hotaks444
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प्यास बुझती ही नही-12
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा इस कहानी का बारहवां पार्ट लेकर हाजिर हूँ
रात के 10 बजे रश्मि को चाय बनाने को कहा गया...वो किचन मे चाय बनाने के बाद सभी को सर्व करने लगी....जब वो अपने रूम मे चाय लेकर गयी तो देखा कि राजेश स्मृति को बाँहो मे लिए हुए है और उसे चूम चाट रहा है....स्मृति भी उसके बाल और चेहरे पर किस कर रही है.....रश्मि ने उसे डिस्टर्ब करना उचित नही समझा वो वही पर कोने मे खड़ी रही और दोनो का कारनामा देखने लगी.
राजेश: आहह डार्लिंग....अब रहा नही जाता.....प्लीज़ अपना ब्लाउस निकालो.
स्मृति: नही....रश्मि आ जाएगी...प्लीज़ ऐसा मत करूऊओ
राजेश: उसके चुचियो को दबाते हुए..... मैंअब नही रह सकता.
स्मृति: प्लीज़...मुझे मजबूर माअत्त्त करूऊ पल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लाहह
राजेश: एक बार फिर मैं तुम्हारी इन चुचियो को नग्न देखना चाहता हू....प्लीज़ माइ स्वेट-हार्ट....
स्मृति: पर दरवाजा तो खुला है....उसे तो बंद करो....
राजेश ने दरवाजे की तरफ देखा तो चौंक गया...क्योकि रश्मि उन-दोनो को देखकर मुस्कुरा रही थी.......................................................बोली....अरे पहले चाय पी लो फिर महाभारत सुरू करना............और चाय वही पर रखकर चली गयी.......
स्मृति: चाय पीते हुए.....छीईइ क्या सोचती होगी हमारे बारे मे.....मुझे तो शर्म आती है....
राजेश; अरे इसमे शरमाने की क्या बात है.....मेरी रश्मि बहुत समझदार है...और फिर ये तो उसका ही फ़ैसला है...तुम्हे यहाँ लाने का......क्या तुम्हे नही मालूम?
वो तुम्हे फिर से सुहागन देखना चाहती है...तभी तो मैने अपने दोस्त से बात की है तुम्हारे लिए....................और फिर मेरे और तुम्हारे रिस्ते तो है ही जीजा साली के....तो फिर साली आधी घरवाली होती है...........हाआआआआआआआआआ (ठहाका मार कर हस्ने लगा)
स्मृति: तुम्हे ये सब मज़ाक लग रहा है पर मैं क्या करू...मैं एक औरत जो हू और उसपे विडो...............लोग क्या कहेंगे...समाज क्या कहेगा.
राजेश: समाज को मारो गोली.....जब तुम बिध्वा घर पर यू बैठी रहती थी रात रात भर करवटें बदलते रहती थी तो कहाँ गया समाज......तुम मेरी मानो गोली मारो इस समाज को...और फिर हमलोग दुनिया के पहले कपल तो है नही जो ऐसा कर रहे है...इतिहास गवाह है...कि लोगो ने अपने ऐसो-आराम के लिए कितनी औरतो को चोदा है....मैं तो फिर भी संस्कारी हू...........................
स्मृति: चाहे जो हो...हमे ऐसा नही करना चाहिए................................
तभी कमरे मे रश्मि आ जाती है.......बोलती है
रश्मि: अरे भाई क्या चल रहा है...कैसी बदनामी हो जाएगी? ज़रा मैं भी तो सुनू
राजेश: अब तुम ही अपनी बहन को समझाओ
रश्मि: वो तो मैं समझा दूँगी ही...तुम जाकर भैया से मिल लो...बुला रहे है.
राजेश के जाने के बाद रश्मि और स्मृति दोनो चाय की चुस्की के साथ बाते कर रहे थे..........
स्मृति: तुम्हारा दिमाग़ तो खराब नही हो गया है......?
रश्मि: क्यू? क्या हुआ?
स्मृति: तुम सब कुच्छ जानते हुए भी अपने पति को मेरे साथ.....................
रश्मि: तो इसमे बुरा क्या है? तुम एक स्त्री हो और वो भी विडो...तुम्हे भी पूरा हक़ है जीने का.....और फिर जाने वाले तो चले गये.....उनके लिए आँसू बहाना ठीक नही है......अगर जीजाजी होते तो वो भी तुम्हे यू तड़प्ते हुए देखना नही चाहते....मुझे मालूम है कि तुम रात रात भर लंड के लिए तड़पति रहती हो...
