Incest Kahani जीजा के कहने पर बहन को माँ बनाया - Page 3 - SexBaba
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Incest Kahani जीजा के कहने पर बहन को माँ बनाया

दीदी जीजू की जांघों पे झुकी उनके आधे खड़े लण्ड को चाटने लगी थी और मैं दीदी की वीर्य से भीगी चूत को चाटने लगा था। क्या मस्त नज़ारा था… दीदी के बड़े-बड़े चूतड़ मुझे पागल कर रहे थे, मुझसे ज्यादा देर इंतजार ना हुआ, मैं खड़ा हो गया और दीदी की चूत के सामने अपना लण्ड सेट करके दीदी की कमर को दोनों तरफ से पकड़कर दबोच लिया और जोरदार झटका मारा, तो मेरा सारा लण्ड स्लिप करता हुआ दीदी की चूत के अंदर चला गया। कमर से पकड़े हुए मैंने जोरदार तेज झटकों से दीदी की चुदाई शुरू कर दी। मैं जोर-जोर से झटका मारता तो जीजू का लण्ड चूसती दीदी का सिर जीजू की सीने से जा टकराता। अब मेरे लण्ड के पीछे जलन और बढ़ती जा रही थी, और दीदी को चोदने की मेरी स्पीड भी तेज होती जा रही थी। 

जीजू अब दीदी की चूचियों से खेलने लगे थे, उनका भी मूड बन चुका था। लेकिन मेरी तेज चुदाई के कारण दीदी को अब जीजू का लण्ड चूसने का मौका नहीं मिल रहा था। दीदी ने अपने दोनों हाथों से जीजू की जांघों को कसकर पकड़ लिया ताकी उनका बैलेन्स ना बिगड़ जाये। 

फिर पता नहीं जीजू ने दीदी के कान में क्या कहा कि दीदी तेजी से सिसकने लगी थी-“अया… उम्म्म… दीपू, कम ओन बेबी, फक मी हार्ड, हाँ और जोर से… और जोर से मेरे भाई…” 

यह सब सुनकर मैं और भी पागल होने लगा था, और जोर से दीदी के बाल खींचकर अपनी कमर हिला-हिलाकर पीछे से दीदी की चूत मार रहा था। दीदी भी मस्ती से आहें भर रही थी की तभी दीदी के फ़ोन की रिंग बज उठी। दीदी अपना फ़ोन उठाने के लिए जाने को हुई तो मैंने दीदी के बालों को कसकर धक्के मारते हुए कहा-“साली, कहां भाग रही है? मेरे लण्ड का पानी क्या तेरी माँ निकालेगी? ये जीजू क्या कर रहे हैं, इसको बोलो ये उठाते हैं फ़ोन, तब तक मैं तुम्हारी चूत में अपना पानी निकाल लूँ…” 

मेरा इतना कहना ही था की जीजू उठ गये और दीदी का फ़ोन उठाकर देखा तो फ़ोन मम्मी का था। जीजू ने दीदी को देखते हुए कहा-“पूजा, तुम्हारी मम्मी का फ़ोन…” 

तो दीदी के कहने पर जीजू ने फ़ोन स्पीकर फ़ोन पर लगा दिया। 

मम्मी-“पूजा, एक बात सुन… तू दीपू को बोलना की बच्चे के लिए सुबह कोशिश करे। सुबह करने से बच्चा ठहरने का चान्स ज्यादा होता है…” 

पूजा दीदी-“मम्मी, आप सुबह करने की बात कर रही हैं, सुबह तक अगर बची तो ही न… मुझे नहीं लगता कि मैं सुबह तक जिंदा बच पाऊूँगी। आह्ह… दीपू ने तो अभी तक पानी नहीं छोड़ा… मेरा तो अब तक 4 बार हो चुका है, पर अब तक उसका एक बार भी नहीं छूटा। अभी भी ये मुझे घोड़ी बनाए पीछे से मेरी बजा रहा है। ओह्ह… मम्मी प्लीज़… आप इसको बोलो कि मुझपर रहम करे…” 

मम्मी-“क्या बोल रही है तू पूजा? तेरा 4 बार हो गया और दीपू का एक बार भी नहीं?” 

तभी फ़ोन कट हो गया। ना चाहते हुए भी मेरे मुँह से निकल गया-“ओके दीदी, मैं तम्हें हर खुशी दूंगा, तुम जैसा कहो मैं वैसा करूँगा। तुम्हें अपने बच्चों की मम्मी बनाऊूँगा। आज से तुम मेरी हो, मेरी बीवी, मेरी जान मेरी सब कुछ हो। दीदी, ऊओह्ह दीदी, अया…” 

शायद मेरे दीदी कहने का असर मेरी बहन पे भी हो रहा था और वो भी चुदवाने में मेरा पूरा साथ दे रही थी-

“ऊवू दीपू मेरे भाई, फाड़ डालो मुझे आज, कम ओन माइ लीज दटल बेबी, मैं पागल हो रही हूँ, आह्ह… अया…” 

मेरा पूरा जोर लग चुका था मुझे लग रहा था कि मैं झड़ने जा रहा हूँ, लेकिन फिर थक जाता, सांस कंट्रोल नहीं होती थी। 

जब थोड़ा रुकता तो दीदी फिर बोलने लगती-“कम ओन मेरे बच्चे फक मी सोऽ हार्ड, अपनी बहन की सारी प्यास बुझा दो आज… अया और जोर से मेरे भाई…” 

मैं अपनी सांस को कंट्रोल करते हुए रेस्पॉन्स देता-“ऊवू दीदी, मेरा होने वाला है दीदी…” 

यह सुनकर वो और जोर से चीखने चिल्लाने लगती-“अयाया… ऊऊओ… अपनी बहन को जी भर के चोदो मेरे भाई…” 

जब मैं थोड़ा थक जाता तो दीदी खुद आगे पीछे होकर चुदवाने लगती। दीदी की चूत और मेरा लण्ड जूस से भीग चुके थे, दीदी की चूत इतनी स्लिपरी हो गई थी कि कभी-कभी लण्ड और चूत का लुब्रीकेंट वाला पानी नीचे टपकने लगता था। दीदी की चूत ने इतना पानी छोड़ा कि उसकी दोनों जांघों पे पानी नीचे की तरफ टपक रहा था। दीदी की चूत ज्यादा स्लिपरी होने से मेरा लण्ड अंदर-बाहर आने जाने का कुछ पता नहीं चल रहा था। मैं झड़ने के बिल्कुल करीब था, लेकिन दीदी की चूत में लण्ड स्लिप होता जाता, जिससे लण्ड को कोई खास ग्रिप नहीं मिलता था। 

मैं 10-15 मिनट में तेज-तेज चुदाई करता रहा, फिर थोड़ा रुक गया। मेरी सांस भी फूल गई थी, मैंने अपना लण्ड दीदी की चूत से बाहर निकाला और दीदी की जांघों पे नीचे की तरफ टपकता पानी चाटने लगा। फिर उसे अपनी जीभ से सॉफ करता हुआ उसकी चूत पे आ गया और एकदम भीगी चूत पे अपना हाथ रख दिया और अपने हाथ से सारी चूत को सॉफ कर दिया। दीदी की चूत के पानी से भीगे अपने हाथ को मैंने दीदी के मुँह में घुसेड़ दिया। दीदी भी मेरा साथ देते हुये मेरे सारे हाथ को चाटने लगी। 

फिर मैंने अपने लण्ड पे लगे दीदी के चूत-रस को पोंछकर अपने मुँह में अपना हाथ डालकर चूस लिया। अब मैं झड़ने के बहुत करीब था लेकिन मैं थोड़ा और मज़ा लेना चाहता था इसलिये मैंने दीदी की ब्रा उठाई और दीदी की चूत को अच्छी तरह से पोंछ दिया। फिर अपने लण्ड को भी ठीक वैसे ही सॉफ कर दिया। अब मेरा लण्ड और दीदी की चूत दोनों सूखी थी, मेरा 10 साल पुराना बदला अब पूरा होने जा रहा था, मैंने अपने लण्ड को दीदी की चूत के निशाने पे रखा और जोरदार झटका मारा। इस बार दीदी की जोरदार चीख निकल गई। मेरा मोटा लंबा लण्ड, सूखा होने की वजह से दीदी की चूत को काटता हुआ आगे बढ़ गया था। 

अब मुझे भी लगा कि जैसे मेरा लण्ड किसी कुंवारी लड़की की चूत में घुस गया हो, मैंने तेजी से चुदाई शुरू की तो दीदी झट से अपना एक हाथ अपनी चूत पे रखकर उसे सहलाने लगी। मेरा लण्ड तेजी से अंदर-बाहर आ जा रहा था, लग रहा था कि दीदी की चूत सूखी होने की वजह से अभी भी मेरा लण्ड उसकी चूत को काट रहा था। वो कभी-कभी मेरे लण्ड के पीछे हाथ रखकर हिट करने से रोकने की कोशिश करती। करीब 5-7 मिनट के अंदर फिर से दीदी की चूत बहुत पानी छोड़ चुकी थी, अब फिर स्लिपरी चूत में मेरा लण्ड एक सेकेंड में दो बार अंदर-बाहर आने जाने लगा था, मेरा लण्ड पूरा टाइट हो गया और मुझे लगा कि मैं अभी झड़ने वाला हूँ। मैंने जल्दी से अपना लण्ड बाहर निकाला और दीदी को कमर से पकड़कर घुमा दिया। उसे बेड पे बिठाकर पीछे की तरफ सीधा लिटा दिया और उसकी टांगें फैलाकर फिर से अपना लण्ड जल्दी से दीदी की चूत के अंदर घुसेड़कर चोदने लगा। 
 
दीदी बहुत खुश लग रही थी और वो भी मुझे नीचे से अपनी कमर ऊपर उठाकर रेस्पॉन्स दे रही थी, मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी, मेरे चोदने से आगे पीछे तेजी से लहराती दीदी की चूचियां मुझे झड़ने में बहुत हेल्प कर रही थीं। दीदी की चूत ने इतना पानी छोड़ा कि मेरे तेजी से चुदाई करते-करते ‘पूउलछ पूल्छ छाप छाप’ की आवाजें आने लगी और पानी हम दोनों की जांघों पे फैल गया था। 

दीदी का मुँह मेरे मुँह के बिल्कुल करीब था, अब दीदी दबी आवाज़ में बोली-“अया… आह्ह… एस, एस, कम ओन, कम ओन माइ बेबी, और जोर से, तेज, तेज, आऽऽ फक मी हार्डर बेबी, मेरा होने वाला है राजा…” हम दोनों बहन भाई अपनी अलग ही दुनियाँ में पहुँच गये थे। 

मैं अपनी स्पीड बढ़ाता गया, अब मैंने दीदी के होंठों पे अपने होंठ रख दिए और उसकी जीभ को अपने मुँह में खींचकर चूसने लगा। बस उसी वक़्त दीदी ने मुझे अपनी दोनों बाहों में भींच लिया, शायद दीदी फिर झड़ रही थी। दीदी के गोल-गोल टाइट चूचियां मेरे सीने के नीचे दब गईं, और इसी फीलिंग ने मुझपे ऐसा असर किया कि मेरे अंदर से ‘छररर छररर’ करती जोरदार 5-6 पिचकाररयां छूटी। कुछ सेकेंड तक मेरे जिश्म को झटके लगते रहे, फिर शांत हो गया। एक महीने से भरा गरम पानी मैंने अपनी बहन की चूत के अंदर खाली कर दिया था, हम दोनों रिलेक्स थे। 

मैं ऐसे ही दीदी के ऊपर पड़ा रहा फिर दबी आवाज़ में पूछा-दीदी आपका हो गया? 

दीदी-“हाँ, मेरा तो तुमसे पहले ही हो गया था, तुम्हारा भी हो गया ना?” 

