत ध्यान रखेगी कुल मिला कर उसकी सम्पति से तुम्हारा, तुम्हरी बहन का और अब्बा अच्छा का अच्छा खसा गुजरा हो जायेगा -फिर क्या हुआ ?-मैं और अब्बा ने उसकी बातों में आकर हामी भर दी और कुछ ही दिनों में मेरा उनके साथ निकाह हो गया -फिर क्या हुआ जो तुम आज भी खुश नहीं हो-(भाभी जान ने अपनी गर्दन उठा कर मेरी और देखा) वैसे तो वो अच्छे हैं मेरी हर ख्वाइश पूरी करते हैं मुझे सिर आँखों पर रखते हैं मुझे कोई चीज की कमी महसूस नहीं होने देते हैं (मैं जाम पीते पीते उनकी ओर देखा तो वो एक टक मेरे पैरों पर, जहां से मैंने जान भुज कर लुंघी को सरकाया था ताकी अंडर वेअर के साइड से बहार लटकता हुआ लंड बाबु को देख सके वहां पर टक टकी लगा कर देख रही थी) लेकिन .......लेकिन -लेकिन क्या भाभी जान -कैसे कहूँ समज में नहीं आता हैं -भाभी जान मैं आप से वादा कर चूका हूँ की हमारे बाते हम दोनों के बिच रहेगी आप चिंता ना करो -पप्पू भाई जान आप भी बड़े व समजदार हो गए हो और एक बेबस औरत मनोदसा अच्छी तरह समज सकते हो जिस औरत को मन मुताबिक सारा सुख मिलता हो पर निकाह से दो महीने बाद अगर उसको तन का सुख नहीं मिले तो उसकी क्या हालत होती होगी. (वो अब भी मेरे टांगो पर सरीकी हुई लुंघी में से लंड को देखने में रत थी और उसका चहरा धीरे धीरे सुर्खमयी होने लगा था)-ओह तो रहमान भाई जान में जान नहीं हैं की आप को तन का सुख दे सके -हाँ निकाह के दो महीने तक तो ठीक चल रहा था फिर .........फिर .....-फिर क्या भाभी जान ?-फिर बड़ी मुश्किल से उनके .......उनके -भाभी खुल कर कहो ना क्या उनके उनके लगा रखी हो -मुझे शर्म आ रही हैं बताने में -मैंने कहा ना अब हम दोनों के बिच कोई शर्म वाली बात नहीं रहेगी क्यों की तुम्हारी दास्तान हम दोनों के अलावा कोई नहीं जानेगा-पर कैसे कहूँ ........ अच्छा तो सुनो उनके पिसाब करने वाली जगह में बड़ी मुश्किल से तनाव आता हैं -तो तुम्हारा मतलब हैं की उनका लंड मुश्किल से खड़ा होता हैं (लंड शब्द सुनते ही भाभी जान ने गर्दन झुकाली और कुछ देर तक मौन रही फिर गर्दन उठा कर मेरे टांगो के बिच लटकते हूए बाबु राव को देख कर बोली)-हाँ भाई जान बड़ी मुश्किल से उनका खड़ा होता हैं और तुरंत ठंडा पड़ जाता हैं जिस कारण मैं तन के गर्मी के कारण प्यासी की प्यासी रह जाती हूँ -तो भाई जान को किसी डॉक्टर को दिखाओ -बहुत डोक्टोरो को दिखाया पर कोई फायदा नहीं हुआ आखिर वो उम्र दराज होते जा रहे हैं ना -तो और कोई रास्ता अपना लो किसी से अपनी तन की प्यास भुजा लो -डर लगता हैं बदनामी ना हो जाये और मेरा शोहर मुझे तलाक ना दे दे -ऊपर वाले से दुवा करो वो कोई ना कोई रास्ता निकाल देगा (कह कर मैंने अपना आखिरी जाम पूरा किया) चलो भाभी खाना खाते हैं भाभी उठ कर रसोई में जा कर प्लेट और पानी का ग्लास भर कर लाई मैं सोफे पर ही बैठ कर खाना खा रहा था जब की भाभी जमीन पर बैठ कर दिवार का सहारा लेकर खाना खा रही थी भाभी जान का दाहिना पैर घुटनों से मुड़ कर जमीन पर पड़ा था जब की बायाँ पैर घुटनों से मुड़ कर उनकी चुचियों से चिप के थे जिस कारण उनकी कमीज थोड़ी ऊपर सरक गयी थी उनकी हलके रंग की गुलाबी सलवार में से चुत वाली जगह पर सलवार का गिला पन नजर आ रहा था शायद उनकी चुत कुछ देर पहले मेरे लंड को निहार कर थोडा चुत रस छोड़ दिया था. अब उनका चेहरा फ्रेश नजर आरहा था क्योंकि उन्होंने अपने उदासी का कारण मुझे बयाँ कर चुकी थी -देखी भाभी जान अब आप का चेहरा फ्रेश लग रहा हैं और आप के चेहरे मोहरे को देख कर मुझे मेर पूर्व प्रेमिका की याद आ रही हैं -चल हट मुझे पता हैं तू मेरी बड़ाई कर रहा हैं -नहीं भाभी मैं सच कह रहा हूँ तुम हुब ही हुब मेरी प्रेमिका की तरह लग रही हो अंतर हैं तो केवल उम्र का वो मेरी उम्र से छोटी थी और आप बड़ी हो -तुम ना सही में पागल हो गए हो हम हंसी मजाक करते करते खाना खाए भाभी जान काम निबटा कर अपने कमरे में चली गयी पर दरवाजा बंद नहीं किया सो मैं भी उनके कमरे में चला आया मुझे देख कर उन्होंने मादकता भारी मुस्कान दी मैं तड़प उठा-लगता हैं आज तुम अपनी प्रेमिका को मिस कर रहे हो कह कर मेरी ओर पीठ करके वो बिस्तर ठीक करने लगी मैं उनकी मोटी मोटी चूतडों को देख कर मरे जा रहा आखिर हिम्मत जुटा कर मैंने उन्हें पीछे से पकड़ लीया…मेरा दोनों हाथ उनकी कमर पर था - क्या कर रहे हो"-"प्यार""अभी अपने कहा ना प्रेमिका को मीस कर रहे हो: मैं उसे नही आपको मीस कर रहा हूँ भाभी जान -बदमाशी मत करो उनके बदन की जकड़न से मेरे लंड बाबु में कड़क पन आने लगा और उनकी मोटी मोटी चूतड़ों पर दबने लगा वो मुझसे छुटने की कोशीश करने लगी..