hotaks444
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अचानक वह उठी और मुझे धक्का दे कर बेड पर गिरा दी. मेरे बॉक्सर को तेज़ी के साथ निकल दी. मैं कुच्छ सोचता उस से पहले मेरा एरेक्ट लिंग अपने हाथों मे ले चुकी थी. मैं कुच्छ रेज़िस्ट करने की हालत मे नहीं था.
अचानक अपना सर झुका कर मेरे लिंग के छेद से निकल रहे प्रेकुं की बूँद को ज़ुबान से चाट लिया. उसी हालत मे अपनी ज़बान को लिंग की लंबाई मे उपर से नीचे की ओर ले गयी, फिर नीचे से उपर की ओर आई.
मेरे शरीर का सारा खून जैसे सिमट कर मेरे लिंग तक आ चुका था. मेरे लाख कोशिश के बाद भी मैं नहीं रुक सका और मेरे लिंग से वीर्य की तेज़ धार छूट पड़ी.
एक दो तीन....पता नहीं कितनी पिचकारियाँ निकली और उस का पूरा चेहरा मेरे वीर्य से भर गया.
उसके चेहरे पर खुशी भरी मुस्कान थी.
मैं काफ़ी शर्मिंदा था. जल्दी छूट जाने के कारण भी और अपने वीर्य से उसका चेहरा भर देने के कारण भी. मगर मैं करता भी क्या. मैं मजबूर था.
मेरी सोच को उसने पढ़ लिया और बोली.."यार...कितने दिन का जमा कर रखा था. इतनी जल्दी छूट पड़े. लगता है तुम ने कभी चुदाई नहीं की है. चलो आज मैं तुम्हें सब सिखा दूँगी." और वह खिलखिला कर हंस पड़ी.
उसने मेरी शर्ट और बनियान उतार दी. अब हम दोनो एक दूसरे के सामने पूरी तरह नंगे थे.
झरने के बाद मेरा जोश कुच्छ कम हो गया था और फिर से मैं झिझक रहा था. यह देख वो बोली "क्यों मुझे गोद मे उठा कर तो खूब किस करना चाह रहे थे अब क्या हुआ."
"प्रिया जी यह सब ठीक है क्या?"
"ठीक है या नहीं, मैं नहीं जानती...पर क्या मैं और मेरा यह गुलाबी रेशमी बदन तुम्हें अच्छा नहीं लगा क्या?" कहते हुए वो एक मस्त अंगड़ाई ली. उसकी चुचियों का उभार और बढ़ गया था. निपल्स और भी खड़े हो गये थे. अब चाहे जो हो मैं दिल की बात पर चलने को तैयार था.
"आप...आप की यह मस्त अंगड़ाई तो साधुओं की तपस्या भंग करने वाली है." और मैं ने उसे अपनी बाहों मे कस लिया. मेरे होन्ट उसके रसभरे होन्ट से जुड़ गये.
वो भी किस मे पूरा पूरा मज़ा ले रही थी. दोनों की ज़बाने एक दूसरे से उलझ रही थीं. अब मैं उसके गालों को चूमता हुआ दाएँ कान की लॉ तक गया. वह मस्ती मे मोन कर रही थी. फिर उसी तरह किस करता हुआ बाएँ कान की लॉ तक गया.
मेरा एक हाथ उसकी मस्त नितंबों को मसल रहा था और दूसरा हाथ उसकी चुचियों से खेल रहा था. अयाया....क्या अहसास था.
मैं उसके गले पर अपने होतों का निशान छ्चोड़ता हुवा उन उन्नत पहाड़ियों तक पहुँचा. दोनो स्तनों के बीच की घाटी मे अपना मुँह डाल कर रगड़ने लगा.
मेरा लंड फिर से अपनी पूरी लंबाई को पा कर अकड़ रहा था और उसकी नाभि के आसपास धक्के मार रहा था. इन सब से वह इतना बेचैन हो गयी कि अपनी एक चूंची को पकड़ कर मेरे मुँह मे डाल दी. मैं बारी बारी से काफ़ी देर तक दोनों चुचियों को चूस चूस कर मज़े ले रहा था.
