Indian Sex Story परिवार हो तो ऐसा - Page 9 - SexBaba
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Indian Sex Story परिवार हो तो ऐसा

घर पहुँच दोनो चचेरी बहने एक दूसरे को बाहों मे ले सो गयी

थी...जब प्रीति की यकीन हो गया कि स्वीटी को गहरी नींद आ गयी

तो उसने उसकी बाहों को अलग किया और दबे पावं पलंग से खड़ी हो

गयी... वो सोच रही थी कि क्या हर बार की तरह आज भी चाचा

मोहन अपने कंप्यूटर के सामने बैठे होंगे... हर बार की तरह आज

भी खाने के टेबल पर उसने अपने चाचा को खूब चिढ़ा कर उत्तेजित किया

था.. उसने कई बार अपनी चुचियों की झलक उन्हे दीखाई थी लेकिन

उन्हे कोई प्रतिक्रिया नही दीखाई तो उसने रात को जाग कर देखने की

ठानी.. कि आख़िर उसके चाचा भी अपने आप पर कितना काबू रख पाते

है


प्रीति दबे पाँव स्वीटी एक बेडरूम के बाहर निकल अपने चाचा के

स्टडी रूम की ओर चल पड़ी जहाँ कुछ दिन पहले उसने चाचा का लंड

चूसा था.. आज उसने सिर्फ़ पॅंटी पहन रखी थी... कमरे मे पहुँच

उसने देखा आज फिर कंप्यूटर पर उसकी बिना बालों की चूत की तस्वीर

थी और उसका चाचा कंप्यूटर स्क्रीन के सामने बैठा अपने खड़े लंड

को ज़ोर ज़ोर से मूठ मार रहा था...


वो दबे पाँव ही चल अपने चाचा के नज़दीक आ गयी थी लेकिन

कंप्यूटर स्क्रीन पर दीखती उसकी परछाईं ने उसके चाचा को बता

दिया कि वो कमरे मे है.. मोहन ने पलट कर उसे देखा और उसकी

निगाह अपनी ही भतीजे के नंगे जिस्म पर उपर से नीचे तक घूम

गयी.. उसने देखा कि उसकी भतीजी की भारी चुचियों आज कुछ ज़्यादा

फूली हुई थी और आज उसने एक छोटी से सफेद कॉटन पॅंटी पहन रखी

थी जो उसकी चूत को छिपाने असमर्थ थी .. प्रीति की आँखों मे

वासना की खुमारी सॉफ झलक रही थी...


प्रीति ने मन ही मन सोच लिया था कि अगर उसके पिताजी उसकी बात

नही मानेंगे और उसे वो नही देंगे जो उसे चाहिए तो आज वो अपनी

ख्वाइश अपने चाचा और उनके भाई से पूरी करेगी.. अपने मन को पक्का

कर वो उनके सामने आई और अपने हाथों को उनकी गर्दन मे डाल उनके

चेहरे को अपनी छाती के नज़दीक खींच उनके होठों को अपनी भारी

चुचि के करीब कर दिया...


उसके चाचा मोहन ने पीछे हटने की कोई कोशिश नही की और ना ही

कोई विरोध किया.. मोहन ने अपने होंठ खोल अपनी जीब की नोक अपनी

भतीजी के निपल के चारों और फिराने लगा.. फिर अपने मुँह मे उसके

निपल को ले चूसने लगा... फिर पूरा मुँह खोल उसने पूरी चुचि को

मुँह मे भरा और दूसरी चुचि को मसल्ते हुए वो बारी बारी प्रीति

की चुचियों को चूसने लगा... प्रीति ने अपने होठों को भींच

लिया जिससे उसके मुँह से कोई आवाज़ ना निकले.. वो स्वीटी को जगा अपना

मज़ा खराब नही करना चाहती थी..


पिछली बार प्रीति उस पर हावी थी और उसने उसे उसकी मन की नही

करने दी थी लेकिन इस बार वो अपनी हर तमन्ना पूरी करना चाहता

था उसने अपना हाथ पीछे किया और प्रीति की पॅंटी से धकि गंद को

अपनी मुट्ठी मे भर भींचने लगा... उसने अपना हाथ उसकी टाँगो पर

फिराते हुए उसकी टाँगो को तोड़ा फैलाया और अब पॅंटी के उपर से उसकी

चूत को सहलाने लगा...


प्रीति भी तो यही चाहती थी... मोहन अपनी भतीजी की चुचि को

चूस्ते हुए उसने पॅंटी के बगल से अपनी उंगली डाल पहली बार उसकी

बिना बालों की नंगी चूत को छुआ.. मोहन को लगा कि उसकी उंगली ने

जैसे किसी बिजली के नंगे तार को छू लिया हो.. उसकी चूत किसी गरम

भट्टी की तरह सुलग रही थी..

