hotaks444
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अब माथुर का मन गाँड़ मारने का हुआ वैसे भी वो गाँड़ का दीवाना था ! उसने गुप्ता से कहकर पोजीसन बदल ली ! अब गुप्ता नीचे आ गया और माथूर ऊपर आकर शालू की गाँड मारने लगा ! शालू तो बर्गर के समान बीच मे पिसी जा रही थी !
शालू जो कुछ देर पहले दर्द से चीख रही थी अब शांत हो चुकी थी ! उसकी बुर और गाँड़ जो कुछ देर पहले तक दर्द दे रही थी अब उनमे से आनंद का झरना बहना शुरू हो गया था ! शालू के अंदर फिर से ज्वालामुखी निकलने की तैयारी करने लगा !
माथुर का बरसों का अनुभव सही निकला ! आख़िर माथूर ने भी कोई धूप मे बाल सफेद नहीं किए थे! वो अच्छी तरह से जानता था क़ि शालू नई उमर की लौंडिया है एक दो बार अगर ये दोनो छेद एक साथ भरवा लेगी तो उसे डबल लंड का नशा चढ़ जाएगा ! फिर अगर इसकी सिंगल चुदाई करी जाए तो उसे अंदर कुछ खाली खाली सा लगेगा !
इधर अब शालू के मुख से सिसकारियाँ निकलने लगी थी ! दर्द भरी कराहें अब मज़े की सिसकारी मे बदल गई थी ! ऐसा अनुभव तो उसे कभी नहीं हुआ था ! उसका जर्रा जर्रा मस्ती से भर उठा था ! ! ऐसी मस्ती उसने ना कभी सुनी थी ना कभी जानी थी ! उसकी सारी चेतना अपने दोनो छेदों मे सिमट कर रह गई थी ! उसके आगे संसार है या नहीं उसे कुछ नहीं समझ आ रहा था ! अब तो उसे ये भी पता नहीं चल रहा था की वो दो दो मर्दों के बीच दबी हुई है और ये दोनो ही उसे मस्ती के इस आलम मे पहुँचा रहे हैं ! वो तीनो एक रूप हो गये थे !
माथुर और गुप्ता शालू को बहुत जोर जोर से पेल रहे थे माथुर तो शालू की गाँड को ऐसे चोद रहा था जैसे उसे कभी ऐसी गाँड चोदने को नहीं मिलेगा साथ ही साथ वह गांड पर थप्पड़ भी मारने लगता था जिससे शालु चिल्ला उठती थी ।
शालू जो कुछ देर पहले दर्द से चीख रही थी अब शांत हो चुकी थी ! उसकी बुर और गाँड़ जो कुछ देर पहले तक दर्द दे रही थी अब उनमे से आनंद का झरना बहना शुरू हो गया था ! शालू के अंदर फिर से ज्वालामुखी निकलने की तैयारी करने लगा !
माथुर का बरसों का अनुभव सही निकला ! आख़िर माथूर ने भी कोई धूप मे बाल सफेद नहीं किए थे! वो अच्छी तरह से जानता था क़ि शालू नई उमर की लौंडिया है एक दो बार अगर ये दोनो छेद एक साथ भरवा लेगी तो उसे डबल लंड का नशा चढ़ जाएगा ! फिर अगर इसकी सिंगल चुदाई करी जाए तो उसे अंदर कुछ खाली खाली सा लगेगा !
इधर अब शालू के मुख से सिसकारियाँ निकलने लगी थी ! दर्द भरी कराहें अब मज़े की सिसकारी मे बदल गई थी ! ऐसा अनुभव तो उसे कभी नहीं हुआ था ! उसका जर्रा जर्रा मस्ती से भर उठा था ! ! ऐसी मस्ती उसने ना कभी सुनी थी ना कभी जानी थी ! उसकी सारी चेतना अपने दोनो छेदों मे सिमट कर रह गई थी ! उसके आगे संसार है या नहीं उसे कुछ नहीं समझ आ रहा था ! अब तो उसे ये भी पता नहीं चल रहा था की वो दो दो मर्दों के बीच दबी हुई है और ये दोनो ही उसे मस्ती के इस आलम मे पहुँचा रहे हैं ! वो तीनो एक रूप हो गये थे !
माथुर और गुप्ता शालू को बहुत जोर जोर से पेल रहे थे माथुर तो शालू की गाँड को ऐसे चोद रहा था जैसे उसे कभी ऐसी गाँड चोदने को नहीं मिलेगा साथ ही साथ वह गांड पर थप्पड़ भी मारने लगता था जिससे शालु चिल्ला उठती थी ।