Indian Sex Story परिवार हो तो ऐसा - Page 14 - SexBaba
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Indian Sex Story परिवार हो तो ऐसा

"पागल तो नही हो गयी हो... यहाँ भूल से भी ना कहना आख़िर हम

शरीफ खानदान से है. " राज ने बीच मे स्वीटी को टोकते हुए कहा.


"बड़े बदमाश हो तुम सारे खेल का मज़ा खराब कर दिया.. " स्वीटी ने

अपनी जीब निकाल राज को चिढ़ाते हुए कहा..


"ठीक है जैसा तुम कहो.. हम बाद मे देखेंगे..क्यों सही है ना

सोनिया?" स्वीटी ने कहा.


तभी रवि बाथरूम से लौट आया और सभी बाहर आ गये.. राज गाड़ी

चला रहा था.. सोनिया उसके बगल मे बैठी थी... प्रीति राज के

पीछे स्वीटी उसके बगल मे और रवि स्वीटी के बगल मे पीछे की

सीट पर बैठे थे...


स्वीटी का हाथ तो रवि के लंड पर था और वो उसे उसकी पॅंट के उपर

से मसल रही थी फिर उसने तो उसकी पॅंट के बटन खोल दिए और उसके

खड़े लंड को बाहर निकालने लगी... रवि की तो हालत खराब थी..

उसे विश्वास नही था कि प्रीति के सामने चलती गाड़ी स्वीटी ऐसा भी

कर सकती है..


रिव्यू मिरर मे राज को सभी दीखाई दे रहा था और उसे हँसी आ

रही थी...


स्वीटी ने अब रवि की पॅंट को नीचे खिसकना शुरी किया तो रवि ने

थोड़ा अपने आप को अड्जस्ट कर उसकी मदद की.. फिर स्वीटी उसके खड़े

लंड पर झुक गयी और उसके लंड को अपने मुँहे मे ले चूसने लगी..

उसके चूतड़ प्रीति की ओर उठ गये थे.. राज मुस्कुराते हुए सब

मिरर मे देखता रहा..


जब काफ़ी देर तक पिछली सीट से कोई आवाज़ नही आई तो सोनिया ने

अपने चेहरे को पीछे घुमाया देखने के लिए.. गाड़ी मे अंधेरा होने

की वजह से उसे सॉफ सॉफ तो नही दीखा कि स्वीटी क्या कर रही

है.. लेकिन जिस तरह से वो झुकी हुई थी तो उसे कुछ शक हुआ तो

उसने अपनी सीट बेल्ट को खोला और थोड़ा अच्छी तरह घूम देखने

लगी...


"स्वीटी बड़ी छीनाल हो क्या घर तक पहुँचने का इंतेज़ार नही कर

सकती थी" सोनिया ने पूछा.


"हां नही रुक सकती थी..तुम्हे पता है मेरी चूत मे जब खुजली

मचती है तो में नही रुक सकती.. " स्वीटी ने थोड़ी देर के लिए

रवि के लंड को अपने मुँह से बाहर निकाल कर जवाब दिया..


सोनिया ने अपना चेहरा वापस सामने की ओर घुमा लिया.. राज ये सब देख

धीरे से मुस्कुराता रहा.. सोनिया ने फिर पीछे पलट प्रीति की ओर

देखा तो उसे भी मुस्कुराते पाया...और उसने देखा कि प्रीति ने अपना

एक हाथ स्वीटी की स्कर्ट मे घुसा रखा था और शायद उसकी चूत मे

उंगली कर रही थी...


रवि तो जैसे पागल हो गया था... उसका लंड पानी छोड़ने ही वाला

था.. इतने परिवार के लोगों के सामने आज पहली बार कोई लड़की चलती

गाड़ी मे उसका लंड चूस रही थी.. कि तभी राज ने गाड़ी को स्वीटी

के घर के सामने रोका..


"अब अपने मुँह को खाली करो और इसके लंड को बाहर निकालो हम घर

पहुँच गये है" राज ने स्वीटी से कहा.


"सत्यानाश हो तुम्हारा" स्वीटी ने झूठे गुस्से मे कहा.. "ऐसा करो

तुम लोग इसे यहाँ मेरे पास छोड़ दो"


"और तुम्हारे मम्मी पापा से क्या कहें कि हमने रवि को कहाँ छोड़ा

है या फिर ये कहें कि वो तुम्हारे साथ है ?" राज ने कहा,.


"राज तुम भी समझते नही हो... देखो ना बेचारे का लंड किस तरह

तना हुआ है.. और ये अभी थोड़ी देर मे ही झाड़ जाएगा.. क्या तुम

यहाँ थोड़ी देर के लिए रुक नही सकते?" स्वीटी ने गिड़गिदते हुए

कहा.. "वैसे भी मम्मी पापा घर पर नही है.. ऐसा करो तुम लोग

भी अंदर आ जाओ शमा भी अपनी सहेली के घर पर है और में

अकेली घर मे नही रहना चाहती...


थोड़ी देर बाद स्वीटी फिर बोल पड़ी.. "प्रीति तुम जानती हो कि तुम खुद

अंदर आना चाहती हो फिर सोनिया को भी मौका मिल जाएगा राज का लंड

देखने का.. "


तभी स्वीटी ने गाड़ी का दरवाज़ा खोला और रवि को धक्का देकर बाहर

निकालने लगी... रवि अपनी पॅंट को उपर चढ़ाते हुए बाहर

निकला.. "अब जल्दी से घर मे चलो.. फिर तो उन्हे भी आना ही

पड़ेगा" स्वीटी ने उसे धक्का देते हुए कहा.
 
रवि समझ चुका था कि स्वीटी उसे घर के अंदर लेजाकार उससे

चुदवाना चाहती है इसलिए वो तुरंत गाड़ी के बाहर निकला जिससे

स्वीटी भी बाहर निकल घर का दरवाज़ा खोल सके...


"लगता है कि अब तो हमे भी अंदर जाना ही पड़ेगा" प्रीति ने गाड़ी से

बाहर उतरते हुए कहा..उसके कदमों मे नशे की हल्की लड़खड़ाहट

थी.. उसने अंदर घुस कर देखा..कि लिविंग रूम मे स्वीटी अपने कपड़े

उतार रही थी और रवि भी अपने कपड़े उतारने मे लगा हुआ था..


"चलो प्रीति तुम भी साथ मे आ जाओ.. आज हम दोनो मिलकर इसके लंड

का सारा रस नोचोड़ लेंगे" स्वीटी ने प्रीति को लिव्निग रूम मे आते

देखा तो बोली.


रवि तो हैरत भरी नज़रों से दोनो को देख रहा था.. उसे तो विश्वास

नही हो रहा था कि कोई लड़की इतनी बिंदास भी हो सकती है..


"नही स्वीटी मैने इससे कहा था कि इसे जलाने के लिए में इसकी

बेहन की चुदाई करूँगी और अगर आज अगर वो तय्यार नही है तो में

इसके सामने तुम्हारी चूत का मज़ा लूँगी" प्रीति ने जवाब दिया.


