hotaks444
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गतान्क से आगे......
हनी मून पर चौथा दिन
सुबह जब में सोकर उठी तो मेने देखा कि रवि कमरे मे नही था. राज और रश्मि अभी भी एक दूसरे की बाहों मे सोए पड़े थे. मैं फिर से करवट बदलकर सो गयी. रात की चुदाई से पूरा शरीर अभी भी दुख रहा था. दुबारा जब मेरी आँख खुली तो मेने देखा कि रवि वापस आ गया था और मेरे बगल मे गहरी नींद मे सोया हुआ है.
मेने नहाने का मन मनाया और शवर लेने बाथरूम मे घुस गयी. में नहा कर वापस आई तो देखा कि राज और रश्मि भी उठ चुके है. उन दोनो ने भी स्नान कर कपड़े पहने और हम तीनो होटेल के रेस्टोरेंट मे नाश्ता करने चले गये.
मेने रश्मि से कहा, "क्यों ना रवि के लिए कुछ नाश्ता रूम मे ले चले?"
रश्मि ने एक केला हाथ मे लेते हुए कहा, "ये कैसा रहेगा? इसे में अपनी चूत मे घुसाकर पूरा रसीला बना दूँगी."
"क्या तुम हमेशा चुदाई के बारे मे ही सोचती रहती हो? मेने हंसते हुए कहा.
"सिर्फ़ उस वक्त नही सोचती जब मैं चुदवा रही होती हूँ." रश्मि जोरों से हंसते हुए बोली.
"तुम पक्की छिनाल और चूड्डकड़ हो?" मैने कहा.
"हाँ जहाँ तक चुदाई का सवाल है तुम ये कह सकती हो." रश्मि ने जवाब दिया.
हम रवि के लिए नाश्ता लेकर अपने कमरे में पहुँचे और उसे जगाने लगे, "ओह कुंभकारण की औलाद उठो, हम तुम्हारे लिए नाश्ता लेकर आए है." रस्मी ने उसे झींझोड़ते हुए कहा.
रवि ने उठकर नाश्ता किया और हमारा शुक्रिया अदा किया. नाश्ते के बाद हम चारों फिर सैर को निकल पड़े. पिछले तीन दिनो मे हम इतनी चुदाई कर चुके थे कि सारा शरीर दर्द कर रहा था. लेकिन सच कहूँ तो मज़ा भी बहोत आया था.
जब हम सड़कों पर सैर कर रहे थे तो मेने रवि से पूछा कि रात को वो कहाँ चला गया था.
उसने मुस्कुराते हुए हमारी तरफ देखा और कहा, "तुम लोग विश्वास नही करोगे जो मैं अब बताने वाला हूँ."
हम तीनो ने उससे ज़िद की कि वो हमे बताए की पूरी रात और सुबह होने तक वो कहाँ था. हम सब अपने कान उसकी बातों पर लगा उसकी कहानी ध्यान से सुनने लगे. रवि ने बताया कि उन लड़कियों के रूम से निकलते वक़्त रीता ने उसे आधे घंटे मे लॉन मे मिलने के लिए कहा था.
"जब तुम तीनो सो गये तो में नीचे लॉन मे जाकर उसका इंतेज़ार करने लगा. उसने आधे घंटे मे आने के लिए कहा था पर वो एक घंटे के बाद आई, और तुम मनोगे नही जो मेने रात को देखा." रवि ने कहा.
"ऐसा तुमने क्या देख लिया?" रश्मि थोड़ा उत्सुक होते हुए बोली.
"मेने देखा कि होटेल में ठहरे जोड़े चाँदनी रात मे लॉन मे प्यार कर रहे हैं, और कुछ जोड़े तो वही पर चुदाई कर रहे थे." रवि ने बताया.
"तुम ये कहना चाहते हो कि लोग खुले आम चुदाई कर रहे थे?" मेने पूछा.
"हां! तुम जानती हो कि होटेल मे ठहरे तकरीबन लोग अपने हनिमून पर आए है. तो जितने भी जोड़े थे वो एक दूसरे से काफ़ी दूर दूर थे. और अपने हनिमून पर कौन अपने आप पर कंट्रोल कर सकता है, जब मौसम इतना सुहाना हो और उसपर चाँदनी रात." रवि ने कहा.
"फिर आगे क्या हुआ?" रश्मि ने पूछा.