स्मृति: रश्मि........माइंड युवर लॅंग्वेज...तुम मेरी छ्होटी बहन हो...
रश्मि: ओह्ह्ह दीदी...अब छ्चोड़ो भी ये छ्होटी और बड़ी....हम दोनो सहेलिया है...और मोहब्बत और जंग मे सब जायज़ है....सो एंजाय वित माइ हब्बी....सुबह बताना कि क्या क्या हुआ.....ओके..................
स्मृति: पर मुझे कुच्छ ठीक नही लग रहा...
रश्मि: सुबह बात करेंगे.....तब तक राजेश भी आ गया....
स्मृति:अपनी नज़रे दीवार की ओर कर ली और रश्मि एक आँख मार कर चली गयी....
थोड़ी देर तक खामोशी रही.....................................फिर राजेश ने आगे बढ़कर स्मिति को पीछे से पकड़ लिया और उसके गर्दन और गाल्लो पर किस करने लगा
स्मृति...आहह क्या करते हो...गुदगुदी होती है....प्लीज़ छ्चोड़ दो
मेरी जान जब लंड तेरी चूत मई जाएगा ना तो देखना कितना मज़ा आएगा...
स्मृति: छीईईईईई कितनी गंदी बाते करते हो.......मुझे पसंद नही
राजेश: तो तुम्हे क्या पसंद है....बैठकर आँसू बहाना...............
स्मृति: कुच्छ नही बोली...वो सिर्फ़ इतना ही बोल सकी......लाइट तो बंद कर दो...मुझे सोना है.
राजेश ने लाइट ऑफ कर दिया और ज़ीरो बल्ब जला दिया...अभी भी धीमी रोशनी थी कमरे मे....अब राजेश उसकी चुचियो को पकड़कर दबाने लगा .....स्मृति आह उह करने लगी.......................................राजेश उसे अपनी बाँहो मे लिए हुए बिस्तेर पर आ गया...और उसके गाउन को खोल दिया...वो बिल्कुल नंगी हो गयी
स्मृति ने तिर्छि नॅज़ारो से राजेश को देखा…राजेश मुस्कुरा रहा था…..उसका लंड हवा मे लहरा रहा रहा था….यू तो स्मृति कुंआरी थी नही पर आज तक उसे ऐसा लंड देखने को मिला नही था….वो आश्चर्य-चकित थी कि ऐसा लंड तो सिर्फ़ इंग्लीश फ़िल्मो (ब्फ) मे ही देखने को मिलता है. स्मृति ने भी अब शरमाना छोड़ दिया था क्योकि वो भी तो मदर-जात नंगी जो थी….उसकी गांद भी राजेश के आँखो की आगे झूल रही थी……..राजेश ने उसे बाँहो मे लिया और बेड पर आ गया…..राजेश को बहुत मन कर रहा था कि वो स्मृति की चूत को देखे ……पर स्मृति अपने दोनो हाथो सेअपनी चूत कोढके हुए थी…..
बेड पर आते ही राजेश ने स्मृति को पीठ के बल लेटा दिया…और जाँघो को चौड़ा करने लगा….और उसके हाथो को हटाने लगा…..पर स्मृति ने ज़ोर से अपनी चूत को ढँक रखा था……..राजेश को शरारत सूझी और उसने स्मृति की गांद मे अपनी एक उंगली घुसा दी……..
स्मृति: उईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई मर गयी…ये कहाँ डाल रहे हो……आप को शर्म आनी चाहिए…..च्चिईीईईई
राजेश: अब जब तुम मुझे ऐसे ही तड़पाओगी तो मे तो ऐसा करूँगा ही………………और एक गाना गन-गुना दिया…
“चूत से ज़रा नकाब हटा दो मेरे हुजूर” जलवा एक बार दिखा दो मेरे हुजूर……चूत से…………………”
स्मृति:आप बहुत बेशर्म हो….बाहर कोई सुनेगा तो क्या कहेगा…..
राजेश: तभी तो मे कह रहा था…कि अब नखरे करने छोड़ दो और सुरू करो प्रोग्राम.
स्मिरिटी: मुझे शर्म आती है ….जो भी करना हो तुम करो….
