Incest Kahani जीजा के कहने पर बहन को माँ बनाया - Page 2 - SexBaba
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Incest Kahani जीजा के कहने पर बहन को माँ बनाया

मेरी बात सुनते ही जीजू ने कहा-“यार, तू इतनी चिंता क्यों करता है? अब से तू ये समझ की पूजा मेरी नहीं तेरी बीवी है। दुनियाँ के सामने वो मेरी बीवी है, पर असल में वो तेरी बीवी होगी। और यार तू सोच जिस तरह मर्दों ने घर के बाहर दूसरी औरतों को रखा होता है, अपनी रखैल बनाकर। अब से तू समझ की पूजा तेरी बहन नहीं तेरी रखैल है, और तुझे तो पता ही होगा की एक रखैल अपने यार को इतना मज़ा देती है, जितना मज़ा ना एक बीवी और ना एक मासूका दे सकती है। अरे रखैल जितना मज़ा तो लाइफ में कोई रंडी भी नहीं दे सकती…” और इतना कहकर मेरी जाँघ पर हाथ उससे दबाकर मुश्कुरा दिए। 

मैं-“ठीक है जीजू, जैसा आप और दीदी को सही लगता है, वैसे ही होगा…” अब मेरे लिए पूजा दीदी को आगे भी चोदने का रास्ता सॉफ हो गया था। अब मैं खुलकर पूजा दीदी का मज़ा ले सकता था, जैसे मैं चाहता वैसे ही पूजा दीदी की मस्त गदराई हुई जवानी को चूस सकता था। अब मेरे मन में सिर्फ़ पूजा दीदी की चुदाई के बारे में विचार आ रहे थे की कैसे मैं अपनी प्यारी दीदी पूजा की चुदाई करूँगा? उसको किस-किस स्टाइल में चोदूंगा और कहां-कहां चोदूंगा? ये सब विचार मेरे मन में आ ही रहे थे की तभी मेरी आँखों के सामने पूजा दीदी की मस्त तरबूज जैसे चूतड़ आ गये। 

मैंने अपने दोस्तों से सुना था की ज्यादातर लड़कियां अपनी गाण्ड मारने नहीं देती, अगर पूजा दीदी ने भी मुझे अपनी मस्त गाण्ड मारने नहीं दी तो क्या होगा? और वैसे भी जीजू और पूजा दीदी को मुझसे बच्चा ही चाहिए था, जो पूजा दीदी मुझसे अपनी चूत चुदवाकर पैदा कर सकती थी। मन में पूजा दीदी के द्वारा उसकी गाण्ड ना मारने देने के विचार से मेरा मन कांप उठा और मैं जीजू से कन्फर्म कर लेना चाहता था की पूजा दीदी मुझे अपनी गाण्ड मारने से ना रोकें। 

इसलिये मैंने जीजू से कहा-“जीजू, पूजा दीदी को मुझसे बच्चा चाहिए, पर आप बताएं की पूजा दीदी जैसी मस्त पटाका लड़की का तबला (गाण्ड) देखकर किस मर्द का मन नहीं करेगा की पूजा दीदी जैसी मस्त लड़की का तबला बजाये…” 

जीजू मेरी बात सुनकर मुश्कुरा दिए और बोले-“यार, तुझे कहा ना कि अब पूजा को अपनी दीदी मत समझ… बल्की उसे अपनी रखैल समझ। अब तू उस रांड़ की आगे से बजा, या पीछे से उसका तबला बजा… बस तू उसे पेट से करके माँ बना दे…” 

इसके बाद लास्ट ड्रिंक खतम करने के साथ-साथ हम घर को चल दिए। जीजू आउट हो गये थे, उनसे ठीक से चला भी नहीं जा रहा था। जब मैं ड्राइव कर रहा था तो रास्ते में जीजू मेरे लण्ड पे हाथ रखकर बोले-“साले, अपना हथियार तो दिखा दे, कितना बड़ा है? पूजा बता रही थी की तेरा हथियार बड़ा लंबा और मोटा है…”

एक पल के लिए तो मुझे लगा कि जीजू गान्डू हैं, शायद दीदी की चूत लेने से पहले इनकी गाण्ड भी मारनी पड़े गी। मेरा लण्ड आधा खड़ा था जो उन्होंने मेरी पैंट के ऊपर से ही थोड़ा झुक के अपने दायें हाथ में पकड़ रखा था। 

फिर कुछ सोचकर जीजू बोले-“चल छोड़ कल ही देखेंगे जब तुम मेरी बीवी की चुदाई करोगे…” 

मेरे दिल में आया कि मादरचोद, तेरी बीवी को चोदने का तो पता नहीं मुझे मज़ा आएगा या नहीं? लेकिन अपनी बहन को चोदने के लिए तो मैं बरसों से तरस रहा हूँ, उसे चोदने में तो मुझे जन्नत का मज़ा आएगा। 

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दूसरी ओर घर पर मम्मी पूजा से बात कर रही थी-“पूजा बेटी, तुझसे एक बात पूछूं?” 

पूजा दीदी-हाँ मम्मी पूछो, क्या बात है? 

मम्मी-“बेटी, तुम्हारी शादी को दो साल हो गये और ये क्या तुम लोगों ने अभी तक अपने बच्चे का कुछ प्लान नहीं किया?” 

पूजा दीदी-“वो मम्मी बस ऐसे ही… कर लेंगे…” 

मम्मी-“बेटी, देखो मैं जानती हूँ की आजकल के बच्चे, शुरू में मस्ती के लिए बच्चा नहीं करते फिर बाद में प्राब्लम हो जाती है। तुम्हारी शादी को दो साल हो गये हैँ, अब तुमको अपने बच्चे के बारे में सोचना चाहिए। कहीं ये तो नहीं की दामाद जी अभी बच्चा नहीं चाहते?” 

पूजा दीदी-“नहीं मम्मी, ऐसी कोई बात नहीं है, हम दोनों चाहते हैं…” 

मम्मी-“तो फिर तुम्हें बच्चा क्यों नहीं होता? क्या तुम सेक्स के टाइम पिल्स इस्तेमाल करती हो? या फिर दामाद जी कंडोम इस्तेमाल करते हैं?” 

पूजा दीदी-“मम्मी, हम दोनों ये सब कुछ इस्तेमाल नहीं करते…” 

मम्मी-“बेटी, तो फिर किसी डॉक्टर को दिखाना था। देखो बेटी, जब लड़की की शादी हो जाती है तो वो बेटी नहीं सहली बन जाती है, और अपनी हर सुख दुख की बातें शेयर करती है। देखो बेटी मुझसे क्यों छुपा रही हो? अगर कुछ है तो मुझे बता ताकि अगर कोई दिक्कत हो तो उसका कुछ हल निकल सके। अगर तूझमें कोई कमी है तो फिर उसका भी कुछ करेंगे?” 

पूजा दीदी-“मुझमें तो कोई कमी नहीं है, पर आप ये जान लो की मैं कभी माँ नहीं बन सकती…” 

मम्मी-“पर क्यों? तू माँ क्यों नहीं बन सकती? क्या दामाद जी तुझसे सेक्स नहीं करते?” 
 
पूजा दीदी मम्मी के गले लगकर-“मम्मी, अब क्या बताऊूँ मैं आपको… आप सेक्स की बात करती हैं, तो आप ये समझ लो की आपके दामाद किसी औरत के काबिल नहीं हैं, वो किसी भी औरत को संतुष्ट नहीं कर सकते…” 

मम्मी को पूजा दीदी की बात सुनते एक झटका सा लगता है-क्या बोल रही है? 

पूजा दीदी-“हाँ मम्मी, ठीक कह रही हूँ। वो सच में किसी औरत की काबिल नहीं हैं…” 

मम्मी-“तो बेटी, किसी डॉक्टर को दिखाना था…” 

पूजा दीदी-“मम्मी, क्या दिखाऊूँ? उनका इतना छोटा और पतला है…” और इतना बोलते ही दीदी चुप हो गईं। 

मम्मी-“क्या कहा पूजा? उसका लण्ड इतना छोटा है…” और मम्मी का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। 

पूजा दीदी-“हाँ मम्मी, उनका 3 इंच से भी छोटा है, उन्होंने कभी शर्म के मारे मुझे हाथ भी नहीं लगाया…” 

मम्मी पूजा दीदी की बात सुनकर सदमें खा गई और बोली-“पूजा, अब तेरा क्या होगा? कैसे तू सारी जिंदगी बिना मर्द के गुजार पायेगी। क्यों नहीं तुम कोई बच्चा गोद ले लेती?” 

पूजा दीदी-“मम्मी, मैं किसी और का बच्चा गोद नहीं लूँगी। वैसे ये भी बोलते हैं कि उन्हें भी बच्चा मुझसे ही चाहिए…” 

मम्मी गुस्से से-“तुझसे बच्चा चाहिए उस नामर्द को, कैसे होगा ये? शादी को दो साल हो गये, और वो नामर्द तुझे चोद नहीं पाया तो बच्चा कौन उसका बाप पैदा करेगा?” 

पूजा दीदी-“मम्मी, आपके दामाद भी यही कहते हैं की किसी और साथ हम-बिस्तर होकर उसके साथ बच्चा पैदा करूं…” 

मम्मी-“उस नामर्द का तो दिमाग़ खराब हो गया है। ऐसा कौन होगा जिससे तू ये सब करेगी?” 

पूजा दीदी-“मम्मी, मेरे ससुराल में इनके एक अंकल हैं, जो आर्मी में थे, अकेले रहते हैं। वो अक्सर मुझे घूरते रहते हैं। और कभी-कभी गंदे-गंदे इशारे भी करते हैं। मैंने इनको कहा तो इन्होंने कहा-पूजा, ये तो अच्छा है की तुम उनको लिफ्ट दो और उनके साथ हम बिस्तर होकर बच्चा पैदा करो…” 

मम्मी-“तो फिर तूने क्या सोचा? अगर वो तैयार है तो तुझे क्या दिक्कत है? इससे तुझे मर्द का सुख भी मिलेगा और शायद तुझे उनसे बच्चा भी हो जाए…” 

पूजा दीदी-“मम्मी वो सब तो ठीक है की उनके साथ सेक्स करके मुझे ये सब मिलेगा। पर सोचो अगर ये बात मेरे ससुराल में पता चल गई तो कितनी बदनामी होगी? वहां सब मुझे एक बदचलन औरत कहेंगे। इसे वो सब इनका कसूर नहीं, बल्की मुझे ही वेश्या समझेंगे…” 

मम्मी-“ये बात तो तेरी ठीक है… तो फिर ये सब कैसे होगा?” 

पूजा दीदी-“मम्मी, मैंने इनसे कहा था की अगर आप चाहें तो मैं आपके किसी दोस्त के साथ संबंध बनाकर बच्चा पैदा कर सकती हूँ। ये उसके लिए मान भी गये थे, पर जो इन्होंने मुझसे कहा की अगर मैं इनके किसी दोस्त के साथ संबंध बनाती हूँ तो हम लोग कितनी बड़ी मुश्किल में फँस सकते हैं…” 


मम्मी-“मुश्किल? वो कैसी? बेटी, अगर तुम किसी और से संबंध बनाती हो और दामाद जी भी यही चाहते हैं तो फिर कैसी मुश्किल? इससे तो तुम लोगों को फ़ायदा ही होगा। एक तो तेरी जिंदगी में मर्द की कमी पूरी हो जाएगी, और दूसरा तुम्हारी लाइफ में बच्चे की जो कमी है वो भी पूरी हो जाएगी…” 

पूजा दीदी-“हाँ मम्मी, मुझे उसके साथ संबंध बनाने के ये फ़ायदे तो हैं। पर सोचो इससे बड़ा नुकसान भी है। मम्मी, अगर मैं इनके किसी दोस्त से सेक्स करती हूँ तो वो आदमी कभी किसी और के सामने ये बोल सकता है की यार (रमेश) की बीवी मुझसे फँसी हुई है, मेरी रखैल है, मैं रोज उसकी लेता हूँ। और हो सकता है की मुझे चोदने के बाद वो मुझे अपने दोस्तों से भी चुदवाए। रोज मुझे नये-नये मर्दों के नीचे लिटाए। और इसकी क्या गारन्टी है कि अगर मैं उसके बच्चे की माँ बन जाऊँ तो कल को वो उसे अपना बच्चा कहकर हमसे छीन भी सकता है। उस हालत में हम क्या करेंगे?” 