क्रमशः.......
 
परिवार हो तो ऐसा - पार्ट--24

गतान्क से आगे........

मोहन उत्तेजना मे उसकी चूत को और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा... और

अपनी उंगली उसकी चूत पर घूमाते हुए उसने उसकी चूत का मुँह खोला

और अपनी उंगली उसकी चूत मे घुसाने लगा.. तभी प्रीति थोड़ा

पीछे को हट गयी और उसकी चूची उसके मुँह से बाहर आ गयी...

उसने देखा की प्रीति अपनी पॅंटी को उतार रही थी.....


प्रीति ने पॅंटी उतार कर अपना एक पाँव उठाया और कुर्सी पर ठीक

अपने चाचा के पीछे रख दिया जिससे उसकी चूत और खुल कर उसके

चेहरे के सामने हो गयी... और फिर अपना हाथ अपने चाचा के सिर पर

रख वो उसे अपनी चूत की ओर नीचे दबाने लगी..


मोहन अपनी भतीजी का इशारा समझ गया और बिना झीजक के उसने

अपना चेहरा उसकी चूत से सटा दिया... और अपनी जीब को उसकी चिकनी

मुलायम चूत पर फिराने लगा... प्रीति के हाथ का दबाव अपने चाचा

के चेहरे पर और बढ़ गया और मोहन अब उसकी चूत को उपर से

नीचे तक.. गोल गोल घुमा चाटने लगा...


प्रीति अपनी आज़ाद हुई चुचियों को अपने ही हाथों से मसल्ने लगी

और अपनी चूत को और अपने चाचा के चेहरे पर रगड़ उनकी खुरदरी

जीब का मज़ा लेने लगी... मोहन की जीब प्रीति की चूत के दाने को

कुरेद रही थी और प्रीति की चूत मे जोरों से उबाल आया और

उसके पूरे बदन मे एक हलचल सी मच गयी और तभी वो झार झार

कर अपने चाचा के मुँह मे झाड़ गयी...


प्रीति ने अपनी चूत को मोहन के चेहरे से हटाया और उसे कुर्सी की

पुष्ट से अछी तरह बिठा उसकी टांगो को फैला दिया... वो अपने चाचा

के लंड को चूसना चाहती थी... मोहन चुप चाप अपनी भतीजी की

कारनामे देख रहा था.. प्रीति की जीब अब उसके खड़े लंड की लंबाई

को नापते हुए उपर से नीचे हो रही थी.. अपने होठों को ओ शेप मे

कर वो उसे चूम रही थी.. और कभी अपनी जीब को त्रिकोण कर उसके

लंड के मुँह पर फिराती...


मोहन के लंड को अपने मुँह मे ले प्रीति चूसने लगी और बीच बीच

मे अपनी नज़रे उठा अपने चाचा की ओर देख मुस्करा देती... और फिर

ज़ोर ज़ोर से किसी लॉलीपोप की तरह उसका लंड चूसने लगती...


प्रीति ज़ोर ज़ोर से मोहन का लंड चूस रही थी और मोहन के लंड मे

उबाल आता जा रहा था.. लंड मे बढ़ती अकड़न ने प्रीति को बता

दिया कि उसका चाचा अब झड़ने वाला है... इसलिए वो अपने मुँह को और

तेज़ी से उपर नीचे कर उसके लंड को चूसने लगी... और साथ ही

लंड को अपनी मुट्ठी मे भर मसल्ने लगी... अब वो सिर्फ़ सूपदे को अपने

मुँहे मे रख चूस रही थी कि तभी मोहन के लंड ने ज़ोर की वीर्य

की पिचकारी छोड़ी जो सीधे प्रीति के गले से टकराई... और किसी

भूकि बिल्ली की तरह उस मलाई को गीटक गयी और फिर उसके लंड को

अपने मुँह मे ले चूसने लगी
 
प्रीति चाहती थी कि जितनी जल्दी हो वो अपने चाचा के लंड को फिर से

तना कर खड़ा कर दे.... मोहन का लंड एक बार तो उत्तेजना शांत होने

पर ढीला पड़ा लेकिन प्रीति के मुँह की गर्माहट ने जैसे एक बार फिर

उसमे जान फूँक दी हो....मोहन लंड एक बार फिर मचल कर तनने

लगा.... प्रीति ने देखा की लंड मे अकड़न पैदा हो रही है.. तो वो

और ज़ोर ज़ोर से उसे चूसने लगी... मोहन हैरत से अपनी भतीजी को

देख रहा था.. वो समझ रहा था कि ये तो उसकी चूसने की कला ही

थी जो उसके लंड को इतनी जल्दी खड़ा कर दिया...


