Incest Kahani परिवार(दि फैमिली) - Page 9 - SexBaba
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Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)

नरेश की बात सुनकर विजय का लंड उसके अंडरवियर में तनने लगा था।
"यार तुम्हारा तो बुहत तगडा लगता है, इसे यों ही क्यों घिस रहे हो" नरेश ने विजय के अंडरवियर के उभार को देखते हुए कहा ।
"क्या करुं यार मेरा नसीब तुम्हारे जैसे नहीं है" विजय ने नरेश की बात सुनते हुए कहा।
"यार एक बात कहूं बुरा मत मानना" नरेश ने विजय से कहा।
"हा पूछो यार" विजय ने जल्दी से कहा।
"यार मुझे कंचन दीदी बुहत ख़ूबसूरत लग रही थी, साली को देखकर लौडा एकदम खडा हो जाता है" नरेश ने सीधे सीधे कह दिया ।

नरेश की बात सुनकर विजय का लंड तनकर ज़ोर से झटके खाने लगा ।
"यार वह तो सही है मगर शीला दीदी भी बुहत मस्त है, उसे देखते ही अपनी बाहों में लेने का दिल करता है" नरेश की बात सुनकर गुस्सा होने की बजाये विजय ने मजा लेते हुए कहा ।
नरेश का लंड भी अपनी बहन के बारे में सुनकर झटके खाने लगा । नरेश ने उत्तेजना में अपने अंडरवियर को भी अपने जिस्म से हटा दिया, विजय ने भी नरेश को देखकर अपना अंडरवियर उतार दिया ।

नरेश और विजय बिलकुल नंगे सोये हुए अपने लन्डों को सहला रहे थे । दोनों के लंड एक दुसरे से कम नहीं थे।
"यार तूने कभी शीला को नंगा देखा है?" विजय ने अपने लंड को हिलाते हुए नरेश से पुछा ।
"पूरा नंगा तो नहीं देखा। मगर एक बार झाडू देते हुए उसकी चुचियों को पूरा नंगा देखा था" विजय की बात सुनकर नरेश ने भी अपने लंड को हिलाते हुए कहा।
"क्यों साली ब्रा नहीं पहनती क्या?" विजय ने फिर से कहा।
"यार उस दिन नहीं पहनी थी" नरेश ने विजय से कहा।

"नरेश साली ने जानबूझकर तुझे अपनी चुचियां दिखाई होंगी और तुम उसका इशारा समझ नहीं पाये" विजय ने नरेश से कहा।
"तुम सुनाओ लगता है इस में तुम्हारा तजूरबा ज़्यादा है" नरेश ने विजय से पुछा ।
"यार क्या बताउं मैंने तो कंचन को पूरा नंगा देखा है, साली बुहत गरम माल है" विजय ने बड़ी बेशरमी से अपनी बहन के बारे में बात करते हुए कहा।
"कैसे देखो यार बताओ न फिर, मैं किसी को नहीं बताऊँगा" विजय की बात सुनकर नरेश ने उत्तेजित होते हुए विजय से कहा ।
 
"तुम से क्या छुपाना यार" यह कहते हुए विजय ने अपनी दीदी का अपने साथ हुआ सब कुछ बता दिया,
"यार तुम तो बुहत लकी हो" विजय की बात सुनकर उत्तेजना के मारे थूक गटकते हुए कहा।
"मगर यार मेरे लंड ने तो अभी किसी चूत का स्वाद नहीं चखा" विजय ने मायूस होते हुए कहा।
"हम आ गये हैं न कुछ न कुछ तो इन्तज़ाम कर देंगे" नरेश ने विजय को तसल्ली देते हुए कहा।
"विजय वैसे तू है बड़ा लकी, तेरी माँ भी कम नहीं है । साली के गले लगते ही मेरा लंड उछलने लगा" नरेश ने अपनी मामी के बारे में बात करते हुए कहा।

