hotaks444
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सब लोग अपने अपने कमरे में सोने चले गए। सुहानी बेड पे लेटे। लेटे सोचने लगी ""आज पापा कितना खुश थे...आज वो मेरी अहमियत समज गए...लेकिन क्या वो मेरी कामयाबी से खुश थे या सिर्फ मेरे साथ अच्छा व्यव्हार करने का दिखावा कर रहे है ताकि वो मुझे चोद सके?? क्यू की उनकी आँखों में मैंने वासना देखि है...उनका वो छूना...मुझे गले लगाना और मेरी पीठ पे उनके घूमते गए हाथ...साफ़ साफ़ मुझे समझ आ रहा था...वो नार्मल नहीं था...लेकिन इसमे उनकी गलती नहीं है मैंने ही तो उनको अपना जिस्म दिखाया था...अब अगर वो मेरी तरफ सेक्सुअली अट्रैक्ट हो चुके है तो अब मुझे क्या करना चाहिए... मैं इतना क्यू सोच रही हु...मैं तो बस उनको ये साबित करना चाहती थी की मैं सिर्फ दिखने में अछि नहीं हु बाकी चीजो में मेरी बराबरी बहोत कम लोग कर पाते है...ये सब तो सही है ..पर अब आगे क्या?? क्या वो सच में मुझे चोदना चाहते है....पर क्यू?? मैं तो उनकी बेटी हु...समीर ने कहा था की ये सब होते रहता है...क्या सच में होता है...होता ही होगा...वरना उस दिन पापा क्यू मुझे खिड़की से देखते? और रोज भी बीएस मुझे घूरे जाते है...आज भी कैसे मेरी चुचियो को अपने सीने पे दबा रहे थे...देखते है क्या होता है अगर वो मर्यादा छोड़ के मुझे पाना चाहते है तो मैं भी पीछे नहीं हटूंगी...शायद इसी बहाने से मुझे उनका प्यार मिल जाय जिसके लिए मैं 23 सालो से तरस रही हु..."""
सुहानी को आज कुछ पल की ख़ुशी ने अँधा बना दिया था। और हो भी क्यू ना...जो लड़की 23 सालो से अपने पापा के प्यार के लिए तरस रही हो उसे वो और चाहिए था फिर वो वासनामय क्यू ना हो।
इधर अविनाश भी सोच में डूब था। उसे नींद नहीं आ रही थी। वो अपनी हरकत को लेके बहोत गिल्टी फील कर रहा था।
""उफ्फ्फ मैं वासना में बह कर कुछ जादा ही गलत हरकत कर बैठता हु...
पर क्या करू जब से उस दिन देखा है मेरी अंदर की सेक्स क8 भावनाय जो सो रही थी वो जाग गयी है...जब भी उसे देखता हु मुझे उसका जिस्म याद आ जाता है...और मैं भावनाओ को काबू नहीं कर पाता....नहीं...बिलकुल नहीं...माना की उस दिन उसे उस हालत में देख के मैं थोडा बहक गया था...पर मुझे मेरी गलती का अहसास आज हुआ है की वो सिर्फ एक ही चीज में कमजोर है बाकि की खुबिया उसमे कूट कूट के भरी हुई है...मैंने हमेशा उन चीजो को नजरअंदाज किया है...आज मेरे जानपहचान या रिश्तेदारो में सुहानी जैसा कोई नहीं है...वो होशियार है कामयाब है और वो कितनी सेक्सी है...उफ्फ्फ मेरी गाडी हमेशा उसके सेक्सी जिस्म पे आके क्यू रुक जाती है??""
अविनाश को समझ नहीं आ रहा था की आज सुहानी के लिए जो प्यार उसके मन में उमड़ रहा है दरअसल वो प्यार नहीं उसके लिए हवस है..बरसो से सेक्स के लिए तड़पते हुए इंसान का फ्रस्ट्रेशन है...
