Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर - SexBaba
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Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर

hotaks444

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वक़्त के हाथों मजबूर

दोस्तो आपके लिए एक और कहानी लेकर आ रहा हूँ ये भी काफ़ी लंबी कहानी होगी कहानी का थोड़ा सा आगाज़ कर रहा हूँ 
अगर आपको पसंद आए तो ज़रूर बताना 



कहते हैं कि वक़्त से बड़ी ताक़त इस दुनिया में और कोई नही हैं. वक़्त के आगे बड़ी से बड़ी चट्टान भी झुक जाती है तो इंसान क्या चीज़ हैं.जो इंसान अगर वक़्त की कद्र करता हैं वो ही इंसान दुनिया में अपना वजूद कायम रख पाता हैं. एक बार जो वक़्त निकल गया वो कभी वापस नही आता मगर कुछ नसीब वाले इंसानो को ही वक़्त और किस्मत दोनो मिलती हैं. और वो ही इंसान सफलता के बुलांदियों को छूते हैं. मगर कुछ ऐसे भी इंसान है जो वक़्त के हाथों मजबूर और कठपुतलती मात्र बनकर रह जाते हैं.ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ था. मैं भी वक़्त के हाथों एक खिलोना बनकर बस रह गया.
 
मैं एसीपी राहुल मल्होत्रा आज वक़्त का सताया हुआ एक इंसान जो वक़्त के हाथों एक खिलोना के सिवा और कुछ भी नही है. कहने को तो मैं एसीपी हूँ मगर आज मेरे पास सब कुछ होकर भी कुछ नही हैं. आज मेरे पास बंगला, गाड़ी , नौकर चाकर सब कुछ है जो एक संपन्न परिवार में होना चाहिए या उससे भी ज़्यादा .मगर आज ना ही मेरे पास मा है और ना ही बाप.ना कोई भाई ना कोई बेहन. मैं आज तन्हा हूँ बिल्कुल अकेला.ना कोई आगे ना कोई पीछे.बचपन में मेरे मा बाप की रोड आक्सिडेंट में डेत हो गयी थी. जब मैं मात्र 10 साल का था. अभी मैने इस दुनिया के बारे में जाना ही कहाँ था कि मेरी दुनिया ही उजाड़ गयी.

बचपन से ही मेरी लाइफ स्ट्रगल रही हैं. मेरे पिताजी कहा करते थे कि कभी किसी पर डिपेंड मत रहो और टाइम ईज़ मनी. मैने उनके ही आदर्शों पर चलकर आज खुद अपनी कड़ी लगन और मेहनत के बल पर आज अपने आप को इस काबिल बनाया है कि आज मेरी खुद एक हस्ती और वजूद हैं. मैने अपनी पढ़ाई कंप्लीट करने के बाद मुझे पोलीस की नौकरी मिली और मैने पोलीस की नौकरी जाय्न कर ली. मगर यहाँ भी मेरी बदक़िस्मती ने मेरा साथ नही छोड़ा मेरी ज़िंदगी में भी ख़ुसीयों के फूल खिले मगर वक़्त ने मुझसे वो खुशी भी छीन ली. जी हां मेरी खुशी, मेरा प्यार, मेरी तड़प, मेरी ज़िंदगी सब कुछ वो जिसने मुझे जीना सिखाया , प्यार क्या होता हैं बताया. मगर आज मेरे पास वो प्यार भी नही है. वक़्त ने मुझसे सब कुछ छीन लिया.आज मैं यही सोचता हूँ कि मैं ज़िंदा हूँ भी तो सिर्फ़ एक लाश बनकर रह गया हूँ. अब ना ही मेरे जीने की कोई वजह है ना ही कोई मंज़िल. एक मेरी मंज़िल थी आज वो भी नही है जी हां वो नाम जिसे मैं याद करके पल पल मरता हूँ, वो नाम जो मेरी रूह में मेरी हर साँस में आज भी ज़िंदा है वो नाम हैं राधिका शर्मा.

वो राधिका जिसे पाकर मुझे मंज़िल मिल गयी थी, मुझे जीने की वजह मिल गयी थी. मगर आज भी वो ज़िंदा हैं मेरी हर रोम रोम में, मेरे रागों में लहू बनकर . मेरी हर साँस में मेरी धड़कन में. मैं उसे कभी भुला नही सकता. खैर जो हुआ वो वक़्त तो वापस आ नही सकता .आज भी वो पल याद आते ही मेरी आँखो से आँसुओं का एक सैलाब उमड़ पड़ता है. बात तब की है .....................................................

19-सेप्ट-2008

आज के ही दिन मेरा अपायंटमेंट हुआ था. आज मैं बहुत खुस हूँ. मुझे मेरी कड़ी मेहनत और लगन की बदोलत आज अपने आप को इस काबिल बनाया कि आज अगर मेरे पिताजी ज़िंदा होते तो आज वो अपना सीना तान कर खड़े होते. मैने शपथ ली कि ना ही मैं अत्याचार सहूँगा और ना ही अत्याचार होने दूँगा. मैं अपनी नौकरी पूरी ईमानदारी और कर्तव्य से पूरा करूँगा. आज मुझे नौकरी करते लगभग एक साल हो चुका है. इतने दिनो में मैने कई टिपिकल केसस भी हॅंडल किए हैं. और बहुत से मुजरिमो को जैल की सलाखों के पीछे भी धकेला हैं. आज बड़े बड़े मुजरिम मेरे नाम से काँपते हैं. ऐसे ही मेरे दिन आराम से कट रहे थे कि एक दिन मैं ड्यूटी पर था और किसी काम से ऑफीस जा रहा था. रास्ते में मैने अपनी पोलीस जीप एक कॉलेज कॅंटीन के सामने खड़ी कर दी. और मेरा कॉन्स्टेबल वीर सिंग भी मेरे साथ था.हम दोनो उन ही हँसी मज़ाक कर रहे थे कि सामने से दो लड़की आती हुई दिखाई दी. कसम से कहता हूँ मैने आज तक ऐसी सुन्दर लड़की कभी नही देखी थी. गोरा रंग 5.4 इंच हाइट, बहुत सुंदर नयन, गुलाबी लिप्स, और फिगर तो फिल्म आक्ट्रेस भी उसके सामने फीकी पड़ जाए. और उसकी सहेली भी बिल्कुल वैसी ही थी. गोरा रंग लगभग सेम हाइट. ऑलमोस्ट सब सेम. पर चेहरा दोनो का बहुत मासूम था.

