Incest Kahani परिवार(दि फैमिली) - Page 40 - SexBaba
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Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)

कंचन ने भी अब कोई विरोध नहीं किया और शावर के पानी से अपने पिता के साथ नहाने लगी । मुकेश ने नहाते हुए साबुन उठा लिया और अपनी बेटी की पीठ पर मलने लगा, मुकेश साबुन को कंचन के चिकने पीठ पर मलते हुए नीचे होते हुए उसके दोनों चूतडों तक आ गया और अपनी बेटी के दोनों नर्म चूतडों पर साबुन को मलते हुए उन्हें अपने दुसरे हाथ से दबाने लगा ।

"आआह्ह्ह पिता जी क्या कर रहे हो । बस साबुन लगा लिया ना" कंचन ने सिसकते हुए कहा।
"बेटी थोडा झुक जाओ तुम्हारा हाथ इधर नहीं पुहंच पाता। इसीलिए यहाँ पर थोड़ी गंदगी है मैं इसे साफ़ कर देता हुँ" मुकेश ने अपनी ऊँगली को कंचन के गांड के बीच फिराते हुए कहा ।

"ओहहहहह पिता जी" कंचन ने थोडा झुकते हुए सिसककर कहा । मुकेश अब साबुन को अपनी बेटी के गांड के छेद से नीचे ले जाकर उसकी चूत तक मलने लगा। मुकेश के ऐसा करने से कंचन के मुँह से ज़ोर की सिसकियाँ निकल रही थी । मुकेश थोडी देर तक अपनी बेटी के चूतडों को सही तरीके से साफ़ करने के बाद उठकर खडा हो गया ।

मुकेश अब साबुन को अपनी बेटी की दोनों बड़ी बड़ी गोरी चुचियों पर मलने लगा । मुकेश साबुन को अपनी बेटी की चुचियों पर मलते हुए उन्हें अपने हाथ से भी दबा रहा था।
"आजहहहह पिता जी क्या कर रहें हैं आप" मुकेश के ऐसा करने से कंचन के मुँह से बुहत ज़ोर की सिस्कियाँ निकल रही थी, मुकेश अब साबुन को कंचन के चिकने गोरे पेट पर मलते हुए नीचे ले जाने लगा ।

मुकेश का हाथ अब उसकी बेटी की चूत की हलकी झाँटों तक आ गया था । कंचन ने मज़े के मारे अपनी आँखें बंद कर दी थी । वह अपने पिता की हरक़तों से बुहत ज्यादा गरम हो चुकी थी, मुकेश अब साबुन को अपनी बेटी की चूत पर मल रहा था और कंचन मज़े से सिसक रही थी ।

मुकेश ने कुछ देर तक अपनी बेटी की चूत को साबुन से साफ़ करने के बाद साबुन को नीचे रख दिया और कंचन की चूत को गौर से देखते हुए अपने होंठो को उसकी चूत पर रख दिया।
"ओहहहहहह पिताजी क्या कर दिया आपने" अपने पिता के होंठो को अचानक अपनी चूत पर महसूस करते ही कंचन ने ज़ोर से सिसकते हुए कहा ।
 
मुकेश अपनी बेटी को कोई जवाब दिए बगैर उसकी चूत को चूमते और चाटते हुए उसकी चूत पर गिरता हुआ पानी भी चाटने लगा । कंचन की हालत बुहत ख़राब हो चुकी थी । उसका पूरा बदन तपकर आग बन चूका था, मुकेश ने अचानक अपनी एक ऊँगली को अपनी बेटी की चूत के छेद में ड़ालते हुए उसकी चूत के दाने को अपने मुँह में ले लिया और उसे बुहत ज़ोर से चूसने लगा ।

कंचन अपने पिता की यह हरकत बर्दाशत न कर सकी और उसका पूरा जिस्म काँपने लगा।
"आह्ह्ह्ह ओहहह पिता जी ओह्ह्ह्हह्ह्" कंचन ने ज़ोर से सिसकते हुए अपने पिता को बालों से पकडकर अपनी चूत पर दबा दिया और उसकी चूत झटके खाते हुए पानी छोड लगी, मुकेश अपनी बेटी की चूत का रस शावर के गिरते हुए पानी के साथ चाटने लगा ।

