Incest Kahani परिवार(दि फैमिली) - Page 61 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)

अब चलते है रेखा के घर जहाँ डॉ रवि जब विजय की माँ रेखा को चोद रहा था तभी विजय घर लौट आया था और छिपकर अपनी माँ की चुदाई खिड़की से देख रहा था और गुस्से में अपना लंड सहला रहा था।जब डॉ रवि
ने उसकी माँ की गांड में ऊँगली डालके गांड मारने के लिए बोला और रेखा ने अगली बार गांड मराने का वादा किया तब विजय ने सोचा की आज ही अपनी माँ की गांड मार लेगा नहीं तो उसकी रण्डी माँ किसी और से अपनी गांड मरा लेगी।

जब डॉ रवि रेखा को चोदकर चला गया तो रेखा बाथरूम में फ्रेश होने चली गई जब वह फ्रेश होकर अपने रूम में आई तो वहाँ विजय गुस्से में बैठा हुआ था।

रेखा-क्या हुआ बेटे बड़ी जल्दी घर आ गया।क्या बात है।

विजय- अगर जल्दी घर नहीं आता तो कैसे पता चलता की मेरी माँ कितनी बड़ी रंडी है।

रेखा-हां मैं रंडी हूँ।तू भी तो दूध का धुला नहीं है पहले अपनी माँ को चोदा और अब अपनी बहनो को चोद रहा है।मैं अपनी प्यास कहाँ बुझाऊ। तेरे बाप से कुछ होता नहीं । तू अपनी बहनों में बिजी है मैं क्या करूँ अपनी चूत की आग कैसे शांत करूँ।

विजय-रुक जा साली रंडी आज तेरी वो चुदाई करूँगा की तेरी चूत और गांड और मुँह सब फट जायेगी।

रेखा-आ फाड़ दे मेरी चूत मै भी देखती हूँ कितना दम हैं तुझमे।

ये सुनकर विजय को बहुत गुस्सा आता है।
विजय ने जल्दी जल्दी अपने सारे कपडे उतार दिए और अपनी माँ को भी पूरा नंगा कर दिया।फिर विजय ने अपनी माँ को बेड पर धकेल दिया।

विजय अपनी माँ को बेड पर लेटा देता हैं और उसकी गर्देन को बिस्तर के नीचे झुका देता हैं. रेखा को जब समझ आता हैं तो उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं. वो तो सोच रही थी कि वो अपनी मर्ज़ी से पूरा लंड धीरे धीरे अपने मूह में ले लेगी मगर यहाँ तो उसकी मर्ज़ी नहीं बल्कि वो तो खुद अपने बेटे के रहमो करम पर थी. मगर वो अपने बेटे की ख़ुसी के लिए उसे सब मंजूर था।
 
विजय भी रेखा के मूह के पास अपना लंड रख देता हैं और फिर रेखा की ओर देखने लगता हैं. रेखा भी अपनी आँखों से उसे अंदर डालने का इशारा करती हैं. विजय अपनी माँ के सिर को पकड़कर धीरे धीरे अपने लंड पर प्रेशर डालने लगता हैं और रेखा भी अपना मूह पूरा खोल देती हैं. धीरे धीरे उसका लंड रेखा के मूह के अंदर जाने लगता हैं. विजय करीब 5 इंच तक रेखा के मूह में लंड पेल देता हैं और फिर उसके मूह में अपना लंड आगे पीछे करके चोदने लगता हैं.

रेखा की गरम साँसें उसको पल पल पागल कर रही थी. वो धीरे धीरे अपनी रफ़्तार बढ़ाने लगता हैं और साथ साथ अपना लंड भी अंदर पेलने लगता हैं. रेखा की हालत धीरे धीरे खराब होनी शुरू हो जाती हैं. वैसे ये रेखा का ऐसा फर्स्ट एक्सपीरियेन्स था. वो अपने पति या ससुर का लंड कई बार चूसी थी पर कभी अपने मूह में पूरा नही ली थी. इसलिए तकलीफ़ होना लाजमी था. विजय करीब 7 इंच तक लंड अपनी माँ के मूह में पेल देता हैं और रेखा की साँसें उखाड़ने लगती हैं.