मम्मी-“ये बात तो ठीक है बेटी, फिर क्या करोगे तुम लोग?” 

पूजा दीदी-“मम्मी, ये तो कह रहे थे कि हम कहीं आउट स्टेशन चलते हैं। वहां पर किसी वेटर से या फिर ये किसी आटो ड्राइवर को बुलाकर मुझे पेट से करवा देंगे। पर मैं किसी लो क्लास आदमी का बच्चा पैदा नहीं करूँगी, इसके लिए मैंने इन्हें एक लड़के का नाम बताया, जिसे सुनकर ये झट से तैयार हो गये। अब पता नहीं वो लड़का तैयार होता भी है या नहीं, मुझे माँ बनाने के लिए? इन्होंने तो मुझसे वादा भी लिया है कि अगर वो लड़का तैयार नहीं हुआ मुझे माँ बनाने के लिए तो मुझे मजबूरन इनकी बात मान कर आउटस्टेशन जाकर किसी वेटर या किसी ड्राइवर से चुदवाकर माँ बनना पड़ेगा…” 

मम्मी-“पूजा, आख़िर कौन है वो लड़का, जिसके साथ तू सेक्स करके माँ बनना चाहती है? और तूने ये क्या कहा कि अगर वो तुझसे सेक्स करने को नहीं माना तो? आख़िरकार वो लड़का क्यों नहीं मानेगा? तू खूबसूरत है सेक्सी है, मैं जहाँ तक जानती हूँ की तेरी एक झलक पाने के लिए लड़के तो क्या बुड्ढे भी घर के बाहर लाइन लगाकर खड़े रहते थे। आख़िर उस लड़के का नाम क्या है?” 

पूजा दीदी-“दीपूउ…” 

मम्मी-“क्या दीपू? तेरा दिमाग़ तो खराब नहीं हो गया? जानती भी है, तू क्या बोल रही है? दीपू तेरा भाई है…
” 
पूजा दीदी-“हाँ मम्मी, जानती हूँ कि दीपू मेरा भाई है और मैं ये भी जानती हूँ कि इसके लिए दीपू ज़रूर राज़ी हो जाएगा और जहाँ तक मैं सोचती हूँ, दीपू तो खुशी के मारे पागल हो जाएगा और फिर पूजा मम्मी को दीपू और उसके बीच क्या-क्या हुआ था सब बताती है। 

जिसे सुनकर मम्मी के चेहरे पर हल्की सी स्माइल आ जाती है। मम्मी-“पूजा, इसका मतलब की जिस बच्चे की तू माँ बनेगी, मैं उस बच्चे की नानी की बनूंगी और उस बच्चे की दादी भी बनूंगी…” और फिर दोनों आपस में ऐसे ही बातें करती रहती हैं। 

मैं और जीजू ऐसे ही बातें करते-करते घर पहुँच गये। जीजू मुझे अपने रूम में खींच रहे थे, दीदी पहले ही अपने रूम में उनका इंतेजार कर रही थी। जब मैं जीजू को पकड़कर उनके रूम में छोड़ने गया तो दीदी सवालिया नज़रों से मेरी ओर देखने लगी। लेकिन मैं जीजू को रूम में छोड़कर बाहर निकल आया। मेरे अंदर दीदी को गुस्से से चोदने की प्लानिंग बन रही थी, और मैं मन ही मन सोच रहा की अब साली को ऐसे चोदूंगा की साली जिंदगी भर याद रखेगी। 

दीदी के लिये मैं 3-4 साल तड़पा था। पुरानी हवस और गुस्सा था मेरे अंदर, मैंने अपने रूम में जाकर अपनी दराज़ खोला और उसमें पड़ी दूज-14000 डिले स्प्रे की बोतल चेक की, जो ¼ भरी थी, यह मेरी फ़ेवरेट डिले स्प्रे थी, कुछ खास-खास मोके पे ही मैं इसे इस्तेमाल करता था। 
 
जिस दिन किसी की बहुत गुस्से से चुदाई करनी हो या बहुत देर तक चोदना हो तो मैं 10 मिनट पहले इसको अपने लण्ड के सुपाड़े पे स्प्रे कर लेता हूँ, फिर 30-60 मिनट तक तो गारन्टी के साथ मेरा पानी नहीं निकलता और लड़की का इस दौरान 3-4 बार पानी निकल जाता है और वो लड़की मुझसे मिन्नतें करती है की बस कर अब वो सहन नहीं कर सकती। मैं जैसे चाहूं वैसे आराम से चुदाई कर सकता हूँ, इतना टाइम लगने के बाद भी मुझे लण्ड का पानी निकालने के लिए बहुत जोर- जोर से तेज चुदाई करनी पड़ती है। 


मैं अपनी इस स्प्रे को कल के लिए तैयार करने लगा, ताकि मैं कल जब इस स्प्रे को लगाकर दीदी की चुदाई करूं तो वो मेरी मर्दानगी के पीछे मर मिटे । उसकी चीखों से पूरा कमरा गूँज उठे। फिर जब मैंने बेड पे लेटकर अपनी आँखें बंद की तो सामने दीदी की सेक्सी फिगर घूमने लगी, पूजा दीदी की मस्त बड़ी-बड़ी टाइट चूचियां गोल मटोल उभरी उठी हुई गाण्ड, सब मेरी आँखों के सामने आ रहा था। 

मैंने इतनी पी हुई थी की नशा होने के वाबजूद भी नींद नहीं आ रही थी, आने वाले कल के बारे में सोचकर खुशी भी हो रही थी और गुस्सा भी आ रहा था, कि जब मेरा लण्ड तरस रहा था तब तो मेरी रंडी बहन ने मेरी एक ना सुनी, और अब अपनी गाण्ड फटने लगी है तो दीपू भैया याद आ गया। दिल कर रहा था कि मूठ मारकर हल्का हो जाऊँ। लेकिन मैं करीब एक महीने से रुका हुआ अपने लण्ड का कीमती माल बरबाद नहीं करना चाहता था। अब मैं अपना ये कीमती लण्ड का माल पूजा दीदी के जिश्म के अंदर ही डालना चाहता था, और अपने अंदर की पूरी आग दीदी को दिखाने के लिए यह रोकना ज़रूरी भी था। मेरे मन में अभी से बेचैनी थी दीदी को चोदने की। 


मैंने देखा कि दीदी बाहर मम्मी के साथ अभी बातें कर रही थी और कल आउटस्टेशन पर जाने की तैयारी कर रही थी। कुछ देर बाद दीदी उठी और सीधा जीजू के पास रूम में गई और जीजू से उत्सुकता से पूछने लगी-“क्या हुआ, दीपू ने क्या कहा? क्या वो मान गया मुझे माँ बनाने के लिए?” 

जीजू-“हाँ पूजा दीपू मान गया है, अरे उसका लण्ड तो अभी से खड़ा हो गया था तुझे चोदकर माँ बनाने के लिये। तू देखना कल वो तेरी ऐसी चुदाई करेगा की सब कुछ भूल जाओगी, वो अपनी बरसों की हसरत तेरी चूत फाड़कर निकालेगा। मुझे नहीं लगता की वो तुम्हें अगले 3 दिन में एक पल के लिए भी आराम करने देगा। वो बस तुझे इन तीन दिनों तक कभी तेरी आगे से और कभी तेरी पीछे से फाड़ता रहेगा, हर टाइम तुझे अपने लण्ड पर चढ़ाकर है रखेगा। और मुझे पूरा यकीन है की इन तीन दिनों में तुम दीपू से चुदवाकर माँ ज़रूर बन जाओगी। 

पूजा दीदी-“मैं तो कब से जानती थी की दीपू मुझे चोदने का ये हसीन मोका कभी हाथ से जाने नहीं देगा। ये तो उसकी लाइफ की सबसे बड़ी खुशखबरी होगी की मैं पूजा, उसकी बहन, जिसे वो बचपन से चोदना चाहता था और जिसके नाम पर ना जाने उसने कितनी बार अपने लण्ड का पानी निकाला होगा, आज खुद उससे चुदवाकर उस पर मेहरबानी कर रही हूँ…” पूजा दीदी को अपने इस रूप और हुश्न पर घमंड था। 

फिर वो जीजू की ओर देखकर बोली-“देखना कल मैं दीपू को अपनी जवानी के ऐसे जलवे दिखाऊूँगी की वो सारी उमर मेरे तलवे चाटता रहेगा, मेरे पीछे दुम हिलाता रहेगा…” 

पूजा दीदी की ये बात सुनकर मुझे बड़ा गुस्सा आया की साली की इतना गरूर है अपने इस जिश्म पर। कल देखना इस साली कुतिया को मैं ऐसे चोदूंगा कि साली खुद तड़पेगी मुझसे चुदवाने को। इस साली को रंडी की तरह चोद-चोदकर इसकी चूत का भोसड़ा ना बनाया तो मेरा भी नाम दीपू नहीं। कल ये खुद मुझसे भीख माँगेगी कि प्लीज़… दीपू, मैं मर जाऊँगी। दारू पीने की वजह से अगले दिन सुबह मैं काफ़ी देर से उठा। दीदी सुबह बहुत जल्दी ही उठ गई थी और दीदी ने अपनी बाडी को पूरी तरह से वेक्स कर लिया था। जीजू और दीदी अपना सामान कार में रख रहे थे। 

मैं शावर करके नीचे आया तो मम्मी के सामने जीजू ने दीदी से कहा-“पूजा, क्यों ना हम दीपक को भी साथ ले चलें?” 