राजेश : जी नही…जब तक तुम मेरा साथ नही दोगि मे हाथ भी नही लगाउन्गा….
स्मृति: ऊऊओहूऊओ…..जैसे कि तुम मानने वाले हो………अगर तुम्हारा बस चले तो कच्चा खा जाओ मुझे………ह्म्म्म्मम
राजेश: अब छोड़ भी दो नखरा……
स्मृति: जी नही…अगर तुम्हे चाहिए तो तुम आगे बढ़ो…..
राजेश: मेडम…मे ऐसा आसिक़ नही हू…कि साड़ी उठाई और मार दिया चौका….अपना तो एक ही फंडा है……डू सेक्स वित लव.
स्मृति: ह्म्म्म्ममममममममम तो फिर ये लो…और स्मृतिने हार मानते हुए अपना हाथ वन्हा से हटा दिया और शर्म के मारे अपनी आँखे मूंद ली………………………
राजेश: ने उसके हाथ को आँखो से हटाते हुए कहा….जी नही ये भी नही चलेगा…..जब मे तुम्हे चोदुन्गा तो तुम मुझे देखोगी और मे तुम्हे….समझी.
स्मृति: मतलब कि तुम मानने वाले नही हो….अच्छा बाबा…ये लो…खुस?
राजेश: हस्ते हुए…थॅंक्स……….और वो झुक कर उसकी चूत को चूम लिया…..वाह…क्या स्मेल है….और क्या स्वाद है…भाई मज़ा आ गया….
स्मृति: अपनी कमर को ऐंठते हुए….छीइ….आपको गंदा नही लगता….यान्हा से मूत निकलती है और आप हो कि चूम रहे हो.
राजेश: मेरी जान …ये तो गंगोत्री है….जहा से गंगा निकलती है…और फिर तुम और मे भी यही से निकले है…….
स्मृति: मुस्कुराते हुए….और तुम उस जगह पे चाटना भी चाहते हो…….है ना….
राजेश: ह्म्म्म्म अब तुम समझदार हो गयी हो……देखो….सेक्स मे कुकछ भी गंदा नही होता…जो भी होता है एंजाय्मेंट के लिए होता है…तुम एंजाय करो…बस….बाकी की मुझपर छोड़ दो.
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा इस कहानी का बारहवां पार्ट लेकर हाजिर हूँ
रात के 10 बजे रश्मि को चाय बनाने को कहा गया...वो किचन मे चाय बनाने के बाद सभी को सर्व करने लगी....जब वो अपने रूम मे चाय लेकर गयी तो देखा कि राजेश स्मृति को बाँहो मे लिए हुए है और उसे चूम चाट रहा है....स्मृति भी उसके बाल और चेहरे पर किस कर रही है.....रश्मि ने उसे डिस्टर्ब करना उचित नही समझा वो वही पर कोने मे खड़ी रही और दोनो का कारनामा देखने लगी.
राजेश: आहह डार्लिंग....अब रहा नही जाता.....प्लीज़ अपना ब्लाउस निकालो.
स्मृति: नही....रश्मि आ जाएगी...प्लीज़ ऐसा मत करूऊओ
राजेश: उसके चुचियो को दबाते हुए..... मैंअब नही रह सकता.
स्मृति: प्लीज़...मुझे मजबूर माअत्त्त करूऊ पल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लाहह
राजेश: एक बार फिर मैं तुम्हारी इन चुचियो को नग्न देखना चाहता हू....प्लीज़ माइ स्वेट-हार्ट....
स्मृति: पर दरवाजा तो खुला है....उसे तो बंद करो....
राजेश ने दरवाजे की तरफ देखा तो चौंक गया...क्योकि रश्मि उन-दोनो को देखकर मुस्कुरा रही थी.......................................................बोली....अरे पहले चाय पी लो फिर महाभारत सुरू करना............और चाय वही पर रखकर चली गयी.......
स्मृति: चाय पीते हुए.....छीईइ क्या सोचती होगी हमारे बारे मे.....मुझे तो शर्म आती है....
राजेश; अरे इसमे शरमाने की क्या बात है.....मेरी रश्मि बहुत समझदार है...और फिर ये तो उसका ही फ़ैसला है...तुम्हे यहाँ लाने का......क्या तुम्हे नही मालूम?
