hotaks444
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वक़्त के हाथों मजबूर--11
कृष्णा भी अब राधिका के बिल्कुल करीब आ जाता है और उसके आँखों से बहते हुए आंसूओं को अपने हाथ से पोछता हैं.और झट से राधिका को अपने सीने से लगा लेता है.
कृष्णा- मैं सच में कितना गिरा हुआ इंसान हूँ ना राधिका. अपनी ही सग़ी बेहन के साथ मैने ऐसे कैसे सोच लिया.पर क्या करू ये ज़हर मुझे कुछ सोचने नही देती. मुझे ये भी पता नही चलता कि क्या सही हैं और क्या ग़लत.
और इतना बोलते बोलते कृष्णा के आँखों से भी आँसू छलक पड़ते हैं. वो भी फुट फुट कर रो पड़ता हैं. राधिका भी उसके आँखों से आँसू पोछती हैं और फिर उसे अपने सीने से लगा लेती हैं.
कृष्णा- राधिका अब मैं ये ज़हर को छोड़ना चाहता हूँ. मुझे तुम्हारा साथ चाहिए. बोलो दोगि ना मेरा साथ.
राधिका- भैया अगर जान भी माँग लेते तो भी मैं हॅस्कर दे देती. मैं वादा करती हूँ भैया हर रास्ते पर, हर सुख दुख में राधिका आपका साथ देगी.
इतना सुनकर कृष्णा, राधिका के माथे को चूम लेता हैं. और फिर उसके सीने पर सर रख कर उसके आगोश में लेट जाता हैं.
कृष्णा- मैं अपनी ज़िंदगी से बहुत थक गया हूँ राधिका. अब मैं भी इंसान बनना चाहता हूँ. अब मैं उस हरामी बिहारी की कभी गुलामी नही करूँगा. अपनी मेहनत से, और इज़्ज़त से कमाउन्गा और इस घर का पूरा खर्चा अब मेरी ज़िम्मेदारी होगी. तुझे आज के बाद मैं कोई भी दुख नही दे सकता.
राधिका-हां भैया मुझे ज़रा भी अच्छा नही लगता की आप उस बिहारी की गुलामी करो. यही ना कि हम अमीर नही हैं मुझे इस बात का कोई गम नही है ..........मैं इसी में खुस हूँ.
कृष्णा - राधिका सच में मुझे विश्वास नही होता कि तू मेरी बेहन हैं. काश तू मेरी बीवी होती तो मेरा जीवन सफल हो जाता. इतना कहकर कृष्णा मुस्कुरा देता हैं.
राधिका- क्या भैया आप भी ना, नही सुधरोगे, अगर मैं आपकी बीवी नही हूँ तो क्या हुआ अब मैं आपके लिए बीवी भी बनने को तैयार हूँ. लेकिन जब मैने अपने आप को आपके हवाले कर दिया तो आप पीछे क्यों हट गये. क्यों नशा उतार गया था क्या???
कृष्णा- मुझे रेप करना बिल्कुल अच्छा नही लगता.मैं नही चाहता कि तुम मज़बूरी में मेरे साथ सेक्स करो. मैं तो तुम्हें सिड्यूस करके पाना चाहता हूँ. देख लेना तुम बहुत जल्दी अपनी मर्ज़ी से अपने आप को मेरे हवाले करोगी. ये कृष्णा की ज़ुबान हैं..............
राधिका- ऐसा कभी नही होगा भैया. मैं आपसे कभी अपनी मर्ज़ी से सेक्स नही कर सकती. अगर जिस दिन ये बात सच हो गयी ना.............. फिर राधिका अपने आप को तुम्हारे कदमों में बिछा देगी..........................और अगर ऐसा नही हुआ तो जो मैं बोलूँगी वो आपको करना होगा.
कृष्णा- तो लग गयी शर्त. अगर तुम 2 हफ्ते के अंदर मेरे से खुद सेक्स करने को नही कहोगी तो जो तुम चाहो..............मगर मैं अगर शर्त जीत गया तो फिर.....................
राधिका- ठीक हैं भैया अगर आप शर्त जीत गये तो जो आपका दिल करे मुझसे करवा लेना. मैं आपको कभी किसी बात के लिए मना नही करूँगी.ये राधिका का वादा हैं..........................
कुछ देर में ऐसी बाते करते करते कृष्णा राधिका की गोद में ही सो जाता हैं और राधिका बहुत देर तक इसी उधेरबुन में फँसी रहती है कि उसने जो किया क्या वो सही था. .....................
फिर वो धीरे से कृष्णा को बेड पर सुला कर उसे कंबल से ढक देती हैं. और खाना बनाने किचन में चली जाती हैं.