तब तक स्वीटी ने रवि के लंड को अपने मुँह मे ले लिया था.. रवि ने

देखा कि प्रीति अब स्वीटी के पीछे आ गयी और पीछे से उसके

निपल को भींचने लगी और साथ ही उसकी गर्दन को चूम रही थी..


घर के बाहर खड़े राज ने सोनिया से कहा, "क्यों ना हम भी घर के

अंदर चलते है.. बाहर कुछ ठंड ज़्यादा है"


सोनिया को भी राज की बात माननी पड़ी और वो उसके पीछे पीछे घर के

अंदर चली आई... दोनो लिविंग रूम मे पहुँचे और देखा कि रवि

ज़मीन पर चित लेटा हुआ था और स्वीटी उसकी टाँगो के बीच झुकी

उसके लंड को अपने मुँह मे ले जोरों से चूस रही थी.... और प्रीति

उसके पीछे बैठी थी..उसने अपना चेहरा स्वीटी के चूतदों मे दबा

रखा था और उसकी चूत को चूस रही थी और चाट रही थी.. साथ

ही वो एक हाथ से अपनी चूत मे दो उंगलियाँ अंदर घुसा अंदर बाहर

कर रही थी...


तभी स्वीटी अपनी जगह से थोड़ा उठी और रवि की टाँगो पर चढ़

गयी.. उसके खड़े लंड को पकड़ उसने पहले तो अपनी चूत पर घिसा

फिर उसे चूत के मुँह से लगा उस पर बैठती गयी.. रवि का लंड जड़

तक उसकी चूत मे घुस गया... प्रीति स्वीटी के सामने आ गयी और

दोनो लड़कियाँ एक दूसरे को चूमने लगी... चुचियाँ मसल्ने लगी...


अपनी बेहन और चचेरी बेहन को इस तरह एक दूसरे के साथ खेलते

देख राज का लंड किसी लोहे की रोड की तरह तन कर खड़ा हो गया..

सोनिया की निगाहें राज के खड़े लंड पर टिकी हुई थी... उसके लंड को

देखने की उसकी जिग्यासा और बढ़ गयी.. राज तो उनके साथ शामिल होना

चाहता था लेकिन वो सोनिया की वजह से चुप खड़ा था और उसकी ओर से

इशारा मिले इसका इंतेज़ार करने लगा...


सोनिया चुप चुप खड़ी दोनो लड़कियों को एक दूसरे को चूमते और

खेलते देख रही थी.. उसे अस्चर्य हो रहा था कि स्वीटी सब लाज़

शरम छोड़ सबके सामने उसके भाई के लंड पर उछल उछल कर चुदाई

कर रही थी... वो देख रही थी कि किस तरह स्वीटी और प्रीति एक

दूसरे की निपल को दाँतों के बीच पकड़ काट रहे थे तो कभी एक

दूसरे की चुचियों को मसल रहे थे.. वो दोनो के साथ ये खेल

खेल चुकी और उनके साथ शामिल होना चाहती थी...


तभी स्वीटी की नज़रे सोनिया पर पड़ी जो ललचाई नज़रों से उन्हे देख

रही थी.. "राज तुम अपना लंड सोनिया को क्यों नही दिखाते.. ये भी

तो देखे कि वास्तव मे तुम्हारा लंड कितना लंबा और मोटा है" स्वीटी

ने जोरों से रवि के लंड पर उछलते हुए कहा..


सोनिया ने पलट कर राज को देखा, "क्या तुम सही मे मेरा लंड देखना

चाहती हो?" राज ने पूछा...


सोनिया ने शर्मा कर अपनी गर्दन हां मे हिला दी... वो तो खुद मरी

जा रही थी राज का लंड देखने की लिए.. कि क्या सही मे उसका लंड

उतना ही मोटा और लंबा है जितना स्वीटी ने उसे इशारे से बताया था...


राज ने मुस्कुराते हुए अपनी पॅंट की बेल्ट को खोला और फिर जीन्स के

बटन खोल अपनी जींस को नीचे खिसकाने लगा... वहीं स्वीटी और

प्रीति दोनो सोनिया की प्रतिक्रिया जानने के लिए के लिए थोड़ा रुक

गयी....


जैसे ही राज ने अपनी शॉर्ट्स भी नीचे खिसकाई सोनिया कि तो जैसे

सांस ही हलक मे अटक गयी.. राज का अर्ध मुरझाया लंड भी किसी

घोड़े के लंड से कम नज़र नही आ रहा था.. उसने इतना मोटा और

लंबा लंड आज से पहले कभी नही देखा था..


"हे भगवान इतना मोटा और लंबा" सोनिया अस्चर्य से बोल पड़ी..


"है ना मस्ताना लंड" स्वीटी ने सोनिया से पूछा,, "अभी तो ये और

बड़ा होगा.. इसे मेरे पास लाओ राज में चाहती हूँ कि सोनिया इसकी

पूरी लंबाई और मोटाई देखे"
 
राज स्वीटी के पास आ गया.. स्वीटी ने उसके लंड को पहले तो मुट्ठी

मे भर उसे चूमा फिर अपनी जीब को उस लंड के छेद पर छुआ थोड़ा

कुरेदा... फिर उसकी लंबाई को सहलाते हुए उसने अपना पूरा मुँह खोला

और उसे मुँहे मे ले चूसने लगी.. पास ही मे बैठी प्रीति अपने

भाई की गोलैईयों को अपनी मुट्ठी मे भर खेलने लगी....


सोनिया ने प्रीति को थोड़ा खड़ा होने को कहा जिससे दोनो के चेहरे आमने सामने हो गये.. और दोनो एक दूसरे को चूमने लगे तभी स्वीटी ने

राज के लंड को दोनो के होठों के बीच कर दिया और दोनो अपनी जीब

बाहर निकाल उसके खड़े लंड को चाटने लगी... दोनो ने अपने होठों को

लंड पर रख दिया और राज अपनी कमर को हिला अपने लंड को आगे पीछे

करने लगा....


"यहाँ आओ सोनिया और महसूस करो इस मस्ताने लंड को" स्वीटी ने अपने

होठों को राज के लंड पर से हटाते हुए कहा.. प्रीति राज के लंड

चूस्ति रही और जब उसने देखा कि सोनिया उसके नज़दीक आ रही है तो

उसने अपने होठों को भी राज के लंड से हटा लिया.


सोनिया राज के नज़दीक आ गयी और अपनी हथेली को राज के लंड पर

रख दिया.. लेकिन लंड की मोटाई इतनी थी कि वो उसे अपनी मुट्ठी मे कस

नही पाई... स्वीटी और प्रीति दोनो ने अपना हाथ सोनिया की स्कर्ट के

अंदर घुसा दिया और दोनो ने उसके एक एक चूतड़ को पकड़ लिया...


"अपनी चुचियाँ राज को दीखाओ सोनिया.. राज को चुचियों बहुत पसंद

है.. और तुम्हारी तो वैसे भी बड़ी जानदार है" प्रीति ने सोनिया से

कहा..

क्रमशः..............
 
परिवार हो तो ऐसा-38


गतान्क से आगे...............