मैंने इनकार में अपना सिर हिला दिया और मुश्कुराने लगा। 

दीदी मेरे गाल पे हल्की सी चपत लगाते हुए बोली-“नाटी… मुझे पता है कि तुम्हारा भी हो गया है…” 

हम दोनों बहन भाई इस सेशन में जीजू को भूल गये थे। जब मैंने जीजू की तरफ देखा तो उनकी पानी जैसी पतली वीर्य उनके हाथ पे और नीचे फर्श पे पड़ी थी और उनका लण्ड उनके हाथ में था। मेरे ख्याल से हम दोनों की चुदाई देखकर ही उन्होंने मूठ मारकर अपना काम कर लिया था। वैसे भी उनको झड़ने के लिये 2-4 मिनट ही लगते थे। मैं दीदी के ऊपर लेटा हुआ था। 

दीदी ने जब जीजू की तरफ देखा तो बोली-“ऊवू मेरा सोना… उधर अकेला ही बैठा है… इधर आओ मेरा सोना…” 

जीजू किसी आज्ञाकारी बच्चे की तरह कुस़ी से उठकर हम दोनों के पास आ गये। मैं बेड पे दीदी की दायें साइड पे सरक गया और जीजू दीदी के बाईं साइड की तरफ लेट गये। मुझे नींद आने लगी थी इसलिए मैं सीधा ऊपर की तरफ मुँह करके सोने लगा। 

तो दीदी ने मेरा हाथ पकड़कर अपनी चूचियां पे रख लिया और बोली-“दीपू मेरे बच्चे, इधर आओ, तुम भी मेरी तरफ करवट लेकर सो जाओ, मैं सुलाती हूँ अपने दोनों बच्चों को…” फिर हम दोनों दीदी को बीच में लिटा के सो गये। 

दीदी सोते-सोते भी कभी मुझे स्मूच करती तो कभी जीजू को, मुझे नींद आ रही थी लेकिन दीदी अभी भी मेरे लण्ड से छेड़छाड़ कर रही थी। मैं हैरान था कि दीदी इतनी गरम है तो जीजू इसे ऐसे कैसे सभालते होंगे? वैसे दीदी की इसमें कोई गलती नहीं था, हमारे परिवार में सेक्स के मामले में सब लोग एक्स्ट्रा हाट हैं। पता नहीं मुझे कब नींद आ गई और जब आँख खुली तो जीजू सो रहे थे लेकिन दीदी उठकर नहा चुकी थी उसके नंगे जिश्म पे पानी की बूँदें कितनी सेक्सी लग रही थी। मैं भी रिचार्ज हो चुका था। दीदी को देखते ही मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया। 

तो दीदी मेरे लण्ड पे किस करते बोली-“उम्म्म… मेरे राजा को भी भूख लग गई…” फिर दीदी ने उल्टे लेटे जीजू को उठाने की कोशिश की। 

लेकिन जीजू ने बहुत ज्यादा पी रखी थी इसलिये वो नींद में ही बोले-“यार मुझे सोने दो…” 

दीदी-“जान उठो, कुछ करोगे नहीं तो बच्चा कैसे पैदा होगा?” 

जीजू फिर नींद में बोले-“यार तुम लोग कर लो जो करना है, मेरा सर फट रहा है मुझे सोने दे…” 

जीजू उल्टे लेटे थे। मैंने जीजू की गाण्ड की तरफ देखा, फिर अपने लण्ड को पकड़कर दीदी को हाथ के इशारे से कहा-“पेल दूं जीजू की गाण्ड में अपना लौड़ा?” 

तो दीदी की हँसी निकल गई और उसने अपने मुँह पे हाथ रख लिया। 

दीदी को नंगे घूमते देखकर मेरे अंदर का शैतान फिर जाग गया था, और मुझे लग रहा था कि दीदी तो पहले ही चुदवाने के लिए तैयार हैं। मैंने अपने लण्ड को हिलाते हुए दीदी को टायलेट में जाने का इशारा किया। मेरी रंडी बहन अब मेरे लण्ड की दीवानी हो चुकी लगती थी, इसलिये अब मेरे इशारे भी समझने लगी थी। दीदी ने इशारे से ही मुझे जीजू की प्रेजेन्स के बारे में कहा, फिर मुझे हाथों के इशारे से ही तसल्ली देते हुए बोली-“दीपू पहले नहाने जाओगे या ऐसे ही नाश्ता करना है?” 

मैं अपने लण्ड को हिलता बोला-“दीदी पहले नहाना है, लेकिन भूख भी बहुत जोर से लगी है…” 

दीदी-“ओके, मैं तुम्हारा तौलिया टायलेट में रख देती हूँ तुम नहा लो पहले…” यह कहती हुई वो मेरा तौलिया उठाकर टायलेट की तरफ चली गई और इशारे से मुझे भी अपने पीछे आने को बोला। 


मैं छलाँग लगाकर जल्दी से दीदी के पीछे टायलेट में चला गया, जीजू सो रहे थे। टायलेट में पहुँचते ही मैंने दीदी को दबोच लिया, उसकी चूचियां अपने मुँह में डालते हुए बोला-“दीदी मैं आपको चोदने के लिये कितने बरस तरसा, कितना तडपाया आपने मुझे?” 

दीदी मेरे बालों में उंगलियां फिरते हुए बोली-“सारी मेरे बच्चे… मैंने तुमको बहुत तरसाया है, मुझे पता है। काश मैं उस वक़्त तुम्हारी फीलिंग्स समझ जाती, तो अपने घर हम बहन भाई जो मर्ज़ी करते… अब जब मैंने तुझे इतना तरसा कर गलती की है तो मैं तुझे इसका इनाम भी दूंगी। तू मम्मी को चोदना चाहता है मेरे भैया राजा? अब मैं तुम्हारी मम्मी को चोदने में हेल्प करूँगी ताकि तुझे और तुम्हारे इस लण्ड को चूत के लिए कभी तरसना ना पड़े…” यह कहते हुए वो मेरे मुँह में अपनी जीभ डालकर स्मूच करने लगी। 

मैंने शावर खोल दिया, और हम दोनों बहन भाई एक दूसरे के जिश्म से खेलने लगे। 

दीदी मेरे बालों में अपनी लंबी-लंबी उंगलियां फिराते हुए बोली-“अया मेरे राजा भैया, मुझे तुमको तरसाने की सज़ा मिल रही है, तुम्हें क्या पता कि मैं शादी करके कितनी प्यासी हूँ, तुम्हारे जीजू दो मिनट में अपना काम करके सो जाते हैं, इससे मेरी प्यास क्या बुझनी है, उल्टा मेरे अंदर आग लगाकर सो जाते हैं, उसके बाद मुझे ही पता है मेरी क्या हालत होती है? सुहागरात से लेकर आज तक तेरे जीजू मुझे एक बार भी शांत नहीं कर पाये, कभी-कभी फिंगरिंग करके अपने आपको शांत कर लेती हूँ। कल तुम्हारे साथ सेक्स करके मुझे पहली बार एहसास हुआ कि असली चुदाई क्या होती है? मर्द से औरत की प्यास कैसे बुझती है? कल तूने मुझे कली से फूल बनाया…” यह कहती वो मेरे जिश्म को जल्दी-जल्दी चूमने लगी थी। 

शावर का पानी हम दोनों पे गिर रहा था और अब दीदी मेरे लण्ड को नहीं छोड़ रही थी और मैं उसके गोल-गोल चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से दबा रहा था। मैं दीदी के कान को किस करता बोला-“दीदी आपको पता है कि मैं आपको चोदने के लिये 10 साल पहले से स्कूल टाइम से कोशिश कर रहा हूँ…” 

दीदी-“मुझे सब पता है मेरे भाई, एक-एक बात याद है, लेकिन पता नहीं क्यों मैं उस वक़्त तुमको समझ नहीं पाई, शायद इसीलिये आज प्यासी हूँ। तुम्हारे जीजू तो मुझे अपने किसी कजिन विकास के साथ यह सब करने को कह रहे थे, लेकिन मुझे वो बिल्कुल पसंद नहीं था, उसकी बाडी पे परफ्यूम लगाने के बाद भी इतनी गंदी गंध आती है कि उसके पास खड़े होना भी मुश्किल है। पता नहीं कैसे-कैसे मैंने तेरे जीजा को तुम्हारे लिये पटाया है, मेरे सोना भाई…” 

मैं-“दीदी, मैं आपकी प्यास बुझाऊूँगा। आप फिकर मत करो, मैं आपकी हर इच्छा पूरी करूँगा…” यह कहते हुये मैं दीदी के गालों पे, होंठ पे, कानों पे और गर्दन पे किस करने लगा। हम दोनों बहन भाई एक दूसरे के जिश्म से खेलने लगे, दीदी मेरे लण्ड को हिलाती जा रही थी, मैंने दीदी की टांगों के बीच चूत पे अपना हाथ फिराना शुरू कर दिया फिर धीरे-धीरे अपनी दो उंगलियां दीदी की चूत में घुमाने लगा। 

दीदी बहुत गरम हो चुकी थी उसके होंठ फड़फडाने लगे थे। वो मेरा हाथ अपनी चूत पे दबाती हुई बोली-“दीपू मेरे बच्चे, अब और मत तड़पाओ… मैं पहले ही दो साल से तड़प रही हूँ…” 

मैं दीदी की टांगों के बीच बैठ गया और दीदी की चूत चाटने लगा। 
 
दीदी ने अपनी टांगें फैला ली और मेरे सर को पकड़कर अपनी चूत पे दबाने लगी, शावर का पानी हम दोनों के जिश्म पे गिरता जा रहा था और हम दोनों बहन भाई सेक्स के इस दौर में मस्त होते जा रहे थे, कुछ देर बाद दीदी ने मुझे ऊपर उठा लिया और हम फिर एक दूसरे की जीभ चूसने लगे। 

फिर दीदी बोली-“दीपू मेरे बच्चे, जल्दी करो अब सबर नहीं हो रहा और तेरे जीजू भी पता नहीं कब उठ जाये?” यह कहते हुये दीदी डोगी स्टाइल में मेरे सामने झुक गई, और पीछे हाथ करके मेरा लण्ड पकड़कर खुद ही अपनी चूत के छेद पे रख दिया। 

मैंने दीदी की कमर को दोनों हाथों से दोनों तरफ से पकड़कर जोर से झटका मारा। 

तो दीदी चैन की सांस लेते हुए दबी आवाज़ में बोली-“अया दीपू मेरे भाई, अपनी दीदी के अंदर चल रही हलचल को शांत कर दो मे ेरे बच्चे, जितना भी जोर से चोद सकते हो अपनी इस बहन को चोदो…” 

अपनी बहन के मुँह से ‘दीपू मेरे भाई और चुदाई’ जैसे शब्द सुनकर मैं बेकाबू होता जा रहा था। मैंने दीदी के ऊपर झुक के दीदी की दोनों चूचियां पकड़ ली और दबाने लगा। 

अब दीदी अपनी कमर हिला-हिलाकर चुदवाने की कोशिश करती हुई बोली-“दीपू, तुम्हारी दीदी का सारा जिश्म तुम्हारा है, जैसे दिल चाहता है वैसे खेलो मेरे भाई…” 

मैंने जोर-जोर से दीदी की चुदाई शुरू कर दी, और जीजू के उठने के ख्याल से तेज-तेज करने लगा। तकरीबन 10-15 मिनट के बाद दीदी झड़ गई, लेकिन जब तक मैं अपने आपको झड़ने के लिये तैयार करता और स्पीड तेज करता तो किसी ना किसी बात पे डिस्टर्ब हो जाता और फिर झड़ने से रह जाता। बाथरूम के अंदर कोई ठीक से पोज़ीशन सेट नहीं हो पा रही थी, मैंने शावर बंद किया और दीदी को अपने कंधे पे उठाकर वापिस बेड के करीब आ गया। 

जीजू अभी भी सो रहे थे और हम दोनों बहन भाई पानी से भीगे हुए रूम में आ गये थे, मैंने दीदी को कुर्सी पे बिठाया और सामने से उसकी टांगों को अपने कंधों पे रख लिया। दीदी ने खुद ही जल्दी से अपने हाथ से मेरा लण्ड पकड़कर अपनी चूत के अंदर कर लिया। मैंने चुदाई शुरू कर दी जोर-जोर से। अब दीदी की गरम सांस भी मुझे पूरी तरह महसूस हो रही थी और दीदी की भीगी चूत बता रही थी कि दीदी फिर से तैयार हो रही है। मेरे सामने दीदी के लाल होंठ। गोल-गोल गोरी चूचियां और गरम सांसें थीं, जो कि मुझे झड़ने में बहुत हेल्प करने वाले थे। 

दीदी का सारा जिश्म मेरे सामने गोल गठरी की तरह इकट्ठा हो गया था, मैं जोर-जोर चोदता तो कुर्सी हिलने लगती और कुर्सी के गिरने का भी खतरा रहता। लेकिन मुझे लग रहा था कि मैं झड़ने वाला हूँ। मैंने चोदते-चोदते दीदी की चूचियों को चूसना शुरू कर दिया। फिर कुर्सी पे भी स्ट्रगल करते हमें 10-15 मिनट तक लग गये तो मैंने दीदी की तरफ देखा। 

