Incest Kahani जीजा के कहने पर बहन को माँ बनाया - Page 4 - SexBaba
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Incest Kahani जीजा के कहने पर बहन को माँ बनाया

और मैं दीदी के होंठों को चूमते हुआ बोला-“मेरी जान, तुझे तो मैं ऐसा गिफ्ट दूंगा की तू सारी लाइफ याद रखेगी…” और मैंने दीदी का हाथ पकड़कर अपने लण्ड पर रख दिया। 

दीदी मेरे लण्ड को सहलाती बोली-“हाय पापा, आपका ये गिफ्ट लेने के लिये मैं अब हमेशा ही बेताब रहती हूँ। पर क्या करूं, आज आपके इस गिफ्ट पर सिर्फ़ मम्मी का हक है। आज आप इस पर सिर्फ़ मम्मी को ही बिठा सकते हो…” फिर दीदी ने मुझे मम्मी के पास जाने की इजाज़त दे दी। 

फिर मैं बेड पर मम्मी के पास गया और अपने दोनों हाथों से मंजू का घूँघट पकड़ा और धीरे से मंजू के चेहरे से हटाया। मैंने देखा की मंजू ने अपनी नज़रें नीचे झुका रखी हैं और वो बेतहाशा खूबसूरत लग रही है। जिसे देखकर मैं बोला-

“सुहानी रातों की वो मदमस्त मुलाकातें, 
भूल सकता है भला कौन वो हमारी प्यारी बातें, 
अरमान पूरे हुये मेरे, कोई शिकायत नहीं तुमसे, 
तुमने सज़ाई है मेरी बेशुमार हसीन रातें…”, 

ये सुनकर मंजू अपने चेहरे पर मुश्कुराहट लाई और एक पल मेरी ओर देखकर फिर से अपनी नज़रें नीचे झुका ली। फिर मैंने मंजू का चेहरा अपने हाथों में ले लिया और धीरे-धीरे चूमने लगा। सबसे पहले मैंने अपने होंठ मम्मी के गुलाबी गालों पर रख दिए और उसके गालों को किस किया, फिर आँखों को चूमा, फिर मैंने अपने होंठ मम्मी के लाल-लाल होंठों पर रख दिए और मम्मी के रसीले होंठों को पूरे जोश के साथ चूसने लगा। और मम्मी भी खुलकर मेरा साथ देते हुए मेरे होंठों को चूसने लगी। हम लोग एक दूसरे को चूमते हुए बिस्तर पर लेट गये। अब मैं मम्मी के ऊपर था। 

मैं मम्मी के ऊपर होकर मम्मी के होठों को जोर-जोर से चूसने लगा और इतना जोर लगाया की मंजू के होंठ मेरे दाँत से लगने लगे। हमारी जीभ एक दूसरे से टकरा रही थी और हम लोग एक दूसरे की जीभ चूसते हुए एक दूसरे को प्यार कर रहे थे। हम लोग अपनी-अपनी जीभ एक दूसरे के मुँह के अंदर डालकर घुमा रहे थे। फिर धीरे-धीरे मैंने मम्मी के बदन पर से गहने उतारने शुरू कर दिए। मैंने मम्मी के ब्लाउज़ को जैसे ही खोला तो मंजू की बड़ी-बड़ी चूचियां कूदकर बाहर आ गईं। मम्मी ने ब्रा नहीं डाली थी। 
 
मैंने जैसे ही मम्मी के नंगे चूचों के दर्शन किए, मैं पागल सा हो गया और झट से हाथ में लेकर दबाने लगा और मंजू को किस करने लगा। मेरा और मम्मी का जिश्म तपते सूरज की तरह जलने लगा और हमें एसी में भी अपने जिश्म पर नमी महसूस होने लगी। फिर मैंने किस करते हुए मंजू को खड़ा किया और उसकी साड़ी को उसके गोल सुडौल बदन से अलग कर दिया। 

मंजू मदमस्त होकर मुझसे लिपट गई। उसे भी यही एहसास था की आज से मैं उसका बेटा नहीं उसका पति हूँ, जिसके साथ वो सुहागरात मना रही है। मैं मम्मी की हिरनी जैसी गर्दन को चूमने लगा और दोनों हाथों से पेटीकोट का नाड़ा पकड़कर खींच दिया। जैसे ही मैंने मम्मी के पेटीकोट का नाड़ा खींचा, मम्मी का पेटीकोट खुलकर सिर्फ़ दो सेकेंड में नीचे सरकते हुए मंजू के पैरों पर आ गिरा। मंजू की चिकनी गोरी टांगे अब नंगी हो चुकी थीं, और वो मेरे सामने सिर्फ़ पैंटी में थी। मम्मी को किस करते-करते मैंने भी अंडरवेर को छोड़कर बाकी सारे कपड़े उतार दिए। 