रवि जिसे सब थोड़ी देर के लिए भूल गये थे ये सब बातें सुनकर

चौंक पड़ा था..उसकी बेहन जो आज तक सिर्फ़ लड़कियों मे दिलचस्पी

लेती थी आज राज के लंड को अपने हाथ मे पकड़ मसल रही थी और अब

उसे अपनी चुचियाँ दीखाने जा रही थी..उसका खुद का लंड स्वीटी

की चूत मे धंसा हुआ था... उसने अपनी कमर उठा अपने लंड को और

थोडा स्वीटी की चूत मे घुसा दिया... स्वीटी ने एक हुंकार भर फिर

उसे उसके लंड पर उछलना शुरू कर दिया..


रवि अपनी बेहन को देख रहा था जो अब अपने ब्लाउस के बटन खोल

रही थी.. उसकी सफेद सॅटिन की ब्रा दीखाई देने लगी.. उसने उसे

अपनी हाथ पीछे कर ब्रा का हुक खोल दिया...और ब्रा आगे को गिर

पड़ी...वो आज पहली बार अपनी बेहन की चुचियों को देख रहा था...

उसे ये द्रिश्य सहन नही हुआ उसने अपनी कमर को जितना हो सकता था उतना

उपर उठा अपने लंड को स्वीटी की चूत मे घुसा पानी छोड़ दिया...


रवि के लंड से छूटी वीर्य की बौछार से स्वीटी और गारन्मा गयी और

वो सिसकते हुए और जोरों से रवि के लंड पर उपर नीचे होने लगी...


राज की आँखे सोनिया की चुचियों पर गढ़ी थी.. स्वीटी ने जैसा कहा

था वैसी ही चुचियाँ थी सोनिया की. राज ने अपना हाथ आगे किया और

उसकी चुचियों को सहलाने लगा....और सोनिया उसके लंड को अब दोनो

हाथों से मसल्ने लगी.. तभी प्रीति सोनिया के पीछे आ गयी और

उसकी स्कर्ट को उठा उसकी चूत को पॅंटी के उपर से मसल्ने लगी...

और अपनी चुचियों को उसकी पीठ पर रगड़ने लगी..


"तुमने अपने ही भाई के लंड को अपनी चूत मे लिया है है ना

प्रीति... और राज ही वो लड़का है जिसके लंड के बारे मे तुम मुझे बता रही

थी... " सोनिया ने कहा.


"हां और में तो कहूँगी कि तुम भी राज के लंड से चुदवाकर

देखो.. सही मे तुम्हे बहुत मज़ा आएगा.. " कह कर प्रीति ने उसकी

स्कर्ट का हुक खोल उसे निकाल दिया और फिर उसकी पॅंटी को नीचे

खिसका उसे पूरी नंगी कर दिया..


प्रीति ने सोनिया का हाथ पकड़ उसे ज़मीन पर लिटा दिया.. राज भी

उसके बगल मे लेट उसे चूमने लगा फिर उसकी चुचियों को

मसल्ने लगा और चूसने लगा... और फिर नीचे खिसक उसने अपने

होंठ उसकी चूत पर रख दिए... होठों की गर्मी को महसूस कर

सोनिया सिहर उठी.. और उसके मुँह से हल्की सी सिसकारी निकल पड़ी...


"ऑश आआआः ओह ऊवू"


स्वीटी राज की टाँगों के बीच आ गयी और उसके लंड को फिर अपने

मुँह मे ले चूसने लगी.. रवि चुप चुप ये सामूहिक चुदाई देख रहा

था.. कि तभी स्वीटी ने प्रीति से कहा.. "प्रीति अब तुम मेरी चूत

चूसो"


प्रीति सोनिया की चुचियों को छोड़ स्वीटी की टाँगो के बीच आ गयी

और उसकी चूत को चाटने लगी. और चूसने लगी..रवि के वीर्य से

भरी स्वीटी की चूत ने तो उस और मज़ा दे दिया वो अपनी जीब को और

अंदर तक घुसा रवि के वीर्य को चाटने लगी..


राज अब सोनिया की टाँगो के बीच आ अपने लंड को उसकी चूत पर घिसने

लगा... साथ ही वो उसके होठों को चूस रहा था...


"ओह राज अब मत तड़पाव घुसा दो अपने लंड को मेरी चूत मे ऑश

राज प्लीज़ चोदो ना" सोनिया उसके कान मे फुसफुसा तो राज ने अपनी

उंगलियों से उसकी चूत की फांको को थोड़ा फैला अपने लंड को थोड़ा सा

अंदर घुसाया....


राज का लंड सोनिया की चूत की दीवारों को चीरता हुआ अंदर

घुसा तो एक कराहह सी निकल पड़ी उसके मुँह से. राज ने थोड़ा और ज़ोर

देकर धीमे से धक्का मारा...और धीरे धीरे अपने लंड को अंदर

घुसाने लगा...


स्वीटी ने नज़रे उठा रवि की ओर देखा जो इतने उत्तेजित द्रिश्य देख

एक बार फिर गरमा उठा था और अपने लंड को मसल रहा था..


"तुम्हे क्या अच्छा लग रहा है रवि? प्रीति का मेरी चूत से तुम्हारे

वीर्य को चाटना या फिर तुम्हारी बेहन की चूत से बाहर होता राज का

लंड? स्वीटी ने रवि से कहा.


"दोनो ही द्रिश्य जानलेवा है" रवि ने अपने लंड को जोरों से मसल्ते

हुए कहा.


"अगर ऐसा है तो फिर यहाँ मेरे पास आओ में एक बार फिर तुम्हारा

लंड चूसना चाहती हूँ" स्वीटी ने कहा और रवि उसके पास आ गया.


प्रीति स्वीटी की चूत चूस रही थी और स्वीटी रवि का लंड चूस

रही थी रवि ने अपनी जिंदगी मे ऐसी सामूहिक चुदाई ना ही देखी थी

ना सोची थी और आज तो वो जैसे उत्तेजना मे पागल सा हो रहा था...

उसने स्वीटी के सिर पर हाथ रखा और अपने लंड को उसके गले तक

घुसा बड़बड़ा उठा...


"हाआँ स्वीटी हाां चूसो मेरे लंड को और अंदर तक लेकर

चूवसो... " बड़बड़ाते हुए वो अपने लंड को उसके गले तक ठेलने

लगा...
 
वहीं स्वीटी कमर उचका अपनी चूत को प्रीति के मुँह पर दबाती और

प्रीति अपनी जीब को उसकी चूत के अंदर तक घुसा देती...


उत्तेजना मे स्वीटी कांप रही थी उसने रवि के लंड को अपने मुँह से

बाहर निकाला और अपनी चूत को प्रीति के मुँह पर और दबा सिसकने

लगी...


"ऑश हाआँ प्रीति चूवस मेरी चूत को ऑश हाआँ घुसा अपनी जीब

को अंदर तक ओह " और वो झड़ने लगी... प्रीति भी उसकी चूत

से बहते रस को पीने लगी ..


वहीं राज अब अपने धक्कों मे तेज़ी ला सोनिया को चोद रहा था..


"सोनिया कैसा लग रहा है?"


"मत पूछो राज बहुत मज़ा आ रहा ऑश हाआँ और ज़ोर से चोदो आज

फाड़ दो मेरी चूत को ऑश क्या लंड है तुम्हारा ऑश हाआना और जोरों

से ऑश चोद्द्द्द्दो" जवाब मे सोनिया सिसकने लगी..