हम दोनो भी कॉलेज कॅंटीन के पास बैठे थे इतने में तीन बदमाश कॉलेज के मेन गेट से आते हुए दीखाई दिए. उनकी नज़र जब उन दोनो लड़की पर पड़ी तो उन तीनो के भी होश उड़ गये. एक गुंडा उनका लीडर था जग्गा. उसका काम ही था रोज रोज लड़ाई , मारा पीटी, छेड़ छाड़ कोई उससे पंगा भी नही लेता था. गंदी सूरत, काला जिस्म और मूह में पान चबाते हुए वो सामने के मैन गेट पर खड़ा हो गया और उन दोनो लड़कियों का इंतेज़ार करने लगा.

जग्गा- यार देख तो कसम से क्या चिड़िया है. साली पहले तो नही देखा इसको. लगता हैं नयी आई हैं. जो भी हैं कसम से पटका है.

इतना सुनते ही जाग्गा का दोस्त रामू बोल पड़ता हैं

रामू- अरे जग्गा भाई इस लड़की से पंगा मत लो यार.

जग्गा- क्यों बे कहीं की महारानी है क्या.

रामू- अरे महारानी से भी बढ़कर है यार .ये साली आटम बॉम्ब है. जब ये फटेगी तो तेरा भी पता नही चलेगा. याद हैं ना मनीष नाम का लड़का. अरे उसने इसे छेड़ने की ग़लती कर दी थी बस फिर क्या था साली ने उसका ऐसा बॅंड बजाया कि बेचारा इसको आँख उठा कर भी देखना तो दूर इसको दूर से देखते ही वो अपना रास्ता बदल देता हैं. और कभी संजोग से वो सामने आ जाए तो पूछ मत यार लगता है साला पॅंट में सू-सू कर देगा.

जग्गा- ऐसा क्या,! लगता है ये तो तीखी मिर्च हैं. और तू तो जानता है कि मुझे तीखी चीज़ कितनी पसंद हैं.

जग्गा का दूसरा दोस्त श्याम- हाँ यार रामू ठीक ही तो कह रहा है क्यों इस लड़की से बेवजह पंगा ले रहा हैं. तुझे छेड़ना ही है ना तू चल ना कोई और लड़की को छेड़ते हैं.
 
जग्गा- इतना सुनते ही जग्गा का परा गरम हो जाता हैं. और कहता है साले तुम दोनो इस लड़की से डर गये साले ना-मर्दो कहीं के. देख अब मैं कैसे अकेले ही इन दोनो को सबक सिखाता हूँ. तुम लोग बस तमाशा देखते जाओ. देखना आज जग्गा कैसे इन दो टके की लौंडिया को अपने नीचे लाता है.... इतना कहकर जग्गा उनकी तरफ चल पड़ता है. जग्गा को सामने से आता देखकर निशा घबरा जाती है और अपनी सहेली से कहती है.....

निशा- राधिका यार प्लीज़ चल ना कहीं और चलते हैं मेरा मन नही कर रहा है इस कॅंटीन में जा ने का.

राधिका- यार तू भी अजीब है इतने देर से कह रही है मुझे भूक लग रही है और अब कॅंटीन आ गया तो कह रही है कहीं और चलते हैं.

निशा- बात ये है ना कि वो गुंडा जग्गा देख हमारी ही तरफ आ रहा है. तू उसको नहीं जानती एक नंबर का लफंगा और बदमाश है. आए दिन हर लड़की को छेड़ता रहता हैं.

राधिका- बस इतनी सी बात है. तू भी इस दो टके के गुंडे से घबरा गयी. तू चिंता मत कर अगर वो हम से पंगा लेगा तो साला बहुत पिटेगा.

निशा- अरे तू नहीं जानती इस से कोई पंगा नही लेता. बहुत ख़तरनाक है ये. मैं तो कहती हूँ अगर ये कुछ बोले तो बस तू चुप चाप निकल जाना. बस कुछ बोलना नही .

तभी जग्गा उनके करीब आ जाता है................

जग्गा- क्यों री चिड़िया तेरा नाम क्या है.

राधिका- आपसे मतलब. आप कौन होते हैं पूछने वाले.

जग्गा- अरे ए साली ,ए तो हम से ही सवाल कर रही हैं. तू जानती नही हैं लड़की हम कौन हैं. नाम है जग्गा. नाम तो तुमने सुना ही होगा.

राधिका- क्यों कोई फिल्म आक्टर हो क्या जो तुम्हारा नाम सुना है. तुम जैसे दो टके के आदमी से हमे कोई बात नही करनी. जाओ अपना रास्ता नापो. इतना सुनते ही जग्गा का पारा गरम हो जाता है.

जग्गा- तू जानती नही हम को मैं इस एरिया दादा हू दुनिया सलाम करती है जो पूछ रहा हूँ चुपचाप बता दे नही तो.........और इतना बोलते ही जग्गा चुप हो जाता है,

राधिका- नही तो क्या............... क्या कर लोगे. राधिका गुस्से से उसको देखकर बोलती हैं.

जग्गा- तुझे यहीं बीच सड़क पर नंगा करके घुमाउन्गा. इतना सुनते ही निशा डर से सहम जाती हैं और राधिका को धीरे से बोलती हैं.

निशा- अरे राधिका क्यों बात को बढ़ा रही हैं. जाने दे ना ऐसे लोगों से हमे पंगा नही लेना चाहिए.

राधिका- ठीक है निशा इसको बोल दे कि ये मुझसे माफी माँग ले. मैं यही पर बात ख़तम कर देती हूँ. इतना सुनते ही जग्गा ज़ोर ज़ोर से हँसने लगता हैं.

जग्गा- माफी और वो भी इस छोरी से. अरे मेरी चिड़िया अगर तू मेरी बात मान ले तो मैं तुझे रानी बनाकर रखुगा. फिर तुझे कोई भी आँख उठा कर नही देखेगा.

निशा- देखिए प्लीज़ हमे जाने दीजिए. राधिका की तरफ से मैं आपसे माफी मांगती हूँ.

जग्गा- अरे मेरी चिड़िया तू क्या समझती है कि तेरे माफी माँगे से मैं तुम दोनो को जाने दे दूँगा क्या. अगर इसे मैं अपनी रानी बनाउन्गा तो तुझे अपनी रखैल........

राधिका- देखिया मिस्टर. जग्गा जी आप अपनी हद्द से आगे बढ़ रहे है. आप अपनी औकात में रहकर बात कीजिए. वरना अंजाम बुरा होगा.

जग्गा- अच्छा तो तू बताएगी मुझे मेरी औकात. देखता हूँ मैं भी तो कि तू मेरा क्या बिगाड़ लेगी.
 
इतना सुनते ही राधिका का चेहरा गुस्से से लाल हो जाता है और वो एक कॉल करती हैं. राधिका को कॉल करते देख कर जग्गा ज़ोर ज़ोर से हँसने लगता है और बोलता है.

जग्गा- लगता है अपने बाय्फ्रेंड को बुला रही है मुझको पिटवाने के लिए. ज़रा मैं भी तो देखूं कौन साला मर्द पैदा हो गया जो जागा को छू भी सके.