मैंने धीरे धीरे हाथ को सरका कर उनकी चुचिओं के ऊपर ले गया और उनके गर्दन पर एक हल्का सा चुम्बन जड़ दिया -भाई जान खुदा के वास्ते कुछ मत करो ये गलत है"-क्या गलत है भाभी मैं तो बस तुम्हे प्यार ही तो कर रहा हूँ ना -मैं शादी सुधा हूँ तो क्या हुआ......शादी सुधा हो कर भी आप प्यासी और बेबस हो ऊपर से आप इतनी हसीन हो की मेरा दिल मचल गया आप के लिए -ओह छोडो ना आआआआ भाई जान-(मैंने हलके हाथो से उसकी दोनों चुचिओं को दबा कर कान पर चुम्बा) छोड़ दू तुम्हे मेरी जान ? कह कर मैं थोडा और जोर से चुचिओं को दबाते हुवे उनके कानो पर अपनी जीभ फेरने लगा जोर से चूची दबाते ही उनकी चीख नक़ल गयी - आ आईईईईईईईई.........धीई रे..धीई रे ये सुन कर मैं समझा गया भाभी चुदवाना तो चाहती है…लेकीन नखरे कर रही है.. मेरा लंड लोहे की भांति तन कर उनके हसीन चूतड़ों पर दबाव डालने लगा अब वो भी अपनी गांड पीछे सरका कर मेरे लंड पर दबाव डाल रही थी मैंने उनकी कमीज़ के अंदर हाथ डाल कर चुचिओं को मसल ने का प्रयास कर रहा था पर कमीज टाईट होने के कारण चुचिओं तक हाथ नहीं पहुँच सका -पप्पू क्या कर रहे हो?-आप प्यार से नही करने दे रही है-क्या नही करने दे रही हू ????? कह कर वो मेरी ओर घूम गयी मैंने इस मौके पर भाभी के सिर को पकड़ कर उनका चेहरा एकदम मेरे चेहरे के करीब लाकर उनके रसीले गुलाबी होंठो को मेरे होंठो से चिपका दिया पहले तो वो अपना मुह इधर उधर करने लगी फिर थोड़ी देर बाद मेरे होठों को जगह मिल गयी तो मैंने एक लम्बा सा चुम्बन लिया वो ऊ ओह ऊ न ना ह ही करते हूए मुझसे दूर हटने लगी पर मेरी मजबूत गिरफ्त के कारण वो अपना चेहरा हटा ना सकी और धीरे धीरे मेरे चुम्बनों के वजह से वो हलके रूप में आत्मसमर्पण करने लगी मैं अब उनकी कमीज में हाथ डाल कर पीठ सहलाने लगा फिर कुछ देर बाद उनकी कमीज को ऊपर उठा कर गले तक लाया तो उन्होंने विरोध करते हुवे धीरे धीरे अपना हाथ ऊपर उठा दिया और मैंने उनकी कमीज उतार कर जमीन पर फेंक दी - क्या कर रहे हो पप्पू ?-भाभी जान मैं प्यार कर रहा हूँ भाभी जान की कमीज उतार ने से उनकी बड़ी बड़ी चुचिओं के नजदीक से देख कर तो मुझसे रहा नहीं गया उफ़ गौरी गौरी चुचिओं पर चोकलेटी रंग का चक्र धार घेरा और घेरे के ऊपर थोडा गहरा चोकलेटी रंग की घुंडी (निपल्स) वाकई मस्त चूचियां थी, मैं झट से एक चूची की घुंडी को मुह में लेकर चुसना लगा उनकी चूची अब कठोर होने लगी थी भाभी जान ने मेरे सिर को चूसने वाली चूची पर दबा लिया तो मैंने दूसरी चूची की घुंडी को एक हाथ से मसलते हूए चूची को जोर से दबा दिया -ऊऊ ई ईई धीरे......इतना जोर से मत दबाओ.... मैंने भाभी जान को पलंग पर पीठ के बल लेटा दिया उनके कुल्हे (यानि की उनकी गांड) पलंग के किनारे पर थे और पैर जमीन की ओर लटक रहे थे मैंने उनकी सलवार का नाडा खिंच दिया तो भाभी जान ने हल्का सा विरोध किया -पप्पू भाई जान यह क्या कर रहे हो, मुझे ख़राब मत करोकह कर उन्होंने अपनी गांड थोड़ी ऊपर करदी जिस कारण उनकी सलवार उतार ने में मैं कामयाब रहा. सलवार जमीन पर पड़ी थी और उनकी गौरी गौरी टांगो के बिच छोटे छोटे बालों से ढकी चुत को देख कर मैंने तो उन्मादित होने लगा. मुझसे अब रहा नहीं गया और मैंने अपनी लुंघी और बनियान उतार दी अब केवल अंडर वेअर में खड़ा होकर कहा जब मैं अपने कपडे उतार रहा था तब भाभी जान ने मोका पाकर उठ कर बैठ गयी और एक टांग को दूसरी टांग पर रख कर अपनी अपनी चुत को छुपा कर दोनों हाथो से अपने स्तन छुपाली -पप्पू भाई जान मुझे क्यों परेशान कर रहे हो