वो तुम्हे फिर से सुहागन देखना चाहती है...तभी तो मैने अपने दोस्त से बात की है तुम्हारे लिए....................और फिर मेरे और तुम्हारे रिस्ते तो है ही जीजा साली के....तो फिर साली आधी घरवाली होती है...........हाआआआआआआआआआ (ठहाका मार कर हस्ने लगा)
स्मृति: तुम्हे ये सब मज़ाक लग रहा है पर मैं क्या करू...मैं एक औरत जो हू और उसपे विडो...............लोग क्या कहेंगे...समाज क्या कहेगा.
राजेश: समाज को मारो गोली.....जब तुम बिध्वा घर पर यू बैठी रहती थी रात रात भर करवटें बदलते रहती थी तो कहाँ गया समाज......तुम मेरी मानो गोली मारो इस समाज को...और फिर हमलोग दुनिया के पहले कपल तो है नही जो ऐसा कर रहे है...इतिहास गवाह है...कि लोगो ने अपने ऐसो-आराम के लिए कितनी औरतो को चोदा है....मैं तो फिर भी संस्कारी हू...........................
स्मृति: चाहे जो हो...हमे ऐसा नही करना चाहिए................................
तभी कमरे मे रश्मि आ जाती है.......बोलती है
रश्मि: अरे भाई क्या चल रहा है...कैसी बदनामी हो जाएगी? ज़रा मैं भी तो सुनू
राजेश: अब तुम ही अपनी बहन को समझाओ
रश्मि: वो तो मैं समझा दूँगी ही...तुम जाकर भैया से मिल लो...बुला रहे है.
राजेश के जाने के बाद रश्मि और स्मृति दोनो चाय की चुस्की के साथ बाते कर रहे थे..........
स्मृति: तुम्हारा दिमाग़ तो खराब नही हो गया है......?
रश्मि: क्यू? क्या हुआ?
स्मृति: तुम सब कुच्छ जानते हुए भी अपने पति को मेरे साथ.....................
रश्मि: तो इसमे बुरा क्या है? तुम एक स्त्री हो और वो भी विडो...तुम्हे भी पूरा हक़ है जीने का.....और फिर जाने वाले तो चले गये.....उनके लिए आँसू बहाना ठीक नही है......अगर जीजाजी होते तो वो भी तुम्हे यू तड़प्ते हुए देखना नही चाहते....मुझे मालूम है कि तुम रात रात भर लंड के लिए तड़पति रहती हो...
स्मृति: रश्मि........माइंड युवर लॅंग्वेज...तुम मेरी छ्होटी बहन हो...
रश्मि: ओह्ह्ह दीदी...अब छ्चोड़ो भी ये छ्होटी और बड़ी....हम दोनो सहेलिया है...और मोहब्बत और जंग मे सब जायज़ है....सो एंजाय वित माइ हब्बी....सुबह बताना कि क्या क्या हुआ.....ओके..................
स्मृति: पर मुझे कुच्छ ठीक नही लग रहा...
रश्मि: सुबह बात करेंगे.....तब तक राजेश भी आ गया....
स्मृति:अपनी नज़रे दीवार की ओर कर ली और रश्मि एक आँख मार कर चली गयी....
थोड़ी देर तक खामोशी रही.....................................फिर राजेश ने आगे बढ़कर स्मिति को पीछे से पकड़ लिया और उसके गर्दन और गाल्लो पर किस करने लगा
स्मृति...आहह क्या करते हो...गुदगुदी होती है....प्लीज़ छ्चोड़ दो
मेरी जान जब लंड तेरी चूत मई जाएगा ना तो देखना कितना मज़ा आएगा...
स्मृति: छीईईईईई कितनी गंदी बाते करते हो.......मुझे पसंद नही
राजेश: तो तुम्हे क्या पसंद है....बैठकर आँसू बहाना...............
स्मृति: कुच्छ नही बोली...वो सिर्फ़ इतना ही बोल सकी......लाइट तो बंद कर दो...मुझे सोना है.
