Incest Kahani परिवार(दि फैमिली) - Page 59 - SexBaba
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Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)

पिंकी की बात सुन कर नरेश के लंड ने एकदम से खड़े होकर सलामी दी। उसने भी बिलकुल फिल्मी स्टाइल में पिंकी का घूँघट उठाया। पिंकी ने भी स्टाइल से उसको पास में रखा दूध पिलाया, आधा नरेश ने पिया और बाकी पिंकी को पीने के लिए दे दिया।
‘पूरा पी लो भाई… आज रात बहुत मेहनत करनी है तुम्हें..’
चुदाई की कहानियाँ पढ़ पढ़ कर पिंकी ऐसे बहुत से डायलॉग सीख गई थी।


मुँह दिखाई में तुम्हे क्या चाहिए मेरी जान।नरेश बोला।

वो उधर रहा भइया जब जरुरत होगा ले लुंगी।पिंकी बोली।
मुझे तुमसे एक प्रॉमिस चाहिए जानू की तुम हमेशा मेरी बन के रहोगी।जब तक तुम्हारी या मेरी शादी नहीं हो जाती तुम सिर्फ मेरी बनकर रहोगी और शादी के बाद भी हमारा प्यार रहेगा।नरेश बोला।

ठीक है भइया आज के बाद मेरी शादी होने तक आपके सिवा किसी को अपनी जवानी का रस चखने दूंगी।मेरी जवानी अब सिर्फ आपके लिए है।इससे जी भर के खेलो।


ये सुनकर नरेश ने पिंकी को अपनी बाहों में भर लिया और होंठों पर होंठ रख दिए, नरेश के हाथ पिंकी के संतरों से जूस निकालने की कोशिश करने लगे थे।
‘बहना… मर्द को असली ताक़त तो औरत के दूध से मिलती है भैंस के दूध से नहीं…’ कहते हुए नरेश ने एक ही झटके में पिंकी का टॉप उतार कर एक तरफ उछाल दिया।

चूचियाँ नंगी होते ही नरेश ने पिंकी की चुचियों के चुचक अपने होंठो में दबा लिए और फिर जोर जोर से पिंकी की चूचियों को चूसने लगा।
पिंकी की सिसकारियाँ कमरे में गूंजने लगी थी ‘आह्ह्ह… भाई… चूस लो… चूस लो अपनी बहन का सारा दूध… आह्ह्ह… उफ्फ्फ… निचोड़ लो मेरी चूचियों को… बहुत मज़ा आ रहा है भाई… सी… आह्ह्ह!’

नरेश भी मस्त होकर पूरी चूची को अपने मुँह में भर भर कर चूस रहा था और बीच बीच में चूचुक को अपने दांतों से काट लेता था जिससे पिंकी तड़प उठती थी।
पिंकी के हाथ भी अब नरेश के लंड को टटोल रहे थे।

पिंकी ने जल्दी से नरेश का लंड बाहर निकाला और लंड को जोर जोर से मसलने लगी।
नरेश ने भी बिना देर किये अपना लंड पिंकी के होंठों पर लगा दिया। पिंकी ने लंड का सुपारा अपने होंठों में दबाया और जीभ से अपने भाई के लंड को चाटने लगी।
दोनों वासना की आग में जल रहे थे, दिन दुनिया से बेखबर थे दोनों, बस एक दूसरे में समा जाने को बेताब थे।

पिंकी नरेश का लंड चूस रही थी, नरेश ने भी पिंकी की स्कर्ट और पेंटी उतार कर साइड में फेंक दी और उसने भी अपनी जीभ पिंकी की एक बार चुदी चूत पर लगा दी।
पिंकी की चूत अभी भी कुछ सूजी सूजी सी लग रही थी, सूजती भी क्यों ना, आखिर दिन में नरेश ने जबरदस्त चुदाई की थी पिंकी की कुँवारी चूत की।
 