विजय एक टक रेखा को देखता हैं और फिर अपना लंड पूरा बाहर निकाल कर एक झटके में पूरा अंदर पेल देता हैं. लंड करीब 8 इंच से भी ज़्यादा रेखा के मुँह में चला जाता हैं. रेखा को तो ऐसा लगता हैं कि अभी उसका गला फट जाएगा. उसकी आँखों से भी आँसू निकल पड़ते हैं और आँखें भी बाहर की ओर आ जाती हैं.तकलीफ़ तो उसे बहुत हो रही थी मगर वो अपने बेटे के लिए सारी तकलीफो को घुट घुट कर पी रही थी. रेखा को कुछ राहत मिलती हैं मगर विजय कहाँ रुकने वाला था वो फिर एक झटके से अपना लंड बाहर निकालकर फिर से उतनी ही स्पीड से वो अपनी माँ के मुँह में पूरा पेल देता हैं.

इस बार विजय अपना पूरा लंड अपनी माँ के हलक तक पहुँचने में सफल हो गया था. रेखा के आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे. उसे तो ऐसा लग रहा था कि उसका दम घुट जाएगा और वो वही मर जाएगी.विजय ऐसे ही करीब 10 सेकेंड्स तक रेखा के हलक में अपना लंड फँसाए रखता हैं. रेखा के मूह से गो................गू............. की लगातार दर्द भरी आवाज़ें निकल रही थी. जब उसकी बर्दास्त की सीमा बाहर हो गयी तो अपना दोनो हाथों से विजय के पैरों पर मारने लगती हैं विजय को भी तुरंत आभास होता हैं और वो एक झटके से अपना पूरा लंड अपनी माँ के हलक से बाहर निकाल देता हैं. रेखा वही ज़ोर ज़ोर से खांसने लगती हैं वो वही धम्म से बिस्तेर पर पसर जाती हैं.
 
विजय के लंड से एक थूक की लकीर रेखा के मूह तक जुड़ी हुई थी. ऐसा लग रहा था कि उसके लंड से कोई धागा उसकी माँ के मूह तक बाँध दिया हो. वो घूर कर एक नज़र अपने बेटे को देखती हैं.

रेखा- ये क्या बेटे भला कोई ऐसे भी सेक्स करता हैं क्या. आज तो लग रहा था कि तुम मुझे मार ही डालोगे. मुझे कितनी तकलीफ़ हो रही थी तुमको क्या मालूम. देखो ना अभी तक मेरा मूह भी दर्द कर रहा हैं.

विजय- तू जानती नहीं हैं माँ मेरा एक सपना था कि मैं किसी भी लड़की के मुँह में अपना पूरा लंड पेलने का. मगर आज तूने मेरा सपना पूरा कर दिया.अभी तक किसी ने भी मेरे लंड को पूरा अपने मुँह में नहीं लिया. आख़िर माँ माँ ही होती हैं.

रेखा धीरे से मुस्कुराते हुए- तो तुम्हारे और क्या क्या ख्वाब हैं. ज़रा मैं भी तो जानू. सोचूँगी अगर पूरा करने लायक होगा तो ज़रूर पूरा करूँगी.