[font=Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,[/font]
 
-प्यारी भाभी जान नखरे भी करती हैं और करवाना भी चाहती हैं.कह कर मैंने अपना अंडर वेअर भी निकाल डाला मेरे लोहे समान तने हूए मोटे और लम्बे लंड को देख कर वो अवाक् रह गयी -या अल्लाह आ इतना मोटा और लम्बा आज तक नहीं देखा (कह कर वो फटी फटी आँखों से लवडे महाराज को देखने लगी) -क्यों भाभी जान बहुत प्यारा हैं ना ... यह तुम्हे बहुत प्यार करेगा कह कर मैं फिर उनको पलंग पर लिटा कर उनके ऊपर आ गया और होंठो पर चुम्बनों की बरसात करते हूए उनकी गौरी चुचिओं को हल्का हल्का दबाते हुवे चूची की घुंडी को मसल ने लगा इस बार वो केवल -आह ह ह ऊउफ़्फ़ म..मत करो ना कह कर मेरे बदन से लिपटने लगी और मेरी पीठ को सहलाने लगी मेरा लवड़ा उनकी टांगो पर तना होने के कारण दबाव डाल रहा था हम दोनों अब उन्मादित सागर में गोता लगाने लगे तब मैंने उठ कर उनके सिरहाने बैठ कर उनके हाथ को लंड पर रख कर कहा -भाभी जान अपने प्यारे लाल तो थोडा सहलाओ भाभी जान ने अब निसंकोच होकर लंड को पकड़ लिया और अपने हथेली को मेरे अंडकोष के करीब सरका दिया तो गुलाबी रंग का मोटा सुपाडा लंड की चमड़ी से निकाल कर बहार आ गया. भाभी जान को भी बदमाशी सूझी उन्होंने लंड और अंडकोष को जोर से दबा दिया -आअआह भाआ भीईई प्यार से सहलाओ ना -क्या प्यार से सहलाओ कहते हो यह कितना मोटा और लम्बा हैं की हथेली में भी नहीं समाता हैं लगता हैं यह प्यारे लाल आज मुझे बर्बाद कर के ही छोड़ेगा कह कर वो लंड को प्यार से सहलाने लगी कुछ देर बाद मैं पलंग से उतर कर उनके पलंग के किनारा से लटके हूए पैरों को फैला कर उनके पैरो के बिच बैठ कर पहले कुछ देर तक उनकी फूली हुई मोटी चुत को सहलाया फिर चुत पर चुम्बा लेकर चुत को जीभ से रगड़ ने लगा -(मेरे सिर को अपनी चुत से हटाते हूए) छि छि छि कितने गंदे हो वहां क्यूँ मुह लागाते हो – भाभी बस आप चुप रहिये और देखते रहिये -भाभी कह कर इज्जत भी करते हो और इज्जत से खिलवाड़ भी ...ऊऊऊऊऊईईईईईईईईईई जैसे ही मैंने अपनी जीभ को चुत के अन्दर घुसाया शकीना भाभी की मुह से उई की आवाज निकल पड़ी मैं उनकी आवाज की परवाह न करते हुवे चुत की चारो तरफ जीभ को गोल गोल नाचने लगा तो भाभी जान काफी गरमा गयी थी -आआह्ह्ह ओह्ह्ह पप्पू ऐसा मत करो मैं पागल हो रही हूँ ओह्ह्ह्ह नन नही ना पर मेरी जीभ चोदन की क्रिया जारी थी एक तो चुत से चुतरस निकालने के पूर्व निकाला हुवा पानी (यानि की प्री कम) का स्वाद जीभ पर लग रहा था और नाक से चुत व मूत की महक सूंघने के कारण मैं मतवाला हो कर तेजी से चाटना सुरु किया किस कारण शकीना भाभी ने मेरे सिर को चुत पर दबाते हूए ऊपर से दबाव डाल रही थी तो कभी कभार अपनी गांड को उपर उठा कर नीची से दबाव डाल रही थी भाभी जान जीभ चुदाई के कारण मदहोश हो चुकी थी तब मैंने अपने हाथ की उंगली उनके मुंह में दे दी वो उंगली को चूसते हुवे अपने शरिर को अकड़ाकर मेरी जीभ को अपने चुत रस से सरोबर कर दिया मैं अब उठ कर पलंग के किनारे बैठ गया -क्यों भाभी जान मजा आया ना -तुम भी ना बड़े वो हो -अच्छा अब उठो और पलंग ने निचे बैठो -क्यों पप्पू जी -मेरी शकीना रानी सवाल मत करो जैसा कहूँ वैसा ही करो तुम को बहुत मजा आयेगा -अच्छा मेरे राजा कह कर वो जमीन पर मेरे पैरो के बिच बैठ गयी मैंने उसका सिर पकड़ कर उसके होंठो पर लंड के सुपाडे को रगडा वो समाज गयी मैं मैं लंड चुसवाना चाहता हूँ तो अपना मुह खोल कर लैंड को चूसने लगी वो लंड चुसाई में माहिर थी इसलिए तो अपना शोहर के मुर्दा लंड को चूस चूस कर थोड़ी जान भर देती थी -साली क्या लंड चुसाई करती हो वाकई मजा आगया चल उठ और पलंग पर लेट जा -(पलंग पर लेट कर) हरामी जब झड़ने लगो तो बहार निकाल लेना क्योंकि मैं अभी सैफ नहीं हूँ माँ बन सकती हूँ -फिक्र मत कर मेरी जान मैं बहार निकाल लूँगा कह कर उसके पैरों के बिच आकर पैरों को फैला कर अपने कंधे पर रख कर लंड के सुपाडे को चुत के दाने और दोनों फानको को सहलाने लगा -भाभी जान कैसा लग रहा हैं -हरामजादे शकीना रानी की चुत पर अपना लंड लगता हैं ऊपर से भाभी जान कहता हैं ......चल मुसलधारी लंड वाले अब जो करना हैं जल्दी से कर डाल उनको इस तरह कहने से मैं जोश में आगया और जोर जोर से चुत को सुपाडे को रगड़ ने के साथ साथ उनके चुचक को दबाने लगा -ऊईईईई मम्म माँ मत तडपाओ ना डालो ना ऊऊउईईईईई ह्ह्ह्हाआआअ शकीना को मुसलधारी लंड को पाने के लिए तड़पता देख कर मुझे मजा आ रहा था- मादर्चोद और कीतना तड़येगा !!मैं हंसा और अपाना लंड उसके चुत के मुहाने पर रख कर दबाया.भाभी तड़प उठी…….ऊऊओह्ह्ह् ह्ह्ह मर गयीईई माद्र्र्र्र्र्चोदददद कल्ल्ल्ल्लल्ल्ल निकाआल्ल्ल. …… बोहोत मोटा हैह्ह्ह्ह.. मैं मर जाऊगीईईईइ. …मैं रूक गया. और उसे लंड को चुत से बहार निकाला भाभी ने आंखे खोली….और पुछा"-अब क्या हुआ बहन के लवडे ?-आप ने कहा निकालो तो मैंने निकाल दिया -मादरचोद भडवा क्यों तदपा रहा हैं कर ना बहनचोद डाल ना रे मैंने आव देखा ना ताव और लंड को चुत पर रख कर जोर का झटका मारा…….. …भाभी का पुरा बदन एठ गया -आआआआआआआआआअ आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ह्ह्ह्ह्ह्छ मार दलाआआआअ रेईहरमीईईई. ……… .. ये आदमी का है की घोड़े का,ऊऊफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़् अब मैं आहिस्ता आहिस्ता लंड को चुत के बच्चे दानी तक घुसा दिया उसकी चुत की गर्म गर्म दीवारे मेरे लंड को चारों और जकड़ी हुई थी मानों उंगली में अंगूठी फंसी हो . मैंने अब थोडा थोडा आगे पीछे करने लगा और भाभी को चूमने लगा… नीप्पल को चूसने लगा.. वो थोडा नॉर्मल हूई उनकी चुत पूरी तरह पनिया गयी थी इसलिए जब मैंने करीब आधा लंड बहार निकाल कर तूफानी शोट मारने लगा तो कमरे में फचा फच की आवाजे संग संग भाभी जान की सिसकारियां गूंजने लगी पूरा माहोल चुदाई मयी बन चूका था इसी दरमियान भाभी २ बार झड़ चुकी थी अब वो भी अपनी गांड उठा उठा कर मेरा साथ देने लगी थी - वहा मेरे शेर !!! वाह आज मुझे पहली बार इतना मजा आया ऊऊऊह्हहा ..आज मेरी मुराद पूरी हो गयीईईईइ. .. ऊऊऊह् ऊओह्ह्ह्ह्ह्ह् मेरा निकलने वाला हैं ऊऊऊउईईईईई ह्ह्ह्हाआआअ ज्जऊर से करो राजा मैं उनकी चुदाई के संग संग उनके पुरे बदन को जोर से भीचा और मेरे लंड ने गरम गरम पिचकारी भाभी की चुत में छोड दी. samaapt
 