उसने नीता को देखा वो गहरी नींद में सो रही थी। वो उठा और सिगरेट लेके पीछे के दरवाजे से बाहर आया और सिगरेट पिने लगा। टहलते गए वो सुहानी के रूम के पास आया उसने देखा की खिड़की आज बंद थी वो थोडा आगे आया और देखने लगा..उसने खिड़की को धीरे से धकेला पर वो अंदर से बंद थी...सुहानी अपने ऑफिस का कुछ काम कर रही थी....उसे खिड़की के पास कुछ हलचल महसूस हुई तो उस तरफ देखने लगी...पहले तो उसे डर लगा...लें जब उसने थोडा पर्दा हटा के देखा तो वह कोई नहीं था...उसने थोडा ध्यान से देखा तो थोड़ी दुरी पर उसके पापा सिगरेट पि रहे थे...सुहानी समझ गयी की अविनाश खिड़की के पास आके अंदर झांकने की कोशिस कर रहे होंगे...ये सोच सुहानी की हंसी निकल गयी...
सुहानी:- ह्म्म्म लगता है आज भी पापा को लगा कुछ देखने मिल जायेगा इसलिए खिड़की के पास आकर देख रहे थे...
अविनाश उसके लिए दीवाना हो रहा था ये देख के सुहानी के मन में। एक अजीब सी सिरहन दौड़ गयी....और मुस्कुराते हुए अपने काम में लग गयी
अगले दिन से अविनाश का व्यवहार सुहानी के प्रति बहोत बदल गया था। वो सुहानी से बड़े प्यार से बाते करने लगा था...जब भी टीवी देखने बैठते या खाना खाने बैठते अविनाश सुहानी के पास ही बैठ जाता...उसे छूने के बहाने ढूंढता...और सबसे चुपके उसकी सेक्सी बॉडी का रसपान कर लेता....देखने वालो को जैसे की नीता और सोहन को लगता की ये एक बाप का अपनी बेटी के लिए प्यार है...पर सिर्फ सुहानी और अविनाश जानते थे की अविनाश सुहानी को लेके क्या सोचता है।
सुहानी अविनाश के छूने से रोमांचित हो उठती...जब सोफे पे टीवी देखते वक़्त अविनाश सुहानी के पास बैठता तो अपना हाथ उसके कंधे पे रख देता...और धीरे धीरे उसकी बाह को सहलाने लगता...अपनी जांघे उसकी जांघो से सटा देता....सुहानी जब भी अविनाश के करीब होती उसकी धड़कने बढ़ने लग जाती...और जब अविनाश कभी उसककी पीठ या गांड को छु लेता सुहानी की चूत गीली होने लग जाती...सुहानी ने कभी अविनाश का ऐसा छूने का विरोध नहीं किया पर अपनिन्तरफ से कोई इशारा भी नहीं दिया।
सोहन अविनाश का सुहानी के प्रति बदला हुआ व्यवहार देख के हैरान था। जैसा की होता है...पहले वो सोहन से जादा ककरीब थे...उसे लगता था की वो उससे जादा प्प्यार करते है लेकिन अब उसे सुहानी से जलन होने लगी थी और वो जादा ही गुस्सा करने लगा था...और जब भी वो सुहानी से बद्दतमिजिसे बात करता अविनाश उसे डांट देता जिससे वो और भी जादा गुस्सा करने लगा। अब उसे हर बात पे सुहानी का example मिलने लगा था। वो कोई भी गलती करता तो उसे मम्मी या पापा से ये सुनाने मिलता
की "कुछ सिख सुहानी से"
सुहानी भी उसे चिढ़ाने का एकक भी मौका अपने हाथ से नही जाने देती...क्यू की उसने सुहानी को हर्ट करने का एक भी मोका कभी नहीं छोड़ा था...सुहानी के दिल उसकी बातो से उसकी हरकतों से कई बार ठेस पहुंची थी।
एक दिन सुहानी ऐसेही शाम को घर की तरफ आ रही थी। वो एक जगह कही रुकी कुछ सामान लेना था। जब वो वापस आ रही थी तब उसे पूनम के चाचाजी मिल गए....सुहानी ने एक वाइट कलर का टाइट टॉप और ब्लू जीन्स पहन रखी थी। ठरकी चाचाजी का लंड सुहानी की चुचिया उस वाइट टॉप में देख ते ही खड़ा हो गया। वो उसे हवस भरी नजरो से देखने लगा। सुहानी ने जब देखा की चाचाजी उसकी चुचियो को घूर रहे है तो वो शरमा गयी...उन दोनों के बिच hi हेल्लो हुआ और फिर थोड़ी बातचीत क्करके दोनो अपने अपने रस्ते निकल गए।