"साले वह तुम्हारी माँ की उम्र की है, उसमें क्या दिख गया" विजय अपनी माँ के बारे में सुनकर उत्तेजित होते हुए कहा।
"यार उम्र को छोड़ो, साली की चुचियां और गांड ऐसी है की देखते ही उसे चोदने का मन करता है" नरेश ने बेशरमी से कहा ।
"साले कह तो सही रहा है मगर तुम्हारी माँ भी काम नहीं है । साली को देखकर बिलकुल नहीं लगता के वो तीन जवान बच्चों की माँ है, बिलकुल कॉलेज की लोंडिया लगती है" नरेश की बात सुनकर विजय ने उसकी माँ की तारीफ करते हुए कहा ।

"आहहह साले तेरी माँ और बहन के बारे में सोचते ही मेरा पानी निकलने वाला है" नरेश ने उत्तेजना के मारे अपना लंड ज़ोर से हिलाते हुए कहा।
"हाहहह साले इधर भी वही हाल है" विजय ने भी सिसकी लेते हुए कहा ।
दोनों कुछ देर तक चुप होकर अपने लन्डों को सहलाते रहे और अचानक दोनों एक साथ बुहत ज़ोर से चिल्लाकर सिसकते हुए "ओहहह आह्हः दीदी ओफ़्फ़्फ़ " कहते हुए झरने लगे । दोनों के लन्डों से एक दुसरे की माँ और दीदी के बारे में सोचकर बुहत देर तक पानी निकलता रहा ।
 
कंचन और शीला एक दुसरे से बुहत खुल चुकी थी । बुहत ज्यादा गर्मी होने के सबब दोनों सिर्फ एक नाइटी पहनकर सोयी थी, नींद दोनों के आँखों से दूर थी,
"शीला एक बात पूछूँ" कंचन ने शीला की तरफ करवट लेते हुए कहा।
"हा पूछो" शीला ने जवाब दिया।
"यार तुमने कॉलेज में कोई बॉयफ्रेंड वग़ैरह बनाया है की नही" कंचन ने शीला की तरफ देखते हुए कहा।
"यार मुझे कौन उल्लु का पठा गर्लफ्रेंड बनाएग, तुम अपनी बात करो कॉलेज के सारे लड़के तुम्हारे पीछे लटू बनकर घुमते होंगे" शीला ने कंचन की बात सुनने के बाद कहा।

"यार मेरे पीछे तो बुहत पड़े थे मगर मैंने डर के मारे किसी को लिफ्ट नहीं दी, वैसे तुम्हारी फिगर भी कम नहीं । तुम्हें पाने का तो हर लड़का ख्वाब देखता होगा" कंचन ने शीला की तारीफ करते हुए कहा ।
"कंचन झूटी तारीफ मत करो ऐसा क्या दिख गया मुझ में तुम्हें" शीला ने कंचन की बात सुनकर शरमाते हुए कहा।
"सच कह रही हूँ यार तुम्हारा फिगर बुहत मस्त है,मैं अगर लड़का होता तो तुझे ज़रूर गर्लफ्रेंड बनाता" कंचन ने हँसते हुए कहा।

"शीला कभी तुम्हारा जिस्म किसी और ने नंगा देखा है" कंचन ने थोडी देर चुप रहने के बाद कहा।
"कंचन तुम क्या बोल रही हो" शीला ने शरमाते हुए कहा।
"मैं किसी गैर की बात नहीं कर रही तुम्हारी माँ, बहन या भाई ने" कंचन ने बात को बढाते हुए कहा ।
"कंचन भगवान के लिए चुप करो मुझे बुहत शर्म आ रही है" शीला ने शरमाते हुए कहा।
"शीला इस वक्त तुम्हारे साथ सिर्फ में हूँ शर्मा क्यों रही हो, सच सच बताओ" कंचन ने शीला को समझाते हुए कहा।
"दीदी एक बार मुझे अपना भाई ने नंगा देखा था" शीला ने शर्म से अपना कन्धा नीचे करते हुए कहा।
"वाह मेरी छमकछल्लो नंगी हुई तो भी अपने भाई के सामने घर की बात घर में, बता न कैसे हुआ यह सब" कंचन ने खुश होते हुए शीला के गालों की चिकोटी काटते हुए कहा।