दीदी स्माइल करती हुई बिल्कुल धीमी आवाज़ में मेरे कान में बोली-“दीपू रुक जाओ, मैं फिर से छूटने वाली हूँ, तुम अपना करने के लिये थोड़ा टाइम मेरे पीछे वाले छेद में कर लो…” 

मैं रुक गया, मैंने चोदना बंद करके अपना लण्ड निकालकर दीदी के मुँह में दे दिया। दीदी मेरे लण्ड को चूसने लगी और जोर-जोर से स्ट्रोक भी करने लगी ताकी मैं जल्दी झड़ सकूँ। करीब 5 मिनट के बाद मैंने फिर से अपना लण्ड दीदी की चूत में डालकर जोर-जोर से बहुत तेज चुदाई शुरू कर दी। करीब 2-3 मिनट के अंदर ही दीदी की सिसकियां निकली और वो मेरे जिश्म से लिपटकर उसे नोचने लगी, फिर कुछ झटकों के बाद शांत हो गई। मैं चोदता रहा, रुका नहीं। 

दीदी झड़ने के वाबजूद भी मेरी हेल्प कर रही थी, अपनी जीभ बाहर निकालकर मेरे होंठ सॉफ कर रही थी। 

अगले 5 मिनट के अंदर मेरी चुदाई की स्पीड बहुत ज्यादा बढ़ गई और फिर मेरे जिश्म को भी 4-5 झटके लगे और मेरे अंदर की सारी गरम क्रीम दीदी के अंदर खाली हो गई। मैंने अपना लण्ड दीदी की चूत से बाहर निकाला तो मेरे लण्ड के मुँह पे मेरी फेवीकौल जैसी गाढ़ी वीर्य के कुछ बूँदें बाकी थीं। 

दीदी ने उन्हें भी बरबाद नहीं होने दिया, झट से मेरा लण्ड पकड़कर अपने मुँह में लेकर सॉफ कर दिया। जीजू के उठने के बाद फिर नाश्ता वगैरा करने के बाद यही सब चलता रहा। हम दो दिन शिमला में रहे लेकिन होटेल से बाहर निकलकर नहीं देखा। बस खाना पीना सब अंदर ही ऑर्डर करके आ जाता था। हम लोगों को 3 ही काम थे चोदना, चुदवाना, सोना, खाना-पीना और फिर शुरू चोदना, चुदवाना। टाइम का किसी को कुछ पता नहीं था कितना हुआ, बस सोकर उठते तो चोदना और खाना शुरू हो जाता। 

जीजू मेडिकल स्टोर से प्रेग्नेन्सी टेस्ट स्ट्रिप ले आये और दीदी को प्रेग्नेन्सी टेस्ट करने को कहा। 

मैं और जीजू आमने सामने लिविंग रूम में बैठे थे और टायलेट जीजू के पीछे और मेरी फ्रंट साइड की तरफ था। दीदी टेस्ट करने के लिये टायलेट जाती हुई टायलेट के दरवाजे के सामने जाकर रुक गई, फिर पलट के पीछे देखा तो मेरी नज़र दीदी की नज़र से मिली। तो दीदी ने मुझे प्रेग्नेन्सी टेस्ट स्ट्रिप दिखाते हुए उसे अपने दोनों हाथों में लेकर मसल दिया, टेस्ट स्ट्रिप टूट फूट के एक गोली की शकल में आ गई थी। दीदी वो गोली मुझे दिखाते हुए टायलेट के अंदर चली गई। 

मेरा आँखें सिकुड़ गई कि दीदी करना क्या चाहती है? अगर टेस्ट नहीं करेगी तो प्रेग्नेन्सी का पता कैसे चलेगा? फिर 10 मिनट के बाद दीदी टायलेट से बाहर निकली और पीछे से आकर जीजू के गले में अपनी बाहें डालती और मुँह बनाते हुए बोली-“जानू, टेस्ट अभी भी नेगेटिव है आया है…” 

जीजू थोड़ा सोचने लगे फिर उठकर मेरे पास आकर बोले-“मैं पूजा को कुछ दिन यहीं छोड़कर घर जा रहा हूँ…” जीजू वहीं से वापिस निकल पड़े। 

फिर मैं और दीदी घर के लिए रवाना हो गये। जैसे ही मैं और दीदी घर पहुँचे तो मम्मी ने दरवाजा खोला। 

मम्मी के चेहरे पर आज अलग ही तरह की मुश्कान थी। हमें अंदर बुलाते हुये मम्मी ने कहा-“पूजा, अब तू दामाद जी के साथ आई है, या फिर दीपू मेरे लिए बहू लेकर आया है?” 

मम्मी की बात सुनकर मैंने शर्म से अपनी आँखें नीची कर ली। 
 
दीदी मेरी ओर देखकर मम्मी के गले मिलती हुई बोली-“मम्मी, अभी तो मैं इसे लेकर आई हूँ, तो इस नाते ये तुम्हारा दामाद हुआ और जब ये मुझे लेकर आएगा तब तुम समझ लेना की दीपू तुम्हारी बहू लेकर आया है…” और इतना कहकर वो दोनों हूँसने लगी। 

मैं मम्मी और दीदी इसी तरह हँसी मज़ाक करते रहे। तभी दीदी उठकर अपने रूम में चली गई। कुछ देर बाद मैं भी उठकर दीदी के रूम में जाने लगा। 

तभी मम्मी ने मुझे रोक कर कहा-“दीपू, आज पूजा कितनी खुश है और ये सब तेरे कारण है। तूने उसे कितनी खुशी दी, जिसके लिये मेरे पास कोई शब्द नहीं हैं। बस तुम उसे हमेशा ऐसे ही खुश रखना…” और मम्मी ने खुश होकर मुझे होंठों पर किस कर लिया। 

और जब मैंने भी मम्मी को वापिस उसके होंठों पर किस किया और अपने हाथ पीछे लेजाकर मम्मी की बड़ी-बड़ी गाण्ड को थपथपा दिया। 

मेरे द्वारा मम्मी के होंठों पर किस और उसकी गाण्ड पर मेरा हाथ पड़ने से मम्मी भी गरम हो उठी और अपनी चूत मेरे खड़े लण्ड पर रगड़ने लगी। 

लेकिन मैंने मम्मी को अपने आपसे अलग किया और दीदी के कमरे की तरफ बढ़ गया। पूजा दीदी बिस्तर में थी, लेकिन जाग रही थी। मैंने उसको बाहों में भरकर जोर से होंठों पर किस किया और चूची भी मसल डाली। अब मेरी प्यारी दीदी को पता चल गया था की उसका भाई अब उसकी चूत का दीवाना है और उसने अपने जीजा की जगह ले ली है। दीदी को खूब चूमने के बाद मैं उतेजित हो गया। दीदी नहाने चली गई। जब वो बाहर निकली तो एक सफेद नाइटी पहने हुई थी और नीचे कोई पैंटी नहीं थी, 

मैं-“आज से तुमको अपनी बाहों में सुलाऊूँगा, देखना कितना मज़ा आता है…” रात को व्हिस्की लेकर आऊूँगा, मम्मी से चोरी-चोरी। हम थोड़ी सी पी लेंगे अगर मेरी प्यारी दीदी चाहेगी तो। सच दीदी, बहुत सुंदर हो तुम। तेरा हुश्न मेरे दिल का क्या हाल बना रहा है, मुझसे पूछो…” 

दीदी शर्म से लाल हो रही थी। फिर मैं किसी ज़रूरी काम से कुछ देर के लिये घर से बाहर चला गया। मैं जानता था कि मेरे आने तक उसकी चूत मचल रही होगी चुदने के लिए। बाहर जाते हुए मैंने दीदी और माँ को सारा प्लान बता दिया और वो शरारती ढंग से मुश्कुराने लगीं। 

रात जब मैं वापिस लौटा तो दीदी मेरा इंतजार ऐसे कर रही थी जैसे कोई पत्नी अपने पति का इंतजार करती है। मुझ पर हवस का भूत सवार था। मैंने दीदी को बाहों में भर लिया और चूमने लगा। दीदी के जिश्म पर मेरे हाथों का स्पर्श उसपर जादू कर रहा था। फिर मैंने ग्लास में व्हिस्की डाली और दीदी को ग्लास पकड़ा दिया। 

दीदी बिना कुछ बोले पी गई। थोड़ी देर में नशा होने की वजह से दीदी के अंदर वासना ने जोर पकड़ लिया लगता था। मैंने अपना हाथ दीदी की चूत पर रखा और उसको रगड़ने लगा। 

मैंने कहा-“दीदी, मैं जानता हूँ की जीजाजी ने तुझे प्यार नहीं किया। तुझे प्यासी छोड़ा था अब तुम्हारी इस मस्त जवानी पर मेरा हक है और मैं तुम्हारी इस जवानी का पूरा मज़ा लेकर पीऊँगा…” दूसरा पेग पीकर मैंने दीदी को अपनी गोद में बिठाया और उसके जिश्म को नाइटी के ऊपर से सहलाने लगा 

दीदी के मस्त चूतड़ बहुत गुदाज थे और मेरा लण्ड उनके चूतड़ में घुसने लगा। 

दीदी-“दीपू, मुझे तेरा चुभ रहा है। उई… बस कर…” 

मैं-“हाए मेरी जान, क्या चुभ रहा है तुझे? ये तो तुझे प्यार कर रहा है तेरी इस मस्त चूतड़ों को चूम रहा है। दीदी क्या तुम मेरे लण्ड को प्यार करोगी? इसको सहलाओगी? दीदी मैं भी तेरे जिश्म को चूमून्गा, चाटूगा, इतने प्यार से जितने प्यार से किसी ने भी न चूमा होगा…” मैं अब पूजा दीदी के जिश्म के हर अंग को प्यार से सहला रहा था। 

और दीदी भी गरम हो रही थी-“हाए मेरे भैया, तुम ही अब मेरे सैंया हो, उस कुत्ते का नाम मत लो, मेरे भाई। उसने मुझे इतना दर्द दिया है की बता नहीं सकती। मुझे इस प्यार से भी डर लगने लगा है… मुझे दर्द ना पहुँचाना, मेरे भाई…”

मैंने देखा की दीदी गरम है, तो मैंने दीदी की नाइटी ऊपर उठाई और उसका जिश्म नंगा कर दिया। मेरी बहन का गुलाबी जिश्म बहुत कातिलाना लगता था। पूजा दीदी की जांघें केले की तरह मुलायम थीं और उसके चूतड़ बहुत सेक्सी थे। सफेद जा और पैंटी में दीदी बिल्कुल हीरोइन लग रही थी। मैं अपना मुँह दीदी के सीने पर रखकर उसकी चूचियों को किस करने लगा। 

दीदी ने आँखें बंद की हुई थी और वो सिसकियां भरने लगी। 

मैंने दीदी का हाथ अपने लण्ड पर रख दिया। दीदी अपना हाथ खींचने लगी तो मैं बोला-“दीदी, इसको मत छोड़ो, पकड़ लो अपने भाई के लण्ड को। ये तुझे दर्द नहीं देगा, बल्की सुख देगा। तुम मेरी बीवी बन जाओ और फिर जवानी के मज़े लूट लो आज की रात। मेरा लण्ड अपनी बहन की प्यारी चूत को स्वर्ग के मज़े देगा। अगर मैंने तुझे दर्द होने दिया तो कभी मुझसे बात मत करना। मेरी रानी बहना ये लण्ड तुझे हमेशा खुश रखेगा…” 

दीदी कुछ ना बोली लेकिन उसने मेरा लण्ड पकड़े रखा। मेरा लण्ड किसी कबूतर की तरह फड़फडा रहा था, अपनी बहन के हाथ में। मैंने फिर दीदी की ब्रा को खोल दिया और उसकी चूची मस्ती से भर के मेरे हाथों में झूल उठी। दीदी के स्तन बहुत मस्त हैं। 

दीदी-“अह्ह… ऊऊह्ह… दीपू क्या कर रहे हो?” वो सिसकी। 

मैं-“क्यों दीदी, अपने भाई का स्पर्श अच्छा नहीं लगा?” मैंने दीदी की गुलाबी चूची पर काली निपल को रगड़कर कहा…” 

दीदी-“अच्छा लगा दीपू, लेकिन ऐसा पहले कभी महसूस नहीं हुआ है मुझे। ऐसा अनुभव पहली बार हो रहा है…” 

मैंने हैरानी से पूछ लिया-“क्यों दीदी, क्या जीजाजी ऐसे नहीं करते थे तुझे प्यार?” 
 