विजय-पहले तेरी चूत को शांत कर दूँ।उसके बाद तू मेरी इच्छा पूरी करना साली।मुझे तुझे रंडी की तरह चोदने का मन कर रहा है गालियो के साथ।

रेखा-तेरे जी में जो आये कर बेटा।तेरी ख़ुशी के लिए तो मैं तेरी रंडी भी बनने को तैयार हूँ मेरे लाल।


विजय बेड पर चढ़ जाता है और अपनी माँ के होठो को चूसने लगता है।उसकी माँ भी अपने बेटे का पूरा साथ देती है।5 मिनट तक दोनों एक दुसरे के जीभ को चूसते रहते है।अब दोनों पुरे गरम हो चुके है।


फिर विजय अपनी माँ की टाँगो के बीच पोज़िशन सेट करके अपना लंड अपनी माँ की चूत से भिड़ा दिया. उसकी माँ कुहनीओ के बल होकर देखने लगी."डाल.....जल्दी........जल्दी डाल...बेटे.....उफफफफफ्फ़......" विजय ने लंड को निशाने पर लगाकर अपनी माँ की कमर को थाम लिया.

"डाल दे ....घुसा दे पूरा.......हाए.......जल्दी से घुसा....." विजय ने कमर पर हाथ ज़माए एक करारा झटका मारा और लंड उसकी माँ की मक्खन सी चूत को भाले की तरह छेदता हुआ पूरा अंदर जा धंसा.
 
"हहिईीईईईईईईईईईईई........हाए....हाए .....मेरी चूत......उफफफफ्फ़....चोद....चोद मुझे.....चोद बेटा........चोद अपनी माँ को......,उफफफफफफफफ्फ़...,,चोद मुझीईई......" रेखा ने आपनी टाँगे विजय के कमर पर कस दीं थी.विजय ने भी कमर खींच कर लंड पेलना शूरू कर दिया. पहले धक्के से ही उसकी माँ अपनी कमर उछालने लगी. जितना ज़ोर विजय उपर से लगाता, उतना ही ज़ोर रेखा कंधे थामे नीचे से लगाती. दोनों की ताल से ताल मिल रही थी. लंड और चूत खटक खटक एक दूसरे पर वार पे वार कर रहे थे. उस ठंडे मौसम में भी उन दोनो माँ बेटे के बदन पसीने से भीगने लगे थे.

"हाए चोद....ऐसे ही चोद........मार मेरी चूत.........उउउफफफफ्फ़.......कस कस के मार मेरी चूत............चोद दे अपनी माँ को.......चोद दे अपनी माँ को मेरे लाल......" रेखा पूरी बेशरमी पर उतर आई थी जैसे विजय ने उसे मजबूर कर दिया था जो भी हो मगर उस घमसान चुदाई का एक अलग ही मज़ा था.

"ले......ले मेरा लंड माँ.......,,,चुदवा ले अपने बेटे से.......ऐसा चोदुन्गा जैसे आज तक ना चुदि होगी तू.........."विजय ताबड़तोड़ धक्के मारता अपना पूरा ज़ोर लगा रहा था.

"आजा मेरे लाल....चोद ले अपनी माँ को.........चोद ले हाए.............हाए मेरे मम्मे मसल........मसल मेरे मम्मों को..........ऐसे ही पूरा लंड जड़ तक पेल मेरी चूत में ........हाए....हाए......" रेखा हर धक्के पर और भी गहराई तक लंड घुसेड़ने की कोशिश करती. विजय के हाथ पूरी बेरेहमी से माँ की बड़ी बड़ी चुचियों को मसल रहे थे. इतनी बेरहमी से शायद वो आम हालातों मे बर्दाशत ना कर पाती मगर इस समय जितना विजय उससे ज़ोर आज़माइश करता उतना ही उसे मज़ा आता.

