Incest Kahani परिवार(दि फैमिली) - Page 57 - SexBaba
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Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)

तकरीबन आधे घंटे तक सूरज अंकल शीला की माँ को लण्ड डालकर चोदते रहे.. उसके बाद वे दोनों शांत हो गए। इसी के साथ उनकी पायलों की ‘छुन-छुन’ भी बंद हो गई थी। शायद सूरज अंकल झड़ चुके थे।
वह दोनों काफ़ी देर बिस्तर पर नंगे ही पड़े रहे.. उसके बाद फिर वो दूसरी बार के लिए तैयार हुए।
कुछ देर बाद उन्होंने माँ को फिर से चूमना-चाटना शुरू कर दिया। माँ ने भी सूरज अंकल के लण्ड को मुँह में लेकर उनके लौड़े को चूसना शुरू किया। पहली चुदाई के सारे वीर्य साफ़ को किया।
सूरज अंकल माँ को फिर से प्यार करने लगे। उनके दूध दबाने शुरू कर दिए। अब जय अंकल का लौड़ा फिर से हाहाकारी हो गया था। इस बार उन्होंने माँ को उल्टा किया.. मतलब अंकल ने माँ को कुतिया बना दिया।
‘ऐसे पीछे नहीं सूरज…’
‘तुम जानती हो मुझे कुतिया बना कर तुम्हारी गाण्ड मारना बहुत अच्छा लगता है.. मनिषा..’
सूरज अंकल ने अपना मूसल माँ की गाण्ड के छेद में लगाया और उनके चूतड़ों पर एक थपकी दी।
शीला सोच भी नहीं सकती थी कि उसकी माँ आज पूरी रंडी बनी हुई थीं।
शीला की माँ समझ गईं कि अब ये थपकी देने का मतलब है कि उनकी गाण्ड में लौड़े की शंटिंग शुरू होने वाली है। उन्होंने खुद को गाण्ड मराने के लिए तैयार कर लिया था।
सूरज अंकल ने माँ की गाण्ड में शॉट मारा.. ‘आआह्ह्ह.. धीरे-धीरे सूरज..’
‘बस बस मनिषा.. हो गया..’
माँ के हलक से एक घुटी सी चीख निकली.. सूरज अंकल का हाहाकारी लण्ड माँ की चूत की सहेली उनकी गाण्ड में पूरा घुस चुका था।
मनिषा- प्लीज सूरज.. धीरे-धीरे दर्द हो रहा है..
माँ के चेहरे पर दर्द साफ़ झलक रहा था।
‘क्यों.. क्या तुम्हारा पति तुम्हारी गाण्ड नहीं मारता हैं?’
‘नहीं.. वह गाण्ड मारने के शौक़ीन नहीं हैं.. मुझे इन्हीं धक्कों का और तुम्हारे लण्ड का बड़ी बेसब्री से इन्तजार था। मुझे मालूम था सूरज कि तुम्हारा लौड़ा इतना मज़ा देता है.. आह्ह.. चोदो मुझे और जोर से चोदो..’
सूरज अंकल माँ के ऊपर कुत्ते जैसे चढ़े थे.. माँ की गाण्ड पर जैसे ही चोट पड़ती.. उनके दोनों चूचे बड़ी तेजी से हिलते। सूरज अंकल ने उनके हिलते हुए दुद्धुओं को अपने हाथों से पकड़ लिया.. जैसे सूरज अंकल ने माँ की चूचियों का भुरता बनाने की ठान ली हो।
उनकी गाण्ड को करीब दस मिनट तक ठोकने के बाद वे माँ की पीठ से उतरे और फिर उन्होंने माँ को चित्त लेटा दिया। अब उन्होंने माँ की कमर के नीचे तकिया लगाया और उनके पैर फैला कर उनकी चूत में अपने मूसल जैसे लौड़े को घुसेड़ दिया।
 
