Incest Kahani परिवार(दि फैमिली) - Page 30 - SexBaba
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Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)

हाँ दीदी आप सही कह रही हैं हम चिल्ला देंगे" शीला ने भी कंचन का साथ देते हुए कहा।
"तो चिल्लाओ किसने रोका है" विजय ने आगे बढ़कर कंचन की नाइटी को पकडकर ज़ोर से खींचते हुए कहा। । कंचन की नाइटी बुहत पतली थी विजय के ज़ोर देने पर वह फटकर कंचन के जिस्म से अलग हो गई ।
"देखो भाई मैं सच कह रही हूँ । मैं चिल्ला दूंगी मुझे छोड दो" कंचन ने अपने हाथों से अपनी बड़ी बड़ी चुचियों को छुपाते हुए कहा । कंचन की नाइटी उतरने के बाद उसकी बड़ी बड़ी चुचियाँ उसकी ब्रा में ही आधी नंगी होकर विजय और नरेश के सामने आ गयी थी। जिन्हें वह अपने हाथों से ढकने की कोशिश कर रही थी।

"नरेश यह सिर्फ धमकियाँ दे रही हैं कुछ नहीं करेंगी। आप भी शीला दीदी की नाइटी को उतारो। साले ऐसे क्या मेरी दीदी के जिस्म को घूर रहे हो" विजय ने नरेश को चुपचाप खडे कंचन को घूरता हुआ देखकर उसे टोकते हुए कहा।
"हाँ भैया अभी उतारता हूँ" नरेश ने विजय की बात सुनकर अपनी नज़रों को कंचन के जिस्म से हटाते हुए कहा ।

"नही भैया मेरी नाइटी को मत फाड़ना। मेरे पास एक ही है" शीला ने नरेश को अपनी तरफ आता हुआ देखकर चिल्लाते हुए कहा।
"दीदी फिर क्या हुआ वैसे भी अब आपको हर रात नंगा ही सोना पडेगा" नरेश ने शीला की तरफ बढते हुए मुसकुराकर कहक़।
"भइया एक मिनट रुको।इसे मैं खुद उतार देती हूँ" अचानक शीला ने नरेश से कहा ।
"दीदी आप क्या कह रही हो" कंचन ने शीला की तरफ गुस्से से देखते हुए कहा।
"दीदी हमारे पास और कोई रास्ता नहीं है" शीला ने कंचन की तरफ देखते हुए कहा।
"दीदी यह हुयी न बात आप कंचन से ज्यादा चालाक है" विजय ने शीला की तारीफ करते हुए कहा।

"विजय तुम्हें तो मैं देख लूंग़ी" कंचन ने विजय की तरफ गुस्से से देखते हुए कहा।
"दीदी आप गुस्से में कितनी अच्छी लगती हो। मैं भी तो आपको देखने दिखाने आया हूँ" विजय ने अपनी बहन की बात सुनकर हँसते हुए कहा ।
"दीदी आप अपनी नाइटी जल्दी से उतार दो। यह दोनों बहन भाई आपस में ऐसे ही प्यार करते है" नरेश ने शीला को चुप खडा देखकर कहा । शीला नरेश की बात सुनकर अपनी नाइटी को उतारने लगी।
 
"नरेश शीला दीदी का जिस्म भी कुछ कम नहीं है इसे देखकर तो मेरा मन ख़राब हो रहा है" विजय ने शीला की नाइटी उतरने के बाद उसकी तरफ घूरते हुए कहा।

"थैंक्स यार पर मुझे तो कंचन दीदी का भरा हुआ जिस्म देखकर कुछ हो रहा है" नरेश ने कंचन की तरफ देखते हुए कहा।
"चुप हो जाओ तुम दोनों क्या कह रहे हो" कंचन ने अचानक गुस्से से चिल्लाते हुए कहा।
"नरेश अभी तो दोनों को हमने पूरा नंगा नहीं देखा है। पूरा जिस्म देखने के बाद ही पता चलेगा की कौन ज्यादा ख़ूबसूरत है" विजय ने कंचन के चिल्लाने की कोई परवाह न करते हुए नरेश से कहा ।
"हाँ विजय तुमने सही कहा । चलो जल्दी से इनके कपडे उतारते है" नरेश ने विजय की बात सुनकर हँसते हुए कहा और दोनों अपनी बहनों की तरफ बेड की तरफ बढ़ने लगे।
"ठहरो तुम दोनों हमें थोडा टाइम दो" अचानक शीला ने चिल्लाते हुए कहा।