दिन में हुई चुदाई की हल्की सी टीस अभी भी पिंकी की चूत में थी, तभी तो जब नरेश ने चूत पर अपनी जीभ घुमाई तो पिंकी के चेहरे पर मस्ती और दर्द के मिलेजुले भाव नजर आ रहे थे।
नरेश पिंकी की चूत की पुतियों को अपनी उँगलियों से खोल खोल कर जीभ को अन्दर तक डाल डाल कर चाट रहा था। पिंकी भी मस्ती में जल बिन मछली की तरह कसमसा रही थी, सिसकारियाँ कमरे में एक मादक संगीत की तरह गूंजने लगी थी।

कुछ देर बाद पिंकी की चूत से कामरस निकलने लगा, अब वो लंड को चूत में लेने के लिए तड़पने लगी थी। नरेश भी अपनी प्यारी बहन की कामरस से सराबोर चूत को अपने लंड से चोद कर तृप्त करने के लिए बेताब था, उसने भी बिना देर किये अपना मूसल पिंकी की चूत के मुहाने पर लगाया और एक जोरदार धक्के के साथ लगभग दो-तीन इंच लंड चूत में दाखिल कर दिया।

पिंकी दर्द से तड़प उठी, उसकी चीख निकल जाती अगर नरेश ने समय पर अपना हाथ पिंकी के मुँह पर ना लगा दिया होता।
पिंकी की आँखों से आँसू टपक पड़े, कराहते हुए पिंकी ने दोनों हाथ जोड़ कर नरेश से लंड को बाहर निकालने की गुजारिश की।
नरेश को एक बार तो अपनी प्यारी बहन पर तरस आया पर चुदाई करते हुए रहम चूतिया लोग करते हैं, उसने बिना पिंकी की तरफ ध्यान दिए दो तीन जोरदार धक्के लगाए और पूरा लंड पिंकी की कमसिन चूत की गहराई में उतार दिया।

पिंकी छटपटा रही थी पर नरेश तो पिंकी की गर्म गर्म चूत का एहसास अपने कड़क लंड पर पाकर जन्नत की सैर कर रहा था।
उसे पिंकी के दर्द से ज्यादा अपने लंड को मिल रहे सुख और आनन्द का ख्याल था।
जानती पिंकी भी थी कि जो दर्द होना था हो चुका, अब तो अगले पल सिर्फ और सिर्फ मस्ती के है पर दर्द तो आखिर दर्द है।

नरेश ने कुछ देर लंड को ऐसे ही अन्दर डाल कर रखा और शांति से पिंकी के ऊपर लेट कर पिंकी के रसीले पतले होंठ चूमता रहा और अपने हाथों से पिंकी के संतरों को मसलता रहा।
पिंकी अब शांत हो गई थी- भाई… तुम बहुत गंदे हो… अपनी बहन का तुम्हें बिल्कुल भी ख्याल नहीं है… अगर आराम से करते तो तुम्हारा क्या जाता… मैं कोई भागी थोड़े ही जा रही थी… कितना दर्द कर दिया…
 
नरेश कुछ नहीं बोला, बस हँस दिया और पिंकी की चूची को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा।
पिंकी ने प्यार से दो तीन मुक्के अपने भाई की कमर पर जमा दिए और तड़प कर बोली- भाई, अब ऐसे ही लेटे रहोगे या आगे भी कुछ करोगे?

सिग्नल हरा हो चुका था और चुदाई एक्सप्रेस धीरे धीरे बेड पर चलने लगी थी।
कुछ देर धीरे धीरे रेंगने के बाद चुदाई एक्सप्रेस अपने पूरे शबाब पर आ गई और पिंकी की चूत की जबरदस्त चुदाई शुरू हो गई- उईई… आह्ह्ह्ह… ओह्ह्ह्ह…. धीरे….सीईईईई… आह्ह्ह… उईई माआआअ…. आह्ह्हह… भाईईईई…
ऐसी ही कुछ आवाजें अब कमरे में गूंज रही थी, कभी दर्द भरी आह्ह्ह… तो कभी मस्ती भरी सिसकारी…