माँ भी नीचे से अपनी कमर उठा कर थाप दे रही थीं, माँ के मुँह से अजीब सी आवाजें निकलने लगीं थीं- चो..द.. सूरज.. और..ज्जोर.. स्से..धक्के.. मारर.. मेरेरेरे.. राज्ज्ज्ज..जा !
और फिर वो अचानक शिथिल पड़ गईं.. माँ झड़ चुकी थीं।
सूरज अंकल ने भी तूफानी गति से धक्के मारते हुए उनकी चूत में अपने लण्ड का लावा छोड़ दिया।
उन दोनों की चुदाई देखकर शीला की भी चूत गीली हो गई थी.. उसने अपनी उंगली से अपनी चूत को सहलाना शुरू कर दिया था।
शीला को मालूम था कि आज सूरज अंकल माँ को देर तक चोदेंगे.. शीला को महसूस किया कि जब चुदाई होती है.. तो फिर उन दोनों को.. समय की तो जैसे सुध ही नहीं रहती है।
सूरज अंकल का इंजन अभी माँ की चूत में शंटिंग कर रहा था। शीला की आँखें मुंदने लगी थीं.. कुछ देर बाद वह अपने बेड पर आकर सो गई।


अब तो अंकल और माँ के बीच के सभी परदे शीला के सामने खुल चुके थे.. माँ भी अपनी पूरी मस्ती से अपनी चूत कि चीथड़े उड़वाने में लग चुकी थीं।

कुछ देर बाद शीला जब उठी.. तो देखा कि सूरज अंकल शीला के साथ ही लेटे थे। वह उसे पूरी तरह से चिपटाए हुए थे।
शीला ने अंकल से पूछा- माँ कहाँ हैं?
अंकल- वह तो बाजार चली गईं।
‘ठीक है.. मैं आपके लिए चाय बना दूँ?’
अंकल ने सिगरेट सुलगाते हुए ‘हाँ’ में सिर हिला दिया था। थोड़ी देर बाद शीला चाय लेकर आ गई थी। अंकल में उसे पास में बैठने के लिए इशारा किया।
शीला वहीं उनके पास बैठ गई।
‘ कुछ देर पहले तुम सो रहीं थी या जाग रही थीं?’ अंकल ने प्यार से शीला के सिर पर हाथ फेरते हुए सवाल किया।
अचानक इस तरह के सवाल से शीला सकपका गई थी। अंकल को शायद ये मालूम पड़ गया था कि माँ और उनकी चुदाई का शीला ने पूरा नजारा देखा है।
‘देखो शीला बेटी.. मैं तुम्हारा अंकल हूँ.. तुम्हारी माँ का ख्याल रखना मेरा फ़र्ज़ है.. तुम बड़ी हो गई हो.. समझदार हो.. मैं जानता हूँ तुम हमदोनों की चुदाई देख रही थी।अगर तुम मुझे खुश कर दो तो तुम्हे बहुत बड़ा सरप्राइज दूंगा।तुम्हारे लिए एक स्कूटी और एक बढ़िया स्मार्ट फोन तुम्हे गिफ्ट दूंगा। तुम्हे कोई प्रॉब्लम भी नहीं होगा।इस बात को समझ सकती हो।’
शीला ने बिना कोई जवाब दिए अपना सिर शर्म से नीचे झुका लिया था।
 