"तभी मेने देखा कि रीता अनिता का हाथ पकड़े लॉन की तरफ आ रही थी. मैं चल कर उनके पास पहुँचा और रीता ने मेरे मुँह पर एक प्रगाढ़ चुंबन दे दिया.
थोड़ी देर मेरे होठों को चूसने के बाद रीता ने मुझसे कहा, "रवि आज तुम मुझे और अनिता को चोद दो. आज हम सही मे किसी मर्द का लंड अपनी चूत मे लेना चाहते है." सिर्फ़ उसकी इतनी बात सुनकर ही मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया.
हम तीनो लॉन मे जगह देखने लगे. एक सुनसान कोने पर घास पर हम तीनो बैठ गये. हम जहाँ बैठे वहाँ थोड़ा अंधेरा था. हम तीनो एक दूसरे को चूम रहे थे और एक दूसरे के बदन सहला रहे थे.
मेने अपने एक हाथ की उंगली रीता की चूत मे घुसा दी और दूसरे हाथ की उंगली से अनिता की चूत को चोदने लगा. रीता के साँसे तेज होती जा रही थी और उत्तेजना मे उसका शरीर कांप रहा था, "रवि प्लीज़ मेरी चूत को चूसो ना?"
उसके कहने की देर थी कि में उसकी टाँगो के बीच उछल कर आ गया और उसकी चूत को चूसने लगा. उसकी चूत की पंखुड़िया इतनी बड़ी बड़ी थी कि मेने उन्हे अपने दांतो के बीच ले लिया और अपनी जीभ को अंदर बाहर करने लगा.
"उसकी चूत से उठने वाली सुगंध भी बड़ी प्यारी है ना." रश्मि उत्तेजित होते हुए बोली.
रीता ने अपना हाथ बढ़ा मेरे लंड को सहलाने लगी और मसल रही थी, "रवि अब मुझसे नही रहा जाता अपना लंड मेरी चूत मे डाल दो ना, ये मुझे चाहिए अभी."
मेने तुरंत अपने लंड को उसकी चूत मे घुसा दिया, उसकी चूत कोई कुँवारी नही थी. इतने नकली लंड से चुदवाने के बावजूद उसकी चूत बड़ी टाइट थी. मेने ज़ोर का धक्का लगा उसकी चूत की दीवारों को चीरते हुए अपना लंड जड़ तक घुसा दिया.
में इतना उत्तेजित था कि जानवर की तरह उसकी चूत को चोद रहा था. वो भी उत्तेजना मे अपने कूल्हे उठा मेरे धक्कों का साथ दे रही थी. उसने अपनी दोनो टाँगे मेरी कमर मे लपेट ले थी और मेरे कुल्हों को और नीचे को दबा मेरे लंड का मज़ा ले रही थी." रवि अपनी कहानी सुना रहा था.
मेरे हर धक्के पर उसके मुँह से सिसकारी निकल रही थी, "हाआँ रवि चूओड़ो मुझे आाज फाड़ दो मेरी चूओत को ओह कितना आआचा लग रह हाईईईई." में ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा. मैं अपने लंड को बाहर खींचता और जब सिर्फ़ सूपड़ा अंदर रह जाता तो एक ही धक्के मे पूरा लंड उसकी चूत मे पेल देता और उसे इतना मज़ा आया कि वो अपने नाख़ून मेरी पीठ मे चूबो देती."
रीता की चूत गीली डर गीली होती जा रही थी. उस लॉनमे हमारी चुदाई की आवाज़ें गूँज रही थी……फ़च…….फ़च………मैं अपने धक्के की रफ़्तार थोड़ी धीमी कर अपने आपको रोकना चाहता था पर रीता थी कि रुकने का नाम ही नही ले रही थी.
रीता ने और ज़ोर से अपनी टाँगे मेरी कमर गिर्द लपेट ले और अपने दोनो कूल्हे हवा मे उठा दिए और सिसकने लगी, "चूऊओदो रावीयी और ज़ोर सी चूऊड़ो ऑश मेरा चूओटने वाला है ओह माइयन तो गाइिईईईईई."
मेने करवट बदल ली और रीता को अपने उपर लेते हुए मैं नीचे हो गया, रीता अब मेरे लंड पर उछल उछल कर खुद धक्के लगा रही थी और उसकी चूत पानी पे पानी छोड़ रही थी. मेने भी अपने कूल्हे उठा अपना वीर्य उसकी चूत मे छोड़ दिया.