अब मेरा दूसरा हाथ दीदी की फूली हुई चूत सहला रहा था और दीदी अपनी चूत मेरे हाथ पर जोर से रगड़ रही थी, कहा-“तेरा जीजा मादरचोद तो बस मेरी जाँघ पर ही अपना पानी निकाल देता है। मेरे भाई, मैं तो तड़पती चीखती रहती थी पर वहां मेरी सुनने वाला कौन था? मेरे भाई मुझे आनंद आ रहा है। तेरा लण्ड भी बहुत खुश्बूदार है, बहुत सुंदर है, तेरा स्पर्श बहुत सेक्सी है। दीपू तेरे हाथ मेरे अंदर एक मज़ेदार आग भड़का रहे हैं। तेरी उंगलियां मेरी चूत में खलबली मचा रही हैं। मेरी चूत से रस टपक रहा है। तेरा स्पर्श ही मुझे औरत होने का एहसास करा रहा है। मैं तेरे अंदर समा जाना चाहती हूँ। चाहती हूँ की तू भी मेरे अंदर समा जाए। मेरे जिश्म का हर हिस्सा चूम लो मेरे भाई, और मुझे अपने जिश्म का हर हिस्सा चूम लेने दो…” 

मैं जान गया था की दीदी अब तैयार है। मैंने एक पेग और बनाया और हम दोनों ने पी लिया। दीदी ने अपनी पैंटी अपने आप उतार डाली और मेरे लण्ड से खुले आम खेलने लगी। एक हाथ दीदी अपनी चूत पर हाथ फेर रही थी। मैंने झुक कर दीदी के निप्पल्स चूसना शुरू कर दिया और दीदी मेरे बालों में उंगलियां फेरने लगी। दीदी की चूची कठोर हो चुकी थी और अब मैंने अपने होंठ नीचे सरकाने शुरू कर दिए। 

जब मेरे होंठ दीदी की चूत के नज़दीक गये तो वो उत्तेजना से चीख पड़ी-“दीपू, मेरे भाई। क्यों पागल कर रहे हो अपनी बहन को? मुझे चोद डालो मेरे भाई। तेरी बहन की चूत का प्यार मैंने तेरे लण्ड के लिये संभाल रखा है। डाल दो इसको मेरी चूत में…” 

मैं अपने सारे कपड़े खोलता हुआ दीदी के ऊपर चढ़ गया। दीदी का नंगा जिश्म मेरे नीचे था और उसने बाहें खोलकर मुझे आलिंगन में भर लिया। दीदी की चूत रो रही थी, आूँसू बहा रही थी। मैंने प्यार से अपना सुपाड़ा दीदी की चूत की लंबाई पर रगड़ना शुरू कर दिया। हम भाई बहन की कामुकता हद पार कर गई। 

फिर दीदी ने बबनती की-“भैया, अब रहा नहीं जाता। घुसेड़ दो मेरी चूत में। होने दो दर्द मुझे परवाह मत करो, पेलो मेरी चूत में अपना लण्ड…” 

लेकिन मैंने अपना सुपाड़ा चूत के मुँह पर टिकाकर हल्का धसका मारा। चूत रस के कारण सुपाड़ा आसानी से चूत में घुस गया। 

दीदी तड़प उठी, जिसमें दर्द कम और मज़ा ज़्यादा था-“हे भैया मर गई… आह्ह… हाय बहुत मज़ा दे रहे हो तुम… और धकेल दो अंदर… पेलते रहो भैया… ऊऊह्ह… मेरी चूत प्यासी है। आज पहली बार चुद रही है। बहुत प्यारे हो तुम मेरे भाई। डाल दो पूरा…” 

मैंने लण्ड धीरे-धीरे आगे बढ़ाना शुरू कर दिया। चूत गीली होने से लण्ड ऐसे अंदर घुस गया जैसे मक्खन में छुरी। पूजा दीदी की चूत क्या थी बिल्कुल आग की भट्ठी। मैं भी मज़े में था। दीदी के निप्पल्स चूसते हुए मैंने पूरा लण्ड ठेल दिया अंदर। दीदी की सिसकारियाँ उँची आवाज़ में गूँज रही थी। मुझे शक था की माँ ना सुन ले। 

लेकिन मेरे मन ने कहा-“अगर माँ सुन लेती है तो सुन ले। उसकी बेटी उसके दामाद के साथ बंद कमरे में कोई भजन तो करेगी नहीं, आख़िरकार उसकी बेटी है, चुदाई के मज़े लूट रही है। उसे भी तो लण्ड का मज़ा चाहिए। आख़िर मेरी दीदी को भी तो लण्ड का सुख चाहिए ही ना। अगर उसका पति नहीं दे सका तो भाई का फर्ज़ है उसको वो मज़ा देना…” फिर मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ानी शुरू कर दी। 

दीदी भी अपने चूतड़ ऊपर उठाने लगी। उसको लण्ड का मज़ा मिल रहा था। दीदी ने अपनी टांगे मेरी कमर पर कस दी और मुझसे पागलों की तरह लिपटने लगी। मेरा लण्ड तूफ़ानी गति से चुदाई कर रहा था। दीदी के हाथ मेरे नितंबों पर कस चुके थे। 

मैं-“दीदी, कैसा लगा ये चुदाई का मज़ा? मेरा लण्ड? तेरी चूत में दर्द तो नहीं हो रहा? मेरी बहना तेरा भाई आज अपनी मासूका को चोद रहा है, किसी लड़की को और वो भी अपनी सगी बहन को…” 

दीदी नीचे से धक्के मारती हुई बोली-“दीपू, मुझे क्या पता था की चुदाई ऐसी होती है, इतनी मज़ेदार। भाई मेरे अंदर कुछ हो रहा है। मेरी चूत पानी छोड़ने वाली है। मैं झड़ने को हूँ… जोर से, और जोर से चोद मेरे भाई… उउिफ्र्फ… और जोर से भैयाआ…” 

मैं भी तेज चुदाई कर रहा था। मेरा लण्ड चूत की गहराई में जाकर चोद रहा था और मुझे भी झड़ने में टाइम नहीं लगने वाला था ‘फ़च-फ़च’ की आवाज़ें आ रही थी। तभी मेरे लण्ड की पिचकारी निकल पड़ी, मैं सिसका-“आआह्ह… दीदीईईई मैं भी गया… मैं गयाअ…” 

दीदी की चूत से रस की धारा गिरने लगी और हम दोनों झड़ गये। मम्मी बाहर से हम भाई बहन को देख रही थी। लेकिन हम इस बात से अंजान थे। फिर मैं पूजा दीदी के साथ लिपटकर सो गया। चुदाई इतनी जोरदार थी की मुझे पता ही नहीं चला की मैं कब तक सोता रहा। जब नींद खुली तो दोपहर के 12:00 बज चुके थे। दीदी मेरे बिस्तर में नहीं थी।

उठकर कपड़े पहने और मैं नहाने चला गया। पपछले दिन की शराब का नशा मुझे कुछ सोचने से रोक रहा था। सिर भारी था। नहाकर जब बाहर निकला तो मैं चुस्त महसूस करने लगा। दीदी के साथ चुदाई की याद मुझे अभी भी उतेजित कर रही थी। रात के बाद दीदी की चुदाई का अपना ही अलग मज़ा था, पर मुझे डर था की कहीं माँ हमारे इस रिश्ते से नाराज तो ना होगी? ये सवाल मेरे दिमाग़ में कौंध रहे थे। जब मैं मम्मी के रूम से गुजर रहा था तो मुझे मम्मी और दीदी की आवाज़ सुनाई पड़ी, 

दीदी-“मम्मी, दीपू ने मुझे जिंदगी का असल आनंद दिया है। उसी ने मुझे बताया की एक मर्द एक औरत को कितना मज़ा और आनंद दे सकता है, सच माँ, विनोद ने तो जितना दर्द दिया सब भुला दिया भाई ने। चाहे दुनियाँ इस प्यार को जो चाहे नाम दे, या पाप कहे लेकिन मेरे लिए दीपू किसी भगवान से कम नहीं है। मेरे लिए देवता है, मेरा मालिक है, मैं तो अपने भाई के साथ ये जिंदगी बिताने के लिए कुछ भी करने को तैयार हूँ। कल तक लण्ड, चूत, चुदाई जैसे शब्द मुझे गाली लगते थे, लेकिन आज ये सब मेरी जिंदगी हैं। मम्मी, तू तो मेरी मम्मी है। तुझे तो मेरी खुशी की प्रार्थना करनी चाहिए। अब तो तुझे भी मर्द का सुख ना मिलने पर दुख हो रहा होगा। मम्मी, अब मैंने दीपू को अपना पति, अपना परमेश्वर मान लिया है…” 

मुझे खुशी थी की पूजा दीदी खुद सारी जिंदगी मेरी बनकर रहना चाहती थी। वाह… बहन हो तो ऐसी। 

पूजा दीदी और मम्मी को अकेले छोड़कर मैं अपने रूम में चला गया। कपड़े चेंज किए और घर से निकल गया। शाम को जब वापिस आया तो मम्मी मुझे अजीब नज़रों से देख रही थी। मम्मी ने भी आज लो-कट गले वाली स्लीवलेस कमीज़ और सलवार पहनी हुई थी। मम्मी का सूट इतना टाइट था की उसमें से मम्मी की बाडी का हर अंग का पूरा आकार सॉफ-सॉफ नज़र आ रहा था। 

मेरे सामने मम्मी आंटा गूंधने लगी। जब वो आगे झुकती तो उसकी चूची लगभग पूरी झलक जाती, मेरी नज़र के सामने। मेरा लण्ड खड़ा होने लगा। अपने लण्ड को मसलते हुए मैंने सोचा की चलो दीदी को कमरे में लेजाकर चोदता हूँ। तभी माँ फिर से आगे झुकी और मेरी तरफ देखने लगी। उसकी नज़र से नहीं छुपा था की मैं मम्मी की गोरी-गोरी चूचियों को घूर रहा हूँ। तभी उसकी नज़र मेरी पैंट के सामने वाले उभार पर पड़ी। मेरी प्यारी मम्मी मुश्कुरा पड़ी। 

मम्मी की मुश्कुराहट को देखकर मेरे मन में आया की उसको बाहों में भर लूँ और प्यार करूँ। मैंने कहा-“मम्मी, पूजा दीदी कहाँ है? दिखाई नहीं पड़ रही कहीं भी…” 

मम्मी-“अब सारा प्यार अपनी पूजा दीदी को ही देता रहेगा या अपनी इस मम्मी को भी कुछ हिस्सा देगा? बेटा, पूजा तुझसे बहुत खुश है। लेकिन हम लोगों को प्लान करना पड़ेगा। हम तीनों को किसी ना किसी चीज़ की ज़रूरत है। सबसे बड़ी चीज़ पैसा है, जो हमको विनोद से लेना है। जमाई राजा ने जमाई का काम तो कुछ नहीं किया, लेकिन उसको हम ब्लैकमेल ज़रूर कर सकते हैं। तुम ऐसा करो की कुछ बीयर वगैरा ले आओ और हम मिलकर रात को बीयर पीकर बात करेंगे और हाँ कुल्फि तो तू अपनी दीदी को ही खिलाएगा, माँ की तुझे क्या ज़रूरत है? तुझे तो बस यही पता चला की मुझे एक अच्छे दामाद की ज़रूरत है। पर तूने इस बात का कभी नहीं सोचा की पूजा को भी पापा की कमी महसूस होती होगी…” 
 
मेरे मन में माँ के लिए इतना प्यार आया की मैंने उसको बाहों में लेकर चूम लिया। माँ की साँस भी तेज हो गई और उसके सीने का उठान ऊपर-नीचे होने लगा। माँ की छाती मेरी छाती से चिपक गई। मुझे वोही फीलिंग हो रही थी जो पूजा दीदी को किस करते हुए हो रही थी। मुझे लग रहा था की मेरा प्यार मेरी बाहों में है। जब मैंने माँ के मुँह में अपनी ज़ुबान डाल दी तो माँ उसको चूसने लगी। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और मेरा लण्ड अब माँ के पेट से टकरा रहा था। 

मैंने अब हर हद पार करते हुए माँ का हाथ अपने तड़पते हुए लण्ड पर रख दिया और बोला-“मेरी जान, अगर तूने मुझे पहले बताया होता की पूजा को एक पापा के प्यार की कमी महसूस हो रही थी तो अब तक तो उसको पापा कब का मिल गया होता, और मम्मी तुझे क्यों नहीं खिलाउन्गा कुल्फि? ऐसा कोई बेवकूफ़ ही होगा जो तुम जैसी सुंदर औरत को कुल्फि खिलाने से मना करे। तुम मुझे हुकुम करो, तुम्हें तो मैं अभी मस्त स्वादिष्ट कुल्फि खिला सकता हूँ…” 

मम्मी ने पहले तो मेरा लण्ड थाम लिया लेकिन फिर अचानक अपना हाथ पीछे खींच लिया-“नहीं दीपू बेटा, नहीं। ये ठीक नहीं है… छोड़ दो मुझे…” 

लेकिन अब मैं कहां मानने वाला था। मेरे दिमाग़ में अपनी माँ के लिए वासना भर चुकी थी। मैंने मम्मी का हाथ पकड़कर अपनी ओर खींचा, तो मम्मी मेरी बाहों में आ गई। मैंने मम्मी को अपनी बाहों में भरते हुए अपना एक हाथ पीछे लेजाकर मम्मी की बड़ी-बड़ी गाण्ड को सहलाते हुए मम्मी से कहा-“क्या हुआ मम्मी, क्या तुम्हें मेरी कुल्फि पसंद नहीं आई?” 

