hotaks444
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राज चुप चाप बैठा अपनी दोनो बहनो के बीच की बात सुन रहा था.. उसका लंड फिर से हरकत कर खड़ा होने लगा था....उसे लगने लगा था कि उसकी दोनो बहने उससे गंद ज़रूर मरवा के रहेंगी...
तभी राज को याद आया कि प्रीति ने कहा था कि वो तीनो कुछ भी कर सकते है.. "प्रीति तुमने ये बात क्यों कही कि हम तीनो कुछ कर भी सकते है" प्रीति को अचानक याद आया कि बात कहाँ से शुरू हुई थी और कहाँ पहुँच गयी... तब उसने बताया कि किस तरह उसने अपने ही डॅडी को किस तरह अपनी चुचियों के दर्शन करा बहकाया था और इस हद तक उत्तेजित कर दिया था कि उनका लंड पॅंट मे मचल तन कर खड़ा हो गया था... कि जब गुड नाइट के लिए वो उनसे गले लगी थी तो उन्होने अपने लंड को उसकी जांघों पर ज़ोर से दबाया था... इतना कहकर प्रीति राज और स्वीटी के चेहरों पर उनकी प्रतिक्रिया देखने लगी... "एक बताउ प्रीति तुम्हारे डॅडी यानी कि मेरे ताउजि देखने मे काफ़ी हॅंडसम है.." स्वीटी ने कहा, "और जब तुमने हमे ये बता ही दिया है.. तो क्या उनका लंड राज से बड़ा और मोटा है?" स्वीटी की बात सुन कर प्रीति हँसने लगी... "हे भगवान तुम भी ना प्रीति..मुझे तो लगा था कि तुम नाराज़ हो जाओगी या फिर मुझे छीनाल गंदी सब उपाधियाँ दे डालगी"
"यार इसमे कुछ सोचने जैसा ही नही... हम दोनो अपने भाई से चुदवा ही रहे है.. और अगर तुमने अपनी अदाओं से अपने बाप को उत्तेजित कर दिया तो इसमे बुराई ही क्या है." स्वीटी ने जवाब दिया.
राज चुप चाप बैठा था की तभी प्रीति ने उससे पूछा की कहीं वो उससे खफा तो नही है. "नही लेकिन में भी कुछ सच बताना चाहता हूँ" राज ने शरमाते हुए कहा. "अब तुम ये मत कहना कि तुम मम्मी को चोद चुके हो?" प्रीति ने ज़ोर से कहा.
"नही ऐसा कुछ नही है" राज ने हस्ते हुए कहा.. और फिर उसने दोनो को वीडियो का पूरा किस्सा बताया कि किस तरह उसने प्रीति को नंगा देखना चाहा था और किस तरह उसकी मम्मी की नंगा देखा था और
बाद मे किस तरह उसने मम्मी की पॅंटी को अपने लंड पर लपेट मूठ मारी थी. "क्या तुम अपनी ही मम्मी को चोदना चाहोगे?" स्वीटी ने पूछा. "मुझे लगता है कि हां" राज ने जवाब दिया... शायद मेरा सोचना ग़लत है लेकिन जब में ख़यालों मे ये सब सोच ही चुका हूँ तो में कहूँगा कि अगर मुझे ये मौका मिला तो पीछे नही हटूँगा... "अब मेरी समझ मे आया कि कुछ भी कर सकते है का मतलब क्या था" स्वीटी ने कहा.. "मुझे लगता है कि जब में घर पहुँचुँगी तो मुझे भी अपने मम्मी पापा पर नज़र रखनी होगी.. कि क्या वो भी इतने ही खुले विचारों के है"
आज राज और प्रीति ने अपनी अपनी बातें एक दूसरे को बता दी थी.. और दोनो ही साथ मे स्वीटी भी अब सब कुछ जान चुकी थी.... कि तभी प्रीति ने आगे बढ़ कर राज के खड़े लंड को एक बार फिर पकड़
लिया... "ओह राज... इन सब बातों ने मेरी चूत मे एक बार फिर आग लगा दी है...... अपने लंड को मेरी चूत मे घुसा कर इसकी जाम कर धुनाई कर दो ना प्लीज़." प्रीति ने पीठ के बल लेटते हुए कहा.
राज खुशी खुशी उसकी टाँगो के बीच आ गया और अपने लंड को उसकी चूत से लगा एक ही ज़ोर के धक्के मे अपना पूरा लंड घुसा दिया... स्वीटी प्रीति की छाती पर झुक गयी और उसकी चुचियों से खेलने लगी... राज का लंड अपनी बेहन की चूत के अंदर बाहर हो रहा था... स्वीटी ने अपने होंठ अपनी चचेरी बेहन के होठों पर रख दिए और उन्हे चूसने लगी.. राज अपनी दोनो बेहन को समलिंगन चुंबन लेते हुए देख रहा था और उत्तेजना मे ओर ज़ोर ज़ोर के धक्के लगाने लगा...