कंचन कुछ देर तक यों ही अपनी आँखें बंद करके झरने लगी।
"बेटी क्या हुआ मजा आया?" कुछ देर बाद जब कंचन ने अपनी आँखें खोली तो मुकेश ने उठकर उसके सामने खडा होते हुए पूछा।
"पिताजी" कंचन ने अपने पिता को अपनी बाहों में भर लिया और दोनों बाप बेटी एक दुसरे के होंठो को चूमने लगे ।
मुकेश का लंड बहुत ही कड़क हो चूका था।जिसे कंचन अपने कोमल हाथो से सहला रही थी।मुकेश ने कंचन को धीरे से घुटनो पर बिठा दिया और अपना लंड अपनी बेटी के होंठो पर रगड़ने लगा।कंचन अपने पिता के लंड को उछलता हुआ देखकर उसको अपने मुँह में भरकर चूसने लगी।मुकेश अपनी बेटी की गरम मुँह में अपना लंड जोर जोर से पेलने लगा।कंचन अपने बाप के लंड को तेजी से चूसने लगी। 5 मिनट अपनी बेटी के मुँह को चोदने के बाद मुकेश ने अपनी बेटी के मुँह अपने गाढ़े वीर्य से भर दिया जिसे कंचन पूरा चाट गई।

फिर बाप बेटी नंगे ही एक दूसरे को चूमने लगे।
कुछ देर तक ऐसे ही एक दुसरे के होंठो से खेलने के बाद दोनों फ्रेश होकर बाथरूम से निकल गए ।

कंचन ने बाहर आते ही अपने कपडे पहने और अपने पिता के कमरे से निकलकर अपने कमरे की तरफ जाने लगी ।


विजय और शीला भी घर लौटने के लिए एक बस में चढ़ गए मगर बस में बुहत ज्यादा भीड़ थी । जिस वजह से दोनों को खडे होकर ही सफ़र करना पड़ा। शीला को खडे हुए अभी ज्यादा देर भी नहीं हुई थी की उसे पीछे से किसी ने धक्का मार दिया ।

शीला ने गुस्से में अपने पीछे की तरफ देखा।
"मैडम मैंने धक्का नहीं मारा । वह पीछे से किसी ने मारा था" शीला के पीछे एक बूढा खडा था । जिसने शीला को गुस्से में अपनी तरफ देखकर कहा तभी पीछे से किसी ने दूसरा धक्का मार दिया और वह बूढा सीधा शीला के ऊपर आ गिरा।
"सॉरी मैडम फिर से किसी ने धक्का दिया" उस बूढ़े ने अपने हाथों से शीला के दोनों कांधों को पकडे हुए उसके चुचियों के नंगे उभारों को घूरते हुए कहा ।

शीला ने गुस्से में उस बूढ़े को पकडकर अपने आप से दूर झटक दिया और विजय को उस तरफ करके खुद विजय की जगह ख़ड़ी हो गयी । शीला को अब कुछ सुकून महसूस हो रहा था क्योंकी उसे अब पीछे से कोई धक्का नहीं मार रहा था और उसके पीछे भी एक लड़का चश्मा पहने हुए खडा था जो सुरत से बुहत शरीफ दिख रहा था ।
 
शीला को सुकून से खडे हुए अभी कुछ ही देर हुई होगी की उसे अपने चूतडों पर किसी के हाथ का स्पर्श महसूस हुआ । शीला ने जैसे ही पीछे की तरफ मुड़कर देखा उसके चूतडों से हाथ हट गया मगर उसके पीछे खडा हुआ वह चश्मू शीला को देखकर मुस्कुरा रहा था। शीला समझ गयी की यह उसी की हरकत थी जिसे वह शरीफ समझ रही थी वह भी हरामी निकला ।


शीला बस में कोई हंगामा खडा करना नहीं चाहती थी इसीलिए उसने चश्मू को देखकर गुस्से से अपना चेहरा फिर से दूसरी तरफ कर लिया । कुछ देर तक तो शीला को कुछ महसूस नहीं हुआ मगर थोडी देर बाद फिर से वही हाथ का स्पर्श उसे अपने चूतडों पर महसूस हुआ। शीला को कुछ समझ में नहीं आ रहा था की वह क्या करे ।