"दीदी एक बार मैं कॉलेज से जल्दी घर आ गयी थी।मैं जब नहाने बाथरूम में गयी तो पानी नहीं आ रहा था, उस वक़त भैया घर में नहीं थे तो मैं उनके बाथरूम में घुस गयी । मैंने जल्दी में दरवाज़ा बंद करना भूल गई, मैं जैसे ही शावर ऑन करके नहा रही थी की भैया कहीं से आ गये और बाथरूम का दरवाज़ा खोल दिया । मैं बाथरूम का दरवाज़ा खुलने से डर के मारे सीधी हो गई और भैया ने मुझे पूरा नंगा देख लिया" ।
 
फिर क्या हुआ शीला?" कंचन ने उत्तेजना से पूछा।
"भइया मुझे देखते ही वहां से चले गये, मैं जब नहा कर बाहर निकली तो वह घर में नहीं थे" शीला ने आगे बताते हुए कहा।
"उसके बाद फिर कभी कोई ऐसा कुछ हुया" कंचन ने शीला से कहा।
"दीदी सच बताओं तो मैं बाहर के लड़कों से डरती थी की उनके साथ कुछ गलत करने पर बदनामी होगी, मगर मुझे जिस्म की आग तडपाती रहती थी तो मैं कई बार भैया को अपने जिस्म के जलवे दिखाये मगर उनपर कोई असर नहीं हुया" शीला ने मायूस होते हुए कहा।

"तुमने कभी अपने भैया का लंड देखा है" कंचन ने यह बात कहते हुए अपना कन्धा शर्म से झुका दिया,
"दीदी एक बार देखा था जब मैं उसे लिफ्ट दे रही थी, मुझे पता था की वह कॉलेज से लोटते ही नहाने चला जाता है और वह बाहर सिर्फ तोलीया लपेट कर निकलता था तो मैं जैसे ही भइया कॉलेज से आकर बाथरूम में घुसे मैं भी उनके कमरे में जाकर बैठ गई ।भैया जैसे ही तौलीया लपेट कर बाहर निकले मैं जान बूझकर खडी हो गयी। भैया मुझे अचानक देखकर डर गए और तौलीया उनके हाथ से गिर गया । दीदी सच बताऊँ तो उनका टोलिया गिरते ही मेरा पूरा जिस्म काम्पने लगा। उनका लंड बुहत मोटा और लम्बा बिलकुल सीधा खडा था जिसे मैं देखकर वहां से भाग गई ।

"शीला तुम्हारी बातें सुनकर तो मेरी चूत से पानी टपक रहा है" कंचन ने शीला की बात सुनने के बाद कहा।
"कंचन मेरी हालत भी खराब है, तुम भी तो कुछ बताओ ना" शीला ने कंचन से कहा।
"शीला मेरी बात सुनकर तो तुम्हारी चूत पानी छोड देगी, एक काम करते हैं । नाइटी को उतार दो वेसे भी हम दोनों ही यहाँ हैं" कंचन ने शीला को सलाह देते हुए कहा । शीला ने कंचन की बात मान ली और दोनों ने अपनी अपनी नाइटी उतार दी ।

