desiaks
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जय नही माना और वहाँ से चला गया. डॉली भी चली गयी. अब ज्योति टेन्षन मे आ गयी. वो सीधा अपने पति सतीश के पास गयी.
ज्योति: “अब आप ही बच्चो को समझाओ. कॉलेज इलेक्शन की ज़िद को लेकर वो बहुत नीची हद तक उतर आए हैं”
सतीश: “हमने ही उनको सर चढ़ाया हैं. वो तुम्हारे ज़्यादा करीब हैं, तुम्ही समझाओ उनको. तुम एक पॉलिटीशियन की बीवी हो. कुच्छ तो तिकड़म भिड़ाओ और मनाओ उनको”
अगले दिन ज्योति ने अपने दोनो बच्चो को बुलाया. देखा तो सामने ड्राइवर राजेश अंकल और उनका 22 साल का बेटा अमर खड़ा था.
डॉली ने जय की तरफ देख कर होंठ हिला कर “पापा” बोला और जय को चिड़ाया. जय गुस्से मे भर गया. पर डॉली स्माइल कर रही थी.
ज्योति: “अमर भी यही पर हैं. अब तुम दोनो बोलो तुम्हारा क्या फ़ैसला हैं”
जय: “मैं अपनी शर्त चेंज नही करने वाला. डॉली को मंजूर हैं तो वो करके बताए. मैं आज ही नॉमिनेशन वापिस ले लूँगा”
डॉली: “मैं रेडी हूँ. मुझे अमर से प्रेग्नेंट होने से कोई प्राब्लम नही हैं”
ड्राइवर राजेश एक नज़र ज्योति को देखता तो दूसरी नज़र डॉली को. अमर भी यह सुनकर आश्चर्य मे भर गया.
ज्योति: “डॉली, तुम तो रेडी हो पर अमर से भी तो पुच्छ लो की वो रेडी हैं या नही”
ज्योति ने राजेश को आँखों से इशारा किया. ड्राइवर राजेश ने अमर को धीरे से कुच्छ कहा.
अमर: “मैं इसके लिए रेडी नही हूँ”
डॉली बस अमर की शकल देखते रह गयी. आज तक लड़को ने उसकी खूबसूरती को देखकर लार ही टपकाई हैं. यह पहला लड़का था जिसने मान बोल दिया था.
शायद अमर के पापा राजेश ने उसको ना कहने की हिदायत दे दी थी इसलिए उसको ना कहना पड़ा. वरना डॉली को चोदने का मौका अमर कभी नही छोड़ता.
अमर को भी यह अफवाह पता थी की उसकी छोटी बहन पायल का असली बाप नेता सतीश हैं. जिसने गुस्से मे बदले की खातिर यह किया था. वो भी अपनी मा की बेइज़्ज़ती का बदला सतीश की बेटी डॉली से ले सकता था पर अपने पिता राजेश के कहने पर वो चुप रहा.
जय: “डॉली दीदी आप अपनी शर्त पूरी नही कर सकी, इसलिए आप नॉमिनेशन वापिस लो”
डॉली: “मैं तो शर्त के लिए रेडी हूँ. अमर रेडी नही तो मैं क्या करू! नॉमिनेशन तुम वापिस लो”
राजेश: “डॉली बेटा, ज़िद मत करो. यह ग़लत हैं”
डॉली: “राजेश अंकल आप मुझे मत सिख़ाओ की क्या सही हैं और क्या ग़लत”'
जय: “चुप करो दीदी. बडो से ऐसे बात करते हैं! मैं बिना शर्त के नॉमिनेशन वापिस ले रहा हूँ. आप राजेश अंकल को सॉरी बोलो”
डॉली ने एक स्माइल दी. फिर राजेश अंकल को सॉरी बोलते हुए वहाँ से चली गयी. जय भी गुस्से मे वहाँ से चला गया. ड्राइवर राजेश भी फिर अमर को लेकर जाने लगा.