शीला ने एक बार फिर अपना मुँह घुमाते हुए उस चश्मू को देखा मगर इस बार उस हरामी ने शीला के देखने की भी कोई परवाह नहीं की और मुस्कराते हुए शीला के चुतड़ो को सहलाने लगा, शीला ने गुस्से से उस चश्मू का हाथ पकडकर अपने चूतडों से दूर झटक दिया ।


शीला ने उस चश्मू का हाथ अपने चुतडो से हटाने के बाद फिर से अपना मुँह दूसरी तरफ कर लिया । कुछ देर तक शीला को फिर से उस चश्मू ने हाथ लगाने की हिमत नहीं की। शीला ने भी मन ही मन में शुकर अदा किया की चलो अब बाकी का सफ़र उसे कोई तंग नहीं करेगा ।


कुछ देर सुकून से रहने के बाद उसने महसूस किया की उसके पीछे कोई चिपककर खडा है । शीला ने जैसे ही पीछे मुड़ने की कोशिश की तो उसके चूतड़ उसके पीछे खड़े आदमी की पेण्ट से जा टकराये और वह पीछे न मुड सकी।

"मैंडम बुहत ज्यादा भीड़ है पीछे मत मुडो" शीला के पीछे से किसी ने उसे समझाते हुए कहा ।


शीला चुपचाप सीधी होकर खड़ी हो गई । कुछ देर बाद ही उसने महसूस किया की उसके चूतडो पे कोई चीज़ चूभ रही है । शीला को यह समझने में देर न लगी की वह क्या है । इसीलिए वह थोडा आगे सरक गयी मगर दुसरे ही पल उसके चूतड़ों पर फिर से वही स्पर्श होने लगा, शीला के पास अब आगे सरकने की जगह भी नहीं थी। वह विजय से बिलकुल सटकर खड़ी थी जिस वजह से उसकी चुचियां विजय के सीने से टकरा रही थी।
 
"तुम्हारे पीछे वही चश्मू है अब तुम कुछ नहीं कर सकती। इसीलिए चुपचाप खड़ी होकर मज़े लो देखो की वह क्या करता है" विजय भी जो इतनी देर से सारा तमाशा देखकर मज़े ले रहा था उसने शीला के कान में कहा । शीला विजय की बता सुनकर हैंरान रह गयी मगर उसके पास इसके अलावा कोई रास्ता नहीं था इसीलिए वह चुपचाप होकर खड़ी हो गई ।


वह चश्मू लड़का शीला का कोई विरोध न पाकर बुहत खुश हो गया और उसने अपने लंड को शीला के चूतडों पर ज़ोर से दबाते हुए अपना हाथ से शीला के एक हाथ को पकड़ लिया । शीला ने भी अपना हाथ उससे छुड़ाने की कोई कोशिश नहीं की, विजय का लंड भी यह सब देखकर उसकी पेण्ट में उठ चूका था ।


विजय ने भीड़ का फ़ायदा उठाते हुए अपनी पेण्ट की ज़िप को खोल दिया और शीला का दूसरा हाथ पकड़कर अपने खडे लंड पर रख दिया । शीला अचानक अपने हाथ को विजय के गरम नंगे लंड पर महसूस करके कांप उठी। उसने खवाब में भी नहीं सोचा था की बस में भी विजय ऐसा करने की हिम्मत करेगा ।


"विजय तुम क्या कर रहे हो किसी ने देख लिया तो" शीला ने अपने हाथ को विजय के लंड से हटाकर उसके कान में बड़बड़ाते हुए कहा।

"दीदी तुम डरो मत इतनी भीड़ में हमें कोई नहीं देख सकता। वैसे भी तुम मेरे और उसके बीच में फँसी हुई हो" विजय ने शीला के हाथ को फिर से अपने लंड पर रखते हुए कहा ।