चुदाई एक्सप्रेस ने जो एक बार स्पीड पकड़ी तो करीब दस मिनट बाद पिंकी की चूत से बहते झडने के साथ ही कुछ शांत हुई।
पिंकी की चूत से कामरस का फव्वारा फ़ूट पड़ा था, पिंकी ने अपनी टांगों के पाश में नरेश को जकड़ लिया था और पिंकी के तीखे नाखून नरेश की कमर में गड़ गए थे।
पिंकी की चूत बहुत जबरदस्त तरीके से झड़ने लगी थी। टांगों के पाश के कारण नरेश के धक्कों की स्पीड कुछ कम हुई थी पर नरेश का जोश तो अभी बाकी था।
झड़ने के बाद जब पिंकी कुछ शांत हुई तो नरेश ने पिंकी को बेड के किनारे पर लेटाया और लंड को एक ही धक्के में जड़ तक उतार कर फिर से जोरदार चुदाई शुरू कर दी।

कुछ ही देर में पिंकी फिर से गांड उठा उठा कर नरेश का साथ देने लगी।
चुदाई लगभग आधा घंटा चली और पिंकी तीसरी बार झड़ी, साथ ही नरेश ने भी अपने लंड से निकले गर्म गर्म वीर्य से अपनी छोटी बहन पिंकी की चूत को लबालब भर दिया।

झड़ने के बाद नरेश नंगा ही पिंकी के ऊपर पस्त होकर लेट गया, दोनों ही पसीने से नहा गए थे।
चुदाई के बाद की थकावट के कारण पता नहीं कब दोनों को नींद आ गई और दोनों नंगे ही एक दूसरे से लिपटे लिपटे सो गए।

रात को करीब तीन बजे नरेश की आँख खुली तो पिंकी के नंगे बदन को देख कर फिर से उसकी कामेच्छा जाग उठी और उसने सोती हुई पिंकी के चूचियों को चूसना शुरू कर दिया और एक ऊँगली से पायल की चूत का दाना मसलने लगा।

पहले तो पिंकी नींद में ही कसमसाई पर फिर जल्दी ही उनकी नींद खुल गई और दोनों बहन भाई फिर से चूत चुदाई एक्सप्रेस पर सवार हो गए।
फिर तो सुबह जब तक बाहर कुछ हलचल होनी शुरू नहीं हुई तब तक दोनों बस एक दूसरे में ही समाये रहे।
 
अब थोडा महेश के घर चलते है जहाँ महेश अपनी बहु की चूत को बहुत मिस कर रहा था क्योंकि उसकी बहु को पीरियड्स आया हुआ था।वह आज ही फ्री हुई थी।सुबह जब समीर ऑफिस चला गया।ज्योति की तबियत ठीक नहीं थी वह दवा लेकर सोने चली गई तभी से महेश नीलम के रूम में आ गया था।

जहाँ नीलम कपडे चेंज कर रही थी।
महेश छोटी सी पेंटी मे फँसी अपनी बहु नीलम की गांड ही घूरे जा रहा था ! नीलम पिताजी की नज़रों को देख कर समझ गई थी क़ि उसके नये बलमा की नज़र कहाँ पर हैं !उसे मालूम था क़ि पिताजी को हमारी गोलमटोल गद्देदार गांड बहुत पसंद हैं ! पिताजी को चुप चाप अपने हुश्न का रसपान करते देख नीलम ने फिर पूछा
नीलम : जी पिताजी आपने बताया नही कैसी लग रही हूँ इन कपड़ों मे ?
महेश: जान कहने को शब्द नही है तुम इन कपड़ों मे गजब की सेक्सी लग रही हो ! पर एक बात और है
नीलम : क्या बात है पिताजी बोलिए ?
महेश : हमे तो तुम बिना कपड़ों मे ही सबसे सुंदर लगती हो बेटी !
नीलम: धत बेशरम कहीं के !!! आप मर्द लोग तो चाहते ही हैं क़ि औरतें कपड़ा पहनना ही छोड़ दें ताकि आप लोगों का समय बच जाए !
महेश : समय बच जाए मतलब ?
नीलम : रहने दीजिए मतलब आप को सब मालूम है ज़्यादा बानिए मत !
महेश भी अब ज़्यादा समय खराब करने के मूड मे नही था ! कल की चुदाई का सरूर अभी भी उसके सिर चढ़ कर बोल रहा था और फिर ज्योति के घर पर होने के कारण भी वो जल्दी से नीलम को चोद कर निकल जाने के चक्कर मे था !