अब हम दोनों के जिश्म कुछ यूं मिलने लगे जैसे कोई दो गुलाब के फूल हों आपस में मिल चुके हो। हम दोनों पूरी गर्मी में आ चुके थे। मंजू की लण्ड की प्यासी चूत की तपन आज खुलकर बाहर आ रही थी। हम दोनों दुबारा बिस्तर पर एक दूसरे से लिपटकर लेट गये, और एक दूसरे के होंठों को बेतहाशा चूसने लगे, एक दूसरे के नंगे बदन पर हाथ फेर रहे थे, और एक दूसरे के नंगे बदन की हर एक इंच को चूम रहे थे। मंजू को चूमते हुए मैं मम्मी के चूचों से होते हुए उसकी जांघों की तरफ आ गया। 

मैंने मंजू की टांगों को पूरी तरह खोल दिया और पैंटी के ऊपर से एक किस मम्मी की चूत पर की तो मंजू के मुँह से एक धीमी सिसकारी निकली। फिर मैंने अपने दोनों हाथों से मम्मी की पैंटी के किनारों को पकड़ा और खींचते हुए पैंटी को मम्मी की टांगों में से निकाल दिया। जैसे ही मैं मम्मी की पैंटी को उतारने लगा तो मम्मी ने नीचे बिस्तर से अपनी गाण्ड उठाकर अपनी पैंटी उतारने में मेरी मर्द की। मैंने मम्मी की पैंटी उतारकर रूम में सोफे पर बैठी पूजा दीदी के ऊपर फैंक दी। 

अब मम्मी की नंगी एकदम सफाचट चिकनी चूत मेरी आँखों के सामने थी। मुझे अपनी चूत की ओर इस तरह देखते हुए मम्मी को अचानक शर्म आ गई और उसने अपने हाथों से अपनी चूत को ढक दिया। जब मैंने मम्मी की तरफ देखा तो उसने शर्म से मुश्कुराकर अपनी नज़रें दूसरी तरफ कर ली। फिर मैं मम्मी के पैरों का अंगूठा अपने हाथों में लिया और उसे मुँह में भरकर उसपर जीभ फेरने लगा। 


मंजू के मुँह से एकदम सिसकारी निकली-“ उफफफफफ्फ़…उफफफफफ्फ़ हइईईईई…” और मंजू सातवें आसमान पर पहुँच चुकी थी, उसकी तेज सांसों की वजह से उसकी छाती बहुत जोरों से ऊपर-नीचे हो रही थी। 
फिर मैं मम्मी की टांगों को चूमते हुए वहां आ गया, जहाँ मम्मी ने हाथ रखा हुआ था। जब मैंने मम्मी के हाथ के पास किस की तो मम्मी की सिसकारी निकल गई ‘आह्ह’, क्योंकि वो मम्मी की लाल परी के एकदम करीब था। फिर मैंने मम्मी के हाथ को धीरे से पकड़ा और साइड में कर दिया। मम्मी की पानी से भरी हुई लाल पंखुड़ियों वाली चूत नंगी हो गई, जिसे देखकर मेरे मुँह में पानी आ गया। 

फिर जब मैंने मम्मी की लाल परी पर किस की तो वो और भी गरमा गई और उसकी बेचैनी ने कंट्रोल खो दिया। मम्मी ने मेरा सर पकड़कर अपनी चूत की तरफ धकेल दिया और मेरे सिर को अपनी जांघों में छिपा लिया। मैं बेसबरों की तरह मम्मी की चूत को चाटने लगा, ठीक जैसे भंवरे फूलों का रस पी जाते हैं। मुझे मम्मी की चूत का स्वाद बिल्कुल मम्मी के नाम के जैसा लग रहा था। 

जैसे-जैसे मैं अपनी मम्मी की चूत को जोर-जोर से चाटने लगा, मम्मी पागल होकर सिसकारी मारने लगी और उसने अपने हाथों से मेरा सिर पकड़कर अपनी चूत पर कसकर दबा लिया और अपनी दोनों मोटी-मोटी जांघों से मेरे मुँह को जकड लिया। मैंने अपनी जीभ को जितना हो सकता था मम्मी की चूत के अंदर डाल दिया, और जीभ अंदर घुमा-घुमाकर चूत के अंदर चाटना शुरू कर दिया, कभी-कभी उसकी चूत की गुलाबी पंखुड़ियों को भी अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। 

थोड़ी देर के बाद मम्मी का शरीर एकदम से अकड़ गया, उसने कसकर मेरा मुँह अपनी चूत पर दबा दिया। मैं मम्मी की चूत में अपनी पूरी जीभ अंदर डालकर चाट रहा था, जिससे मम्मी मस्ती से सातवें आसमान पर थी। 

मम्मी अपनी चूत मुझसे चटवाते हुए मस्ती से सिसकती बोली-“हाई िी, ये क्या कर रहे हो? क्या मार ही डालोगे?” 