शीला समझ गयी की विजय ऐसे नहीं मानेगा। इसीलिए वह अपने हाथ से उसके लंड को सहलाने लगी । बस में इतनी ज्यादा भीड़ थी के किसी का धयान भी उसकी तरफ नहीं जा रहा था और वह खडी भी इस पोजीशन में थे की उन्हें कोई नहीं देख सकता था । मगर वह चश्मू जो शीला के पीछे खडा था सब कुछ देख रहा था।


शीला का हाथ विजय के लंड पर देखकर चश्मू का लंड भी झटके खाने लगा और उसने भी अपना हाथ शीला के हाथ से हटाते हुए अपनी पेण्ट की ज़िप खोल दी । शीला अचानक अपने हाथ से उस लड़के के हाथ के हटते ही सोचने लगी की अचानक उसे क्या हो गया कहीं वह खलास तो नहीं हो गया मगर अगले ही पल उसके पूरे जिस्म को चीटींया काटने लगी और उसका अंग अंग गरम होने लगा ।
 
चश्मु ने अपनी पेण्ट की ज़िप खोलने के बाद शीला के हाथ को पकडकर अपने नंगे लंड पर रख दिया था। शीला को अपने हाथ में बुहत गरम और सख्त चीज़ महसूस हो रही थी वह समझ गयी थी की वह क्या है इसीलिए उसका पूरा जिस्म गरम हो गया था, वह चाह कर भी अपने हाथ को वहां से हटा नहीं पा रही थी क्योंकी उसे उस चश्मू का लंड पर अपना हाथ रखे हुए एक अन्जाना मजा आ रहा था ।


शीला की साँसें बुहत ज़ोर से चल रही थी और उसकी चूत से उत्तेजना के मारे पानी टपकने लगा था । विजय भी यह सब देख रहा था जिस वजह से उसका लंड भी बुहत ज़ोर के झटके खा रहा था, शीला के दोनों हाथों में लंड थे वह भी एक बस में मगर उसे डर से ज्यादा एक्साईटमेंट फील हो रही थी ।


शीला ने अपने दोनों हाथों से अब उन दोनों के लन्डों को सहलाना शुरू कर दिया था । उस चश्मू का तो मज़े के मारे बुरा हाल था वह अपने लंड पर शीला के नरम हाथ को आगे पीछे होता हुआ महसूस करके मज़े से हवा में उड़ रहा था, अचानक शीला ने महसूस किया की एक हाथ उसकी नंगी कमर से होता हुआ उसकी साड़ी के अंदर जाकर उसके नंगे चिकने पेट को सहला रहा है।


शीला ने जैसे ही नीचे देखा वह हाथ पीछे से आ रहा था जो उसके पेट को सहला रहा था । इसका मतलब वह हाथ उसके पीछे खड़े हुए आदमी का था । शीला भी बुहत गरम हो चुकी थी इसीलिए वह चुपचाप अपने दोनों हाथों से दोनों लन्डों को सहलाते हुए पीछे खड़े हुए आदमी के हाथ को अपने नंगे पेट पर महसूस करके मज़ा लेने लगी ।


वह हाथ कुछ देर तक शीला के पेट को ऊपर से नीचे तक सहलाने के बाद नीचे होता हुआ उसकी साड़ी के अंदर घुस गया और शीला के पेटिकोट के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा । शीला जो पहले से ही बुहत ज्यादा गरम थी अचानक पीछे खडे हुए आदमी की इस हरकत से सिहर उठी और उसकी चूत से मज़े के मारे ज्यादा पानी टपकने लगा ।
 
शीला की पेंटी तो उसके चूत के पानी से पहले ही गीली हो चुकी थी। मगर अब उस शख्स का हाथ अपनी चूत पर लगते ही शीला का पेटिकोट भी उसके चूत के पानी से गीला होने लगा और उस आदमी का हाथ भी उसकी चूत के पानी से गीला होने लगा ।


चशमु का लंड अपने हाथ पर शीला की चूत का पानी महसूस करके और ज्यादा मोटा और गरम होकर झटके खाने लगा । शीला का हाथ उसके लंड को पकडे हुए आगे पीछे कर रहा था, शीला उस लंड को बिना देखे ही अपने हाथ में लेकर यह जान चुकी थी की उस शख्स का लंड बुहत मोटा और लम्बा है ।


