hotaks444
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रेखा ने हर रोज़ की तरह सुबह उठकर अपने पति को नाश्ता बनाकर दिया और वह नाश्ता करने के बाद ऑफिस के लिए निकल गए । रेखा अपने पति के जाने के बाद घर के काम में मसरुफ हो गयी, घर का सारा काम ख़तम करने के बाद उसने सभी को उठा दिया और उनके लिए नाश्ता बनाने लगी ।
रेखा ने नाश्ता बनाने के बाद टेबल पर लगा दिया । जहाँ पर सभी लोग बैठकर नाश्ता करने लगे।
"भाभी अभी मेरे पति का फ़ोन आया था उनका काम ख़तम हो गया है और वह आज ही लौट रहे हैं। इसीलिए हमें भी शाम को वापस जाना होगा" सभी लोगों ने जैसे ही नाश्ता ख़तम किया मनीषा ने रेखा की तरफ देखते हुए कहा।
"मानिषा अचानक यह सब? चलो कोई बात नहीं जैसे आप ठीक समझो" रेखा ने मनीषा की बात सुनने के बाद हैंरान होते हुए कहा ।
अपनी माँ की बात सुनकर सबसे ज़्यादा बड़ा झटका नरेश को लगा था उसको अपने सारे सपने अधूरे दिखाई देने लगे। वह अपनी मामी की गांड मारने के खवाब देख रहा था जो अब उसे एक खवाब ही लग रहा था। मनीषा ने नाश्ते की टेबल से उठते हुए वापस जाने की तैयारियाँ करने लगी । उसने अपने बेटे और दोनों बेटियों से भी अपना सामान पैक करने के लिए कह दिया ।
"यार एक तो तुम आज मुझसे जुदा हो रहे हो और ऊपर से तुम अपना मुँह भी लटकाये हुए हो" विजय ने नरेश से शिकायत करते हुए कहा।
"साले तुम्हारी वजह से आज मुझे अपनी मामी की गांड का मजा लिए बिना वापस जाना पड़ रहा है" नरेश ने वैसे ही गुस्से से अपना मुँह लटकाये हुए कहा और अपने कपडे बैग में ड़ालने लगा ।
"साले हरामी तुम्हे अपने यार से बिछड़ने का कोई गम नहीं है अब भी तुझे गांड की पड़ी है" विजय ने गुस्से से आगबबूला होकर कहा । विजय की आँखों से आंसू निकल रहे थे।
"सॉरी यार मुझे माफ़ कर दो । मैं हवस में अँधा हो गया था" विजय को रोता हुआ देखकर नरेश ने उसके पास जाते हुए कहा ।
रेखा ने नाश्ता बनाने के बाद टेबल पर लगा दिया । जहाँ पर सभी लोग बैठकर नाश्ता करने लगे।
"भाभी अभी मेरे पति का फ़ोन आया था उनका काम ख़तम हो गया है और वह आज ही लौट रहे हैं। इसीलिए हमें भी शाम को वापस जाना होगा" सभी लोगों ने जैसे ही नाश्ता ख़तम किया मनीषा ने रेखा की तरफ देखते हुए कहा।
"मानिषा अचानक यह सब? चलो कोई बात नहीं जैसे आप ठीक समझो" रेखा ने मनीषा की बात सुनने के बाद हैंरान होते हुए कहा ।
अपनी माँ की बात सुनकर सबसे ज़्यादा बड़ा झटका नरेश को लगा था उसको अपने सारे सपने अधूरे दिखाई देने लगे। वह अपनी मामी की गांड मारने के खवाब देख रहा था जो अब उसे एक खवाब ही लग रहा था। मनीषा ने नाश्ते की टेबल से उठते हुए वापस जाने की तैयारियाँ करने लगी । उसने अपने बेटे और दोनों बेटियों से भी अपना सामान पैक करने के लिए कह दिया ।
"यार एक तो तुम आज मुझसे जुदा हो रहे हो और ऊपर से तुम अपना मुँह भी लटकाये हुए हो" विजय ने नरेश से शिकायत करते हुए कहा।
"साले तुम्हारी वजह से आज मुझे अपनी मामी की गांड का मजा लिए बिना वापस जाना पड़ रहा है" नरेश ने वैसे ही गुस्से से अपना मुँह लटकाये हुए कहा और अपने कपडे बैग में ड़ालने लगा ।
"साले हरामी तुम्हे अपने यार से बिछड़ने का कोई गम नहीं है अब भी तुझे गांड की पड़ी है" विजय ने गुस्से से आगबबूला होकर कहा । विजय की आँखों से आंसू निकल रहे थे।
"सॉरी यार मुझे माफ़ कर दो । मैं हवस में अँधा हो गया था" विजय को रोता हुआ देखकर नरेश ने उसके पास जाते हुए कहा ।