hotaks444
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कंचन नरेश के लंड पर बुहत ज़ोर से ऊपर नीचे हो रही थी । जिस वजह से उसकी बड़ी बड़ी चुचियां विजय के सामने उछल रही थी । नरेश ने कंचन को कमर से पकड रखा था और उसे अपने लंड पर ऊपर नीचे करने में वह मदद कर रहा था, कंचन के भारी चूतडों को अपने लंड पर ऊपर नीचे होता हुआ देखकर नरेश का लंड कंचन की चूत में बुहत ज़ोर के झटके खा रहा था।
विजय अपनी बहन को ऐसे नरेश के लंड पर उछलता हुआ देखकर बुहत ज्यादा उत्तेजित होते हुए शीला की चूत में धक्के मारने लगा । विजय के लंड को बुहत ज़ोर से अपनी चूत में अंदर बाहर होने से शीला के मुँह से सिस्कियाँ निकल रही थी ।
कंचन इतनी देर से अपने भाई और शीला को देखकर गरम हो चुकी थी। इसीलिए नरेश के लंड पर उछलते हुए उसकी चूत से बुहत ज्यादा पानी निकल रहा था और कुछ ही देर में उसका पूरा जिस्म अकडने लगा।
कंचन झरने के बिलकुल क़रीब थी। इसीलिए वह नरेश के लंड पर बुहत तेज़ी के साथ उछल रही थी । कंचन के मूह से उत्तेजना के मारे बुहत ज़ोर किस सिस्कियाँ निकल रही थी और उसका पूरा जिस्म पसीने से भीग चूका था।
"आह्ह्ह्हह आहह भैया ओहहहह मैं झर रही हू" कंचन अचानक अपनी आँखें बंद करके पागलो की तरह नरेश के लंड पर उछलते हुए झरने लगी ।
विजय अपनी बहन को झडता हुआ देखकर अपने आपको भी रोक नहीं पाया और हाँफते हुए शीला की चूत में अपना वीर्य गिराने लगा । शीला अपनी चूत में विजय का गरम वीर्य को महसूस करते ही खुद भी आँखें बंद करके झरने लगी ।
विजय पूरी तरह झरने के बाद शीला से अलग होते हुए बेड पर सीधा लेट गया । शीला भी विजय के साथ साइड में लेट गई, कंचन पूरी तरह झरने के बाद नरेश के ऊपर से उठते हुए उसकी साइड में लेटकर हांफ रही थी, नरेश अभी तक झडा नहीं था इसीलिए वह उठकर कंचन की टांगों के बीच आ गया।
विजय अपनी बहन को ऐसे नरेश के लंड पर उछलता हुआ देखकर बुहत ज्यादा उत्तेजित होते हुए शीला की चूत में धक्के मारने लगा । विजय के लंड को बुहत ज़ोर से अपनी चूत में अंदर बाहर होने से शीला के मुँह से सिस्कियाँ निकल रही थी ।
कंचन इतनी देर से अपने भाई और शीला को देखकर गरम हो चुकी थी। इसीलिए नरेश के लंड पर उछलते हुए उसकी चूत से बुहत ज्यादा पानी निकल रहा था और कुछ ही देर में उसका पूरा जिस्म अकडने लगा।
कंचन झरने के बिलकुल क़रीब थी। इसीलिए वह नरेश के लंड पर बुहत तेज़ी के साथ उछल रही थी । कंचन के मूह से उत्तेजना के मारे बुहत ज़ोर किस सिस्कियाँ निकल रही थी और उसका पूरा जिस्म पसीने से भीग चूका था।
"आह्ह्ह्हह आहह भैया ओहहहह मैं झर रही हू" कंचन अचानक अपनी आँखें बंद करके पागलो की तरह नरेश के लंड पर उछलते हुए झरने लगी ।
विजय अपनी बहन को झडता हुआ देखकर अपने आपको भी रोक नहीं पाया और हाँफते हुए शीला की चूत में अपना वीर्य गिराने लगा । शीला अपनी चूत में विजय का गरम वीर्य को महसूस करते ही खुद भी आँखें बंद करके झरने लगी ।
विजय पूरी तरह झरने के बाद शीला से अलग होते हुए बेड पर सीधा लेट गया । शीला भी विजय के साथ साइड में लेट गई, कंचन पूरी तरह झरने के बाद नरेश के ऊपर से उठते हुए उसकी साइड में लेटकर हांफ रही थी, नरेश अभी तक झडा नहीं था इसीलिए वह उठकर कंचन की टांगों के बीच आ गया।