अब दोनों लड़क़ियां सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी । दोनों के गोरे जिस्म बल्ब की रौशनी में चमक रहे थे और दोनों की पेंटी बाटें करते हुए भीग चुकी थी, कंचन ने नीलम की बातों से लेकर अपने भैया के साथ होने वाला सारा किस्सा शीला को बता दिया ।
"कंचन तुम्हारी बातें सुनकर तो मेरी बुरी हालत है, मेरा कुछ करो वरना मैं मर जाऊँगी। कंचन की बातें सुनने के बाद शीला ने उत्तेजना के मारे कहा।
"शीला एक काम करते हैं कल से तुम मेरे भाई को लाइन दो। मैं तुम्हारे भाई को लिफ्ट देति हूँ" कंचन ने शीला को सलाह देते हुए कहा।
 
"कल का कल सोचेंगे मगर अभी कुछ करो ना" शीला ने कंचन की तरफ देखते हुए कहा।
"शीला मैंने एक फिल्म देखी थी जिसमें लड़की लड़की से प्यार करती है, हम भी वैसा ही करके देखते है" कंचन ने शीला को बाहों में लेते हुए कहा ।
शील बुहत गरम हो चुकी थी उसने कंचन को सीधा करते हुए उसके ऊपर चढ़ गयी और अपनी चुचियों को कंचन की चुचियों से रगडने लगी। अपनी चुचियां एक दुसरे की चुचियों से टकराते ही दोनों के मूह से एक साथ उत्तेजना के मारे सिसकिया निकलने लगी।

कंचन ने उत्तेजना में आकर अपनी टांगों को खोल दिया। जिस वजह से अब शीला उसकी टांगों के बीच आ गयी और दोनों की रस टपकाती चुते एक दुसरे से रगडने लगी । दोनों के मूह से हवस और उत्तेजना के मारे ज़ोर की सिसिकयां निकलने लगी ।
कुछ ही देर बाद दोनों के बदन अकडने लगी । कंचन ने उत्तेजना के मारे अपने गुलाबी होंठ शीला के होंठो पर रख दिये । शीला ने कंचन के होंठो को अपना पूरा मुँह खोलकर अपने मुँह में ले लीया और बुहत ज़ोर से चूसने लगी।

कंचन को अपने पूरे जिस्म में बुहत ज़ोर से सिहरन हो रही थी । कंचन ने अपने होंठ शीला के मूह से हटाते हुए उसके ब्रा के ऊपर बने उसकी चुचियों के उभार पर रख दिये,
"आजहहहह इस्स्सस्स शीला कंचन के होंठ अपनी चुचियों के उभार पर लगते ही बुहत ज़ोर से सिसकते हुए झर गयी ।
कंचन अपनी पेंटी पर शीला का गरम गरम पानी महसूस करके काम्पने लगी । शीला ने झरते हुए अपने दोनों हाथों से कंचन की गांड पर अपने नाख़ून गडा दिये, जिनकी वजह से कंचन भी काँपते हुए अपनी चूत से पानी छोड़ते हुए झरने लगी ।
 
कंचन और शीला झरने के बाद कुछ देर तक हाँफती रही और फिर एक दुसरे से अलग होकर लेट गयी । इधर विजय और नरेश भी झरने के बाद लेट चुके थे। रेखा अपनी पति के साथ सोयी हुयी थी जो अपना मूह दूसरी तरफ किये हुए लेट चूका था ।
रात के १२ बज रहे थे रेखा को अपनी चूत में बुहत ज़ोर की खुजलि हो रही थी, रेखा ने बेड से उठते हुए अपने ससुर के कमरे में जाने का फैसला किया । इधर मनीषा भी अभी तक जाग रही थी उसे अपने भाभी और बापू के बारे में जानना था।

मनिषा जिस रूम में ठहरी थी वह उसके बापू के रूम के बाद आखरी रूम था । अचानक मनीषा को उसके बापू का दरवाज़े के खटखटाने की आवाज़ आई, मनीषा जल्दी से अपने बेड से उठते हुए अपना दरवाज़ा हल्का खोलकर बाहर देखने लगी ।
मानिषा का शक बाहर देखकर पक्का हो गया क्योंकी रेखा उसके बापू का दरवाज़ा खटका रही थी । अनिल ने जैसे ही दरवाज़ा खोला रेखा अंदर जाते ही अपने ससुर से लिपट गई, रेखा ने दरवाज़ा अंदर से बंद करते हुए अपनी नाइटी को उतार दिया ।