मेरी बात सुनते ही मम्मी बोली-“अरे नहीं बेटा, ऐसी बात नहीं है, तेरी ये कुल्फि नहीं ये तो मस्त कुलफा है कोई भी औरत तुम्हारा ये मस्त कुलफा देख ले, तो मुझे पूरा विश्वास है की इसे खाए बगैर चैन नहीं लेगी…” 

मम्मी का इतना कहना ही था की मैं मम्मी की चूचियों को मसलने लगा और मंजू की गर्दन पर किस करने लगा। सच बात तो ये है की मम्मी को ये सब अच्छा लगता था लेकिन वो ऊपर से नाटक करती थी, ताकि उसके और उसके बेटे के बीच में शर्म का परदा बना रहे। 

मम्मी-“दीपू बेटा, प्लीज़्ज़… पीछे हटो, मुझे अभी बहुत काम करना है…” 

मैं मम्मी की चूचियों को मसलते हुए-“मोम, मुझे भी तो आज आपका सारा काम करना है…” 

मम्मी शरारत से-“बदतमीज़ कहीं का… अपनी मोम से डबल मीनिंग बात करता है…” 

मैं-“बदतमीज़ दिल… बदतमीज़ दिल… माने ना माने ना…” 

मम्मी-“हाँ, बड़ा आया हीरो… चल पीछे हट। अगर पूजा आ गई तो गड़बड़ हो जाएगी…” 

मैं-“हाए मम्मी, गड़बड़ तो हो जाएगी, लेकिन मोम मुझे प्यार करने दो…” ओर मैंने अपने एक हाथ को मम्मी की चूची से हटाया और नीचे लेजाकर मम्मी की सलवार का नाड़ा ढीला कर दिया और अपना हाथ मम्मी की सलवार के अंदर ले गया। 

जब मेरा हाथ मम्मी की पैंटी के ऊपर से उसकी चूत पर छुआ तो उसके हाथ से बर्तन छूटकर गिर गये और वो मदहोस होकर बोली-“उिफ्र्फ… दीपू पीछे हट… ये सब इस तरह से करना अच्छी बात नहीं है…” 

मैंने ने मम्मी के गले पर किस किया और बोला-“मुझे नहीं पता मोम, मुझे आपसे प्यार करना है बस… और ये सब मैं किसी दूसरी औरत से नहीं बल्की अपनी होने वाली बीवी से कर रहा हूँ…” 

मम्मी की हालत खराब हो चुकी थी, क्योंकि मैं लगातार उसकी चूत को पैंटी के उपर से सहला रहा था। तभी मम्मी झटके से मुझसे अलग हुई और मुझे चिढ़ाती हुई किचेन की ओर भाग गई। मम्मी अब किसी खुशबूदार गुलाब की तरह खुद ही मेरे पहलू में गिरने को तैयार थी, तो भला मैं अब कैसे पीछे हट सकता था। मम्मी एक औरत होने के नाते पहल करने में झिझक रही थी, सो मुझे ही आगे बढ़कर मम्मी की शर्म को दूर करना था। इसलिये मैं भी मम्मी के पीछे-पीछे किचेन की ओर गया तो मम्मी से झट से दरवाजा बंद कर लिया और खुद दरवाजे से सटकर खड़ी हो गई। 

मैंने दरवाजा खटखटाया पर मम्मी ने दरवाजा नहीं खोला, तो मैंने बाहर से मम्मी को छेड़ते हुए कहा-“मम्मी, क्या हुआ? प्लीज़ दरवाजा खोलो ना… देखो अगर पूजा ने देख लिया तो वो क्या सोचेगी की उसका पापा उसकी मम्मी को प्यार नहीं करता, इसलिए प्लीज़ दरवाजा खोलो…” 

तो मम्मी ने अंदर से धीरे से ना में जवाब दिया। 

तो मैंने मम्मी को बोला-“ठीक है रानी, मत खोलो दरवाजा। अब तुम जितना मुझे तड़पाओगी, देखना रात में उतना ही जोर से ठोंकूंगा…” और इतना कहकर हूँसने लगा। 

मैं जानता था की मम्मी ये सब सुन रही है और मैं वहां से जाने लगा। तो मैंने जाते-जाते मम्मी से बोला-“और हाँ मम्मी, अपनी अभी से चिकनी कर लेना, मुझे तुम्हारी एकदम चिकनी पसंद है…” और घर से बाहर निकल गया। 

मैं जानता था की मम्मी अब पूरी से तैयार थी और वो ज़रूर आज अपनी चूत को किसी लौंडिया की तरह एकदम चिकनी करके रखेंगी। मैं जानता था की मम्मी अपने बेटे के साथ पहले नाजायज़ सम्बंध से घबरा गई थी। लेकिन चिंता की कोई बात नहीं थी। रात को बीयर वाली बात मेरे लिए फ़ायदेमंद होगी। शराब से आदमी की झिझक खतम हो जाती है। मैं बाजार से कुछ बीयर और एक बोतल वोड्का की ले आया, जिसको मैंने फ्रिज में रख दिया। 

पूजा दीदी भी वापस आ चुकी थी। उसने एक सिल्क की हल्के नीले रंग की पारदर्शी साड़ी पहनी हुई थी। माँ और दीदी ड्राइंग रूम में बैठे हुए थे। मैं दीदी के साथ सटकर छोटे सोफे पर बैठ गया। दीदी के जिश्म से भीनी-भीनी सुगंध उठ रही थी और उसका मखमली बदन मुझे उतेजित कर रहा था। 

मैं-“मम्मी, मैं बीयर लाया हूँ। क्यों ना थोड़ी सी हो जाए? दीदी का मूड भी ठीक हो जाएगा और हम कुछ मस्ती भी कर लेंगे…” 

माँ ने सिर हिला दिया और मैं तीन ग्लास में बीयर के साथ वोड्का मिक्स करके ले आया। माँ और पूजा दीदी ने ग्लास पकड़ लिए और धीरे-धीरे पीने लगीं। शराब के अंदर जाते ही मेरे लण्ड में आग भड़क उठी। मुझे अपनी दीदी और माँ बहुत ही कामुक लगने लगीं। एक प्लेट में मैंने फ्राइड फिश और सास रखी हुई थी। दीदी ने जब चुस्की लेने के बाद फिश खाई तो उसके होंठों पर सास फैल गई। 

मम्मी-“पूजा ध्यान से खा। देख अपना मुँह गंदा कर लिया है तुमने। मैं नैपकिन लेकर आती हूँ…” माँ उठी और बाहर चली गई। 

मैंने देखा की दीदी के मुँह पर सास लगी हुई थी। मैंने दीदी को बाहों में लेते हुए उसके होंठों से सास चाटनी शुरू कर दी-“माँ तो पागल है। मेरी स्वीट दीदी के स्वीट होंठों से सास सॉफ करने के लिए जब उसका भाई बैठा है तो नैपकिन की क्या ज़रूरत? भाई है ना दीदी के होंठों को प्यार से सॉफ करने के लिए…” कहकर मैंने दीदी को कसकर आलिंगन में ले लिया और उसके चेहरे को चूमने लगा। 

दीदी भी उतेजित हो रही थी क्योंकि वो मुझे वापिस किस कर रही थी। जब माँ वापिस आई तो हम भाई बहन के मुँह एक दूसरे से ऐसे जुड़े हुए थे जैसे की कोई प्रेमी हों। 

माँ चुपचाप बैठ गई-“दीपू बेटा, तू यहाँ अपनी दीदी को किस कर रहा है और बाहर दरवाजा खुला है। अगर कोई अंदर आ जाता तो? मेरे बच्चों, मेरी खुशी तुम्हारी खुशी में ही है। मैंने कल रात सब कुछ देख लिया था और पूजा ने मुझे सब कुछ बता दिया था। मैं तुम दोनों के साथ हूँ…” 

मैंने दूसरा ग्लास बनाया जब सबने पहला ग्लास खाली कर दिया था। इस बार मैंने ग्लास में वोड्का की मात्रा बढ़ा दी ताकी सबको नशा जल्दी हो जाए।
 
माँ चुपचाप बैठ गई-“दीपू बेटा, तू यहाँ अपनी दीदी को किस कर रहा है और बाहर दरवाजा खुला है। अगर कोई अंदर आ जाता तो? मेरे बच्चों, मेरी खुशी तुम्हारी खुशी में ही है। मैंने कल रात सब कुछ देख लिया था और पूजा ने मुझे सब कुछ बता दिया था। मैं तुम दोनों के साथ हूँ…” 

मैंने दूसरा ग्लास बनाया जब सबने पहला ग्लास खाली कर दिया था। इस बार मैंने ग्लास में वोड्का की मात्रा बढ़ा दी ताकी सबको नशा जल्दी हो जाए।



मेरा प्लान आज रात को अपने परिवार की दोनों औरतों को एक साथ इकट्ठे चोदने का था। पूजा दीदी के साथ मैं रात बिता चुका था, जिसका माँ को पता था। अब माँ को छोड़ देना बेवकूफ़ी होगी। क्योंकि कल को पूजा अपने घर चली जाएगी तो फिर मेरे लण्ड की आग शांत करने के लिये मम्मी तो होगी ना… इसलिए मैं आज मम्मी को चोदकर अपनी बना लेना चाहता था। 

आख़िर माँ की भी कुछ ज़रूरतें थी। मेरी माँ की भी लण्ड की भूख मुझे ही मिटानी होगी। अपनी माँ के गदराए जिश्म को देखकर मैं पागल हो रहा था। मैं दीदी को ग्लास पकड़ाकर माँ के साथ सटकर बैठ गया। माँ ने घूँट भरा तो शराब उसके होंठों से नीचे बह गई और उसकी गर्दन तक शराब के कारण उसका जिश्म भीग गया। मैंने जीभ से शराब चाटना शुरू कर दिया। 

माँ ने अपने आपको छुड़ाने का प्रयास किया लेकिन मैंने उसको जकड रखा था। कुछ हिस्सा माँ की चूची तक चला गया, जिसको मैं चूम-चूमकर चाटने लगा। 

दीदी चुपचाप देख रही थी जब मेरे हाथ माँ की चूची पर कस चुके थे। 

माँ की साँस ऐसे चल रही थी जैसे कोई जानवर चुदते वक्त साँस लेता हो। मैं थोड़ी देर में मम्मी से अलग होता हुआ बोला-“मम्मी, आज से हम दोनों तेरी हर बात मानेंगे, लेकिन मेरी एक बात तुम दोनों को माननी होगी। तुम दोनों के साथ मेरा रिश्ता वैसा ही होगा, जैसा रिश्ता तुमने कल रात दीदी के साथ देखा था। आज से मेरा कब्ज़ा ना सिर्फ़ पूजा पर होगा बल्की मम्मी, तुझ पर भी होगा। मैं जानता हूँ मम्मी की तुझे भी जिश्म की भूख लगती है और दीदी के भी कुछ अरमान हैं। मैं घर का मर्द हूँ। आप दोनों का मेरे जिश्म पर पूरा हक है और मेरा तुम दोनों पर। यानी पति एक पत्नियाँ दो। दीपू पहले बना था बहनचोद और आज बनेगा मादरचोद। बोलो मंजूर है आपको?” कहते हुए मैंने मम्मी का हाथ पकड़कर अपने लण्ड पर रख दिया। 

इस बार मम्मी ने अपना हाथ नहीं खींचा। 

मैं-“पूजा, क्या तुम मुझे मम्मी के साथ बाँट सकती हो?” मैंने पुजा से पूछा। 

तो पूजा अपनी सीट से उठी और मम्मी के होंठों पर होंठ रखकर किस करने लगी। अब मुझे किसी जवाब की ज़रूरत नहीं थी। 

मम्मी मेरे लण्ड से खेलने लगी और अपनी बेटी को किस करने लगी। 

मैंने मम्मी की जांघों पर हाथ फेरना शुरू कर दिया और दीदी की साड़ी खोल डाली। 

मम्मी-“दीपू बेटा, तू और पूजा तो ठीक हो, मुझे इस काम में मत घसीटो। मैं अब जवान नहीं हूँ। मैं अब तुम्हें पूजा का पति ही मानूंगी, ये मेरा वादा रहा। मुझे तुम जैसा जमाई और पूजा बेटी जैसी बहू कहाँ मिलेगी? और मैं तुम दोनों का प्यार अपनी आँखों के सामने देख सकूँगी…” 


मम्मी की बात सुनते ही दीदी बोली-“मम्मी, तुम्हें तो दीपू जैसा दामाद और पूजा जैसी बहू मिल जाएगी। क्या मुझे दीपू जैसा जवान पापा नहीं चाहिए, जो मेरी प्यारी और सेक्सी सुंदर मम्मी को खुश रख सके? और आप जैसे हाट भाभी जो मेरे प्यारे भैया को मेरे जाने के बाद अपनी जवानी से भरपूर मज़ा दे सके?” 