"हां सोनिया मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा है क्या कसी कसी चूत है

तुम्हारी हाआँ सोनिया बहुत अच्छा लग रहा है हां मेरा छूटने वाला

है"


"नही राज मेरी चूत मे पानी नही छोड़ना में कोई गोली नही लेती

हूँ... प्लीज़ अंदर ना छोड़ना" सोनिया ने आग्रह किया...


सोनिया की बात सुन स्वीटी चिल्ला पड़ी.. "राज अपना पानी मेरे मुँह मे

छोड़ दो जिससे मे सोनिया की चूत का स्वाद तुम्हारे लंड पर से चाट

सकूँ" स्वीटी ने कहा...


राज ने अपने लंड को सोनिया की चूत से निकाला और स्वीटी के पास आया

और स्वीटी ने रवि के लंड को बाहर निकाल राज के लंड को अपने मुँह

मे ले लिया और जोरों से चूसने लगी पहले तो उसने जीब से सोनिया के

रस को चटा और फिर उसके लंड को अपने गले तक ले चूसने लगी..

थोड़ी ही देर मे राज ने अपनी वीर्य की बौछार उसके गले मे कर दी..


ज़मीन पर लेटी सोनिया ने अपनी टाँगे फैला दी और चूत पर हाथ

फिराते बोली, "ऐसा लगता है कि जैसे चूत चौड़ी और फैल गयी

है.. इतना मोटा लंड मेने अपनी चूत मे कभी नही लिया"


"तुम्हारी चूत पानी छोड़ना चाहती है.." प्रीति उसके पास आकर अपने

हाथों से उसकी चूत को सहलाते हुए बोली...


"और लगता है कि तुम्हारी चूत भी यही चाहती है.. ऐसा करो मुझ

पर 69 की अवस्था मे चढ़ जाओ" सोनिया ने प्रीति को अपने उपर

खींचते हुए कहा...


प्रीति अपने चेहरे को सोनिया की चूत पर रख उस पर चढ़ गयी और

अपनी टाँगे उसकी गर्दन के अगल बगल रख उसने अपनी चूत को उसके

मुँह से लगा दिया..


सोनिया ने उसकी चूत की फांको को अपनी उंगलियों से अलग कर अपनी जीब

अंदर घुसा दी और फिर उसकी चूत को मुँह मे भर चूसने लगी...

दोनो एक दूसरे की चूत को चूस रही थी और रवि अपनी बेहन और

ममेरी बेहन को एक दूसरे की चूत चूस्ते देखता रहा...


तभी स्वीटी ने रवि के लंड को पकड़ उसे दोनो लड़कियों की ओर

खींचा.. रवि की तो समझ मे नही आया कि स्वीटी क्या चाहती है...

फिर स्वीटी ने प्रीति के चेहरे को सोनिया की चूत से हटाया और उसके

लंड को उसकी बेहन की चूत से सटा दिया..


रवि एक बार तो हिक्किचाया कि उसे ये करना चाहिए कि नही लेकिन

तभी सोनिया ने अपनी कमर उठा दी और रवि का लंड अपने आप उसकी

गीली चूत मे घुस गया.. प्रीति ने फिर अपनी जीब को सोनिया की

चूत से लगा दीआ और अब रवि का लंड उसकी जीब से रगड़ ख़ाता सोनिया

की चूत के अंदर बाहर होने लगा...


सोनिया देख रही थी और समझ रही थी कि उसका सगा भाई उसे चोद

रहा है.. दिल तो कह रहा था कि जो हो रहा है वो ग़लत है लेकिन

जिस्म की आग उसे उकसा रही थी. उसने अपनी चूत की मानी और सब कुछ

दिमाग़ से निकल रवि के लंड का आनंद अपनी चूत मे लेने लगी. और

थोड़ी ही देर मे उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया..


सोनिया ने अपनी टाँगे हिलाकर उसके लंड को बाहर निकाल दिया.. रवि ने

अपनी बेहन को झाड़ते महसूस किया था और वो खुद झड़ने की कगार पर

था.. उसे पता था कि आज जैसा मौका शायद ही फिर मिले उसने नज़रे

घुमाई तो देखा कि स्वीटी घोड़ी बनी हुई थी और राज उसे पीछे से

चोद रहा था.. स्वीटी ने रवि को अपने पास बुलाया और उसके लंड को

अपने मुँह मे ले एक बार फिर चूसने लगी..जब भी राज पीछे से

धक्का मारता तो स्वीटी का मुँह आगे को होता और रवि का लंड उसके

गले तक घुस जाता.. थोड़ी ही देर मे रवि के लंड ने वीर्य की

पिचकारी स्वीटी के गले मे छोड़नी शुरू कर दी...
 
राज ने अपने लंड के साथ अपनी उंगली स्वीटी की चूत मे घुसा अच्छी

तरह गीला किया और फिर उस उंगली को स्वीटी की गंद मे घुसा

दिया...अभी उसने उंगली अंदर घुसा ही थी स्वीटी की चूत ने पानी

छोड़ना शुरू कर दिया... और उसी समय राज ने भी अपना वीर्य उसकी

चूत मे छोड़ दिया..


उस रात स्वीटी के घर से लौटने के बाद सोनिया की आँखों से नींद

कोसों दूर थी.. वो पूरी रात बिस्तर पर लेट सोचती रही... कि क्या

जो कुछ हुआ वो कहाँ तक उचित था... वो अकेली नही थी उसका अपना

सगा भाई उस सामूहिक चुदाई मे ना बल्कि उसके साथ था बल्कि रवि ने

अपने लंड को उसकी चूत मे घुसा चोदा था... उसे विश्वास नही हो

रहा था कि उसने अपने ही सगे भाई से चुदवाया था... यही सब कुछ

रवि भी राज के कमरे मे ज़मीन पर बीचे बिसतर पर लेटा सोच

रहा था.. उसे अपनी बेहन हमेशा से ही अच्छी और प्यारी लगती थी..

और आज जाकर उसे मौका मिला था अपनी ही बेहन की चुदाई करने का..


सोनिया को आत्म ग्लानि हो रही थी. वो सोच रही थी कि कल सुबह वो

अपने ही भाई से कैसे नज़रे मिला पाएगी... उसे अपने भाई का स्वाभाव

पता था अब जब कि वो एक बार उसे चोद चुका है तो वो हमेशा मौके

की ताक मे रहेगा कि कब और कैसे उसे फिर उसकी चुदाई का मौका

मिले... जो कुछ हुआ उसके लिए सोनिया पहले से तय्यार नही थी.. सब

कुछ नशे की हालत मे हो गया और राज के विशाल लंड ने उसे

आकर्षित कर सब कुछ करने पर मजबूर कर दिया. था... और

उत्तेजना मे जब रवि ने उसकी चूत मे लंड घुसाया तो वो इन सब

ख़यालों से काफ़ी दूर थी और सही मे उसे भी अपने भाई का लंड अपनी

चूत मे अच्छा लगा था..