प्रीति ने देखा कि अब उसके चाचा लंड वापस अपने पूरे आकार मे तन

कर खड़ा है तो उसने लंड को अपने मुँह से बाहर निकाला और खड़ी हो

गयी और फिर अपनी टाँगो को मोहन की जांघों के अगल बगल कर गोद मे

खड़ी हो गयी.... फिर उसके खड़े लंड को उसने अपनी चूत से लगाया

और उस पर धीरे धीरे नीचे बैठती गयी.. मोहन का लंड उसकी

गीली चूत मे अंदर घुसने लगा...


मोहन का लंड जब प्रीति की चूत की दीवारों को चीरता हुआ उसकी जड़

से टकराया तो उसके मुँह से एक कराह सी निकल गयी.... उसे प्रीति की

चूत अपनी बीवी की ढीली चूत से कहीं कसी लग हुई लग रही थी

और उसने अपनी कमर को थोडा उठा अपने लंड को और अंदर तक पेल

दिया... प्रीति की चुचियाँ उसकी छाती मे धँसी हुई थी... आज

किसी कमसिन अपनी ही बेटी की उमर की लड़की को चोदने का उसका सपना

पूरा हो रहा था.. जो शायद वो खुद करने की कभी हिम्मत नही कर

पाता.. तभी प्रीति ने अपने चेहरे को झुका अपने होंठ अपने चाचा

के होठों पर रख दिए...


मोहन तो जैसे पागल सा हो गया.. उसने प्रीति के होठों को अपने

होठों मे ले लिया और चूसने लगा... प्रीति ने अपने हाथ उसके

कंधों पर रखे और अपनी छाती को इस तरह उसकी छाती से सटा

दिया की अब उसके हर धक्के साथ उसकी चुचियाँ मोहन की छाती से

रगड़ खा उपर नीचे होने लगी.. प्रीति उछल उछल कर धक्के

लगाने लगी.. फिर प्रीति उसके कंधों को पकड़ पीछे की ओर झुकी

जिससे उसकी चूत मे अंदर बाहर होता लंड दीखाई देने लगा.. अपने

चाचा के लंड को देखते हुए उसने अपनी उंगली लंड के साथ साथ चूत

मे घुसा दी और ज़ोर ज़ोर से सिसक कर उछलने लगी..


"ह्म्‍म्म्मम ऑश हाां ऑश ह्म्‍म्म्मम "


तभी अचानक प्रीति उसकी गोद से खड़ी हो गयी.. मोहन चौंक पड़ा

वो उसे फिर से पकड़ता कि प्रीति ने अपनी उंगली अपने होठों पर रख

उसे इशारा किया कि वो कोई आवाज़ पैदा ना करे... और फिर कुर्सी का

सहारा ले वो घोड़ी बन गयी... और उसने पलट कर अपने चाचा की ओर

देखा..


मोहन अपनी भतीजी को इस मुद्रा मे देख किसी शिकारी कुत्ते की तरह

उस पर चढ़ गया.. उसने पीछे से अपने लंड को उसकी चूत से लगाया

और एक ज़ोर का धक्का मारता हुआ पूरा लंड उसकी चूत मे घुसा

दिया...


प्रीति ने ने अपने सिर को अपने हाथों पर टीका दिया ठीक उसी तरह

जिस तरह उसकी बीवी ने पिछली रात को किया था... मोहन तो जैसे

और जोश मे भर गया वो उछल उछल कर धक्के लगाने लगा...


मोहन का लंड फिर अकड़ने लगा.... अंडकोषों मे उबाल भरने लगा..

प्रीति समझ गयी कि उसका चाचा एक बार फिर झड़ने के करीब है वो

पीछे हटी और एक बार फिर अपने चाचा के सामने मुँह खोल बैठ

गयी.. मोहन ने उसके सिर को पकड़ा और मुँह मे धक्के मार उसके मुँह

को चोदने लगा... और थोड़ी ही देर मे उसका लंड पिचकारी दर

पिचकारी छोड़ प्रीति के मुँह को भरने लगा...


जब उसका लंड शांत हुआ तो प्रीति ने ज़मीन पर पड़ी अपनी पॅंटी

उठाई और अपने मुँह को उस पेंटी से पौंचते हुए चुप चाप स्टडी

रूम से बाहर चली गयी...