‘वैसे कितने साल की हो गई हो तुम?’
‘पिछले महीने में 20 साल की..’ शीला ने धीरे से शरमाते हुए जवाब दिया था।
अंकल ने शीला को अपने सीने से लगा लिया- बड़ी हो गई है मेरी बच्ची.. तू फ़िक्र मत कर.. वैसे तुम कॉलेज कैसे जाती हो।
कभी रिक्शा से या कभी बस से जाती हूँ । शीला ने बताया।
अंकल : देखो बेटी । मैं तुम्हारे लिए एक स्कूटी खरीद देता हूँ।फिर तुम्हे कोई प्रॉब्लम नहीं होगी। इसके लिए
मैं तुम्हारी माँ से बात करता हूँ..
अंकल ने मुझे गले लगाये हुए ही शीला की पीठ पर सहलाते हुए कहा था। शीला किसी मासूम बच्चे की तरह उनसे चिपकी हुई थी।
अंकल ने शीला को अपनी ओर खींचा और अपनी गोद में झटके से खींच लिया.. अब दोनों बिस्तर पर गिर गए।
शीला बुरी तरह घबरा गई.. वह हल्की सी आवाज में बोली- अंकल प्लीज मुझे जाने दो..
‘कुछ नहीं होगा तुझे मेरी गुड़िया रानी..’
अंकल शीला के कंधों पर किस करने लगे.. शीला को अच्छा लग रहा था.. परन्तु शर्म भी आ रही थी.. क्यूंकि वे उसके अंकल थे।
वह छूटने की कोशिश करने लगी.. परन्तु अंकल ने शीला को पीछे से जकड़ रखा था।
अचानक उनका हाथ शीला को अपनी टांगों के बीच महसूस हुआ। अंकल शीला की मासूम योनि को मसल रहे थे। उसे बहुत अच्छा लग रहा था.. परन्तु थोड़ा अजीब भी.. क्यूंकि यह सब अंकल के साथ पहली बार हो रहा था।

अंकल ने शीला को मुँह के बल बिस्तर पर लिटा लिया और उसके ऊपर लेट कर उसकी पीली जालीदार कुर्ती की ज़िप खोल कर उसकी पीठ पर चुम्बन करने लगे। शीला चुपचाप सिसकारियाँ भर रही थी।
अंकल ने शीला के छोटी छोटी चूचियों को मसलना शुरू कर दिए.. शीला के चूतडों पर उसे उनके लौड़ा का दबाव साफ़ महसूस हो रहा था। नीचे उसकी योनि में कुलबुलाहट सी होने लगी थी। योनि को और साथ में भगांकुर को मसलवाने को मन कर रहा था।
फिर अंकल ने शीला की काली चूड़ीदार पजामी नीचे खिसका दी और उसकी गुलाबी रंग की चड्डी की एक झटके में नीचे खिसका लिया। शीला को शर्म सी महसूस हो रही थी परन्तु आनन्द भरी सनसनाहट में लिपटी..वह चुपचाप लम्बी-लम्बी सांसें ले रही थी। उसे लग रहा था कि उसकी योनि में कुछ खुजली हो रही है.. उसे मिटने के लिए वह कुछ अन्दर लेने को मचल रही थी।
शीला को सीधा करके अंकल की उंगली अब आसानी से उसकी गुलाबी चूत में जा रही थी। वह बहुत जोर से सिसकारियाँ ले रही थी ‘उन्नन्नह्हह.. आअह्हह.. ऊऊह्ह. आहन्न.. आहऊर चूसो..।
 
फिर सूरज अंकल ने शीला के छोटे-छोटे संतरों को चूसना छोड़ कर होंठों का किस लेना शुरू कर दिया- तू तो मेरी गुड़िया रही है बेटी.. मैं तो कब से तेरे पकने का इंतज़ार कर रहा था.. आआह्ह्ह..
अंकल ने उसे चूमते हुए ख़ुशी ज़ाहिर की।
कुछ देर के बाद शीला पूरी तरह से गर्म हो गई। फिर अंकल ने अपना लोअर खोला और अपना लण्ड उसके हाथ में थमा दिया। उनका लण्ड अब तन कर पूरा 90 डिग्री का हो गया था।
शीला पहले तो शरमाई.. लेकिन कुछ देर के बाद जब उन्होंने फिर से लण्ड पकड़ाया.. तो वह थोड़ा खुल गई।
अंकल ने बोला- इसे सहलाओ और आगे-पीछे करो।
शीला वैसा ही करने लगी।


अंकल ने फिर शीला की गीली चूत में एक उंगली डाल दी। वह जोर से ‘आह्ह्ह..’ करके सिस्कार उठी। कुछ देर के बाद अंकल ने शीला की चूड़ीदार पजामी उतार दिया।
‘वाह.. क्या कमसिन सी पिंक.. बिना बाल की चूत है.. आज तो मैं तुझे पूरी जवान बनाऊंगा.. मेरी गुड़िया रानी..’
अंकल ने हाँफते हुए कहा।
शीला की चूत पूरी भीगी हुई थी। उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था.. हल्का सा रोंया ही अब तक आया था। उसकी चूत पूरी पावरोटी की तरह फूली हुई थी।

फिर अंकल ने शीला को अपना लण्ड चूसने के लिए बोला.. उसने मना कर दिया।
अंकल ने बोला- कुछ नहीं होता..
शीला बोलने लगी- नहीं.. मुझे अच्छा नहीं लग रहा है..