दीदी-“हाँ… आपको ड्राइविंग में भी हेल्प हो जायेगी…” यह कहते हुये दीदी मेरे और जीजू के बीच में खड़ी जीजू को स्माइल दे रही थी, उसने जींस और टाइट टाप के साथ काले चश्मे को सर के खुले बालों पे चढ़ा रखा था। फिर अपना सैंडल ठीक करने के बहाने जानबूझकर मेरे सामने झुक गई, जिससे दीदी का टाइट टाप ऊपर सरक गया और जींस भी थोड़ा नीचे, दीदी की गोरी कमर और गुलाबी पैंटी की इलास्टिक मुझे नज़र आने लगी वो मेरे सामने एकदम डोगी स्टाइल में झुक के अपना सैंडल ठीक कर रही थी, उसके बड़े-बड़े गोल मटोल चूतड़ मुझे अपनी तरफ खींच रहे थे, जैसे कह रहे हों कि दीपक आओ, अब डाल भी दो ना अपना लण्ड मुझसे अब और बर्दास्त नहीं होता। 

कुछ भी हो दीदी साली शादी के दो साल बाद भी मेरे दिल पे राज कर रही थी, शादी के बाद उसके जिश्म में कोई खास फरक नहीं पड़ा था, वो आज भी सेक्सी फिट थी। 



फिर जीजू मेरी तरफ देखते हुए बोले-“दीपक, जल्दी से अपना सामान तैयार करके आ जाओ, हमें आधे घंटे के अंदर शिमला निकलना है, जाते ड्राइव तुम करोगे और आते हुए मैं करूँगा या फिर आधी-आधी कर लेते हैं…” 

वो दोनों ऐसा शो कर रहे थे कि वो दोनों ही जा रहे हैं, फिर मेरे जाने का अचानक प्रोग्राम बन गया ड्राइविंग की वजह से। 

मैंने कहा-“जीजू, आप लोग जाओ मेरी तबीयत ठीक नहीं है…” 

यह सुनते ही दीदी हैरान हो गई और खेल उल्टा घूमते देखकर दीदी ने आकर मुझे दाईं बाँह से पकड़ लिया और बहुत अच्छे तरीके से अपने चूचियों को छुआते हुए मेरा हाथ अपने दोनों हाथों में पकड़कर बोली-“दीपूउउ, प्लीज़्ज़… चलो ना मेरे अच्छे भैया…” 

फिर मुझे छोड़कर मम्मी के पास चली गई और बोली-“मम्मी, आप बोलो ना दीपू को कि हमारे साथ चले, हमें आराम हो जायगा…” 
 
मम्मी भी मुझे जाने के लिये बोलने लगी और मम्मी ने कहा-“जा दीपू चला जा, अगर तुम्हारी दीदी कह रही है तो दीदी की बात मना मत कर। दीदी की सेवा करेगा तो तुझे इसका फल अच्छा मिलेगा…” और मम्मी मेरी ओर देखकर फिर पूजा दीदी की ओर देखकर मुश्कुराने लगी। 

मम्मी के इतना बोलने पर भी मैं कुछ ना बोला और दीदी से हाथ छुड़ाकर ऊपर अपने रूम में चला गया। 

मुझे इस तरह बर्ताव करता देखकर दीदी का चेहरा उतर गया और वो मेरे पीछे-पीछे ऊपर कमरे में आ गई। और कमरे में आकर मेरा हाथ पकड़कर बोली-“क्या हुआ दीपू, तू क्यों नहीं चल रहा हमारे साथ?” 

मैं-“दीदी, मैं आपके साथ इसलिए नहीं चल रहा की आप नहीं जानती की जीजू मुझसे क्या चाहते हैं…” और मैं इतना कहकर चुप हो गया। 

पूजा दीदी-“मैं सब जानती हूँ, क्या तू ये नहीं चाहता?” 

मैं-“नहीं दीदी, आप कुछ नहीं जानती…” 

पूजा-“अरे बाबा, मैंने कहा ना मैं सब जानती हूँ…” 

मैं-“अच्छा… अगर आप सब जानती हैं तो बताओ फिर कि जीजू ने मुझसे क्या कहा?” 

तो इस पर दीदी थोड़ा मुश्कुराते हुए बोली-“ मैं जानती हूँ की तू हमारे साथ चलकर मुझे माँ बना देगा…” 

मैं-“दीदी, मैं ये सब नहीं कर सकता। आप सब बड़ी मतलबी हैं…” अब मैं अपना निशाना सीधा दीदी पर लगाना चाहता था। 

पूजा दीदी-“ये तू क्या कह रहा है दीपू?” 

मैं-“और नहीं तो क्या? आप चाहती हैं कि मैं आपको चोदकर, आपको माँ बना दूं और फिर आप मुझसे माँ बनकर चली जाएंगी, फिर मेरा क्या होगा? मैं तो फिर उसी तरह तड़पता रहूंगा। आप तो मुझे फिर हाथ नहीं लगाने देंगी। ये तो वोही बात हुई कि आपका मतलब हुआ तो आपने मुझे इस्तेमाल कर लिया…” 

पूजा दीदी मेरे गले में अपनी बहे डालकर, और मेरी आँखों में देखकर-“ये तुझे किसने कहा की माँ बनने के बाद मैं तुझे अपने बदन पर हाथ नहीं लगाने दूंगी। अगर तुम मुझे अपने बच्चे की माँ बनाओगे तो तुम भी तो उसके पिता बनागे। मेरे अच्छे भैया, जो मर्द किसी लड़की को माँ बनने का सुख देता है वो लड़की उस मर्द को कभी नहीं भूल सकती, वो मर्द उस औरत के लिए देवता होता है, उसके दिल पर वो मर्द राज करता है। आज से ये सब अधिकार मैं तुम्हें देती हूँ। मेरे इस बदन, मेरी आत्मा, मेरे हर एक अंग-अंग के तुम स्वामी हो। मैं तुम्हारे चरणों की दासी हूँ। मैंने तुम्हें इतने सालों तक दुख दिया शायद ये उसी की सज़ा है। अब तुम मुझे अपनी दासी, बीवी, रखैल, कुछ भी बनाकर रखोम मुझे मंजूर होगा। तुमको दुख देकर मेरे नसीब में देखो की मैं दो साल शादी हो जाने पर भी अभी औरत नहीं बनी, शादी शुदा होते हुए भी कुँवारी हूँ…” 

पूजा दीदी की दर्द भरी बातें सुनकर मैंने पूजा दीदी को अपनी बाहों में कस लिया और फिर अपने होंठ दीदी के नाज़ुक लाल होंठों पर रख दिया और अपना हाथ नीचे ले जाते हुए दीदी की बड़ी-बड़ी गाण्ड पर रख दिए। मैं दीदी के होंठों को अपने होंठों में दबाकर चूसता रहा और दीदी भी मेरे चुंबन के जवाब में मेरे होंठों को चूस रही थी और मैं दीदी के होंठों को चूस रहा था और साथ ही साथ दीदी की बड़ी गाण्ड को सहला रहा था। दीदी की आँखें मस्ती में बंद थीं। 

तभी मैंने दीदी के होंठों को अपने होंठों से अलग किया। जैसे ही मैंने अपने होंठों को दीदी के होंठों से अलग किया, दीदी जैसे नींद से जागी। मैंने दीदी की आँखों में अपनी आँखें डालकर कहा-“दीदी, आज मैं तुम्हें पूरी औरत बना दूंगा, एक कच्ची कली से पूरा फूल बना दूंगा, और उस फूल की खुशबू सिर्फ़ मेरे लिए ही होगी…” 

मेरी बातें सुनकर दीदी की आँखें शर्म से झुक गईं और फिर दीदी मेरी बाहों से निकलकर नीचे भाग गई। 

तो मैंने दीदी की कलाई को पकड़कर अपनी ओर खींच लिया। दीदी मेरी सीने से टकराई और मैंने पूजा दीदी को अपनी बाहों में भर लिया और उसकी गाण्ड पर जोर-जोर से थप्पड़ मारते हुए मुश्कुराते हुए पूछने लगा-“फिर आज तुम अपने भैया को अपना सैंया बनाओगी, तो बताओ ना फिर जो दुनियाँ के सामने तुम्हारा सैंया है, उसे क्या भैया बनाओगी?” 

तो दीदी भी मेरे गले में बाहें डालते हुए बोली-“जो तेरी मर्ज़ी हो, उसे बना डालना…” 

अब मैं भी दीदी की आँखों में आँखें डालकर मुश्कुराते हुए पूछने लगा-“क्या तुमको लगता है की मेरा ‘वो’ तुमको संतुष्ट कर पाएगा? मेरा छोटा सा तो है…” 

इस पर दीदी टपक से बोली-“छोटा और तेरा? मुझे तो लगता है की मेरी तो फाड़ ही देगा…” 

तो मैंने दीदी की चुटकी लेते हुये कहा-“अच्छा तो तुमको अभी भी मेरा वो याद है?” 

दीदी शर्मा गई और मेरी बाहों से निकलकर भाग गई। 

फिर मम्मी के कहने पे मैं तैयार हो गया। मैं भी तो ड्रामा ही कर रहा था। सारी रात तो में दीदी को चोदने की प्लानिंग करता रहा था। मैंने अपने सारे कपड़े और डिले स्प्रे वगैरा सब पहले से ही तैयार किया हुआ था, बस बैग उठाकर कार में रखना था। जाइनली मैं ड्राइविंग सीट पे जा बैठा, जीजू मेरे साथ आगे की सीट पर और मेरी कुतिया बहन पीछे वाली सीट पे थी। रोड पे ड्राइविंग करते हुये भी मेरे दिमाग़ में दीदी के जिश्म के बारे में सोच-सोचकर लड्डू फूट रहे थे। 

जैसे ही सिटी से बाहर निकले, तभी जीजू ने मुझसे कहा-“दीपू, लाओ मैं ड्राइविंग करता हूँ…” 

जीजू की बात सुनकर मैंने कहा-“नहीं आप रहने दीजिए जीजू, मैं करता हूँ…” 

तभी जीजू ने कहा-“चल यार छोड़, मैं ड्राइविंग करता हूँ और तू पीछे जाकर उस कुतिया की ड्राइविंग कर, साली कब से इंतेजार कर रही है की कब तू आएगा और इस कुतिया के मस्त बदन की सवारी करेगा…” 

जीजू की बात सुनकर मैं मुश्कुराता हुआ ड्राइविंग सीट से उठा और पीछे जाकर दीदी के बगल में बैठ गया। मैं अपना हाथ दीदी के गले में डालकर दीदी के नरम गालों को सहलाता हुआ जीजू से बात करने लगा। 

जीजू गाड़ी चलाते हुए हुए मुझसे बोले-“दीपू देख ले, तुम्हारी दीदी बिल्कुल वैसे ही है जैसे पहले थी…” 

मैं दीदी की चूचियों को टाप के ऊपर से सहलाते हुए बोला-“जीजू, लगता है आपने ज्यादा मेहनत दीदी की चूचियों पर ही की है…”

इससे पहले कि जीजू कुछ बोलते, दीदी बोल पड़ी-“बस इन्होंने मेहनत इनपर ही की है और कही नहीं की…” 

दीदी की बात सुनकर मैं पूजा दीदी को अपनी बाहों में समेटते हुए उसके होंठों को चूमते हुए बोला-“मेरी जान, चिंता क्यों करती हो, जीजू ने अगर तुम्हारी चूचियों पर मेहनत की है तो हम नीचे मेहनत कर लेंगे…” 

दीदी की बात सुनकर जीजू को थोड़ा गुस्सा आया और वो मुझसे बोले-“दीपू, आज इस कुतिया को ऐसे चोदना की साली चीखती रहे। आज तू इसकी चूत का भोसड़ा बना दे, साली की चूत की सारी आग ठंडी कर दे…” 

मैं-“जीजू आप चिंता ना करो, आज मैं इसको ऐसे चोदूंगा कि ये चिल्लायेगी-प्लीज़… मुझे बचाओ, मैं मर जाऊँगी, निकाल लो मेरी चूत से लण्ड, आगे से कभी भी कुछ नहीं कहूंगी…” 

मेरी बात सुनकर दीदी ने शर्म और स्माइल के साथ अपनी आँखें नीची कर ली। पूरे रास्ते मैं दीदी के होंठों को चूमता रहा, कभी दीदी की चूची को मसलता रहा, और दीदी सारे रास्ते मेरे लण्ड को सहलाती रही। और जीजू को मुझसे अपनी बीवी यानी दीदी को चुदवाने की जल्दी थी इसलिये शायद कार की स्पीड अपने आप तेज हो रही थी, 4 घंटे का सफ़र 3 घंटे में पूरा कर लिया। 

हम शिमला पहुँचे तो जीजू ने होटेल में मुझे और दीदी को पति-पत्नी के रूप में बताया और खुद को दीदी के भाई के रूप में बताकर दो रूम लिए। अब जब जीजू ने यहां पर मुझे और दीदी को मियाँ-बीवी और अपने को दीदी का भाई बताया तो इस तरह से अब जीजू मेरे साले बन गये। हम दोनों रूम की चाबियाँ लेकर रूम में चले गये। 