स्वीटी के साथ सेक्स के खेल मे उसे बहुत मज़ा आया था.. और प्रीति

की तो बात ही कुछ अलग थी.. उसने इतनी गरम और चुदसी लड़की

पहले कभी नही देखी थी.. लेकिन जब वो वापस अपने घर जाएगी तो

ये तीनो यहीं रहने वाले थे लेकिन रवि उसका भाई तो उसके साथ

रहेगा और वापस घर लौट कर क्या होगा यही सोचते सोचते उसे नींद

आ गयी...


उसी रात स्वीटी की आधी रात को नींद खुली और वो पेशाब जाने के

लिए अपने कमरे से निकल बाथरूम की ओर बढ़ी.. उसने देखा कि उसके

पिताजी के स्टडी रूम की लाइट जल रही थी और उसने ठान ली कि वो

चुपके से देखेगी की आधी रात को डॅडी क्या कर रहे है..


उसने खिड़की की झिरी से देखा और उसका शक़ यकीन मे बदल गया..

उसके डॅडी मोहन अपने कंप्यूटर के सामने बैठे थे.. उनकी पॅंट

नीचे पैरों मे गीरी हुई थी और वो अपने खड़े लंड को मसल रहे

थे...स्वीटी सोचने लगी कि वो कंप्यूटर पर क्या देख रहे.. क्या

प्रीति ने अपनी नई तस्वीरें भेजी है जिसे देख वो अपने लंड को

मसल रहे है...


स्वीटी को जोरों से पेशाब लगी थी इसलिए पहले उसने बातरूम मे

जाकर पेशाब किया वो वापस अपने कमरे मे जाना चाहती थी लेकिन

उत्सुकता ने उसे वापस वहीं स्टडी रूम की खिड़की पर ही रोक दिया...

अपने पिता को इस तरह मूठ मारते देख उसके बदन मे हलचल होने

लगी.. गर्मी बढ़ने लगी और एक बार फिर उसकी चूत मे खुजली मचने

लगी..


रात की सुहानी हवा मे उसके निपल तन कर टी-शर्ट को छेड़ने लगे

और उसकी चूत के रस से उसकी पॅंटी भीग गयी..


वो सोचने लगी कि किस तरह उसकी चचेरी बेहन ने अपने ही चाच्चा

यानी कि उसके पिताजी से चुदवाया है और यहाँ तक कि वो अपने ही

डॅडी से भी चुदवा चुकी है.. इस ख़याल ने तो उसके बदन मे और

गर्मी बढ़ा दी.. अपने ही बाप से चुदवाने के ख़याल से उसकी चूत मे

हज़ारों चींतियाँ सी रेंगने लगी...


सोचते सोचते उसका हाथ खुद बा खुद पॅंटी के अंदर उसकी चूत तक

पहुँचा और वो अपनी सफ़ा चट चूत को सहलाने लगी... उत्तेजना

बढ़ने लगी और वो सोचने लगी कि क्या वो इतनी हिम्मत जूटा पाएगी

कि स्टडी रूम का दरवाज़ा खोल अंदर दाखिल हो सके.. उत्तेजना उस पर

हावी थी.. उसने हिम्मत कर दरवाज़ा खोला और अंदर दाखिल हो गयी...


"स्वीटी तुम इस समय?" मोहन अपनी बेटी को देख चौंक पड़ा..


स्वीटी तो जैसे पथरा गयी थी.. उसकी आँखे तो अपने बाप के खड़े

लंड पर ठहरी हुई थी...उसका खुद का हाथ उसकी पॅंटी मे घुसा था

और चूत मसल रहा था.. उसने झट से अपने हाथ को बाहर निकाल

लिया..


"वो क्या है....पीत..... " स्वीटी ने कहना चाहा लेकिन उसकी आवाज़

जैसे हलक मे ही अटक गयी..


"स्वीटी क्या तुम मुझे देख रही थी?" मोहन ने अपनी बेटी से पूछा.

वो अपने हाथों से अपने लंड को ढकने की कोशिश कर रहा था..


स्वीटी ने अपनी नज़रें अपने बाप पर से हटा कंप्यूटर स्क्रीन पर डाली

तो देखा की स्क्रीन पर देखा जहाँ प्रीति की तस्वीर थी वो बिस्तर

पर नंगी चित लेटी थी.. टाँगे फैली हुई और एक डिल्डो उसकी चूत मे

घुसा हुआ था..


"उम्म हां" स्वीटी ने जवाब दिया..



मोहन ने भी देखा कि उसकी बेटी ने अपना हाथ पॅंटी से बाहर निकाला

था.. इस पोज़ मे उसकी बेटी बहुत सेक्सी लग रही थी... सफेद टी-शर्ट

और सफेद पॅंटी मे वो बहुत ही प्यारी लग रही थी.. टी-शर्ट से उसकी

चुचियों का घेराव और ताने निप्पल सॉफ दीख रहे थे... स्वीटी

को अचानक देख एक बार के लिए तो उसका खड़ा लंड तुरंत मुरझा गया

था.. लेकिन जवान बेटी को अपने कमरे मे पॅंटी मे हाथ डाले देख उसके

लंड की गर्माहट फिर लौटी और एक बार फिर उसका लंड तन कर पूरी

तरह खड़ा हो गया..


"वो क्या है ना स्वीटी में तुम्हे समझाता हूँ"


"रहने दीजिया डॅडी मुझे सब मालूम है"


"क्या मालूम है तुम्हे?" उसने झिझकते हुए पूछा... क्या उसे पता है

कि वो प्रीति को ईमेल भेजता है और प्रीति उसे अपनी नंगी

तस्वीरें भेजती है क्या स्वीटी सब कुछ जानती है


"मेने आपको प्रीति की चुदाई करते देखा है"


"हे भगवान" मोहन के मुँह से निकाला.

क्रमशः..............
 
परिवार हो तो ऐसा-39


गतान्क से आगे...............

स्वीटी ने देखा कि उसके पिताजी के चेहरे पर डर की परछाई छा

गयी थी.. उसकी समझ मे नही आ रहा था कि वो क्या करे.. उसकी

चूत मे आग लगी हुई थी उसकी निगाह बार बार अपने पिता के लंड

पर ठहर जाती और प्रीति के वो द्रिस्य उसकी आँखों के सामने आ

जाता जब प्रीति उसके बाप के लंड पर चढ़ उछल उछल कर चुदवा

रही थी.. क्या वो भी ऐसा कर पाएगी...?


मोहन तो खुद सोच मे डूबा हुआ था.. कि उसे क्या करना चाहिए................

परिस्थितियों के साथ चलना चाहिए या फिर सब कुछ हालत पर छोड़

देना चाहिए...


"पर में अकेला ही तो नही हूँ जिससे प्रीति ने चुदवाया है? मोहन

ने बचाव के लहजे मे अपनी बेटी से कहा.


स्वीटी सोचने लगी... क्या उसके पिता को पता है कि वो प्रीति के साथ

सेक्स करती है..


"मुझे ऐसा ही लगता था" मोहन ने जवाब दिया.. "मेने एक रात

तुम्हारी सिसकियाँ सुनी थी..


"आप छुप कर मेरे कमरे के बाहर खड़े अंदर की आवाज़े सुनते है?"

