hotaks444
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परिवार हो तो ऐसा-26
गतान्क से आगे...............
मोहन ने जब देखा कि प्रीति उसकी भतीजी ने उसे ईमेल भेजा है तो वो समझ गया कि उसने कहानी मे कोई नया नुस्ख़ा भेजा हो गा वो ईमेल खोल पढ़ने लगा.. और अपने लंड को अपनी पॅंट से आज़ाद कर लिया.. मोहन अपने खड़े लंड को मसल्ते हुए कहानी के उस हिस्से पर पहुँचता है जहाँ भतीजी अपने चाचा और चाची के पास रहने आती है और और रात वो अपनी चचेरी बहन के बदन को छूती है.. मोहन ये पढ़ कर चौंक जाता है. आज से पहेल प्रीति ने थोड़ा भी इशारा नही किया था कि उसे ये सब भी पसंद है.. और उसने कहानी मे लिखा था कि किस तरह दोनो चचेरी बहने एक दूसरे की चूत से खेल सेक्स का मज़ा लेते है.. उसे विश्वास नही हो रहा था कि दो लड़कियों के सेक्स संबंध को लेकर प्रीति इतनी तरह लिख सकती है... उसने उस हिस्से को कई बार पढ़ा और आख़िर ज़ोर ज़ोर से मूठ मारते हुए उसने अपने लंड का पानी छुड़ा लिया... प्रीति की कहानी को पढ़ मोहन सोचने पर मजबूर हो गया कि क्या प्रीति और उसकी बेटियों के बीच भी ऐसा ही संबंध है.. क्या वो तीनो भी कहानी ही की तरह सेक्स का मज़ा लेते है.. उसका ख़याल अपनी ही बेटियों पर आकर ठहर गया.. कितनी जवान और सुंदर हो गयी थी दोनो यही सोचते हुए उसने कहानी का आगे का भाग लिखा और उसे प्रीति को मैल कर दिया..
राज अपने कंप्यूटर पर बैठा कुछ काम कर रहा था कि प्रीति ने उसके कमरे मे कदम रखा.. उसने सफेद रंग का टॉप और डेनिम की स्कर्ट पहन रखी थी..
"क्या बात है भाई आज तो कुछ ज़्यादा ही मस्ती छाई हुई है?" प्रीति ने अपने भाई के खड़े लंड को देख कर कहा...
"कुछ खास नही बस ऐसे ही कंप्यूटर पर कुछ तस्वीरें देख रहा था.. " राज ने अपने लंड को मसल्ते हुए कहा..
"राज तुम्हे पता है दो दिन पहले क्या हुआ?" प्रीति ने पूछा..
"नही क्यों.. क्या कुछ खास हुआ था..?" राज ने पलट कर पूछा.
"हां कुछ खास ही समझो... उस दिन मेरी चूत मे बहोत खुजली मच रही थी.. तुम्हे देखा पर तुम घर पर नही थे ... और उत्तेजना मे हुआ ये कि में पापा को ही उत्तेजित करने लगी.. " प्रीति ने कहा..
"क्या? ज़रा खुल कर बताओ क्या हुआ? राज ने पूछा.
"तुम थोड़ी देर बैठो मे टाय्लेट जाकर आती हूँ" कहकर प्रीति टाय्लेट चली गई और सोचने लगी कि राज को कैसे बताए.. बाथरूम मे आकर उसने अपनी पॅंटी उतार दी.. और वापस राज के कमरे मे आ गयी.. प्रीति वापस कमरे मे आकर राज के सामने अपनी स्क्रिट उठा कर बैठ गयी अब उसकी नंगी चूत राज के सामने थी....
"ओह्ह्ह तो अब समझा तुमने कैसे पापा को चीढ़या .. ऐसे ही ना?
"हां" प्रीति मुस्कुराते हुए बोली.
"और पापा ने कुछ नही कहा.. " राज ने पूछा...
"नही.. कहा तो कुछ नही बस थोड़ी देर मेरी चूत को देखते रहे फिर वापस अपने कमरे मे चले गये "
"क्या तुम सच मे पापा से चुदवाना चाहती थी.? राज ने पूछा...
"हां.. उस दिन में इतना जयदा उत्तेजित थी कि में किसी से भी चुदवा लेती.. और उस समय सिर्फ़ पापा ही घर पर थे.. तुम्हे मेरी बात सुनकर बुरा तो नही लग रहा ना?" प्रीति ने पूछा.
"और फिर तुमने भी तो कहा कि अगर मौका मिले तो मम्मी को भी चोदना चाहते हो"
"नही मुझे बिल्कुल भी बुरा नही लगा.. में जानता हूँ कि चुदाई के मामले मे जितना में हरामी हूँ तुम उससे भी बड़ी छिनाल हो.. हम दोनो चुदाई के लिए कुछ भी कर सकते है" राज ने कहा..
"और क्या लेकिन उन्होने कुछ किया ही नही " प्रीति ने कहा..
"और ना ही तुम्हे पापा का लंड चूसने को मिला है ना? राज ने हंसते हुए कहा..
"अब जब तुमने लंड चूसने की बात कर ही दी है तो लाओ मुझे तुम्हारा लंड चूसने दो.. मुझे ऐसा लग रहा है कि तुम्हारा लंड किसी के स्पर्श के लिए तड़प रहा है" प्रीति ने कहा.
"मुझे तो ऐसा लग रहा था कि तुम आज पूछोगी ही नही" राज ने हंसते हुए कहा और अपनी पॅंट उतारने लगा..
