hotaks444
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घर पहुँच दोनो चचेरी बहने एक दूसरे को बाहों मे ले सो गयी
थी...जब प्रीति की यकीन हो गया कि स्वीटी को गहरी नींद आ गयी
तो उसने उसकी बाहों को अलग किया और दबे पावं पलंग से खड़ी हो
गयी... वो सोच रही थी कि क्या हर बार की तरह आज भी चाचा
मोहन अपने कंप्यूटर के सामने बैठे होंगे... हर बार की तरह आज
भी खाने के टेबल पर उसने अपने चाचा को खूब चिढ़ा कर उत्तेजित किया
था.. उसने कई बार अपनी चुचियों की झलक उन्हे दीखाई थी लेकिन
उन्हे कोई प्रतिक्रिया नही दीखाई तो उसने रात को जाग कर देखने की
ठानी.. कि आख़िर उसके चाचा भी अपने आप पर कितना काबू रख पाते
है
प्रीति दबे पाँव स्वीटी एक बेडरूम के बाहर निकल अपने चाचा के
स्टडी रूम की ओर चल पड़ी जहाँ कुछ दिन पहले उसने चाचा का लंड
चूसा था.. आज उसने सिर्फ़ पॅंटी पहन रखी थी... कमरे मे पहुँच
उसने देखा आज फिर कंप्यूटर पर उसकी बिना बालों की चूत की तस्वीर
थी और उसका चाचा कंप्यूटर स्क्रीन के सामने बैठा अपने खड़े लंड
को ज़ोर ज़ोर से मूठ मार रहा था...
वो दबे पाँव ही चल अपने चाचा के नज़दीक आ गयी थी लेकिन
कंप्यूटर स्क्रीन पर दीखती उसकी परछाईं ने उसके चाचा को बता
दिया कि वो कमरे मे है.. मोहन ने पलट कर उसे देखा और उसकी
निगाह अपनी ही भतीजे के नंगे जिस्म पर उपर से नीचे तक घूम
गयी.. उसने देखा कि उसकी भतीजी की भारी चुचियों आज कुछ ज़्यादा
फूली हुई थी और आज उसने एक छोटी से सफेद कॉटन पॅंटी पहन रखी
थी जो उसकी चूत को छिपाने असमर्थ थी .. प्रीति की आँखों मे
वासना की खुमारी सॉफ झलक रही थी...
प्रीति ने मन ही मन सोच लिया था कि अगर उसके पिताजी उसकी बात
नही मानेंगे और उसे वो नही देंगे जो उसे चाहिए तो आज वो अपनी
ख्वाइश अपने चाचा और उनके भाई से पूरी करेगी.. अपने मन को पक्का
कर वो उनके सामने आई और अपने हाथों को उनकी गर्दन मे डाल उनके
चेहरे को अपनी छाती के नज़दीक खींच उनके होठों को अपनी भारी
चुचि के करीब कर दिया...
उसके चाचा मोहन ने पीछे हटने की कोई कोशिश नही की और ना ही
कोई विरोध किया.. मोहन ने अपने होंठ खोल अपनी जीब की नोक अपनी
भतीजी के निपल के चारों और फिराने लगा.. फिर अपने मुँह मे उसके
निपल को ले चूसने लगा... फिर पूरा मुँह खोल उसने पूरी चुचि को
मुँह मे भरा और दूसरी चुचि को मसल्ते हुए वो बारी बारी प्रीति
की चुचियों को चूसने लगा... प्रीति ने अपने होठों को भींच
लिया जिससे उसके मुँह से कोई आवाज़ ना निकले.. वो स्वीटी को जगा अपना
मज़ा खराब नही करना चाहती थी..
पिछली बार प्रीति उस पर हावी थी और उसने उसे उसकी मन की नही
करने दी थी लेकिन इस बार वो अपनी हर तमन्ना पूरी करना चाहता
था उसने अपना हाथ पीछे किया और प्रीति की पॅंटी से धकि गंद को
अपनी मुट्ठी मे भर भींचने लगा... उसने अपना हाथ उसकी टाँगो पर
फिराते हुए उसकी टाँगो को तोड़ा फैलाया और अब पॅंटी के उपर से उसकी
चूत को सहलाने लगा...
प्रीति भी तो यही चाहती थी... मोहन अपनी भतीजी की चुचि को
चूस्ते हुए उसने पॅंटी के बगल से अपनी उंगली डाल पहली बार उसकी
बिना बालों की नंगी चूत को छुआ.. मोहन को लगा कि उसकी उंगली ने
जैसे किसी बिजली के नंगे तार को छू लिया हो.. उसकी चूत किसी गरम
भट्टी की तरह सुलग रही थी..