यह कहानी एक सत्य घटना पर आधारित है। आप इसका पूरा मज़ा उठा सकें इसलिए इसमें कुछ काल्पनिक घटनाएं भी जोड़ी हैं लेकिन पात्र उतने ही हैं। अधिकतर दृश्य ज्यूँ के त्यूं है। बस आप यह समझ लें कि लगभग नब्बे प्रतिशत कहानी सत्य है.

जी हाँ. मैं आज से लगभग दो महीने पहले मुंबई पी एच डी करने के लिए आया था. मैं बीस साल का हूँ और दिखने में इतना खुबसूरत नहीं लेकिन मेरा जिस्म काफी भरा हुआ है. मेरे एक दूर के रिश्ते के चाचा यहाँ रहते हैं. मैं उन्ही के यहाँ रह रहा हूँ. उनके तीन बेडरूम का फ्लैट है बांद्रा में. उनकी पत्नी शीला की उम्र चालीस की है लेकिन बहुत ही खुबसूरत हैं और जिस्म भी अभी तक मजबूत है. उसके स्तनों का उभार जबरदस्त है. उनकी दो बेटियाँ है अंजना और मंजुला. अंजना बीस की है और मंजुला अठारह साल की. दोनों भी अपनी मां की तरह बला की खुबसूरत है. जिस तरह शीला आंटी की खासियत उसके स्तन है; अंजना की टांगें और जांघें बहुत ही सेक्सी है. मंजुला के होंठ तो जैसे नारंगी की फांक है.

अंजना और मंजुला मुझे छुप छुप कर कई बार देखती रहती है और मुस्कुराती रहती है. कभी कभी दोनों अपने जिस्म के हिस्सों को मुझे दिखने का प्रयास भी करती रहती है.. कई बार मैं भी उन्हें देखकर मुस्कुरा उठता हूँ. मैं इन तीनों को हर रोज नजर बचाकर देखता रहता हूँ.