राजेश ने लाइट ऑफ कर दिया और ज़ीरो बल्ब जला दिया...अभी भी धीमी रोशनी थी कमरे मे....अब राजेश उसकी चुचियो को पकड़कर दबाने लगा .....स्मृति आह उह करने लगी.......................................राजेश उसे अपनी बाँहो मे लिए हुए बिस्तेर पर आ गया...और उसके गाउन को खोल दिया...वो बिल्कुल नंगी हो गयी
स्मृति ने तिर्छि नॅज़ारो से राजेश को देखा…राजेश मुस्कुरा रहा था…..उसका लंड हवा मे लहरा रहा रहा था….यू तो स्मृति कुंआरी थी नही पर आज तक उसे ऐसा लंड देखने को मिला नही था….वो आश्चर्य-चकित थी कि ऐसा लंड तो सिर्फ़ इंग्लीश फ़िल्मो (ब्फ) मे ही देखने को मिलता है. स्मृति ने भी अब शरमाना छोड़ दिया था क्योकि वो भी तो मदर-जात नंगी जो थी….उसकी गांद भी राजेश के आँखो की आगे झूल रही थी……..राजेश ने उसे बाँहो मे लिया और बेड पर आ गया…..राजेश को बहुत मन कर रहा था कि वो स्मृति की चूत को देखे ……पर स्मृति अपने दोनो हाथो सेअपनी चूत कोढके हुए थी…..
बेड पर आते ही राजेश ने स्मृति को पीठ के बल लेटा दिया…और जाँघो को चौड़ा करने लगा….और उसके हाथो को हटाने लगा…..पर स्मृति ने ज़ोर से अपनी चूत को ढँक रखा था……..राजेश को शरारत सूझी और उसने स्मृति की गांद मे अपनी एक उंगली घुसा दी……..
स्मृति: उईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई मर गयी…ये कहाँ डाल रहे हो……आप को शर्म आनी चाहिए…..च्चिईीईईई
राजेश: अब जब तुम मुझे ऐसे ही तड़पाओगी तो मे तो ऐसा करूँगा ही………………और एक गाना गन-गुना दिया…
“चूत से ज़रा नकाब हटा दो मेरे हुजूर” जलवा एक बार दिखा दो मेरे हुजूर……चूत से…………………”
स्मृति:आप बहुत बेशर्म हो….बाहर कोई सुनेगा तो क्या कहेगा…..
राजेश: तभी तो मे कह रहा था…कि अब नखरे करने छोड़ दो और सुरू करो प्रोग्राम.
स्मिरिटी: मुझे शर्म आती है ….जो भी करना हो तुम करो….
राजेश : जी नही…जब तक तुम मेरा साथ नही दोगि मे हाथ भी नही लगाउन्गा….
स्मृति: ऊऊओहूऊओ…..जैसे कि तुम मानने वाले हो………अगर तुम्हारा बस चले तो कच्चा खा जाओ मुझे………ह्म्म्म्मम
राजेश: अब छोड़ भी दो नखरा……
स्मृति: जी नही…अगर तुम्हे चाहिए तो तुम आगे बढ़ो…..
राजेश: मेडम…मे ऐसा आसिक़ नही हू…कि साड़ी उठाई और मार दिया चौका….अपना तो एक ही फंडा है……डू सेक्स वित लव.
स्मृति: ह्म्म्म्ममममममममम तो फिर ये लो…और स्मृतिने हार मानते हुए अपना हाथ वन्हा से हटा दिया और शर्म के मारे अपनी आँखे मूंद ली………………………
राजेश: ने उसके हाथ को आँखो से हटाते हुए कहा….जी नही ये भी नही चलेगा…..जब मे तुम्हे चोदुन्गा तो तुम मुझे देखोगी और मे तुम्हे….समझी.
स्मृति: मतलब कि तुम मानने वाले नही हो….अच्छा बाबा…ये लो…खुस?
राजेश: हस्ते हुए…थॅंक्स……….और वो झुक कर उसकी चूत को चूम लिया…..वाह…क्या स्मेल है….और क्या स्वाद है…भाई मज़ा आ गया….
स्मृति: अपनी कमर को ऐंठते हुए….छीइ….आपको गंदा नही लगता….यान्हा से मूत निकलती है और आप हो कि चूम रहे हो.
राजेश: मेरी जान …ये तो गंगोत्री है….जहा से गंगा निकलती है…और फिर तुम और मे भी यही से निकले है…….
स्मृति: मुस्कुराते हुए….और तुम उस जगह पे चाटना भी चाहते हो…….है ना….
राजेश: ह्म्म्म्म अब तुम समझदार हो गयी हो……देखो….सेक्स मे कुकछ भी गंदा नही होता…जो भी होता है एंजाय्मेंट के लिए होता है…तुम एंजाय करो…बस….बाकी की मुझपर छोड़ दो.