hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
कंचन और विजय कुछ देर तक आपस में बाते करने के बाद एक दुसरे से गले लगकर यो ही नंगे सो गये । इधर शीला अपने भाई का इंतज़ार करते करते थक गयी और अपने हाथों से ही अपने आपको शांत करने लगी, वह कुछ देर की मेंहनत के बाद झड गयी और अपनी नाइटी को पहनकर बेड पर सो गयी ।
नरेश अपनी माँ को दो बार चोदने के बाद थक हारकर उसके कमरे से निकलते हुए अपने कमरे में आ गया। नरेश ने अपने कमरे में आते ही देखा की उसकी बहन सो चुकी है, नरेश भी बुहत थका हुआ था। वह अपनी दीदी के बगल में लेट गया और कुछ ही देर में वह नींद के आग़ोश में चला गया।
मानिषा भी अपने बेटे से दो बार चुदवाने के बाद आराम की नींद करने लगी । विजय की मोबाइल का अलारम बजने लगा वह चौँककर उठ गया और अपनी मोबाइल के अलारम को बंद करते हुए बाथरूम में चला गया। विजय उठकर पेशाब करने के लिए बाथरूम में चला गया ।
विजय ने सुबह के ५ बजे का अलारम अपनी मोबाइल पर सेट किया था, बाथरूम से लौटते ही वह अपनी बहन के जिस्म से चादर हटाकर उसे देखने लगा, विजय अपनी बहन के पैरों से होता हुआ उसकी दोनों टांगों को आपस में से अलग कर दिया।
कंचन की चूत के छेद को देखकर विजय का लंड तनने लगा, क्योंकी चुदाई से पहले कंचन की चूत के दोनों होंठ आपस में मिले हुए थे। मगर अब उसकी चूत का मूह थोडा खुल गया था । विजय अपने मूह को अपनी दीदी की चूत के पास ले जाकर सूँघने लगा ।
विजय की आँखें अपनी दीदी की चूत की गंध सूंघकर बंद होने लगी । क्योंकी उसे अपनी दीदी की चूत की गंध बुहत अच्छी लग रही थी । विजय को कंचन की चूत से उसके वीर्य और उसकी दीदी की चूत के पानी की मिली जुली ख़ुश्बू आ रही थी।
विजय कुछ देर तक अपनी दीदी की चूत को सूँघने के बाद अपनी जीभ को निकालकर अपनी बहन की चूत को चाटने लगा, कंचन जो गहरी नींद में थी अपने भैया की जीभ को अपनी चूत पर महसूस करके हिलने लगी ।विजय अपनी बहन की चूत को चाटते हुए अचानक अपनी जीभ को कडा करते हुए अपनी दीदी की चूत में डाल दिया ।
कंचन का जिस्म अपने भाई की जीभ के घुसते ही ज़ोर से काम्पने लगा, विजय अपनी बहन की चूत में पूरी तेज़ी के साथ अपनी जीभ को अंदर बाहर करने लगा। कंचन की नींद टूटने लगी और उसने अपनी आँखें खोलकर ज़ोर से सिसकते हुए अपने हाथों को नीचे करते हुए अपने भाई के सर को पकडकर अपनी चूत पर दबाने लगी।
नरेश अपनी माँ को दो बार चोदने के बाद थक हारकर उसके कमरे से निकलते हुए अपने कमरे में आ गया। नरेश ने अपने कमरे में आते ही देखा की उसकी बहन सो चुकी है, नरेश भी बुहत थका हुआ था। वह अपनी दीदी के बगल में लेट गया और कुछ ही देर में वह नींद के आग़ोश में चला गया।
मानिषा भी अपने बेटे से दो बार चुदवाने के बाद आराम की नींद करने लगी । विजय की मोबाइल का अलारम बजने लगा वह चौँककर उठ गया और अपनी मोबाइल के अलारम को बंद करते हुए बाथरूम में चला गया। विजय उठकर पेशाब करने के लिए बाथरूम में चला गया ।
विजय ने सुबह के ५ बजे का अलारम अपनी मोबाइल पर सेट किया था, बाथरूम से लौटते ही वह अपनी बहन के जिस्म से चादर हटाकर उसे देखने लगा, विजय अपनी बहन के पैरों से होता हुआ उसकी दोनों टांगों को आपस में से अलग कर दिया।
कंचन की चूत के छेद को देखकर विजय का लंड तनने लगा, क्योंकी चुदाई से पहले कंचन की चूत के दोनों होंठ आपस में मिले हुए थे। मगर अब उसकी चूत का मूह थोडा खुल गया था । विजय अपने मूह को अपनी दीदी की चूत के पास ले जाकर सूँघने लगा ।
विजय की आँखें अपनी दीदी की चूत की गंध सूंघकर बंद होने लगी । क्योंकी उसे अपनी दीदी की चूत की गंध बुहत अच्छी लग रही थी । विजय को कंचन की चूत से उसके वीर्य और उसकी दीदी की चूत के पानी की मिली जुली ख़ुश्बू आ रही थी।
विजय कुछ देर तक अपनी दीदी की चूत को सूँघने के बाद अपनी जीभ को निकालकर अपनी बहन की चूत को चाटने लगा, कंचन जो गहरी नींद में थी अपने भैया की जीभ को अपनी चूत पर महसूस करके हिलने लगी ।विजय अपनी बहन की चूत को चाटते हुए अचानक अपनी जीभ को कडा करते हुए अपनी दीदी की चूत में डाल दिया ।
कंचन का जिस्म अपने भाई की जीभ के घुसते ही ज़ोर से काम्पने लगा, विजय अपनी बहन की चूत में पूरी तेज़ी के साथ अपनी जीभ को अंदर बाहर करने लगा। कंचन की नींद टूटने लगी और उसने अपनी आँखें खोलकर ज़ोर से सिसकते हुए अपने हाथों को नीचे करते हुए अपने भाई के सर को पकडकर अपनी चूत पर दबाने लगी।