उसके मुँह से भी उफ़फ्फ़....आअहह....यअहह....चूऊवसो..और चूसो...जैसे शब्द निकल रहे थे. अब मैं चुचियों को छ्चोड़ कर नीचे बढ़ा. उस की नाभि बहुत ही सुंदर और सेक्सी थी. अपनी ज़ुबान उसमे डाल कर मैं उसे चूसने लगा. वह तो एक्सिटमेंट से तड़प
रही थी. जल्द ही मैं और नीचे बढ़ा.मेरे दोनों हाथ उसके चूतदों पर कस गये.
मेरे सामने उसका सबसे कीमती अंग क्लीन शेव्ड योनि थी. उसकी चूत तो किसी कुँवारी लड़की जैसी थी. अपनी दो उंगलियों की मदद से मैने उसके लिप्स खोले और अपना मुँह लगा दिया.
वहाँ तो पहले से ही नदियों जैसी धारा बह रही थी. उन्हें चूस कर साफ करता मैं अपनी ज़बान उसमे डाल दिया.
उसकी सिसकियाँ तेज़ से तेज़ होती जा रही थी. तभी उसने मेरे सर को ज़ोर से अपनी चूत पर दबा दिया और एक बार फिर झाड़ गयी.
"हारीश डार्लिंग अब आ जाओ, डाल दो अपना मूसल मारी चूत मे, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा....उफफफ्फ़."
मैं भी अब ज़्यादा देर नही करने की पोज़िशन मे था. उसे पीठ के बल लिटा कर उसके पैरों के बीच आ गया. उसने खुद अपनी दोनों जांघें फैला ली.
मैं अपने लंड के सुपादे को उसकी लव होल पर रखा ओर ज़ोर का धक्का मारा. लगभग 2'' लंड अंदर गया और साथ साथ वो ज़ोर से चीख पड़ी..."ओववव....माआंन्न.....मर गयी....ऊओह"
मुझे बड़ा ताज्जुब हुया कि वह वर्जिन लड़की की तरह कर रही थी. इसे मैं उसका नाटक समझ कर एक के बाद एक कई ज़ोरदार झटके लगा दिए. मेरे लंड मे काफ़ी जलन होने लगी थी.
उसकी चूत तो सचमुच किसी कुँवारी की तरह कसी हुई थी. वह दर्द से छॅट्पाटा रही थी और तेज़ तेज़ चीख रही थी. मैने उसकी चीखों को रोकने की कोशिश भी नहीं किया.
उसका अपना घर था.अपनी मर्ज़ी से छुड़वा. रही थी.
मैं अपना पूरा लंड अंदर डाल कर थोड़ी देर रुक गया और उसकी चुचियों और होन्ट को चूसने लगा. कुच्छ ही पलों मे वह रेलेक्स लगने लगी और अपनी गांद उठा कर हल्का झटका
दिया.
मैं समझ गया कि अब उसकी तकलीफ़ ख़त्म हो चुकी है. फिर तो मैं जो स्पीड पकड़ा कि उसकी तो नानी याद आ गयी. कितने तरह की आवाज़ें उसके मूह से निकल रही थी. कई बार वह झाड़ चुकी थी.
आख़िरकार मेरा भी वक़्त क़रीब आ गया. मैने अपने झटकों की रफ़्तार और तेज़ कर दी. दो चार मिनट के बाद मैं उसकी चूत मे झाड़ गया.
हम दोनो पसीने से तर हो चुके थे और हमारी साँसें तेज़ तेज़ चल रही थीं. दोनों अगल बगल लेट कर अपनी साँसें दुरुस्त करने लगे.
दस मिनट बाद वह उठी और ज़ोर से मुझसे लिपट गयी. मेरे चेहरे पर चुंबनों की झड़ी लगा दी.
"हारीश...मेरी जान... आज तुमने मुझे वो खुशी दी है जिस से मैं आज तक अंजान थी.''
