hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
मैं झरने के बिलकुल क़रीब थी इसीलिए मज़े से मुझे पता ही नहीं चल रहा था की बापू अपना लंड मेरी चूत में 7 इंच तक घुसा चुके हैं । बापू के हलके धक्कों से उसका लंड और आगे नहीं जा रहा था ।
अचानक मेरा बदन टूटने लगा और में अपने चूतड़ उछालते हुए दूसरी बार झरने लगी।
"यआह्ह्ह्ह शहहह बापू ओह्ह्ह ज़ोर से मुझे चोदो।मैं झर रही हूँ" मज़े से मैंने अपनी आँखें बंद करके सिसकते हुए कहा ।
बापु ने मुझे झरता हुआ देखकर अपने लंड को ज़ोर से मेरी चूत में अंदर बाहर करने लगा । मेरी चूत से जाने कितनी देर तक पानी निकलता रहा, जब मेरा झरना बंद हुआ तो मैंने अपनी आँखें खोली ।
बापु ने मुझे देखकर मेरी टांगों को मज़बूती से पकडते हुए अपने लंड को पीछे खींचते हुए 4-5 ज़ोर के धक्के मार दिए जिससे उनका बचा हुआ लंड भी मेरी चूत में जगह बनाता हुआ अंदर घुस गया ।
"उई माँ ओह्ह्ह बापु" मेरी ऑंखों के सामने अँधेरा होने लगा, मुझे फिर से बुहत ज़ोर का दर्द होने लगा।
बापु मेरे चिल्लाने की परवाह न करते हुए अपना लंड बुहत ज़ोर से मेरी चूत में अंदर बाहर करने लगे। 9-10 धक्कों के बाद ही मेरी चूत का दर्द ग़ायब हो गया और मुझे मजा आने लगा ।
बापु का लंड मेरी चूत के आखरी हिस्से तक जाकर मेरी बचचेदानी को ठोकरें मार रहा था । बापू का लंड जैसे ही पूरा अंदर घुसता मेरा अंग अंग काम्प उठता, मुझे इतना मजा आ रहा था की मैं बापू का लंड निकलते ही अपने चूतड़ ऊपर उछालते हुए उसे अपनी चूत में वापस लेने लगती और बापू जैसे ही अपना लंड ज़ोर से मेरी चूत में पेलते मेरे मूह से ज़ोर की सिसकी निकल जाती ।
बापु भी अपना पूरा लंड बाहर निकालकर अंदर डाल रहे थे, उनके हर धक्के के साथ मेरा पूरा शरीर हिल रहा था । बापू ५ मिनट तक मेरी चूत में अपना मुसल लंड अंदर बाहर करने के बाद हाँफने लगे ।
मैंने महसूस किया की बापू का लंड मेरी चूत में फूल रहा है । बापू का लंड फूलने से उनका लंड मुझे अपनी चूत में ज़ोर की रगड देने लगा, आअह्ह्ह बेटी ओह्ह्ह मैं आया । बापू ने इतना ही कहा था की उनके लंड से कुछ गरम निकलकर मेरी चूत में गिरने लगा, मेरी चूत उस गरम अह्सास के साथ ही झटके खाने लगी और मैं भी आह्ह्ह्ह इश करते हुए तीसरी बार झरने लगी।
बापु जी झरने के बाद मेरे ऊपर ही ढेर हो गये और मेरे होंठो को चूमते हुए कहने लगे "बेटी तुम बुहत अच्छी हो, मेरा कितना ख़याल करती हो" । बापू ने उस रात मुझे दो बार और चोदा, इस बार उन्होंने मुझे कई तरीक़ों से चोदा।
तींन बार की चुदाई के बाद हम दोनों को गहरी नींद आ गयी । सुबह जब मैं उठी तो खटिया पर बिछायी चादर को देखकर चोंक गयी ।
अचानक मेरा बदन टूटने लगा और में अपने चूतड़ उछालते हुए दूसरी बार झरने लगी।
"यआह्ह्ह्ह शहहह बापू ओह्ह्ह ज़ोर से मुझे चोदो।मैं झर रही हूँ" मज़े से मैंने अपनी आँखें बंद करके सिसकते हुए कहा ।
बापु ने मुझे झरता हुआ देखकर अपने लंड को ज़ोर से मेरी चूत में अंदर बाहर करने लगा । मेरी चूत से जाने कितनी देर तक पानी निकलता रहा, जब मेरा झरना बंद हुआ तो मैंने अपनी आँखें खोली ।
बापु ने मुझे देखकर मेरी टांगों को मज़बूती से पकडते हुए अपने लंड को पीछे खींचते हुए 4-5 ज़ोर के धक्के मार दिए जिससे उनका बचा हुआ लंड भी मेरी चूत में जगह बनाता हुआ अंदर घुस गया ।
"उई माँ ओह्ह्ह बापु" मेरी ऑंखों के सामने अँधेरा होने लगा, मुझे फिर से बुहत ज़ोर का दर्द होने लगा।
बापु मेरे चिल्लाने की परवाह न करते हुए अपना लंड बुहत ज़ोर से मेरी चूत में अंदर बाहर करने लगे। 9-10 धक्कों के बाद ही मेरी चूत का दर्द ग़ायब हो गया और मुझे मजा आने लगा ।
बापु का लंड मेरी चूत के आखरी हिस्से तक जाकर मेरी बचचेदानी को ठोकरें मार रहा था । बापू का लंड जैसे ही पूरा अंदर घुसता मेरा अंग अंग काम्प उठता, मुझे इतना मजा आ रहा था की मैं बापू का लंड निकलते ही अपने चूतड़ ऊपर उछालते हुए उसे अपनी चूत में वापस लेने लगती और बापू जैसे ही अपना लंड ज़ोर से मेरी चूत में पेलते मेरे मूह से ज़ोर की सिसकी निकल जाती ।
बापु भी अपना पूरा लंड बाहर निकालकर अंदर डाल रहे थे, उनके हर धक्के के साथ मेरा पूरा शरीर हिल रहा था । बापू ५ मिनट तक मेरी चूत में अपना मुसल लंड अंदर बाहर करने के बाद हाँफने लगे ।
मैंने महसूस किया की बापू का लंड मेरी चूत में फूल रहा है । बापू का लंड फूलने से उनका लंड मुझे अपनी चूत में ज़ोर की रगड देने लगा, आअह्ह्ह बेटी ओह्ह्ह मैं आया । बापू ने इतना ही कहा था की उनके लंड से कुछ गरम निकलकर मेरी चूत में गिरने लगा, मेरी चूत उस गरम अह्सास के साथ ही झटके खाने लगी और मैं भी आह्ह्ह्ह इश करते हुए तीसरी बार झरने लगी।
बापु जी झरने के बाद मेरे ऊपर ही ढेर हो गये और मेरे होंठो को चूमते हुए कहने लगे "बेटी तुम बुहत अच्छी हो, मेरा कितना ख़याल करती हो" । बापू ने उस रात मुझे दो बार और चोदा, इस बार उन्होंने मुझे कई तरीक़ों से चोदा।
तींन बार की चुदाई के बाद हम दोनों को गहरी नींद आ गयी । सुबह जब मैं उठी तो खटिया पर बिछायी चादर को देखकर चोंक गयी ।