राधिका- फोन पर बात करते हुए - हेलो सर मुझे एक जग्गा नाम का आदमी परेशान कर रहा है और बहुत बतदमीज़ी से पेश आ रहा है. राधिका अब तक जो बातें होती है वो पूरी बात बता देती है और कुछ अपनी तरफ से भी नमक मिर्ची लगा कर जोड़ देती है.

उधेर से आवाज़ आती है क्या वो आदमी अभी भी आपके पास खड़ा है. राधिका हाँ में जवाब देती हैं. उधर से आवाज़ आती हैं ज़रा मेडम प्लीज़ फोन उसे दीजिएगा. मैं उससे ज़रा बात करता हूँ .

इतना सुनते ही राधिका उसको फोन थमा देती है......................................................

टू बी कंटिन्यूड.................................................................
 
वक़्त के हाथों मजबूर--5

अब आगे.....

मोनिका- तुम अब पूरे 32 साल के हो गये हो और इतनी ही चुदाई का शोक है तो क्यों नही कर लेते

शादी. अरे 3, 4 साल बाद तो कोई तुमको अपनी लड़की भी नही देगा. तुमसे कोई लड़की शादी भी नही करेगी.

विजय- हँसते हुए अरे मेरी रांड़ तो तू है ना अपनी

चूत देने के लिए. तू भी तो पूरे 30 साल की हो गयी

है और अब तो तू पूरी चीज़ बन गयी है.

मोनिका- रहने दो ज़्यादा मस्का मत लगाओ और जो

करना है वो जल्दी से कर लो. मुझे घर भी जाना

है.

विजय- तो चल जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार कर पूरी नंगी हो जा.आज तो मैं तेरी अच्छे से लूँगा.

मोनिका- ये भी कोई बात हुई क्या. जब देखो कपड़े निकालो. अरे क्या कोई ऐसे ही चुदाई करता है क्या.ज़रा धीरे धीरे मुझे अपनी बाहों में लेकर मुझसे कुछ बातें करो, फिर मेरे जिस्म से खेलो, थोड़ा मुझसे प्यार करो फिर देखना मैं ऐसी आग लगूंगी कि तुम भी क्या याद करोगे.

विजय- ऐसा क्या मेरी रंडी तो फिर मैं अभी आता

हूँ. आज तो तेरी चूत और गान्ड रगड़ रगड़ कर

चोदुन्गा.

इतना कहकर विजय दूसरे कमरे में चला जाता है और कुछ देर बाद उसके हाथ में एक इंजेक्षन

लेकर वापस मोनिका के पास आता है. मोनिका

इंजेक्षन को देखकर बोखला जाती है और विजय से

कहती है..

मोनिका- ये क्या कर रहे हो तुम. मुझे जिसका डर

था वही हुआ.

''दर-असल जो इंजेक्षन विजय के हाथ में था वो कोई

दवाई नही थी बल्कि ड्रग्स का इंजेक्षन था. विजय

ड्रग्स का अडिक्ट था. और वो ड्रग्स का भी बिज्निस चलाता था.''

विजय- बस एक बार मैं ये इंजेक्षन ले लू तो फिर

देखना आज मेरी तेरी चूत कैसे फाड़ता हूँ.

मोनिका- नही विजय ये तुम ठीक नही कर रहे हो.

ड्रग्स लेने के बाद तो तुम पूरे जानवर बन जाते हो.तुम्हें ये भी होश नही रहता है कि मुझपर क्या बीतती है. तुम बहुत ज़्यादा वाइल्ड हो जाते हो. मुझे तो तुमसे कभी कभी डर लगता है.

विजय- अरे मेरी रंडी तुझे तो वाइल्ड सेक्स बहुत

पसंद है ना. परेशान मत हो मैं तेरी आराम से मारूँगा. इतना कहकर विजय मोनिका के दोनो बूब्स को अपने हाथों में लेकर मसल देता है और मोनिका के मूह से ज़ोर से चीख निकल जाती है.

मोनिका- आआआ..................हह. प्लीज़

विजय मैं कहीं भागी तो नही जा रही ना ज़रा आराम से दबाओ ना.

विजय- एक हाथ से मोनिका के बूब्स दबाता है और

दूसरे हाथ में इंजेक्षन लेकर खड़ा रहता हैं.

विजय- चल आज तू ही लगा दे मुझे ये नसीला

इंजेक्षन. तू लगाए गी तो दर्द कम होगा.

मोनिका- प्लीज़ विजय क्यों नही तुम ड्रग्स को छोड़ देते हो. जानते हो ना ये कितना ख़तरनाक है.

विजय- अरे मेरी जान शराब और शबाब का नशा तो आदमी कभी भी नही छोड़ सकता. जिसको ये दोनो की आदत पड़ गयी वो इन दोनो का गुलाम बन जाता है.

और विजय मोनिका को इशारा करता है. मोनिका आकर उसे उसके हाथों में ड्रग्स का इंजेक्षन लगा देती है.

थोड़ी देर तक उसे कोई होश ही नही रहता फिर वो

धीरे धीरे होश में आने लगता है और मोनिका को अपने पास आने का इशारा करता है.

मोनिका- प्लीज़ विजय ज़रा आराम से करना. मुझे

बहुत डर लगता है जब तुम ड्रग्स लेकर मेरे साथ सेक्स करते हो तो.

विजय- विजय की आँखे एक दम लाल हो चुकी थी और

वो मोनिका के दोनो बूब्स को अपने हाथों में

एकदम ज़ोर से डाबा देता है और मोनिका के

मूह से एक दर्द भरी सिसकारी निकल जाती है.

विजय- कसम से तेरा बूब्स कितना मस्त है लगता है

इन्हें खा जाउ. साली पूरे 38 साइज़ के गोल गोल हैं.

फिर अपने दोनो हाथ बढ़ा कर मोनिका की साड़ी के उपर से ही उसके दोनो निपल्स को अपनी चुटकी में लेकर ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगता हैं.

मोनिका- प्लीज़ विजय होश में करो ना. मुझे आज तुम्हारी नियत कुछ ज़्यादा ही खराब लग रही है.सच में तुम्हें दर्द देने में पता नही क्या मज़ा मिलता है.

विजय- तू सही कह रही है जब तक औरत चीखती नही है मुझे ज़रा भी मज़ा नही आता. इतना कहकर विजय मोनिका की साड़ी का पल्लू को खींचने लगता है और कुछ देर में वो उसके जिस्म से अलग कर देता है..

मोनिका- क्या बात है आज कोई दूसरी आइटम तो नही मिल गयी ना तुझे जो तेरा लंड आज सोने का नाम ही नही ले रहा है. इतना कहकर मोनिका उसके लंड को अपने हाथ में पकड़ लेती है.