‘देखो इस तरह से चूसो..’
यह कहते हुए जय अंकल ने शीला की चूत को चूसना शुरू कर दिया।
शीला चिल्लाने लगी- आह्हह्हह्हह.. अंकल नहीं.. बस करो..
अंकल अपनी जीभ से उसे चोद रहे थे.. शीला के मुँह से सिसकारियाँ फूट रही थीं ‘अंकल आह्ह.. मेरी चूत में आग लग रही है.. अहह्ह्ह.. कुछ करो..’
वे लगातार शीला की चूत को चूसते रहे।
शीला जोर से चिल्ला रही थी- और जोर से.. आह्ह..शीला अपने हाथ से उनके सिर को अपनी चूत के ऊपर खींच रही थी। अपने पैरों को कभी ऊपर तो कभी दोनों जांघों को जोर से दबा रही थी.. कभी-कभी उसकी साँसें फूल जाती थीं।
कुछ देर के बाद शीला की चूत ने पानी छोड़ दिया.. अंकल ने सारा का सारा पानी पी लिया।
 
शीला बिस्तर पर नंगी निढाल पड़ी थी। अंकल शीला के गोरे दुबले-पतले नाज़ुक जिस्म को देख रहे थे। वह जोर से हाँफ़ रही थी.. जैसे कोई कई मील से दौड़ कर आई होऊँ।
‘डरती है मेरी गुड़िया रानी.. अंकल से डरती है? कुछ हुआ मेरी बेबी.. मज़ा आया ना?’
अंकल ने मुझे सीधे लिटा कर प्यार से कहा।
शीला ने हाँ में सिर हिलाया।
अब अंकल का मुँह उसके सामने था.. उनका चेहरा लाल हो चुका था। अंकल ने अपने इनर को उठाया.. लोअर नीचे सरका कर अपने लौड़े को बाहर निकाला।
शीला को थोड़ा अजीब जरूर लग रहा था.. पर कामोत्तेजना बहुत हो रही थी। अंकल ने उसकी टांगें फैला दीं और खुद टांगों के बीचों-बीच आ गए।
उन्होंने लौड़े पर थूक लगाया और योनिद्वार के ठीक बीचों-बीच शीला को उनका लौड़ा महसूस हुआ। उन्होंने शीला के दोनों घुटनों को अपने हाथों से थामा और जोर का एक धक्का लगाया ‘आआआ.. ईईई आश्स्श्श्श.. माँ….
शीला की तो जैसे जान ही निकल गई..वह छूटने के लिए तड़पने लगी। नीचे उसकी चूत में जलन सी हो रही थी।
‘धीरे से.. धीरे से.. कुछ नहीं होगा मेरी गुड़िया रानी को..’
यह कहते हुए अंकल शीला के कमसिन छोटी छोटी चुचियों को मसलने लगे और उसे चूमने लगे।
पहली बार शीला की चूत में किसी इतना मोटा लण्ड गया था। कॉलेज में उसे कई सारे लड़के उसे लाइन मारते थे.. लेकिन उसने सोचा नहीं था कि यह सौभाग्य सूरज अंकल को मिलेगा।
लगभग 5 मिनट में शीला का दर्द कुछ ख़त्म हुआ.. तो उसे अच्छा लगने लगा और वह खुद ही कमर हिलाने लगी और कूल्हे उठाने लगी।
अंकल ने उसकी कमर के नीचे तकिया लगाया और हल्के-हल्के धक्के लगाने शुरू कर दिए और लगभग दो मिनट में उनकी रफ्तार बहुत तेज हो गई।
अब शीला को भी बहुत मजा आ रहा था.. उसकी चूत में मीठी सी चुभन मुझे आनन्द भरी टीस दे रही थी।