सुहानी जब सोने के लिए अपने कमरे में आयी तो उसे चाचाजी की याद आयी....एयर वो सारी बाते जो उस दिन हुई थी...वो। बाते याद आते ही सुहानी की चूत में में चुबुलाहट् *होने लगी....और वैसे भी कई दिनों से उसने अपनी चूत में ऊँगली डाल के उसे शांत नहीं किया था। अविनाश के छूने से उनकी हरकतों से उसकी चूत गीली तो हो जाती थी मगर उसने कभी मुठ नहीं मारी थी। वो लेटे लेटे चूत को सहलाने लगी....वो चाचाजी के लंड को याद करकक्के चूत सहला रही थी मगर बार बार उसका ध्यान अविनाश की हरकतों पे चला जाता....और उसकी उत्तेजना कई गुना बढ़ जाती...वो खुद को रोकती...वो खिड़ से कहती की वो मत सोचो मगर उसका मन उसी और चला जाता....उतने में उसे याद आया की अविनाश सिगरेट पिने के लिए पीछे की और आये होंगे...उसने देखा तो उसे निराशा हुई...वो उठ के हॉल में गयी तो उसने देखा अविनाश किचन में था....कुछ ढूंढ रहा था...सुहानी किचन में गयी...
सुहानी:- पापा क्या हुआ?? क्या चाहिए??
अविनाश:- वो मेरा लाइटर ख़राब हो गया है...माचिस ढूंढ रहा था...
सुहानी ने आगे बढ़ के उसे माचिस दी...अविनाश ने माचिस ली और उसे एक नजर देखा और goodnight बोल के निकल गया।
सुहानी दौड़ के अपने कमरे में गयी और खिडक़ी का बेड की तरफ का हिस्सा थोडा खोल दिया और लाइट बंद कर के नाईट बल्ब शुरू कर दिया....नील रंग के नाईट बल्ब की रोशनी में सुहानी बेड पप लेट गयी और सोने का नाटक करने लगी...
सुहानी:-मन में...ये मैं क्या कर रही हु?? क्यू कर रही हु??क्या मेरा मन पापा से चुदवाने का करने लगा है...ओह मैं पागल हो जाउंगी....क्या हो गया है मुझे?? मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए...
तभी उसे खिड़की के पास कुछ आहात सुनाई दी....उसके पैर खिड़की को तरफ थे उसने थोड़ी आँखे खोल के देखा तो वह अँधेरे में कोई खड़ा दिखाई दिया...उसे पता चल गया की अविनाश ही है...वो चाट किबतर्फ मुह करके सीधे सोई हुई थी...ये सोच के की उसके पापा उसे खिड़की से देख रहे है उसकी साँसे तेज हो गयी थी....जिस्कि वजह से उसकी चुचिया उस टाइट टॉप में ऊपर निचे होने लगी...अविनाश उसे गौर से देख रहा था...नील रंग की रोशनी में सुहानी की रेड टॉप में उसकी बड़ी बड़ी चुचियो को ऊपर निचे होता देख उसके लंड में हरकत होने लगी थी...सुहानी की चूत भी नम होने लगी थी जिसका अहसास उसे हो रहा था...सुहानी ने करवट बदली और एक पैर आगे की और करके सो गयी....उसके पजामे में कासी हुई गांड को देख अविनाश का हाथ अपने आप ही लंड पे चला गया....सुहानी ने देखा की अविनाश अभी भी वाही खड़ा उसे देख रहा है....सुहानी की हालत अब और ख़राब होने लगी....वो अपने पापा को अपनी अदाएं दिखा रही थी...मन में एक अपराधिक। भावना थी पर फिर भी उसे मजा आ रहा था...क्यू की अविनाश मन भी तो अपनी बेटी के प्रति वासनामय हो गया था...और यही बात सुहानी को मजा दे रही थी....सुहानी अब थोडा हिल रही थी ...या यु कहो वो सिर्फ अपनी गांड को हिला रही थी किसी नागिन की तरह...अविनाश का लंड अब उफान पे था....