मानिषा भी बाहर आते हुए अपने बापू के कमरे के दरवाज़े पर खडी होकर गौर से देखने लगी की उसे अंदर देखने के लिए कुछ मिल जाए । थोड़ी ही देर में उसे दरवाज़े में एक छेद मिल गया, मनीषा घुटनों के बल बैठते हुए छेद में से अंदर देखने की कोशिश करने लगी ।
मानिषा को छेद में से उसके बापू का बेड नज़र आने लगा । रेखा ने अपने ससुर को चूमते हुए बेड पर ले जाकर सीधा लेटा दिया और उनकी लुंगी को अपने हाथों से उनके जिस्म से अलग करदिया । मनीषा को उस छेद में से अपने बापू का तना हुआ उछलता हुआ लंड नज़र आने लगा।

मानिषा की साँसें अपने बापू के लंड को देखकर बुहत ज़ोर से चलने लगी और उसको अपने पूरे जिस्म में चिंटिया रेंगते हुए महसूस होने लगी । रेखा अपने सुसुर को लेटाने के बाद उनके ऊपर चढ़ गयी और अपनी चूत को पेंटी के ऊपर से ही अपने ससुर के लंड पर घिसते हुए उनके होंठो को चूमने लगी ।
मानिषा को अब सिर्फ अपनी भाभी के मोटे चूतड नज़र आ रहे थे, मनीषा का हाथ अपने आप उसकी पेंटी तक चला गया ।

अनिल ने अपनी बहु की पीठ पर अपने हाथ फिराते हुए उसकी ब्रा को उतार दिया और अपनी जीभ को अपनी बहु के मूह में ड़ालते हुए उसकी बड़ी बड़ी चुचियों को अपने हाथों से दबाने लगा । रेखा अपने ससुर की जीभ को बड़े प्यार से चूसने लगी ।
 
रेखा ने अपनी ससुर की जीभ को चाटते हुय उसके हाथों को अपनी चुचियों से हटाते हुए अपने हाथों में पकड लिया और अपनी चुचियां अपने ससुर के बालों वाले सीने में दबाते हुए उसकी जीभ को अपने मूह से निकालकर अपनी जीभ उसके मूह में डाल दी।

अनिल कुछ देर तक अपनी बहु की रसीली जीभ को चाटने के बाद उसके हाथों से अपने हाथों को जुदा करते हुए उसकी जीभ को अपने मूह से निकाल दिया ।अनिल ने अपनी बहु को कमर से पकडते हुए थोडा ऊपर कर दिया और उसकी दोनों बड़ी चुचियों को बारी बारी चूसने लगा ।
रेखा पहले से बुहत गरम थी अपनी चुचियों को अपने ससुर के मूह में जाते ही वह बुहत ज़ोर से सिसकने लगी । मनीषा अपनी भाभी की सिसकिया सुनकर गरम होते हुए अपनी चूत को पेंटी के ऊपर से ही कुरेदने लगी ।

रेखा अपनी चुचियां थोड़ी देर तक अपने ससुर से चुसवाने के बाद उन्हें उसके मुँह से जुदा करते हुए नीचे होने लगी । रेखा नीचे होते हुए अपनी जीभ से अपने ससुर के सीने को चाटने लगी, अनिल अपनी बहु की जीभ अपने सीने पर लगते ही उत्तेजना के मारे काम्पने लगा ।
रेखा ने अपने ससुर के सीने पर जीभ फिराते हुए अचानक अपने ससुर के एक निप्पल को अपने मूह में भर लिया और उसे ज़ोर से चूसने लगी ।अपनी बहु की इस हरकत से अनिल का अंग अंग मज़े और गुदगुदी की लहर से काम्प उठा।

