hotaks444
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नरेश जो पहले से बुहत ज्यादा उतेजित था। वह कंचन की इस अदा से बिलकुल पागल हो गया और उत्तेजना के मारे उसने कंचन के सर को अपने दोनों हाथों में लेते हुए नीचे झुककर अपने होठ अपनी बहन कंचन के गुलाबी होठो पर रख दिये ।
कंचन नरेश के अचानक हमले से पहले तो बौखला गयी मगर उसको ही पल वह मज़े के सागर में डुबकियाँ लगाने लगी और उसके हाथ अपने आप नरेश के बालों में जाकर उसके बालों को सहलाने लगे।
नरेश कंचन के दोनों गुलाबी होंठो को बारी बारी चूस रहा था उसे कंचन के मीठे होंठ शहद से ज्यादा मजा दे रहे थे । नरेश न जाने कितनी देर तक वैसे ही अपनी बहन के होंठो को चूसते रहा । अचानक उसकी और कंचन की साँसें फूलने लगी जिस वजह से मजबूरी में उसे अपने होंठ कंचन के होंठो से हटाने पडा, एक दुसरे के होंठो के अलग होते ही कंचन और नरेश बुहत ज़ोर से हाँफने लगे। दोनों हाँफते हुए बुहत ज़ोर से साँसें ले रहे थे ।
सांसों के दुरुस्त होते ही दोनों की नज़रें जैसे ही आपस में मिली कंचन ने शर्म से अपनी नज़रों को नरेश की नज़रों के सामने से फेर लिया । नरेश समझ गया की कंचन को भी आगे बढ़ना है मगर वह शरमा रही है।
"दीदी फिर से सॉरी। मगर आपके होंठो का रस शहद से ज्यादा मीठा था" नरेश ने कंचन के सर को पकडकर अपनी तरफ करके अपने होंठो पर जीभ को फिराते हुए कहा ।
"भइया आप बुहत बदमाश हो। मेरे होंठ में भला कोई चीनी थी जो वह आपको मीठे लगे" कंचन ने अपनी आँखों को ऊपर करते हुए नरेश की तरफ देखते हुए कहा। उसका भी उत्तेजना के मारे बुरा हाल था उसकी चूत से इतना पानी निकल चूका था की उसकी पेंटी पूरी गीली हो चुकी थी ।
"दीदी कसम से आपके होंठ बुहत मीठे हैं। मेरा तो इन्हें छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था मगर" नरेश ने कंचन की बात सुनकर इतना ही कहा और चुप हो गया।
"भइया फिर आपने मेरे होंठो को क्यों छोड़ा?" कंचन ने नरेश की आँखों में देखते ही कहा।
कंचन की बात सुनकर नरेश की हालत और ज्यादा खराब हो गई और उसने अपने होंठो को फिर से कंचन के रसीले होंठो पर रख दिया और नरेश इस बार अपना पूरा मूह खोलकर कंचन के दोनों होंठो को चाट रहा था।चूस रहा था और कंचन भी उसका पूरा साथ दे रही थी।
कंचन नरेश के अचानक हमले से पहले तो बौखला गयी मगर उसको ही पल वह मज़े के सागर में डुबकियाँ लगाने लगी और उसके हाथ अपने आप नरेश के बालों में जाकर उसके बालों को सहलाने लगे।
नरेश कंचन के दोनों गुलाबी होंठो को बारी बारी चूस रहा था उसे कंचन के मीठे होंठ शहद से ज्यादा मजा दे रहे थे । नरेश न जाने कितनी देर तक वैसे ही अपनी बहन के होंठो को चूसते रहा । अचानक उसकी और कंचन की साँसें फूलने लगी जिस वजह से मजबूरी में उसे अपने होंठ कंचन के होंठो से हटाने पडा, एक दुसरे के होंठो के अलग होते ही कंचन और नरेश बुहत ज़ोर से हाँफने लगे। दोनों हाँफते हुए बुहत ज़ोर से साँसें ले रहे थे ।
सांसों के दुरुस्त होते ही दोनों की नज़रें जैसे ही आपस में मिली कंचन ने शर्म से अपनी नज़रों को नरेश की नज़रों के सामने से फेर लिया । नरेश समझ गया की कंचन को भी आगे बढ़ना है मगर वह शरमा रही है।
"दीदी फिर से सॉरी। मगर आपके होंठो का रस शहद से ज्यादा मीठा था" नरेश ने कंचन के सर को पकडकर अपनी तरफ करके अपने होंठो पर जीभ को फिराते हुए कहा ।
"भइया आप बुहत बदमाश हो। मेरे होंठ में भला कोई चीनी थी जो वह आपको मीठे लगे" कंचन ने अपनी आँखों को ऊपर करते हुए नरेश की तरफ देखते हुए कहा। उसका भी उत्तेजना के मारे बुरा हाल था उसकी चूत से इतना पानी निकल चूका था की उसकी पेंटी पूरी गीली हो चुकी थी ।
"दीदी कसम से आपके होंठ बुहत मीठे हैं। मेरा तो इन्हें छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था मगर" नरेश ने कंचन की बात सुनकर इतना ही कहा और चुप हो गया।
"भइया फिर आपने मेरे होंठो को क्यों छोड़ा?" कंचन ने नरेश की आँखों में देखते ही कहा।
कंचन की बात सुनकर नरेश की हालत और ज्यादा खराब हो गई और उसने अपने होंठो को फिर से कंचन के रसीले होंठो पर रख दिया और नरेश इस बार अपना पूरा मूह खोलकर कंचन के दोनों होंठो को चाट रहा था।चूस रहा था और कंचन भी उसका पूरा साथ दे रही थी।