desiaks
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मैं अपनी गुफा में जा पहुंचा।
चन्द्रावती उस वक़्त सो रही थी। मेरी आहट पाते ही जाग गई।
मैंने रौशनी जलाई।
उसने अंगड़ाई ली और मैंने देखा इस बीच उसका चेहरा काफी मुर्झा गया है। चेहरे पर पीली पर्त चढ़ी थी, आँखें धसती जा रही थींऔर गालों की हड्डियाँ उभरती जा रही थी। आज मैंने पहली बार महसूस किया कि वह जवान नहीं रही... उसकी सुन्दरता मिट चुकी है और कुल मिलाकर वह दायाँ सी हो गई है।
“इतने रोज कहाँ रहे तांत्रिक ?” उसने पूछा।
“तू जानती है, मैं क्या करता फिर रहा हूं।”
“जानती हूँ... पर इतने दिन मुझे अकेले छोड़कर रखना तुझे अच्छा लगता है ?”
“क्यों क्या तू मेरे बिना मर जायेगी। सो जा चुपचाप...मैं बहुत थका हुआ हूं...पर ज़रा मेरी टांगे तो दबा दे।”
मेरा मोह तो सारी दुनिया से ख़त्म हो चुका था, चन्द्रावती से क्यों रखता। मैं तो अब जंगली पशु था।
“कभी-कभी मुझसे प्यार से भी बात कर लिया करो तांत्रिक।”
मैं चुप रहा।
“मैं तुम्हारे बिना किस तरह दिन काटती हूं तुम क्या जानो।”
“पागलपन की बातें मत कर – चल ज़रा टांगे दबा।”
वह एकदम बिखर पड़ी – “मैं तुम्हारी नौकरानी नहीं हूं जो...।”
“हरामजादी ! बक-बक मत कर... मेरे पास रहना है तो तुझे वही करना होगा जो मैं कहूंगा वरना मार-मार कर तेरी खाल उतार दूँगा।”
मैं आराम से लेट गया और टांगे पसार दी।
उसकी आँखों में आंसू छलक आये और चुपचाप मेरे पांव दबाने लगी, न जाने कौन सी बात थी जो वह कहना चाहकर नहीं कह पा रही थी। जब वह मेरे साथ थी तो उसे यह सब भोगना ही था, क्योंकि मुझे गंदे रास्ते पर ले जाने वाले पाप की भागीदार थी, ऐसी बातें उसे सोचनी चाहिए मुझे नहीं।
चन्द्रावती मेरे पैर दबाने लगी उसके नरम नरम हाथो के स्पर्श की वजह से मेरी कामाग्नि कामुक अंगड़ाइयाँ लेने लगी . मैने चन्द्रावती को अपने पहलू मे खींच लिया
***
चन्द्रावती उस वक़्त सो रही थी। मेरी आहट पाते ही जाग गई।
मैंने रौशनी जलाई।
उसने अंगड़ाई ली और मैंने देखा इस बीच उसका चेहरा काफी मुर्झा गया है। चेहरे पर पीली पर्त चढ़ी थी, आँखें धसती जा रही थींऔर गालों की हड्डियाँ उभरती जा रही थी। आज मैंने पहली बार महसूस किया कि वह जवान नहीं रही... उसकी सुन्दरता मिट चुकी है और कुल मिलाकर वह दायाँ सी हो गई है।
“इतने रोज कहाँ रहे तांत्रिक ?” उसने पूछा।
“तू जानती है, मैं क्या करता फिर रहा हूं।”
“जानती हूँ... पर इतने दिन मुझे अकेले छोड़कर रखना तुझे अच्छा लगता है ?”
“क्यों क्या तू मेरे बिना मर जायेगी। सो जा चुपचाप...मैं बहुत थका हुआ हूं...पर ज़रा मेरी टांगे तो दबा दे।”
मेरा मोह तो सारी दुनिया से ख़त्म हो चुका था, चन्द्रावती से क्यों रखता। मैं तो अब जंगली पशु था।
“कभी-कभी मुझसे प्यार से भी बात कर लिया करो तांत्रिक।”
मैं चुप रहा।
“मैं तुम्हारे बिना किस तरह दिन काटती हूं तुम क्या जानो।”
“पागलपन की बातें मत कर – चल ज़रा टांगे दबा।”
वह एकदम बिखर पड़ी – “मैं तुम्हारी नौकरानी नहीं हूं जो...।”
“हरामजादी ! बक-बक मत कर... मेरे पास रहना है तो तुझे वही करना होगा जो मैं कहूंगा वरना मार-मार कर तेरी खाल उतार दूँगा।”
मैं आराम से लेट गया और टांगे पसार दी।
उसकी आँखों में आंसू छलक आये और चुपचाप मेरे पांव दबाने लगी, न जाने कौन सी बात थी जो वह कहना चाहकर नहीं कह पा रही थी। जब वह मेरे साथ थी तो उसे यह सब भोगना ही था, क्योंकि मुझे गंदे रास्ते पर ले जाने वाले पाप की भागीदार थी, ऐसी बातें उसे सोचनी चाहिए मुझे नहीं।
चन्द्रावती मेरे पैर दबाने लगी उसके नरम नरम हाथो के स्पर्श की वजह से मेरी कामाग्नि कामुक अंगड़ाइयाँ लेने लगी . मैने चन्द्रावती को अपने पहलू मे खींच लिया
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