Indian Sex Kahani चूत लंड की राजनीति - SexBaba
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Indian Sex Kahani चूत लंड की राजनीति

desiaks

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Aug 28, 2015
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चूत लंड की राजनीति

यह एक काल्पनिक कहानी हैं. यह कहानी हैं एक पॉलिटीसियन की नाम हैं सतीश. सतीश की उम्र हैं 52 साल. सतीश के घर मे उसकी खूबसूरत बीवी ज्योति (42 य्र्स) हैं और दो बच्चे हैं. बड़ी बेटी डॉली 22 साल की हैं और छोटा लड़का जय 20 साल का हैं.

जब ज्योति 20 साल की थी तब उसकी शादी अपने से 10 साल बड़े सतीश के साथ हुई थी. ज्योति ने उस वक़्त अपने से इतनी बड़े उम्र के आदमी से शादी क्यू की यह एक रहस्य हैं.

ज्योति की खूबसूरती को देख कर कोई भी अच्छा लड़का मिल सकता था. अधिकतर लोगो का मानना हैं की ज्योति एक मिड्ल क्लास फॅमिली से हैं और उसके फादर सतीश के यहा मुनीम थे, इसलिए ज़्यादा पैसो के लालच मे ज्योति की शादी सतीश से करवा दी.

दबी ज़ुबान मे लोग अक्सर यह भी बात करते हैं की ज्योति इस बेमेल की शादी से नाखुश थी. और इसी कारण शादी के बाद उसका नाजायज़ रिश्ता उनके ही ड्राइवर राजेश के साथ हो गया.

ज्योति जब 20 की उम्र मे शादी कर के सतीश के घर आई थी तो राजेश को उसका पर्सनल ड्राइवर बनाया गया. ज्योति से राजेश सिर्फ़ 3 साल बड़ा था और दोनो एक दूसरे की तरफ अट्रॅक्ट हुए थे.

लोगो का यह भी मानना हैं की ज्योति के छोटे बच्चे जय का असली बाप दरअसल ड्राइवर राजेश ही हैं. लोग तो यहा तक कहते हैं की इसी बात से गुस्सा होकर सतीश ने अपने ड्राइवर राजेश की बीवी को चोद कर उसके पेट मे भी अपना बच्चा देकर बदला पूरा किया.

खैर यह सब तो अफवाहे थी. वरना क्यू सतीश अभी तक ज्योति को अपने पास वाइफ बना कर रखे हुए था और क्यू वो ज्योति के बच्चो जय और डॉली को एक जैसा प्यार करता हैं!

जैसे जैसे बच्चे बड़े हुए तो उनके कानो मे भी यह अफवाह गयी. जिसकी वजह से डॉली और जय मे भी टेन्षन शुरू हो गया. हालाँकि उनके मा बाप सतीश और ज्योति उनके साथ एक जैसा बर्ताव करते थे.

डॉली को लगता था की उसका असली बाप तो सतीश ही हैं पर जय का बाप ड्राइवर राजेश हैं. डॉली का सपना अपने पिता की तरह पॉलिटिक्स मे आने का था.

डॉली ने अपने पोलिटिकल करियर की शुरुआत 2 साल पहले कर दी जब वो नयी नयी कॉलेज के फर्स्ट एअर मे आई थी. सतीश का रुआब था की उसको एक पार्टी से टिकेट भी मिल गया.

उसकी पार्टी पिच्छले 3 साल से कॉलेज के इलेक्शन मे हार रही थी. डॉली ने सोच लिया की वो अपना पहला चुनाव जीत कर रहेगी. अपने पिता की तरह उसका दिमाग़ भी पॉलिटिक्स मे तेज चलता था.

उस वक़्त सिर्फ़ 20 साल की डॉली को पता चला की विपक्षी पार्टी ने थर्ड एअर मे पढ़ने वाले एक लड़के अनिल को टिकेट दिया हैं. अनिल की पूरे कॉलेज मे अच्छी इमेज थी और उसका जीतना तय था.

डॉली और अन्ल का कॉलेज इलेक्शन मे सीधा मुकाबला था. नॉमिनेशन वापिस लेने की डेट आ गयी थी और डॉली ने अनिल को अपने पार्टी ऑफीस मे अकेले मिलने को बुलाया.
 
अनिल के सपोर्टर्स को लगा की कुच्छ तो गड़बड़ हैं. 4-5 लड़के अनिल के साथ गये. अनिल जब डॉली के पार्टी ऑफीस मे पहुचा तो देखा की वहाँ डॉली अकेली हैं.

डॉली: “एक अकेली लड़की से इतना डर लगता हैं की अपने साथ इतने लड़के लाने पड़ गये. मैने यहा लड़ाई के लिए नही बुलाया हैं.मैं चाहती हूँ की प्यार से मिलकर कॉलेज के लिए काम करे. हम अकेले मे बात कर सकते हैं?”

अनिल ने अपने साथ आए लड़को से कहा की कोई ख़तरा नही हैं और वो लोग जा सकते हैं. मगर उन सपोर्टर लड़को ने कहा की वो मैनगेट के बाहर थोड़ी दूर इंतेजार करेंगे, ताकि कोई गड़बड़ ना हो.