अपने चाचा मोहन के स्टडी रूम से आकर प्रीति अपनी चचेरी बेहन

स्वीटी के बगल मे आ कर लेट गयी और सोचने लगी.. कि अगली बार वो

चाचा को कहानी भेजेगी तो उसमे लीखेगी कि किस तरह उस कहानी मे

लड़की का चाचा उसे अपनी ही बेटी के साथ सेक्स करते पकड़ लेता और

फिर दोनो लड़कियों को किस तरह चोद्ता है.. इस ख़याल से ही उसकी

चूत फिर गीली होने लगी.. पर अपने पर काबू पा वो गहरी नींद सो

गयी..


* * * * * * * *
 
राज ने उसी होटेल के उसी कमरे का दरवाज़ा खोला जिसमे पहले वो गीली

चूत की चूत और गंद दोनो मार चुका था.. उसने दरवाज़ा बंद किया

तो उसे वही भर्रयि हुई आवाज़ सुनाई पड़ी जो कि वो अब जान चुका था

कि ये आवाज़ उसकी मम्मी की है.. उसकी मम्मी ने उसे कपड़े उतार पलंग

पर लेट जाने को कहा..


आज से दो दिन पहले उसे एक ईमेल मिला था जिसमे गीली चूत ने उससे

फिर होटेल के कमरे मे मिलने की इच्छा जताई थी और साथ ही कहा था

कि वो अपनी उसी सहेली को साथ मे लाना चाहती है… जिससे वो अपनी

सहेली को भी उसके जोरदार लंड का मज़ा दिला सके… भला राज को

क्या ऐतराज़ हो सकता था.. उसने खुशी खुशी गीली चूत की बात

मान ली थी.. क्यों कि अब वो समझ चुका था कि उसकी मम्मी इस बार

अपने साथ उसकी सग़ी चाची को लेकर आने वाली थी..


“क्या तुम अपने साथ अपनी उस सहेली को भी लेकर आई हो?” राज ने अपने

कपड़े उतार ते हुए चादर के उस पर से पूछा.


“ओह्ह हां वो यहीं… तुम उससे बात क्यों नही करती”


“हां में यहीं हूँ” राज को दूसरी औरत की आवाज़ सुनाई पड़ी.


दो औरतों की साथ साथ चुदाई के ख़याल से ही राज का लंड तन कर

खड़ा था और वो नंगा पलंग पर लेट गया… तभी उसकी मम्मी ने आपी

सहेली को अपना बदन चादर से सटाने को कहा जिससे वो उसके बदन को

एहसास कर सके..


उस औरत ने अपने नंगे बदन को चादर से सटा दिया और चादर के इस

ओर से राज ने उसकी चादर से धकि चुचि को पकड़ा और चादर के

उपर से ही उसके निपल को अपने मुँह मे ले लिया… और उसकी चुचि को

मसल्ने लगा.. उसका नंगा और तना हुआ लंड चादर से सटा हुआ था..

और उस औरत के पेट पर ठोकर मार रहा था.. तभी दो हाथों ने

उसके लंड को पकड़ लिया..


“हे भगवान ये तो कंप्यूटर स्क्रीन पर देखा था उससे भी कहीं मोटा

और लंबा है” उस औरत ने उसके लंड को भींचते हुए कहा..


“मुझे खुशी है कि तुम्हे मेरा लंड पसंद आया” राज ने जवाब

दिया..


“अब ज़रा लंड को चादर से नीचे करो ताकि हम दोनो इसे अछी तरह

देख सके और इसका स्वाद चख सकें” गीली चूत ने कहा..
 
उस औरत ने चादर को बस इतना उपर उठाया कि राज का लंड दीखाई

देने लगा… एक हाथ ने उसके अंडकोषों को पकड़ लिया और एक औरत का

गरम मुँह उसके लंड पर टिक गया.. और उसे चूसने लगा..


“ज़रा संभाल के लेना अपने मुँह मे बहोत लंबा है कहीं गले मे ना

अटक जाए” राज को अपनी मम्मी की आवाज़ सुनाई पड़ी और वो समझ गया

कि वो दूसरी औरत उसका लंड चूस रही है..


वो औरत उसके लंड को अपने गले तक लेकर चूसने लगी.. और जोरों

से अपने मुँह मे भींचने लगी.. फिर वो थोड़ी देर के बाद उसके लंड

को मुँह से निकालती और फिर चूसने लगती.. राज की समझ मे नही आ

रहा था कि कौनसी औरत उसके लंड को चूस रही थी और कौनसी उसके

लंड को मसल रही थी.. वो चुप चाप मज़े ले रहा था…


जब दोनो औरतों को उसके लंड को चूस्ते थोड़ी देर हो गयी तो राज ने

कहा, “क्या कोई मुझे अपनी चूत भी दीखाईगा या सिर्फ़ मेरा लंड

चूसने का ही इरादा है?”