उसने नीलम को जवाब देने की बजाय कुछ करने की सोची और धोती उतार बहू के उपर कूद पड़ा ! नीलम तो पहले से ही प्यासी बैठी थी अपने ससुर के मूसल को उछलते देख उसने लपक कर उसकी गर्दन पकड़ ली और लगी मसलने ! पाँच मिनिट के अंदर ही जो कपडे नीलम के बदन पर होने का गर्व कर रहे थे अब वो पलंग के नीचे पड़े थे ! चूमा चाटी के दौरान बहू के मुख से दरद भरी सिसकारी निकल रही थी जिससे महेश समझ गया क़ि बहू अभी भी पेन मे हैं महेश ने नीचे अपनी बहु की चूत मे नज़र डाली तो वो अभी भी सूजन मे दिख रही थी ! महेश ने धीरे से मुँह नीचे किया और पूरी की पूरी चूत को अपने मुँह मे भर लिया ! जवां चुत पे मर्द के होंठ लगते ही नीलम के पुर बदन मे आग लग गई ,उसके अंदर से शोले भड़क भड़क कर उसके चुत मे आने लगे जो महेश के होन्ट से स्पर्श करते है विस्फोट कर देते !वो बड़बड़ाने लगी ।
 
नीलम : आ आह यस चूस लो पिताजी आह्ह्ह .! चाट लो मेरी चूत जो मज़ा आपके बेटे ने नहीं दिया वो सारी ख़ुशी आप मुझे दे दो ! आह आह उई माँ मर गई!
ओह माइ गॉड ! खा जाओ मेरी चूत को ओह।
महेश ने अपनी लपलपाती जीभ का कमाल दिखाना चालू कर दिया ! चुत चूसाई मे अच्छी अच्छी लोंड़िया उसके सामने बेबस हो जाया करती थी फिर नीलम तो कल की छोकरी थी !
इधर महेश की जीभ लपलपा रही थी उधर नीलम बिन पानी की मछली के समान मचल रही थी ! लोहा गरम देख महेश ने अगली चोट कर दी उसने बहू की क्लिट अपने मुँह मे दबा लिया और बीच की उंगली चुत के अंदर डाल जी स्पॉट पर आक्रमण कर दिया ! इस दुधारी तलवार पर चलना नीलम जैसी नई नई लौंडिया के बस की बात नही थी वो महेश के हमले के आगे टूट गई और कमर उछाल उछाल कर अपने आने का संकेत देने लगी ! कुछ ही देर मे वो झर झर कर झडने लगी और महेश गट गट कर बहू की चूत का पानी पीने लगा !
कुछ देर आराम करने के बाद महेश उपर आ गया और बहू के संतरों को चूसने लगा ! संतरे नीलम की सबसे बड़ी कमज़ोरी थी जब भी महेश उन्हे मुँह मे लेता था नीलम तुरंत काम वासना के आगे बेबस हो जाती !
अभी दो मिनिट ही महेश ने नीलम के संतरे चूसे थे क़ि नीलम बोल पड़ी -
नीलम: पिताजी प्लीज़ करिए ना ! अब रहा नही जाता ! डाल दीजिए अपना मूसल हमारे अंदर और हमे चोद डालिए जी भर के !
महेश: जान थोड़ा रुक जाओ इन रसीली चूचियों का मज़ा तो ले लेने दो !
नीलम: नही पहले एक बार कर लीजिए फिर खाली समय मे चुसते रहना जी भर के !