अनिल से अब बर्दाशत नहीं हो रहा था। उसका लंड उत्तेजना के मारे तनकर बुहत ज़ोर से उछल रह था। अनिल ने अपनी बहु की कमर में हाथ ड़ालते हुए उसे अपने ऊपर से हटा दिया और अपने हाथों से उसने अपनी बहु की पेंटी को उतार दिया ।
रेखा की चूत से उत्तेजना के मारे पानी निकल रहा था ।अनिल ने अपनी बहु को कुतिया की तरह उल्टा लिटा दिया और नीचे झुकते हुए उसके बड़े बड़े चूतडों को अपनी जीभ से चाटते हुए अपनी जीभ को अपनी बहु की गांड के भूरे छेद पर फिराने लगा ।

"ओहहह इस्सस बाबूजी आअह्ह्ह क्या कर रहे हो" अपने ससुर की जीभ अपनी गांड पर पड़ते ही रेखा उत्तेजना और मज़े के मारे उछलते हुए सिसकने लगी। मनीषा को अब अपनी भाभी की गांड चाटते हुए उसका बापू नज़र आ रहा था ।
मानिषा की हालत बुहत बिगड चुकी थी उत्तेजना के मारे उसकी पूरी पेंटी चूत के पानी से भीग चुकी थी और उसका हाथ अपनी चूत पर पेंटी के ऊपर से ही बुहत ज़ोर से चल रहा था । अनिल अपनी बहु की गांड चाटते हुए अपनी जीभ को उसकी गांड से हटाते हुए उसकी चूत की तरफ ले जाने लगा।
 
रेखा ने अपने ससुर की जीभ को अपनी चूत की तरफ जाता हुआ देखकर अपने चुतडो को पीछे की तरफ मोड़ दिया ताकी उसके ससुर को उसकी चूत चाटने में कोई तकलीफ न हो।
अनिल ने अपनी जीभ को अपनी बहु की रस टपकाती चूत के छेद पर रख दिया।
"ओहहह श बाबजी" रेखा अपने ससुर की जीभ को अपनी चूत के छेद पर लगते ही ज़ोर से सिसकने लगी।अनिल को अपनी बहु की चूत का नमकीन पानी बुहत टेस्टी लग रहा था । इसीलिए वह अपनी बहु की चूत से निकलता हुआ सारा पानी अपनी जीभ से चाट रहा था ।

"बेटी तुम्हारी चूत का पानी तो बुहत टेस्टी है" अनिल ने अपनी बहु की चूत से अपनी जीभ को हटाते हुए कहा और अपने हाथों से उसकी चूत के दोनों लबों को फ़ैलाते हुए अपनी जीभ को कडा करते हुए अपनी बहु की चूत में घुसा दिया ।
"उई इस्सस बाबूजी आपकी जीभ तो मुझे स्वर्ग से ज़्यादा मजा दे रही है" रेखा ने ज़ोर से सिसकते हुए कहा । अनिल ने कुछ देर तक अपनी बहु की चूत को चाटने के बाद अपनी जीभ को उसकी चूत से निकालते हुए अपना लंड अपनी बहु की भीगी हुए चूत पर रगडने लगा।

"हाहहह ओह डाल दो बाबूजी क्यों तडपा रहे हो" रेखा ने अपने ससुर के लंड को अपनी चूत पर रगडता हुआ पाकर अपने चुतडों को पीछे की तरफ करते हुए सिसकार कर कहा ।
अनिल अपनी बहु की बात सुनकर अपने लंड को उसकी चूत के छेद पर रखते हुए एक जोर का धक्का मार दिया।
"आजहहह इस्सस बाबजी उफ्फ मजा आ गया" एक ही झटके में अपने ससुर का लंड अपनी भीगी हुयी चूत में पड़ते ही रेखा ने मज़े से सिसकते हुए कहा । अपने बाप का लंड अपनी भाभी की चूत में जाता हुआ देखकर मनीषा की चूत झटके खाते हुए पानी छोड़ने लगी। मनीषा अपनी आँखें बंद करके झरने का मज़ा लेने लगी।