मैं दीदी की बात सुनकर खुश हो गया। बिना मम्मी के मेरी गृहस्ती पूरी होने वाली नहीं थी। आज रात को मेरी मम्मी मेरे लिए मेरी प्यारी मंजू बन जाएगी। बिल्कुल मेरी बहन जैसी एक चोदने वाली औरत, मेरी एक और पत्नी। मैंने अपनी जिप खोल दी और मम्मी का हाथ अपने गरम लण्ड पर रख दिया, कहा-“मंजू, अपने बेटे का लण्ड पकड़कर देखो की तुम्हारे पहले पति से बड़ा है या नहीं? मेरी प्यारी मंजू, चाहे ये लण्ड तेरी चूत से निकला हो, आज तेरी चूत को चोदकर तुझे औरत का सुख देगा, तुझे मेरे बाप की कमी महसूस नहीं होने देगा…” 

मम्मी ने मेरा लण्ड सहलाया तो वो और भी कड़ा हो गया। पूजा दीदी ने अपना हाथ मम्मी की कमीज़ में डालकर उसकी चूची को सहलाना शुरू कर दिया। मेरी मम्मी मंजू का जिश्म अब वासना से गुलाबी होने लग चुका था। 

पूजा दीदी भी बहुत सेक्सी अंदा से मम्मी को किस कर रही थी-“मम्मी, दीपू तुझे भी उसी तरह प्यार करेगा, जिस तरह मुझे कर चुका है। बहुत प्यारा है मेरा भाई, तेरा बेटा, हमारा ख्याल रखेगा, हमारा मर्द दीपू। हम दोनों इसकी बनकर रहेंगी, और ये हमारा… ना मेरा, ना तेरा… माँ और बेटी का एक मर्द, एक यार, एक लण्ड, जो मेरा भी है और तेरा भी… हम इसकी दो बीवियाँ, इसकी दो रखैल, इसकी दोनों रंडियाँ…” 

मम्मी का चेहरा और गुलाबी हो गया। शायद शर्म और वासना का मिला- जुला असर था, कहा-“हाँ बेटी, जिसको जमाई बनाया था, वो तो धोखा दे गया। अब अपने खून पर ही भरोसा है मुझे…” 

तभी मैं मम्मी के गाल को पिंच करके बोला-“मेरी छम्मकछल्लो ये क्यों नहीं बोलती की जिसे अपनी चूत का मालिक बनाया था, वो भी धोखा दे गया…” 

मम्मी-“दीपू मेरा बेटा भी है और दामाद भी, और पति भी। है भगवान मेरे प्यारे हरे-भरे परिवार को किसी की नज़र ना लगे। हाँ दीपू, मेरे बेटे, तेरा लण्ड तेरे बाप से भी बड़ा है और मोटा भी। मुझे यकीन है कि तुम इससे हम माँ बेटी दोनों को संतुष्ट रखोगे। तेरे लण्ड का स्पर्श मेरे अंदर एक ज्वाला भड़का रहा है। मेरे अंदर की औरत को जगा रहा है। मुझे कोई आपत्ती नहीं अगर पूजा मुझसे भी तेरा प्यार बाँटने के लिए राज़ी है। मेरे बेटा जैसा मस्त जवान हमारे लिए बहुत है। जो मन में आए कर ले तू बेटा…” 

मैं उठ खड़ा हुआ और मम्मी की कमीज़ उतारने लगा। मैंने मम्मी के बालों का जूड़ा भी खोल दिया। पूजा दीदी ने अपना ब्लाउज़ और पेटीकोट उतार दिया। पूजा दीदी का गोरा जिश्म प्यार और शराब के नशे से बहुत गुलाबी हो रहा था। 

मैं-“मम्मी, पूजा दीदी को चोद चुका हूँ मैं। तुझे चोदकर आज की रात यादगार बनाना चाहता हूँ। मम्मी अगर मैं आपको मंजू कहूँ तो कोई एतराज तो नहीं होगा?” 

मम्मी-“अरे बेटा, ऐतराज कैसा? अब मैं तेरी मम्मी ही नहीं, तेरी रांड़ भी हूँ। तू अब चाहे जिस नाम से चाहे मुझे बुला सकता है…” 


मैं-“मुझे यकीन है की पूजा दीदी को भी जलन नहीं होगी, अगर मैं आप दोनों को चोदूं?” 

पूजा ने अपनी पैंटी उतारते हुए कहा-“दीपू, मेरे भाई, माँ बेटी में कैसी जलन? घर का माल घर में ही तो रहेगा। और वैसे भी मम्मी की मर्ज़ी से ही हमारा मिलन संभव होगा। तेरा जितना हक अपनी बहन पर है, उतना ही अपनी माँ मंजू पर होगा। मैं तुम दोनों को चुदाई करते देखकर माँ से कुछ सीख लूँगी। क्यों माँ?” 

मम्मी-“ठीक है बेटी। मुझे भी आज 20 साल के बाद लण्ड नसीब हो रहा है और वो भी अपने बेटे का। सच बेटा, तेरा लण्ड बिल्कुल तेरे बाप जैसा है, बस मोटा थोड़ा अधिक है। आज अपनी माँ को वो सुख दे दो जो तेरा बाप देता था। पूजा बेटी, चुदाई का सबसे पहला कदम है मर्द का लण्ड सहलाना, मुठयाना, इसे प्यार करना, इसको चूमना, चाटना। जैसा मैं करती हूँ तू भी वैसे ही करना। जितना मज़ा लण्ड से खेलने पर दीपू को आएगा, उतना ही तुझे और मुझे भी आएगा…” कहकर माँ ने मेरा लण्ड अपने गरम हाथों में ले लिया और ऊपर-नीचे करने लगी। 

मम्मी ने मेरे सुपाड़े पर ज़ुबान फेरी तो पूजा दीदी के मुँह से आऽऽ निकल गई। पूजा अब मम्मी की हर हरकत गौर से देखने लगी। मेरा लण्ड बेकाबू हो रहा था। पूजा दीदी ने मम्मी की नकल करते हुए मेरे लण्ड पर ज़ुबान फेरनी शुरू कर दी। 
 
ड्राइंग रूम में ये सब करना मुझे आरामदायक नहीं लग रहा था, तो मैंने दोनों से कहा-“हमको बेड पर चलना चाहिए। यहाँ मज़ा नहीं आएगा। मुझे लगता है की मम्मी के बेड पर चला जाए। उसी बेड पर जहाँ मम्मी को पहली बार पापा ने चोदकर गर्भवती किया था, उसी बेड पर बेटा भी अपनी प्यारी माँ की चुदाई का महूरत करना चाहता है। क्यों किया विचार है मंजू?” 

मम्मी के चेहरे पर एक खास मुश्कान उभर आई। आज मम्मी का चेहरा ऐसे चमक रहा था जैसे कोई नई नवेली दुल्हन अपनी पहली चुदाई की प्रतीक्षा कर रही हो। हम तीनों पूरी तरह से नंगे होकर माँ के बेडरूम की तरफ बढ़ गये। जब मम्मी आगे-आगे चल रही थी तो मुझे उसकी गाण्ड बहुत उतेजक लग रही थी। मंजू मेरी माँ के चूतड़ बहुत सेक्सी थे। 

मैंने अपने आपसे वादा किया-“एक दिन मंजू के मखमली नितंबों के बीच से उसकी गाण्ड ज़रूर चोदूंगा…” 

“तुम दोनों बिस्तर पर चलो, मैं एक लास्ट पेग बनाकर लाता हूँ…” मैंने कहा और पेग बनाने लगा। शराब के नशे को वासना ने दोगुना बढ़ा दिया था। मैंने तीन बड़े पेग बनाए और माँ के रूम में जा घुसा। मैंने मम्मी को लिटा लिया और उसकी जांघों को पूरी खोलते हुए उसकी चूत को प्यार से सूँघा। मम्मी की चुदासी चूत रो रही थी खुशी के मारे। फिर मैंने अपना सुपाड़ा मंजू की चूत पर टिकाया और चूत पर रगड़ने लगा। 

मम्मी-“उिफ्र्फ दीपू… क्यों तरसा रहे हो, जालिम? डाल दो ना…” 

पूजा दीदी मेरी पीठ से सटकर मुझसे लिपटने लगी, और कहा-“भाई, पेल डालो अपनी मंजू को। फिर मेरी बारी आएगी अपने प्यारे भाई के लण्ड से चुदवाने की। दीपू, मंजू की चूत मस्ती से भरी पड़ी है। मसल डालो इसको, अपनी माँ की प्यासी चूत को। जो काम पापा ने किया था आज उनका बेटा भी कर डाले। गाड़ दो इस रांड़ की चूत में अपना डंडा। भैया माँ के बाद फिर मुझे कल रात वाली जन्नत दिखा देना। मैं महसूस कर रही हूँ की आज तेरा लण्ड कल से भी अधिक उतावला हो रहा है। और मेरा राजा भैया का लण्ड उतावला हो भी क्यों ना? आज बहन के साथ-साथ माँ भी मेरे भाई की हमबिस्तर हो रही है। शाबाश भाई, चोदना शुरू करो, तब तक मैं माँ से अपनी चूत चुसवाती हूँ। मेरी चूत भी जल रही है…” फिर पूजा दीदी ने मेरा लण्ड पकड़कर माँ की चूत के अंदर धकेल दिया। 

मेरी माँ की चूत से इतना पानी बह रहा था की लण्ड आसानी से चूत की गहराई में उतर गया। माँ की टाँगों ने मेरी कमर को कस लिया और वो अपनी गाण्ड उछालने लगी। 

पूजा दीदी ने अपनी टाँगों को फैलाकर अपनी चूत माँ के मुँह पर रख दी और मम्मी ने अपनी ज़ुबान उसकी चूत में घुसा दी। पूजा अब मम्मी की ज़ुबान पर चूत हिलाने लगी। पूजा की साँस भी बहुत भारी हो चुकी थी। माँ और दीदी दोनों कामुक सिसकारियाँ भर रही थीं। 

मैंने मम्मी की चूची को जोर से मसलते हुए धक्कों की स्पीड बढ़ा डाली। लण्ड फच- फच चूत के अंदर-बाहर होने लगा। जब मैंने माँ के निप्पल्स चूसना शुरू किया तो वो बेकाबू हो गई और पागलों की तरह नीचे से अपनी गाण्ड उठाकर चुदवाने लगी। 

मम्मी ने अपना मुँह मेरी बहन की चूत से अलग करते हुए कहा-“वाह बेटा वाह… चोद मुझे। चोद अपनी माँ की चूत… चोद मेरी चूत। अपनी माँ की चूत से पैदा होकर आज उसको चोद, मादरचोद आज तू अपनी बहन के साथ अपनी माँ को भी गर्भवती बना दे। तू अपनी माँ को जो आनंद दे रहा है, उसका कोई मुकाबला नहीं। दीपू, ओह्ह मादरचोद पूजा, तेरा भाई वाकई है बहुत दमदार है। तुझे और मुझे ये हमेशा खुश रखेगा। हम दोनों को खुश रखेगा। खूब चोदेगा हम दोनों को…” 

