hotaks444
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"वाह दीदी इसका मतलब की तुम भी दुसरे लंड का मजा चखना चाहती हो" शीला ने कंचन की बात सुनते हुए कहा।
"हाँ दीदी मैं भी आपसे कम थोडे हू" कंचन ने भी शीला की बात सुनकर हँसते हुए कहा।
"दीदी तो फिर देर किस बात की। अभी भैया अपने कमरे में ही होंगे और विजय भैया भी यहाँ नहीं है आप किसी बहाने से उसके कमरे में जाओ और देखो की वह आपकी जवानी की तरफ धयान देता है की नही" शीला ने कंचन की बात सुनते ही जल्दी से कहा ।
"ठीक है शीला दीदी । मैं अभी ट्राई करती हू" शीला ने कहा और उसने एक टॉवल लिया और अपने जिस्म पर लपेट कर विजय के कमरे की तरफ जाने लगी । कंचन ने साड़ी नहीं पहनी थी और टॉवल के नीचे उसने सिर्फ ब्रा और पेंटी पहनी थी ।
कंचन अपने कमरे से निकलते ही जल्दी से विजय के कमरे में घुस गयी और दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया,
"दीदी आप इस हालत में" नरेश जो मज़े से बेड पर लेटा हुआ था। कंचन को टॉवल लपेटा हुआ अपने कमरे में देखकर उसकी गोरी टांगों को जो बिलकुल नंगी थी घूरते हुए हैरान होकर बोला।
"सॉरी भैया में नहा ही रही थी की अचानक पानी बंद हो गया क्या मैं आपका बाथरूम यूज कर सकती हू" कंचन ने बड़े ही भोलेपन से कहा।
"दीदी मुझसे पूछने की क्या ज़रुरत है। यह घर आपका ही तो है" नरेश ने कंचन की बात सुनते ही मुसकुराकर कहा।
"थैंक्स भैया आप बुहत अच्छे हैं जब तक आप यहाँ है। यह कमरा और बाथरूम आपका ही है" कंचन ने नरेश की बात सुनकर उसकी तरफ देखते हुए कहा ।
कंचन यह कहते हुए बाथरूम में घुस गयी और शावर ऑन करके नहाने लगी । नरेश ने आज पहली बार कंचन को इतनी नज़दीक से इतने कम कपड़ों में देखा था, नरेश का लंड कंचन के जिस्म को देखते ही खडा होकर झटके लगाने लगा था। वह मन ही मन में विजय के नसीब से जल रहा था क्योंके उसकी माँ और बहन दोनों उसे अपनी माँ और बहनों से ज्यादा अच्छी लगती थी।
कंचन कुछ देर तक नहाने के बाद अपने टॉवल से अपने जिस्म को पोंछने लगी।
"भइया मेरा टॉवल तो बुहत गीला हो गया है । आप प्लीज यहाँ से कोई टॉवल दे दो जिससे मैं लपेटकर अपने कमरे में जा सकुं" कंचन ने अपने प्लान के मुताबिक नरेश को पुकारते हुए कहा।
"दीदी अभी देता हू" नरेश जो कंचन के जिस्म को सोच सोच कर अपने लंड को सहला रहा था कंचन की आवाज़ सुनकर बेड से उठते हुए बोला ।
"हाँ दीदी मैं भी आपसे कम थोडे हू" कंचन ने भी शीला की बात सुनकर हँसते हुए कहा।
"दीदी तो फिर देर किस बात की। अभी भैया अपने कमरे में ही होंगे और विजय भैया भी यहाँ नहीं है आप किसी बहाने से उसके कमरे में जाओ और देखो की वह आपकी जवानी की तरफ धयान देता है की नही" शीला ने कंचन की बात सुनते ही जल्दी से कहा ।
"ठीक है शीला दीदी । मैं अभी ट्राई करती हू" शीला ने कहा और उसने एक टॉवल लिया और अपने जिस्म पर लपेट कर विजय के कमरे की तरफ जाने लगी । कंचन ने साड़ी नहीं पहनी थी और टॉवल के नीचे उसने सिर्फ ब्रा और पेंटी पहनी थी ।
कंचन अपने कमरे से निकलते ही जल्दी से विजय के कमरे में घुस गयी और दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया,
"दीदी आप इस हालत में" नरेश जो मज़े से बेड पर लेटा हुआ था। कंचन को टॉवल लपेटा हुआ अपने कमरे में देखकर उसकी गोरी टांगों को जो बिलकुल नंगी थी घूरते हुए हैरान होकर बोला।
"सॉरी भैया में नहा ही रही थी की अचानक पानी बंद हो गया क्या मैं आपका बाथरूम यूज कर सकती हू" कंचन ने बड़े ही भोलेपन से कहा।
"दीदी मुझसे पूछने की क्या ज़रुरत है। यह घर आपका ही तो है" नरेश ने कंचन की बात सुनते ही मुसकुराकर कहा।
"थैंक्स भैया आप बुहत अच्छे हैं जब तक आप यहाँ है। यह कमरा और बाथरूम आपका ही है" कंचन ने नरेश की बात सुनकर उसकी तरफ देखते हुए कहा ।
कंचन यह कहते हुए बाथरूम में घुस गयी और शावर ऑन करके नहाने लगी । नरेश ने आज पहली बार कंचन को इतनी नज़दीक से इतने कम कपड़ों में देखा था, नरेश का लंड कंचन के जिस्म को देखते ही खडा होकर झटके लगाने लगा था। वह मन ही मन में विजय के नसीब से जल रहा था क्योंके उसकी माँ और बहन दोनों उसे अपनी माँ और बहनों से ज्यादा अच्छी लगती थी।
कंचन कुछ देर तक नहाने के बाद अपने टॉवल से अपने जिस्म को पोंछने लगी।
"भइया मेरा टॉवल तो बुहत गीला हो गया है । आप प्लीज यहाँ से कोई टॉवल दे दो जिससे मैं लपेटकर अपने कमरे में जा सकुं" कंचन ने अपने प्लान के मुताबिक नरेश को पुकारते हुए कहा।
"दीदी अभी देता हू" नरेश जो कंचन के जिस्म को सोच सोच कर अपने लंड को सहला रहा था कंचन की आवाज़ सुनकर बेड से उठते हुए बोला ।