"ऐसे ही चुदवा बेशर्म बनके माँ......ऐसे ही.....हाए बड़ा मज़ा आता है मुझे.....जब...तू...हाए......उफफफ़फ़गगग अपनी गांड उछालती है......"विजय बोला

"बस तू अपना लॉडा पेलता रह मेरे बेटे ..........अपनी माँ को ठोकता रह.........हाए....जितना तू चाहेगा........ उससे ज़्यादा ...........तेरी माँ बेशर्म बनके तुझसे चुदवायेगी..........मेरे लाल.....मेरे बच्चे.......अपनी माँ की ले ले .....ले ले अपनी माँ की......"रेखा मस्ती में बोली।

"तू देखती जा कैसे चोदता हूँ तुझे .........साली कुतिया बनाकर चोदुंगा तुझे........कुतिया बनाकर विजय बोला।
वासना मे इंसान क्या नहीं बोल देता।
 
"कुतिया बनाएगा मुझे.... अपनी माँ को कुतिया बनाएगा......." माँ ने अपनी कमर एक पल के लिए रोक दी, शायद विजय को वो नही कहना चाहिए था उस समय विजय की हालत ऐसी थी कि उसे कोई परवाह नही थी.

"हां बनाउन्गा कुतिया..........कुतिया बनाकर चोदुन्गा तुझे" विजय ने भी धक्के रोककर अपनी माँ से कहा.

"तो बना ना कुतिया....बना मुझे कुतिया और चोद मुझे...." अपनी माँ का ये रूप विजय के लिए बिल्कुल अलग था मगर उस समय विजय के पास बिस्मित होने के लिए भी समय नही था.वह फॉरन झटके से अपनी माँ के उपर से हटा और चारपाई से उतरा. उसकी माँ भी तुरंत उठ खड़ी हुई और विजय तरफ पीठ करने लगी. मगर विजय ने उसे पकड़ कर नीचे को झुकाया, उसने सवालिया नज़रों से विजय की ओर देखा मगर वो नीचे बैठ गयी.

"अपना मुँह खोल साली कुतिया...."विजय ने अपना लंड अपनी माँ के मुँह के आगे कर दिया. उसकी माँ को समझ आ गया और उसने अपना मुँह खोल दिया. विजय ने लंड उसके मुँह में ठोक दिया और उसके बाल पकड़ अपनी माँ का गरम मुँह चोदने लगा.




"चूस मेरा लंड....चूस इसे...,तेरी चूत का रस भी लगा है इसपे.....चूस" हालाँकि विजय अपनी माँ के गले तक लंड पेल देता था मगर रेखा ने कमाल का साहस दिखाया और एक बार भी अपने बेटे को नही रोका बल्कि अपने होंठ विजय के लंड पर कस वो सुपाडे पर खूब जीभ घिस रही थी. विजय ने भी ज़्यादा देर अपनी माँ को लंड ना चुस्वाया. उसे उठाकर खड़ा किया और फिर दूसरी ओर घुमाया. उसकी माँ थोड़ी घूम गयी और खुद ही चारपाई पर हाथ रख अपनी गान्ड पीछे को उभार कर कुतिया बन गयी. विजय ने बिना एक पल गँवाए अपनी माँ की चूत पर लंड रखा और अपने हाथों से उसकी पतली कमर को थाम लिया. दाँत भींच कर विजय ने ज़ोर लगाया तो लंड पूरी चूत को चीरता हुआ अंदर जा घुसा. फिर से वही वहशी चुदाई चालू हो गयी.



"ले साली कुतिया....ले मेरा लंड..........ले ले मेरा लंड.........तेरी चूत का भोसड़ा बना दूँगा आज"विजय दाँत भींचते हुए चिल्लाया. ऐसे पीछे से खड़े होकर धक्के मारने में बहुत आसानी थी, इस अवस्था में मर्द वाकई अपनी पूरी ताक़त इस्तेमाल कर सकता है और विजय के उन ताक़तबर धक्कों का प्रभाव उसकी माँ पर दिखाई दे रहा था. उसकी माँ अब बोलना बंद कर बस अब सिसक रही थी.