अविनाश:- अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् क्या गांड है उफ्फ्फ्फ्फ़ ऐसी कसी उभरी हुई और मांसल गांड पहले कभी नहीं देखि....काश उस दिन जैसे नंगी देखने मिल जाय एक बार फिर स्सस्सस्सस
अविनाश के सर पे हवस इस कदर हावी हो चुक्की थी की वो भूल गया था सुहानी उसकी बेटी है....और उसको गांड को देख के वो अपना लंड मसल रहा है....
अब सुहानी कोई हलचल नही कर रही थी....अविनाश को लगा की वो अब सो गयी है...तो उसने खिड़की को धकेला और अपनी रूम की और चला गया....
सुहानी को आज कुछ पल की ख़ुशी ने अँधा बना दिया था। और हो भी क्यू ना...जो लड़की 23 सालो से अपने पापा के प्यार के लिए तरस रही हो उसे वो और चाहिए था फिर वो वासनामय क्यू ना हो।
इधर अविनाश भी सोच में डूब था। उसे नींद नहीं आ रही थी। वो अपनी हरकत को लेके बहोत गिल्टी फील कर रहा था।
""उफ्फ्फ मैं वासना में बह कर कुछ जादा ही गलत हरकत कर बैठता हु...
पर क्या करू जब से उस दिन देखा है मेरी अंदर की सेक्स क8 भावनाय जो सो रही थी वो जाग गयी है...जब भी उसे देखता हु मुझे उसका जिस्म याद आ जाता है...और मैं भावनाओ को काबू नहीं कर पाता....नहीं...बिलकुल नहीं...माना की उस दिन उसे उस हालत में देख के मैं थोडा बहक गया था...पर मुझे मेरी गलती का अहसास आज हुआ है की वो सिर्फ एक ही चीज में कमजोर है बाकि की खुबिया उसमे कूट कूट के भरी हुई है...मैंने हमेशा उन चीजो को नजरअंदाज किया है...आज मेरे जानपहचान या रिश्तेदारो में सुहानी जैसा कोई नहीं है...वो होशियार है कामयाब है और वो कितनी सेक्सी है...उफ्फ्फ मेरी गाडी हमेशा उसके सेक्सी जिस्म पे आके क्यू रुक जाती है??""
अविनाश को समझ नहीं आ रहा था की आज सुहानी के लिए जो प्यार उसके मन में उमड़ रहा है दरअसल वो प्यार नहीं उसके लिए हवस है..बरसो से सेक्स के लिए तड़पते हुए इंसान का फ्रस्ट्रेशन है...
उसने नीता को देखा वो गहरी नींद में सो रही थी। वो उठा और सिगरेट लेके पीछे के दरवाजे से बाहर आया और सिगरेट पिने लगा। टहलते गए वो सुहानी के रूम के पास आया उसने देखा की खिड़की आज बंद थी वो थोडा आगे आया और देखने लगा..उसने खिड़की को धीरे से धकेला पर वो अंदर से बंद थी...सुहानी अपने ऑफिस का कुछ काम कर रही थी....उसे खिड़की के पास कुछ हलचल महसूस हुई तो उस तरफ देखने लगी...पहले तो उसे डर लगा...लें जब उसने थोडा पर्दा हटा के देखा तो वह कोई नहीं था...उसने थोडा ध्यान से देखा तो थोड़ी दुरी पर उसके पापा सिगरेट पि रहे थे...सुहानी समझ गयी की अविनाश खिड़की के पास आके अंदर झांकने की कोशिस कर रहे होंगे...ये सोच सुहानी की हंसी निकल गयी...
सुहानी:- ह्म्म्म लगता है आज भी पापा को लगा कुछ देखने मिल जायेगा इसलिए खिड़की के पास आकर देख रहे थे...