विजय- ज़्यादा बक बक मत कर समझी, नही तो जानती

है ना मैं तुझे कजिरि के पास भेज दूँगा फिर साली कोसते रहना ज़िंदगी भर अपने आप को .

मोनिका कजरी का नाम सुनते ही उसके रौन्ग्ते खड़े हो जाते हैं और एकदम से सहम जाती है............

मोनिका- देख विजय तू मुझे जान से मार दे मगर मुझे उसके पास भेजने की बात मत किया कर.

विजय- अरे तू इतना डरती क्यों है वो तेरी चूत की सारी

खुजली हमेशा हमेशा के लिए मिटा देगी. तुझे

भी तो एक साथ 8, 10 लंड लेने में मज़ा आएगा.

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(काजीरी एक एजेंट है जो प्रॉस्टिट्यूशन का धंधा चलाती है. और उसका मालिक और कोई नही बल्कि विजय है. काजीरी कस्टमर से बात करके वो लड़की सप्लाइ करती है और जो लड़की उसकी पास एक बार कदम

रख ले वो समझ लो इस दुनिया की सबसे बड़ी रंडी

बनकर रह जाती है. उसका हिसाब है जितना मोटा मालदार कस्टमर उतने ज़्यादा पैसा. चाहे

लड़कियों को उस पैसे के लिए कुछ भी क्यों ना

करना पड़े. उससे कोई फरक नही पड़ता. बस

हाथ में पैसा आना चाहिए. और बस लड़की ज़िंदा

वापस आनी चाहिए चाहे वो किसी भी हाल में

***************************************

मोनिका- नही विजय मैं तुम्हारे लिए सब कुछ

करूँगी पर प्लीज़ मुझे काजीरी के पास मत

भेजना.

विजय- आ गयी ना लाइन पर. चल अब मेरे सारे

कपड़े निकाल और जो सुरू से प्रोसेस होता है वो

शुरू कर वरना मुझे इंसान से हैवान बनने

में ज़्यादा देर नही लगती.

इतना सुनकर मोनिका उसके कपड़े एक एक करके

निकाल देती है. अब विजय मोनिका के सामने बिल्कुल नंगा खड़ा हो जाता है अब उसके जिस्म पर एक भी कपड़ा नही था.मोनिका उसको एक टक उसके लंड को देखते ही रहती है. उसको ऐसा देखकर विजय उससे कहता है.

विजय- क्यों मेरी रंडी ऐसे क्या देख रही है चल

आ जा इधेर.मोनिका इतना सुनकर विजय के पास चली जाती है. और विजय के पास जा कर खड़ी हो जाती है.

विजय- अब बस खड़ी ही रहेगी या मेरा लंड भी अपने मूह में लेगी. चल सबसे पहले तू मेरे पास आ जा मेरी बाहों में.

मोनिका विजय के एक दम करीब जा कर खड़ी हो जाती

है. और विजय ठीक उसके पीछे जाकर अपने दोनो

हाथ से उसके दोनो बूब्स को अपने दोनो हाथों में पकड़ कर बहुत ज़ोर से मसल देता है.

मोनिका- अऔच............ की सिसकी भरी आवाज़ उसके

मूह से निकल जाती है. कुछ देर तक विजय उसके बूब्स ब्लाउस के उपर से ही मसलता है और फिर अपनी दो उंगलियों से उसके दोनो निपल्स को मसलना सुरू कर देता है और धीरे धीरे उसके उंगलियों में दबाव बढ़ना शुरू हो जाता है और उधेर मोनिका के मूह से सिसकारी भी तेज़ होने लगती है. उसकी चूत एक दम गीली होने लगती है.

विजय- तेरी निपल्स कितनी मस्त है रे जी करता है इन्हे काट कर अपने पास रख लूं.

मोनिका- प्लीज़ ज़रा धीरे मस्लो ना बहुत दर्द

कर रहा है.

विजय- साली नीचे तेरी चूत ज़रूर गीली होगी और

कुतिया कह रही है कि दर्द हो रहा है.

विजय अपना एक हाथ सीधा मोनिका की चूत पर रख देता है और कस कर मसल देता है. विजय- अरे ये तो पूरी गीली है. चल अब अपने ब्लाउस और

पेटिकोट निकाल.

मोनिका भी चुप चाप अपना हाथ बढ़ाकर अपने

ब्लाउस का बटन खोलने लगती है और धीरे

धीरे करके एक एक बटन खोल देती है और नीचे हाथ लेजा कर अपनी पेटिकोट का नाडा धीरे से सरका देती है. उसका पेटिकोट नीचे ज़मीन पर गिर जाता है. अब मोनिका सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में विजय के सामने खड़ी रहती है.

विजय- अब मेरा मूह क्या देख रही है चल जल्दी से आकर मेरा लंड चूस ना. मोनिका धीरे धीरे विजय के पास आती है और झुक कर नीचे ज़मीन पर बैठ जाती है. उसको नीचे बैठता हुआ देखकर

विजय- ऐसे नही मेरी जान चल तू मेरे बेडरूम

में.

मोनिका भी कुछ बोलती नही और विजय के पीछे

पीछे उसके बेडरूम में चली जाती है..........

विजय- मुस्कुराते हुए तो चल बेड पर पीठ के बल

लेट जा और अपनी गर्देन बेड से नीचे झूला ले. मैं

आज ये पूरा लंड तेरे हलक में डालना चाहता

हूँ.

मोनिका भी चुप चाप आकर बेड पर लेट जाती है और अपनी गर्दन बेड के नीचे झुका लेती है. थोड़ी देर बाद विजय उसके मूह के नज़दीक आता है और उसके सिर को अपने हाथों से पकड़ लेता है और कहता है इस लिए तो तू मेरी पर्सनल रंडी है. जो मैं चाहता हूँ वो बस तू ही दे सकती हीं. इतना कहकर दोनो मुस्कुरा देते हैं.

अब विजय अपना पूरा लंड धीरे धीरे मोनिका के

मूह में डालना सुरू करता है. जैसे जैसे उसके

लंड पर प्रेशर बनता है मोनिका की साँस फूलना सुरू हो जाती है और लंड धीरे धीरे मोनिका के मूह में घुसता चला जाता है.

मोनिका अब तक पूरा 5 इंच लंड अपने मूह में ले चुकी थी और अब उसकी साँसे तेज़ होने लगी ही. इधेर विजय एक बार फिर पूरा लंड उसी पोज़िशन में बाहर निकालता है और फिर तेज़ी से अंदर की ओर धकेलने लगता है. मोनिका की आँखें बाहर को आने लगती है.