इधर अनिल अपनी बहु की चूत में बुहत ज़ोर के धक्के मारते हुए उसे चोदने लगा । अनिल अपना लंड टोपे तक बाहर खींचकर फिर से अपनी बहु की चूत में जड़ तक पेल रहा था।
"आह्ह्ह्ह इस्स्स्सह्ह्हह्ह ओह्ह्ह बाबूजी ऐसे ही ज़ोर से अंदर बाहर करो" रेखा उत्तेजना के मारे बुहत ज़ोर से सिसकते हुए कह रही थी । अनिल अपनी बहु की चूत में अपना लंड अंदर बाहर करते हुए अपने हाथ से उसकी गांड को सहलाने लगा, रेखा अपने ससुर की इस हरकत से बुहत ज़ोर से उछलते हुए सिसकते हुए बोली।
"आह्ह्ह्ह बाबूजी क्या कर रहे हो" ।
 
मानिषा झरने के बाद अपनी आँखें खोल चुकी थी। उसके दिमाग में जाने क्या आइडिया आया की वो अपने बापू के दरवाज़े को खटखटाने लगी । इधर रेखा और अनिल दरवाज़े के खटकाने से बुहत डर गये, अनिल ने जल्दी से अपनी बहु की चूत से लंड निकालकर अपनी धोती पहन ली और रेखा भी अपने कपड़े उठाते हुए बाथरूम में घूस गयी ।
अनिल ने जाकर जल्दी से दरवाज़ा खोल दिया उसका दिल बुहत ज़ोर से धडक रहा था।
"बेटी इस वक्त तुम यहाँ कैसे" सामने अपनी बेटी को देखकर अनिल ने हैंरानी से कहा।
"वो बाबूजी मुझे नींद नहीं आ रही थी सो मैंने सोचा आपके साथ बैठकर गप मारुं, आप सो रहे थे क्या? मनीषा ने अपने बापू के सामने नाटक करते हुए कहा।

"नही बेटी मैं कहाँ सो रहा था वह तुम्हारी भाभी भी अभी आई थी उसे नींद नहीं आ रही थी । अभी बाथरूम में गयी है" अनिल ने बात को सँभालते हुए कहा।
"भाभी इस वक्त फिर बापू दरवाज़ा क्यों बंद था?" मनीषा ने अपने बापू से जिरह करते हुए पूछा।
"वो बेटी तुम्हारी भाभी की आदत है जब भी आती है दरवाज़ा अंदर से बंद कर देती है" अनिल ने अपनी चोरी पकडे जाने पर अपने माथे से पसीना पोछते हुए कहा।

रेखा भी बाथरूम में सारी बातें सुन रही थी उसे मनीषा पर बुहत गुस्सा आ रहा था की उसे भी अभी आना था कितना मजा आ रहा था उसे अपने ससुर के साथ । रेखा ने अपनी पेंटी और ब्रा पहनने के बाद अपनी नाइटी भी पहन ली और बाहर आ गयी ।
रेखा ने बाहर आते ही मनीषा को देखकर हैंरान होते हुए पुछा "दीदी तुम इस वक्त यहाँ क्या कर रही हो"
"अरे वाह भाई यह सवाल तो मैं भी पूछ सकती हू" मनीषा ने अपनी भाभी से कहा।
"मुझे जब नींद नहीं आती तो अपने बापू से बातें करने आ जाती हू" रेखा ने मनीषा के सवाल का जवाब देते हुए कहा।
"तो मैं भी अपने बापू से बातें ही करने आई हूँ" मनीषा ने रेखा को देखते हुए कहा।
"मैं तो बुहत देर से बातें कर रही थी बापू के साथ्, अभी मुझे बुहत नींद आ रही है में जा रही हूँ। तुम बाप बेटी आपस में बातें करो" रेखा ने मनीषा की तरफ देखते हुए कहा और वहां से निकल कर अपने कमरे में चलि गई।