"हम्म्म्म शीला तुम बुहत चालाक हो । जल्दी से कंचन को समझाओ जब तक हम बेड पर लेटते हैं" विजय ने शीला की बात सुनकर कहा और नरेश के साथ बेड पर जाकर बैठ गया।
"कंचन दीदी यह दोनों वैसे भी मानने वाले नहीं हैं । हमें इनकी बात माननी होगी" शीला ने कंचन को समझाते हुए कहा ।
"दीदी यह गलत कर रहे है" कंचन ने गुस्सा करते हुए कहा।
"कंचन तुम कुछ ज्यादा ही नखरे दिखा रही हो । तुम भी तो मजा लेना चाहती थी। इसी तरह वह भी मजा लेने के लिए यह सब कर रहे है" शीला ने कंचन की बात सुनकर अपना मुँह बनाते हुए कहा।

"लेकिन दोनों के सामने मुझे नंगा होने में शर्म आ रही है" कंचन ने शीला की बात सुनकर कहा।
"दीदी वह दोनों हमारे भाई हैं और वैसे भी वह हमें आधा नंगा तो देख चुके हैं आओ अब शर्म छोड़ो" शीला ने कंचन का हाथ पकडते हुए बेड की तरफ ले जाते हुए कहा ।
"नरेश लगता है वह दोनों मान गई" विजय ने दोनों को बेड की तरफ आता हुआ देखकर खुश होते हुए कहा।
"शीला क्या हुआ तुम दोनों ने क्या फैसला किया?" नरेश ने दोनों के बेड के पास आते ही सवाल किया।
 
"हम दोनों राज़ी हैं मगर हमारी भी एक शर्त है जब तक हम नहीं कहेंगी आप दोनों हमें हाथ नहीं लगाओगे" कंचन ने इस बार बोलते हुए कहा।
"ये क्या शर्त हुई" विजय ने बीच में बोलते हुए कहा।
"हाँ हमें मंज़ूर है तुम दोनों जल्दी से नंगी हो जाओ" नरेश ने विजय की बात को काटते हुए कहा ।
"नरेश यह ज़रूर कोई चालाकी कर रही है" विजय ने फिर से नरेश से कहा।
"अरे यार इस में कौन सी चालाकी हो सकती है । तुम चुप हो जाओ" नरेश ने विजय को डाँटते हुए कहा । विजय को मजबूरन नरेश के सामने चुप होना पडा।

"शीला दीदी पहले आप अपने कपड़े उतारिये" कंचन ने शीला की तरफ देखते हुए कहा।
"दीदी आप मेरे ब्रा के हुक खोल दें" शीला ने कंचन की बात सुनकर अपनी पीठ को कंचन की तरफ करते हुए बोली । कंचन शीला की ब्रा को अपने हाथों से खोलने लगी, विजय की हालत शीला की तरफ देखते हुए खराब होती जा रही थी ।
कंचन ने ब्रा के हुक खोलकर शीला की ब्रा को उसके जिस्म से हटा दिया । शीला की ब्रा तो उतर गयी मगर उसकी पीठ बेड की तरफ होने की वजह से विजय को कुछ भी नज़र नहीं आ रहा था।
"शीला अब सीधी हो जाओ। क्यों इतना नखरा कर रही हो" नरेश को कंचन का नंगा जिस्म देखने की जल्दी से जिस वजह से उसने शीला को टोकते हुए कहा।