“अरे दिखाएँगे भी और इस मूसल को अपनी चूत के अंदर भी

लेंगे” उसकी मा ने कहा और तभी दो जोड़ी टाँगे चादर के नीचे से

पलंग पर आ गयी.. और जब दोनो जोड़ी पलंग पर अड्जस्ट हो गयी तो

दो बिना बालों की चूत राज के सामने थी..

क्रमशः....
 
परिवार हो तो ऐसा - पार्ट--25

गतान्क से आगे........

राज दोनो चूत के बीच घुटनो के बल बैठ गया और अपनी उंगली दोनो

चूतो पर घूमाने लगा… और सहलाने लगा.. फिर उसने एक एक

उंगली दोनो चूत के अंदर घुसा दी और गोल गोल घूमाने लगा और जब

उसकी उंगलियाँ उनकी छूट के रस अछी तरह गीली हो गयी तो उन्हे

अंदर बाहर कर चोदने लगा.. चादर के उस और से दोनो औरतों के

मुँह से सिसकारियाँ फूटने लगी….


फिर एक की टाँगो के बीच आ कर उसने अपना चेहरा झुकाया और उस

चूत को अपनी ज़ुबान से चाटने लगा.. उसे यकीन नही था कि वो

किसकी चूत को चाट रहा है.. लेकिन फिर भी उसे काफ़ी मज़ा आ रहा

था..


“क्या मेरी चूत नही चूसोगे? राज को उस दूसरी औरत की आवाज़ सुनाई

दी.. वो समझ गया था कि वो अपनी मम्मी की चूत चाट रहा था..

थोड़ी देर अपनी मम्मी की चूत चाटने और चूसने के बाद उसने अपना

मुँह उस दूसरी चूत पर लगा दिया और चूसने लगा…


“ऑश हाआँ चूसो ज़रा ज़ोर ज़ोर से चूसो ओ हाआँ काटो अपने डांटो

से ऑश हां मज़ा आ रहा है” उसकी मम्मी की सहेली सिसक पड़ी..


थोड़ी देर उस नई चूत को चूसने के बाद राज अछी तरह उसकी टाँगो

के बीच आ गया और उसने अपने लंड को उसकी चूत के छेद से लगा

दिया.. और धीरे धीरे अंदर धकेल घुसाने लगा…


“ओह हां कितना बड़ा लंड है तुम्हारा मेरी तो चूत ही भर दी

तुमने ऑश हां पूरा अंदर घुसा दो ऑश हां और अंदर ”


राज अपने लंड को और अंदर तक घुसा धक्के मारने लगा.. वो औरत

भी अपनी कमर को उठा उसका साथ देने लगी और तभी उसने अपने दोनो

हाथ चादर के नीचे से आगे कर उसके कुल्हों को पकड़ अपनी तरफ

खींच उसके लंड को अपनी चूत के और अंदर तक लेने लगी..


“ओ अब में और अंदर नही ले सकती क्या तुम्हारा लंड अभी और बाकी

है ?” उस औरत ने पूछा..


“हां अभी पूरा कहाँ घुसा है. तीन चार इंच बाकी होगा” राज ने

जवाब दिया और अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा..


“है ना कमाल का लंड” उसकी मा ने कहा.


“हां सही मे बहुत लंबा और मोटा है.. मज़ा आ गया” वो औरत

जवाब देते हुए अपनी कमर हिलाने लगी..


तभी चादर के उस पर पलंग पर हलचल होने लगी.. वो समझ नही

पाया कि क्या हो रहा है..


“हां चूसो मेरे निपल को ओ हां ज़ोर ज़ोर से चूसो तुझे पता

है कि मुझे ये सब कितना अछा लगता है” वो औरत सिसक रही थी..

वो समझ गया कि उसकी मम्मी उस औरत की चुचियो को चूस रही

है..


राज को आश्चर्य हो रहा था.. जब उसने अपनी सहेली को साथ लाने की

बात कही थी तो ये नही सूझा कि उसकी मा को समलैंगिक सेक्स मे भी

दिलचस्पी है… उसने तो यही सोचा था कि एक चुदवायेगि और दूसरी

देखेगी.. लेकिन यहाँ तो खेल ही दूसरा था.. उसकी मम्मी किसी दूसरी

औरत के निपल को चूस रही है ये सोच कर ही वो और उत्तेजित हो

गया और ज़ोर ज़ोर से उसकी सहेली की चूत को चोदने लगा…
 
“मेरा छूटने वाला है” राज ने बताया… उसकी नसों मे तनाव बढ़

गया था..