डॉली: “जाते जाते दरवाजा बंद कर जाना”

सारे लड़के दरवाज़ बंद कर बाहर चले गये और अब पार्टी ऑफीस मे सिर्फ़ डॉली अपनी कुर्सी पर बैठी थी और टेबल के दूसरी तरफ सामने बैठा था अनिल.

डॉली: “मैं चाहती हूँ की आपसी सहमति से बिना इलेक्शन के ही कॉलेज का प्रेसीडेंट चुन लिया जाए”

अनिल: “तो ठीक हैं. तुम अपना नॉमिनेशन वापिस ले लो”

डॉली: “तुम इसके बदले मुझे क्या दे सकते हो?”

अनिल: “मेरे पास देने के लिए कुच्छ हैं भी नही. मैं तुम्हारी तरह अमीर फॅमिली से नही हूँ”

डॉली: “मगर मैं दे सकती हूँ. बोलो कितना पैसा चाहिए”

अनिल: “मुझे पता था तुम यही कहोगी. मगर मैं पैसो मे बिकाऊ नही हूँ. मैं यहा इलेक्शन जीतने आया हूँ”

डॉली अपनी कुर्सी से खड़ी हो गयी और घूम कर टेबल के दूसरी तरफ अनिल की कुर्सी के पास आ गयी. डॉली ने दुपट्टा गले से निकाला और अपनी कुर्सी पर फेंक दिया.

डॉली फिर टेबल पर बैठ गयी और अपना पाव अनिल की चेयर पर रख दिया, अनिल के दोनो घुटनो के बीच मे. अनिल थोड़ा घबराया.

डॉली ने अनिल की एक कलाई पकड़ी और उसकी हथेली को अपने एक बूब्स पर रख कर दबा दिया. अनिल देखता रह गया. फिर डॉली ने अनिल का हाथ छोड़ दिया.

डॉली भी अपनी मा ज्योति की तरह गजब की खूबसूरत थी. गौरा रंग, पतली कमर, भूरे रंगे हुए और कट्रल किए हुए बाल. कई लड़को का दिल उसके लिए धड़कता था.

अनिल: “यह क्या था!”

डॉली: “मैं जिस टेबल पर बैठी हूँ, इसी टेबल पर मैं अपने सारे कपड़े उतार कर लेट सकती हूँ. तुम्हे मेरे साथ जो करना हैं कर लेना. मगर तुम्हे अपना नॉमिनेशन वापिस लेना होगा”

अनिल: “तो तुम अपनी इज़्ज़त का सौदा एक कुर्सी के लिए कर रही हो. तुम्हे क्यू लगता हैं की मैं मान जाउन्गा!”

डॉली: “तुमने अभी मेरे बूब को छुआ, तुम्हे कैसा लगा?”

अनिल: “अच्छा ही लगेगा. उपर से तुम खूबसूरत भी हो”

डॉली: “तो फिर तुम मेरी इस खूब सूरत जवानी को नंगा नही देखना चाहते! एक हसीन लड़की को चोदना नही चाहते?”

अनिल: “तुम्हे नंगा देखना और चोदना हर एक लड़के का सपना हैं. मैं भी चाहता हूँ पर उसके लिए मैं नॉमिनेशन वापिस नही लेना चाहता”

डॉली: “तो और क्या चाहिए!”

अनिल: “एक बार फिर से हाथ लगा कर देखु?”

डॉली: “लगा लो”
 
अनिल ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और डॉली के बूब को एक बार फिर अपने हाथ से पकड़ कर थोड़ा दबा दिया.

डॉली: “मेरा कुर्ता और अंदर पहना ब्रा नही होगा तो तुमको हाथ लगाने और ज़्यादा मज़ा आएगा”

अनिल सोच मे पड़ गया. एक तरफ कुर्सी थी तो दूसरी तरफ एक खूबसूरत लड़की को चोदने का मौका, जो उसकी औकात के हिसाब से कभी मुमकिन नही हो सकता था.

डॉली: “मैं चाहती तो इस वक़्त अपने कपड़े फाड़ कर तुम पर रेप का ग़लत इल्ज़ाम लगा कर भी फसा सकती थी. मगर मैं फेर गेम खेलूँगी. बोलो क्या फ़ैसला हैं तुम्हारा? कुर्सी चाहिए या मेरी चूत!”

अनिल: “अपने कपड़े निकालो और लेट जाओ”

डॉली ने एक स्माइल दी और अनिल की कुर्सी से अपना पैर हटाया और टेबल से उतर कर नीचे खड़ी हो गयी. अनिल भी अपनी कुर्सी से उठ खड़ा हुआ.

डॉली ने अपना कुर्ता सर से होकर निकाल दिया और अपनी लेगिंग भी निकाल दी. एक खूबसूरत सी जवानी सिर्फ़ ब्रा और पैंटी मे अनिल के सामने खड़ी थी और उसका लंड उसकी पैंट मे फड़फड़ाने लगा.

डॉली ने जल्दी से अपना ब्रा और पैंटी निकाली और अनिल की आँखें फटी की फटी रह गयी. उसने कभी सोचा नही था की कोई लड़की बिना कपड़ो के इतनी खूबसूरत भी दिख सकती हैं.