"मगर तुम तो शादी शुदा हो...फिर..?" और मुझे उसका चीखना चिल्लाना याद आ गया.
अचानक अपना सर झुका कर मेरे लिंग के छेद से निकल रहे प्रेकुं की बूँद को ज़ुबान से चाट लिया. उसी हालत मे अपनी ज़बान को लिंग की लंबाई मे उपर से नीचे की ओर ले गयी, फिर नीचे से उपर की ओर आई.
मेरे शरीर का सारा खून जैसे सिमट कर मेरे लिंग तक आ चुका था. मेरे लाख कोशिश के बाद भी मैं नहीं रुक सका और मेरे लिंग से वीर्य की तेज़ धार छूट पड़ी.
एक दो तीन....पता नहीं कितनी पिचकारियाँ निकली और उस का पूरा चेहरा मेरे वीर्य से भर गया.
उसके चेहरे पर खुशी भरी मुस्कान थी.
मैं काफ़ी शर्मिंदा था. जल्दी छूट जाने के कारण भी और अपने वीर्य से उसका चेहरा भर देने के कारण भी. मगर मैं करता भी क्या. मैं मजबूर था.
मेरी सोच को उसने पढ़ लिया और बोली.."यार...कितने दिन का जमा कर रखा था. इतनी जल्दी छूट पड़े. लगता है तुम ने कभी चुदाई नहीं की है. चलो आज मैं तुम्हें सब सिखा दूँगी." और वह खिलखिला कर हंस पड़ी.
उसने मेरी शर्ट और बनियान उतार दी. अब हम दोनो एक दूसरे के सामने पूरी तरह नंगे थे.
झरने के बाद मेरा जोश कुच्छ कम हो गया था और फिर से मैं झिझक रहा था. यह देख वो बोली "क्यों मुझे गोद मे उठा कर तो खूब किस करना चाह रहे थे अब क्या हुआ."
"प्रिया जी यह सब ठीक है क्या?"
"ठीक है या नहीं, मैं नहीं जानती...पर क्या मैं और मेरा यह गुलाबी रेशमी बदन तुम्हें अच्छा नहीं लगा क्या?" कहते हुए वो एक मस्त अंगड़ाई ली. उसकी चुचियों का उभार और बढ़ गया था. निपल्स और भी खड़े हो गये थे. अब चाहे जो हो मैं दिल की बात पर चलने को तैयार था.
"आप...आप की यह मस्त अंगड़ाई तो साधुओं की तपस्या भंग करने वाली है." और मैं ने उसे अपनी बाहों मे कस लिया. मेरे होन्ट उसके रसभरे होन्ट से जुड़ गये.
वो भी किस मे पूरा पूरा मज़ा ले रही थी. दोनों की ज़बाने एक दूसरे से उलझ रही थीं. अब मैं उसके गालों को चूमता हुआ दाएँ कान की लॉ तक गया. वह मस्ती मे मोन कर रही थी. फिर उसी तरह किस करता हुआ बाएँ कान की लॉ तक गया.
मेरा एक हाथ उसकी मस्त नितंबों को मसल रहा था और दूसरा हाथ उसकी चुचियों से खेल रहा था. अयाया....क्या अहसास था.
मैं उसके गले पर अपने होतों का निशान छ्चोड़ता हुवा उन उन्नत पहाड़ियों तक पहुँचा. दोनो स्तनों के बीच की घाटी मे अपना मुँह डाल कर रगड़ने लगा.
मेरा लंड फिर से अपनी पूरी लंबाई को पा कर अकड़ रहा था और उसकी नाभि के आसपास धक्के मार रहा था. इन सब से वह इतना बेचैन हो गयी कि अपनी एक चूंची को पकड़ कर मेरे मुँह मे डाल दी. मैं बारी बारी से काफ़ी देर तक दोनों चुचियों को चूस चूस कर मज़े ले रहा था.