तभी स्वीटी ने अपना चेहरा उठाया और राज से कहा की उसकी चूत को भी उसके लंड की ज़रूरत है.. राज ने अपना लंड प्रीति की चूत से निकाला और स्वीटी के पीछे आकर अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा.... "ऑश राज क्यों तडपा रहे हो प्लीज़ घुसा दो ना अंदर " स्वीटी
सिसकते हुए बोली. राज ने उसके दोनो कुल्हों को पकड़ा और और अपना लंड उसकी चूत मे घुसा दिया... लंड को अंदर बाहर करते वक्त उसकी नज़र स्वीटी की गंद के छेद पर पड़ी... वो सोचने लगा कि क्या ये सही समय है उसकी गंद मे लंड पेलने का... दोनो ही गंद मे लंड लेने के लिए तय्यार थी.. उसना अपना मन पक्का कर लिया... राज ने अपना लंड स्वीटी की चूत से बाहर निकाला और अपने लंड को उसकी गंद के छेद पर घिसने लगा.. इससे उसके लंड पर लगे रस से स्वीटी की गंद का छेद चिकना हो गया फिर अपने लंड को वापस उसकी चूत मे घुसा दिया और अपनी उंगली उसकी गंद मे घुसा गोल गोल घुमाने लगा.... स्वीटी अपनी बेहन की चुचियाँ चूस रही थी... कि उसे राज की उंगली का एहसास अपनी गंद मे हुआ....और उसने प्रीति की चुचि चूसना बंद कर दिया... "रुक क्यों गयी... क्या हुआ?" प्रीति ने पूछा.
"वो मेरी गंद मे उंगली अंदर बाहर कर रहा है" स्वीटी ने जवाब दिया. प्रीति ने पाना चेहरा थोड़ा उठा कर देखा... राज की उंगली आराम से स्वीटी की गंद मे अंदर बाहर हो रही थी... "क्या अछा लग रहा है तुम्हे?" प्रीति ने स्वीटी से पूछा. "पता नही बड़ा अजीब सा लग रहा है लेकिन एहसास इतना बुरा भी नही है" स्वीटी
तभी राज को याद आया कि प्रीति ने कहा था कि वो तीनो कुछ भी कर सकते है.. "प्रीति तुमने ये बात क्यों कही कि हम तीनो कुछ कर भी सकते है" प्रीति को अचानक याद आया कि बात कहाँ से शुरू हुई थी और कहाँ पहुँच गयी... तब उसने बताया कि किस तरह उसने अपने ही डॅडी को किस तरह अपनी चुचियों के दर्शन करा बहकाया था और इस हद तक उत्तेजित कर दिया था कि उनका लंड पॅंट मे मचल तन कर खड़ा हो गया था... कि जब गुड नाइट के लिए वो उनसे गले लगी थी तो उन्होने अपने लंड को उसकी जांघों पर ज़ोर से दबाया था... इतना कहकर प्रीति राज और स्वीटी के चेहरों पर उनकी प्रतिक्रिया देखने लगी... "एक बताउ प्रीति तुम्हारे डॅडी यानी कि मेरे ताउजि देखने मे काफ़ी हॅंडसम है.." स्वीटी ने कहा, "और जब तुमने हमे ये बता ही दिया है.. तो क्या उनका लंड राज से बड़ा और मोटा है?" स्वीटी की बात सुन कर प्रीति हँसने लगी... "हे भगवान तुम भी ना प्रीति..मुझे तो लगा था कि तुम नाराज़ हो जाओगी या फिर मुझे छीनाल गंदी सब उपाधियाँ दे डालगी"
"यार इसमे कुछ सोचने जैसा ही नही... हम दोनो अपने भाई से चुदवा ही रहे है.. और अगर तुमने अपनी अदाओं से अपने बाप को उत्तेजित कर दिया तो इसमे बुराई ही क्या है." स्वीटी ने जवाब दिया.
राज चुप चाप बैठा था की तभी प्रीति ने उससे पूछा की कहीं वो उससे खफा तो नही है. "नही लेकिन में भी कुछ सच बताना चाहता हूँ" राज ने शरमाते हुए कहा. "अब तुम ये मत कहना कि तुम मम्मी को चोद चुके हो?" प्रीति ने ज़ोर से कहा.