शीला अपने भाई की बात सुनकर सीधा होने लगी । शीला सीधा तो हो गई मगर उसके हाथ उसकी चुचियों के सामने थे।
"शीला दीदी अपने हाथ तो हटाओ ना" विजय से रहा नहीं गया और उसने शीला को देखते हुए कह दिया,
"शीला दीदी अब हाथ हटाओ न देख नहीं रही हो साला की तुम्हें देखने के लिए मरा जा रहा है" नरेश ने अपनी बहन को देखते हुए कहा ।
 
"भइया मुझे बुहत शर्म आ रही है" शीला ने अपना सर नीचे करते हुए कहा।
"यार तुम अपनी आँखों को बंद कर लो फिर तुम्हें शर्म नहीं आएगी" नरेश ने अपनी बहन को सलाह देते हुए कहा।
"ठीक है भइया" शीला ने अपने भाई की बात मानते हुए अपनी आँखों को बंद करते हुए अपने दोनों हाथों को अपनी चुचियों से हटाकर अपनी आँखों पर रख दिये ।
"क्या यार तेरी बहन की चुचियां तो बुहत मस्त है मेरा दिल तो इन्हें छुने का हो रहा है" विजय ने शीला की चुचियों के नंगा होते ही उत्तेजना के मारे शीला की तरफ देखते हुए कहा।
"साले तुम्हें किसने रोका है आ ज़रा नज़दीक से देख ले" नरेश ने अपनी बहन के बाज़ू को पकडते हुए उसे बेड पर बिठाते हुए कहा ।
शीला अपने बाज़ू को खींचने से लडख़ड़ाती हुयी बेड पर गिर गयी और उसके दोनों हाथ उसकी आँखों से हटी गये।
"नरेश भैया आप उसकी इजाज़त के बिना उसे नहीं छु सकते" कंचन ने अचानक चिल्लाते हुए कहा।

"सॉरी दीदी मगर जब तक आप दोनों पूरी नंगी नहीं हो जाती हमें अपने हाथों का इस्तेमाल तो करना पडेगा" कंचन की बात सुनकर विजय ने मुस्कराते हुए कहा ।कंचन अपने भाई की बात सुनकर चुप हो गयी,
"भइया आप बुहत बेशरम हो गये हो । अपनी बहन का नंगा जिस्म अपने दोस्त को दिखाते हुए तुम्हें शर्म नहीं आती" शीला ने अपनी आँखें खोलकर नरेश को डाँटते हुए कहा ।

"शीला दीदी मैं कोई पराया थोडे हूँ जैसे यह तुम्हारा भाई है वेसे में भी हूँ" विजय ने शीला की बात सुनकर उसे समझाते हुए कहा।
"पता है मुझे तुम ऐसा क्यों बोल रहे हो" शीला ने विजय को टोकते हुए कहा।
"अरे दीदी आप समझदार हो । हम जीतनी शर्म कम करेंगे उतना ज्यादा मजा ले पाएँगे" विजय ने शीला के बिलकुल नज़दीक आते हुए कहा ।
"क्या चाहते हो भैया। हमारी चुचियों को तो ऐसे घूर रहे हो जैसे खा ही जाओगे" शीला ने विजय को अपनी चुचियों की तरफ घूरता हुआ देखकर कहा।
"मेरी तो चाहत कब से इन्हें खाने का है मगर मैं इन्हें छु नहीं सकता" विजय ने अपनी जीभ को निकालकर अपने होंठो पर फिराते हुए कहा।
 
"भइया आप तो बुहत बदमाश हो। कंचन दीदी की चुचियों से मन नहीं भरा क्या जो मेरे पीछे पड़े हो" शीला ने अपने हाथों से अपनी चुचियों को छूपाकर मुस्कराते हुए कहा।
"दीदी यह मरद होते ही ऐसे हैं इनका मन एक जगह नहीं भरता" कंचन ने उनदोनों की बाते सुनकर अपने भाई को टोकते हुए कहा ।
"कंचन दीदी आप लड़कियां भी कुछ कम नहीं हो। तुम्हारा मन तो हर किसी के लंड को लेने का होता है मगर डरती हो की कहीं किसी पता न लग जाए" विजय ने अपनी बहन को करारा जवाब देते हुए कहा।