मोनिका का दम घुटने लगता है मगर वो अपनी

आँखों के इशारे से विजय को मना नही करती और

फिर विजय इस बार एक झटके में अपना लंड बाहर

खीच लेता है और उतनी ही तेज़ी से अंदर को धकेल

देता है. बस फिर क्या था मोनिका की आँखो से

आँसुओ का सैलाब बहने लगता है और उसके मूह से गूओ...........गूऊऊऊओ की आवाज़ें

निकलने लगती है.

तकरीबन 10 सेकेंड तक विजय अपना लंड मोनिका

के हलक के नीचे पहुँचाने में कामयाब हो जाता है और उधेर मोनिका की बेचैनी बढ़ने लगती है ऐसा लगता है कि उसका दम घुटने से वो मर जाएगी.
 
वक़्त के हाथों मजबूर--6

कुछ देर तक उसी पोज़ीशन में रहने के

बाद विजय अपना पूरा लंड बाहर निकाल लेता है. जैसे ही विजय का लंड बाहर आता है मोनिका ज़ोर से

खांसने लगती है और उसके मूह से लेकर लंड तक

एक डोर की तरह थूक की लाइन नज़र आती है.

फिर देर ना करते हुए विजय एक बार फिर अपना लंड

पूरा मोनिका के हलक में डाल देता है और उसी

पोज़िशन में कुछ देर रहने देता है . पहले के

मुक़ाबले इस बार मोनिका को ज़्यादा तकलीफ़ नही होती

और कुछ देर में विजय का शरीर अकड़ने लगता

है और वो मोनिका के सिर को पकड़ के तेज़ी से लंड आगे पीछे करने लगता है .

कुछ ही मिनिट्स में उसका वीर्य पूरा मोनिका के हलक के नीचे उतर जाता है और वो मोनिका को ना चाहते हुए भी उसे पूरा अपने पेट में लेना पड़ता है.

विजय- सुन रांड़!! मेरा वीर्य बड़ा कीमती है पूरा पी जाना एक भी बूँद नीचे नही गिरना चाहिए वरना तू जानती है ना .......और विजय हँसने लगता है..

विजय- अरे क्या हुआ तू तो इतनी जल्दी ठंडी पड़ गयी .

अभी तो ये मेरा पहली बार निकला है चल अभी तो

मुझे तेरी चूत और गान्ड की कुटाई भी तो करनी है.

चल दुबारा इसमें जान डाल दे.

मोनिका- बस करो विजय क्या हुआ है तुम्हें ऐसा

जंगली पन मे मैने आज तक तुम्हें कभी नही देखा. मुझे नही चुदवाना तुमसे मैं अपने घर जा रही हूँ. और मोनिका की आँख में आँसू आ जाते हैं. उसको रोता हुआ देखकर विजय भी थोड़ा ठंडा पड़ जाता है.

विजय- आइ अम सॉरी जान पता नही मुझे आज क्या हो

गया था. मैं खुद हैरान हूँ. और वो कैसे

भी करके मोनिका को दुबारा मना लेता है.

लेकिन विजय आज अच्छी तरह से जनता था कि उसके वाइल्ड

सेक्स के पीछे क्या कारण है. क्यों वो आज इतना

जंगली बन गया था. बस राधिका ही वो वजह थी जो उसके जेहन में जो वो चाह कर भी उसे नही भुला पा रहा था. और वो ये सोच रहा था कि राधिका ने उसपर ऐसा क्या जादू कर डाला है .

मोनिका- विजय मैने तुमसे कहा था ना कि जब तुम

ड्रग्स लेते हो तो मुझे तुमसे सेक्स करना बिल्कुल भी

पसंद नही है.

विजय- मोनिका को प्यार से गले लगाते हुए. मेरी

जान मैं क्या करू ये ड्रग्स मेरे रोम रोम में समा चुका है. मैने कितनी बार तुम्हारे कहने पर इसे छोड़ने की कोशिस की है मगर मैं इसे नही छोड़ पाया. जब तक दिन में एक बार मैं नही लेता लगता हैं जैसे मैं पागल हो जाउन्गा .

मोनिका- मैं समझ सकती हूँ विजय पर फिर फिर

तुम्हें ये ज़हर छोड़ ना होगा.

विजय- मोनिका प्लीज़ यार मुझे तेरी चूत मारने का बहुत मन कर रहा है.

मोनिका- तो मार लो ना मैने कब रोका है मगर

प्यार से करोगे तो जैसे कहोगे वैसे दूँगी.

विजय- अपने ब्रा और पैंटी तो निकाल दे ना कब तक

मुझसे छुपाटी फ़िरेगी.

इतना सुनकर मोनिका अपना हाथ पीछे लेजा कर ब्रा

का हुक खोल देती है और फिर धीरे से पैंटी भी

सरका देती है. अब उसके जिस्म पर एक भी कपड़ा नही था.

विजय- चल ना एक बार मेरे पीछे से होकर पूरा

लंड चाट ले. कसम से बहुत मज़ा आता है फिर मैं तेरी भी चाटूँगा.

मोनिका- तुम नही सुधेरोगे लेकिन मुझे तुम्हारी

गान्ड चाटने में बहुत घिंन आती है.

विजय- लेकिन जान उससे मेरे लंड में जान भी तो आ जाती है.

मोनिका- चलो बहुत बातें बनाते हो. घूम

जाओ . इतना कहकर मोनिका उसकी गान्ड को चाटना सुरू करती है.

मोनिका को बार बार उबकाई जैसा आने लगता है पर विजय की वजह से वो चुप चाप उसकी गान्ड को

चाटती है और थोड़ी देर में विजय का लंड भी

खड़ा हो जाता है.

विजय- वाह मेरी रानी तू तो कमाल का चुसती है. चल अपने पैर फैला कर लेट जा. और विजय उसकी चूत के एक दम नज़दीक आता है और जैसे ही जीभ उसकी चूत के होल पर रखता है मोनिका को एक तेज़ करेंट जैसे लगता है. वो इतनी मदहोश हो जाती है और अपने दोनो आँख बंद कर लेती है . और कुछ देर में मोनिका के मूह से तेज़ सिसकारी निकलने लगती है. इतनी देर की चूत चुसाइ में मोनिका झरने के बहुत करीब होती है मगर विजय उसको अपनी बाहों में उठा लेता है और खुद नीचे बेड पर लेट जाता है और मोनिका को आपने उपर आने को कहता है.

मोनिका भी उसी पोज़िशन में आ जाती है और फिर शुरू होता है मोनिका की चूत की कुटाई का सिलसिला. विजय एक ही बार में पूरा लंड मोनिका की चूत में डाल देता है. और करीब 10 मिनिट तक उसी पोज़ीशन में चोदने के बाद अपना लंड मोनिका की चूत से निकाल कर उसके गान्ड पर रख देता है और धीरे धीरे अपने लंड पर प्रेशर बनाने लगता है. मोनिका अऔच..................की ज़ोर से आवाज़ करती है और विजय धीरे धीरे अपना लंड पूरा मोनिका की गान्ड में डालने लगता है.
 