स्वीटी ने गुस्से मे कहा...


"तुम भी तो वही कर रही थी" मोहन ने अपनी बेटी को इस ओर देखते

हुए कहा..


"पर में कोई बदले की भावना से नही देख रही थी" स्वीटी ने जवाब

दिया. "मुझे पता है कि प्रीति मेरी चचेरी बेहन है लेकिन मेरी

अभी शादी नही हुई लेकिन आप तो शादी शुदा है डॅड"


स्वीटी की बात सुन एक बार डर की रेखा उभर आई मोहन के चेहरे

पर..


"वो स्वीटी......."


"आप घबराईए नही डॅड में मम्मी से कुछ नही कहूँगी.." स्वीटी ने

कहा तो मोहन ने राहत की सांस ली.. "लेकिन उम्मीद है आप भी किसी

से कुछ नही कहेंगे" स्वीटी ने फिर कहा.


मोहन ने खुशी खुशी गर्दन हिला कर कहा कि वो भी चुप

रहेगा...


"लेकिन मेरी एक बात आपको माननी पड़ेगी" स्वीटी ने कहा..


"जो तुम कहो मेरी प्यारी गुड़िया... मैं तुम्हारी हर बात मानने को

तय्यार हूँ" मोहन ने जवाब दिया...


"में ये जानना चाहती हूँ कि क्या आप मुझे चोदना चाहेंगे.. में

चाहती हूँ कि आप मेरी भी प्रीति की तरह कस कर चुदाई करें"


"स्वीटी मेरी समझ मे नही आ रहा कि तुम्हारी बात का में क्या

जवाब दूं.. मुझे लगता है कि मैं ऐसा नही कर पाउन्गा.. आख़िर

तुम मेरी बेटी हो" मोहन ने जवाब दिया..


"प्रीति भी तो आपकी भतीजी है"


"हां पर भतीजी और बेटी मे फरक होता है" मोहन बड़बड़ाया..


"आपने कुछ कहा डेडी"


"वो स्वीटी मैं कैसे समझाऊ तुम्हे?"


"आप नही जानते डेडी जबसे मैने आपको प्रीति की चुदाई करते देखा

है तबसे मेरी भी इच्छा है कि आप मेरी भी चुदाई करें... आप

मुझे अपना लंड दीखाइए और ये ना कहना कि आप उत्तेजित नही

है.. " स्वीटी ने कहा.


मोहन अपनी जगह से हिला नही... वो जानता था कि उसका लंड पूरी

तरह तन कर खड़ा है... उसकी सग़ी बेटी उससे चुदवाना चाहती है

इस ख़याल ने ही उसे गरमा दिया था और उसका लंड पूरी तरह तन कर

खड़ा था...वो हिला नही तो स्वीटी खुद अपने पिता के पास आ गयी

और उसने अपनी टी-शर्ट को सिर से उठा कर उतार दिया..


"स्वीटी प्लीज़" वो अपनी बेटी को रोकना चाहता था लेकिन स्वीटी अब

अपनी पॅंटी भी उतार कर नंगी हो गयी.. स्वीटी देख रही थी कि

उसके पिताजी की नज़रे उसके नंगे बदन को देख रही थी और आँखों

मे उत्तेजना भरी थी उसने अपनी निगाह उनकी जांघों के बीच डाली तो

देखा कि मोहन अपने लंड को अपनी उंगलियों से मसल रहा था... वो दो

कदम और आगे बढ़ उसके सामने नीचे घुटनो के बल बैठ गयी और

उसके हाथों को हटा दिया..


"स्वीटी प्लीस रुक जाओ" मोहन ने एक बार फिर अपनी बेटी को रोकना

चाहा.. लेकिन स्वीटी ने उसकी बात पर कोई ध्यान नही दिया..मोहन

जानता था कि उसे स्वीटी को रोकना चाहिए.. लेकिन उसकी खुद की

उत्तेजना ने उसे ऐसा करने नही दिया...


और तभी उसे महसूस हुआ कि

स्वीटी ने उसके लंड को अपने मुँहे मे ले लिया है और अपने मुँह को

आगे पीछे कर वो उसे चूस रही है..


स्वीटी की आँखों के सामने फिर वो द्रिस्य आ गया जब प्रीति उसके पिता

के लंड को चूस रही थी. उसने भी अपने मुँह को पूरा खोला और उसके

लंड को अपनी जीब से भींचते हुए अंदर ले चूसने लगी... अपनी

जीब को अपने ही पिता के लंड पर चलाने लगी.. मोहन सिसक पड़ा..

उत्तेजना की आवाज़ निकलने लगी उसके मुँह से...


स्वीटी अब और जोरो से अपने बाप के लंड को चूसने लगी. वो जानती

थी उनका लंड पानी छोड़ने वाला है.. जब वो कमरे मे आई थी तो

उनका लंड झड़ने की कगार पर था.. उसने लंड को मुँह के बाहर

निकाला और ज़मीन पर चित लेट कर अपनी टाँगे फैला दी...


"अब अपने लंड को मेरी चूत मे घुसा मुझे चोदिये.. अपने लंड से

मेरी चूत को भर दीजिए... दाद" स्वीटी उत्तेजना मे फुस्फुसाइ..



मोहन अपनी बेटी के सुन्दर बदन को देखने लगा... वो अपनी बेटी के

टाँगो के बीच आ गया... पर वो थोड़ा हिचकिचा रहा था....वो अपने

लंड को उसकी चूत मे घुसाना चाहता था लेकिन वो ऐसा कर नही पाया

और उसकी जगह उसने अपने होठों को उसकी चुचियों पर रखा और उसके

निपल को अपने होठों मे दबा चुलबुलाने लगा... उसने महसूस किया

कि स्वीटी ने अपना हाथ नीचे कर उसके लंड को पकड़ लिया था और

मसल रही थी और उसे अपनी चूत की ओर खींच रही थी... उसका

लंड उसकी चूत से सटा तो उसने एक हल्का सा धक्का मारा और उसका

लंड अपनी बेटी की गीली चूत मे घुस गया..


"ऑश पिताजी चोदो मुझे ऑश हाआँ चोदो" स्वीटी धीरे से

अपने बाप के कान मे फुस्फुसाइ..


मोहन ने अपने लंड को बाहर निकाला और एक ज़ोर का धक्का मार उसे फिर

अंदर घुसा दिया... और अब अपनी कमर को हिला और ज़ोर ज़ोर से धक्के

मारने लगा...


"हाआँ पिताजी ऐसे ही चोदो ऑश हाआँ और ज़ोर से और ज़ोर से

ऑश हाआँ अंदर तक घुसा कर चोदो... "
 
मोहन और ज़ोर ज़ोर के धक्के मारने लगा.. उसे पता था कि वो अब ज़्यादा

देर तक रुक नही पाएगा.. वो अपने लंड को बाहर निकालना चाहता था

लेकिन स्वीटी ने उसके दोनो चूतदों को पकड़ उसे अपनी चूत पर दबा

दिया...


"घबराईए मत डॅड मेने गोली खा रखी है कुछ नही होगा.. भर

दीजिए मेरी चूत को अपने अमृत रस से... " और मोहन ने ज़ोर से अपने

लंड को अंदर घुसा अपने वीर्य की पिचकारी अपनी बेटी की चूत मे

छोड़ दी.. और उसकी चूत को रस से भर दिया..