लगभग 7-8 मिनट तक धक्के लगाने के बाद शीला को चरमोत्कर्ष प्राप्त होने लगा और उसकी चूत के अन्दर संकुचन सा महसूस हुआ। मुझे योनि के अन्दर कुछ रिसता हुआ सा महसूस हुआ.. अंकल ने लौड़ा झटके से बाहर निकाला और सारा वीर्य शीला की चूत और उसके पेट पर गिरा दिया.. और उसके ऊपर गिर गए।
 
वे झड़ चुके थे और लम्बी-लम्बी सांसें लेने लगे।
शीला चूत में थकान महसूस हो रहा था..
तब अंकल ने पूछा-मज़ा आया बेटी।
शीला शरमाने लगी।उसने चड्डी चूत पर चढ़ा ली।
कुछ देर बाद अंकल उसके छोटे-छोटे चूतड़ों को मसलने लगे और फिर से उसकी चड्डी को कमर तक खिसका दिया। शीला आँखें बंद करके चुपचाप लेटी हुई थी।
अंकल अब उसके पीछे आ गए थे। उनका लौड़ा उसकी चूत में दुबारा घुसने के लिए तैयार था..इस बार अंकल ने शीला को बेड पर कुतिया बना दिया और पीछे से अपना 9 इंच लंबा लंड शीला की छोटी सी बुर में पेल दिए।एक ही झटके में शीला की कमसिन चूत में इतना मोटा लंड घुसने पर शीला कसमसाने लगी लेकिन शीला की चूत गीली थी इसलिए उसे ज्यादा दर्द नहीं हुआ।कुछ ही धक्के मारने के बाद सूरज को बहुत मज़ा आने लगा।वह अपनी पूरी ताकत के साथ शीला को पेलने लगा।
आह बेटी कितनी गरम और टाइट चूत है तेरी।आह गुड़िया जी चाहता है दिन रात अपना लंड तेरी टाइट चूत में पेलता रहूँ।जोर जोर से पेलते हुए सूरज बोला।

आह अंकल चोदो मुझे मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही है।शीला भी कई दिनों से प्यासी थी इसलिए वह भी अपने अंकल से चुदते समय अपना लाज शर्म भूल चुकी थी।

अब सूरज शीला को बुरी तरह से चोद रहा था।एक ही घंटे में उसने शीला पर चुदाई के कितने आसान आजमा लिए थे फिर से अंकल शीला को कुतिया बनाकर चोद रहे थे शीला भी अपनी गांड पीछे करके चुदवा रही थी वह झड़ने वाली थी इसलिए वह अपनी गांड अंकल के लंड पर धकेल रही थी।अंकल भी अब झड़ने वाले थे दोनों एक साथ ही झड़ने लगे।सूरज अंकल ने अपना सारा माल शीला की चूत में ही छोड़ दिया।

शीला एकदम से थक कर चूर हो गई थी। ऐसा लग रहा था कि न जाने कितनी दूर से दौड़ लगा कर आई हो।
कुछ देर अंकल का लण्ड उसकी चूत में ही पड़ा रहा.. अंकल ने अपनी आँखें खोलीं और उसके सुनहरे घने बालों में अपना दुलार भरा हाथ फिराया।फिर दोनों एक-दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे।
उन्होंने अपना लण्ड शीला की चूत से बाहर खींचा..
फिर अंकल ने लोअर पहना और बाथरूम में घुस गए..
शीला चुपचाप हल्की सी आँख खोलकर उनको देख रही थी.. जैसे ही वो अन्दर घुसे.. वह जल्दी-जल्दी अपनी पजामी ऊपर खींची.. कपड़े और बाल ठीक-ठाक किए और जल्दी से वहाँ से बाहर निकल आई.. क्यूंकि उसका मन अंकल से नजर मिलाने को नहीं हो रहा था।
कुछ देर बाद सूरज अंकल उसके नजदीक आए और उन्होंने उसके गालों पर एक ज़ोरदार पप्पी ली और 2 दिन बाद वापस आने का वादा करके चले गए।
 