विजय भी सब कुछ देख रहा था जब से उस शख्स का हाथ शीला की चूत की तरफ गया था तब से शीला के हाथ की पकड उसके लंड पर मज़बूत हो गई थी और वह उत्तेजना के मारे बुहत ज़ोर से विजय और उस चश्मू के लन्डों को आगे पीछे कर रही थी ।


विजय भी झरने के क़रीब आ चुका था इसीलिए उसने अपने एक हाथ से शीला की चूचि को पकड लिया । और साड़ी के ऊपर से ही उसे सहलाने लगा । शीला का भी उत्तेजना के मारे बुरा हाल था।उसकी साँसें बुहत ज़ोर से चल रही थी वह किसी भी वक्त झड़ सकती थी इसीलिए उसका हाथ दोनों लन्डों पर बुहत ज़ोर से चल रहा था ।


अचानक उस शख्स के हाथ की रगड शीला की चूत पर तेज़ हो गई और उसका लंड भी ज्यादा कड़क हो गया । शीला समझ गयी की वह झरने वाला है इसीलिए वह जीतनी तेज़ी के साथ उसके लंड को सहला सकती थी सहलाने लगी, विजय का हाथ भी अब शीला की चूचि पर ज़ोर से चलने लगा क्योंकी वह भी झडने वाला था।


शीला ने भी अब मज़े से अपनी आँखें बंद कर ली थी क्योंकी उसके पेटिकोट और पेंटी के गीले होने की वजह से उस चश्मू का हाथ उसे अब सीधा अपनी चूत पर लगता हुआ महसूस हो रहा था।

"आआह्ह्ह मैडम" अचानक पीछे खडे शख्स ने अपना मुँह शीला के कान से सटाकर हलकी आह्ह्ह भरते हुए कहा और उसका हाथ शीला की चूत पर बुहत तेज़ी के साथ चलने लगा । शीला ने महसूस किया की उसके हाथ में कोई गरम चीज़ गिर रही है वह समझ गयी की वह शख्स झड़ चूका है ।
 
"आह्ह्ह्ह दीदी" दुसरे ही पल विजय ने भी हलकी सिसकि ली और उसके हाथ की पकड भी शीला की चूचि पर ज्यादा मज़बूत हो गई । शीला को अपने दुसरे हाथ में भी किसी गरम गरम चीज़ के गिरने का अहसास हुआ । शीला का पूरा जिस्म भी अकडकर काम्पने लगा और उसकी चूत भी झटके खाते हुए झडने लगी ।


शीला ने झरते हुए मज़े से अपने होंठो को अपने दांतों के बीच दबा लिया था क्योंकी वह कोई आवाज़ नहीं करना चाहती थी । जीतनी देर तक उसकी चूत से पानी निकलता रहा वह अपने दोनों हाथों से विजय और उस चश्मू के लंड को सहलाती रही, थोडी देर बाद जब उसने पूरी तरह झडने के बाद अपनी आँखें खोली तो उसको अहसास हुआ की उसके दोनों हाथों में उनदोनों के लंड झडकर मुरझा चुके हैं ।


शीला ने जल्दी से अपने दोनों हाथों को उन दोनों के लन्डों से अलग कर दिया । अपने लंड से शीला का हाथ हटते ही उस चश्मू ने अपना हाथ भी उसकी साड़ी के अंदर से निकाल दिया और अपने गीले हाथ को सूँघते हुए चाटने लगा, शीला ने अपने दोनों हाथों को अपनी पर्स में से रुमाल निकालकर साफ़ कर दिया ।


विजय और चश्मू ने अपने लन्डों को अंदर डालकर अपनी पेन्टस की जीपों को बंद कर दिया था और अब तीनों बिलकुल शांत होकर बस में खडे थे।

"मैंडम आपकी चूत के पानी की महक लाजवाब और उसका ज़ायक़ा बुहत शानदार और टेस्टी था। मैं तो आपके हुस्न का दीवाना हो गया हूँ" अचानक उस चश्मू ने अपना मूह शीला के कान के क़रीब लाते हुए कहा ।