महेश-बहु मैं चाहता हूँ की अब जब भी तुम्हारी चुदाई करूँ अपना माल तुम्हारी चूत में ही गिराऊँ ताकि तुम माँ बन जाओ नहीं तो मेरे बेटे से तो कुछ होनेवाला नहीं है।

नीलम-क्या यह ठीक रहेगा पिताजी।
महेश-हाँ बेटी अगर लड़की को शादी बाद बच्चा नहीं हो तो समाज में उसे इज्जत नहीं मिलती।

नीलम : हाँ जानू इस सुख के लिए कितना इंतज़ार किए हैं ! अब आपको अपने बेटे के हिस्से का भी प्यार देना है हमे ! उन्होने प्यार देने मे जो कमी की है उसकी रिकवरी भी हमे आप से करनी है ! चलो अब जल्दी आ जाओ और हमको खूब प्यार करो !
जो हुकुम स्वीट हार्ट कहते हुए महेश ने नीलम की टाँग उठाई ,पोज़िशन ली और एक झटके मे पूरा लंड अपनी बहू के चूत के अंदर पेल दिया !
 
एक झटके मे पूरा लंड अंदर जाते ही नीलम के मुख से चीख निकल गई वो तो अच्छा था क़ि महेश ने पहले खूब चुत चुसाई की थी जिससे बहू अंदर से बहुत गीली थी वरना आज फिर खून खच्चर हो जाता ! दर्द के मारे बहू बड़बड़ाई ।
नीलम : उई माँ मर गई ! ओह क्या कर रहे हो ? हे राम धीरे नही कर सकते ! हमेशा बेसबरे बने रहते हो ! कितना दरद दे रहा है
महेश : सॉरी जानू तुमको नंगी देखने के बाद सबर ही नही हो पाता ! बहुत दरद दे रहा है तो निकाल दूं .क्या ?
नीलम: अब डाल दिया है तो रहने दो लेकिन प्लीज़ धीरे धीरे करो ! आप तो एकदम सूपर फास्ट ट्रेन बन जाते हो ! नीचे लड़की को बिछाए हो कोई रंडी नही बिछी है!
महेश को भी अपनी ग़लती का अहसास हो गया हालाकी वो चुदाई के मामले मे बहुत ही सबर से काम लेने वाला आदमी था और लड़कियों को बहुत ही तसल्ली से चोदता था किंतु बहू की खूबसूरती और जवानी ऐसी थी क़ि उसका दिमाग़ ही काम करना बंद कर देता था ! वरना सेक्स को वो हमेशा ही देर तक खींचने वाला इंसान था !

अब महेश ने हल्के मगर लंबे स्ट्रोक मारने चालू कर दिए जिससे बहू एक बार फिर दीन दुनिया से बेख़बर होने लगी पुर कमरे मे नीलम की सिसकारी गूँज रही थी बीच बीच मे महेश की थाप की आवाज़ भी आ जाती जब नीलम की गर्मी बढ़ी तो वो नीचे से कमर उछालने लगी जिससे महेश समझ गया क़ि नीलम अब आने वाली है !इधर नीलम का जिस्म अब कमान की भाँति ऐठने लगा ! वैसे तो बहू बहुत ही सुशील थी किंतु जब उसके ससुर का मूसल उसकी योनि का मंथन करने लगता तो उसके अंदर से ने नये शब्द निकलने लगते ।

नीलम: हाँ जानू ऐसे ही चोदिये ! बहुत अच्छा लग रहा है ! आप तो एक नंबर के चोदू हो फिर क्यों हमे तंग करते हो ! आह आह्ह्ह्ह्ह ! पिताजी और ज़ोर से करिए हमारा होने वाला है ! डाल दीजिए अपना बीज़ हमारे अंदर ! आह माँ मर गई ! और इसी के साथ नीलम झडने लगी महेश ने भी अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और अपनी बहू के अंदर अपना माल उड़ेलने लगा !