कृष्णा भी अब राधिका के बिल्कुल करीब आ जाता है और उसके आँखों से बहते हुए आंसूओं को अपने हाथ से पोछता हैं.और झट से राधिका को अपने सीने से लगा लेता है.
कृष्णा- मैं सच में कितना गिरा हुआ इंसान हूँ ना राधिका. अपनी ही सग़ी बेहन के साथ मैने ऐसे कैसे सोच लिया.पर क्या करू ये ज़हर मुझे कुछ सोचने नही देती. मुझे ये भी पता नही चलता कि क्या सही हैं और क्या ग़लत.
और इतना बोलते बोलते कृष्णा के आँखों से भी आँसू छलक पड़ते हैं. वो भी फुट फुट कर रो पड़ता हैं. राधिका भी उसके आँखों से आँसू पोछती हैं और फिर उसे अपने सीने से लगा लेती हैं.
कृष्णा- राधिका अब मैं ये ज़हर को छोड़ना चाहता हूँ. मुझे तुम्हारा साथ चाहिए. बोलो दोगि ना मेरा साथ.
राधिका- भैया अगर जान भी माँग लेते तो भी मैं हॅस्कर दे देती. मैं वादा करती हूँ भैया हर रास्ते पर, हर सुख दुख में राधिका आपका साथ देगी.
इतना सुनकर कृष्णा, राधिका के माथे को चूम लेता हैं. और फिर उसके सीने पर सर रख कर उसके आगोश में लेट जाता हैं.
कृष्णा- मैं अपनी ज़िंदगी से बहुत थक गया हूँ राधिका. अब मैं भी इंसान बनना चाहता हूँ. अब मैं उस हरामी बिहारी की कभी गुलामी नही करूँगा. अपनी मेहनत से, और इज़्ज़त से कमाउन्गा और इस घर का पूरा खर्चा अब मेरी ज़िम्मेदारी होगी. तुझे आज के बाद मैं कोई भी दुख नही दे सकता.
राधिका-हां भैया मुझे ज़रा भी अच्छा नही लगता की आप उस बिहारी की गुलामी करो. यही ना कि हम अमीर नही हैं मुझे इस बात का कोई गम नही है ..........मैं इसी में खुस हूँ.
कृष्णा - राधिका सच में मुझे विश्वास नही होता कि तू मेरी बेहन हैं. काश तू मेरी बीवी होती तो मेरा जीवन सफल हो जाता. इतना कहकर कृष्णा मुस्कुरा देता हैं.
राधिका- क्या भैया आप भी ना, नही सुधरोगे, अगर मैं आपकी बीवी नही हूँ तो क्या हुआ अब मैं आपके लिए बीवी भी बनने को तैयार हूँ. लेकिन जब मैने अपने आप को आपके हवाले कर दिया तो आप पीछे क्यों हट गये. क्यों नशा उतार गया था क्या???
कृष्णा- मुझे रेप करना बिल्कुल अच्छा नही लगता.मैं नही चाहता कि तुम मज़बूरी में मेरे साथ सेक्स करो. मैं तो तुम्हें सिड्यूस करके पाना चाहता हूँ. देख लेना तुम बहुत जल्दी अपनी मर्ज़ी से अपने आप को मेरे हवाले करोगी. ये कृष्णा की ज़ुबान हैं..............
राधिका- ऐसा कभी नही होगा भैया. मैं आपसे कभी अपनी मर्ज़ी से सेक्स नही कर सकती. अगर जिस दिन ये बात सच हो गयी ना.............. फिर राधिका अपने आप को तुम्हारे कदमों में बिछा देगी..........................और अगर ऐसा नही हुआ तो जो मैं बोलूँगी वो आपको करना होगा.
कृष्णा- तो लग गयी शर्त. अगर तुम 2 हफ्ते के अंदर मेरे से खुद सेक्स करने को नही कहोगी तो जो तुम चाहो..............मगर मैं अगर शर्त जीत गया तो फिर.....................
राधिका- ठीक हैं भैया अगर आप शर्त जीत गये तो जो आपका दिल करे मुझसे करवा लेना. मैं आपको कभी किसी बात के लिए मना नही करूँगी.ये राधिका का वादा हैं..........................
कुछ देर में ऐसी बाते करते करते कृष्णा राधिका की गोद में ही सो जाता हैं और राधिका बहुत देर तक इसी उधेरबुन में फँसी रहती है कि उसने जो किया क्या वो सही था. .....................
फिर वो धीरे से कृष्णा को बेड पर सुला कर उसे कंबल से ढक देती हैं. और खाना बनाने किचन में चली जाती हैं.