"दीदी आप इसे छोड़ो और मुझसे बात करो। यह साला मेरी बहन को देखकर पागल हो गया है" इस बार नरेश ने बीच में बोलते हुए कहा।
"हाँ हाँ जाओ मुझे तो सिर्फ शीला दीदी से बात करनी है" विजय ने कंचन को चिढाते हुए कहा ।
"मुझे भी तुमसे बात करने का कोई शौक नहीं है नरेश भैया है न मुझसे बात करने के लिये" कंचन विजय की बात सुनकर जल उठी। इसीलिए उसने विजय को जलाने के लिए सीधा जाकर नरेश के पास बैठ गई।

"दीदी आप का जिस्म कितना गोरा और भरा हुआ है मुझे तो आप दुनिया की सब से अच्छी लड़की नज़र आती हो" नरेश ने कंचन को अपने पास बैठने से उसकी तारीफ करते हुए कहा।
"क्या कहा नरेश भैया। मैं आपको इतनी अच्छी लगती हू" कंचन ने नरेश की बात सुनकर खुश होने की एक्टिंग करते हुए कहा ।

"हाँ दीदी । मैं सच कह रहा हूँ क्या मैं आपकी चिकनी जाँघ को हाथ लगा सकता हूँ" नरेश ने कंचन की गोरी चिकनी जाँघ की तरफ देखते हुए कहा।
"हाँ भैया। आपको मैं कैसे रोक सकती हूँ ।आप मेरी इतनी तारीफ कर रहे हो । मैं आपके लिए इतना तो कर सकती हूँ" कंचन ने नरेश की बात सुनकर वैसे ही एक्टिंग करते हुए कहा।

नरेश को अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था । उसने कंचन की बात सुनते ही अपना हाथ उसकी जाँघ पर रख दिया और वह कंचन की मोटी मखमली जाँघ को अपने हाथों से सहलाने लगा । शीला अपने भाई को कंचन के पीछे ऐसे लटू होते देखकर बुहत गुस्सा आ रहा था। मगर वह कुछ कर भी नहीं सकती थी ।
"शीला दीदी देखो वहां तुम्हारी सहेली को। तुम्हारे भैया का साथ दे रही है तुम क्यों इतना शर्मा रही हो" विजय ने जानबूझकर शीला को जलाते हुए कहा।
"भइया शायद आप सही कह रहे हो" शीला ने अपने हाथों को अपनी चुचियों से हटाते हुए कहा।
 
दीदी यह हुई न बात क्या मैं आपकी इन नरम नरम गोरी चुचियों को छु सकता हूँ" विजय ने मौके का फ़ायदा उठाते हुए कहा।
"हाँ भैया क्यों नहीं आप मेरे लिए इतना मर रहे हो। क्या मैं आपका इतना भी ख्याल नहीं रख सकती" शीला ने विजय की बात सुनते ही मुस्कराते हुए कहा ।
"दीदी आप सच में बुहत अच्छी हो" विजय शीला की बात सुनकर खुश होते हुए बोला और अपने दोनों हाथों को आगे बढाते हुए शीला की दोनों गोरी चुचियों को पकड लिया।
"आहहह भैया आराम से आपका हाथ कितना सख्त है" शीला अपनी चुचियों पर विजय के हाथ पडते ही सिसकते हुए बोली।

"ओहहहहह दीदी आपकी चुचियां कितनी छोटी और नरम हैं आअह्ह्ह मेरा मन इन्हें चूमने का कर रहा है" विजय ने शीला की दोनों चुचियों को अपने दोनों हाथों से मसलते हुए कहा । शीला की चुचियां छोटी होने के कारण विजय के हाथों में पूरी तरह समां रही थी ।
"आआह्ह्ह भैया आपकी हरक़तों से मुझे कुछ हो रहा है" शीला ने सिसकते हुए कहा।
"दीदी प्लीज एक बार चूमने दो न। आपको अगर बुरा लगा तो मैं फिर नहीं चूमूंगा" विजय ने शीला की चुचियों को वैसे ही अपने हाथों से मसलते हुए कहा।