ज्योति: “राजेश, तुम यही रूको कुच्छ काम हैं”
अमर फिर अपने पिता राजेश को वही छोड़कर चला गया.
ज्योति: “अब आप ही बच्चो को समझाओ. कॉलेज इलेक्शन की ज़िद को लेकर वो बहुत नीची हद तक उतर आए हैं”
सतीश: “हमने ही उनको सर चढ़ाया हैं. वो तुम्हारे ज़्यादा करीब हैं, तुम्ही समझाओ उनको. तुम एक पॉलिटीशियन की बीवी हो. कुच्छ तो तिकड़म भिड़ाओ और मनाओ उनको”
अगले दिन ज्योति ने अपने दोनो बच्चो को बुलाया. देखा तो सामने ड्राइवर राजेश अंकल और उनका 22 साल का बेटा अमर खड़ा था.
डॉली ने जय की तरफ देख कर होंठ हिला कर “पापा” बोला और जय को चिड़ाया. जय गुस्से मे भर गया. पर डॉली स्माइल कर रही थी.
ज्योति: “अमर भी यही पर हैं. अब तुम दोनो बोलो तुम्हारा क्या फ़ैसला हैं”
जय: “मैं अपनी शर्त चेंज नही करने वाला. डॉली को मंजूर हैं तो वो करके बताए. मैं आज ही नॉमिनेशन वापिस ले लूँगा”
डॉली: “मैं रेडी हूँ. मुझे अमर से प्रेग्नेंट होने से कोई प्राब्लम नही हैं”
ड्राइवर राजेश एक नज़र ज्योति को देखता तो दूसरी नज़र डॉली को. अमर भी यह सुनकर आश्चर्य मे भर गया.
ज्योति: “डॉली, तुम तो रेडी हो पर अमर से भी तो पुच्छ लो की वो रेडी हैं या नही”
ज्योति ने राजेश को आँखों से इशारा किया. ड्राइवर राजेश ने अमर को धीरे से कुच्छ कहा.
अमर: “मैं इसके लिए रेडी नही हूँ”
डॉली बस अमर की शकल देखते रह गयी. आज तक लड़को ने उसकी खूबसूरती को देखकर लार ही टपकाई हैं. यह पहला लड़का था जिसने मान बोल दिया था.
शायद अमर के पापा राजेश ने उसको ना कहने की हिदायत दे दी थी इसलिए उसको ना कहना पड़ा. वरना डॉली को चोदने का मौका अमर कभी नही छोड़ता.
अमर को भी यह अफवाह पता थी की उसकी छोटी बहन पायल का असली बाप नेता सतीश हैं. जिसने गुस्से मे बदले की खातिर यह किया था. वो भी अपनी मा की बेइज़्ज़ती का बदला सतीश की बेटी डॉली से ले सकता था पर अपने पिता राजेश के कहने पर वो चुप रहा.
जय: “डॉली दीदी आप अपनी शर्त पूरी नही कर सकी, इसलिए आप नॉमिनेशन वापिस लो”
डॉली: “मैं तो शर्त के लिए रेडी हूँ. अमर रेडी नही तो मैं क्या करू! नॉमिनेशन तुम वापिस लो”
राजेश: “डॉली बेटा, ज़िद मत करो. यह ग़लत हैं”
डॉली: “राजेश अंकल आप मुझे मत सिख़ाओ की क्या सही हैं और क्या ग़लत”'
जय: “चुप करो दीदी. बडो से ऐसे बात करते हैं! मैं बिना शर्त के नॉमिनेशन वापिस ले रहा हूँ. आप राजेश अंकल को सॉरी बोलो”
डॉली ने एक स्माइल दी. फिर राजेश अंकल को सॉरी बोलते हुए वहाँ से चली गयी. जय भी गुस्से मे वहाँ से चला गया. ड्राइवर राजेश भी फिर अमर को लेकर जाने लगा.
ज्योति: “राजेश, तुम यही रूको कुच्छ काम हैं”
अमर फिर अपने पिता राजेश को वही छोड़कर चला गया.