माल निकालने के बाद महेश नीलम के उपर ही पसर गया !लगभग दस मिनिट तक वो लंड को अंदर ही फ़साए रहा जिससे वीर्य बिल्कुल भी बाहर ना निकल पाए ! फिर वो हटा और चिट लेट गया और नीलम को करवट का उसका सिर अपने कंधे मे रख दिया ! दोनो धीरे धीरे एक दूसरे को सहला रहे थे !
 
नीलम अपने ससुर के चौड़े चकले सीने को सहला रही थी तो महेश अपने पसंदीदा फल बहू के खरबूजों को मसल रहा था !बड़ा ही रोमांटिक दृश्य था ऐसा लग ही नही रहा था क़ि दोनो ससुर और बहू है और दोनो मे पीढ़ी का गेप है ! ऐसा लग रहा था जैसे दोनो नव विवाहित हों और अपना हनीमून मना रहे हों !

दोनो को रोमॅन्स करते -२ आधा घंटा बीत गया तो महेश उठा और धोती पहनने लगा ! जैसे ही वो जाने को हुआ नीलम ने झट से उसका हाथ थाम लिया !
महेश : क्या हुआ जान ? कुछ कहना है क्या ?
नीलम ने बहुत ही प्यासी नज़रों से अपने ससुर को देखा और कहा
नीलम: जानू प्लीज़ थोड़ा और रुकिये ना !
महेश ने बड़े लाड़ से नीलम की आँखों मे देखा और कहा
महेश : क्या बात है डार्लिंग आज बड़ी इमोशनल लग रही हो ?

नीलम ने उसकी ओर प्यार भरी दृष्टि डाली और बोली
नीलम: प्लीज़ एक बार और करिए ना ! बहू की बात सुनकर महेश भी भावुक हो गया ! नीलम से विरह की बात सुनकर ही उसका सीना भारी हो गया ,वो वापस आकर बिस्तर मे बैठ गया ! नीलम भी किनारे खिसक आई और उसकी पीठ सहलाने लगी !
महेश: जान हमारी भी इच्छा है क़ि तुम्हे और चोदे ।
नीलम: तो जल्दी से कर दीजिए ना ! नीलम ने फ़ौरन बोल दिया !
महेश: जानेमन हम कोई पच्चीस साल के लड़के नही हैं क़ि हमारा तुरंत खड़ा हो जाए ? तुम्हे कुछ करना होगा !
नीलम: बोलिए ना हमे क्या करना है हम ज़रूर करेंगे !
महेश: करना क्या बस इसे खड़ा करना है ! लो खेलो इससे ! जितना दिल से खेलोगी उतना ही ये जल्दी तैयार होगा !
महेश की बातें सुन नीलम ने तुरंत उसका लंड पकड़ लिया और मसलने लगी ! महेश धीरे से लेट गया जिससे बहू अच्छे से अपना काम कर सके ! नीलम के हाथों मे आते ही लंड मे फिर से जान आने लगी उसका आकार धीरे धीरे बढ़ने लगा ! ज्यों ज्यों लंड का साइज़ बढ़ रहा था बहू और कौतूहल से उसको प्यार कर रही थी ! पाँच मिनिट मे ही महेश के लंड ने अपना सिर उठा दिया लेकिन उसमे पहले जैसी कठोरता नही थी ! मौके का सही फ़ायदा उठाते हुए महेश ने कहा।
महेश: जान ये थोड़ा और ट्रीटमेंट माँग रहा है ! ज़रा इसको मुँह मे लेकर चूस दो उसे । जल्दी तैयार हो जाएगा !
 