अनिल ने जल्दी से अपने कपड़े निकाले और नंगा हो गया. तब तक डॉली टेबल पर चढ़ कर लेट गयी. अनिल ने आगे बढ़कर अपने एक हाथ को डॉली के नंगे बदन पर फेरना शुरू किया.

बूब्स के उभार से होते हुए उसका हाथ डॉली की पतली कमर और नाभि पर होते हुए उसकी चूत तक गया. फ्र आगे झुककर उसने डॉली के निपल्स को चूसना शुरू कर दिया.

एक निपल से दूसरे निपल तक वो झपट्टा मार कर चूस रहा था और डॉली के बूब्स को दबा भी रहा था. छपर्र छपर्र की आवाज़ो के साथ उसने जल्दी ही डॉली के दोनो बूब्स को गीला कर दिया था.
 
इस बीच एक हाथ से डॉली की चूत को अपनी उंगलियो से रगड़ता भी जा रहा था. जब उसका मन डॉली के बूब्स का रस लेकर भर गया तो उसने अपना मूह डॉली के होंठो की तरफ किया.

डॉली ने उसके होंठो पर हाथ रख दिया.

डॉली: “सिर्फ़ गर्दन के नीचे का शरीर तुमको इस्तेमाल करने को दिया हैं. वही तक रहो”

इतनी देर से डॉली को इतने करीब से देख कर उसके गुलाबी होंठो को देख कर उनको चूमने का बहुत मन था पर अनिल को अपनी तमन्ना अपने मन मे ही दबानी पड़ी.

अनिल: “उपर के होंठ ना सही, पर तुम्हारे नीचे के होंठो को तो चूम ही सकता हूँ”

यह कहते हुए अनिल टेबल के दूसरी तरफ डॉली की टाँगो की तरफ आया और उसके दोनो पैर चौड़े कर उसकी चूत को खोला. फिर अपने होंठ डॉली की चूत के होंठो पर रख दिए.

डॉली की चूत के गीले होंठो को अपने होंठो से छूते ही अनिल बावरा सा हो गया. उसने अपने होंठो मे डॉली की चूत के होंठो को भर भर कर चूसा.

अपनी ज़ुबान को आरी की तरह डॉली की चूत की दरार मे चला कर मज़े लिए. अपनी ज़ुबान को डॉली की चूत के छेद मे डाल कर अंदर बाहर करते हुए थोड़ी देर चोदता रहा.

सिसकती हुई डॉली को देख कर अनिल का लंड और भी ज़्यादा फड़फड़ाने लगा. अनिल से और इंतेजार नही हुआ और वो चढ़ गया डॉली के उपर.

अनिल का लंड छू गया डॉली की चूत को और छाती से मिल गयी छाती. अनिल की छाती को भी महसूस हुआ की उसने मुलायम से बूब्स को दबा दिया हैं.

इसके पहले की अनिल अपना लंड डॉली की चूत मे डाल कर चोदना शुरू करे, डॉली ने अनिल को ड्रॉयर से कॉंडम निकाल कर पहनने को कहा.

अनिल नीचे उतरा और कॉंडम पहन कर फिर से डॉली पर चढ़ गया. अनिल ने जल्दी से अपना लंड डॉली की चूत के हवाले कर दिया.

डॉली की चूत की गर्मी मिलते ही अनिल का शरीर पर काबू नही रहा और वो तेज़ी से उपर नीचे हिलता हुआ डॉली के नाज़ुक बदन को रगड़ने लगा.

अनिल का मूह डॉली की गर्दन को चूम रहा था और वहाँ से आती हुई डॉली के शरीर की सुगंध से वो मदहोश हुए जा रहा था. अनिल धक्के पर धक्के मारता हुआ डॉली को चोद रहा था.

डॉली छत की तरफ देखे आहें भरते हुए खुश हो रही थी. डॉली को छत पर लटके पंखे मे कुर्सी का रिफ्लेक्षन दिख रहा था.

हालाँकि पंखे मे अनिल का हिलता हुआ नंगा बदन भी दिख रहा था पर उसका फोकस सिर्फ़ कुर्सी पर था. थोड़ी देर बाद पंखे की आवाज़ से ज़्यादा टेबल के हिलने की आवाज़ आने लगी थी.
 
अनिल का जोश अब बढ़ चुका था क्यू की वो झड़ने की कगार पर था. मरने से पहले जैसे मछली छटपटाती हैं वैसे ही अनिल झड़ने के पहले पूरा ज़ोर लगा कर चोद रहा था.

अनिल ने इतना ज़ोर लगाया की टेबल पूरा हिलने लगा था. डॉली की चूत की क्या हालत थी वो तो डॉली ही जानती थी. अनिल ने अपने हाथ के दोनो पंजो के सहारे अपना सीना उपर उठाया और एक के बाद एक ज़ोर के झटके अपने लंड से डॉली की चूत मे मारे.

पहली बार डॉली की चीख निकली. “आआअहह आआआहह आआहह आआईए” डॉली की थोड़ी और चीखे निकली और उसके बाद अनिल एक बार फिर धडाम से डॉली की छाती पर अपना सीना रखे लेट गया.