अविनाश उसके लिए दीवाना हो रहा था ये देख के सुहानी के मन में। एक अजीब सी सिरहन दौड़ गयी....और मुस्कुराते हुए अपने काम में लग गयी
अगले दिन से अविनाश का व्यवहार सुहानी के प्रति बहोत बदल गया था। वो सुहानी से बड़े प्यार से बाते करने लगा था...जब भी टीवी देखने बैठते या खाना खाने बैठते अविनाश सुहानी के पास ही बैठ जाता...उसे छूने के बहाने ढूंढता...और सबसे चुपके उसकी सेक्सी बॉडी का रसपान कर लेता....देखने वालो को जैसे की नीता और सोहन को लगता की ये एक बाप का अपनी बेटी के लिए प्यार है...पर सिर्फ सुहानी और अविनाश जानते थे की अविनाश सुहानी को लेके क्या सोचता है।
सुहानी अविनाश के छूने से रोमांचित हो उठती...जब सोफे पे टीवी देखते वक़्त अविनाश सुहानी के पास बैठता तो अपना हाथ उसके कंधे पे रख देता...और धीरे धीरे उसकी बाह को सहलाने लगता...अपनी जांघे उसकी जांघो से सटा देता....सुहानी जब भी अविनाश के करीब होती उसकी धड़कने बढ़ने लग जाती...और जब अविनाश कभी उसककी पीठ या गांड को छु लेता सुहानी की चूत गीली होने लग जाती...सुहानी ने कभी अविनाश का ऐसा छूने का विरोध नहीं किया पर अपनिन्तरफ से कोई इशारा भी नहीं दिया।
सोहन अविनाश का सुहानी के प्रति बदला हुआ व्यवहार देख के हैरान था। जैसा की होता है...पहले वो सोहन से जादा ककरीब थे...उसे लगता था की वो उससे जादा प्प्यार करते है लेकिन अब उसे सुहानी से जलन होने लगी थी और वो जादा ही गुस्सा करने लगा था...और जब भी वो सुहानी से बद्दतमिजिसे बात करता अविनाश उसे डांट देता जिससे वो और भी जादा गुस्सा करने लगा। अब उसे हर बात पे सुहानी का example मिलने लगा था। वो कोई भी गलती करता तो उसे मम्मी या पापा से ये सुनाने मिलता
की "कुछ सिख सुहानी से"
सुहानी भी उसे चिढ़ाने का एकक भी मौका अपने हाथ से नही जाने देती...क्यू की उसने सुहानी को हर्ट करने का एक भी मोका कभी नहीं छोड़ा था...सुहानी के दिल उसकी बातो से उसकी हरकतों से कई बार ठेस पहुंची थी।
एक दिन सुहानी ऐसेही शाम को घर की तरफ आ रही थी। वो एक जगह कही रुकी कुछ सामान लेना था। जब वो वापस आ रही थी तब उसे पूनम के चाचाजी मिल गए....सुहानी ने एक वाइट कलर का टाइट टॉप और ब्लू जीन्स पहन रखी थी। ठरकी चाचाजी का लंड सुहानी की चुचिया उस वाइट टॉप में देख ते ही खड़ा हो गया। वो उसे हवस भरी नजरो से देखने लगा। सुहानी ने जब देखा की चाचाजी उसकी चुचियो को घूर रहे है तो वो शरमा गयी...उन दोनों के बिच hi हेल्लो हुआ और फिर थोड़ी बातचीत क्करके दोनो अपने अपने रस्ते निकल गए।
सुहानी जब सोने के लिए अपने कमरे में आयी तो उसे चाचाजी की याद आयी....एयर वो सारी बाते जो उस दिन हुई थी...वो। बाते याद आते ही सुहानी की चूत में में चुबुलाहट् *होने लगी....और वैसे भी कई दिनों से उसने अपनी चूत में ऊँगली डाल के उसे शांत नहीं किया था। अविनाश के छूने से उनकी हरकतों से उसकी चूत गीली तो हो जाती थी मगर उसने कभी मुठ नहीं मारी थी। वो लेटे लेटे चूत को सहलाने लगी....वो चाचाजी के लंड को याद करकक्के चूत सहला रही थी मगर बार बार उसका ध्यान अविनाश की हरकतों पे चला जाता....और उसकी उत्तेजना कई गुना बढ़ जाती...वो खुद को रोकती...वो खिड़ से कहती की वो मत सोचो मगर उसका मन उसी और चला जाता....उतने में उसे याद आया की अविनाश सिगरेट पिने के लिए पीछे की और आये होंगे...उसने देखा तो उसे निराशा हुई...वो उठ के हॉल में गयी तो उसने देखा अविनाश किचन में था....कुछ ढूंढ रहा था...सुहानी किचन में गयी...