क्रमशः.......
थी...जब प्रीति की यकीन हो गया कि स्वीटी को गहरी नींद आ गयी
तो उसने उसकी बाहों को अलग किया और दबे पावं पलंग से खड़ी हो
गयी... वो सोच रही थी कि क्या हर बार की तरह आज भी चाचा
मोहन अपने कंप्यूटर के सामने बैठे होंगे... हर बार की तरह आज
भी खाने के टेबल पर उसने अपने चाचा को खूब चिढ़ा कर उत्तेजित किया
था.. उसने कई बार अपनी चुचियों की झलक उन्हे दीखाई थी लेकिन
उन्हे कोई प्रतिक्रिया नही दीखाई तो उसने रात को जाग कर देखने की
ठानी.. कि आख़िर उसके चाचा भी अपने आप पर कितना काबू रख पाते
है
प्रीति दबे पाँव स्वीटी एक बेडरूम के बाहर निकल अपने चाचा के
स्टडी रूम की ओर चल पड़ी जहाँ कुछ दिन पहले उसने चाचा का लंड
चूसा था.. आज उसने सिर्फ़ पॅंटी पहन रखी थी... कमरे मे पहुँच
उसने देखा आज फिर कंप्यूटर पर उसकी बिना बालों की चूत की तस्वीर
थी और उसका चाचा कंप्यूटर स्क्रीन के सामने बैठा अपने खड़े लंड
को ज़ोर ज़ोर से मूठ मार रहा था...
वो दबे पाँव ही चल अपने चाचा के नज़दीक आ गयी थी लेकिन
कंप्यूटर स्क्रीन पर दीखती उसकी परछाईं ने उसके चाचा को बता
दिया कि वो कमरे मे है.. मोहन ने पलट कर उसे देखा और उसकी
निगाह अपनी ही भतीजे के नंगे जिस्म पर उपर से नीचे तक घूम
गयी.. उसने देखा कि उसकी भतीजी की भारी चुचियों आज कुछ ज़्यादा
फूली हुई थी और आज उसने एक छोटी से सफेद कॉटन पॅंटी पहन रखी
थी जो उसकी चूत को छिपाने असमर्थ थी .. प्रीति की आँखों मे
वासना की खुमारी सॉफ झलक रही थी...
प्रीति ने मन ही मन सोच लिया था कि अगर उसके पिताजी उसकी बात
नही मानेंगे और उसे वो नही देंगे जो उसे चाहिए तो आज वो अपनी
ख्वाइश अपने चाचा और उनके भाई से पूरी करेगी.. अपने मन को पक्का
कर वो उनके सामने आई और अपने हाथों को उनकी गर्दन मे डाल उनके
चेहरे को अपनी छाती के नज़दीक खींच उनके होठों को अपनी भारी
चुचि के करीब कर दिया...
उसके चाचा मोहन ने पीछे हटने की कोई कोशिश नही की और ना ही
कोई विरोध किया.. मोहन ने अपने होंठ खोल अपनी जीब की नोक अपनी
भतीजी के निपल के चारों और फिराने लगा.. फिर अपने मुँह मे उसके
निपल को ले चूसने लगा... फिर पूरा मुँह खोल उसने पूरी चुचि को
मुँह मे भरा और दूसरी चुचि को मसल्ते हुए वो बारी बारी प्रीति
की चुचियों को चूसने लगा... प्रीति ने अपने होठों को भींच
लिया जिससे उसके मुँह से कोई आवाज़ ना निकले.. वो स्वीटी को जगा अपना
मज़ा खराब नही करना चाहती थी..
पिछली बार प्रीति उस पर हावी थी और उसने उसे उसकी मन की नही
करने दी थी लेकिन इस बार वो अपनी हर तमन्ना पूरी करना चाहता
था उसने अपना हाथ पीछे किया और प्रीति की पॅंटी से धकि गंद को
अपनी मुट्ठी मे भर भींचने लगा... उसने अपना हाथ उसकी टाँगो पर
फिराते हुए उसकी टाँगो को तोड़ा फैलाया और अब पॅंटी के उपर से उसकी
चूत को सहलाने लगा...
प्रीति भी तो यही चाहती थी... मोहन अपनी भतीजी की चुचि को
चूस्ते हुए उसने पॅंटी के बगल से अपनी उंगली डाल पहली बार उसकी
बिना बालों की नंगी चूत को छुआ.. मोहन को लगा कि उसकी उंगली ने
जैसे किसी बिजली के नंगे तार को छू लिया हो.. उसकी चूत किसी गरम
भट्टी की तरह सुलग रही थी..
क्रमशः.......