रूम में जाते ही दीदी बोली-“भाई, मुझे तो पहले नहाना है, मैं फ्रेश होकर आती हूँ…” यह कहते हुए दीदी अपने बैग से कुछ कपड़े निकालकर टायलेट की तरफ चली गई। 

हम दोनों जीजा साला बेड पे बैठ गये फिर जीजू बोले-“कम ओन दीपक, अब शरमाना छोड़ो यार… हम घर से बहुत दूर हैं अब। देखा मुझे पता थाकि तुम दोनों अकेले कुछ नहीं कर पाओगे, इसीलिये मुझे तुम लोगों को शुरूवाती प्रोत्साहन देना ज़रूरी था…” यह कहते हुये जीजू ने बैग से पीटर स्कॉच की बोतल निकाल ली। 

फिर फ़ोन उठाकर काउंटर से कुछ ऑर्डर करने लगे। फिर जीजू ने दो डिस्पोजल ग्लास निकालकर उनको आधा व्हिस्की से भर दिया और दीदी की आधी पी और बाकी आधी पड़ी पेप्सी की बोतल से पेप्सी मिक्स कर ली फिर बोले-“उठा यार, और बच्चों की तरह मत पीना, एक ही बार में खतम कर, चीयर्स…” 

हम दोनों ने ग्लास उठाई और खाली करके रख दी। 

फिर जीजू बोले-“तुम्हारी दीदी तो आइस के बिना पीती नहीं और आइस और बाकी सामान का ऑर्डर आने में अभी पता नहीं कितना टाइम लगेगा? हमसे तो इंतेजार नहीं होता भाई, सामान आने तक तो अपना पूरा मूड बन चुका होगा…” 
 
लग रहा था कि आज जीजू मुझे शराबी बनाने के चक्कर में थे, उन्होंने दूसरा पेग भी काफ़ी स्ट्रांग बना लिया था। हम कुछ देर बैठे रहे फिर जीजू बोले-“दीपक, तू कपड़े चेंज कर ले, शॉर्टस वगैरा पहन ले…” 

फिर शरारत में आँख दबाकर इशारा करते हुये बोले-“वैसे कपड़ों की ज़रूरत तो पड़ेगी नहीं, चाहे तो तू नंगा ही रह…”

फिर झट से हम दोनों की नज़र दूसरी तरफ पलटी, तो सामने दीदी टायलेट की तरफ से आ रही थी। हे भगवान्, दीदी ने स्काइ ब्लू कलर की पतली सिल्की नाइटी पहनी थी, नाइटी बस घुटनों से ऊपर तक ही थी, उसकी गोरी लंबी टांगें तो सॉफ-सॉफ नज़र आ ही रही थीं, लेकिन चलकर आने से उसके गोरी-गोरी गोल-गोल जांघें भी नज़र आ रही थीं। ओिफ्र्फ… ऊपर से व्हिस्की का नशा, मेरा लण्ड थकावट के वाबजूद भी खड़ा होना शुरू हो गया था। साली कितनी सेक्सी लग रही थी, नाइटी का गला नीचे तक खुला था, जिससे डाकद कलर की नाइटी में दोनों चूचियां बाहर झाँकती कितनी सेक्सी लग रही थीं। ब्रा ना पहनी होने के कारण दोनों निप्पल्स ने पतली नाइटी को ऊपर उठा रखा था, यानी नाइटी से तीखे निपल बाहर झाँकने की कोशिश कर रहे थे। मेरा दिल चाह रहा था कि मैं अभी ही दीदी पे झपट पड़ूं, लेकिन जीजू की वजह से मैं चुप था। 

मुझे ऐसे देखते देखकर जीजू काफ़ी खुश लग रहे थे, मुझे ऐसा लग रहा था जैसे दीदी जीजू ने यह सब करके मुझे गरम करने की पहले ही प्लानिंग कर रखी थी। वो मेरी तरफ देखकर बोले-“दीपक, अब शरमाना छोड़ो यार, और तुम भी चेंज कर लो…”
 
मुझे ऐसे देखते देखकर जीजू काफ़ी खुश लग रहे थे, मुझे ऐसा लग रहा था जैसे दीदी जीजू ने यह सब करके मुझे गरम करने की पहले ही प्लानिंग कर रखी थी। वो मेरी तरफ देखकर बोले-“दीपक, अब शरमाना छोड़ो यार, और तुम भी चेंज कर लो…”



मैंने कहा-“मैं भी पहले नहा लूँ…” 

दीदी हम दोनों के पास आकर बैठ गई। मैंने अपना दूसरा पेग भी खतम किया और धीरे से अपनी डिले स्प्रे, शॉर्टस और टी-शर्ट निकालकर नहाने चला गया, और टायलेट में जाते ही मैंने पहले अपनी डिले स्प्रे निकालकर अपने खड़े लण्ड के सुपाड़े पे स्प्रे किया, क्योंकि मुझे पता था कि मैं दीदी के जिश्म का भूखा था, और कहीं ऐसा ना हो कि उसके नंगे सेक्सी जिश्म को देखकर ही मेरी पिचकारी निकल जाये। अच्छी तरह से अपने लण्ड की टोपी पे स्प्रे करने के बाद मैंने नहाना शुरू कर दिया और 10 मिनट के बाद जब मेरा लण्ड स्प्रे की वजह से पत्थर जैसा सख्त हो गया तो मैं शॉर्ट और टी-शर्ट में बाहर निकल आया। 

बाहर दीदी और जीजू के सामने टेबल पे एक ट्रे पड़ी थी जिसमें व्हिस्की में आइस से भरे तीन काँच के गिलास और कुछ खाने का सामान, आइस, सोडा, और पेप्सी वगैरा पड़ा हुआ था, शायद मेरे पीछे वेटर ऑर्डर दे गया था। दीदी जीजू के करीब बैठी थी और जीजू का दायां हाथ दीदी की जांघों पे रेंग रहा था। मेरा लण्ड शॉर्टस में तना हुआ था। इस बार भी मैंने शॉर्टस की पाकेट में हाथ डालकर उसको दबाया हुआ था, मैं उनके पास आकर बैठ गया। 

दीदी और जीजू ने अपने-अपने ग्लास उठाये और मुझे भी उठाने के लिये इशारा किया। हम तीनों ने चीयर्स किया और सिप करने लगे। दीदी मुझसे नज़र नहीं मिला रही थी, लेकिन उसने अपना एक हाथ मेरी जांघों पे रखकर मसाज करना शुरू कर दिया। फिर जीजू बेड से उठकर दीदी की टांगों के बीच फर्श पे बैठ गये और उसकी टांगों को फैलाकर नाइटी को पीछे हटाकर धीरे-धीरे दीदी के घुटनों को चूमते हुए ऊपर दीदी की चूत की तरफ जाने लगे। 

दीदी की दोनों जांघों को कुछ देर चूमने के बाद उठकर खड़े हो गये और अपने कपड़े उतारने लगे। फिर अपना व्हिस्की का ग्लास उठाकर खतम कर दिया और हम दोनों को भी खतम करने के लिये बोलने लगे। जीजू के जिश्म पे सिर्फ़ अंडरवेर थी, वो ऐसे ही दीदी के सामने खड़े हो गये। 

मैं बैठा सब देख रहा था। 

दीदी बाहर से ही उनकी अंडरवेर के ऊपर से ही उनके लण्ड को पकड़कर सहलाने लगी, लेकिन मुझसे नज़र चुरा रही थी, जैसे इस रूम में वो दोनों ही थे। 

जीजू ने मेरी तरफ गर्दन घुमाई और बोले-“कम ओन दीपक यार, अभी तक व्हिस्की ने भी असर नहीं किया क्या? दारू पीकर तो सब माँ-बहन भी सेक्सी लगने लगती हैं, और तुम अभी भी शर्मा रहे हो?” 

फिर वो मेरी तरफ पलटे और मेरी शॉर्टस में हाथ डालते हुए उन्होंने मेरे लण्ड को बाहर निकालते हुए कहा-“लगता है मुझे ही सब करना पड़ेगा?” 

मेरा लण्ड बाहर आते ही उनके मुँह से निकला-“यार तुम्हारा हथियार तो मुझसे भी बड़ा लग रहा है…” फिर मुझे बाँह से पकड़ते हुए खड़ा होने के लिये बोले . 

मैं उनके साथ ही दीदी के सामने खड़ा हो गया, मेरा शॉर्टस मेरी कमर से थोड़ा नीचे था और मेरा खड़ा लण्ड शॉर्टस से बाहर था। दीदी ने जीजू की अंडरवेर के अंदर अपना हाथ डालकर उनके लण्ड को बाहर निकाल लिया और मेरा अंडरवेर नीचे खींच दी, अब मेरा खड़ा लण्ड दीदी के मुँह के बिल्कुल सामने था। 

मेरा ध्यान जीजू के लण्ड की तरफ गया, उनका लण्ड 3” से 4” लंबा, लेकिन पतला था। मेरा लण्ड उनके मुकाबले काफ़ी मोटा था और लंबाई तकरीबन 8” थी। दीदी जीजू की आँखों में देख रही थी। 

तभी जीजू बोले-“कम ओन बेबी, गेट हिम रेडी, गिव हिम रियली नाइस ब्लो जाब, ऐसे चूसना, ऐसा कुछ करना कि हम सब रिश्ते भूल जायें और यह ट्रिप यादगार बन जाये…” 

दीदी ने हम दोनों के लण्ड को अपने दोनों हाथों में पकड़ा और हिलाने लगी। आज पहली बार दीदी ने मेरे लण्ड को अपनी मर्ज़ी से अपने नाज़ुक हाथों में पकड़ा था। मैं लिख नहीं सकता कि उस वक़्त मुझे कैसी फीलिंग हो रही थी। दीदी बैठे-बैठे हम दोनों के लण्ड से खेलने लगी। फिर जीजू का सिग्नल मिलते ही दीदी ने अपना मुँह खोलकर मेरा लण्ड अपने मुँह में डालकर अंदर गले तक ले गई। वो अपने दोनों हाथ मेरे चूतड़ों पे रखकर उसे दबाने लगी। मेरा 8” से भी बड़ा और मोटा लण्ड दीदी के मुँह में पूरा समा चुका था, और दीदी उसको और अपने मुँह के अंदर पुश करने की कोशिश कर रही थी। पता नहीं ऐसा अनुभव उसे कहाँ से मिला? शायद जीजू ने ही उसे ट्रेंड किया होगा। 

कुछ देर मेरा लण्ड दीदी के मुँह के अंदर ही रहा, मैं हैरान था कि उसका इतना स्टैमना कैसे बन गया? इतनी देर तक सांस रोकना कौन सी आसान बात है। मैं उड़ने लगा था, मेरा लण्ड और भी सख्त होता चला गया। थैंक गोड कि मैंने अपने लण्ड पे डिले स्प्रे लगा रखा था जिससे मेरे लण्ड को दीदी के मुँह की गर्मी का कुछ खास फरक नहीं पड़ा, नहीं तो अब तक 100% मेरे लण्ड से पिचकारी दीदी के मुँह में ही छूट जानी थी। 

व्हिस्की भी अब हम तीनों पे अपना असर खूब दिखाने लगी थी, मैं सोच रहा था कि जीजू के सामने शर्म करने का ड्रामा भी अब खतम कर दूं। फिर झटके से दीदी ने अपने मुँह से मेरा लण्ड बाहर निकाला और हाँफने लगी। मेरा लण्ड पहले से बड़े नज़र आ रहा था, उसपे लगा दीदी का सलाइवा नीचे फर्श की तरफ टपक रहा था। मेरी आँखों में कामुकता देखकर जीजू मुश्कुरा रहे थे। फिर उन्होंने दीदी की नाइटी के गले से अंदर हाथ डालकर उसकी चूची को मसलना शुरू कर दिया। 