अगले दिन नरेश बाथरूम जा रहा था तभी पिंकी के कमरे से गुजरते हुए उसकी नज़र खुली खिड़की से अंदर चली गई।अंदर उसकी छोटी बहन पिंकी अपने कपडे चेंज कर रही थी।इस समय वह एक छोटी सी ब्रा और पेंटी में खड़ी थी।नरेश अपनी छोटी बहन की खिलती जवानी को देखकर अपने होंठो पर जीभ फेरने लगा।पिंकी की चूचियां अभी अर्धविकसित थी जिसे देखकर नरेश के मुँह में पानी आ गया।वह अपनी छोटी बहन की कमसिन जवानी को भोगने का उपाय लगाने लगा।

बहुत सोचने के बाद नरेश ने एक दोस्त की आईडी पर एक मोबाइल सिम लिया और whatsapp पर अपनी छोटी बहन के नंबर पर भाई बहन की चुदाई की चार पांच कहानियाँ भेज दी।
उस समय पिंकी नरेश के पास ही बैठी हुई थी, अनजान नंबर से आये मैसेज को देख कर उसने चेक किया तो उसमें नरेश की भेजी हुई सेक्स कहानी थी।

पिंकी ने नरेश के पास बैठे बैठे ही थोड़ी सी पढ़ी तो वो शर्म से लाल हो गई, उसने मोबाइल बंद किया और उठ कर अपने कमरे में चली गई।
नरेश जानता था कि पिंकी वो कहानी जरूर पढ़ेगी, उसने चेक करने के लिए पिंकी के कमरे के दरवाजे के पास जाकर देखा तो पिंकी सच में मोबाइल पर वो कहानियाँ पढ़ रही थी और उसकी आँखें वासना की लाली से भर गई थी।

नरेश को अपनी चाल कामयाब होती नजर आ रही थी।

पिंकी कहानियाँ पढ़ती रही और नरेश छुप कर उसको देखता रहा। पिंकी कहानियाँ पढ़ते पढ़ते गर्म होने लगी थी तभी तो उसका हाथ अपनी स्कर्ट के अन्दर जा चुका था और वो अपने हाथ से अपनी चूत को सहला रही थी।

एक बार तो नरेश के मन में आया कि लोहा गर्म है, मार दे हथोड़ा…
पर जल्दबाजी घातक हो सकती थी, उसने सब्र करना ठीक समझा।

थोड़ी देर बाद उसने हैलो का मैसेज पिंकी के नंबर पर भेजा तो थोड़ी देर बाद पिंकी का भी मैसेज आया- हू आर यू?
नरेश कुछ देर सोचता रहा फिर उसने भी मैसज किया- मैं आपका दीवाना हूँ। जब भी आपको देखता हूँ आपको अपनी बाहों में भरने को जी चाहता है और आपको चूमने को जी चाहता है और आपके साथ एक बार चुदाई करने का जी चाहता है।
 
पिंकी का जवाब आया- बकवास बंद करो, जब मैं आपको जानती ही नहीं तो आपकी हिम्मत कैसे हुई मुझे ऐसे मैसज करने की। अगर दुबारा ऐसा मैसज किया तो मैं अपने भाई को बोल दूंगी।
नरेश- हा हा हा… वैसे तुम्हें कहानियाँ कैसी लगी?
पिंकी का कोई जवाब नहीं आया।

नरेश ने दुबारा फिर मैसज किया कि अगर पिंकी और कहानियाँ पढ़ना चाहे तो वो उसे और भेज देगा।
पिंकी का फिर कोई जवाब नहीं आया।
नरेश ने एक और कहानी पिंकी के नंबर पर भेज दी।

पिंकी ने फिर से कहानी पढ़नी शुरू कर दी।
इस बार नरेश ने देखा की पिंकी ने अपनी पेंटी उतार दी और स्कर्ट को भी ऊपर कर लिया और कहानी पढ़ते पढ़ते एक ऊँगली अपनी चूत में डाल कर हिलानी शुरू कर दी।