जैसे ही मोहन का लंड पूरी तरह झाड़ कर मुरझाया तो उसने अपने

लंड को स्वीटी की चूत से बाहर निकाला और जो कुछ हुआ उस पर

सोचने लगा... वो अपनी बेटी से माफी माँगना चाहता था..


"नही पिताजी कुछ मत कहिएगा.. सच कहूँ तो मुझे बहुत मज़ा

आया में जानती हूँ कि शायद भविष्य मे ऐसा कुछ दोबारा ना हो..

पर में खुश हूँ और आप भी ज़्यादा मत सोचिएगा" स्वीटी ने कहा.


मोहन ने अपने कपड़े उठाया और स्टडी रूम से बाहर निकल गया...

स्वीटी भी वापस अपने कमरे मे आ गयी जहाँ उसने अपनी चूत मे लगे

अपने बाप के वीर्य से अपनी उंगलियों को गीला किया और फिर अपनी चूत

मे उंगली कर अपना पानी छुड़ाया... और फिर अपनी उंगलियों को अपने मुँह

मे ले चूस्ते हुए सो गयी....


राज की आज उत्तेजना के मारे हालत खराब थी.. वो कंप्यूटर पर बैठा

उन सब बातों को याद कर रहा था कि उसे किस तरह अपनी ममेरी बेहन

सोनिया को चोदने का मौका मिला.. उसका लंड पूरी तरह तन कर खड़ा

था और वो अपने लंड का पानी छुड़ाना चाहता था.. वो अपने कमरे मे

से बाहर निकला और देखने लगा कि घर मे और कौन कौन है...


राज किचन मे दाखिल हुआ तो देखा कि उसका मा वसुंधरा पूरी तरह

तय्यार थी और शायद शाम के लिए बाहर जाने की तय्यारी कर रही

थी... उसने एक छोटे काले रंग की स्कर्ट पहन रखी थी और उस पर

गुलाबी रंग का टॉप... जैसे ही वासू नीचे बनी शेल्फ से कुछ

निकालने के लिए झुकी उसकी स्कर्ट उपर उठ गयी उसके चूतड़ की दरार

दीखाई देने लगी.. राज का लंड और पूरी तरह तन कर खड़ा हो

गया...


"हाई मम्मी.. क्या और कोई घर मे है?" राज ने पूछा.


"नही सिर्फ़ मैं हूँ.. प्रीति थोड़ी देर पहले ही वो सोनिया के साथ

बाहर गयी है. रवि तुम्हारे पापा के साथ बाहर गया है और तुम्हारे

अश्विन मामा और नीता मामी दोनो शॉपिंग करने गये है." वासू नेआपने

बेटे को बताया..


राज अपनी मा को देख रहा था... वासना उस पर बुरी तरह हावी थी..

उत्तेजना के मारे लंड उसकी शॉर्ट्स मे बार बार उछल रहा था... उसकी

मम्मी अब कंप्यूटर तो जाने से रही क्यों कि वो पहले से ही तय्यार थी

बाहर जाने के लिए...


"तुम ऐसे क्यों पूछ रहे हो?' उसने पूछा... राज ने देखा कि उसकी मा

की निगाहे अब उसके चेहरे से नीचे हो उसकी जांघों के बीच थी

जहाँ से उसके खड़े लंड का उभार सॉफ उसे दीखाई दे रहा होगा..

उसने देखा कि उसकी मा ने उसके खड़े लंड को देख किसी छीनाल औरत

की तरह अपनी जीब को अपने होठों पर फिराई जैसे कि कोई रंडी अपने

किसी ग्राहक को इशारा कर रही हो...


"क्यों कि मुझे अपने इस खड़े लंड की सहायता करनी है गीली चूत"

राज ने अपनी शॉर्ट्स के बटन खोल अपने खड़े लंड को आज़ाद करते हुए

कहा.


"राज ये क्या कर रहे हो तुम्हारा दिमाग़ तो खराब नही हो गया?" वासू

राज की इस हरकत पर ज़ोर से चिल्लाते हुए बोली.."और तुमने मुझे अभी

क्या पुकारा?" राज का उसे इस नाम से बुलाने पर वो चौंक पड़ी थी.


"गीली चूत. मम्मी में जानता हूँ कि वो तुम ही हो... हम आपस मे

चुदाई कर चुके है और सही कहूँ तो मुझे आपके साथ चुदाई मे

बहुत मज़ा आता है और इस समय मेरा लंड मुझे बहुत तंग कर रहा

है इसलिए में इसे आपकी चूत मे घुसा इसकी गर्मी को शांत करना

चाहता हूँ" राज ने वासू के सामने अपने लंड को मसल्ते हुए कहा.


"हे भगवान ये मैने क्या कर दिया.. मुझे माफ़ करना राज मुझे ऐसा

नही करना ........ "


"मेने कहा ना मम्मी मुझे बहुत अच्छा लगा और आपको भी तो मज़ा

आता है मेरा लंड अपनी चूत मे घुस्वाने मे तो फिर आज क्यों आप

परेशान हो रही है और मुझे पता है कि आपको ये भी पता है कि

में प्रीति की भी चुदाई करता हूँ तब भी आपने हमे नही रोका तो

आज क्या परेशानी है?" राज ने कहा..


"हां लेकिन हमेशा मुझे यही लगा कि तुम मेरे बारे मे नही जानते

हो.. लेकिन जब आज तुम हक़ीक़त जान गये तो बात कुछ अलग है...."


"नही कुछ अलग नही है.. सेक्स सिर्फ़ सेक्स होता है फिर चाहे जिसके

साथ किया जाए... या तो पहले आपको बढ़ावा नही देना चाहिए था अब

आप यथार्थ को नही बदल सकती " राज ने अपनी बात पर ज़ोर देते हुए

कहा.
 
राज अपनी मा के पास आया और धीरे से उसके हाथ को अपने खड़े लंड

पर रख दिया... और फिर अपने हाथों को उसके टॉप के उपर से उसकी

चुचियों पर रख उन्हे सहलाने लगा... उसने महसूस किया कि उसकी मा

अब उसके लंड मसल्ने लगी थी....


"मम्मी अब इसे मुँह मे लेकर चूसो में जानता हूँ तुम्हे लंड

चूसना बहुत अच्छा लगता है" राज ने कहा..


वासू ने पहले तो उसके खड़े लंड को देखा.. कितन सही कह रहा था

उसका बेटा.. लंड चूसना तो जैसे उसकी फ़ितरत थी.. वो झट से

घुटनो के बल नीचे बैठ गयी और उसके लंड को नीचे से उपर तक

चाटने लगी... राज सिसक पड़ा..वासू ने अपना मुँह खोला और लंड को

अपने मुँह मे ले चूसने लगी...इतना मोटा और लंबा लंड चूसने मे

सही मे बहुत मज़ा आ रहा था...