थोड़ी देर की तकलीफ़ के बाद मोनिका खुद ही उछल

उछल कर विजय से अपनी गान्ड मरवाती है और करीब 15 मिनिट की चुदाई के बाद विजय का पानी मोनिका की गंद में निकल जाता है. और साथ साथ मोनिका भी झाड़ जाती है.और इसी बीच जब विजय का पानी निकलता है तो विजय भी ज़ोर ज़ोर से चीखने लगता है और उसके मूह से अचानक निकल पड़ता है ओह ...........राधिका..............................??????

मोनिका भी हैरत से विजय को देखने लगती है और फिर ना चाहते हुए भी उसका शक बढ़ता जाता है.

उधेर विजय भी चुप चाप अपने कपड़े पहन लेता है और मोनिका से नज़रें नही मिला पाता.

मोनिका- ये राधिका कौन है विजय. मोनिका ये

सवाल उससे पूछेगी विजय ने कभी सोचा भी नही था और वो एक दम से हड़बड़ा जाता है .

मोनिका भी उसकी ओर हैरत से देखती है लगता है

जैसे विजय उससे कुछ छुपा रहा है या क्या कोई राज़ है . अगर इसमें कोई राज़ है तो क्या है वो राज़................

मोनिका को शक भारी नज़रो से देख कर एक बार

तो विजय भी मन में घबरा जाता है .तभी जल्दी से आपने आप को संभालते हुए कहता है

विजय- कौन राधिका ???? मैं किसी राधिका को नही

जानता.

मोनिका- तुम मुझे बुद्धू समझते हो क्या . क्या

मतलब है नही जानते . अगर नही जानते तो फिर राधिका शब्द तुम्हारी ज़ुबान पर कैसे आया. मोनिका थोड़ी गुस्से से विजय को देखकर बोली.

विजय- कसम से जान मैं किसी राधिका को नही

जानता. अगर ऐसी कोई बात होती तो मैं तुमसे आख़िर

क्यों छुपाता. विजय ने भी अपनी बात को ज़ोर देते हुए

कहा.

मोनिका- तुम मुझसे कुछ छुपा रहे हो सच सच बता दो वरना अच्छा नही होगा.

विजय- नही मोनिका सच कह रहा हूँ मैं किसी

राधिका को नही जानता. वो तो बस मैं आज सुबह

राहुल के पास गया था तो मुझे राहुल के साथ

राधिका नाम की लड़की मिली थी बस तभी से ..........

मोनिका- अगर ये बात सच है तो फिर ठीक है . अगर

ये बात झूठी निकली तो समझ लेना मैं सीधा

राहुल के पास जाकर तुम्हारी पूरी करतूत उसको बक

दूँगी. उसके बाद तुम समझ लेना राहुल तुम्हारे

साथ क्या करेगा.

विजय- हे जान आर यू सीरीयस. जैसे तुम समझ

रही हो ऐसा कुछ भी नही है. इतना कहकर विजय झट से अपने रूम से बाहर निकल जाता है और मोनिका को हज़ारों सवाल सोचने पर मज़बूर कर देता है.

मोनिका - हो ना हो दाल में कुछ काला ज़रूर है.

मैं जानती हूँ विजय किस हद तक कमीना है. वो

कुछ भी कर सकता है उसका कोई भरोसा नही है

पर इसके पीछे वजह क्या हो सकती है . मोनिका

बहुत देर तक सोचती है पर उसे कुछ नही समझ आता है और वो भी रूम से बाहर अपने घर की ओर चली जाती है.

++++++++++++++........................+++++++++++++

दूसरे दिन

राधिका अपने घर से तैयार होकर बाहर निकलती

है कॉलेज के लिए तभी निशा का फोन आता है.

वो फोन रिसेव करती है

निशा- अरे मेडम कहाँ पर हो तुम मैं कब से

फोन लगा रही हूँ और तुम रिसेव क्यों नही

कर रही हो.

राधिका- यार तेरा कब कॉल आया था.

निशा- अरे 1/2 घंटा पहले ही तो ट्राइ कर रही थी.

तूने एक भी बार फोन रिसेव नही किया.

तभी उसको याद आता है कि वो उस वक़्त बाथरूम

में थी.

राधिका- ओह सॉरी जान मैं नहा रही थी. बता

कैसे फोन किया.

निशा- तू इस वक़्त कहाँ पर है. मुझे तुझसे एक

ज़रूरी बात करनी है.

राधिका- मैं अभी घर से ही निकली हूँ एक

काम कर मेरे चॉक पर आ जा.

निशा- ठीक है मैं थोड़ी देर में आती हूँ.

राधिका भी जल्दी से उसी जगह जाने के लिए मुड़ती है

तभी वो कुछ ऐसा देखती है की उसके बदते कदम वही पर रुक जाते हैं.

सामने एक अँधा भिकारी बड़े गौर से राधिका को देख रहा था. जब राधिका की नज़र उस पर पड़ती है तो वो अँधा भिकारी इधेर उधेर देखने लगता है. बस फिर क्या था राधिका उसके पास पहुँचती है .

भिकारी- अंधे को कुछ पैसे दे दे बेटी.

राधिका- बेटी!!!! राधिका मन में सोचती है इसको कैसे पता कि मैं लड़की हूँ अभी तो मैने इससे कुछ भी बात तक नही की. इसका मतलब साला आँधा बनने का नाटक कर रहा है. अभी मज़ा चखाती हूँ.

भिकारी- बेटी कुछ पैसे दे दे दो दिन से भूका

हूँ.

राधिका- बाबा तुम्हें कैसे पता चला कि मैं

लड़की हूँ और मैने तो तुमसे कोई बात भी नही की

है फिर कैसे................

भिकारी- इतना सुनते ही एक वो एकदम से घबरा जाता है और अपने आप को सम्हालते हुए कहता है वो बेटी बस मन की आँखों से देख लिया...

राधिका- ऐसा !!! तो आपका मन की आँखे तो

बहुत स्ट्रॉंग है. तो आप सब कुछ देख सकते हैं

तो फिर भीक क्यों माँगते हो.

बाबा- नही बेटा हर चीज़ मैं मन की आँखों

से नही देख सकता. बस एहसास कर लेता हूँ.

राधिका- कमीना कहीं का अभी देखती हूँ तेरी

मन की आँखें कितनी तेज़ है. राधिका मॅन में

सोचते हुए बोली.

राधिका थोड़े उसके करीब आती है और अपना

दुपट्टा अपने सीने से हटा देती है और अपने हाथ में रख लेती है. फिर उसके सामने अपनी कुरती का एक बटन धीरे से खोल देती है. और राधिका के बूब्स का क्लीवेज सॉफ दिखाई देने लगता है.