नरेश ने चुपचाप से उसकी ऐसा करते हुए एक वीडियो बना लिया।
अगले दो दिन तक नरेश ने कोई मैसज नहीं भेजा।

तीसरे दिन नरेश के पास पिंकी का हैलो का मैसेज आया।
नरेश का दिल जोर जोर से धड़कने लगा, उसने हिम्मत करके हैल्लो का जवाब दिया।
पिंकी का मैसेज आया कि अगर उसके पास और कहानियाँ है तो वो उसे भेज दे।

नरेश ने पूछा कि क्या उसे वो कहानियाँ पसंद आई तो पिंकी ने हाँ में जवाब दिया साथ ही पूछा कि क्या वो सारी कहानियाँ सच हैं?
नरेश ने हाँ बोला तो पिंकी पूछने लगी कि कोई लड़की कैसे अपने सगे या कजिन भाई से ऐसे सेक्स कर सकती है।

नरेश ने लिख दिया कि वो भी अपनी सगी बहन के साथ सेक्स करता है क्यूंकि यह बिल्कुल सेफ है, ना तो बाहर मुँह मारने की जरूरत और घर की इज्जत घर में ही रह जाती है।

पिंकी ने जवाब में कमीना लिखा।
तो नरेश ने बदले में पूछ लिया कि क्या कहानियाँ पढ़ कर पिंकी का मन नहीं किया कि वो भी अपने भाई के साथ चुदाई के मज़े ले।

पिंकी ने मना कर दिया और बोली कि उसे सेक्स में कोई रूचि नहीं है।
नरेश ने पूछा कि अगर रूचि नहीं है तो वो और कहानियाँ क्यों मांग रही है।
तो पिंकी ने जवाब दिया कि सिर्फ टाइमपास के लिए।
 
नरेश भी अब कमीनेपन पर आ गया था, वो चुपचाप पिंकी के पास जाकर बैठ गया और उसने पिंकी से मेसेज में पूछ लिया कि क्या पिंकी ने कभी अपने भाई का लंड देखा है?
मैसेज पढ़ते ही पिंकी ने नरेश की तरफ देखा और फिर जवाब लिख दिया कि ‘नहीं उसने नहीं देखा है।’

नरेश ने पूछा कि क्या तुम्हारा का दिल करता है अपने भाई का लंड देखने का?
तो पिंकी ने मना कर दिया।

नरेश पिंकी के पास बैठा हुआ पिंकी के चेहरे के हावभाव पढने की कोशिश कर रहा था।
स्पष्ट था कि पिंकी मैसेज पढ़ कर गर्म हो रही थी और बार बार अपने भाई की तरफ और भाई के लोअर में बने तम्बू की तरफ देख रही थी।
पिंकी नहीं जानती थी की खुद उसका भाई उसके पास बैठ कर ये कमीनापन कर रहा था।

नरेश ने फिर से एक मैसेज किया कि अगर उसका भाई उसको चोदना चाहे तो क्या वो उसको चोदने देगी?
पिंकी ने दो तीन गालियाँ लिख कर वापिस भेजी और मोबाइल से नेट बंद कर दिया।

मोबाइल बंद होते ही नरेश उठ कर पिंकी के बिल्कुल पास बैठ गया और पिंकी के बदन के साथ सटते हुए उसको अपने फ़ोन में एक फनी विडियो क्लिप दिखाने लगा।
पर उसने गौर किया की पिंकी का ध्यान मोबाइल पर कम नरेश के टावर पर ज्यादा है।
उसने बेशर्मी से पिंकी के सामने ही अपने लंड को पकड़ कर नीचे दबाया जैसे तो उसको सेट करने की कोशिश कर रहा हो।