गतान्क से आगे...............
मोहन ने जब देखा कि प्रीति उसकी भतीजी ने उसे ईमेल भेजा है तो वो समझ गया कि उसने कहानी मे कोई नया नुस्ख़ा भेजा हो गा वो ईमेल खोल पढ़ने लगा.. और अपने लंड को अपनी पॅंट से आज़ाद कर लिया.. मोहन अपने खड़े लंड को मसल्ते हुए कहानी के उस हिस्से पर पहुँचता है जहाँ भतीजी अपने चाचा और चाची के पास रहने आती है और और रात वो अपनी चचेरी बहन के बदन को छूती है.. मोहन ये पढ़ कर चौंक जाता है. आज से पहेल प्रीति ने थोड़ा भी इशारा नही किया था कि उसे ये सब भी पसंद है.. और उसने कहानी मे लिखा था कि किस तरह दोनो चचेरी बहने एक दूसरे की चूत से खेल सेक्स का मज़ा लेते है.. उसे विश्वास नही हो रहा था कि दो लड़कियों के सेक्स संबंध को लेकर प्रीति इतनी तरह लिख सकती है... उसने उस हिस्से को कई बार पढ़ा और आख़िर ज़ोर ज़ोर से मूठ मारते हुए उसने अपने लंड का पानी छुड़ा लिया... प्रीति की कहानी को पढ़ मोहन सोचने पर मजबूर हो गया कि क्या प्रीति और उसकी बेटियों के बीच भी ऐसा ही संबंध है.. क्या वो तीनो भी कहानी ही की तरह सेक्स का मज़ा लेते है.. उसका ख़याल अपनी ही बेटियों पर आकर ठहर गया.. कितनी जवान और सुंदर हो गयी थी दोनो यही सोचते हुए उसने कहानी का आगे का भाग लिखा और उसे प्रीति को मैल कर दिया..
राज अपने कंप्यूटर पर बैठा कुछ काम कर रहा था कि प्रीति ने उसके कमरे मे कदम रखा.. उसने सफेद रंग का टॉप और डेनिम की स्कर्ट पहन रखी थी..
"क्या बात है भाई आज तो कुछ ज़्यादा ही मस्ती छाई हुई है?" प्रीति ने अपने भाई के खड़े लंड को देख कर कहा...
"कुछ खास नही बस ऐसे ही कंप्यूटर पर कुछ तस्वीरें देख रहा था.. " राज ने अपने लंड को मसल्ते हुए कहा..
"राज तुम्हे पता है दो दिन पहले क्या हुआ?" प्रीति ने पूछा..
"नही क्यों.. क्या कुछ खास हुआ था..?" राज ने पलट कर पूछा.
"हां कुछ खास ही समझो... उस दिन मेरी चूत मे बहोत खुजली मच रही थी.. तुम्हे देखा पर तुम घर पर नही थे ... और उत्तेजना मे हुआ ये कि में पापा को ही उत्तेजित करने लगी.. " प्रीति ने कहा..
"क्या? ज़रा खुल कर बताओ क्या हुआ? राज ने पूछा.
"तुम थोड़ी देर बैठो मे टाय्लेट जाकर आती हूँ" कहकर प्रीति टाय्लेट चली गई और सोचने लगी कि राज को कैसे बताए.. बाथरूम मे आकर उसने अपनी पॅंटी उतार दी.. और वापस राज के कमरे मे आ गयी.. प्रीति वापस कमरे मे आकर राज के सामने अपनी स्क्रिट उठा कर बैठ गयी अब उसकी नंगी चूत राज के सामने थी....
"ओह्ह्ह तो अब समझा तुमने कैसे पापा को चीढ़या .. ऐसे ही ना?
"हां" प्रीति मुस्कुराते हुए बोली.
"और पापा ने कुछ नही कहा.. " राज ने पूछा...
"नही.. कहा तो कुछ नही बस थोड़ी देर मेरी चूत को देखते रहे फिर वापस अपने कमरे मे चले गये "
"क्या तुम सच मे पापा से चुदवाना चाहती थी.? राज ने पूछा...
"हां.. उस दिन में इतना जयदा उत्तेजित थी कि में किसी से भी चुदवा लेती.. और उस समय सिर्फ़ पापा ही घर पर थे.. तुम्हे मेरी बात सुनकर बुरा तो नही लग रहा ना?" प्रीति ने पूछा.
"और फिर तुमने भी तो कहा कि अगर मौका मिले तो मम्मी को भी चोदना चाहते हो"
"नही मुझे बिल्कुल भी बुरा नही लगा.. में जानता हूँ कि चुदाई के मामले मे जितना में हरामी हूँ तुम उससे भी बड़ी छिनाल हो.. हम दोनो चुदाई के लिए कुछ भी कर सकते है" राज ने कहा..
"और क्या लेकिन उन्होने कुछ किया ही नही " प्रीति ने कहा..
"और ना ही तुम्हे पापा का लंड चूसने को मिला है ना? राज ने हंसते हुए कहा..
"अब जब तुमने लंड चूसने की बात कर ही दी है तो लाओ मुझे तुम्हारा लंड चूसने दो.. मुझे ऐसा लग रहा है कि तुम्हारा लंड किसी के स्पर्श के लिए तड़प रहा है" प्रीति ने कहा.
"मुझे तो ऐसा लग रहा था कि तुम आज पूछोगी ही नही" राज ने हंसते हुए कहा और अपनी पॅंट उतारने लगा..