अनिल का लंड डॉली की चूत मे गहराई मे गया और वो वही झड़ गया. अनिल का नंगा बदन अभी भी डॉली के नंगे बदन से चिपका हुआ पड़ा था.

अनिल ने अपने आप को संभाला और टेबल से नीचे आ गया और अपने कपड़े फिर पहनने लगा. डॉली भी टेबल पर उठ कर बैठ गयी और अपनी चूत को देखने लगी.

डॉली ने भी टेबल से उतर कर अपनी पैंटी और ब्रा पहने. अनिल बराबर कपड़े पहनती डॉली को घूर रहा था. थोड़ी देर मे ही दोनो ने अपने कपड़े पहने और फिर से सभ्य लोग बन गये.

डॉली ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और अनिल से हाथ मिला लिया. दोनो ने मुस्कुराते हुए एक दूसरे को बाइ किया और अनिल वहाँ से चला गया.

अगले ही दिन कॉलेज मे हलचल मच गयी. सबको पता चला की अनिल ने अपना नॉमिनेशन वापिस ले लिया हैं. उसकी पार्टी वाले सन्न रह गये की कल रात मीटिंग मे ऐसा क्या हुआ!

हालाँकि कुच्छ समझदार लोगो को गेस करते टाइम नही लगा की अनिल ने क्या रिश्वत ली होगी. पार्टी ने अनिल को बाहर निकाल दिया. नॉमिनेशन डेट पहले ही निकल चुकी थी तो वो नया कॅंडिडेट खड़ा भी नही कर सकते थे.

बिना इलेक्शन के ही डॉली निर्विरोध इलेक्शन जीत कर कॉलेज स्टूडेंट यूनियन की प्रेसीडेंट बन गयी. डॉली ने अपना पहला चुनाव बिना लड़े ही जीत लिया था. डॉली की गंदी राजनीति की यह तो सिर्फ़ एक शुरुआत थी.

अगले एपिसोड मे पढ़िए क्या डॉली सेकेंड एअर मे भी इलेक्शन जीत पाएगी.
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अब तक आपने पढ़ा की पॉलिटीशियन सतीश की बेटी डॉली ने अपनी इज़्ज़त का सौदा करते हुए कॉलेज का इलेक्शन बिना लड़े ही जीत लिया था.
डॉली की ज़िद थी की वो कॉलेज के तीनो साल का चुनाव जीतेगी और प्रेसीडेंट बनी रहेगी. सेकेंड एअर मे भी पार्टी ने डॉली को अपना टिकेट दिया.
सामने की पार्टी पिच्छले चुनाव मे हुई गड़बड़ी के बाद संभल चुकी थी. इस बार उन्होने थर्ड एअर मे पढ़ने वाली एक दलित लड़की अभिलाषा को टिकेट दिया.
सारे दलित के वोट उसको मिलने वाले थे. डॉली के सामने ख़तरा था. पिच्छली बार की तरह इस बार तो वो अपनी इज़्ज़त का सौदा भी नही कर सकती थी.
मगर डॉली अपनी ज़िद की पक्की थी. उसको कुच्छ तो करना था यह चुनाव जीतने के लिए. सबको लग रहा था की इस बार भी डॉली कुच्छ ऐसा करेगी की अभिलाषा अपना नॉमिनेशन वापिस ले लेगी.
अभिलाषा की पार्टी ने उसके हॉस्टिल के बाहर पहरा ही बैठा दिया. डॉली या उसके किसी पार्टी वर्कर को अभिलाषा से मिलने ही नही दिया. यहा तक की अबिलाषा का फोन तक वर्कर के पास ही था.
वोटिंग के एक दिन पहले ही कॉलेज के स्टूडेंट्स को एक एमएमएस मिला और कॉलेज मे हंगामा हो गया. हर तरफ अभिलाषा की ही बात हो रही थी.
अभिलाषा का एक सेक्स वीडियो विराल हो चुका था. अभिलाषा ने पोलीस मे डॉली के खिलाफ कंप्लेंट की. मगर डॉली का दोष साबित करना नामुमकिन था.
 