नीलम: अच्छा हम आपकी चालाकी समझ गये चुसवाना चाहते हो इसलिए बहाना कर रहे हो !लेकिन हम नहीं चूसंगे हम ने आप से पहले ही कह दिया था क़ि जब तक हम प्रेगनेन्ट नहीं हो जाएँगे हम इसको मुँह मे नही लेंगे भूल गये क्या ?
महेश: हमे सब याद है लेकिन आप भूल रहीं हैं ! आपने कहा था क़ि इसका पानी नही पिएँगे ये नही कहा था क़ि चूसेंगे नही !
नीलम: वो सब एक ही तो बात है ! कहते हुए नीलम ने लंड को ज़ोर से मसल दिया ! महेश के मुख से दर्द भरी सिसकारी निकल गयी !
महेश: एक बात थोड़ी है ! चूसोगी तो तुम इसको तैयार करने के लिए। बाकी पानी तो हम अंदर ही गिराएँगे ! चलो चूस लो फिर पता नही कब चूसने को मिले !
नीलम भी लंड चूसना चाहती थी किंतु ससुर को चिढाने के लिए ही कह रही थी लेकिन जैसे ही महेश ने कहा की पता नही फिर कब मौका मिलेगा वो चौंक गई और तुरंत ही अपने फ़ेवरेट लंड को मुँह मे भर लिया !

बहू के मुँह मे लंड जाते ही महेश गनगना गया उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी जो नीलम को और सेक्सी बना रही थी ! नीलम भी पूरी तरह उत्तेजित हो गई वो ससुर के लंड को जितना हो सके अंदर तक निगलने लगी बीच - २ मे लंड मे दाँत भी गढ़ा देती !


अब महेश के लिए अपने को संभालना मुश्किल हो गया ! पहले वाली बात होती तो वो बहू को अपना पानी पिला देता लेकिन अब तो पानी बहु की चूत में ही डालना था इसलिए महेश ने नीलम को नीचे पटका और उस पर सवार हो गया ! उसने बहू की गोरी मांसल जांघों को चूमा फिर उन्हे उठाकर कंधे मे रख लिया ! टाँग कंधे मे आते ही नीलम की कमर बिस्तर से छह इंच उठ गई और उसकी चूत बाहर को निकल आई ! महेश ने अपना मोटा लंड बहू की चूत की छेद मे रखा और उसे धक्के के साथ पेल दिया ! दो धक्के मे उसने पूरा लंड अंदर पेल दिया !

नीलम बस आह उई ही करती रह गई ! महेश ने अब लंबे लंबे शॉट मारना शुरू कर दिया ! हर धक्के के साथ नीलम का नशा बढ़ता ही जा रहा था !पूरे कमरे मे उसकी सिसकारी गूँज रही थी कभी कभी वो ज़ोर से चीख पढ़ती ! चुत पहले से गीली थी इसलिए लंड सटासॅट अंदर जा रहा था ! महेश ने अब तैश मे आकर तगड़े झटके मारने शुरू कर दिए जिससे कमरे मे थप थप की आवाज़ गूंजने लगी !
 
कमरे मे वीर्य की गंध भी आ रही थी ! सेकेंड राउंड अब अपने पूरे चरम पर था ! दोनो खिलाड़ी एक दूसरे के स्टेमीना का टेस्ट ले रहे थे ! लेकिन इस टेस्ट मे महेश को ही जितना था क्योंकि वो जानता था क़ि सेकेंड राउंड वो लंबा खींच सकता है जबकि बहू का सक्सेस्सिव ओर्गस्म जल्दी होगा ! और वही हुआ नीलम अपनी गर्मी संभाल नही पाई और चीख मार कर झडने लगी ! महेश लंबी रेस के घोड़े की तरह दौड़ता रहा !
महेश अब बीच - २ मे स्ट्रोक मारना बंद कर बहू के अंगों से खेलने लगता ताकि अपने आपको और देर तक बचा सके ! नीलम को उसका ये प्यार भी अच्छा लग रहा था नीचे तो लंड अंदर तक धंसा पढ़ा ही था ! अचानक महेश ने नीलम से कहा।
महेश : जानू आओ अब तुम करो !
नीलम : हम करें मतलब ?
महेश : मतलब अब तुम उपर आ जाओ और खुद अपने से चोदो !
नीलम: धत ?? ये काम हमारा नही है ! ये काम मर्दों का होता है !
महेश : जान आजकल सब चलता है ,वीडियो मे नही देखा कैसे उपर बैठ कर लड़कियाँ खुद करती हैं और कितना एंजाय करती हैं ! तुम भी एंजाय करो ! कम ऑन डार्लिंग।
नीलम: आपको किसने कह दिया क़ि लड़कियाँ उपर आकर एंजाय करती है ? कोई एंजाय वंजाय नही करती है
महेश : वीडियो मे तो दिखता है क़ि सब एंजाय करती हैं !
नीलम : वीडियो की छोड़ दीजिए वो तो पैसे के लिए करती है असल मे औरत मर्द के नीचे ही रहना पसंद करती हैं !
महेश: मतलब ?? जान कुछ क्लियर बताओ
नीलम: मतलब ये क़ि लड़कियां हमेशा निचे रहना ही पसंद करती है और आप करते समय हमारा बहुत ख्याल करते हैं अपना पूरा वजन अपने हाथों मे उठा लेते हैं।
महेश: लेकिन जानू तुम पर वजन पड़ेगा ,तुम बहुत नाज़ुक हो एकदम फूल जैसी !
नीलम : आपका वजन बर्दास्त करने में मुझे मज़ा आता है।
महेश :ये तो और अच्छा है ! फिर तो महेश ने अपना पूरा वजन अपनी फूल सी बहू के उपर डाल दिया और धकापेल धक्के लगाने लगा !
 