पूजा दीदी अब उठकर आई और मेरे अंडकोष से खेलने लगी और मम्मी की गाण्ड में उंगली करने लगी। लगता था की अब मेरी बहना चुदाई में अधिक दिलचस्पी लेने लगी थी। ज्यों ही पूजा की उंगली माँ की गाण्ड में गई तो माँ का जिश्म ऐंठने लगा, उसकी गाण्ड तूफ़ानी गति से ऊपर उठने लगी। मम्मी अब झड़ने वाली थी। मैंने भी चुदाई और तेज कर दी। 

लेकिन मुझसे पहले माँ झड़ गई-“आह्ह… बेटा, मैं गई… दीपू तेरी मंजू, तेरी रांड़ झड़ी… तेरी माँ झड़ रही है। आआअह्ह…” मंजू की चूत का रस उसकी जांघों से होता हुआ बिस्तर पर गिरने लगा। कोई दो मिनट छटपटाने के बाद मम्मी शांत हो गई। 

लेकिन मैं अभी नहीं झड़ा था। मैंने अपना भीगा हुआ लण्ड मंजू की चूत से निकाला और माँ की बगल में ही पूजा दीदी को लिटा दिया। दीदी मेरे लण्ड को भूखी नज़रों से देख रही थी। वो आगे झुकी और मेरे लण्ड को चूसने लगी, चाटने लगी। पूजा दीदी की आँखें उत्तेजना कारण बंद थीं, और वो किसी रांड़ की तरह अपने भाई का लण्ड चूस रही थी। मुझे खुशी थी की वो पूजा, जिसको अपने पति का लण्ड गंदा लगता था, आज अपने भाई के लण्ड को किस तरह प्यार से चूम रही थी। 

मैंने दीदी को बालों से खींचकर घोड़ी बनाया और लण्ड घुसेड़ दिया एक ही झटके में, 

पुजा-“उम्म्म… उिफ्र्फ… इन्न्नम… उम् म्म्म… उिफ्र्फ… आआह्ह… भैया धीरे… माँ मर गई मैं…” पूजा बिलबिलाने लगी।

मैं अब दीदी को बेरहमी से चोदने लगा, कहा-“पूजा, कैसा लग रहा है? मेरा लण्ड तेरी चूत में घुस चुका है। बहुत टाइट है तेरी चूत। मुझे बहुत मज़ा दे रही है ये…” 

उधर माँ हम दोनों को देखकर मुश्कुरा रही थी और मुश्कुराती भी क्यों ना… आख़िर घर का मर्द घर की औरत को चोदकर आनंदित कर रहा था। मैं पूजा दीदी को जोरदार तरीके से चोद रहा था, जिससे दीदी जोर-जोर से कराह रही थी। 

दीदी की चीखें सुनकर मम्मी भी दीदी को छेड़ते हुए बोली-“अब पता चला साली को की इतना बड़ा लौड़ा कोई ऐसे ठोंके तो कितना दर्द होता है? जब ये मेरी चूत में ठोंक रहा रहा था, तो तब साली कैसे मुश्कुरा रही थी। अब देखती हूँ की तू कैसे मुश्कुराती है, जब मेरा ये राजा बेटा अपना ये मस्त लौड़ा तेरी चूत में ठोंक रहा है…
” 
मेरा हाथ कई बार पूजा दीदी की चूची मसल देता और कई बार उसके चूतड़ पर छपत मार देता, जिससे मेरी दीदी की कामुकता और तेज हो जाती। दीदी आगे की तरफ झुकी हुई थी और मैं उसको घोड़ी बनाकर चोद रहा था। घोड़ी बनाकर चोदने का मज़ा ही कुछ और होता है। कमरे के अंदर सेक्स की खुश्बू फैली हुई थी। मुझे दीदी के नंगे जिश्म की तस्वीर और भी कामुक बना रही थी। धक्के तूफ़ानी हो चुके थे और दीदी अपने चूतड़ पीछे धकेल कर मेरे मज़े को दोगुना कर रही थी। 

पुजा चीख रही थी-“दीपू मेरे भाई, मेरे सॉफन तेरी बहन जा रही है। मेरी चूत पानी छोड़ रही है। आआह्ह… मैं झड़ रही हूँ। जोर से चोदो भाई… मैं मर गई… चोदो भैयाआ…” 

मेरा लण्ड भी छूट रहा था। मैं अपना रस दीदी की चूत के अंदर छोड़ने वाला था। मैंने पूजा को कस के पकड़ रखा था और ताबड़तोड़ चोद रहा था-“ऊऊऊह्ह… उऊह्ह… उम् म्म्म… आआऽऽ उम्म्म…” मेरा लण्ड अपना फव्वारा छोड़ने लगा। मैं कुत्ते की तरह हाँफ रहा था। 

पूजा दीदी का भी हाल बुरा हो रहा था। मैं दीदी की चूत में लण्ड डालकर पड़ा रहा फिर हम सब इतना थक गये थे की मम्मी पूजा और मैं सब सो गये। 

अगले दिन जब मैं उठा तो दीदी और माँ दोनों कमरे में नहीं थी। सवेरे के 8:00 बज रहे थे। मैं उठकर बाथरूम में गया। नहा धोकर जब बाहर निकला तो देखा की माँ पूजा कर रही थी और दीदी उसके साथ बैठी हुई थी। जब मैं वहाँ पहुँचा तो पहले दीदी ने और फिर माँ ने झुक कर मेरे पैरों को स्पर्श किया। 

जब मैंने उनको ऐसा करने से रोका तो वो शर्माकर बोली-“दीपू, तुम आज से हमारे पति हो और हम तेरी पत्नियाँ। दुनियाँ हमारे रिश्ते को कुछ भी समझे, लेकिन तुम हमारे स्वामी हो…” 

मैंने मम्मी को और पूजा दीदी को उठाया और अपने गले से लगाकर कहा-“नहीं, मैं तुम्हारा स्वामी नहीं बल्कि तुम दोनों मेरे दिल की रानियाँ हो…” और फिर उन दोनों को अपने गले से लगा लिया। 
 
मम्मी और पूजा दीदी दोनों मेरी बाहों में थी। मेरे हाथ मम्मी और पूजा दीदी दोनों के पीछे उनकी गाण्ड को सहला रहे थे और वो मेरी छाती के बालों से खेल रही थीं। तभी पूजा दीदी मुझसे अलग हुए और अंदर रूम में चली गई। 

मुझे और मम्मी को कुछ समझ में नहीं आया की पूजा दीदी को क्या हुआ? इससे पहले की हम कुछ समझ पाते दीदी कुछ ही देर में बाहर आ गई। उस वक़्त दीदी के एक हाथ में एक सिंदूर की डिब्बी और दूसरे हाथ में मम्मी का मगलसूत्र था। हम कुछ बोलते इससे पहले ही दीदी ने मेरी ओर देखकर कहा-“दीपू, तुमने मुझे इतनी खुशी दी, इतना मज़ा दिया है जो मुझे आज तक कभी नहीं मिला और सबसे बड़ी खुशी जो तूने मुझे दे दी की तूने मुझे अपने बच्चे की माँ बना दिया है। इस एहसान का बदला मैं सारा जीवन नहीं उतार सकती…” 


मैं-“दीदी, इसमें एहसान कैसा? अब तुम मेरी हो और मैं तुझे अपनी बीवी मानता हूँ तो इसमें एहसान कैसा? एक पति ही तो अपनी बीवी को माँ बनाता है और साथ में बीवी तेरी जैसी मस्त और हाट हो तो कोई भी उसे एक से छः बच्चो की माँ बना देगा…” 

दीदी-“भैया, आपने मम्मी को रात को इतना मज़ा दिया। मम्मी, जो इतने सालों से बिना किसी मर्द के प्यार को तरस रही थी, तूने मम्मी को फिर से औरत बनने का सुख दिया। भैया क्या आप ये सुख पूरी जिंदगी माँ को दे सकते हो? क्या आप मम्मी को अपना नाम दे सकते हो? उसके साथ शादी करके मम्मी को अपने जीवन में शामिल कर सकते हो?” 

दीदी की बात सुनते ही मम्मी ने तो शर्म के मारे अपनी नज़रें नीचे कर ली। 

मैंने दीदी की बात सुनते ही दीदी के हाथों से सिंदूर लेकर माँ की माँग में भरते हुए कहा-“दीदी क्यों नहीं? मैं तो मम्मी जैसी पत्नी पाकर अपने आपको बहुत खुशकिस्मत समझूंगा…” 

फिर मैंने झट से दीदी की गाण्ड पर जोर से थप्पड़ मारते हुए कहा-“दीदी, मम्मी को अपनी बीवी बनाने में मुझे फ़ायदा ही फ़ायदा है की अब माँ के साथ उसकी मस्त सेक्सी बेटी भी चोदने को मिलेगी…” 

दीदी मेरी बात सुनते ही मुश्कुराने लगी। तभी दीदी ने मम्मी का मंगलसूत्र देते हुए कहा-“भैया, आपने भगवान के सामने मम्मी की माँग में सिंदूर तो भर दिया, अब जल्दी से मम्मी के गले में मंगलसूत्र बांधकर उसे पूरी तरह अपना बनो लो…” 

मैंने दीदी के साथ से मंगलसूत्र ले लिया, ये वोही मंगलसूत्र था जो पापा ने शादी के वक्त मम्मी को पहनाया था। उस मंगलसूत्र को देखकर मैंने कहा-“पूजा, ये मंगलसूत्र मेरी बीवी के लिए, वो भी उस नामर्द आदमी का जिसने मेरी इतनी सेक्सी मम्मी को बीच रास्ते में तड़पने के लिए छोड़ दिया, उस हरामी नामर्द आदमी का ये पुराना मंगलसूत्र मैं मम्मी को कैसे पहना सकता हूँ? मैं तो अपनी इस सुंदर सेक्सी बीवी को नया मंगलसूत्र जो मेरे नाम का होगा पहनाऊूँगा। अगर मंजू को ये ही मंगलसूत्र पहनना हो तो ठीक है…” 

मेरा इतना कहना ही था की मम्मी ने मेरे हाथ से मंगलसूत्र ले लिया और उससे तोड़कर दूर फैंक दिया और मुझसे कहने लगी-“नहीं नहीं, मुझे ये मंगलसूत्र नहीं पहनना… अब मुझे सिर्फ़ आपके नाम का ही मंगलसूत्र पहनना है…” 


दीदी मम्मी की बात सुनकर बोली-“वो मम्मी, आप तो अभी से भैया की हो गई। आज जब आप भैया की हो ही गई हैं तो आज भैया पर सिर्फ़ आपका हक होगा, और मैं भी आज भैया को भैया या दीपू नहीं कहूंगी, बल्कि आज मैं इनको पापा कहूंगी…” 

मैंने उनकी बातें सुनकर कहा-“जिसको जो कहना है कह लेना, पर अभी तुम दोनों तैयार हो जाओ, ताकि हम जल्दी से मार्केट जाकर तुम्हारी मम्मी के लिये नया मंगलसूत्र ले आएं…” 

पूजा दीदी-“हाए पापा, बड़ी जल्दी है बाजार जाकर वापिस आने की ताकि घर आते ही आप मम्मी का बैंड बजा सकें…” 

मैं-“बैंड तो मैं तेरी मम्मी का बजाऊँगा ही… अगर तू कहे तो तेरा भी तबला बजा दूं?” और मैंने जोर से दीदी की गाण्ड पर थप्पड़ मारा। 

पूजा दीदी-“हाए पापा, चाहती तो मैं भी यही हूँ की आप मेरा तबला अभी बजा दो… पर क्या करूं, आज तो आपको बस मेरी मम्मी का तबला बजाना है…” 

मम्मी हम दोनों की मस्ती भरी सुनते हुये शर्म से आँखें नीचे किए हुई थी। 

तभी मैंने कहा-“जाओ तुम भी और फटाफट तैयार हो जाओ…” 

दीदी-“पापा, मुझे तैयार होने में कितना टाइम लगेगा? तैयार होने में टाइम तो आपकी दुल्हन को लगेगा…” 

दीदी की बात सुनते ही हम सब जोरों से हँस पड़े। फिर हम सब तैयार होने के लिए अंदर रूम में चले गये, 15 मिनट बाद जब हम तैयार होकर निकले तो मैं तो मम्मी को देखते ही दंग रह गया। मम्मी आज एकदम कयामत लग रही थी, वो ऐसे तैयार होकर बाहर आई थी की जैसे कोई नई नवेली दुल्हन पहली बार अपने पति के साथ बाहर जा रही हो। 

मम्मी को मेरे कुछ कहने से पहले ही दीदी बोली-“वाउ पापा… देखा मम्मी क्या लग रही है? लगता है आप आज अभी अपनी जवानी दिखाकर आपका खड़ा कर देगी…” 

मम्मी हमारी बात सुनकर साथ में शर्मा रही थी। दीदी ने फिर से मम्मी को छेड़ते हुए कहा-“क्यों मम्मी, बाजार कैसे चलना है? गाड़ी में या फिर आज आपको पापा के लण्ड पर बैठकर मार्केट जाना है? 