"आह्ह्ह्ह भैया आपको जैसे अच्छा लगे करो । मगर मुझसे बैठा नहीं जा रहा है" शीला ने वैसे ही सिसकते हुए कहा।
"ओहहहह दीदी आप मेरी गोद में आ जाओ ना" विजय ने अपने हाथों को शीला की चुचियों से हटाते हुए उसके सर को पकडकर अपनी गोद पर रखते हुए कहा ।
"आहहह भैया आप कितने अच्छे हो" शीला ने विजय की गोद में सर रखकर लेटते हुए कहा मगर अगले ही पल उसे वहां पर अपना सर रखकर जो गलती की थी उसका अहसास हो गया । शीला जहां पर अपना सर रखे हुए थी उसके नज़दीक ही विजय के अंडरवियर में उसका लंड पूरी तरह तनकर झटके खा रहा था।

विजय शीला को अपनी गोद में सुलाते ही नीचे झुककर उसकी एक चूचि को अपने हाथ से पकडकर अपने होंठो से चूम लिया और कुछ देर तक उसे चूमने के बाद अपना मूह खोलते हुए उसकी चूचि के दाने को अपने मूह में भरकर चूसने लगा।
"आहहह बदमाश क्या कर रहे हो तुमने सिर्फ चूमने को कहा था" शीला विजय के मुँह में अपनी चूचि के जाते ही सिसकते हुए बोली ।
"ओहहहह दीदी क्या करू आपकी चूचि का रस इतना मीठा है की मुझे उसे चूसने का मन कर रहा है" विजय ने शीला की चूचि को अपने मूह से निकालते हुए कहा।
"भइया आप झूठ बोल रहे हो । मेरी चुचियों में रस कहाँ है" शीला ने विजय की बात सुनकर मुस्कराते हुए कहा।
 
दीदी सच कह रहा हूँ आपकी चुचियों में बुहत रस है जो बिल"दीदी यह हुई न बात क्या मैं आपकी इन नरम नरम गोरी चुचियों को छु सकता हूँ" विजय ने मौके का फ़ायदा उठाते हुए कहा।
"हाँ भैया क्यों नहीं आप मेरे लिए इतना मर रहे हो। क्या मैं आपका इतना भी ख्याल नहीं रख सकती" शीला ने विजय की बात सुनते ही मुस्कराते हुए कहा ।
"दीदी आप सच में बुहत अच्छी हो" विजय शीला की बात सुनकर खुश होते हुए बोला और अपने दोनों हाथों को आगे बढाते हुए शीला की दोनों गोरी चुचियों को पकड लिया।
"आहहह भैया आराम से आपका हाथ कितना सख्त है" शीला अपनी चुचियों पर विजय के हाथ पडते ही सिसकते हुए बोली।

"ओहहहहह दीदी आपकी चुचियां कितनी छोटी और नरम हैं आअह्ह्ह मेरा मन इन्हें चूमने का कर रहा है" विजय ने शीला की दोनों चुचियों को अपने दोनों हाथों से मसलते हुए कहा । शीला की चुचियां छोटी होने के कारण विजय के हाथों में पूरी तरह समां रही थी ।
"आआह्ह्ह भैया आपकी हरक़तों से मुझे कुछ हो रहा है" शीला ने सिसकते हुए कहा।
"दीदी प्लीज एक बार चूमने दो न। आपको अगर बुरा लगा तो मैं फिर नहीं चूमूंगा" विजय ने शीला की चुचियों को वैसे ही अपने हाथों से मसलते हुए कहा।