मैं-“क्या हुआ मेरी रानी? क्या तुम्हें मेरे इस तरह चाटने से मज़ा नहीं आ रहा?” 

मम्मी-“नहीं नहीं, ऐसी बात नहीं है। मज़ा तो इतना आ रहा है कि इतना मज़ा तो आज तक कभी नहीं आया। आज पहली बार कोई मेरी इस तरह से चाट रहा है…” 

मैं-“क्यों मेरी जान, क्या उस नामर्द, यानी के तेरे पहले पति ने कभी तेरी चूत को इस तरह से नहीं चाटा?” 

मम्मी-“नहीं नहीं, इस तरह मेरी चाटनी तो दूर, उसने कभी इस पर प्यार भी नहीं किया…” 

मैं-“साला नामर्द कहीं का। तेरे जैसी मस्त छमिया की जवानी का रस पीने की उस नामर्द में हिम्मत ही नहीं होगी, साला लगता है तुझे देखते ही उसका पानी निकल जाता होगा…” मैं मज़े के साथ अपने ही बाप को गालियां दे रहा था-“मेरी रानी अब देख तू ज़रा मैं कैसे तेरी इस मस्त जवानी का रस चूसता हूँ…” और मैं मम्मी की चूत से झटके दे-देकर पानी निकाल रहा था और चूत से निकला मीठा-मीठा रस मेरे पूरे मुँह में भर गया और मैं उस रस को जितना ज्यादा हो सकता था पी गया। 

जब मधु झड़कर शांत हो गई तो उसने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और मेरे लण्ड को पकड़कर उसके सुपाड़े को खोल लिया। फिर मम्मी ने झुक कर मेरे लण्ड का खुला हुआ सुपाड़ा पहले अपनी जीभ से चाटा और फिर उसको अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी। मैं मम्मी द्वारा लण्ड चुसाई से मिलता आनंद ले रहा था। अब जबकि मम्मी मेरा लण्ड अपने मुँह में भरकर चूस रही थी तो मुझे बहुत है आनंद मिला। मम्मी ने मेरे लण्ड को चूसते-चूसते धीरे-धीरे पूरा का पूरा लण्ड अपने मुँह में भर लिया और मेरा लण्ड मम्मी के गले से टकराने लगा और मम्मी मेरे लण्ड को अपने होंठों और हाथों से सहलाने लगी। मम्मी अपने हाथों से मेरे अंडों को पकड़कर सहला रही थी और साथ ही मेरा लण्ड चूस रही थी। 

मैं मज़े से पागल हुआ जा रहा था। मैंने सिसकारियाँ भरते हुए मधु से कहा-“आआह्ह… मोम उफ़फ्फ़ … क्या लण्ड चूसती हो तुम… और अंदर ले जाओ मोम… आह्ह… बहुत मज़ा आ रहा है। मोम मैं आज आपको जम कर चोदूंगा। बड़ी मस्त रांड़ हो तुम… मेरी छमिया, मेरी छम्मकछल्लो। आअह्ह…” 

मैं पूजा दीदी की ओर देखकर-“देख पूजा, तेरी मम्मी कितने प्यार से मलाई वाली कुल्फि खा रही है। ये तो ऐसे खा रही है ये कुल्फि की जैसे इसकी सारी मलाई ही खा जाएगी…” 

पूजा-“हाए पापा, आपकी ये कुल्फि नहीं कुलफा है। मम्मी तो क्या अगर मैं भी होती तो मैं भी इस मस्त कुलफा की मस्त मलाई खा जाती…” और इतना बोलते ही पूजा दीदी ने अपने होंठों पर जीभ फेरकर एक मस्त अदा से मुझसे कहा। 
 
मैं मज़े से पागल हुआ जा रहा था। मैंने सिसकारियाँ भरते हुए मधु से कहा-“आआह्ह… मोम उफ़फ्फ़ … क्या लण्ड चूसती हो तुम… और अंदर ले जाओ मोम… आह्ह… बहुत मज़ा आ रहा है। मोम मैं आज आपको जम कर चोदूंगा। बड़ी मस्त रांड़ हो तुम… मेरी छमिया, मेरी छम्मकछल्लो। आअह्ह…” 

मैं पूजा दीदी की ओर देखकर-“देख पूजा, तेरी मम्मी कितने प्यार से मलाई वाली कुल्फि खा रही है। ये तो ऐसे खा रही है ये कुल्फि की जैसे इसकी सारी मलाई ही खा जाएगी…” 

पूजा-“हाए पापा, आपकी ये कुल्फि नहीं कुलफा है। मम्मी तो क्या अगर मैं भी होती तो मैं भी इस मस्त कुलफा की मस्त मलाई खा जाती…” और इतना बोलते ही पूजा दीदी ने अपने होंठों पर जीभ फेरकर एक मस्त अदा से मुझसे कहा। 