शीला आंटी अपनी उम्र के हिसाब से काफी तजरुबेकार है. एक दिन उसने मेरी चोरी पकड़ ली. मैंने तुरंत नजरें झुका ली. शीला आंटी ने कुछ नहीं कहा. एक दो दिन शांत रहने के बाद मैंने फिर से उन्हें ताकना शुरू कर दिया. एक दिन मैं अपने कमरे में बैठा पढ़ रहा था. मुझे प्यास लगी तो मैं रसोई में पानी लेने चला गया. शीला आंटी उस वक्त नहाकर बाथरूम से बाहर ही आई थी. उनके कमरे का दरवाजा खुला था. उन्होंने एक तौलिया लपेटा हुआ था. तौलिया उनके स्तनों के आधे भाग को ढंकते हुए शुरू हो रहा था और उनकी जाँघों के उपरी भाग पर ख़त्म हो रहा था. मैं शीला आंटी को देखता ही रह गया. मन ही मन बोला " कौन कहता है ये चालीस साल की है. ये तो पच्चीस की जवान से भी ज्यादा खुबसूरत और गरम है." मैं दरवाजे की ओट से शीला आंटी को ललचाई नज़रों से देखने लगा. अचानक शीला आंटी ने अपना चेहर घुमाया और वो मेरे सामने थी और मैं उनके. मैं तैयार नहीं था की खुद को संभालता. शीला आंटी ने मुझे देखते ही अपनी आँखों में गुस्सा भर लिया और बोली " तुम मानोगे नहीं. तुम्हारी शिकायत तुम्हारे चाचा से करनी पड़ेगी." मैं घबरा गया. मैं जैसे ही पलता शीला आंटी ने मुझे कहा " इधर आओ. कहाँ जा रहे हो." मैं डरते हुए उनके पास गया. मैं जैसे ही उनके करीब पहुंचा उनके स्तनों के उभार ने मुझे भीतर तक हिला दिया. उनके बदन से आ रही खुशबु ने मेरे होश छीन लिए. शीला आंटी ने मेरी तरफ देखते हुए कहा " तुम्हें इस तरह से देखना अच्चा लगता है ना. लो अब अच्छे से देख लो." शीला आंटी ने तौलिया हटा लिया. उनका गदराया जिस्म मेरे सामने थे. उनके भरी भरकम स्तन जैसे अपने पास आने का निमंत्रण दे रहे थे. उनकी भरी हुई कमर जैसे रस टपका रही थी. उनकी मजबूत जांघें और टाँगे जैसे यह कह रही थी कि इंतज़ार किस बात का . किसी मिठाई की तरह खा जाओ. मैं पागल हो गया. शीला ने तौलिये को वापस लपेटा और बोली " जाओ आज के लिए इतना ही काफी है." मैं चुपचाप वापस अपने कमरे में आ गया.

सारी रात मैं सो नहीं पाया. बार बार शीला आंटी का शारीर मेरे सामने आता रहा. मेरी अंडरवेअर अचानक ही गीला हो गया.

अगले दिन मैं शाम को जब कॉलेज से घर लौटा तो शीला आंटी घर पर अकेली ही थी. अंजना और मंजुला की कॉलेज देर शाम को छुटती है. मैं शीला आंटी से नजरें नहीं मिला पाया और अपने कमरे में आ गया. कुछ ही देर बाद शीला आंटी मेरे कमरे में आई. वो मेरे सामने की कुर्सी पर बैठ गई और मुझे देखकर मुस्कुराने लगी. मैं घबरा उठा. शीला आंटी बोली " क्या हुआ? इस तरह उदास क्यूँ हो? आज तुम्हरी इच्छा पूरी नहीं हुई इसलिए?" मैं कुछ ना बोल सका और अब तो ज्यादा घबराने लगा. तभी मैंने देखा की शीला आंटी ने अपनी साड़ी के पल्लू की अपने सीने से हटा इया और अपने ब्लाउस के बटन खोलने लगी. कुछ ही पलों में उनके स्तन उनकी चोली में से बाहर झाँकने लगे. मेरी आँखें विश्वास नहीं कर पा रही थी. शीला आंटी ने फिर कहा " इतना ही देखोगे ! आओ इधर आओ." मैं घबराते हुए उठा और उनके करीब चला गया. मेरी साँसें तेज चलने लगी. शीला आंटी ने मुझे अपनी चोली के हुक दिखाते हुए कहा " इन्हें खोलो." मैंने दोनों हुक खोल दिए. एक बार फिर शीला आंटी के दोनों स्तन मेरे सामने थे. इस बार वो मेरे बहुत ही करीब थे. शीला आंटी मेरे एकदम करीब आ गई और मुझे अपने सीने से लगा लिया. उनके स्तनों के उभार को मैं अब महसूस कर रहा था. मुझे लगा जैसे मैं किसी रबर के गद्दे को दबा रहा हूँ. शीला आंटी ने मुझे करीब दो मिनट तक भींचे रखा. मैं नशे में आ गया. अचनका शीला ने मुझे अपने से अलग करते हुए कहा " चलो तुम बाहर चले जाओ. अंजू और मंजू आती ही होगी. आज बस इतना ही." मैं बेकाबू हो गया था लेकिन मेरे पास और कोई दुसरा रास्ता नहीं था. मैं अनमने मन से बाहर आ गया.