"बापु मुझे तो कुछ गलत लग रहा है, शाम को जब मैं आई थी तो भाभी ने दरवाज़ा खोलने में इतनी देर की थी और इतनी रात को तुम दोनों अकेले कमरे में सच सच बताओ बापू क्या चक्कर है" मनीषा ने रेखा के जाते ही अपने बापू को गुस्से से कहा।
"अरे बेटी ऐसी कोई बात नहीं तुम तो खवाहमखा शक कर रही हो" अनिल ने परेशान होते हुए कहा।
"तो फिर यह क्या है, यह इतना तना हुआ क्यों है" मनीषा ने अपने बापू के खडे लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा।
 
अनिल अपनी बेटी के इस सवाल पर हक्का बक्का रह गया और अपने लंड को छुपाने की नाक़ाम कोशिश करने लगा।
"बाबू जी रहने दिजिये अब इसे मत छुपाईये" मनीषा ने बेड पर जाकर बैठते हुए कहा । अनिल शर्म के मारे वैसे ही वहां खडा था ।
"बापु इधर आकर बैठ जाओ" मनीषा ने अपने बाप को यो खडा हुआ देखकर कहा । अनिल अपना सर यों ही नीचे किये हुए अपनी बेटी के साथ जाकर बेड पर बैठ गया ।

"मैं समझ सकती हूँ की माँ के मरने के बाद आपको औरत की कमी महसूस हुयी होगी। मगर अपनी बहु के साथ और वह भी आपका साथ दे रही है आखिर क्या चक्कर है?" मनीषा ने अपने बाप के बैठते ही सवालों की बोछार कर दी । अनिल ने अपनी बेटी को शुरू से लेकर सारी बात बता दिया और यह भी बताया की उसके बेटे सेक्स में थोड़ा कमज़ोर है इसीलिए बहु ने उसके साथ सम्भोग किया ।
"बापु जी मगर भैया इतनी अच्छी बीवी होते हुए भी क्यों सेक्स से भागते है, कहीं उनका भी तो कोई चक्कर नही" मनीषा ने अपने बापू की बात सुनने के बाद हैंरान होते हुए कहा ।

"नही बेटी मुकेश पर घर का सारा बोझ है इसीलिए वह सेक्स की तरफ ज़्यादा ख्याल नहीं रख पा रहा है" अनिल ने अपनी बेटी को जवाब देते हुए कहा । अनिल का लंड अपनी बेटी के साथ सेक्सी बातें करते हुए तनकर ऊपर नीचे हो रहा था ।
"बापु जी आप तो बुहत बिगड चुके हैं अपनी बेटी के सामने भी इसे चुप नहीं कर सकते" मनीषा ने अचानक अपने बाप के उछलते हुए लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा।

"बेटी इसमें इसका क्या क़सूर तुमने ही तो आकर इसकी खोराक को भगा दिया । अब यह भूख की वजह से उछल कूद तो करेगा ही" अनिल ने अपनी बेटी की बात सुनकर हँसते हुए कहा । अनिल को अब अपनी बेटी से बातें करते हुए कोई डर नहीं हो रहा था क्योंकी मनीषा खुद उसके पिता के साथ बगैर किसी हिचक़िचाहट के सेक्स की बातें कर रही थी ।
"बापु कुछ तो शर्म करो अपनी बहु को चोद ही रहे हो अब क्या अपनी बेटी पर भी बुरी नज़र रखोगे" मनीषा ने अपने पिता की बात सुनकर अपना मूह बनाते हुए कहा।
"नही बेटी तुम यह क्या कह रही हो, मैं तुम्हारे बारे में ऐसा कैसे सोच सकता हूँ ।
 
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