"आआअहह बेटा मैं झड़ने वाली हूँ.......हाए उफफफफफफफफफफ्फ़...........मैं हाए.....आआहह....हे भगवान....चोद.....चोद....उफफफफ्फ़..बेटा....बेटा......मेरे लाल...."रेखा सिसकते हुए बोली।
 
"मेरा भी निकलने वाला है माँ.....हाए ...बस थोड़ी देर माँ ........."विजय उन पलों को कुछ देर और बढ़ाना चाहता था मगर जिस ज़ोर से उसने चुदाई की थी अब ज़्यादा देर वह टिकने वाला नही था. उन आख़िरी धक्कों के बीच विजय का ध्यान अपनी माँ की गान्ड के उस बेहद छोटे भूरे छेद पर गया और अगले ही पल उसके मन में एक नया विचार आया.

"माँ हाए मेरा तो....अभी...उफ़फ्फ़ ध्यान ही नही गया.......तुम्हारी...,गान्ड कितनी .........टाइट है.......उफफफफफ्फ़...बड़ा मज़ा आएगा...,तेरी गान्ड मारने में........" विजय एक हाथ उठाकर दोनो चुतड़ों के बीच की खाई में डाल अपनी माँ की गान्ड का छेद रगड़ने लगा. उसने अपनी एक उंगली माँ की गान्ड में घुसा दी.

"आआआआआआहह..." रेखा चिहुक पड़ी. विजय ने चूत में लंड पेलते हुए उसकी गान्ड में जब उंगली आगे पीछे की. बस अगले ही पल उसकी माँ का पूरा जिस्म काँपने लगा, चूत संकुचित होने लगी वो चीखती, चिल्लाती विजय के लंड पर अपनी चूत रगड़ती छूटने लगी. उसके छूटते ही विजय का भी बाँध ढह गया और उसके लंड से भी वीर्य की गरमागरम पिककारियाँ छूटने लगीं. उसकी माँ सिसक रही थी, कराह रही थी, विजय भी हुंकारे भर रहा था.




आह्ह्ह्ह 'बेटा....बेटा' कह रही थी और विजय के मुख से 'माँ...माँ......ओह माँ' फुट रहा था. ऐसे स्खलन के बारे में कभी सोचा तक नही था.

माँ बेटा दोनो बुरी तरह थक कर पस्त हो चुके थे. किसी में भी हिलने का दम नही था. आधे से भी ज़्यादा घंटे तक रेखा और विजय बिना हीले डुले पड़े रहे. अंत में रेखा ने ही हिम्मत दिखाई. उसने कपड़े पहने ।


हाए देख तो इस हरामी को कैसे अंदर घुसने को बेताब है" माँ विजय के लंड के उपर अपनी उंगलिया फिराती बोली.

"तेरी चूत का दीवाना हो गया है माँ, देख कैसे तड़प रहा है, अब इसे तरसा मत माँ" विजय अपनी माँ के बड़ी बड़ी चुचियों को सहलाता बोला.

"हाए नही तरसाती इसे बेटा..........इसे क्यों तर्साउन्गी....इसने तो वो मज़ा दिया है....हाए इसे जो चाहिए वो मिलेगा.......और देख मेरी चूत भी कैसे रो रही है" रेखा ने अपने कूल्हे उठाए. एक हाथ से विजय का लंड पकड़ा और उसे अपनी चूत पर सही जगह पर अड्जस्ट किया. फिर धीरे धीरे नीचे बैठने लगी. एक बार सुपाडा अंदर घुस गया तो उसने सिसकते हुए अपना हाथ हटा लिया और अपने बेटे के कंधो पर दोनो हाथ रख नीचे कर विजय के लंड पर बैठने लगी.
 
चूत पूरी गीली थी. जैसे जैसे लंड अंदर घुसता गया उसकी माँ की आँखे बंद होती गयी, वो सिसकती हुई पूरा लंड लेकर विजय के गोद में बैठ गयी. उसकी आँखे भींची हुई थी. उसकी माँ के मुख पर एसी मादकता ऐसा रूप पसरा हुआ था कि विजय ने उसके चेहरे पर चुंबनो की बरसात कर दी. सच में उस समय वो बहुत ही कामुक लग रही थी.