राधिका गौर से भिकारी के चेहरे के एक्सप्रेशन

को पढ़ने की कोशिश करती है. अक्टोबर का महीने

में कोई ख़ास ना सर्दी पड़ती ना ज़्यादा गर्मी फिर भी उस भिकारी के चेहरे पर पसीने की कुछ बूंदे दिखाई देती हैं. अब उसको पूरी बात क्लियर हो जाती है कि वो अँधा नही है. राधिका तो अभी पूरे कपड़ों में कितनो पर बिजली गिरा सकती है . और उपर से उसने अपने हल्के बूब्स के दर्शन करा दिए तो उस भिकारी पर क्या गुज़रे गी भला.

राधिका- बाबा आप कब से अंधे हैं.

भिकारी- एक दम से घबरा जाता है और तोतला कर

बेटा है वो..........मैं.. मैं.... बच.....पा...न से......

राधिका को इस तरह से उस भिकारी के पास बैठा

देख कर आस पास के लोग भी अब राधिका को गौर से देखने लगते हैं और कुछ आदमी तो वही पर

खड़े होकर दूर से तमाशा देखते हैं.

तभी राधिका आसमान की ओर देखकर ज़ोर से बोलती

है -- अरे ये क्या है आसमान में लगता है कोई

बाहरी ग्रह के एलीयेन्स हमारी धरती पर उतर रहे

हैं.

भिकारी तो कुछ पल के लिए ये भी भूल जाता है वो

अँधा है और वो भी आसमान की तरफ देखने लगता है. पर उसको तो कुछ दिखाई नही देता. हो गा तब तो कुछ दिखेगा ना.

वो ग़लती करने के बाद भिकारी के मूह से अचानक निकल पड़ता है- कहाँ है वो एलीयेन्स वाला जहाज़. बस फिर क्या आस पास के लोग भी समझ जाते हैं और जो पिटाई उस भिकारी की होती है बेचारा उल्टे पाँव भाग खड़ा होता है.

राधिका- छी..... ना जाने कैसे कैसे लोग है इस

धरती पर. और राधिका गुस्से से मूड कर अपने

रास्ते चल देती है.

निशा- अरे महारानी अब क्या हुआ क्यों तुम्हारा

मूड अपसेट है. और यहाँ पर इतनी भीड़ क्यों जमा है. कोई आक्सिडेंट तो नही हो गया ना किसी का ...

राधिका उसे पूरा बात बता देती है

निशा- हा..हा. हहा ..हहा .हः... ओह माइ गॉड ......हा

हा प्लीज़ राधिका मेरी तो हँसी नही रुक रही. हा

हाहाहा ....

राधिका- तुझे हँसी आ रही है और मेरा खून

खोल रहा है. साला मेरे हाथों से बच गया. अगर हाथ आया होता तो साले की सचमुच आँखें निकाल लेती.

निशा- यार तू हर वक़्त पंगा क्यों लेती रहती है .क्या तूने समाज सुधारने का ठेका ले रखा है

क्या .इतना कहकर निशा फिर से हँसने लगती है.

राधिका- चल ना यार सब लोग हमे ही देख रहे हैं.

निशा- अरे ऐसे ऐसे काम करेगी तो सब लोग

तुझे ही तो देखेंगे ना. इतना कहकर निशा राधिका

को लेकर चली जाती है.
 
वक़्त के हाथों मजबूर--7

अब आगे........................................

राधिका- निशा हम जा कहाँ रहे हैं.

निशा- तुझसे एक बहुत ज़रूरी बात करनी है. इस लिए चल किसी गार्डेन या ऐसी जगह चलते हैं जहाँ

भीड़ कम हो. और निशा राधिका को एक गार्डेन

में ले कर जाती है.

राधिका- अब बता ना निशा क्या बात है जिसकी वजह

से तू इतनी सुबह मेरे पास फोन की थी. क्या कोई

सीरीयस मॅटर है क्या.??

निशा- यार बात तो कुछ ऐसी ही है पर मुझे

समझ में नही आ रहा कि कहाँ से शुरू

करू.निशा थोड़ी परेशान होते हुए बोली.

राधिका- यार बता ना ऐसी कौन सी बात है जो तू इतनी परेशान हो रही है.

निशा- यार जो मैं बात तुझसे कहने वाली हूँ

प्लीज़ मेरे बात का बुरा मत मानना.

राधिका- बुरा क्यों मानूँगी अरे इस दुनिया में एक तू ही तो है जिसे में अपने दिल की सारी बात बताती

हूँ. अब बोल ना.

निशा- यार कल जब मैं 3 बजे के करीब मार्केट जा रही थी तब मैने कृष्णा भैया को देखा.

राधिका- हः हा हा !! तू भी ना अरे मेरे भैया को देख लिया तो हैरानी की क्या बात है.

निशा- दर-असल मैने कृष्णा भैया को एक लड़की के साथ देखा था. और तुम्हारे भैया नशे में फुल थे. और वो औरत उसे सहारा दिए कहीं पर ले जा रही थी.

इतना सुनते ही राधिका के चेहरे का रंग उड़ जाता है और वो भी किसी सोच में डूब जाती है.

निशा- राधिका मेरी बात का तुम्हें बुरा तो नही

लगा ना. पर आइ आम 100% शुवर वो कृष्णा भैया ही

थे.

अब राधिका उसे वो बात बताने का फ़ैसला कर

चुकी थी जिसको वो सब से छुपाती थी. अपनी ज़िंदगी

का काला पन्ना अब वो निशा को बताना चाहती थी और उसे यकीन था कि सारी बातें , एक एक अल्फ़ाज़ किसी बम के धमाके जितनी बड़ी होगी.

राधिका- निशा मेरी बात ध्यान से सुनो. ये काला

पन्ना मैने आज तक किसी के सामने कभी नही

खोला है. पर मैं तुमसे उमीद करूँगी कि तुम ये बात किसी को भी ना बताओ. फिर राधिका कहना सुरू करती हैं....................