"आह्ह्ह्ह भैया आपको जैसे अच्छा लगे करो । मगर मुझसे बैठा नहीं जा रहा है" शीला ने वैसे ही सिसकते हुए कहा।
"ओहहहह दीदी आप मेरी गोद में आ जाओ ना" विजय ने अपने हाथों को शीला की चुचियों से हटाते हुए उसके सर को पकडकर अपनी गोद पर रखते हुए कहा ।
"आहहह भैया आप कितने अच्छे हो" शीला ने विजय की गोद में सर रखकर लेटते हुए कहा मगर अगले ही पल उसे वहां पर अपना सर रखकर जो गलती की थी उसका अहसास हो गया । शीला जहां पर अपना सर रखे हुए थी उसके नज़दीक ही विजय के अंडरवियर में उसका लंड पूरी तरह तनकर झटके खा रहा था।

विजय शीला को अपनी गोद में सुलाते ही नीचे झुककर उसकी एक चूचि को अपने हाथ से पकडकर अपने होंठो से चूम लिया और कुछ देर तक उसे चूमने के बाद अपना मूह खोलते हुए उसकी चूचि के दाने को अपने मूह में भरकर चूसने लगा।
"आहहह बदमाश क्या कर रहे हो तुमने सिर्फ चूमने को कहा था" शीला विजय के मुँह में अपनी चूचि के जाते ही सिसकते हुए बोली ।
"ओहहहह दीदी क्या करू आपकी चूचि का रस इतना मीठा है की मुझे उसे चूसने का मन कर रहा है" विजय ने शीला की चूचि को अपने मूह से निकालते हुए कहा।
"भइया आप झूठ बोल रहे हो । मेरी चुचियों में रस कहाँ है" शीला ने विजय की बात सुनकर मुस्कराते हुए कहा।कुल मीठा है" विजय ने शीला की आँखों में देखते हुए कहा।
"भइया आप भी न छोड़ो अब। आप जब इन्हें अपने मुँह में लेते हो मुझे अपने पूरे जिस्म में कुछ होने लगता है" शीला ने विजय की आँखों में देखते हुए कहा ।
"दीदी बस एक बार और इन्हें चूसने दो" विजय ने बच्चे की तरह ज़िद करते हुए कहा।
"भइया आप ऐसे नहीं मानेंगे अच्छा बस एक बार ही" शीला ने विजय के सामने हार मानते हुए कहा । विजय की आँखें शीला की बात सुनकर चमक उठी।

विजय ने शीला की चूचि को फिर से अपने मुँह में भर लिया और ज़ोर से चूसने लगा । विजय इस बार कुछ देर तक शीला की चूचि के दाने को चाटने के बाद उसकी चूचि को पूरा अपने मुँह में भरकर चूसने लगा,
"ओहहहह भइया अब छोड़ो ना" शीला की हालत विजय से चूचि के चुसवाते हुए बुरी होती जा रही थी इसीलिए वह ज़ोर से सिसकते हुए कहा रही थी ।
विजय तो जैसे पागल ही हो चूका था। वह शीला की चूचि को ज़ोर से चूस रहा था । अचानक विजय ने शीला की चूचि को अपने मूह से निकाल दिया और उसकी दूसरी चूचि को अपने मुँह में भरकर चूसने लगा।

"आहहह भैया ओह्ह्ह्हह" शीला की मुँह से ज़ोर से सिस्कियाँ निकल रही थी और उसने अपने हाथ को विजय के बालों में डाल दिया था जिन्हें वह सहला रही थी।
"दीदी देखो तो कैसे बेशर्मों की तरह दीदी की चुचियों को चूस रहा है" अचानक नरेश ने अपने हाथ से विजय और अपनी दीदी की तरफ इशारा करके कंचन को ज्यादा जलाने की कोशिश करते हुए कहा ।
"हाँ नरेश भैया यह तो सच में पागल हो गया है" कंचन ने गुस्सा होते हुए कहा।
"दीदी यह दोनों ऐसे मज़े ले रहे हैं और हम बस इन्हें देख रहें है" नरेश ने अपने हाथ से शीला की जाँघ को सहलाते हुए अपने हाथ को उसकी पेंटी तक ले जाते हुए कहा।