डॉली ने यह बात फेला दी की अभिलाषा ने खुद यह वीडियो विराल किया हैं एमोशनल वोट लेने के लिए और उसका कॅरक्टर ठीक नही हैं.
अभिल्षा की बहुत बदनामी हुई और वो इलेक्शन हार गयी. डॉली के पार्टी वर्कर्स तक तो नही पता था की यह गेम किसने खेला था.
सबका ध्यान अभिलाषा को प्रोटेक्ट करने की तरफ था. किसी को ध्यान ही नही था की अभिलाषा का बाय्फ्रेंड उस वक़्त क्या कर रहा था और किस से मिल रहा था.
डॉली खुद अभिलाषा के बाय्फ्रेंड विमल से मिलने गयी थी. विमल पार्ट टाइम एक रेस्टोरेंट मे वेटर का जॉब करता था.
डॉली: “तुम्हें कितने पैसे चाहिए बोलो. अभिलाषा को बोलो की वो अपना नॉमिनेशन वापिस ले ले”
विमल: “तुम्हे अच्छे से पता हैं की वो नही मानेगी. उसको तुम्हारी तरह पवर चाहिए, पैसे नही”
डॉली: “तुम समझदार हो. तुम्ही बताओ तुम मेरी मदद कैसे कर सकते हो. मुझे यह चुनाव जीतना हैं बस”
विमल: “तुमने तो अभिलाषा को देखा ही हैं. कैसी लगी वो तुम्हे?”
डॉली: “बातें बहुत बड़ी बड़ी करती हैं.”
विमल: “मैं दिखने की बात कर रहा हूँ”
डॉली: “तुम्हारी गर्ल फ्रेंड हैं, उसकी बुराई कैसे करू!”
विमल: “जो भी सच हैं वो बोलो.”
डॉली: “सावले रंग की हैं, मतलब कुच्छ ज़्यादा ही सावली. वजन थोड़ा ज़्यादा हैं. नाक पकोडे जैसा हैं. ललाट बहुत बड़ा हैं, आँखे छोटी और सूजी हुई हैं. आइ एम सॉरी पर वो ऐसी ही दिखती हैं”
विमल: “सच कहा तुमने. फिर भी मैं उसका बाय्फ्रेंड हूँ, पता हैं क्यू?”
डॉली: “क्यू की तुम भी उसी की तरह हो”
विमल: “हा, मैं भी उसकी तरह बदसूरत ही हूँ. कार्स मे घूमती, छोटे छोटे कपड़े पहने अमीर लड़कियो को देखकर हमेशा जलन होती थी और दुख भी होता था की ऐसी लड़की मुझे कभी नही मिल सकती. अभिलाषा को चोदते वक़्त भी उन अमीर खूबसूरत लड़कियो के बारे मे ही सोचता था”
विमल ने डॉली को उपर से नीचे देखना शुरू किया और स्माइल करने लगा.
विमल: “बहुत बड़ी तमन्ना हैं की कभी किसी अमीरज़ादी खूबसूरत लड़की को नंगा करके चोदने का सपना पूरा करू. तुम भी उन्ही खूबसूरत अमीर लड़कियो मे से हो. तुम्हे सोचकर कई बार अपने हाथ से अपना लंड रगड़ कर काम किया हैं”
डॉली: “बोल दो जो मन मे हैं, आज तुम्हारा दिन हैं”
विमल: “महँगी दुकानो मे महँगे ब्रा और पैंटी देखे हैं. पता हैं तुम भी वोही महँगे इन्नरवेअर पहनती हो. तुम्हारे बदन से वो महँगे कपड़े उतार कर तुमको नंगा करना हैं. फिर चोदना हैं”
डॉली: “ठीक हैं. मैं तुम्हारी सारी ख्वाहिशे पूरी करूँगी. तुम मेरी इलेक्शन जीतने मे मदद कैसे करोगे?”
विमल: “अभिलाषा की रूम मेट, ग़रीब हैं. उसको पैसो की ज़रूरत हैं. तुम उसको पैसे दो, वो छूप कर मेरा और अभिलाषा का चुदाई का वीडियो बनाएगी. इलेक्शन के पहले वो एमएमएस विराल होगा, अभिलाषा की बदनामी होगी. मैं खुद अपने लोगो को बोलूँगा की वो तुम्हे ही वोट दे”
डॉली: “ठीक हैं. इधर तुम वो वीडियो विराल करवा दो. उसी रात तुम आ जाओ. मेरे पार्टी ऑफीस मे या मैं होटेल मे रूम बुक करवा दूँगी”
विमल: “नही. तुमको तो मैं एक ग़रीब की झोपड़ी मे ही चोदुन्गा. तुम्हे महँगे बिस्तर पर सोने की आदत होगी. मैं तुम्हे ज़मीन पर लेटा कर ग़रीब की झोपड़ी मे चोदुन्गा”
डॉली:”जैसी तुम्हारी विश. जहाँ बोलॉगे वहाँ चुदवाने आ जाउन्गी”
डॉली ने विमल को पैसे दिए जो की वो अभिलाषा की रूम मेट को देने वाला था. उसी रात विमल अपनी गर्लफ्रेंड अभिलाषा से मिलने उसके हॉस्टिल रूम पहुँचा.
 