दीदी ने एक हाथ में मेरा लण्ड पकड़ा था और दूसरे से जीजू का लण्ड पकड़कर उसपे अपनी जीभ फिराना शुरू कर दिया। दीदी के दोनों हाथ और मुँह पूरा बिजी थे। क्या नशारा था… मेरी बहन किसी रंडी से कम नज़र नहीं आ रही थी। कोठे की रंडी भी इतनी मस्ती से अपने यार का लण्ड नहीं चूसती, जितना मेरी बहन मेरा चूस रही थी। 

जीजू मेरी तरफ देखते हुये बोले-“दीपू यार, मैं पूजा को कभी संतुष्ट नहीं कर पाया, पता नहीं क्यों मैं जल्दी डिस्चार्ज हो जाता हूँ? व्हिस्की पीने से फिर भी थोड़ा टाइम लग जाता है लेकिन बिना पिए तो बस 5 मिनट भी नहीं लगते, बस पूजा के हाथ लगते ही मेरा लण्ड पानी छोड़ देता है…” 

दीदी जीजू के लण्ड को चूसे जाया रही थी और मेरे लण्ड को हिलाती जा रही थी। 

करीब 3-4 मिनट के बाद जीजू पीछे की तरफ सरक गये और दीदी को बोले-“पूजा यार, मेरा होने वाला है, थोड़ा रुक जाते हैं, मैं नहाकर फ्रेश होकर आता हूँ तब तक तुम दीपक का मस्त टेस्टी लोलीपोप चूस लो…” फिर वो जाते-जाते सबके लिये पेग बनाने लगे। 

हम तीनों बैठकर ड्रिंक खतम करने लगे, दीदी हमारे बराबर दारू पी रही थी। पेग खतम करने के बाद जीजू नहाने चले गयेई। पूजा दीदी ने जल्दी से उनके कुछ कपड़े निकालकर उनको दे दिए और मेरे पास बैठती हुई मेरी आँखों में आँखें डालती हुई, किसी बेशर्म रंडी की तरह स्माइल देते हुए मेरे लण्ड को पकड़कर हिलाने लगी। फिर मेरी टांगों के बीच फर्श पे बैठ गई, और मेरे लण्ड को हिलाती हिलाती मेरी जांघों पे किस करने लगी। फिर ऊपर आते-आते मेरे बाल्स को मुँह में लेकर चूसने लगी, जैसे कोई रंडी सदियों से सेक्स की प्यासी हो। फिर बाल्स पे अपनी जीभ फिराती हुई लण्ड की टोपी के आस-पास जीभ फिराती रही। मेरा लण्ड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी और मुँह के अंदर ही मेरी टोपी के ऊपर जीभ घुमाने लगी। 

मेरी आँखें मस्ती से बंद हो रही थीं, और मेरे हाथ दीदी के सिर पर उसके बालों को सहला रहे थे। जीजू टायलेट में नहा रहे थे। वैसे भी हम सभी काफ़ी ड्रंक हो चुके थे। मुझसे रहा ना गया तो मैं खड़ा हो गया और अपने सामने बैठी अपनी बड़ी बहन के सिर को दोनों हाथों से पकड़कर अपना पूरा लण्ड दीदी के मुँह में घुसेड़ दिया, और उसको मुँह में ही चोदने लगा। 

मैं दीदी की इतनी तेज मुँह में चुदाई करने लगा कि उसके मुँह से “ऊरल, ऊओरल ऊल, ककरूंवल, ल्ल…” की आवाजें निकलने लगी। 

फिर एकदम से मैंने अपना लण्ड दीदी के मुँह से निकाल लिया और उसके मुँह के करीब थोड़ा झुक गया। मेरा लण्ड चूसने के लिए उसके खुले मुँह में मैंने अपने थूक की लार छोड़ दी, मेरा थूक सीधा दीदी के मुँह में जा रहा था, मैं थोड़ा और झुका और धीरे-धीरे दीदी के होंठों के आस-पास और गालों पे लगा अपने लण्ड का जूस और उसके थूक का मिक्चर चाटने लगा, जो कि मेरा लण्ड चूसने से दीदी के होंठ और गालों पे फैला था। उसके बाद मैंने अपने होंठ दीदी के होंठों पे रख दिए और स्मूच करने लगा। 

शायद दीदी इसके लिए पहले से ही तैयार थी, उसने झट से अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मैं उसकी जीभ को चूसने लगा। करीब 5 मिनट के बाद हमारे मुँह का लाक खुला तो दीदी बोली-“सारी दीपू, मैंने तुम्हें बहुत तरसाया, बहुत तडपाया ना… काश, मैं उस वक़्त तुम्हें समझ जाती…” 

मैं कुछ नहीं बोला, बस दीदी की नाइटी के गले के अंदर हाथ डालकर उसकी चूचियां दबाना शुरू कर दिया, आज भी दीदी की चूचियां वैसे ही सख़्त थीं। पता नहीं जीजू ने कभी उनको दबाया भी था या नहीं? निप्पल्स भी वैसी ही टाइट थे। मैं एक चूची को बाहर निकालकर उसको चूसने लगा। 

दीदी मेरे गले में अपनी दोनों बांहें डालकर प्यार से कहने लगी-“दीपू, कुछ बोलो भी… अपनी दीदी को माफ़ नहीं करोगे क्या? आई एम रियली सारी मेरे बच्चे, अब तुम जैसा कहोगे वैसा ही करूँगी…” 

तबी मुझे लगा कि शायद जीजू टायलेट से आ रहे हैं तो मैं खड़ा हो गया। और दीदी ने फिर से मेरा लण्ड अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। दीदी मेरा लण्ड चूसे जा रही थी और मैंने अपना मुँह ऊपर छत की तरफ करके आँखें बंद कर ली थी। 

तभी जीजू टायलेट से आते हुए बोले-“यार तुम लोग अभी तक यहीं पे फँसे हुए हो? इस रांड़ को अपना लण्ड चुसवा रहे हो। मैंने तो सोचा था कि अब तक तो इस साली कुतिया की टांगें एक बार खोलकर उसकी चूत में अपना लण्ड डालकर एक सेशन भी कर लिया होगा…” 

फिर दीदी ने उनको आते देखकर मेरा लण्ड छोड़कर उनका लण्ड पकड़ लिया और उसे चूमने चाटने लगी। 

कुछ ही देर में फिर हम दोनों दीदी के आगे खड़े अपने खड़े लण्ड चुसवा रहे थे। जीजू इस बार बहुत उत्तेजित हो गये और उन्होंने दीदी को कंधों से पकड़कर सीधा पीछे की तरफ बेड पे लिटा दिया, उसकी नाइटी को खोल दिया और दीदी की चूचियां चूसने लगे। फिर अचानक मुझे ऐसे ही खड़ा देखा तो बोले-“दीपक यार, तुम भी बहुल ढीले हो, खुलकर रेस्पॉन्स नहीं दे रहे हो…” फिर उन्होंने दीदी की नाइटी उतार दी और उसे सीधा बेड पे लेटने को कहा, और मुझे लण्ड से पकड़कर बेड के ऊपर खींचने लगे। 

अब हम तीनों बेड पे थे। दीदी खाली पैंटी में सीधी लेटी हुई थी, उसका गोरा बे-दाग बदन देखकर मेरे होश उड़ गये। जिसे मैं बरसों से पाने के लिये तरस रहा था, आज मेरे सामने थी। उसकी गोल-गोल चूचियां पतले जिश्म पे अलग ही नज़र आ रही थीं। जीजू ने मुझे दीदी की टाँगों के सामने बिठा दिया और खुद दाईं साइड पे बैठ गये। फिर जीजू ने दीदी की स्काइ ब्लू कलर की प्री-कम से भीगी पैंटी को उतारकर चूमा और बोले-“वाह… मेरी जान, आज बहुत गरम लग रही हो, कितनी गाढ़ी मलाई निकल रही है तुम्हारी चूत से…” 

फिर उन्होंने दीदी की टांगें थोड़ा मोड़ करके मेरे सामने फैला दी और मुझे घुटनों के बल बिठाकर मेरे लण्ड की पोज़ीशन दीदी की चूत के सामने सेट करने लगे। फिर उन्होंने दीदी की कमर को नीचे अपने हाथ डालकर थोड़ा ऊपर उठाया और मेरे लण्ड को पकड़कर उसमें डालने की कोशिश करने लगे। 

तो मैंने कहा-“जीजू, आप रहने दो, मैं कर लेता हूँ…” 

वो खुश होते हुए बोले-“दैटस लाईक आ गुड बाय, यह बात हुई ना…” फिर वो अपने काम यानी दीदी की चूचियों को चूसने में जुट गये। 

मैं दीदी की चूत की तरफ देखे जा रहा था, उसकी चूत चुदी हुई नहीं लग रही थी। दीदी की चूत का रंग गोरे से थोड़ा लाल ज़रूर हो गया था, लेकिन काला नहीं पड़ा था। मैंने दो सालों में जिसकी भी चुदाई की थी, वोही चूत काली पड़ गई थी। लेकिन दीदी की सॉफ सुथरी चूत देखकर मेरा दिल उसको चाटने के लिये तरस रहा था। लेकिन क्या करता, जीजू तो मुझे दीदी को चोदने के लिए तैयार कर चुके थे। फिर मैंने एक तकिया दीदी की कमर के नीचे रखा और उसी स्टाइल में दीदी की पोज़ीशन बना ली, जिस स्टाइल में दीदी को चोदने की कोशिश दो साल पहले कर चुका था। 


मैंने दीदी की दोनों टाँगों को दोनों साइड पे फैला दिया, फिर अपने लण्ड की पोज़ीशन दीदी की चूत पे सेट करके जोरदार झटका मारा। 

तो दीदी के मुँह से एकदम-“आह्ह… उउउच…” निकल गया। मेरा मोटा लण्ड दीदी की चूत को क्रश करता हुआ उसके अंदर गया चुका था। भीगी होने के वाबजूद भी मुझे दीदी की चूत काफ़ी टाइट लग रही थी। मैंने दीदी की कमर को अपने दोनों हाथों से दोनों तरफ से पकड़कर जोर-जोर से चुदाई शुरू कर दी। 
 
दीदी ने अपना सर पीछे की तरफ सरकाकर आँखें बंद करके चैन की लंबी सांस ली। जीजू दीदी की चूचियों पे झुके उन्हें चूसने में मस्त थे, फिर टेढ़ी आँख से मुझे दीदी की चूत में चोदते देखने लगे। मेरा लण्ड पूरी तेजी से दीदी की चूत के अंदर-बाहर आ जा रहा था, में अपना 8-10 साल पुराना गुस्सा निकाल रहा था। इस जिश्म के लिए मैं 4-5 साल तड़पा था। चोदते-चोदते मुझे जब भी दीदी की डाँट का ख्याल आता तो मेरा गुस्सा और भड़क जाता और मैं अपना पूरा लण्ड बाहर निकालकर उसे जोरदार झटके से चूत के निशाने पे हिट करता, और जोर से झटका मारता तो दीदी का सारा जिश्म हिल जाता। 

कई बार तो दीदी का सर बेडरेस्ट से जा टकराता लेकिन मुझे उस बात से कोई फरक नहीं पड़ता था। अगले ही पल मैं जल्दी से भूखे शेर की तरह दीदी की कमर पे चिपके अपने हाथों से दीदी के सारे जिश्म को नीचे खींच लेता, और फिर से जोरदार चुदाई शुरू कर देता। दिल कर रहा था कि दीदी की चूत का ऐसा हाल कर दूं कि उसे हमेशा याद रहे। 