"रीता की साँसे इतनी तेज थी और उसकी चूत ने कितनी बार पानी छोड़ा मुझे नही मालूम. मैं उसकी चिकनी और प्यारी गंद तब तक सहलाता रहा जब तक की उसकी साँसे नही सँभाल गयी." रवि एक गहरी साँस लेते हुए बोला.
"जब तुम रीता को चोद रहे थे उस वक्त अनिता क्या कर रही थी?" मेने रवि से पूछा.
"जब मैं रीता की चूत मे अपना लंड डाल उसे चोद रहा था तो वो हमारे बगल मे लेटी अपनी सहेली रीता की पहली असली चुदाई देख रही थी. कभी कभी वो बीच मे या तो रीता की चुचियाँ दबा देती और कभी हाथ बढ़ा मेरे लंड को पकड़ लेती." रवि ने कहा.
"पर जब रीता मेरे उपर से हट कर घास पर लेट गयी तो अनिता ने मेरे लस्लस्ये हुए लंड को पकड़ा और कहा, "रवि में भी इसका स्वाद चखना चाहती हूँ." रवि ने बताया.
"एक बार तो मुझे लगा कि अपने शौक के अनुसार वो रीता की टाँगो के बीच कूद उसकी चूत को चूसेगी पर मेरे लंड को अपने मुँह मे ले उसने मुझे चौंका दिया. वो मेरे लंड को मसल्ने के साथ जोरों से चूसने लगी. मेरे लंड मे फिर से जान आते हुए एक बार फिर तन कर खड़ा हो गया." रवि ने कहा.
"फिर अनिता मेरे उपर चढ़ गयी और अपनी टाँगे मेरी कमर के अगल बगल रख उसने मेरे लंड को अपनी चूत के मुँह पर रख लिया. फिर मेरे लंड पर बैठते हुए उसने पूरा लंड अपनी चूत मे घुसा लिया. फिर वो रीता की तरह उछल उछल कर धक्के मारने लगी."
"जितनी जोरों से वो मेरे लंड पर उछल रही थी मुझे एक बार लगा कि कहीं उसे चोट ना लग जाए, पर वो और तेज़ी से मेरे लंड पर उठ बैठ रही थी." रवि ने बताया.
हनी मून पर चौथा दिन
सुबह जब में सोकर उठी तो मेने देखा कि रवि कमरे मे नही था. राज और रश्मि अभी भी एक दूसरे की बाहों मे सोए पड़े थे. मैं फिर से करवट बदलकर सो गयी. रात की चुदाई से पूरा शरीर अभी भी दुख रहा था. दुबारा जब मेरी आँख खुली तो मेने देखा कि रवि वापस आ गया था और मेरे बगल मे गहरी नींद मे सोया हुआ है.
मेने नहाने का मन मनाया और शवर लेने बाथरूम मे घुस गयी. में नहा कर वापस आई तो देखा कि राज और रश्मि भी उठ चुके है. उन दोनो ने भी स्नान कर कपड़े पहने और हम तीनो होटेल के रेस्टोरेंट मे नाश्ता करने चले गये.
मेने रश्मि से कहा, "क्यों ना रवि के लिए कुछ नाश्ता रूम मे ले चले?"
रश्मि ने एक केला हाथ मे लेते हुए कहा, "ये कैसा रहेगा? इसे में अपनी चूत मे घुसाकर पूरा रसीला बना दूँगी."
"क्या तुम हमेशा चुदाई के बारे मे ही सोचती रहती हो? मेने हंसते हुए कहा.
"सिर्फ़ उस वक्त नही सोचती जब मैं चुदवा रही होती हूँ." रश्मि जोरों से हंसते हुए बोली.
"तुम पक्की छिनाल और चूड्डकड़ हो?" मैने कहा.
"हाँ जहाँ तक चुदाई का सवाल है तुम ये कह सकती हो." रश्मि ने जवाब दिया.
हम रवि के लिए नाश्ता लेकर अपने कमरे में पहुँचे और उसे जगाने लगे, "ओह कुंभकारण की औलाद उठो, हम तुम्हारे लिए नाश्ता लेकर आए है." रस्मी ने उसे झींझोड़ते हुए कहा.
रवि ने उठकर नाश्ता किया और हमारा शुक्रिया अदा किया. नाश्ते के बाद हम चारों फिर सैर को निकल पड़े. पिछले तीन दिनो मे हम इतनी चुदाई कर चुके थे कि सारा शरीर दर्द कर रहा था. लेकिन सच कहूँ तो मज़ा भी बहोत आया था.