"क्या मतलब भइया" कंचन ने अचानक चौकते हुए नरेश के हाथ को अपने हाथ से पकडकर कहा।
"दीदी मेरा मतलब है क्या मैं आपकी चुचियों को भी नहीं देख सकता" नरेश ने कंचन की आँखों में देखते हुए कहा।
"भइया क्यों नहीं देख सकते। जब यह इतने बेशरम हो सकते हैं तो हम थोडी बुहत मस्ती तो कर सकते है" कंचन ने नरेश की बात सुनकर मुस्कराते हुए कहा ।
 
कंचन अपने भाई को शीला की चुचियों को चूसते हुए देखकर बुहत ज्यादा जल रही थी। जिस वजह से उसने नरेश को हाँ कह दिया।
"दीदी आप अपनी ब्रा को उतार दो ना" नरेश ने कंचन को विजय की तरफ घूरते हुए देखकर कहा।
"भइया आप ही खोल दो ना" कंचन ने नरेश की बात सुनकर अपनी पीठ को उसकी तरफ करते हुए कहा ।


"दीदी आप बुहत अच्छी हो अभी उतार देता हूँ" नरेश कंचन की बात सुनकर ख़ुशी से उछलता हुआ बोला ।नरेश ने अपने दोनों हाथ आगे बढाते हुए कंचन की ब्रा के हुक खोल दिए।
"दीदी मैंने पीछे से खोल दिया है" नरेश ने अपने हाथों को वापस नीचे करते हुए कहा । नरेश का उत्तेजना के मारे बुरा हाल था उसका लंड कंचन की नंगी चुचियों को देखने के ख़याल से ही ज़ोर से उछल रहा था।

कंचन विजय की बात सुनकर सीधा होने लगी । कंचन अब सीधे नरेश के सामने बैठी थी मगर उसकी ब्रा अभी तक उसकी चुचियों में अटकी हुयी थी।
"दीदी अब तो ब्रा को हटा दो ना" नरेश ने कंचन को देखते हुए कहा । नरेश कंचन की नंगी चुचियों को देखने के लिए मरा जा रहा था ।
"भइया मुझे शर्म आ रही है आप खुद ही हटा दो" कंचन ने अपना सर झुकाते हुए कहा।
"दीदी आप भी न । मैं अभी हटाता हूँ" नरेश ने अपने हाथों को आगे बढाते हुए कंचन की चुचियों से उसकी ब्रा को खींचकर उसके जिस्म से अलग कर दिया।

कंचन ने जैसे ही देखा के नरेश अपने हाथ से उसकी ब्रा को उसकी चुचियों से हटाने वाला है उसने शर्म के मारे अपनी आँखों को बंद कर लिया।
"दीदी मैं बता नहीं सकता आपकी चुचियां कितनी ज्यादा सूंदर हैं" नरेश ने कंचन की बडी बड़ी गोरी चुचियों के नंगा होते ही अपने गले में थूक को गटकते हुए कहा । कंचन की चुचियों को देखकर नरेश का लंड उत्तेजना के मारे बुहत ज्यादा तनकर उसके अंडरवियर में झटके मार रहा था ।
 
दीदी आपने अपनी आँखें क्यों बंद कर ली हैं?" नरेश ने कंचन की आँखों को बंद देखकर उससे सवाल किया।
"भइया मुझे शर्म आ रही है" कंचन ने वैसे ही अपनी आँखों को बंद किये हुए कहा।
"अरे दीदी जितना ज्यादा शर्म करोगी उतना ही तुम्हारा नुकसान होगा" नरेश ने कंचन की बात सुनकर उसकी चुचियों को घूरते हुए कहा ।
"भइया आपको मेरी कितनी चिंता है" कंचन ने अचानक अपनी आँखों को धीरे धीरे खोलते हुए कहा।
"दीदी आपकी चुचियां कितनी बड़ी और सीधी हैं मुझे तो यह बुहत ज्यादा अच्छी लग रही है" नरेश ने कंचन की चुचियों की गौर से देखते हुए कहा।