जोरदार झटकों के लगने से दीदी के मुँह से-“अया… अया… उम्म्म… उम्म…” की आवाजें की सिसकन हो रही थी। 

मेरा लण्ड तेजी से दीदी की चूत को ड्रिल कर रहा था जिससे मेरे लण्ड के पीछे वाली साइड और दीदी की चूत के आस-पास एक सफेद कलर का झाग जमा होने लगा था। जीजू दीदी की चूचियों को किस करते-करते नीचे मेरे लण्ड और दीदी की चूत की तरफ आ गये, जीजू ने उस सफेद झाग को अपनी उंगली से सॉफ किया और अपने अंगूठे और पहली उंगली से उसकी गोंद टाइप चिपचिपाहट देखने लगे। फिर उन्होंने वोही सफेद झाग थोड़ा और अपनी उंगली पे लगाया और अपनी उंगली दीदी के मुँह में डाल दी। 

मैंने चुदाई की स्पीड और तेज कर दी। मैं दीदी पे अब तक का सारा गुस्सा निकाल रहा था। और दीदी की चूत से अपना लौड़ा बाहर निकलकर ऐसे हिट करता जैसे कोई सांड़ किसी इंसान को पीछे हटकरके अपने सर से हिट करता है। मेरे अंदर लण्ड के पीछे जलन हो रही थी कि कब मैं अपना सारा गरम पानी निकालकर दीदी के अंदर छोड़ दूं। लेकिन इतना तेज चोदने के वाबजूद अभी भी मेरा लण्ड पानी छोड़ने के आस-पास भी नहीं था। दूज डिले स्प्रे ने अपना अच्छा असर दिखाया था। 

उधर जीजू कभी दीदी की चूचियों को दबाने लगते, और कभी किसिंग करते-करते दीदी को स्मूच करने लगते। मैं अपना पूरा जोर लगा रहा था कि मेरे लण्ड से पानी निकल जाए, और ऐसा लग भी रहा था कि थोड़ा और तेज दीदी की चूत पर धक्के मारने से मेरे लण्ड का पानी निकल जाएगा। उसी चक्कर में दीदी को चोदने की मेरी स्पीड और तेज होती गई, इतना तेज करने से मेरे लण्ड की स्किन जलने जैसी लग रही थी। 
अब दीदी भी नीचे से अपनी गाण्ड उचका-उचका के चुदवा रही थी और पूरा मज़ा ले रही थी-“आह्ह… आह्ह… आह्ह… आह्ह… आह्ह… दीपूउउ, चोद ले अपनी दीदी को… अगर मुझे पहले पता होता की तुझसे चुदवाने में इतना मज़ा आयेगा तो कब का चुदवा लिया होता। हाईई मर गई मेरे दीपू राजा… उस दिन क्यों नहीं मेरा बलात्कार कर दिया… हाए नहीं, अपना ये लण्ड मेरी चूत में डालकर मेरी चूत फाड़ दी…” जैसी दीदी की आवाजें अब और तेज हो गई थीं, और तभी दीदी ने अपनी चूची चूसते जीजू को बालों से पकड़कर जोर से नोंच लिया, फिर दीदी की कमर ऊपर उठी और 3-4 झटके खाने के बाद “आआह्ह… ऊप्प…” की आवाज़ के साथ ही कमर घूमी और ढीली पड़ गई। 
 
जीजू मेरी तरफ देखने लगे लेकिन मेरे लण्ड से पानी अभी नहीं निकला था। मुझे पता था कि दीदी झड़ चुकी हैं, मैं फिर भी दीदी की तेजी से चुदाई करता रहा। लेकिन दीदी मृत शरीर की तरह पड़ी कोई रेस्पॉन्स नहीं दे रही थी, इसलिए मैं थोड़ा धीरे हो गया और फिर रुक गया। मैंने अपना लण्ड दीदी की चूत से बाहर निकाल लिया, मेरा लण्ड दीदी के चूत जूस से पूरा भीगा हुआ था। मेरी और दीदी दोनों की सांस फूली हुई थी और मुझे काफ़ी प्यास भी लग चुकी थी। मैं टेबल से पानी उठाकर पीने लगा। 

जीजू भी मेरे पास आ गये और पेग बनाते मुझे बोले-“दीपक रुक क्यों गया यार, चोदता रह… जब तक तुम डिस्चार्ज नहीं होते लगे रहो…” 

मैं अपनी सांसें कंट्रोल करता हुआ बोला-“जीजू, अब आपकी बारी है, लगता है दीदी को भी ब्रेक चाहिये…” 

दीदी भी उठकर बेड पे बैठ गई। फिर कुछ देर हम बातें करते रहे और पेग लगाते रहे। मैंने और जीजू ने अपना गिलास खाली कर दिया था, लेकिन दीदी का गिलास भरा पड़ा था। फिर दीदी उठी, अपना पेग उठाया और आधा गिलास ड्रिंक अपने मुँह में भर ली, फिर जीजू को अपने होंठ पे इशारा करके किस करने के लिए कहा। 

जीजू ने दीदी के दोनों होंठ अपने मुँह में लेकर लाक कर लिया। अब दीदी ने अपने फूले हुए गालों वाले मुँह में भरी सारी व्हिस्की जीजू के मुँह में ट्रांसफर कर दी, और 1-2 मिनट तक वो दोनों एक दूसरे की जीभ चूसते रहे, स्मूच करते रहे। दीदी साथ में एक हाथ से जीजू का लण्ड भी हिलाने लगी थी और जीजू भी दीदी की चूचियों को दबाकर मस्त हो रहे थे। 

फिर कुछ देर के बाद दीदी ने स्माइल के साथ मेरी तरफ देखा और अपना बाकी आधा भरा व्हिस्की का गिलास उठाया और अपनी एक टांग बेड पे रखकर अपनी चूत के आगे गिलास करके अपनी चूत को गिलास के किनारों से सॉफ कर दिया, चूत जूसेज गिलास के किनारों पे रेंग रहे थे, फिर दीदी ने व्हिस्की के गिलास के अंदर अपना हाथ डालकर व्हिस्की और चूत जूसेज को मिक्स कर दिया। अब ठीक पहले की तरह व्हिस्की का सारा गिलास खाली करके सारी ड्रिंक अपने मुँह में भर ली और मुझे अपने होंठों की तरफ इशारा करके किस करने को बोली। 

मैंने भी जीजू की तरह ही दीदी के बंद दोनों होंठों को अपने मुँह में ले लिया तो दीदी ने सारी ड्रिंक मेरे मुँह में भर दी। हम दोनों बहन भाई बेशर्म हो चुके थे, अब जीजू की प्रेजेन्स का भी कोई खास असर नहीं हो रहा था। हम करीब 5 मिनट तक एक दूसरे के होंठ और जीभ चूसते रहे, साथ-साथ मैं दीदी के हाथ मेरे लण्ड से और मेरे हाथ दीदी की चूत और चूचियां पे खेल रहे थे। 

दीदी फिर से गरम हो गई लगती थी, जीजू और दीदी बिल्कुल नंगे खड़े थे लेकिन मेरे जिश्म पे अभी भी टी-शर्ट थी। फिर दीदी ने मेरी टी-शर्ट को कमर के करीब से पकड़ा और उतार दिया। अब मैं और जीजू फिर दीदी के सामने खड़े हो गये। दीदी हम दोनों के लण्ड को एक साथ मुँह में डालने की कोशिश करने लगी। जीजू का लण्ड तो मेरे लण्ड से आधा भी नहीं था और मेरा लण्ड लंबा होने के साथ-साथ काफ़ी मोटा भी था। दीदी हम दोनों के लण्ड से खेल रही थी। कुछ देर के बाद दीदी हमारे लण्ड चूसने के बाद खड़ी हो गई और मैं और जीजू दीदी के जिश्म को भूखे कुत्ते की तरह चाटने लगे। जीजू दीदी के पीछे खड़े होकर उसके कान, गर्दन, कंधे और उभरी हुई गाण्ड के गोले चूमने लगे, तो मैं पहले मुँह में मुँह डालकर स्मूच करने लगा, फिर गर्दन पे किसिंग करता नीचे आ गया, चूचियों को दोनों हाथों से पकड़कर अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। धीरे-धीरे नीचे नाभि पे ही पहुँचा था। 

तभी जीजू बोले-“पूजा बेड पे सही रहेगा, खड़े-खड़े मुश्किल हो रही है…” 

अगले पल हम तीनों बेड के ऊपर थे। मैं दीदी की चूत चाटने के लिए मरा जा रहा था, लेकिन फिर भी जीजू की प्रेजेन्स मुझे थोड़ा रोक रही थी। अब मैं सोच रहा था कि दीदी को इतना मज़ा देना है कि दीदी यह सोचने के लिये मजबूर हो जाये कि काश, उसने यह मज़ा पहले ही ले लिया होता। दीदी को चोदकर आज मुझे उसे अपनी कुतिया बनाना था। इसलिये मैंने स्लो मोशन शुरू किया, दीदी के पैर के अंगूठे को किस करना शुरू कर दिया, फिर धीरे-धीरे पैर की बाकी उंगलियों को चाटने लगा, फिर टांगों पे किस करता हुआ ऊपर जांघों की तरफ जाने लगा। 

दीदी की गोरी चिकनी टांगों पे मेरी तरह कोई बाल नहीं था, मैं दीदी के घुटनों को चूमता ऊपर जांघों पे आ पहुँचा था। फिर मैंने दीदी की दोनों टांगों को इकट्ठे करके अपने सामने 90° डडग्री पे ऊपर खड़ा कर दिया और चूतड़ों पे अपना मुँह घुमाने लगा, दीदी की गाण्ड के दोनों चूतड़ों को किस करता-करता फिर टांगें खोलकर दीदी की जांघों पे लगाकर उसकी चूत और मेरे लण्ड का मिक्स जूस चाटने लगा। फिर चूत के आस-पास अपनी जीभ घुमाकर सारा जूस चाट लिया और दीदी की नाभि पे अपना सलाइवा डालकर उसे अपनी जीभ से नीचे दीदी की चूत की तरफ फैला दिया। 

इस बीच दीदी का एक हाथ, स्मूच कर रहे जीजू के सर के पीछे था और दूसरे हाथ से वो जीजू के लण्ड को हिला रही थी। 

अब मुझसे सबर नहीं हो रहा था, मैंने दीदी की चूत के होंठों को अपने दोनों हाथों से खोला, चूत के बीच में जो रेड कलर की संतरे की फांकों जैसी चमड़ी होती है उस पे अपनी जीभ लगाकर उस पे लगा जूस चाटने लग गया। 

दीदी से भी कंट्रोल नहीं हुआ तो उसने जीजू का लण्ड छोड़कर झट से अपने दोनों हाथों से मेरा सिर अपनी चूत पे दबा दिया। जैसे-जैसे मैं चूत पे अपनी जीभ फिराता, दीदी की कमर और ऊपर उठने लगी थी। फिर मैंने स्मूच करने वाले स्टाइल में दीदी की चूत को पूरा अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और अपनी जीभ को दीदी की चूत के अंदर घुसेड़ने की कोशिश करने लगा। 

दीदी के मुँह से बहुत जोर से निकला-“अयाया दीपू, मेरे भाई, अब शुरू कर दो… अब रहा नहीं जाता मेरे प्यारे भैया…”