“हां छोड़ दो अपना पानी मेरी चूत मे ऊहह हाआँ भर दो मेरी चूत

को ” उस औरत ने कहा.. और राज ने दो तीन धक्के मार अपने वीर्य की

पिचकारी से उस औरत की चूत भर दी..


तभी उसकी मा ने अपनी टाँगे वापस खींच ली और फिर घोड़ी बन

चादर के इस तरफ अपनी कमर तक का हिस्सा कर दिया..


“अब मेरी चूत मे लंड घुसाओ राज में जानती हूं तुम्हारा लंड बहुत

जल्दी वापस खड़ा हो जाता है” उसकी मम्मी ने कहा..


राज ने अपने ढीले लंड को अपनी मा की चूत पर घिसा और उसे अंदर

घुसा दिया.. वो अपने लंड का खड़ा होने का इंतेज़ार करने लगा..


“तुम्हारी चूत को मेरे मुँह के आगे करो जिससे में तुम्हारी चूत

से बहते इसके रस को चाट सकू” उसकी मम्मी ने अपनी सहेली से

कहा.. तभी पलंग की दूसरी ओर थोड़ी हलचल हुई और

उसे ’सपर’ ’सपर’ की आवाज़ सुनाई पड़ने लगी..


अपनी मा को किसी दूसरी औरत की चूत चूस्ते देख राज के बदन मे

उतेज्ना दौड़ गई और उसका लंड तुरंत खड़ा हो गया.. वो अब अपने

खड़े लंड को अंदर बाहर करने लगा..


राज जोश मे भरते हुए धक्के मार रहा था और साथ ही नीचे से

अपनी दो उंगली अपने लंड के साथ अपनी मम्मी की चूत के अंदर बाहर

कर रहा था… थोड़ी ही देर मे उसके लंड ने एक बार फिर पानी छोड़

दिया…


वसुंधरा ने एक बार अपने शरीर को चादर के उस तरफ से इस तरफ

कर लिया जिससे उसकी देवरानी उसकी चूत को चूस राज के लंड के वीर्य

का स्वाद चख सके जिस तरह उसने चखा था..

दोनो औरतों अपने खेल मे मशगूल गयी…


“उम्मीद है तुम दोनो मुझे नही भूली होंगी?” राज ने अपने मुरझाए

लंड को सहलाते हुए पूछा.


“अरे तुम्हे कैसे भूल सकती है.. अभी तो तुम्हे मेरी सहेली की गंद

मे अपना इतना मूसल लंड घुसाना है” उसकी मम्मी ने चादर की दूसरी

ओर से कहा..


“पहले नई चूत फिर नई गंद मुझे तो खुशी होगी” राज ने जवाब

दिया.


“अपने लंड को ज़रा अछी तरह चिकना कर लेना जिससे मेरी सहेली को

कोई तकलीफ़ ना हो” उसकी मा ने कहा और एक बार फिर चादर के उस ओर

से टाँगे इस तरफ आने लगी..


राज ने साइड मे पड़ी ट्यूब से थोड़ी क्रीम उठाई और अपने लंड पर

क्रीम मलने लगा… उसका लंड एक बार फिर तन कर खड़ा हो चुका

था… उसने अपने लंड को घोड़ी हुई टाँगो के बीच रख उस गंद के

छेद पर लगा दिया.. फिर राज ने थोड़ी क्रीम अपनी उंगलियों मे ले उस

उस गंद के छेद मे मल दी.. और अपनी उंगली गंद के अंदर घुसा उसे

चिकना करने लगा…


राज को जब लगा कि वो गंद अछी तरह चिकनी और चौड़ा गयी है तो

उसने अपनी उंगली निकाल अपना लंड गंद के छेद पर लगाया और उसे

अंदर घुसाने लगा… वो औरत दर्द से कराह उठी..

युवर आड़ हियर


“ऑश मर गयी.. थोड़ी धीरे ऑश आअहह प्लीज़ धीरे”


राज और प्यार से और धीरे से अपने लंड को उस गंद मे घुसाने

लगा.. कसी गंद उसे बहोत अछी लग रही थी.. वो उसके कुल्हों को

पकड़ अपने लंड को ज़्यादा से ज़्यादा अंदर घुसाने लगा… थोड़ी ही देर मे

उस औरत की गंद उसके लंड की मोटाई और लंबाई की आदि हो गयी तो वो औरत

अपने कुल्हों को पीछे कर उसके लंड को अपनी गंद के और अंदर तक

लेने लगी..