मम्मी मेरी बात सुनकर और भी मस्ती से मेरे लण्ड को और अंदर तक लेकर चूसने लगी। फिर लण्ड बाहर निकालकर बोली-“ऊह्ह… सच में मेरे स्वामी, मैं तो आपके लण्ड की दीवानी हो चुकी हूँ। औरतों के शरीर में तीन छेद होते हैं जिसमें आदमी अपना लण्ड पेलता है। और आज मैं आपसे तीनों छेद चुदवाऊूँगी मेरे सैंया। 

बोलिए ना… पेलेगे ना अपना लण्ड मेरे सब छेदों में?” और मम्मी फिर से मेरे लण्ड को मुँह में लेकर चूसने लगी। 

मैं अपना लण्ड चुसवाते हुए-“हाँ मम्मी, मेरी रानी। मैं तो तुम्हें उस दिन से ही चोदना चाहता था, जिस दिन मैंने तुम्हारी नाज़ुक सी गोल मटोल गाण्ड पर अपना लण्ड लगाया था, वो भी मालिश के बहाने…” 

मंजू लण्ड चूसते हुए बोली-“मैं समझ गई थी मेरे सरताज । मुझे उसी दिन एहसास हो चुका था की आपका लण्ड मेरी चूत का दुश्मन बन चुका है…” 


मैं सिसकारी भरते हुये-“हाँ मोम, मुझे प्यार करो… मेरे लण्ड को प्यार करो मम्मी… मेरी बिल्लो रानी, मैं झड़ने वाला हूँ। आह्ह…” तभी मेरे लण्ड ने मम्मी के मुँह के अंदर ढेर सारा पानी छोड़ दिया। 

मम्मी मेरे लण्ड के पानी को बड़े आराम से पी गई। फिर भी, मेरे लण्ड का पानी मधु के मुँह से रिस-रिस कर उसके नथुनों से होकर उसकी चूचियों पर और मेरे पेट पर गिर गया। 

मम्मी को इस तरह मेरे लण्ड का मक्खन चटखारे लेते हुए खाते देखकर पूजा दीदी जो वहां बैठी ये सब देख रही थी उससे रहा नहीं गया और वो उठकर आई और पूजा दीदी ने अपने होंठ मम्मी के होंठों पर रख दिए और मम्मी और पूजा दीदी दोनों एक साथ मेरे लण्ड का मक्खन मस्ती से खाने लगी। पूजा दीदी ने मम्मी के गालों और चूचियों पर गिरे मेरे लण्ड के माल को चाट कर पूरी तरह से सॉफ कर दिया। 

थोड़ी देर के बाद जब वो मेरे लण्ड का मक्खन पूरी तरह से चट कर गई तो मम्मी फिर से मेरे लण्ड को चूमती हुए बोली-“मेरा बेटा अब जवान मर्द बन चुका है, मेरा खसम बन चुका है, और एक तंदुरुस्त जवान लण्ड से बहुत पानी निकलता है। म् म्म्मम… मुझे तुम्हारा लण्ड बहुत पसंद है। ये वाकई में एक जवान पुरुष का लण्ड है। आपके इस लण्ड को मैं हमेशा हमेशा के लिए अपनी चूत के अंदर रखना चाहूँगी। तुम चाहे जो भी करो, लेकिन मुझे अपने इस खूबसूरत लण्ड से जुदा मत करना, मेरे सैया ये आज आप वादा करो। मैं अपनी पूरी जिंदगी आपकी और आपके इस लण्ड की गुलाम, दासी और रखैल बनकर रहूंगी…” 

मैं मम्मी की बात सुनकर उसकी चूची को मसलते और चूसते हुए बोला-“मम्मी, अब मेरी जिंदगी का मकसद आज के बाद सिर्फ़ तुमको प्यार करना और चोदना रहेगा। तुमको जीवन में कभी कोई दुख नहीं दूंगा…” कहकर मैं मम्मी की चूची को खूब जोर-जोर से चूस रहा था और मैं यह उम्मीद कर रहा था कि मम्मी की चूची चूसने से उसकी चूची से दूध निकलेगा। मम्मी की चूची चूसाई से मम्मी की चूची से दूध नहीं निकला, लेकिन फिर भी मैं मम्मी की चूची को मसलता रहा और उनको अपने हाथों से पकड़कर चूसता रहा। 

हम लोग कुछ देर के लिए एक दूसरे की बाहों में लेटे रहे और अपनी-अपनी उखड़ी हुई सांसें संभालते रहे। साथ ही हम दोनों तरह-तरह की बातें भी कर रहे थे। 

मैं-मोम, मैं कितना खुशनसीब हूँ जो मुझे तुम्हारे जैसी सेक्सी माँ मिली, और अब आपके रूप में एक सेक्सी बीवी…” 

मम्मी मेरे लण्ड पर हाथ फेरते हुए-“मैं भी बहुत खुशनसीब हूँ, जिसे आप जैसा जवान मर्द मिला पति के रूप में। आपने मुझे अपने चरणों की दासी दासी बनाकर मुझ पर बहुत बड़ा उपकार किया। जो औरत सारी उमर मर्द के प्यार के लिए तड़पती रही, उसे आप जैसा जवान मर्द मिले प्यार करने को तो भला उस औरत को और क्या चाहिए?” 