"जो हुआ सो हुआ अब सब कुछ भूल जाओ" शीला ने भी धीरे से उसे समझाते हुए कहा।

"मैंडम अब ऐसे कैसे भूल सकता हूँ मैं आपको जो चाहिए दे सकता हूँ मगर एक बार मैं आपके जिस्म को जी भरकर भोगना चाहता हूँ" उस शख्स ने फिर से शीला के कान में कहा ।


"अपना मूह बंद करो वरना अभी शोर मचा कर तुम्हारी पिटायी करा दूंगी" शीला ने उस शख्स को धमकी देते हुए कहा । वह शख्स शीला की धमकी से डर गया और चुपचाप दूर होकर खडा हो गया, थोड़ी ही देर में बस का स्टोप आ गया और सब लोग बस में से उतरने लगे। शीला और विजय भी बस में से उतर गए ।
 
शीला दीदी बेचारा चश्मू तो तेरा दीवाना हो गया" विजय ने घर की तरफ बढ़ते हुए शीला को चिढाते हुए कहा।

"तुम चुप करो तुम्हारी वजह से ही मुझे वह सब करना पडा" शीला ने गुस्से में विजय की तरफ देखते हुए कहा।

"वाह उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे। उस वक्त तुम तो साले चश्मू के हाथ से अपनी चूत को मज़े से मसलवा रही थी" विजय ने शीला की बात सुनकर कहा ।


"ठीक है। मैं अब उस बारे में कोई बात नहीं करना चाहती" शीला ने विजय की तरफ देखते हुए कहा।

"ठीक है दीदी जैसे आपकी मर्ज़ी मगर मुझे तो उस चश्मू बेचारे पर रहम आ रहा है" विजय ने फिर से मुस्कराते हुए कहा।

"तो ले जाओ न तुम्हारी बहन कंचन को उसके पास। मेरे पीछे क्यों पड़े हो" शीला ने गुस्से से विजय से कहा।


"ओहहहह शीला दीदी तुम नहीं जानती अगर तुम्हारी जगह कंचन भी होती तो मुझे कोई ऐतराज़ नहीं होता बल्कि मैं तो खुद उसे चश्मू से चुदवाता" विजय ने हँसते हुए कहा।

"तुम तो बड़े बेशरम हो गये हो। जाओ मैं तुमसे बात नहीं करती" शीला ने गुस्से से विजय से कहा और घर की तरफ बढ़ने लगी ।


विजय और शीला घर पुहंचकर अपने अपने कमरों में चले गए । रेखा कुछ देर तक शीला से बाते करने के बाद उसके कमरे से निकलकर अपने कमरे में जाने लगी, रेखा ने अपने कमरे के क़रीब पुहंचकर जैसे ही दरवाज़े को धक्का दिया तो वह खुल गया वह समझ गयी की उसकी बेटी वहां से चलि गयी है ।
 
रेखा ने दरवाजा खोला और अंदर दाखिल हो गई वह अपने पति मुकेश के पास बेड पर जाकर बैठ गयी जो सामने बेड पर लेटा हुआ था।

"डालिंग क्या हुआ कैसी लगी अपनी बेटी की जवानी?" रेखा ने बेड पर बैठते ही मुकेश से पुछा।

"ओहहहहह डार्लिंग जब माँ ही इतनी हॉट और सेक्सी है तो उसकी बेटी तो एटम बम ही होगी ना" मुकेश ने रेखा का जवाब देते हुए कहा ।


"ह्म्म्म तो आपने अपनी बेटी का पूरा रस चख ही लिया" रेखा ने खुश होते हुए कहा।

"हाँ डार्लिंग मैंने अपनी प्यारी बेटी को पूरी तरह से भोग लिया" मुकेश ने अपनी पत्नी से कहा और उसे सारी बात डिटेल में बता दिया की कैसे उसने और उसकी बेटी ने आपस में मज़े किये ।


"डालिंग यह तो बुहत अच्छा हुआ की कंचन और तुम्हारे बीच की सारी झिझक ख़तम हो गई मगर अभी मुझे तुम्हारे सामने विजय से चुदवाना है और तुम्हें उसके सामने कंचन को चोदना है" रेखा ने अपने पति के तरफ देखकर मुस्कराते हुए कहा।