जब हम सड़कों पर सैर कर रहे थे तो मेने रवि से पूछा कि रात को वो कहाँ चला गया था.
उसने मुस्कुराते हुए हमारी तरफ देखा और कहा, "तुम लोग विश्वास नही करोगे जो मैं अब बताने वाला हूँ."
हम तीनो ने उससे ज़िद की कि वो हमे बताए की पूरी रात और सुबह होने तक वो कहाँ था. हम सब अपने कान उसकी बातों पर लगा उसकी कहानी ध्यान से सुनने लगे. रवि ने बताया कि उन लड़कियों के रूम से निकलते वक़्त रीता ने उसे आधे घंटे मे लॉन मे मिलने के लिए कहा था.
"जब तुम तीनो सो गये तो में नीचे लॉन मे जाकर उसका इंतेज़ार करने लगा. उसने आधे घंटे मे आने के लिए कहा था पर वो एक घंटे के बाद आई, और तुम मनोगे नही जो मेने रात को देखा." रवि ने कहा.
"ऐसा तुमने क्या देख लिया?" रश्मि थोड़ा उत्सुक होते हुए बोली.
"मेने देखा कि होटेल में ठहरे जोड़े चाँदनी रात मे लॉन मे प्यार कर रहे हैं, और कुछ जोड़े तो वही पर चुदाई कर रहे थे." रवि ने बताया.
"तुम ये कहना चाहते हो कि लोग खुले आम चुदाई कर रहे थे?" मेने पूछा.
"हां! तुम जानती हो कि होटेल मे ठहरे तकरीबन लोग अपने हनिमून पर आए है. तो जितने भी जोड़े थे वो एक दूसरे से काफ़ी दूर दूर थे. और अपने हनिमून पर कौन अपने आप पर कंट्रोल कर सकता है, जब मौसम इतना सुहाना हो और उसपर चाँदनी रात." रवि ने कहा.
"फिर आगे क्या हुआ?" रश्मि ने पूछा.
"तभी मेने देखा कि रीता अनिता का हाथ पकड़े लॉन की तरफ आ रही थी. मैं चल कर उनके पास पहुँचा और रीता ने मेरे मुँह पर एक प्रगाढ़ चुंबन दे दिया.
थोड़ी देर मेरे होठों को चूसने के बाद रीता ने मुझसे कहा, "रवि आज तुम मुझे और अनिता को चोद दो. आज हम सही मे किसी मर्द का लंड अपनी चूत मे लेना चाहते है." सिर्फ़ उसकी इतनी बात सुनकर ही मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया.
हम तीनो लॉन मे जगह देखने लगे. एक सुनसान कोने पर घास पर हम तीनो बैठ गये. हम जहाँ बैठे वहाँ थोड़ा अंधेरा था. हम तीनो एक दूसरे को चूम रहे थे और एक दूसरे के बदन सहला रहे थे.
मेने अपने एक हाथ की उंगली रीता की चूत मे घुसा दी और दूसरे हाथ की उंगली से अनिता की चूत को चोदने लगा. रीता के साँसे तेज होती जा रही थी और उत्तेजना मे उसका शरीर कांप रहा था, "रवि प्लीज़ मेरी चूत को चूसो ना?"
उसके कहने की देर थी कि में उसकी टाँगो के बीच उछल कर आ गया और उसकी चूत को चूसने लगा. उसकी चूत की पंखुड़िया इतनी बड़ी बड़ी थी कि मेने उन्हे अपने दांतो के बीच ले लिया और अपनी जीभ को अंदर बाहर करने लगा.
"उसकी चूत से उठने वाली सुगंध भी बड़ी प्यारी है ना." रश्मि उत्तेजित होते हुए बोली.
रीता ने अपना हाथ बढ़ा मेरे लंड को सहलाने लगी और मसल रही थी, "रवि अब मुझसे नही रहा जाता अपना लंड मेरी चूत मे डाल दो ना, ये मुझे चाहिए अभी."
मेने तुरंत अपने लंड को उसकी चूत मे घुसा दिया, उसकी चूत कोई कुँवारी नही थी. इतने नकली लंड से चुदवाने के बावजूद उसकी चूत बड़ी टाइट थी. मेने ज़ोर का धक्का लगा उसकी चूत की दीवारों को चीरते हुए अपना लंड जड़ तक घुसा दिया.