हमेशा की तरह अभिलाषा उसका वेट कर रही थी. विमल के अंदर जाते ही विमल ने चुपके से अभिलाषा की रूममेट से नज़रे मिलाई और इशारा हुआ.
अभिलाषा की रूममेट हमेशा की तरह अभिलाषा को विमल के साथ छोड़कर बाहर गयी. अभिलाषा की रूम मेट खुली खिड़की के बाहर अपना कॅमरा लिए तैयार थी.
विमल ने इस दौरान अपना चेहरा सामने नही आने दिया. उसकी पीठ ही हमेशा खिड़की की तरफ रही. अभिलाषा अपनी आदत के अनुसार विमल के साथ चुदाई करवाती रही और उसकी रूम मेट शूट करती रही.
जब अभिलाषा को वो एमएमएस मिला तो उसको विमल पर ज़रा भी शक नही हुआ क्यू की कॅमरा हाथ मे पकड़े होने से लगातार हिल रहा था. विमल खुद चुदाई करते हुए शूट तो कर नही सकता था.
अभिलाषा का शक कभी अपनी सहेली और रूममेट पर गया ही नही. उसको लास्ट टाइम तक पता नही चला की वो शरारत किसने की. हालाँकि उसको यह पता था की इसके पीछे डॉली ही हैं.
विमल ने अपना काम कर दिया था. विमल ने डॉली को अपने एक दोस्त की किराए की खोली(स्माल रूम) मे बुलाया. इलेक्शन से एक दिन पहले जब कॉलेज मे हलचल मची थी, दूसरी तरफ विमल और डॉली एक ही खोली मे मिलन को तैयार थे.
डॉली ने उस खोली को चारो तरफ से चेक किया की कही उसका खुद का वीडियो तो नही बन रहा हैं.
विमल: “क्या ढूँढ रही हो?”
डॉली: “जो लड़का अपनी गर्ल फ्रेंड को धोखा दे सकता हाँ वो मेरे साथ भी धोखा कर सकता हैं”
विमल: “मैं एक ग़रीब हूँ, मुझे मरना थोड़े ही हैं एक पवरफुल पॉलिटीशियन की पवरफुल बेटी का ऐसा वीडियो बना कर. मेरी पूरी ज़िंदगी जैल मे गुजर जाएगी”
डॉली: “तुम्हे एक अमीर लड़की को चोदना था. लो मैं तुम्हारे सामने खड़ी हूँ, जो करना हैं कर लो”
विमल: “तुम चाहती तो मना भी कर सकती थी. तुम्हारा काम तो हो ही चुका हैं अभिलाषा को बदनाम करने का”
डॉली: “मैं अहसान फारमोश नही हूँ. तुम्हारा दिल टूटा हैं, मैं चुदवा कर उस घाव को भरँगी. फिर कल तुम मेरे लिए वोटिंग करने के लिए अपने साथियो को मनाओगे भी तो”
विमल: “तुम एक दिन बहुत बड़ी पॉलिटीशियन बनोगी”
विमल आगे बढ़ा और डॉली की महँगी फ्रॉक का हुक खोल कर उसको डॉली के शरीर से दूर कर दिया. डॉली अपने महँगे ब्रा और पैंटी मे खड़ी थी.
विमल ने आगे बढ़कर डॉली के ब्रा को छुआ और डॉली के बूब्स की मोटाई को महसूस किया. दूसरे हाथ से महँगी रेशमी पैंटी को अपना हाथ लगा कर डॉली की चूत पर रगड़ा.
विमल: “इस खोली मे हमेशा बदबू आती हैं. आज यह खोली तुम्हारी खुश्बू से महक रही हैं”
डॉली: “कल इलेक्शन हैं और तैयारी करनी हैं. तुम जल्दी से कर लो, देर हो रही हैं”
विमल: “तुम खुद मेरे उपर चढ़ कर मुझे चोद क्यू नही देती! तुम्हे जितनी जल्दी हैं, उतना जल्दी मेरे साथ कर लो”
डॉली: “ठीक हैं. अपने कपड़े निकालो”
विमल खड़ा मुस्कुराता रहा. डॉली आगे बढ़ी और विमल का शर्ट और पैंट निकालने लगी. इस दौरान विमल अपने हाथ से डॉली के ब्रा और पैंटी के साथ ही उसके नंगे बदन को छूता रहा.
विमल को नंगा करते ही डॉली ने उसको वहाँ नीचे लिटा दिया. फिर डॉली ने अपनी टाँगो से अपनी पैंटी बाहर निकाली. विमल की आँखों मे चमक आ गयी जब उसने डॉली की नंगी चूत को देखा.
डॉली ने कॉंडम निकाला और नीचे बैठ कर विमल के लंड को दो तीन बार पकड़ खींचा. विमल का लंड इतनी देर से वैसे ही कड़क हो चुका था.
डॉली ने वो कॉंडम विमल के काले लंड को पहना दिया और जल्दी से विमल के लंड पर सवार हो गयी. विमल की नज़रो के सामने अब डॉली की पतली गोरी कमर और नाभि थी.
डॉली ने विमल का लंड पकड़ा और अपनी चूत मे घुसा दिया. विमल की आँखें एक बार बंद हो गयी. इतनी चिकनी लड़की की चुदाई का हमेशा सपना देखा था और वो सपना पूरा हो चुका था.
वो भूल गया की अपने इस सपने को पूरा करने के लिए उसने अपनी गर्लफ्रेंड की इज़्ज़त ही नीलाम कर दी थी. डॉली ने उपर नीचे उछलते हुए विमल को चोदना शुरू कर दिया था.
डॉली के उछलने से उस महँगे ब्रा मे से उसके गोरे बूब्स भी उपर नीचे हिल रहे थे और ब्रा से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे.
विमल ने अपना हाथ आगे करते हुए उन नंगे बूब्स को छूना चाहा. और ब्रा पर अपनी उंगलिया घुमाने लगा.
डॉली ने अपनी ब्रा का हुक खोल कर अलग किया. अब विमल आहें भरते हुए डॉली के उन गोरे दो मम्मों को उपर नीचे उछलते देखने के मज़े ले रहा था.
 