रात को खाना खाते वक्त शीला आंटी ने मुझसे नजर मिलते ही एक मुस्कुअराहत फेंकी. मैं समझ गया कि अब रास्ता साफ़ है और कल भी मुझे ये नजारा नसीब होनेवाला है.

अगले दिन मैं जैसे ही कॉलेज से लौटा मैंने देखा कि शीला आंटी मेरे ही कमरे में बैठी हुई है, हम दोनों एक दुसरे को देख मुस्कुरा दिए. शीला आंटी ने मुझे अपने पास आने का इशारा किया और अपनी साड़ी का पल्लू सीने से हटा दिया. मैं समझा गया. मैंने तुरंत ब्लाउस के बटन खोले और फिर चोली के हुक भी खोल दिए. अब शीला आंटी ने मेरी शर्त उतार दी और फिर मेरा बनियान भी उतार दिया. फिर अचानक उन्होंने मुझे अपने सीने ले गा लिया. मैं तो जैसे आज जन्नत में पहुँच गया था. अपनी जिन्दगी में पहली बार किसी औरत के सीने से अपना सीना स्पर्श करने का मौका मिला था. मैंने भी शीला आंटी को कसकर दबा दिया. अब उन्हें भी मजा आने लगा था. हम दोनों मेरे पलंग कि तरफ बढे और शीला ने मुझे पलंग पर गिरा दिया और फिर खुद भी मुझसे लिपट गई. हम दोनों लगभग दस मिनट तक आपस में लिपटे रहे. फिर अंजू मंजू का ख़याल आते ही शीला आंटी अपने कमरे में लौट गई. अब यह सिलसिला रोज चलने लगा. लेकिन सिर्फ उपरी कपडे उतारकर एक दुसरे को गले लगाने तक ही.
 
अब सारे दिन शीला आंटी भी मेरे कॉलेज से लौटने का इंतज़ार करती और मैं भी कॉलेज के आखिरी समय में शीला आंटी से मिलने के सपने देखने लग जाता. उधर अंजना और मंजुला भी मुझे अपनी और आकर्षित करने कि बहरापुर कोशिश करने लगी थी. एक दिन तो अंजना ने तो हद ही कर दी. वो नहाने के बाद रात के वक्त सोते वक्त पहनने वाला हाल्फ पन्त पहनकर मेरे कमरे में अपनी कोई किताब खोजने का बहाना करते हुए आ गई. मैं उसे देखते ही एक बार तो अपने होश खो बैठा. उसकी टांगें चमक रही थी. एकदम चिकनी और सपाट. उसने मुझे ललचाने कि कोशिश भी कि लेकिन शीला आंटी का ख़याल आते ही मैंने अपनी नजरें दूसरी तरफ घुमा ली. अंजना गुस्से से कमरे से बाहर निकल गई.

शीला आंटी के पति एक सप्ताह के लिए अहमदाबाद गए हुए थे. जिस दिन वे अहमदाबाद गए उस दिन जब मैं कॉलेज से लौटा तो देखा कि शीला आंटी कि आँखों में कुछ अलग तरह की चमक थी. मैं समाजः गया की शीला आंटी अब हम दोनों को सवेरे मिलने वाले खली समय के बारे में सोचकर खुश हो रही होगी. मैंने तेजी से अपनी कमीज और बनियान निकला दिया. इसके बाद मैंने शीला आंटी का ब्लाउस खोला और फिर आखिर में चोली. हमेशा की तरह हम दोनों एक दुसरे से लिपट गए. हम दोनों कुछ इस तरह से लिपटे थे कि हमें समय का पता नहीं चला और हम दोनों ही यह भूल गए कि अंजना और मंजुला के आने का समय हो चुका है. आज विशेष रूप से शीला आंटी बेकाबू हो गई थी. मैंने एक दो बार खुद को उनसे अलग करने कि कोशिश भी की लेकिन वो असफल रही. जिस बार का मुझे डर था वो ही हुआ. अंजना लौट आई. वो सीधे मेरे कामे की तरफ ही आई. उसने जैसे ही मेरे कमरे का दरवाजा धीरे से खोला तो वो मुझे और शीला आंटी को इस हालत में एक दुसरे से लिप्त हुआ देखकर हैरान रह गई. शीला आंटी की पीठ दरवाजे की तरफ होने से शीला आंटी को तो कुछ पता नहीं चला लेकिन मेरी नजरें अंजना से मिल गई. अंजना कुछ ना बोली और गुस्से से मेरी तरफ देखते हुए चली गई. मैंने शीला आंटी को यह बताना सही नहीं समझा. कुछ देर बाद मैंने बड़ी मुश्किल से अपने को शीला आंटी से अलग किया.