मैं-“नहीं मेरी जान, तुम्हारी जगह मेरे चरणों में नहीं, मेरे दिल में है। मम्मी, मैं तुम्हें प्यार करना चाहता हूँ, ऐसा प्यार जो कभी किसी बेटे ने अपनी माँ के साथ नहीं किया होगा…” 

मम्मी-“मैं सिर्फ़ तुम्हारी हूँ मेरे राजा, जो मन में आए वो करो। और अब आप मुझे ये क्या मम्मी-मम्मी कह रहे हैं, अब मैं आपकी मम्मी थोड़े ही हूँ। अब तो मैं आपकी पत्नी हूँ…” 

मैं-“अच्छा मेरी जान, तुम मेरी मम्मी ना सही, पर मेरे होने वाले बच्चों की तो मम्मी तो हो ना?” और इतना कहकर मैंने मम्मी के निपल को पकड़कर जोर से मसल दिया। 

मम्मी दर्द से कराह उठी और बोली-“हाए उफफफ्फ़ धीरे… हाँ उफफफ्फ़, अब मैं आपके होने वाले बच्चों की मम्मी हूँ। मुझे तो लगता है की आप मुझे आज ही अपने बच्चों की मम्मी बना दोगे…” इतना कहकर मधु ने अपनी दोनों टांगे ऊपर को उठा लिया और दोनों टाँगों को पूरी तरह चौड़ी कर लिया। 

इस तरह से मंजू की चूत पूरी तरह से खुलकर मेरे सामने हो गई और मेरे लिए मम्मी की चूत में लण्ड डालना और भी आसान हो गया। मैंने मम्मी की खुली टाँगों के बीच बैठकर अपना लण्ड मम्मी की चूत पर टिका दिया। तभी पूजा दीदी अपनी जगह से उठी और मेरा लण्ड पकड़कर अच्छी तरह से मम्मी की चूत के ऊपर फिट कर दिया। 

मैं अपना लण्ड मम्मी की चूत के ऊपर रखकर धीरे-धीरे अंदर डालने लगा। मम्मी की चूत इस समय मुझको थोड़ी टाइट लग रही थी, लेकिन मैं धीरे-धीरे अपने हाथों से मम्मी के चिकने चूतड़ सहलाता रहा और कभी मम्मी की तरबूज जैसी मस्त गाण्ड पर थप्पड़ मार देता और कभी मम्मी की गाण्ड में अपनी उंगली डालने लगता। थोड़ी देर तक गाण्ड में उंगली करने के बाद मम्मी की चूत से पानी निकलने लगा और चूत गीली हो गई। मम्मी की चूत को गीला होते देखकर मैंने एक झटके के साथ अपना लण्ड पूरा का पूरा जड़ तक मम्मी की चूत में घुसेड़ दिया। 


चूत के अंदर जाते ही मम्मी ने नीचे से अपनी कमर उठाना शुरू कर दिया और मैं भी मम्मी के ऊपर से झटके दे-देकर अपना लण्ड मम्मी की चूत में अंदर-बाहर करने लगा। हम लोग एक दूसरे को चोद रहे थे और मैं ऊपर से धसका मारकर मम्मी को चोद रहा था और मम्मी नीचे से गाण्ड के धक्के मारकर अपनी गाण्ड उछालकर मुझे चोद रही थी। चोदते और चुदवाते समय हम एक दूसरे से मीठी-मीठी बातें भी कर रहे थे। 

मम्मी बोली-“उम्म… मेरे राजा, मेरे बलम, मेरे जानू, मैं कितना खुशनसीब हूँ की मेरी चूत में तेरा लण्ड जा रहा है। तेरा लण्ड बिल्कुल मेरी चूत की साइज़ का है…” 

मैं बोला-“मम्मी तुम सिर्फ़ मेरे लिए ही बनी हो और हमेशा रहोगी। देखो भगवान भी यही चाहता था की मेरी बन जाओ तभी वो नामर्द हिजड़ा तुम्हें छोड़कर चला गया…”


मम्मी-“हाँ मेरे राजा, मेरी इस जवानी को लूटने का हक शायद तुझे ही था। मैं कितनी खुश किस्मत हूँ जो मुझे तुझ जैसा गबरू जवान मर्द मिला। आज मैं तुम्हारे नीचे लेटकर धन्य हो गई…” 

मैं मम्मी की चूची को पकड़कर धसका मारते हुए बोला-“मोम, मैं सपने में भी नहीं सोच सकता था की एक दिन तुम्हारी चूत में अपना लण्ड डालकर तुम्हें चोद सकूँगा…”

मम्मी बोली-“हाए िी, क्या आपको मेरी चूत पसंद है?” 