"ऑश मम्मी कितना अच्छा लंड चुस्ती हो.... ऑश हाआँ ऐसे चूसो

अपने गले तक लेकर ऑश हाँ और अंदर तक ले लो पूरा अंदर" सिसकते

हुए राज ने अपनी मम्मी के बालों को उसके चेहरे से पीछे किया और

अपने लंड को उसके मुँह के अंदर बाहर होते देखने लगा... उसे इस

तरह गंद और उत्तेजञात्मक बातें करने मे मज़ा आ रहा था..


वसुंधरा महसूस किया कि राज की इस तरह की बातों ने उसकी चूत को

गीला कर दिया था.. रस बह कर उसकी पॅंटी को गीला कर रहा

था.... वो अपनी जीब से उसके लंड को और जोरों से भींचते हुए

चूसने लगी.... बीच मे वो लंड पर अपने दाँत भी गढ़ा देती जिससे

राज कराह उठता...


राज ने एक बार तो सोचा कि अपने लंड का पानी अपनी मा के मुँह मे ही

छोड़ दे लेकिन फिर उसने अपना इरादा बदल लिया, "अब रुक जाओ मम्मी और

खड़ी हो जाओ.. अब में तुम्हे चोदना चाहता हूँ"


वासू ने अपने बेटे की बात मानकर उसके लंड को मुँह से बाहर निकाला

और खड़ी हो गयी और सोचने लगी कि अब क्या बेडरूम मे जाए या फिर

लिविंग रूम मे लेकिन तभी राज ने अपने हाथ उसकी कमर मे डाल उसे

उठा लिया और उसे किचन शेल्फ पर बिठा दिया..


फिर राज ने उसकी स्कर्ट को उपर उठा दिया जिससे उसकी पॅंटी से ढाकी

चूत दीखाई देने लगी.. राज अपने लंड को उसकी टांगो के अन्द्रुनि

हिस्सों पर घिसने लगा... एक सिरहन से दौड़ गयी वासू के बदन मे...

इस तरह की उत्तेजना कभी नही पैदा हुई थी उसके शरीर मे...


राज ने फिर अपने उंगलियों को पॅंटी के एलास्टिक मे फसाया और उसकी

पॅंटी को नीचे खीच उतार दिया.. और फिर अपनी दो उंगलियों को उसकी

चूत मे डाल अंदर बाहर करने लगा...


"ऑश हाां ओह आआआ" वासू सिसक पड़ी...

क्रमशः..............
 
परिवार हो तो ऐसा-40


गतान्क से आगे...............

फिर राज ने अपनी उंगलियों को बाहर निकाला और अपने लंड को अपनी मम्मी

की चूत से लगा उसे अंदर घुसा दिया.... इस चूत को कई बार चोद

चुका था लेकिन आज उसका चेहरे देखते हुए लंड को अंदर घुसाने मे

उसे एक अलग ही आनंद आ रहा था...


"ऑश राज मेरे बेटे ऑश हाआँ चोदो अपनी मा को ऑश हां और

अंदर तक घुसा के चोदो ऑश आहह " सिसकते हुए वासू अपनी कमर

भी हिलाने लगी...


वासू ने अपने हाथों को पीछे सेल्फ़ पर रख अपने आप को सहारा दे

रखा था कि तभी राज ने उसके टॉप को पकड़ा और एक झटके मे खींच

दिया.. ब्लाउस बटन की जगह से फटता चला गया... फिर राज ने

उसकी सॅटिन की ब्रा को एक झटके मे खींचा और उसका हुक टूट वो ब्रा

उसके हाथों मे आ गयी.. अब उसकी मा की बड़ी बड़ी चुचियाँ आज़ाद

थी...


अपनी मा की बड़ी बड़ी चुचियों को देख राज के मुँह मे पानी आ

गया.. उसने एक निपल को पकड़ अपनी ओर खींचा और उसे मुँह मे ले

चूसने लगा.. फिर उसे अपने मुँह मे अंदर की ओर खींचने लगा...

वासू की उत्तेजना अपने चरम सीमा पर थी उसने अपने आपको एक हाथ के

सहारे पर डाला और दूसरे हाथ को नीचे लेजाकार अपनी चूत की

पंखुड़ियों को मसल्ने लगीजहाँ राज का लंड उसकी चूत के अंदर बाहर

हो रहा था..


थोड़ी ही देर मे वासू का शरीर काँपने लगा.. वो जोरोंसे अपनी चूत

को मसल्ने लगी और तभी उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया,..राज ने अपनी

मा के शरीर को कानपता महसूस किया साथ ही उसका लंड चूत के रस

सा लबालब भीग गया.. उसने भी दो तीन ज़ोर के धक्के लगाए और

अपने वीर्य की बौछार अपनी मा की चूत मे कर दी..


राज ने अपना लंड बाहर निकाला तो वासू ने घड़ी की ओर देखा काफ़ी देर

हो चुकी थी और उसके कपड़े भी फटी हालत मे ज़मीन पर पड़े थे...


"बहुत बदमाश हो तुम देखो मेरे कपड़ों की क्या दुर्दशा की है..

तुम्हारे पापा आते ही होंगे ... मुझे तुरंत कपड़े बदल लेने

चाहिए.. " कहकर वासू किचन टेबल से नीचे उतरी और अपने फटे

हुए कपड़े उठा किचन से बाहर निकल गयी...


राज अपनी मा को किचन से बाहर जाते देख रहा था..उसके वीर्य की

की बूंदे अभी भी उसकी चूत से टपक रही थी.. वो अपनी मा के

पीछे पीछे उसके कमरे मे आ गया..


"अब तुम यहाँ क्या कर रहे हो?" वासू ने राज से पूछा.


"बस मैं तुम्हे कपड़े बदलते देखना चाहता हूँ" उसने पलंग पर

बैठ धीरे से कहा.. वासू ने अपने कपड़े उतारे और अपने बदन को

पौंच्छ कर काले रंग की टाइट पॅंट्स और उस पर एक लाल रंग का टॉप

पहन लिया.. तब तक राज अपनी मा को देख अपने लंड को मसल्ते

रहा..


"मम्मी आज तो पापा आपको इन कपड़ों मे देखकर तो दंग रह जाएँगे

और ज़रूर आपकी चूत की धुनाई कर के रख देंगे" राज ने कहा....


"हां और में रोकूंगी भी नही क्यों कि मेरी खुद की चूत मे अभी

भी आग लगी हुई है" वासू ने हंसते हुए कहा... और तुम्हे भी मुझे

नए कपड़े खरीद कर देने होंगे.. देखे किस तरह मेरे कपड़े फाड़ कर

रख दिए तुमने" वासू ने अपने बेटे से कहा.


"फिर तो हमे शॉपिंग के लिए जाना चाहिए" राज ने कहा..


"किसी दिन ज़रूर चलेंगे" वासू ने कहा.


तभी मैं दरवाज़ा खुलने की आवाज़ सुनाई पड़ी और राज उठ कर कमरे

से बाहर चला गया... पर बाहर जाने से पहले उसने अपनी मा के

होठों को ज़ोर से चूसा और अपनी जीब भी उसके मुँहे मे घुसा दी

थी..


उस रात जब प्रीति और राज टीवी देख रहे थे प्रीति ने राज से

पूछा, "क्या बात है आज बहुत खुश नज़र आ रहे हो?"
 
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