रात को खाना खाते वक्त अंजना बार बार मुझे एक कुटिल मुस्कान के साथ देखे जा रही थी. मैं लगातार उससे नजर चुरा रहा था.

जब मैं सोने के लिए अपने कमरे में गया तो कुछ ही देर बाद अंजना मेरे कमरे में दाखिल हुई. अंजना बहुत ही खुले गले का टी शर्ट और जाँघों तक की लम्बाई वाला हाल्फ पैंट पहने हुई थी. मैं उसे इन कपड़ों में देखते ही उसके इरादे को समझ गया. मैं सचेत होकर बैठ गया. अंजना ने मेरे बहुत करीब आकर मेरे सीने पर हाथ रखा और बोली " तुम्हारा सीना कुछ ज्यादा ही मुलायम नहीं लग रहा आज!" मैं उसका इशारा समझ गया. अंजना अब मेरे बहुत करीब आ चुकी थी. उसकी साँसें मुझे छूने लगी थी. मैंने उसे दूर जाने के लिए कहा. अंजना ने एक शैतान नजर मुझ पर डाली और बोली " अगर तुमने मेरा कहा नहीं मन तो मैं पिताजी से सारी बात कह दूंगी." मैं घबरा गया. अंजना ने धेरे से मेरे शर्त के बटन खोलने शुरू किये. मैं मजबूर था इसलिए कुछ नहीं कर सकता था. उसने मेरा शर्ट उतर दिया और फिर बनियान भी खोल दिया. इससे पहले कि मैं कुछ संभल पता वो मुझे लिपट गई. मैंने अपने आपको छुड़ाने की कोशिश की लेकिन उसने मुझे बहुत कसकर पकड़ लिया था. अचानक उसने मुझे कुछ इस तरह से धकेला कि हम दोनों पलंग पर गिर गए. मैंने उसे दूर धकेला. अंजना ने अब अपनी हाफ पैंट उतार दी और टी शर्ट को खोलना शुर कर दिया था.

मैं अब समझ गया था कि उससे बच पाना मुश्किल है. मैंने सोचा इससे अच्छा मौका अब नहीं मिलने वाला कि हुस्न का दरिया मेरे सामने आकर खुद मुझे डूबने को कह रहा है. मैंने अब अंजना को कसकर पकड़ लिया और उसके सीने से अपने सीने को लगा दिया. अंजना ने भी वापस इसी अंदाज में जवाब दिया. मैं और अंजना अब उसी मुद्रा में थे जिस तरह अंजना ने मुझे शीला आंटी के साथ देखा था. अब अंजना ने अपने होठों को मेरे होठों के बहुत करीब लाकर एक लम्बी सांस छोड़ी. मुझ पर जैसे एक नशा छा गया. मैंने अचानक अपने होंठ अंजना के होंठ पर रख दिए. अंजना ने मेरे होठों को चूम लिया. हम दोनों के शारीर में एक बिजली कि लहर जैसे दौड़ गई क्योंकि हम दोनों के लिए इस तरह के चुम्बन का यह पहला ही मौका था. हम दोनों को ऐसा लगा जैसे एक साथ ढेर सारी शक्कर की मिठास एक साथ मुंह में घुल गई हो. हम दोनों लगभग पांच मिनट तक एक दुसरे के होठों को चूमते रहे. अब मैंने अंजना को पलंग पर सीधा लिटा दिया और मेरी मनपसंद उसकी चिकनी टांगों और जांघों को बेतहाशा चूमने लगा. अंजना को यह बहुत ही पसंद आ रहा था. वो बार बार मुझे अपनी जांघें चूमने को कहती रही और मैं उसे चूमता रहा.

अंजना ने इसके बाद मुझे अपनी तरफ खींचा और मुझे अपने स्तनों को चूमने को कहा. मैंने शीला के आंटी के स्तनों को बहुत करी से देखा था लेकिन कभी चूमा नहीं था. अब मुझे पहली बार किसी के स्तनों को चूमने का मौका मिल रहा था. मैंने उसके दोनों स्तनों को चूमा. मुझे ऐसा लगा जैसे मैं किसी मलाई के सागर में तैर रहा हूँ. अंजना को तो ऐसा लगा जैसे वो बादलों में उड़ रही हो. अब अंजना ने मुझे जगह जगह चूमना शुरू किया. हम दोनों इसी तरह लगभग आधी रात तक एक दुसरे को चूमना जारी रखा. इसके बाद अंजना ने यह कहते हुए कि मंजुला को कोई शक ना हो जाए; अपने कपडे पहने और अपने कमरे में चली गई. मैं अपनी किस्मत पर खुश हो रहा था.
 
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