"भइया आप भी न मेरी इतनी तारीफ मत करो। मुझे शर्म आ रही है" कंचन ने नरेश की बात सुनकर शर्म से अपना कन्धा नीचे करते हुए कहा।
"अरे दीदी आप हो ही इतनी सूंदर तो आपकी तारीफ ही करूँगा ना" नरेश ने अपने हाथ को आगे करते हुए कंचन के सर को पकडकर ऊपर करते हुए कहा ।
"भइया आप बुहत अच्छे हो" कंचन ने नरेश की आँखों में देखते हुए कहा।
"दीदी देखो आपके होंठ कितने गुलाबी और सेक्सी है" नरेश ने अपनी ऊँगली को कंचन के होंठो पर रखकर फिराते हुए कहा।
 
"आह्ह्ह्ह भैया क्या कर रहे हो मुझे गुदगुदी हो रही है" कंचन ने सिसकते हुए कहा । अपनी ऊँगली को कंचन के होंठो पर फेरते हुए नरेश के पूरे जिस्म में भी गुदगुदी और अजीब मज़े का अहसास हो रहा था।
"दीदी आप मेरी गोद में आ जाओ न मैं आपके जिस्म को क़रीब से देखना चाहता हू" नरेश ने कंचन के होठो से अपनी ऊँगली को हटाकर उसके काँधे पर फिराते हुए कहा ।

विजय और शीला अब चुपचाप कंचन और नरेश को देख रहे थे । शीला विजय की गोद में लेटी हुयी थी । और विजय उसकी चुचियों के दाने को अपनी उँगलियों से मसलते हुए अपनी बहन और नरेश को देख रहा था।
"भइया आपके हाथ से मुझे पूरे जिस्म में कुछ हो रहा है" कंचन ने नरेश की बात मानकर उसकी गोद में अपना सर रखकर लेटते हुए कहा ।
"दीदी आप चुपचाप लेट जाओ । थोड़ी ही देर में आपको मजा आने लगेंगा" नरेश ने कंचन को अपनी गोद पर सर रखकर सोते ही कहा । नरेश ने अपनी ऊँगली को कंचन के काँधे से नीचे ले जाते हुए उसकी बड़ी बड़ी चुचियों के उभारों के बीच तक आ गया । और अपनी ऊँगली को कंचन की चूचीयों के बीच में फिराने लगा।

"दीदी आपकी चुचियां कितनी नरम है" नरेश ने अपनी ऊँगली को वैसे ही कंचन की चुचियों के बीच फिराते हुए कहा।
"हाहहह भैया मुझे अपने जिस्म में कुछ हो रहा है" कंचन ने नरेश की ऊँगली को अपनी चुचियों के बीच महसूस करते ही सिसककर कहा ।
"आह्ह्ह्ह दीदी आपकी चुचियों का दाना तो कितना सख्त है" नरेश ने अचानक अपनी ऊँगली को कंचन की एक चूचि के दाने पर रखते हुए कहा और उसे अपनी दोनों उँगलियों के बीच लेकर दबाने लगा।

"ओहहहह आह भैया यह क्या कर रहे हो" कंचन ने अपनी चूचि के दाने को दबने से ज़ोर से सिसकते हुए कहा
"दीदी कहा न चुप हो जाओ और मजा लो" नरेश ने कंचन की एक चूचि के दाने को अपने हाथों से मसलने के बाद उसकी दूसरी चूचि के दाने को ज़ोर से दबाते हुए कहा ।
"उईई भैया आराम से दर्द हो रहा है" नरेश के हाथों से अपने चूचि का दाना ज़ोर से मसलने से कंचन ने हल्का चीखते हुए कहा।
"सॉरी दीदी में कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो गया था" नरेश ने कंचन से माफ़ी माँगते हुए कहा।
"कोइ बात नहीं भैया" कंचन ने नरेश की आँखों की तरफ घूरकर मुस्कुराते हुए कहा और अपनी एक आँख को बंद करते हुए नरेश को आँख मार दी।
 
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