"उफ़फ्फ़....कितना बड़ा है.लंड तेरा.......एकदम फैला कर रख दी है इसने" रेखा ने आँखे खोल कर कहा.

"चिंता मत करो, दो चार दिन खूब चुदवायेगी तो आदत पड़ जाएगी" विजय की बात सुनकर माँ ने उसकी छाती पर थप्पड़ मारा. विजय हँसने लगा.

"मज़ाक नही कर रही हूँ,'बहुत दुख रही है मेरी चूत, सूज भी गयी है" रेखा विजय के कंधे थामे थोड़ा थोड़ा उपर नीचे होती चुदवाने लगी.

"चिंता मत करो माँ आगे से यह परेशानी नही होगी"विजय बोला।

"क्या मतलब?" उसकी माँ अब हल्की से स्पीड पकड़ रही थी. लंड भी काफ़ी गहराई तक जा रहा था.

आज जैसी तेरी चुदाई होती ही रहा करेगी"

"आज जैसी चुदाई.......?" विजय ने माँ को एक पल के लिए रोका, और थोड़ा सा घूम कर बेड पर लेट गया. विजय ने अपनी टाँगे घुटनो से मोड़ कर खड़ी कर दी और माँ को इशारा किया, माँ उसके घुटनो पर हाथ रखे विजय के लंड पर उपर नीचे होती ठुकवाने लगी.

"आज जैसी चुदाई माँ.......आज जैसी चुदाई..........जैसे आज तुझे कुतिया की तरह चोदा था वैसे ही चोदा करूँगा"विजय बोला।

विजय के मुँह से वो लफ़्ज सुन कर उसकी माँ अपने होंठ काटती अपने बेटे की आँखो में देखने लगी. उसकी स्पीड एक जैसी थी, मगर अब फ़ायदा ये था वो उपर उठाकर लंड चूत से सुपाडे तक बाहर निकालती और फिर पूरा अंदर वापस ले लेती. विजय अपनी माँ को उपर नीचे होता देख उसकी पतली कमर पर उन भारी मम्मों की सुंदरता को निहार रहा था और उसकी उछलती हुई बड़ी बड़ी चूचियों को देख रहा था।

"अब चुप क्यों हो गयी....बोलती क्यों नही......मेरी कुतिया नही बनेगी क्या?"विजय उसके मम्मों को मसलता बोला.
 
"बनूँगी........,जब भी बोलेगा बनुन्गी........हाए जब तेरा दिल करे चोद लेना अपनी कुतिया को" रेखा बोली।

"हाए सच कहता हूँ तेरे मम्मे तो बस कमाल के हैं......इतने बड़े बड़े हैं.........मगर फिर भी कितने नुकीले हैं, कितने सख़्त हैं" विजय बोला।

"हाए अगर कोई ढंग से मसलता तभी ढीले पड़ते ना......." रेखा उसके लंड पर उपर नीचे होते चुदवाते बोली.

"हाए मैं हूँ ना माँ... देखना कैसे कस कस कर मसलूंगा......." विजय बोला।

"तब तो यह और भी बड़े हो जाएँगे बेटे..........उफफफफफफ्फ़...........तुझे क्या सिर्फ़ मेरे मम्मे ही अच्छे लगता हैं........मेरी चूत कैसी लगती है हाए बता ना.....कैसी लगी है तुझे अपनी माँ की चूत" रेखा ने सिसकते हुए पूछा. लगता था उस पर फिर से वासना की खुमारी चढ़ गयी थी.

"हाए माँ ......तेरी चूत की क्या कहूँ........इतनी चुदने के बाद भी देख कैसे मेरे लंड को कस रही है, कितनी टाइट है.उपर से इसके मोटे मोटे होंठ. माँ तेरी गुलाबी चूत की तो मैं जितनी भी तारीफ करूँ कम है" विजय बोला उसे लगा माँ को अपनी तारीफ खूब भाई थी. वो थोड़ा स्पीड बढ़ा रही थी और स्पीड बढ़ने से उसके मम्मे भी पूरे जंप मार रहे थे, हाए बड़ा दिलकश नज़ारा था.