“ओ ये अब अपने मूसल लंड से मेरी गंद मार रहा है.. ऑश कितना

अछा लग रहा है.. ” उसने उस औरत को अपनी मा से कहते

सुना… “मुझे विश्वास नही हो रहा कि इतना मोटा और लंबा लंड मेरी

गंद मे इतनी गहराई तक भी घुस सकता है.”
 
राज और ज़ोर ज़ोर से अपने लंड को उसकी गंद के अंदर बाहर करने लगा

और साथ ही उसने नीचे से अपनी दो उंगली उसकी चूत मे घुसा दी और

गंद के साथ साथ उसकी चूत को अपनी उंगली से चोदने लगा…


“ऑश हाआँ इसी तरह मेरी चूत को चोदो ओ हाआँ और ज़ोर से मेरी

गंद मे लंड घुसा दो.. ऑश मुझसे सहन नही हो रहा है… में

तो गयी.. ”


राज अपने लंड के साथ साथ और तेज़ी से उसकी चूत को अपनी उंगली से

और उसकी गंद को अपने लंड से चोदने लगा.. साथ ही वो उसकी चूत को

मसल्ते जा रहा था… और तभी उस औरत की गंद ने जैसे उसके

लंड को जाकड़ लिया और तभी उसके लंड ने आज तीसरी बार पानी छोड़

दिया… और साथ ही उसकी उसकी चूत भी झड़ने लगी…


उस औरत का बदन सुस्त पड़ गया और उसने अपने आप को चादर के उस

ओर वापस खींच लिया..


“शुक्रिया राज हम फिर इसी तरह किसी नए खेल के लिए मिलेंगे” उसकी

मा ने चादर के उस ओर से कहा और दोनो औरत अपने कपड़े पहनने

लगी..


“हां क्यों नही में तुमसे नेट पर बात करूँगा” राज ने अपनी मम्मी

को जवाब दिया”


* * * * * * * * * * *


प्रीति ने अपनी लीखी हुई ईमेल के सेंड बटन को दबा दिया.. वो

सोच रही थी कि इस कहानी को पढ़ उसके चाचा क्या सोचेंगे.. उसने

इस कहानी को एक नया मोड़ दे दिया था.. जिसमे चाचा अपनी भतीजी को

उसी की बेटी के साथ सेक्स करते पकड़ लेता है.. और उसने इतना तक

खुलासा लीख दिया था कि भतीजी को उसकी बेटी की चूत मे अपनी जीब

घुसा उसकी चूत चाटना बहोत अछा लगता है..


प्रीति तो इस ख़याल से ही गरमा गयी कि अगर कभी उसके चाचा ने

उसे और अपनी ही बेटी को साथ साथ चोदा तो कितना मज़ा आएगा.. वो

उत्तेजना मे अपनी स्कर्ट को उठा अपनी चूत को सहलाने लगी.. और फिर

उसने पॅंटी के बगल से अपनी उंगली चूत के अंदर घुसा दी.. वो लंड

के लिए तड़पने लगी.. उसे उम्मीद थी कि राज घर पर ही होगा.. इस

उम्मीद से वो वो अपने कमरे से निकल हॉल मे आ गयी.. लेकिन उसने

देखा कि राज की जगह उसके पापा टीवी देख रहे थे..


“पापा क्या आपने राज को देखा?” प्रीति ने अपने पापा से पूछा.


“हां अभी थोड़ी देर पहले स्वीटी के पास गया है उसे कुछ काम

था” देव ने अपनी बेटी को जवाब दिया और उसकी निगाह अपनी बेटी के

उत्तेजित बदन पर घूमने लगी..
 
प्रीति अपने पापा की निगाहों को अछी तरह पहचानती थी. उसने और

चिढ़ाने की सोची.. वो अपने पापा के नज़दीक गयी और अपन स्कर्ट को

थोड़ा उपर करते हुए उनके बगल मे बैठ गयी.. उसकी नंगी चूत देव

की निगाह से छुप ना सकी..


देव की जैसे सांस ही हलक मे अटक गयी.. वो चाह कर भी अपनी

निगाहों को नही फिरा सका.. उसकी आँखे स्कर्ट के नीचे से झलक्त

अपनी ही बेटी की नंगी चूत पर टीकी थी.