दीदी के द्वारा मम्मी को इस तरह छेड़ते देखकर मम्मी के गाल एकदम सुर्ख लाल हो रहे थे। मम्मी के मुँह से एक भी बोल नहीं निकल रहा था। मम्मी के मन की दफ़ा को समझकर मैं दीदी के कुछ और कहने से पहले ही मैंने अपना लण्ड जो पहले से ही खड़ा था बाहर निकाल लिया और दीदी का हाथ पकड़कर उसे खींचकर अपनी बाहों में भरते हुए कहा-“दीदी, मम्मी तो क्या… तुम कहो तो मैं मम्मी के साथ-साथ मम्मी की बेटी को भी अपने लण्ड पर बैठाकर मार्केट ले जाऊँ?” 

मेरी इस हरकत पर दीदी मेरे लण्ड को अपने हाथ से सहलाती हुई बोली-“हाए मेरे प्यारे पापा, मैं तो तैयार हूँ आपके इस लण्ड पर बैठकर मार्केट चलने को, पर क्या करूं आज तो इस पर बैठने का हक सिर्फ़ मम्मी को है…” और फिर दीदी ने नीचे बैठकर मेरे लण्ड पर अपने होंठ रख दिए। जिसे मम्मी किसी भूखी नज़रों से देख रही थी। 

पर वो अपने अंदर की बात को छुपाते हुए बोली-“चलिए ना… क्या आप भी इसको अपना खिला रहे हैं? अगर आपको इसको खिलाना ही है तो मैं नहीं जाती…” और अंदर की ओर जाने लगी। 

तभी दीदी ने झटके से मम्मी की बांह को पकड़ लिया और बोली-“मम्मी, आप क्यों अंदर जा रही हो? चलते है ना मार्केट… मैं तो बस पापा का थोड़ा सा चेक कर रही थी, अगर आप चाहो तो आप इसको चख सकती हैं…” 

मम्मी-“नहीं मुझे नहीं चखना…” 

दीदी-“देखो पापा, मम्मी अभी बोल रही है कि नहीं चखना उसे, और देखना रात को कैसे उछल-उछलकर चखेगी आपका ये मस्त लौड़ा…” 

दीदी की बात सुनते ही में और दीदी जोर से हँस पड़े और मम्मी शर्म के मारे आँखें नीचे करते हुए बाहर की ओर निकल पड़ी। मम्मी के पीछे-पीछे मैं और दीदी भी बाहर की ओर चल पड़े। कुछ ही देर में हम एक ज्वेल्लरी शॉप पर पहुँचे। मैंने वहां मम्मी के लिए सोने का मंगलसूत्र लिया। मैं अब जल्दी से जल्दी घर वापिस आना चाहता था, क्योंकि मेरा मन मम्मी और दीदी को चोदने का बहुत कर रहा था, तो इसलिए मैं जल्द से जल्द घर आना चाहता था। 

पर दीदी थी कि वो अभी घर जाने का नाम ही नहीं ले रही थी। 

मैंने जब देखा की दीदी अभी घर जाने के मूड में नहीं है तो मैंने मम्मी से कहा-“मम्मी, अब मंगलसूत्र ले लिया अब चलें घर चलें…” 

इससे पहले मम्मी कुछ कहती, दीदी बोली-“अभी नहीं भैया, अभी तो मम्मी को दुल्हन के रूप में तैयार होने के लिये किसी ब्यूटी पार्लर में जाना है…” और फिर मैं, दीदी और मम्मी एक ब्यूटी पार्लर में आ गये, जहाँ उसने मम्मी को दुल्हन के रूप में तैयार कर दिया। 

जैसे ही मम्मी तैयार होकर पार्लर से बाहर आई, मम्मी को देखते ही मेरा मुँह खुला का खुला रह गया। उस टाइम मेरा लण्ड इतना हार्ड हो गया की मुझे लगता था की अभी ये पैंट फाड़कर बाहर आ जाएगा। अब मैं जल्द से जल्द घर जाकर मम्मी को चोदना चाहता था, और शायद अब मम्मी भी अंदर है अंदर जल्द से जल्द घर पहुँचकर मेरे साथ सुहगरात मानने, यानी अपने नये पति के साथ मस्ती करना चाहती थी। पर शर्म से कुछ बोल नहीं पा रही थी। 

पूजा दीदी ने हमारे मन की बात को समझा और बोली-“मम्मी, चलो अब घर चलते हैं बड़ी देर हो गई…” और हम सब गाड़ी में आकर बैठ गये। 
 
गाड़ी में आते ही पूजा दीदी ने फिर से मम्मी से मज़ाक करना शुरू कर दी और मम्मी से बोली-“मम्मी, आपको इस रूप में देखकर पापा का डंडा एकदम हार्ड होकर लोहे का बन गया है। मुझे लगता है कि आज आपके तबले की खैर नहीं। देखते हैं कि घर जाते ही पापा अपने इस मूसल डंडे से आपके तबले पर कितनी जोर से थाप देते हैं…” और इतना कहकर पूजा दीदी ने मम्मी की गाण्ड को जोर से दबा दिया। 

मम्मी तो शर्म से लाल हो रही थी पर मम्मी ने भी दीदी का जवाब देते हुए कहा-“अगर तुझे पापा के डंडे से अपने तबले पर थाप लेनी है तो ले लेना…” 

पूजा दीदी-“हाए मम्मी, मैं तो चाहती हूँ की पापा का डंडा मेरे तबले पर थाप दे… पर क्या करूं? आज पापा के इस डंडे की थाप तो आपके तबले पर पड़ेगी…” 

और हम तीनों इसी तरह हँसी मज़ाक करते घर आ गये। ये तो मैं ही जानता था की मेरे लण्ड का क्या हाल होगा? जब पूजा दीदी और मम्मी जैसा मस्त माल साथ में हो तो किसका लण्ड होगा जो उछल-कूद नहीं करेगा, और मेरे लण्ड का तो ये हाल था की अभी पैंट फाड़कर बाहर आ जाएगा। घर पहुँचते ही मैं जल्दी से जल्दी मम्मी को लेकर रूम में उनकी जोरदार चुदाई करना चाहता था। मेरे लिये अब कंट्रोल करना बड़ा मुश्किल था। 

पर दीदी थी जो अब भी मुझे तड़पा रही थी। जैसे ही मैं मम्मी की कमर में हाथ डालकर बेडरूम की ओर ले जाने लगा तो दीदी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली-“पापा, अभी कहां ले जा रहे हो मम्मी को?” 

मैं-“अरे वहीं, ज़रा तुम्हारी मम्मी को जन्नत की सैर करवा दूं। ये देख मेरा घोड़ा कैसे उछल रहा है?” और मैंने दीदी का हाथ पकड़कर अपने लण्ड पर रख दिया। 

दीदी-“हाए मम्मी, पापा का घोड़ा अभी से कैसे उछल रहा है… जब ये आपके अंदर दौड़ लगायेगा तो पता नहीं आपका क्या हाल होगा? पर पापा ये सब करने से पहले तुम्हें पूर्ण रूप से मम्मी को अपना बनाना होगा…" 

मैं-“अरे क्या दीदी, बना तो लिया है अब क्यों तड़पा रही हो?” 

दीदी-“अभी कहां पूर्ण रूप से? अभी तो मम्मी के गले में मंगलसूत्र डालना नहीं है क्या?” 

मैं-“ओह्ह… सारी, मैं जल्दी-जल्दी में ये सब भूल ही गया…” 

दीदी-“हाँ हाँ अब आपको ये क्यों याद रहेगा? आपको बस अब मम्मी की चूत का ध्यान है…” कहकर दीदी हँसने लगी।

दीदी की बात सुनते हैी मम्मी शर्म से लाल हो गई और बड़े प्यार दीदी के गालों पर थप्पड़ लगती बोली-“बड़ी नटखट है तू…” 

फिर दीदी ने मुझे मंगलसूत्र दिया और जो मैंने मम्मी के गले में बांध दिया। 

जैसे हीमैंने मम्मी के गले में मंगलसूत्र बाधा, दीदी ने ताली बजाकर स्वागत किया और कहा-“पापा, आज से मम्मी पूर्ण रूप से तुम्हारी हो गई, अब से मम्मी किसी अश्वनी की विधवा नहीं बल्कि एक सुहागन मिसेज़ दीपक हैं…” 

तब मम्मी नीचे झुक के मेरे पैर छूने लगी। 
तो दीदी ने मुझे मम्मी को आशीर्वाद देने को कहा। 

मैं मम्मी को आशीर्वाद देने में हिचकिचा रहा था, क्योंकि मम्मी उमर में मुझसे बड़ी थी। 

मेरे मन की दशा को समझते हुए दीदी ने कहा-“भैया, आप ये सोच रहे हैं की मम्मी आपसे बड़ी हैं, तो अब आपका ये सोचना गलत है। अब मम्मी आपसे बड़ी नहीं बल्कि छोटी हैं। जैसे मेरा स्थान अब आपके चरणों में है, उसी तरह अब मम्मी का स्थान भी आपके चरणों में है। अब मम्मी का ये धर्म है आपकी हर इक्षा को पूर्ण करना, क्योंकि ये पत्नी का कर्तव्य है। जैसे एक माँ का अपने बच्चो पर ये हक होता है की वो उन्हें प्यार करे, और गलती करने पर सज़ा दे, तो इसी तरह एक पति का भी ये हक होता है कि वो अपनी पत्नी को प्यार करे और अगर वो गलती करे तो उसे सज़ा दे मारे, इससे प्यार बढ़ता है…” 

मैं दीदी की बातें बड़े ध्यान से सुन रहा था। फिर मैंने मम्मी को सुहागन का आशीर्वाद दिया और मेरे कुछ कहने से पहले ही दीदी मम्मी को लेकर बेडरूम में जाने लगी। 

जब मैं भी उनके पीछे जाने लगा तो दीदी ने मुझसे कहा-“बस… अभी नहीं, थोड़ी देर में आपको बुलाती हूँ फिर आप अंदर आना पापा…” और मेरी ओर देखकर मस्ती से अपने होंठ काटने लगी। 5 मिनट के बाद दीदी का रिप्लाई आया की भैया रूम में आ जाओ। 

मैंने बिल्कुल ऐसा ही किया, और मैं मंजू के रूम के बाहर खड़ा हो गया। मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा, और मेरी उत्तेजना बहुत ही बढ़ चुकी थी। फिर मैंने दरवाजा खोला और अंदर देखा की रूम की लाइटें बंद हैं, बेड के चारों तरफ कैंडल जल रही है, जिससे हल्की-हल्की रोजनी पूरे कमरे में हो रही है। एकदम किसी फिल्म की सुहागरात के दृश्य जैसे। मैं रूम के अंदर आ गया। 

जब मैं आगे बढ़ा तो देखकर हैरान हो गया। मंजू सुहागन के जोड़े में अपने पूरे बदन को हीरे जवाहरातों से भरकर घूँघट निकाले बैठी थी। मंजू किसी राजकुमारी से कम नहीं लग रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे मानो आसमान से सारे चाँद सितारे मंजू के गोरे बदन पर आकर चमकने लगे हैं। मुझे तो ये सब एक सपने की तरह लगने लगा। मंजू बिस्तर पर चुपचाप बैठी थी। उसकी आँखें नीचे झुकी हुई थीं, और वो धीरे-धीरे मुश्कुरा रही थी। मुझे ये अनुभव हो रहा था की मेरी सचमुच में शादी की सुहागरात हो। 

मैं बेड की तरफ बड़ा ही था की पूजा दीदी ने मेरा हाथ पकड़कर मुझे पास रखे सोफे पर बैठा दिया और मुझसे कहने लगी-“पापा, इतनी जल्दी भी क्या है? मैंने आप दोनों का मिलन करवाया है, पहले इसके बदले में मेरा उपहार…” 

मैंने दीदी की बाजू पकड़कर अपनी ओर खींचा जिससे दीदी सीधी मेरी गोद में आ गिरी। 
 
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