मैं मम्मी की बात सुनकर बोला-“मेरी छम्मकछल्लो, तुम पसंद की बात कर रही हो, मेरा तो दिल करता है की तुम माँ बेटी की चूत के ऊपर से उतरूं ही नहीं, अपना लण्ड हमेशा तुम दोनों की चूत में डाले रहूँ…” 

मम्मी ने मुझसे पूछा और फिर से बोली-“देख, मुझको खुश करने के लिए झूठ मत बोलना…” 

मैं मम्मी की बात सुनते ही मम्मी के होंठों को चूमते हुए बोला-“मेरी जान, झूठ और वो भी तुमसे? अब से तुम दोनों माँ बेटी की चूत पर मेरा हक है, देखो मैंने अपने इस लण्ड से तुम्हारी बेटी की चूत पर दस्तख़त कर दिए और आज मैं तुम्हारी सुहगरात को ही तुम्हारी इस चूत पर अपने दस्तख़त कर दूंगा…”
 
मेरा मतलब था की मैंने पूजा दीदी को तो चोदकर अपना वीर्य दीदी के पेट में डालकर उसे अपने बच्चे की माँ बना दिया था और अब मैं मम्मी को चोदकर अपना वीर्य मम्मी के गर्भ में डालकर मम्मी को भी अपने बच्चे की माँ बना दूंगा।

मैं मम्मी की चूची को अपने हाथों से दबाते हुए बोला-“माँ, मैं तुमसे और तुम्हारी बेटी से प्यार करता हूँ और मेरे लिए तुम दोनों प्यार और सुंदरता की देवी हो। मैं तुम दोनों से हमेशा प्यार करता रहूँगा और जब-जब तुम चाहोगी मेरा लण्ड तुम्हारी चूत की सेवा के लिए तैयार रहेगा…” 

मम्मी मुश्कुरा कर बोली-“बस अब बहुत हो चुका है। चलिए अब मुझे जल्दी से चोदिए। हाँ जी … मैं अपनी चूत की खुजली से मरी जा रही हूँ। आप अपना लण्ड जड़ तक अंदर डालकर मेरी चूत के अंदर चल रही चींटयों को मार कर मुझे शांत कर दो। हाए चोदो मेरी चूत, खूब कसकर चोदो…” 

मैं मम्मी की चूत पर धक्के मारते हुए-“मोम, आज के बाद ना तो मैं तेरा बेटा हूँ और ना है तू मेरी माँ है। आज के बाद से तू मेरी पत्नी है और मैं तेरा पति। तुझे मैं अब रोज अपनी रांड़ बनाकर चोदूंगा…” 

मम्मी अपनी कमर उछालते हुए बोली-“आज की रात हमारी शादी की सुहगरात है। स्वामी, मैं वो सब काम करूँगी जो एक पत्नी अपने पति के लिए करती है। आपको जो भी पसंद है, मुझसे बोलिए, मैं आपकी हर बात मानने के लिये तैयार हूँ। आज से आप मेरे इस जिश्म के ही मालिक नहीं, मेरी रूह के भी मालिक हैं…” 

हम दोनों ने एक दूसरे को अपनी-अपनी बाहों में जकड रखा था और अपनी-अपनी कमर उठा-उठाकर एक दूसरे की चूत और लण्ड चोद रहे थे। मम्मी की इस चुदाई के पहले मेरा लण्ड एक बार मम्मी के मुँह में झड़ चुका था और इसलिए इस बार मम्मी की चूत चुदाई में मेरा लण्ड झड़ने में ज्यादा वक़्त ले रहा था। मम्मी की चूत अब तक की चुदाई में दो बार अपना पानी छोड़ चुकी थी। 

और मम्मी अपनी चुदाई की खुशी में पागल होती जा रही थी। मम्मी मुझको अपने हाथों से पकड़कर बेतहाशा चोद रही थी और मुझसे लिपट रही थी। ऐसा होता भी क्यों ना? नई दुल्हन नये-नये चुदाई के सुख से पागल हो रही है। जैसे-जैसे मम्मी मुझे नीचे से अपनी गाण्ड उठाकर चोद रही थी, मेरा खून भी खौल रहा था और मुझे अपने अंडों में तनाव महसूस होने लगा था। 

थोड़ी देर के बाद मेरे लण्ड ने मम्मी की चूत को चोदते-चोदते अपना पानी छोड़ दिया, मम्मी की चूत में। मम्मी की चूत में अपना पानी छोड़ने के बाद मैं मम्मी के ऊपर ही ढेर हो गया। मम्मी मेरे बालों में हाथ फेर रही थीं और कह रही थी-“हे जी, आप कितना अच्छा चोदते हो… मैं कितनी खुशकिस्मत हूँ, जो मुझे तुम्हारा लण्ड मिला…” 

मैंने मम्मी के गालों को चूमना शुरू कर दिया, उस वक़्त सुबह होने वाली थी और लगभग 4:25 बज रहे थे। मैंने मम्मी से एक सवाल पूछा-“मम्मी, क्या आप मेरा बच्चा पैदा करोगी?” 