मैं दीदी की बात सुनकर बोला-“मेरी जान, मेरी छम्मकछल्लो, अब मैं तेरा भैया नहीं, अब तो मैं तेरा सैया हूँ, अब तो लण्ड डालने के लिए भैया से नहीं अपने सैंया से कह…” 

दीदी-“हाँ मेरे सैंया, अब से तुम मेरे भैया भी हो, और मेरे सैंया भी। अब क्यों तड़पाते हो, डाल भी दो ना अपना ये मस्त लौड़ा मेरी चूत में…” 

जीजू स्माइल करते हुये मेरी तरफ देखने लगे फिर बोले-“एक मिनट दीपक…” 
तो मैं दीदी की चूत चाटता चाटता उनकी तरफ देखने लगा। 

वो फिर बोले-“पूजा तुम उठो, दीपक तुम लेट जाओ सीधे…” 

हम दोनों बहन भाई ने उनको फॉलो किया। मैं सीधा लेट गया और जीजू ने मेरे सर के पीछे दो तकिए रख दिए, जिससे मेरा सर ऊंचा हो गया। जीजू की प्लानिंग के हिसाब से दीदी ने अपनी टांगें मोड ली, और अपने घुटनों पे बैठकर मेरे सिर के दोनों तरफ अपनी टांगें कर ली और अपनी चूत मेरे मुँह के बिल्कुल सामने कर दी थी, दीदी के दोनों हाथ मेरे सर के पीछे थे, वो जब चाहे मेरे सर को पकड़कर अपनी चूत पे दबा सकती थी, यानी दीदी मेरे मुँह के ऊपर चढ़कर अपनी चूत चटवाने लगी थी, मेरा लण्ड किसी सख़्त डंडे की तरह खड़ा उठक बैठक कर रहा था, में दीदी की चूत चाटने में मस्त हो गया। 

दीदी अपना पानी छोड़ती जा रही थी, और मैं चाटता जा रहा था। अब दीदी खुद जैसे उसको अच्छा लगता था, अपनी चूत ऊपर-नीचे करके मेरे मुँह पे रगड़ रही थी। दीदी अपनी कमर चला-चलाकर मुझे अपनी चूत चटवा रही थी-“हाए मेरे राजा, मेरे सैंया, मेरे भैया, चाटो मेरी चूत… अपनी इस रांड़ सजनी की चूत…” 
और जीजू दीदी को पीछे से किस करते-करते, मेरे पेट पे हाथ फिराने लगे, कुछ देर बाद उन्होंने मेरे लण्ड को पकड़कर हिलाना शुरू कर दिया, और मुझे स्ट्रोक करने लगे फिर धीरे-धीरे मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगे, मैं चकित हो गया, मेरा शक सही निकला, जीजू ‘गे’ ही निकले थे। उन्होंने बहुत शौक से मेरे लण्ड को चूमना चाटना शुरू कर दिया। 
 
दीदी मेरे मुँह पे सवार हुई अपनी चूत चटवा रही थी, जीजू की तरफ उनकी पीठ थी। मैं भी जीजू को देख नहीं सकता था, क्योंकि मेरा मुँह दीदी की जांघों में फँसा हुआ था, मेरी आँखों के सामने दीदी की लाल चूत और गोरर-गोरी जांघें नज़र आ रही थीं। मैं थोड़ा ऊपर देखने की कोशिश करता तो दीदी की गोल-गोल चूचियां और गोरा पेट नज़र आता। दीदी ऊपर-नीचे होकर खुद मेरे मुँह को चोद रही थी, मुझे जीजू नज़र नहीं आते थे लेकिन मैं महसूस तो कर रहा था। 

जीजू मेरा लण्ड पूरी मस्ती से अपने मुँह में लेकर चूस रहे थे। अब मुझे और टेंशन हो गई कि दीदी के साथ जीजू की गाण्ड भी मारनी पड़ेगी, मैंमें बलि का बकरा बना हुआ था। दीदी और जीजू दोनों अपना-अपना मज़ा लेते हुये मुझे अपने तरीके से चोद रहे थे। करीब 15 मिनट यही सब चलता रहा। 

फिर जीजू उठे और उन्होंने दीदी को कमर से पकड़कर ऐसे ही पीछे खींच लिया मैं सीधा लेटा हुआ था और मेरे ऊपर दीदी झुकी हुई थी, दीदी के दोनों पैर मेरी कमर के आस-पास थे दीदी का मुँह मेरे मुँह के करीब था और उसके दोनों हाथ मेरे दोनों कंधों के आगे मेरे सर के आस-पास थे, जिन पे दीदी का बैलेन्स बना हुआ था। मेरी टांगों के बीच खड़े जीजू पहले दीदी की गाण्ड चाटते रहे, फिर अपने लण्ड को पकड़कर दीदी की चूत में डालते हुये जोर से झटका मारा।

तो दीदी का बैलेन्स हिल गया, और वो मेरे ऊपर गिरती-गिरती संभल गई-“उउम्म्म्म…” की आवाज़ के साथ दीदी मेरे ऊपर झुकी, अपने डोगी स्टाइल में जीजू से चुदवाने लगी थी, मेरे सामने अजीब नज़ारा था, दीदी का गोरा सेक्सी जिश्म डोगी स्टाइल में मेरे सामने जीजू से चुद रहा था, जीजू के झटकों के साथ दीदी की गोरी-गोरी चूचियां मेरे सामने आगे पीछे लहरा रही थी। 

मैं अपनी बहन को चुदते हुए सॉफ देख रहा था। इसलिये मुझसे सबर नहीं हो पा रहा था, और मैं पागल हुआ जा रहा था, फिर मेरी निरें दीदी की नज़रों से टकराई तो दीदी ने स्माइल के साथ अपनी जीभ बाहर निकालकर हिलाते हुए मुझे किस करने का इशारा किया। 

मैंने थोड़ा ऊपर उठकर स्मूच के लिए अपना मुँह खोल दिया, तो दीदी ने झट से अपने मुँह में इकट्ठा हुआ सलाइवा मेरे मुँह में फैंकना शुरू कर दिया। 

अजीब नज़ारा था। जीजू जोर-जोर से दीदी की चुदाई कर रहे थे। मैं थोड़ा ऊपर उठकर दीदी के सर के पीछे अपना हाथ रखकर उसे स्मूच करने लगा, लेकिन जीजू के झटकों से बैलेन्स नहीं बन पा रहा था और स्मूच करते-करते हमारे दोनों बहन भाई के सर टकरा जाते थे। फिर मैं थोड़ा नीचे सरक गया और दीदी के हवा में लहराती चिकनी चूचियों से खेलने लगा, उन पे अपना मुँह फिराने लगा। 

करीब 5 मिनट के अंदर ही जीजू के मुँह से जोर से आवाज़ निकली-“ऊऊऊपप्प्प्प, ऊवू…” और वो डोगी स्टाइल में झुकी दीदी की कमर के ऊपर ही झुक गये और रिलेक्स हो गयर। 

मैंने अपने ऊपर डोगी स्टाइल में झुकी हुई दीदी की आँखों में देखा तो उन्होंने अपना थोड़ा सा सर हिलाते हुए मुझे अजीब सी स्माइल दी, जैसे उनका कहना हो कि जीजू का बस इतना ही टाइम होता है। अब माहौल शांत हो गया था, दीदी वैसे ही मेरे ऊपर झुकी थी, जीजू का सिकुड़ा हुआ लण्ड दीदी की चूत से बाहर आ चुका था। अब जीजू बैठ गये और फिर मेरे लण्ड को हिलाने लगे और डोगी स्टाइल में झुकी दीदी को ऐसे ही मेरे लण्ड के ऊपर बैठने को कहने लगे। 

दीदी ऐसे ही झुकी हुई मेरे ऊपर बैठने लगी तो जीजू के हाथों में पकड़ा मेरा मोटा लण्ड दीदी की चूत में समाता चला गया। मैंने अपने घुटने मोड़ लिये। बैठने के बाद, दीदी ने अपने दोनों हाथ मेरे पेट पे रखे और मेरे घुटनों से अपनी पीठ सटाते हुए रिलेक्स हो गई। फिर अपने खुले सिल्की बालों को बांधने लगी। कितने आराम से बैठी थी मेरी बहन मेरे लण्ड पे, जैसे एक मासूम बच्ची अपने डैड की गोद में बैठी हो और उसे दुनियाँ की कोई खबर ना हो, कुछ पता ना हो। 

मुझे यह सोचकर कितनी अच्छी फीलिंग हो रही थी कि अब मेरा सारे का सारा लण्ड पूजा दीदी की चूत के अंदर था। कितना तरसा था मैं इस पल के लिये, यह सोचते ही मुझे फिर गुस्सा आने लगा और मैंने नीचे से अपनी गाण्ड उठा-उठाकर दीदी की चूत पर जोर-जोर से धक्के मारने लगा। 


मेरे जबरदस्त धक्कों से दीदी एकदम हिल गई और बोली-“उह्ह… मम्मी, मेरी फट गई भैया धीरे…” 

मैं-“साली रांड़, अब माँ को याद कर रही है। आज तो तेरी चूत फाड़कर रख दूंगा साली रांड़। अब तुझे मेरे इस लण्ड का पानी निकालना है। साली कुतिया, आज अगर तू मेरे इस लण्ड का पानी नहीं निकालेगी तो क्या तेरी माँ मेरे इस लण्ड का पानी निकालेगी साली रांड़?” 

पूजा दीदी-“भैया, प्लीज़ निकाल लो… धीरे-धीरे डालो… ऐसा तो मम्मी भी नहीं ले सकती… प्लीज़्ज़ मेरे सैंया, अब मैं और नहीं ले सकती… आप चाहो तो इसको मम्मी की चूत में डाल दो…” 

मैं-“साली कुतिया, उस रांड़ की चूत में भी डालूंगा ही, साली वो कौन सी कम रंडी है। सारा दिन घर पर मेरे सामने अपनी चूची और गाण्ड हिला-हिलाकर चलती है…” 

पूजा दीदी मेरे लण्ड पर उछलते हुए-“भैया, लगता है तुम्हारा दिल मेरा सैंया बनने के बाद अब माँ का सैंया बनने का है?” 