"और ....और भी बोल ना......रुक क्यों गया....,बोल मेरे लाल ...अपनी कुतिया में क्या क्या अच्छा लगता है तेरे को...." रेखा बोली।

"हाए माँ तेरी गान्ड भी......तेरी गान्ड भी बहुत प्यारी है साली.......सच में कितनी प्यारी है.....दोपहर को तो मेरा दिल कर रहा था कि तेरी चूत से निकाल अपना लौडा तेरी गान्ड मे पेल दूं" विजय बोला।

"नही नही बाबा.....मैं नही कह सकती. इतना मोटा लंड ......उफफफ्फ़ मेरी गान्ड तो फट जाएगी" विजय को मालूम था उसकी माँ उपर उपर से बोल रही थी. उसने विजय के घुटनो से हाथ उठाकर उसकी छाती पर रख दिए और गान्ड घुमा घुमा कर विजय का लंड चूत में पीसने लगी.

"अरे माँ सच में बड़ा मज़ा आएगा........हाए तुझे घोड़ी बनाकर तेरी संकरी सी गान्ड में लंड घुसाने में बड़ा मज़ा आएगा.........."विजय बोला।

"तुझे तो मज़ा आएगा.............मेरा क्या होगा यह भी सोचा है........मेरी तो फट ही जाएगी......मैं बर्दाशत नही कर पाउन्गी" रेखा बोली।

विजय ने अपनी माँ के निप्पल चुटकियों में लेकर फिर से मसलने सुरू कर दिए.
 
"क्यों पिताजी भी तो मारते होंगे ना तेरी गान्ड. जब उनसे मरवा सकती है तो फिर मुझसे क्यों नही"

"तुझे क्या पता वो मारते हैं कि नही?"

"इतनी प्यारी टाइट गान्ड तो कोई नामर्द ही बिना चोदे छोड़ेगा.......बोल मारते हैं ना?" विजय अपनी माँ के निप्पलो को कस कर मसला तो वो कराह उठी.

"इतना ज़ोर से क्यों मसलता है........नहीं मारते है वो मेरी गान्ड....बस बोल दिया" रेखा ने अपनी कमर घुमाना बंद कर दिया था. विजय उसकी कमर पर हाथ रख उसे अपने लंड पर उपर नीचे करने लगा तो वो फिर से शूरू हो गई.

"और तू मज़े ले लेकर उनसे चूत मरवाती थी....अब यह ना कहना कि नही मरवाती थी" विजय अपनी कमर उछाल लंड अपनी माँ की चूत में पेलते बोला. उसकी माँ अब फिर से सिसकने लगी थी.

"हाए चूत तो मरवाती हूँ बेटा ........मज़े से मरवाती हूँ बेटा.......मगर मज़ा उतना नही आता "

"क्यूँ माँ....क्यूँ मेरी माँ को मज़ा नही आता ?" विजय अपनी माँ को पेलते हुए बोला।

"हाए वो कभी कभी चूत मारते हैं....रोज नही.......इसलिए मेरी टाइट ही रहती हैं........शुरू शुरू में जब शादी हुई थी तो तेरे पिता अपना लंड मेरी टाइट गान्ड में थोड़ी सी घुसाते तो सुरू में बहुत तकलीफ़ होती.......हाए जब......उफफफफ्फ़........जब थोडा सा लंड घुसता उनका.....उनका माल छूट जाता"

"मतलब मेरी ......मेरी कुतिया की जम कर गान्ड चुदाई नही होती थी......यही कहना चाहती है ना तू?"विजय बोला।

"हां.....उन्न्नन्ग्घह......हाए......उफफफफफफफफ्फ़.......हााआआं.........नही होती थी जम कर चुदाई......." विजय ने नीचे से कमर उछालना बंद कर दिया और अपनी माँ की कमर थामे उठ कर बैठ गया लेकिन उसकी चूत से लंड नही निकलने दिया.