बीच बीच मे विमल अपने हाथ से डॉली के निपल को एक उंगली से दबा देता जैसे डोर बेल बजा रहा हो. डॉली के निपल भी विमल के दबाने से थोड़ा मम्मों के अंदर घुस जाते और छोड़ते ही स्प्रिंग की तरह फिर तन कर खड़े हो जाते.
विमान मूह खोले ” श श ” की आवाज़े निकलता अपने चरम की तरफ बढ़ने लगा.
विमल ने अपने हाथ दोनो तरफ फेला दिए और नशीली आँखों से डॉली के नंगे बदन को देखते हुए सिसकिया मारता रहा.
अचानक से विमल की चीखे तेज हो गयी. वो लगभग दहाड़ने लगा था. डॉली ने अपने उछलने की गति और तेज कर दी.
विमल: “ईईई ईईईह उम्म्म्म ऑश डॉली ….. चोद दे … आआईईए … उहह आआहह”
विमल झड़ कर शांत हो गया और फिर डॉली 5-6 बार और उछलने के बाद रुक गयी. विमल गहरी साँस ले रहा था.
डॉली ने फिर विमल का लंड अपनी चूत से बाहर निकाला. इतना गाड़ा पानी निकला था की कॉंडम लगभग डॉली की चूत से चिपक गया था.
विमल का कॉंडम चढ़ा लंड अभी भी झटके मार कर तड़प रहा था. डॉली ने जल्दी से अपनी ब्रा और पैंटी पहन ली.
विमल वही पड़े लेटे हुए डॉली के खूबसूरत बदन को फिर से कपड़ो मे च्छुपता देखता रह गया.
डॉली ने अपने कपड़े पहन लिए तब तक विमल वही चुदाई के नशे मे पड़ा रहा. उसको इसी हाल मे छोड़कर डॉली चली गयी.
उस साल का इलेक्शन भी डॉली जीत गयी थी. मगर डॉली ही जानती थी की उसने इस बार भी अपनी इज़्ज़त गवा कर इलेक्शन की जीत खरीद ली थी.
अगले एपिसोड मे जानिए क्या डॉली कॉलेज के थर्ड एअर मे भी इलेक्शन जीत पाई या नही.
 
Update 3
डॉली का सपना था की वो लगातार तीसरे साल भी चुनाव जीत जाए. मगर इस बार मामला कुच्छ और था. डॉली का छोटा भाई जय इसी साल कॉलेज के फर्स्ट एअर मे आया था.

जय और डॉली की आपस मे नही बनती थी, इसका कारण वो एक अफवाह थी. डॉली ने मान लिया था की जय को उनकी मा ने अपने ड्राइवर राजेश की मदद से पैदा किया था.

जय ने भी ज़िद पकड़ ली की इस बार कॉलेज के इलेक्शन मे वो ही खड़ा होगा. पार्टी अब चिंता मे पड़ गयी की किसको टिकेट दे.

पार्टी ने फिर डॉली को टिकेट दे दिया. यह बात जय का ठीक नही लगी और उसने अपोजीशन पार्टी से टिकेट ले लिया. यह वोही पार्टी थी जो पिच्छले दो साल से डॉली के नाजायज़ तरीके से हार रही थी.

डॉली को भी पता था की कोई बाहर का होता तो उसको अपने नाजायज़ तरीक़ो से अपने रास्ते से हटा देती पर अब सामना अपने ही छोटे भाई से हैं जिसके सामने उसके यह तरीके नही चलेंगे.

मामला डॉली और जय की मा ज्योति के पास पहुचा. वो तीनो अब इस बात पर डिस्कशन कर रहे थे.

डॉली: “मम्मी, आप इस जय को बोलो की यह अपना नॉमिनेशन वापिस ले ले”

जय: “देखो मा, डॉली दीदी पिच्छले 2 साल से इलेक्शन जीत रही हैं. अभी इनको पीछे हटना ही पड़ेगा वरना इलेक्शन मे आमने सामने आ जाओ”

ज्योति: “भाई बहन होकर तुम आपस मे मत लडो. तुम्हारे पापा की भी बदनामी होगी”

डॉली: “इस जय को क्या फ़र्क पड़ता हैं! बदनामी तो सिर्फ़ मेरे पापा की होगी ना!”

ज्योति: “डॉली, मूह संभाल कर बात करो”

डॉली: “सॉरी मम्मी, मगर मैने तो वो ही कहा जो लोग बात करते हैं. अब हम किस किस का मूह बंद करवाए!”

जय: “मम्मी आप ही इसको समझाओ, वरना मैं पापा के पास जाउन्गा”

डॉली: “जा, ड्राइवर राजेश के पास, तेरे पापा तो वोही हैं”

जय ने डॉली की कलाई पकड़ कर ज़ोर से दबा दी और डॉली चीखने लगी.