"नही ऐसा कुछ नही है" राज ने हस्ते हुए कहा.. और फिर उसने दोनो को वीडियो का पूरा किस्सा बताया कि किस तरह उसने प्रीति को नंगा देखना चाहा था और किस तरह उसकी मम्मी की नंगा देखा था और
बाद मे किस तरह उसने मम्मी की पॅंटी को अपने लंड पर लपेट मूठ मारी थी. "क्या तुम अपनी ही मम्मी को चोदना चाहोगे?" स्वीटी ने पूछा. "मुझे लगता है कि हां" राज ने जवाब दिया... शायद मेरा सोचना ग़लत है लेकिन जब में ख़यालों मे ये सब सोच ही चुका हूँ तो में कहूँगा कि अगर मुझे ये मौका मिला तो पीछे नही हटूँगा... "अब मेरी समझ मे आया कि कुछ भी कर सकते है का मतलब क्या था" स्वीटी ने कहा.. "मुझे लगता है कि जब में घर पहुँचुँगी तो मुझे भी अपने मम्मी पापा पर नज़र रखनी होगी.. कि क्या वो भी इतने ही खुले विचारों के है"
आज राज और प्रीति ने अपनी अपनी बातें एक दूसरे को बता दी थी.. और दोनो ही साथ मे स्वीटी भी अब सब कुछ जान चुकी थी.... कि तभी प्रीति ने आगे बढ़ कर राज के खड़े लंड को एक बार फिर पकड़
लिया... "ओह राज... इन सब बातों ने मेरी चूत मे एक बार फिर आग लगा दी है...... अपने लंड को मेरी चूत मे घुसा कर इसकी जाम कर धुनाई कर दो ना प्लीज़." प्रीति ने पीठ के बल लेटते हुए कहा.
राज खुशी खुशी उसकी टाँगो के बीच आ गया और अपने लंड को उसकी चूत से लगा एक ही ज़ोर के धक्के मे अपना पूरा लंड घुसा दिया... स्वीटी प्रीति की छाती पर झुक गयी और उसकी चुचियों से खेलने लगी... राज का लंड अपनी बेहन की चूत के अंदर बाहर हो रहा था... स्वीटी ने अपने होंठ अपनी चचेरी बेहन के होठों पर रख दिए और उन्हे चूसने लगी.. राज अपनी दोनो बेहन को समलिंगन चुंबन लेते हुए देख रहा था और उत्तेजना मे ओर ज़ोर ज़ोर के धक्के लगाने लगा...
तभी स्वीटी ने अपना चेहरा उठाया और राज से कहा की उसकी चूत को भी उसके लंड की ज़रूरत है.. राज ने अपना लंड प्रीति की चूत से निकाला और स्वीटी के पीछे आकर अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा.... "ऑश राज क्यों तडपा रहे हो प्लीज़ घुसा दो ना अंदर " स्वीटी
सिसकते हुए बोली. राज ने उसके दोनो कुल्हों को पकड़ा और और अपना लंड उसकी चूत मे घुसा दिया... लंड को अंदर बाहर करते वक्त उसकी नज़र स्वीटी की गंद के छेद पर पड़ी... वो सोचने लगा कि क्या ये सही समय है उसकी गंद मे लंड पेलने का... दोनो ही गंद मे लंड लेने के लिए तय्यार थी.. उसना अपना मन पक्का कर लिया... राज ने अपना लंड स्वीटी की चूत से बाहर निकाला और अपने लंड को उसकी गंद के छेद पर घिसने लगा.. इससे उसके लंड पर लगे रस से स्वीटी की गंद का छेद चिकना हो गया फिर अपने लंड को वापस उसकी चूत मे घुसा दिया और अपनी उंगली उसकी गंद मे घुसा गोल गोल घुमाने लगा.... स्वीटी अपनी बेहन की चुचियाँ चूस रही थी... कि उसे राज की उंगली का एहसास अपनी गंद मे हुआ....और उसने प्रीति की चुचि चूसना बंद कर दिया... "रुक क्यों गयी... क्या हुआ?" प्रीति ने पूछा.
"वो मेरी गंद मे उंगली अंदर बाहर कर रहा है" स्वीटी ने जवाब दिया. प्रीति ने पाना चेहरा थोड़ा उठा कर देखा... राज की उंगली आराम से स्वीटी की गंद मे अंदर बाहर हो रही थी... "क्या अछा लग रहा है तुम्हे?" प्रीति ने स्वीटी से पूछा. "पता नही बड़ा अजीब सा लग रहा है लेकिन एहसास इतना बुरा भी नही है" स्वीटी