"और तुझे जम कर गान्ड मरवानी है?.......जैसे आज तूने अपनी चूत मरवाई है?"विजय ने अपनी माँ की चूत में लंड अंदर बाहर करते हुए कहा।

"हां मरवानी है"रेखा अपने बेटे के आँखो में आँखे डालते होंठ काटते बोली.
 
"अभी अभी तेरा दिल कर रहा है अपने बेटे के मोटे लंड से अपनी गांड फड़वाने को.......कर रहा है ना तेरा दिल"

"हाए करता है बेटा मेरी गांड में बहुत खुजली हो रही है फाड़ दे अपनी माँ के गांड के छेद को...."

"क्या चाहिए मेरी कुतिया को.......बोल साली रंडी" विजय माँ के निप्पलो को रबड़ बैंड की तरह खींचते बोला.

"हीईिइîईईईईईईईई......उफफफफफफफ्फ़.......तेरी कुतिया को तेरा लंड चाहिए........तेरा लंड चाहिए वो भी अपनी गान्ड में...........मार अपनी माँ की गान्ड मेरे लाल"रेखा पूरी बेशर्मी से बोली।

विजय ने अपनी माँ को धक्का दे अपनी गोद में से उतारा और फौरन बेड से नीचे उतरा और उसके सिरे पर खड़े होकर अपनी माँ को अपनी तरफ खींचा. रेखा फौरन पीछे को हो गई. जैसे ही विजय उसे पलटने के लिए उसकी कमर पकड़ी वो खुद इशारा समझ पलट गयी.

"चल साली रंडी.......कुतिया बन जा जल्दी से" विजय अपनी माँ की कमर उपर को उठाते बोला. उसकी माँ एक भी पल गँवाए बिना कमर हवा मे उँची कर कुतिया बन गयी. विजय ने अपनी माँ की गान्ड की उँचाई अपने लंड के हिसाब से सेट की और फिर उसकी टाँगे थोड़ी चौड़ी कर दी. अब पोज़िशन यह थी कि उसकी माँ बेड के किनारे गान्ड हवा में उठाए कुतिया बनी हुई थी, उसके पाँव बेड के थोड़े से बाहर थे. विजय ने अपनी माँ की गान्ड के छेद पर जैसे ही लंड लगाया तो वो एकदम से बोल उठी "हाए इतना मोटा सूखा घुसाएगा क्या बेटे....तेल लगा ले"

"माँ लॉडा तो पहले ही तेरी चूत के रस से सना पड़ा है...तेल की क्या ज़रूरत है"विजय बोला।

"मगर मेरी गान्ड तो सूखी है ना.......ऐसे बहुत तकलीफ़ होगी......थोड़ा तेल लगा ले बेटा प्लीज"

अपनी माँ की टाईट गान्ड देख विजय को भी लगा कि तेल लगा ही लेना चाहिए. विजय कमरे में सरसों के तेल की शीशी उठाई और एक ढक्कन में डाल वापस बेड पर अपनी माँ के पीछे पहुँच गया. उंगली तेल से तर कर विजय ने अपनी ऊँगली अपनी माँ की गान्ड में घुसाने लगा. साली गान्ड इतनी टाइट थी कि उंगली भी मुश्किल से जा रही थी. विजय को अहसास हो गया कि खूब मेहनत करनी पड़ेगी. वह बार बार तेल लगा कर अपनी माँ की गान्ड में उंगली पेलने लगा, उधर रेखा जब भी उंगली गान्ड में जाती महसूस करती तो गान्ड टाइट करने लग जाती।
 
Back
Top