उसके मुँह से भी उफ़फ्फ़....आअहह....यअहह....चूऊवसो..और चूसो...जैसे शब्द निकल रहे थे. अब मैं चुचियों को छ्चोड़ कर नीचे बढ़ा. उस की नाभि बहुत ही सुंदर और सेक्सी थी. अपनी ज़ुबान उसमे डाल कर मैं उसे चूसने लगा. वह तो एक्सिटमेंट से तड़प
रही थी. जल्द ही मैं और नीचे बढ़ा.मेरे दोनों हाथ उसके चूतदों पर कस गये.
मेरे सामने उसका सबसे कीमती अंग क्लीन शेव्ड योनि थी. उसकी चूत तो किसी कुँवारी लड़की जैसी थी. अपनी दो उंगलियों की मदद से मैने उसके लिप्स खोले और अपना मुँह लगा दिया.
वहाँ तो पहले से ही नदियों जैसी धारा बह रही थी. उन्हें चूस कर साफ करता मैं अपनी ज़बान उसमे डाल दिया.
उसकी सिसकियाँ तेज़ से तेज़ होती जा रही थी. तभी उसने मेरे सर को ज़ोर से अपनी चूत पर दबा दिया और एक बार फिर झाड़ गयी.
"हारीश डार्लिंग अब आ जाओ, डाल दो अपना मूसल मारी चूत मे, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा....उफफफ्फ़."
मैं भी अब ज़्यादा देर नही करने की पोज़िशन मे था. उसे पीठ के बल लिटा कर उसके पैरों के बीच आ गया. उसने खुद अपनी दोनों जांघें फैला ली.
मैं अपने लंड के सुपादे को उसकी लव होल पर रखा ओर ज़ोर का धक्का मारा. लगभग 2'' लंड अंदर गया और साथ साथ वो ज़ोर से चीख पड़ी..."ओववव....माआंन्न.....मर गयी....ऊओह"
मुझे बड़ा ताज्जुब हुया कि वह वर्जिन लड़की की तरह कर रही थी. इसे मैं उसका नाटक समझ कर एक के बाद एक कई ज़ोरदार झटके लगा दिए. मेरे लंड मे काफ़ी जलन होने लगी थी.
उसकी चूत तो सचमुच किसी कुँवारी की तरह कसी हुई थी. वह दर्द से छॅट्पाटा रही थी और तेज़ तेज़ चीख रही थी. मैने उसकी चीखों को रोकने की कोशिश भी नहीं किया.
उसका अपना घर था.अपनी मर्ज़ी से छुड़वा. रही थी.
मैं अपना पूरा लंड अंदर डाल कर थोड़ी देर रुक गया और उसकी चुचियों और होन्ट को चूसने लगा. कुच्छ ही पलों मे वह रेलेक्स लगने लगी और अपनी गांद उठा कर हल्का झटका
दिया.
मैं समझ गया कि अब उसकी तकलीफ़ ख़त्म हो चुकी है. फिर तो मैं जो स्पीड पकड़ा कि उसकी तो नानी याद आ गयी. कितने तरह की आवाज़ें उसके मूह से निकल रही थी. कई बार वह झाड़ चुकी थी.
आख़िरकार मेरा भी वक़्त क़रीब आ गया. मैने अपने झटकों की रफ़्तार और तेज़ कर दी. दो चार मिनट के बाद मैं उसकी चूत मे झाड़ गया.
हम दोनो पसीने से तर हो चुके थे और हमारी साँसें तेज़ तेज़ चल रही थीं. दोनों अगल बगल लेट कर अपनी साँसें दुरुस्त करने लगे.
दस मिनट बाद वह उठी और ज़ोर से मुझसे लिपट गयी. मेरे चेहरे पर चुंबनों की झड़ी लगा दी.
"हारीश...मेरी जान... आज तुमने मुझे वो खुशी दी है जिस से मैं आज तक अंजान थी.''
"मगर तुम तो शादी शुदा हो...फिर..?" और मुझे उसका चीखना चिल्लाना याद आ गया.