मैं-“हाँ मेरी रांड़ मस्त बहना, उस साली रांड़ की चूत भी तो लण्ड की प्यासी होगी? उसको भी तो लण्ड की ज़रूरत होगी? अब अगर मैं बहेनचोद बन ही गया हूँ तो फिर मादरचोद बनाने में क्या बुराई है?” और मैंने दीदी को जोर-जोर से चोदना शुरू कर दिया। मेरा लण्ड दीदी को चोदने की फीलिंग से ही और भी सख्त होता जा रहा था। 

जीजू बेड के साथ पड़ी चेयर पे बैठकर पेग बनाने लगे थे। 

अब दीदी भी मेरा पूरा साथ दे रही थी, वो भी ऊपर-नीचे होकर मुझे चोदने लगी थी, जीजू पेग बनाते हुये हमारी तरफ देख रहे थे। मैं थोड़ा ऊपर उठ गया और दीदी की चूचियों को मुँह में लेकर उनपे अपनी जीभ फिराने लगा। 

तो दीदी के मुँह से फिर पतली सी आवाज़ में निकला-“आआह्ह… दीपू, में लील बेबी, ईई, मैंने क्यों तुम्हें इतना तंग किया?” और वो मेरे सर को अपने दोनों हाथों से पकड़कर अपनी चूचियां पे दबाने लगी। दीदी की चूचियां सख्त थीं लेकिन स्किन एकदम मुलायम थी। मैं उसकी चूचियां पे अपना सलाइवा गिराकर चाटने लगा फिर बीच-बीच में हम दोनों बहन भाई एक दूसरे को चोदना भी शुरू कर देते, करीब 10-15 मिनट यह सब चलता रहा, उसके बाद मैं सीधा लेट गया और दीदी अपनी कमर ऊपर-नीचे करके मुझे चोदने लगी। वो भी मेरे स्टाइल में ही मज़ा ले रही थी। 


पहले सेकेंड में उसका पूरा जिश्म ऊपर उठता और मेरा लण्ड उसकी चूत के बाहर होता, फिर अगले सेकेंड वो जोरदारर झटका नीचे मारती तो मेरा पूरा लण्ड उसकी साफ्ट चूत को फाड़ता हुआ उसके अंदर चला जाता, वो तेजी से ऐसा करने लगी, कभी-कभी तो निशाना चूक जाता तो मेरा लण्ड उसकी चूत की जगह उसकी जांघों में से स्लिप करता पीछे निकल जाता, और कभी आगे की तरफ निकल आता तो वो खुद ही जल्दी से पकड़कर उसे अंदर डाल लेती। दीदी को पता नहीं क्या सूझा। 

एक बार तो जब मेरा लण्ड स्लिप करके उसकी गाण्ड के छेद को छूता हुआ उसके पीछे की तरफ उसकी गाण्ड में चला गया तो अगले ही पल वो ऊपर उठी और मेरे लण्ड को पकड़कर अपने अंदर डालने लगी तो मुझे ऐसा लगा कि मेरा लण्ड पिस रहा है, इस बार इतना टाइट छेद था कि मेरा लण्ड आधा भी अंदर नहीं घुस पाया था, मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरे लण्ड की स्किन फट जायेगी। मैंने दीदी की तरफ देखा तो उसके माथे पे सिकुड़न थी, लेकिन फिर भी वो मेरे लण्ड पे अपना वजन डाले जा रही थी, लेकिन लण्ड इतना मोटा था कि मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरा लण्ड किसी लोहे के पाइप में फँस गया है। 

फिर दीदी ने सिर हिलाया और धीरे से बोली-“माई गोड, नहीं जा रहा है…” 
 
मैं समझ गया कि दीदी झड़ने वाली थी इसलिए टाइम बढ़ाने के लिए वो मेरे लण्ड को अपनी गाण्ड में डालने की कोशिश कर रही थी, लेकिन मेरा लण्ड ज्यादा मोटा होने के कारण बहुत मुश्किल हो रही थी, बिना कोई लोशन लगाये दीदी की टाइट गाण्ड में मेरा लण्ड घुसना मुश्किल था। फिर अगले पल ही दीदी फिर ऊपर उठी और एक हाथ से मेरे लण्ड को पकड़कर अपनी चूत पे आगे पीछे घिसने लगी, ताकी मेरा सूखा हुआ लण्ड फिर से उसकी चूत के पानी से चिकना हो जाये। कुछ देर दीदी ऐसे ही करती रही, फिर मेरे लण्ड को अपनी चूत में डालते हुए ऊपर-नीचे होकर चुदवाने लगी। 

जीजू ने फिर से हम सबके लिये पेग बनाकर रख दिए थे और वो अपना पेग धीरे-धीरे खतम कर रहे थे और हमारी तरफ देखकर उनका फिर मूड बन चुका था। उनका लण्ड भी अब खड़ा था, वो बैठे बैठे हमारी तरफ देखकर अपने लण्ड को हिला रहे थे। 

मेरी रंडी बहन जो मुझसे बात नहीं करना चाहती थी, आज मेरे लण्ड की दीवानी हो चुकी थी, इसीलिए तो अपनी गाण्ड और चूत दोनों में चुदवाना चाहती थी। दीदी का मांसल जिश्म देखकर मेरा लण्ड लोहे की रोड जैसा होता जा रहा था। जब मेरे दिमाग़ में यह आया कि मेरी यही कुतिया बहन मेरे बच्चे की माँ बनेगी तो मैं आउट आज कंट्रोल हो गया और मैं चाह रहा था कि अब मैं झड़ जाऊँ, इसलिये मैंने दीदी को नीचे से अपनी कमर उठाकर जोर-जोर से चोदना शुरू कर दिया। 


दीदी भी बहुत तेजी से ऊपर-नीचे होकर चुदवा रही थी। फिर दीदी ऊपर-नीचे होती मेरे ऊपर झुकी और मेरे होंठों पे अपने गुलाबी होंठ रखकर अपना मुँह लाक कर दिया। फिर उसकी जीभ मेरे मुँह में घूमने लगी। मैंने दीदी की जीभ कुछ देर अपने दांतों में दबाकर रखी फिर उसे चूसने लगा, फिर हम दोनों की जीबे आपस में खेलने लगीं, फिर दीदी ने मेरी जीभ को अपने मुँह में खींच लिया और चूसने लगी। हम दोनों बहन भाई पूरी मस्ती में लग रहे थे। 

तभी दीदी-“ऊवप्प्प्प्प्प्प…” की आवाज़ के साथ झटके से ऊपर उठने लगी। 

तो जीजू ने पीछे से उनके कंधे पे हाथ रखकर फिर नीचे दबा दिया। मेरे मुँह पे झुकी होने के कारण दीदी की गाण्ड का छेद पीछे से शायद सॉफ-सॉफ नज़र आ रहा था और उसी को देखते हुये जीजू ने अपने लण्ड पे थोड़ी क्रीम लगाकर दीदी की गाण्ड में घुसेड़ दिया था। 

अब दीदी फिर से मेरे मुँह में मुँह डालकर मेरी जीभ को अपने मुँह के अंदर खींचकर उसे चूसने लगी थी, मैं नीचे पड़ा दीदी को पंप कर रहा था और जीजू पीछे से दीदी की गाण्ड में लगे थे। दीदी हम दोनों के बीच में थी, सैंडपवच स्टाइल में हम दीदी की गाण्ड और चूत दोनों को फाड़ रहे थे। हम दोनों ने अपनी स्पीड बहुत तेज कर दी थी, मुझे लगा कि मैं अभी झड़ जाउन्गा। लेकिन तभी मेरी जीभ चूसते-चूसते दीदी ने अपने दाँत भींच लिये और दोनों हाथों से मेरे सिर को भी जोर से अपने मुँह पे दबोच लिया, फिर कुछ झटके खाने के बाद दीदी शांत हो गई। 

मेरी जीभ दीदी के दांतों में दबने के कारण दर्द करने लगी थी और कट भी गई थी, इसलिये मैंने चुदाई करनी रोक दी। लेकिन जीजू अभी भी जोर-जोर से दीदी की गाण्ड में पंपिंग कर रहे थे। कुछ ही देर में जीजू को भी झटके लगे और वो भी शांत हो गई। हम तीनों रिलेक्स लेटे रहे, लेकिन मेरे लण्ड के पीछे अभी भी बहुत जलन हो रही थी, मैं लण्ड का पानी निकालने के लिये तरस रहा था। इस बार तो मैं झड़ते-झड़ते रह गया, पपछले डेढ़ घंटे में दीदी और जीजू 2-2 बार झड़ चुके थे, लेकिन मैं एक बार झड़ने के लिये भी तरस रहा था। हम तीनों कुछ देर बेड पे रिलेक्स लेटे रहे, फिर उठकर बैठ गये और ड्रिंक करते हुये बातें करने लगे। 

जीजू-“पूजा, आज मेरा एक और शौक पूरा हो गया। दीपू जब भी मैं ब्लू-फिल्म देखता था तो मेरा भी दिल करता था कि मैं भी किसी का लण्ड अपने मुँह में लेकर चुसूं, मैंने पूजा को यह सब बताया है, लेकिन अब तुम यह मत समझ लेना कि मैं गे हूँ, अब ऐसा दिल किया, कुछ भी हो पूजा, इस सेशन में बहुत मज़ा आया ना… क्यों दीपक?” 

दीदी मेरी तरफ देखते हुए स्माइललंग चेहरे के साथ बोली-“सच में स्वीट हार्ट, पहली बार इतना मज़ा आया है…” दीदी बहुत खुश नज़र आ रही थी। वो बार-बार मेरे जिश्म से छेड़-छाड़ कर रही थी, कभी मेरे गाल पे लगा कुछ पोंछने लगती, तो कभी मेरे बालों में उंगलियां डालकर उन्हें ठीक करने लगती, तो कभी मुझे कुछ खाने को कहती और कभी कुछ पीने को कहती। फिर मेरे लण्ड को किस करके जीजू की तरफ देखती हुई बोली-“जानू, तुम भी कुछ ऐसा करो ना कि तुम्हारा भी स्टेमिना दीपू जैसा हो जाये, देखो हम 2-2 बार झड़ चुके हैं और दीपू पहली बार भी कितनी मुश्किल से झड़ा है…” 

फिर जीजू बोले-“दीपक, यार तुम्हारा लण्ड तो डिस्चार्ज होने के बाद भी वैसा है खड़ा है…” 

मैंने दीदी और जीजू की तरफ देखा फिर बोला-“जीजू, मैं अभी डिस्चार्ज कहाँ हुआ हूँ?” 

दीदी और जीजू हैरानी से एक दूसरे की तरफ देखने लगे। फिर दीदी बोली-“माई गोऽऽड, मुझे पहले ही शक था, क्योंकि मुझे ऐसा कुछ महसूस नहीं हुआ कि मेरे अंदर कुछ गिरा है, फिर मैंने सोचा क्या पता…” दीदी की आँखें फटी-फटी थीं। 

जीजू मज़ाक में बोले-“मेरे बाप, हमें जल्दी बच्चा चाहिये। जल्दी से यह बता कि तू कैसे छूटेगा? दो घंटे में एक बार भी नहीं छूटा…” 

फिर दीदी की तरफ देखते हुये बोले-“चलो मेरी तो बात छोड़ो, मैं तो जल्दी झड़ जाता हूँ, लेकिन ये रांड़ तुम्हारी दीदी भी तो 2-2 बार झड़ गई है…” 

मैंने स्माइल दी और बोला-“जीजू, आपने मुझे व्हिस्की पिला-पिलाकर ओवर ड्रंक कर दिया है, शायद इसीलिये नहीं हो रहा है…” 

फिर जीजू बोले-“चल, यह बता कि तुम्हारा फ़ेवरेट स्टाइल कौन सा है?” 

मैंने कहा-“डोगी स्टाइल…” 

जीजू-“इसीलिये नहीं हुआ, तुमने अपने फ़ेवरेट स्टाइल में तो पूजा को चोदा नहीं, फिर होता कैसे? मेरा भी डोगी फ़ेवरेट है, लेकिन मैं तो डोगी में शुरू करते ही झड़ जाता हूँ, व्हिस्की थोड़ा रोक लाती है बस…” 

फिर चेयर पे बैठे-बैठे दीदी को बोले-“उठो मेरी जान, मुख्य काम तो अभी बाकी है। अभी डोगी स्टाइल में अपने भाई को भी झड़वा दो…” 

दीदी चेयर पे बैठे जीजू की जांघों पे अपने हाथ रखकर मेरे सामने डागी स्टाइल में झुक गई, यानी मेरे सामने घोड़ी बन गई, मेरी सबसे बड़ी कमज़ोरी है, कि कोई सेक्सी फिगर वाली लड़की डोगी स्टाइल में मेरे सामने झुकी होती है तो उसकी सुराही जैसी कमर और गाण्ड और गोल मटोल चूतड़ देखकर मैं आउट आज कंट्रोल हो जाता हूँ। दीदी अभी भी उसी स्टाइल में मेरे सामने झुकी हुई थी, तो मेरा लण्ड किसी खंबे की तरह लहराने लगा लेकिन मैंने पहले दीदी की चूत को चाटना सही समझा। 
 
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