तो मम्मी ने कहा-“ऐसे ही थोड़ी मैंने आपका पानी अपने अंदर लिया है। जब तुम मुझे इतना चाहते हो, अब जब हमारी शादी हो गई है और मैं आपकी बीवी बन गई हूँ तो मैं आपकी मेहनत को बेकार कैसे होने दूंगी? मैं तो आपके प्यार की निशानी को जन्म देकर अपने आपको भाग्यशाली समझूंगी …” कहकर मम्मी मुझे चूमने लगीं और कहने लगीं-“हाँ, मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बनूँगी, मैं तुम्हारे बच्चे पैदा करूँगी…” और फिर मम्मी अपने हाथों से मेरे लण्ड को सहला रही थीं। 

धीरे-धीरे मेरा लण्ड फिर से टाइट हो गया और हमने फिर से चूमना चाटना शुरू कर दिया। इस बार मैंने सोच लिया की मम्मी को डागी स्टाइल में चोदूंगा। जब मैंने देखा की मम्मी गरम हो चुकी हैं तो मैंने मम्मी से कहा-“आप उल्टी होकर लेट जाओ…” 

मम्मी ने कभी भी इस तरह की चुदाई नहीं करवाई थी और फिर मैंने बिस्तर पर उन्हें डागी स्टाइल में खड़ा कर दिया। मम्मी को बिस्तर पर घोड़ी बनाकर मैंने मम्मी से कहा-“माँ, जब तक मैं अपनी बीवी को घोड़ी ना बना लूँ, मेरी सुहगरात अधूरी रहेगी। तुम अब घोड़ी बन जाओ और अपने पति को घोड़ी पर सवार होने दो। मैं तेरे सेक्सी चूतड़ देखना चाहता हूँ, अपना लण्ड तेरी चूत में घुसता हुआ देखना चाहता हूँ…” 

मम्मी की गोरी गाण्ड हवा में उठी हुई देखकर मैं पागल हो गया और पेीछे जाकर लण्ड चूत में डालने लगा। लण्ड घुस गया, एक बार फिर से मम्मी की भीगी चूत में। मैंने आगे झुक के उसकी पीठ को चूम लिया और बगलों में हाथ डालकर चूची मसलने लगा। 

तो मम्मी बोली-“कर ले सवारी मेरे राजा, बना ले मुझे अपनी घोड़ी। बना ले मुझे अपनी कुतिया, अगर तेरा दिल करता है। लेकिन इस कुतिया को चोदो मेरे राजा। जोर से चोद अपनी कुतिया को राजा…” कहकर मम्मी अपनी गाण्ड पीछे धकेल रही थी और लण्ड चूत में ले-लेकर आनंद उठा रही थी। 

अब मेरे लण्ड का पानी फिर से छूटने को था। जब मैं मम्मी की चूत में पीछे से धसका मारता तो मेरे बाल्स मम्मी के चूतड़ से टकराने लगे थे। मैंने मम्मी के बालों को पकड़कर खींच लिया जैसे की मैं अपनी घोड़ी की लगाम खींच रहा हूँ। 

मम्मी-“उईईई माँ, हे जी मैं झड़ने को हूँ। हाय रब्बा, मेरी चूत पानी छोड़ने वाली है राजा। तेरी माँ, अरे नहीं नहीं जी, आपकी बीवी की चूत रस छोड़ रही है, पूजा के पापा। चोदो अपनी मंजू को। भर दो मेरी कोख राजा। मैं गई… हाय रब्बा मैं गई…” 

मैंने भी धक्के जोर से लगाने शुरू कर दिए, क्योंकि मेरे लण्ड से भी वीर्य निकलने लग गया था। अपनी सेक्सी घोड़ी की सवारी करते हुए मैं झड़ने लगा-“उििफ्र्फ… आअह्ह… हायइ… ऊऊह्ह… मैं गया मंजूउ… ओह्ह… माँ, मैं झड़ाऽ हाय मम्मीऽऽ…” 

लण्ड से पिचकारी चलने लगी, रस की धारा मम्मी की चूत में गिरने लगी और मैं पागलों की तरह चोदता चला गया। फिर मैं मम्मी की पीठ पर निढाल होकर गिर गया। सारी रात मैंने अलग-अलग स्टाइल में, कभी घोड़ी बनाकर, कभी अपने लण्ड पर बिठाकर, और कभी दीवार के सहारे खड़ी करके चोदता रहा और मम्मी भी पूरे जोश से मुझसे ताल से ताल मिलाकर मुझसे चुदवाती रही। 