ज्योति: “जय छोड़ डॉली को. तेरी बड़ी बहन हैं”

जय: “तो आप इसको समझाती क्यू नही. यह बार बार ना सिर्फ़ मेरा मज़ाक उड़ाती हैं पर इनडाइरेक्ट्ली आपके कॅरक्टर पर भी उंगली उठा रही हैं”

ज्योति: “डॉली, तुम जो कर रही हो सही नही हैं. और तुम क्या राजेश बोल रही हो! उनकी और अपनी उम्र देखो.”

डॉली: “सॉरी मम्मी, आपको दुख पहुचा हो तो. मैं राजेश अंकल बोलूँगी. पर जय चाहे तो उनको पापा बोल सकता हैं”

जय नाराज़ होकर वहाँ से जाने लगा. डॉली आए दिन जय को ड्राइवर राजेश अंकल का बेटा बोलकर चिड़ाती थी. जय भी इसको अब सच मान चुका था.
 
ज्योति ने जय को वही बैठने के लिए बोला.

ज्योति: “डॉली, तुम पिच्छले दो साल से इलेक्शन जीत रही हो, अब जय को भी मौका दो”

डॉली: “मेरा लास्ट एअर हैं, इसको अगले दो साल तक मौका ही मौका मिलेगा. यह अगले साल लड़ लेगा”

जय: “मुझे भी तीनो साल इलेक्शन जीतना हैं. मैं पीछे हटने वाला नही. डॉली दीदी को डर लग रहा हैं की वो मुझसे जीत नही पाएगी”

डॉली: “मैं तुमसे क्यू डरूँ!”

जय: “मैने भी सुना हैं की आपने पिच्छले दो साल मे इलेक्शन कैसे जीता हैं. इस बार किसके सामने अपने कपड़े खॉलॉगी!”

ज्योति: “जय चुप हो जा, वो तेरी बड़ी बहन हैं. इस तरह के गंदे इल्ज़ाम लगाते शर्म नही आती”

जय: “सॉरी! मगर यह भी मुझको राजेश अंकल का नाम लेकर छेड़ती रहती हैं”

डॉली: “ठीक हैं, अब नही छेड़ूँगी, तू अपना नॉमिनेशन वापिस ले ले. मुझे अगले साल मुंसीपल इलेक्शन लड़ना हैं. एक और जीत के साथ मैं वहाँ जाना चाहती हूँ”

जय: “दीदी, मैं पीछे हटने वाल नही हूँ”

ज्योति: “तुम अब भी बच्चो की तरह लड़ रहे हो. बचपन मे कैसे एक दूसरे को कोई चीज़ देकर मना लेते थे. वैसा कुच्छ कर लो”

डॉली: “जय तू बोल, क्या चाहिए. तेरी जो भी शर्त हैं मैं मानने को तैयार हूँ”

जय: “सोच लो, मैं कुच्छ भी ख़तरनाक शर्त रख सकता हूँ”

डॉली: “मैं इस इलेक्शन के लिए अपनी जान भी दे सकती हूँ और ले भी सकी हूँ. तू बस बोल क्या करना हैं”

जय: “तुम मुझे हमेशा छेड़ती रहती हो की मैं राजेश अंकल का बेटा हूँ. आप एक काम करो. आप राजेश अंकल के लड़के अमर से प्रेग्नेंट हो जाओ”\

ज्योति: “जय……. यह क्या बदतमीज़ी हैं.”

ड्राइवर राजेश अभी 45 साल का हैं. ज्योति से 3 साल बड़ा. राजेश का बड़ा बेटा अमर 22 साल का हैं. और छोटी बेटी पायल 19 साल की हैं. इसी पायल के बारे मे कहा जाता हैं की वो नेता सतीश की नाजायज़ औलाद हैं जो सतीश ने राजेश से अपनी पत्नी की चुदाई का बदला लेने के लिए किया था.

जय: “मैने सिर्फ़ बोला हैं. मैने करने को थोड़े ही बोला हैं. मैने बस एक मुश्किल शर्त रखी हैं. डॉली दीदी को मंजूर हैं तो ठीक हाँ वरना इनको इलेक्शन से अपना नॉमिनेशन वापिस लेना होगा”

डॉली: “मैं रेडी हूँ”

ज्योति: “डॉली! तू पागल हैं क्या? यह खेल बंद करो. तुम मे से कोई इलेक्शन नही लड़ेगा इस बार. प्राब्लम ही ख़त्म”

डॉली: “नही मा. मैं इलेक्शन हर कीमत पर लड़ूँगी, आप भले ही नाराज़ हो या ना हो. अगर आप चाहती हो की मैं राजेश अंकल के बेटे अमर से प्रेग्नेंट ना हू तो आप जय को समझाओ”

ज्योति: “जय, तू अभी का अभी अपनी शर्त वापिस ले. तू अपना नॉमिनेशन भी वापिस ले ले. तू समझदार हैं ना!”

जय: “हमेशा से मुझे ही झुकना पड़ता हैं. अब मैं नही झुकने वाला”

ज्योति: “तुझे पता हैं की डॉली कितनी ज़िद्दी हैं. वो अपनी ज़िद के लिए कुच्छ भी कर सकती हैं. इसलिए इसको इस बार जाने दे”
 
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