"डालिंग यह तुम क्या कह रही हो और तुम ऐसा क्यों करना चाहती हो?" मुकेश ने हैंरान होते हुए कहा।


"मेरे प्यारे पतिदेव क्या हम सारी ज़िंदगी छुपकर एक दुसरे से चुदवाते रहेंगे जबकी हम सब एक दुसरे के बारे में अच्छी तरह से जानते है" रेखा ने मुकेश को समझाते हुए कहा।

"मगर यह सब हम दीदी के जाने के बाद कर सकते है" मुकेश ने रेखा को सलाह देते हुए कहा।

"उसके जाने के बाद हमें बाबू जी को भी अपने साथ शामिल करना है इसीलिए हमें अभी से एक दुसरे के सामने खुलकर मजा लेना चाहिये" रेखा ने मुकेश की बात सुनकर मुस्कराते हुए कहा ।


"ठीक है डार्लिंग जैसे तुम्हारी मर्ज़ी मुझे तो इस बारे में सोचते ही अभी से कुछ हो रहा है" मुकेश ने रेखा की तरफ देखते हुए कहा और दोनों पति पत्नी आपस में बाते करने लगे । शीला जैसे ही अपने कमरे में दाखिल हुई वह यह देखकर हैंरान रहगयी की कंचन बेड पर लेती हुई थी और उसके बाल भीगे हुए थे जिसका मतलब वह कुछ देर पहले ही नहायी थी ।
 
शीला ने दरवाज़ा अंदर से बंद किया और कंचन से कुछ पूछने से पहले खुद बाथरूम में घुसकर फ्रेश होने लगी ।शीला फ्रेश होने के कंचन के पास बेड पर बैठ गयी और अपने हाथों से कंचन के बालों को सहलाने लगी।

"हम्म्म कौन है?" कंचन को सोये हुए अभी इतनी देर नहीं हुई थी इसीलिए वह अपने बालों पर हाथ लगते ही कच्ची नींद से जागते हुए बोली ।


"दीदी जिसका सपना देख रही थी वह तो मैं नहीं हू" शीला ने कंचन को चिढाते हुए कहा।

"अरे दीदी तुम आ गयी और आते ही फिर से शुरू भी हो गयी" कंचन ने शीला को देखते ही बेड से उठकर बैठते हुए कहा।

"मैं तो आ गयी मगर तुम्हें क्या हुआ है?" शीला ने कंचन की आँखों में देखते हुए कहा।

"क्यों क्या हुया" कंचन ने शीला की बात सुनकर घबराकर अपनी आँखों को झुकाते हुए कहा वह समझ रही थी की शीला को किसी ने उसके और उसके पिता के बारे में बता दिया है ।


क्यों दीदी नज़रें क्यों झुका दिया ऐसा क्या कर दिया आपने जो मुझसे नज़रें भी नहीं मिला पा रही हो" शीला ने कंचन के सर को पकडकर ऊपर करते हुए कहा।

"कुछ नहीं दीदी कुछ नहीं हुआ है" शीला की बात सुनकर कंचन समझ गयी की उसे कुछ पता नहीं है इसीलिए उसने अपने आपको संभालते हुए कहा।

"तो दीदी यह क्या है आपने आज तीसरी बार नहाया है सच बताओ कहीं मेरे जाने के बाद भैया तो नहीं आये थे?" शीला ने कंचन की आँखों में देखते हुए कहा ।


"दीदी ऐसी कोई बात नहीं है यहाँ पर कोई नहीं आया था" कंचन ने शीला को जवाब देते हुए कहा।

"देखो दीदी आप मुझे जानती हैं । मैं तुम्हारा पीछा तब तक नहीं छोड़ने वाली जब तक तुम मुझे सच नहीं बता देती" शीला ने कंचन की तरफ देखते हुए कहा।

"शीला दीदी आप बताओ कहीं रास्ते में भैया ने तो कोई गड़बड़ नहीं की जो आते ही आपने नहाया" कंचन ने बात को बदलते हुए कहा ।
 
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