महेश ने पूरी तरह से नीलम को अपने बस में कर लिया तब उसने नीलम को कुतिया बना के पेलना शुरू कर दिया।जब महेश की नज़र नीलम की गांड के भूरे छेद पर पड़ी तो उसका लंड अपनी बहु की संकरी गांड के छेद में घूसने को मचलने लगा।

वैसे भी महेश सोच चूका था की अपनी बहु नीलम की
गांड की सील खोल देगा या उसे प्रेग्नेंट कर देगा ताकि आगे बच्चा होने तक अपनी बहु से एक दिन की भी जुदाई न हो।

अब महेश ने अपनी ऊँगली में थूक लगाकर अपनी बहु के गांड में अपनी एक ऊँगली पेलने लगा।साथ में अपना लंड भी अपनी बहु की चूत में घचाघच पेल रहा था।बहु भी पूरी मस्ती में अपनी गांड पीछे धकेल रही थी।अब धीरे धीरे महेश नीलम की गांड में दो ऊँगली आराम से पेल रहा था।

नीलम -क्या कर रहे हो पिताजी।

महेश ने अपना लंड बहु की गांड के छेद से अड़ा दिया।
“धत्त, वहाँ मैंने कभी नहीं करवाया.”
“तो आज करवा के देखो. वहाँ भी बहुत मज़ा आता है बिल्कुल चूत की तरह!”
“नहीं बाबा वहाँ नहीं. बहुत मोटा है आपका, मैं वहाँ नहीं सह पाऊँगी.”
“अरे एक बार ट्राई तो कर लो बेटी, मज़ा नहीं आये तो मत करने देना.”

“अच्छा, एक बार घुसाने के बाद आप क्या मान जाओगे?”
“सच में नीलम बेटी, बहुत दिनों से मन में था तेरी गांड मारने का. आज मत रोक मुझे!”
“पर पिता जी मुझे बहुत बहुत डर लग रहा है वहाँ नहीं. आप चूत में जितना चाहो कर लो !”
“कुछ नहीं होता बेटी, वहाँ और ज्यादा मज़ा आता है और अपना माल तुम्हारी चूत में ही डालूंगा प्लीज बहु”
“अच्छा करो धीरे से, लेकिन दर्द होगा तो निकाल लेना जल्दी से अगर मैं कहूँ तो!”
“ठीक है बेटी तू चिंता मत कर अब.”

महेश ने पास रखे तेल से लंड को अच्छे से चुपड़ लिया और बहू के दोनों हाथ सामने बेड पर रख दिए और उसे झुका कर कमर पकड़ कर पीछे की तरफ खींच लिया जिससे बहु का पिछवाड़ा अच्छी पोजीशन में उसके लंड के सामने आ गया.
 
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