पूरी रात मैं मम्मी को चोद-चोदकर थक गया। मैं और मम्मी पूरी रात चुदाई से थक गये थे। और पूजा दीदी जो हमारे सामने बैठी हमारी चुदाई से पूरी गरम होकर अपनी चूत का पानी अपनी उंगली से निकालकर, वो भी पूरी थक गई थी जिस कारण हम तीनों को कब नींद आ गई पता ही नहीं चला, और हम तीनों ऐसे ही नंगे साथ-साथ सो गये। 

हम सुबह 12:00 बजे तक सोते रहे। जब मैं उठा तो मम्मी नहाकर पहले ही जैसे कोई नई दुल्हन तैयार हो जाती है, बिल्कुल दुल्हन के रूप में खड़ी थी। मैं जब उठा तो मम्मी ने एक अच्छी बीवी का फर्ज़ निभाते हुए मेरे पांव छुए। 

मम्मी जैसे ही मेरे पांव छूने के लिए नीचे झुकी ही थी कि मैंने मम्मी को ऊपर उठाया और कहा-“अरे मम्मी, ये आप क्या कर रही हैं? आप मेरे पांव क्यों छू रही हैं?” 

मेरी बात सुनते ही मम्मी ने कहा-“ये क्या जी, अब तो ये मेरा धर्म है, अब आप मेरे स्वामी, मेरे मालिक हैं…” 

मम्मी को अपने गले से लगाकर मैंने कहा-“मंजू, आई लव यू। अब से मेरी लाइफ में तुम और पूजा हो और मैं ये उमीद करता हूँ की जब मैं पूजा दीदी को प्यार करूँगा तब तुम पूजा दीदी से जलन नहीं करोगी, कभी उसे अपनी सौतन मानकर पूजा दीदी से जलन नहीं करोगी, तुम्हारे और पूजा दीदी के आपस के सम्बंध जैसे पहले थे ऐसे ही रहेंगे…” 

मेरा इतना कहना ही था कि मम्मी तपाक से बोली-“ये आप क्या कह रहे हैं, मैं पूजा को अपनी सौतन क्यों मानूंगी? अब तो मेरा इससे प्यार और भी बढ़ गया है, पहले हम माँ बेटी थी और अब हम दोनों एक माँ बेटी नहीं बल्कि पूजा मेरी छोटी बहन है। अब हम दोनों बहनें आपकी पूरी तरह से सेवा करेंगी…” और मम्मी ने पूजा को अपने गले से लगा लिया और फिर मम्मी और पूजा दोनों एक दूसरे के होंठों को चूमने लगे। 


दीदी अभी एक महीने घर पर और हैं, इस एक महीने में मैंने दीदी की इतनी चुदाई की की मेरी इस चुदाई से दीदी का जिश्म इस एक महीने में इतना भर गया की अब दीदी की चूची भी मम्मी के जैसी ही बड़ी-बड़ी 38” साइज़ की और गाण्ड का साइज़ भी 40” हो गया। 


एक महीने के बाद जीजू आकर दीदी को ले गये। 

पूजा दीदी के जाने के बाद मैं मम्मी को लेकर किसी दूसरे शहर में चला गया और वहीं पर बिजनेस करने लगा। वहां पर मैंने मम्मी को अपने दोस्तों और स्टाफ में अपनी बीवी के रूप में परचित करवाया था और पूजा दीदी को मेरी बहन। 

मम्मी अब लोगों के सामने पूजा दीदी को जो की असल में उनकी बेटी थी, अपनी ननद बताती और पूजा दीदी सबके सामने मम्मी को भाभी बुलाती। आज मुझे मम्मी से शादी किए 5 साल हो गये और इन 5 सालों में पूजा दीदी और मोम मेरे दो-दो बच्चों की माँ बन गई थीं। 

इन 5 सालो में शायद ही कोई ऐसा दिन हो, जिस दिन मम्मी ने मुझसे चुदवाया ना हो। मम्मी आज भी मेरे दोनों बच्चो के सो जाने के बाद सारी रात नंगी होकर मुझसे चिपक कर सोती है। मम्मी ने मुझे इतना प्यार और सुख दिया, जो शायद मुझे कोई दूसरी औरत कभी न दे सकती। क्योंकि मम्मी ने हमेशा मेरी खुशी को अपना धर्म माना। मैंने मम्मी को जिस तरह चाहे और जैसे चाहे मम्मी ने अपने दर्द की परवाह किए बिना मुझसे चुदवाया। 

आज मैं अपने आपको खुश-किस्मत मानता हूँ की मुझे अपनी मम्मी जैसी पत्नी मिली। 

दोस्तो इस तरह इस कहानी को अपनी मंज़िल मिल गई कहानी कैसी लगी ज़रूर कमेंट करें 

समाप्त
 
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