मैं जब 12 साल की थी तभी मेरी मा की डेत हो गयी थी. ये बात तुम भी जानती हो मगर कैसे?? ये तुम्हें नही पता.जब मैं छोटी थी तब मेरा बाप शुरू से ही कोई काम धंधा नही करता था. उसको बस मुफ़्त की रोटी चाहिए था. उसका रोज़ का काम था सुबह घर से निकलता और दिन भर आवारा आदमियों के साथ ताश, सिग्रेट, पान, और शराब पीता रहता था. और शाम को नशे की हालत में घर आता तो मा को मारता पीटता था. मा भी एक लिमिट तक उसके ज़ुल्म सहती रही फिर

आख़िर उसे कहना ही पड़ा. शरम करो दिन रात

इधेर उधेर घूमते रहते हो कोई काम धंधा तो

करते नही और जो मैं सिलाई बिनाई करके कुछ पैसे

जमा करती हूँ वो भी तुम दारू और जुवे में

उड़ा देते हो. इतना सुनते ही मेरे बाप ने मेरी मा को बहुत पिटा.और अब तो उसका रोज़ का रुटीन बन गया था. दिन ऐसे ही बीतते गये कृष्णा भैया का भी स्कूल से नाम कट गया. क्यों कि उसकी फीस 6 मंत्स से जमा नही हुई थी. मा को सबसे ज़्यादा मेरी परेशानी थी. उसे मालूम था कि इस शराबी का क्या भरोसा कहीं शराब की खातिर अपनी बेटी को बाज़ार में ना बेच दे.और शायद कुछ ऐसा ही होता अगर मा गाओं जाकर वहाँ की पूरी प्रॉपर्टी करीब 25 लाख की ज़मीन को बेचकर मेरा नाम से कयि सारी पॉलिसी और कुछ मेरे लिए इन्षुरेन्स और फंड्स जमा करा दिया जो कि मैं बड़ी होकर मेरी पढ़ाई पूरी हो सके और मेरी शादी में भी कोई रुकावट ना आए. बस जब मैं 12 साल की हुई तो एक दिन मेरे बाप को

ये बात मालूम चल गयी . फिर क्या था वो उसे हर

दिन सताता और रोज़ दबाव डालता कि वो पैसे उसके

नाम कर दे. और मेरी मा को अब बर्दास्त के

बाहर हो गया और वो खुद कुसि कर ली. कृष्णा भी उस समय पूरा जवान था करीब 18 का . वो भी धीरे धीरे बाप के दिखाए रास्ते

पर चल पड़ा. वो भी शराब सिगरेट, पान सब

नशा करने लगा. मैने उसको कई बार समझाया

पर वो मेरी बात नही माना. हाँ इतना तो है कि मेरे बाप ने मेरी मा के साथ बहुत ग़लत किया. पर जब से मा मरी तब से आज तक मेरे बाप ने मुझसे उँची आवाज़ में मुझसे बात नही की. कभी मेरे सामने कोई नशा नही किया ना ही मेरा भाई. पता नही क्यों वो मेरे सामने ये सब

नही करते हैं. अगर मैं घर पर भी होती हूँ तब भी नही. भाई जैसे जैसे बड़ा होता गया उसके कई आवारा लड़कों से दोस्ती हो गयी. कोई ऐसा ग़लत काम नही है जो भैया से बचा ना हो. हा एक रंडी पन ही शायद बच गया था वो भी आज.......................... इतना बोलकर राधिका चुप हो गयी और उसके आँख से आँसू आ गये.
 
निशा तो जैसे ये सुनकर एक दम खामोश हो गयी

और राधिका को बड़े प्यार से देखने लगी. निशा- राधिका इतनी बड़ी बात तुमने मुझसे छुपा

कर रखी थी. बता ना क्यों किया तूने ऐसा. क्या मैं तेरी बस फ्रेंड हूँ इससे ज़्यादा और कुछ भी नही.

राधिका- कल जो तूने औरत देखी होगी वो कोई रंडी ही होगी. एक बात और बताऊ मुझे सच में खुद नही पता पर अक्सर डर लगता है कि मेरी इज़्ज़त अपने ही घर में बचेगी कि नही. राधिका ये अल्फ़ाज़ तो बोल गयी पर उसका असर निशा पर दिखा.

निशा क्या!!!!! ये तू क्या बक रही है. तुझे पता भी

है ना ......... तुझे क्या लगता है कि तेरा भाई ही तेरा

रेप करेगा.

राधिका- काश ये बात झूट हो निशा. पर मैं

जानती हूँ कि मेरे भाई की गंदी नियत मुझपर

बहुत पहले से है. वो तो किसी बहाने मेरे बदन

को छूने की ताक में रहता है. मैं बता नही सकती तुझे ................इतना बोलकर राधिका फिर से चुप हो जाती है.

निशा- बता ना राधिका तुझे ऐसा क्यों लगता है कि

तेरा ही भाई तेरी इज़्ज़त...............

राधिका- मैने उसकी कई बात देखी है. जब मैं घर पर होती हूँ और अक्सर नहाने के लिए बाथरूम जाती हूँ तब वो पीछे खिड़की से हमेशा झाँकता रहता है. मैने तो उसको अपनी पैंटी को हाथ में लेकर अपने पेनिस से रगड़ते हुए भी देखा है. वो तो हमेशा मेरे सामने ही अपनी पेनिस को हाथ में लेकर मसलता है. अब तू ही बता कि मैं कितनी सेफ हूँ.

निशा- यार ये बात तू अपने बाप से क्यों नही कहती.

राधिका- उससे क्या बोलूं वो तो दिन रात खुद नशे में रहता है और अगर मैं भैया के खिलाफ गयी तो वो मुझपर ही बरस पड़ता हैं. तू ही बता मैं क्या करू.

निशा इतना सुनकेर कुछ देर तक गहरी सोच में डूब जाती है पर उसे भी कुछ समझ नही आता.

निशा- यार तेरी प्राब्लम तो बहुत टिपिकल है. उपर

पहाड़ तो नीचे खाई. अगर तू बाहर के लोगों से

अपनी इज़्ज़त बचाती है तो तेरे घर वाले उसे

लूटने को तैयार बैठे हैं.

राधिका- इस लिए मुझे हमेशा लोगों पर गुस्सा

आता है. सब मर्द एक जैसे ही होते हैं. जहाँ बोटी

मिलती है वही टूट पड़ते हैं उसे नौचने के लिए.

मुझे तो ऐसा लगता है कि किसी दिन मेरा रेप हो

जाएगा अगर इसी तरह से सब कुछ चलता रहा तो.....

चाहे घर हो या बाहर. राधिका की आँखो में आँसू नही रुक रहे थे.

निशा राधिका के आँसू को पौछ्ती है और उसे

अपने गले लगा लेती है.

निशा- चिंता मत कर राधिका मेरे रहते तुझे कुछ नही होगा. मैं तेरा साथ मरते दम तक नही छोड़ूँगी.

निशा- यार एक बात बता राहुल के बारे में तेरा क्या ख्याल है. कहे तो कुछ तेरी प्राब्लम उससे शेर करूँ कोई ना कोई रास्ता ज़रूर निकल आएगा.

राधिका- नही निशा प्लीज़ उसे कुछ मत बताना

वो पता नही मेरे बारे में क्या सोचेगा.

निशा- ओ. हो तो जनाब राहुल के बारे में ऐसा भी

सोचती हैं क्या. इतना कहकर निशा राधिका को अपनी

बाहों में फिर से पकड़ लेती है और दोनो

मुस्कुरा देते हैं.........................................

टू बी कंटिन्यूड.............................................
 
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