देव ने अपना ध्यान अपनी ही बेटी की चूत पर से हटाया और टीवी देखने

का बहाना करने लगा… लेकिन प्रीति अपने पापा की निगाहों को

पहचानती थी. वो अपनी जगह से थोड़ी हिली और उसकी चूत का काफ़ी

सारा भाग दीखाई देने लगा…


देव से सहन नही हो रहा था और वो समझ रहा था कि उसकी सग़ी

बेटी उससे चुदवाना चाहती है लेकिन वो उसकी बात कैसे मान लेता

आख़िर वो उसका सगा बाप था.. लेकिन प्रीति तो जैसे आज ठान कर

आई थी.. उसने अपनी स्कर्ट को और उपर उठाया दिया जिससे उसकी चूत

अब पूरी तरह नंगी हो गयी थी..


बलदेव फटी आँखों से अपनी बेटी को देख रहा था जिसकी नंगी चूत

अब उसकी आँखों के सामने थी.. बिना बालों की चूत देख उसके मुँह मे

पानी आ रहा था.. उसका दिल तो कर रहा था कि वो तभी उसकी टाँगो

के बीच चला जाए और अपनी बेटी की चूत को मुँह मे भर चूस

ले..


“नही में ये नही कर सकता नही.. कभी नही..” अपने आप से

कहता हुआ बलदेव हॉल से निकल अपने कमरे मे आ गया…. उसे विश्वास

नही हो रहा था कि उसकी सग़ी बेटी किसी रंडी की तरह उसे ही

बहकाने की कोशिश कर सकती है.. लेकिन वो ये भी जानता था कि

प्रीति का जिस्म और चूत दोनो जान लेवा थे.. उसका दिल कुछ कह रहा

था और दीमाग कुछ..


बलदेव हॉल से तो निकल आया लेकिन वो चाह कर भी अपनी बेटी की

चूत की झलक अपने दीमाग से नही निकल पाया.. अपने कमरे मे आकर

उसने कुछ पोर्नो मॅगज़ीन निकाली और अपने लंड कों आज़ाद कर उसे

मसल कर मूठ मारने लगा.. उसके जेहन मे अपनी बेटी की चूत बसी

हुई थी..
 
प्रीति अपनी नंगी चूत को मसल्ते हुए सोच रही थी कि काश उसके

पापा उसके भाई की तरह समझ जाते… लेकिन ऐसा नही हुआ और उसे

लगा कि उसे और कोई तरीका अपनाना पड़ेगा.. यही सोच वो उठी और

हॉल से निकल अपनी कमरे की ओर जाने लगी.. अपने पापा के कमरे के

बाहर से गुज़रते हुए उसने अपने पापा की जोरों की सिसकारिया और

कराहें सुनी तो वो समझ गयी कि उसके पापा अपने कमरे मे मूठ मार

रहे है.. उसका दिल तो किया कि वो कमरे के अंदर चली जाए और

हिम्मत कर वो कमरे का दरवाज़ा खोल अंदर दाखिल होने लगी..


जैसे ही कमरे का दरवाज़ा खुला देव की निगाह दरवाज़े पर उठ गयी..

वो पलंग पर बैठा एक मॅगज़ीन को देखते हुए मूठ मार रहा था…

अब वो चाह कर भी पीछे नही हट सकता था.. वो अपनी बेटी प्रीति

को कमरे मे दाखिल होते देखता रहा…. देव इतना ज़्यादा उत्तेजित था

कि उसने अपने लंड को मसलना नही छोड़ा और दो तीन मूठ के बाद ही

उसके लंड ने वीर्य की पिचकारी छोड़ी जो हवा मे उछल सीधे सामने

पड़ी मॅगज़ीन पर गिरी..


प्रीति तुम यहाँ क्यों आई हो?” देव ज़ोर से अपनी बेटी पर चिल्लाया.


“पापा आप जानते है.. आपको इसे इस तरह व्यर्थ नही करना चाहिए

था..” प्रीति ने जवाब दिया..


“अगर आपं मुझे अपने लंड को चूसने देते तो शायद आपको ज़्यादा

मज़ा आता” प्रीति ने आगे कहा..


देव लड़खड़ाते हुए कदमों से ज़मीन पर बिखरे अपने कपड़े उठाने जा

रहा था की प्रीति ने अपने पापा के हाथों से वो मॅगज़ीन झपट ली

और उस पर गिरे वीर्य को चाटने लगी.. और उस मॅगज़ीन को लेते हुए

कमरे से भाग गयी..


“पापा इसे मे बाद मे लौटा दूँगी” प्रीति ने कमरे से निकलते हुए

कहा..


“हे भगवान में इसका क्या करूँ.. क्या होगा.. इसका..” अपने आप से

कहता हुआ वो वैसे ही पलंग पर लुढ़क गया..

क्रमशः.......
 
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