में इतना उत्तेजित था कि जानवर की तरह उसकी चूत को चोद रहा था. वो भी उत्तेजना मे अपने कूल्हे उठा मेरे धक्कों का साथ दे रही थी. उसने अपनी दोनो टाँगे मेरी कमर मे लपेट ले थी और मेरे कुल्हों को और नीचे को दबा मेरे लंड का मज़ा ले रही थी." रवि अपनी कहानी सुना रहा था.
मेरे हर धक्के पर उसके मुँह से सिसकारी निकल रही थी, "हाआँ रवि चूओड़ो मुझे आाज फाड़ दो मेरी चूओत को ओह कितना आआचा लग रह हाईईईई." में ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा. मैं अपने लंड को बाहर खींचता और जब सिर्फ़ सूपड़ा अंदर रह जाता तो एक ही धक्के मे पूरा लंड उसकी चूत मे पेल देता और उसे इतना मज़ा आया कि वो अपने नाख़ून मेरी पीठ मे चूबो देती."
रीता की चूत गीली डर गीली होती जा रही थी. उस लॉनमे हमारी चुदाई की आवाज़ें गूँज रही थी……फ़च…….फ़च………मैं अपने धक्के की रफ़्तार थोड़ी धीमी कर अपने आपको रोकना चाहता था पर रीता थी कि रुकने का नाम ही नही ले रही थी.
रीता ने और ज़ोर से अपनी टाँगे मेरी कमर गिर्द लपेट ले और अपने दोनो कूल्हे हवा मे उठा दिए और सिसकने लगी, "चूऊओदो रावीयी और ज़ोर सी चूऊड़ो ऑश मेरा चूओटने वाला है ओह माइयन तो गाइिईईईईई."
मेने करवट बदल ली और रीता को अपने उपर लेते हुए मैं नीचे हो गया, रीता अब मेरे लंड पर उछल उछल कर खुद धक्के लगा रही थी और उसकी चूत पानी पे पानी छोड़ रही थी. मेने भी अपने कूल्हे उठा अपना वीर्य उसकी चूत मे छोड़ दिया.
"रीता की साँसे इतनी तेज थी और उसकी चूत ने कितनी बार पानी छोड़ा मुझे नही मालूम. मैं उसकी चिकनी और प्यारी गंद तब तक सहलाता रहा जब तक की उसकी साँसे नही सँभाल गयी." रवि एक गहरी साँस लेते हुए बोला.
"जब तुम रीता को चोद रहे थे उस वक्त अनिता क्या कर रही थी?" मेने रवि से पूछा.
"जब मैं रीता की चूत मे अपना लंड डाल उसे चोद रहा था तो वो हमारे बगल मे लेटी अपनी सहेली रीता की पहली असली चुदाई देख रही थी. कभी कभी वो बीच मे या तो रीता की चुचियाँ दबा देती और कभी हाथ बढ़ा मेरे लंड को पकड़ लेती." रवि ने कहा.
"पर जब रीता मेरे उपर से हट कर घास पर लेट गयी तो अनिता ने मेरे लस्लस्ये हुए लंड को पकड़ा और कहा, "रवि में भी इसका स्वाद चखना चाहती हूँ." रवि ने बताया.
"एक बार तो मुझे लगा कि अपने शौक के अनुसार वो रीता की टाँगो के बीच कूद उसकी चूत को चूसेगी पर मेरे लंड को अपने मुँह मे ले उसने मुझे चौंका दिया. वो मेरे लंड को मसल्ने के साथ जोरों से चूसने लगी. मेरे लंड मे फिर से जान आते हुए एक बार फिर तन कर खड़ा हो गया." रवि ने कहा.
"फिर अनिता मेरे उपर चढ़ गयी और अपनी टाँगे मेरी कमर के अगल बगल रख उसने मेरे लंड को अपनी चूत के मुँह पर रख लिया. फिर मेरे लंड पर बैठते हुए उसने पूरा लंड अपनी चूत मे घुसा लिया. फिर वो रीता की तरह उछल उछल कर धक्के मारने लगी."
"जितनी जोरों से वो मेरे लंड पर उछल रही थी मुझे एक बार लगा कि कहीं उसे चोट ना लग जाए, पर वो और तेज़ी से मेरे लंड पर उठ बैठ रही थी." रवि ने बताया.