सुहानी:- पापा क्या हुआ?? क्या चाहिए??
अविनाश:- वो मेरा लाइटर ख़राब हो गया है...माचिस ढूंढ रहा था...
सुहानी ने आगे बढ़ के उसे माचिस दी...अविनाश ने माचिस ली और उसे एक नजर देखा और goodnight बोल के निकल गया।
सुहानी दौड़ के अपने कमरे में गयी और खिडक़ी का बेड की तरफ का हिस्सा थोडा खोल दिया और लाइट बंद कर के नाईट बल्ब शुरू कर दिया....नील रंग के नाईट बल्ब की रोशनी में सुहानी बेड पप लेट गयी और सोने का नाटक करने लगी...
सुहानी:-मन में...ये मैं क्या कर रही हु?? क्यू कर रही हु??क्या मेरा मन पापा से चुदवाने का करने लगा है...ओह मैं पागल हो जाउंगी....क्या हो गया है मुझे?? मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए...
तभी उसे खिड़की के पास कुछ आहात सुनाई दी....उसके पैर खिड़की को तरफ थे उसने थोड़ी आँखे खोल के देखा तो वह अँधेरे में कोई खड़ा दिखाई दिया...उसे पता चल गया की अविनाश ही है...वो चाट किबतर्फ मुह करके सीधे सोई हुई थी...ये सोच के की उसके पापा उसे खिड़की से देख रहे है उसकी साँसे तेज हो गयी थी....जिस्कि वजह से उसकी चुचिया उस टाइट टॉप में ऊपर निचे होने लगी...अविनाश उसे गौर से देख रहा था...नील रंग की रोशनी में सुहानी की रेड टॉप में उसकी बड़ी बड़ी चुचियो को ऊपर निचे होता देख उसके लंड में हरकत होने लगी थी...सुहानी की चूत भी नम होने लगी थी जिसका अहसास उसे हो रहा था...सुहानी ने करवट बदली और एक पैर आगे की और करके सो गयी....उसके पजामे में कासी हुई गांड को देख अविनाश का हाथ अपने आप ही लंड पे चला गया....सुहानी ने देखा की अविनाश अभी भी वाही खड़ा उसे देख रहा है....सुहानी की हालत अब और ख़राब होने लगी....वो अपने पापा को अपनी अदाएं दिखा रही थी...मन में एक अपराधिक। भावना थी पर फिर भी उसे मजा आ रहा था...क्यू की अविनाश मन भी तो अपनी बेटी के प्रति वासनामय हो गया था...और यही बात सुहानी को मजा दे रही थी....सुहानी अब थोडा हिल रही थी ...या यु कहो वो सिर्फ अपनी गांड को हिला रही थी किसी नागिन की तरह...अविनाश का लंड अब उफान पे था....
अविनाश:- अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् क्या गांड है उफ्फ्फ्फ्फ़ ऐसी कसी उभरी हुई और मांसल गांड पहले कभी नहीं देखि....काश उस दिन जैसे नंगी देखने मिल जाय एक बार फिर स्सस्सस्सस
अविनाश के सर पे हवस इस कदर हावी हो चुक्की थी की वो भूल गया था सुहानी उसकी बेटी है....और उसको गांड को देख के वो अपना लंड मसल रहा है....
अब सुहानी कोई हलचल नही कर रही थी....अविनाश को लगा की वो अब सो गयी है...तो उसने खिड़की को धकेला और अपनी रूम की और चला गया....