नरेश का लंड कम से कम आठ इंच का लम्बा और लगभग अढाई इंच का मोटा था। लोअर में तम्बू बना हुआ साफ़ नजर आ रहा था।
नरेश ने जब अपने लंड को मसला तो पिंकी ने एकदम से अपनी नजरे दूसरी तरफ घुमा ली और उठ कर अपने कमरे की तरफ तेज कदमों से चली गई।
नरेश की लगाईं हुई आग अब भड़कने लगी थी।



पिंकी के जाने के कुछ देर बाद नरेश उठ कर पिंकी के कमरे की तरफ गया तो दरवाजा अन्दर से बंद था। पर नरेश जानता था कि कहाँ से पिंकी के कमरे के अन्दर झाँका जा सकता है।
वो जल्दी से वहाँ पहुंचा तो नरेश की आशा के अनुरूप पिंकी अपनी चूत ऊँगली से रगड़ रही थी।
घर में अगर बाकी लोग ना होते तो शायद नरेश उसी समय पिंकी को चोदने उसके कमरे में पहुँच जाता। पर अभी घर पर मम्मी और शीला भी थे।
 
नरेश ने फिर से दो तीन दिन पिंकी को कोई मैसज नहीं किया और पिंकी के मैसेज का इंतजार करने लगा।
तीसरे दिन पिंकी का मैसज आया की कहानी भेजो।
नरेश ने फिर से उसको दो-तीन कहानियाँ भेज दी।

पिंकी ने फिर से कहानियाँ पढ़ी और फिर से अपनी चूत में ऊँगली कर ली। अब नरेश का मन मचलने लगा था पिंकी की कुँवारी चूत में अपना लंड घुसाने को।
बहुत हिम्मत करके उसने पिंकी को चेक करने की सोची। शाम के समय जब शीला और मम्मी रसोई के काम में व्यस्त थी तो नरेश ने देखा पिंकी मोबाइल पर कुछ कर रही थी, शायद कहानी ही पढ़ रही थी।

नरेश पिंकी के कमरे में गया और पिंकी से बिलकुल चिपक कर बैठ गया और उसने अपना हाथ पिंकी के कंधे पर रखा और पिंकी से बोला- क्या बात है पिंकी आजकल सारा सारा दिन मोबाइल से ही चिपकी रहती हो, भाई से बात करने का भी समय नहीं है तुम्हारे पास?
पिंकी ने घबरा कर मोबाइल साइड में रख दिया, उसने कुछ जवाब नहीं दिया पर नरेश ने अपनी छोटी बहन के शरीर में कुछ कम्पन सी महसूस की।

पिंकी नरेश की बाहों में सिमटती जा रही थी, नरेश के स्पर्श ने शायद पिंकी की पेंटी में हलचल मचा दी थी।
नरेश ने अपना हाथ पिंकी के कंधे से सरका कर उसकी बगल में रख दिया और पिंकी को अपनी और खिंच कर बिलकुल अपनी बाहों में भर लिया।
ऐसा करने से उसका हाथ पिंकी की चूची पर पड़ गया।

नरेश को जब पिंकी की मुलायम चूची का एहसास हुआ तो नरेश ने चूची को हल्के से दबा दिया। पिंकी अपनी चूची पर अपने भाई का हाथ महसूस करते ही उचक पड़ी और एकदम से नरेश से अलग होकर रसोई में चली गई।

उस दिन के बाद से अब नरेश हर समय पिंकी के बदन को छूने की कोशिश करता। शुरू शुरू में तो पिंकी झट से उठ कर वहाँ से चली जाती थी पर जब ये हर रोज होने लगा तो पिंकी को भी शायद ये अच्छा लगने लगा था, अब वो आराम से बैठी रहती थी या यूँ कहिये की वो अब नरेश से कुछ ज्यादा ही चिपक कर बैठी रहती थी।
नरेश भी कभी उसके गाल कभी माथे पर चूमता और बीच बीच में पिंकी को चूची को स्पर्श करता या हल्के से दबा देता।
वो दोनों ये सब अपनी मम्मी और शीला की निगाह से बचा कर करते थे, अब दोनों को ही एक दूसरे का स्पर्श अच्छा लगने लगा था। ऐसे ही करीब चार पाँच दिन निकल गए।
 
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