Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर - Page 2 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर

वक़्त के हाथों मजबूर--8

दूसरे दिन सुबह करीब 10 बजे जब राधिका घर में अकेली थी और सनडे का दिन था. उसका भाई और बाप रोज की तरह अपने शराब पीने के लिए बाहर गये हुए थे की तभी उसके घर की डोर बेल बजी.

राधिका- इस वक़्त कौन आ गया और वो दरवाजा खोलने चली जाती है.

जैसे ही दरवाजा खोलती है सामने राहुल खड़ा था. जैसे ही राधिका की नज़र राहुल पर पड़ती है वो एक दम चोंक जाती है उसने कभी भी सपने में भी नही सोचा था कि राहुल उसके घर पर आएगा.

राधिका- अरे राहुल जी आप!!!!! कैसे !!!! कब!!!! आपको मेरे घर का अड्रेस कैसे मालूम चला!!!!! ऐसे ही ढेर सारे सवाल एक साथ राधिका ने एक ही साँस में पूछ डाले.

राहुल- ठहरो तो सही मेडम एक एक कर आपके सारे सवालो का जवाब देता हूँ. मुझे अंदर आने को नही कहोगी क्या.

राधिका- एक दम से हाँ.. जी अंदर आइये.

राहुल जैसे ही अंदर आता है वो घर की दशा को देखकर उसने कभी ऐसा सोचा भी नही था कि राधिका ऐसे घर में रहती होगी. मकान बहुत पुराना था. जगह जगह प्लास्टर फूटा हुआ था. और कही कही पर तो पैंट भी नही था. उपेर छत आरसीसी का था. कुल मिलाकर दोनो कमरे बड़े थे लगता था जैसे दो हॉल है. एक किचन और उससे अटॅच बाथरूम.

राहुल को ऐसे देखकर राधिका को अपने अंदर गिल्टी फील होने लगती है.और झट से कहती है आप यहा सोफा पर बैठिए मैं अबी आती हूँ.

राहुल कुछ देर तक घर का पूरा मुआईना करता है. घर में ज़्यादा समान भी नही था. ज़रूरत भर का समान जैसे टी.वी, एक पुराना रेडियो , और दो पलंग थे. एक सोफा सेट और पहनने के लिए कपड़े . बस इससे ज़्यादा कुछ नही.

राधिका- अंदर से आती है और राहुल को ऐसे देखकर पूछती है

राधिका- क्या देख रहे हो राहुल. मैं किसी करोड़पति की बेटी नही हूँ. बस यही मेरी दुनिया है. जीवन में जो चाहिए रोटी, कपड़ा और मकान तीनो चीज़ें हैं मेरे पास. हां बस आलीशान नही है.

राहुल- कोई बात नही राधिका जी लेकिन आपको देखने से तो ऐसा नही लगता पर खैर कोई बात नही.

राधिका- आप बैठिए मैं आपके लिए चाइ नाश्ता लेकर आती हूँ.

राहुल- आरे आप क्यों तकलीफ़ कर रही हैं. रहने दीजिए इसकी कोई ज़रूरत नही.

राधिका- देखिए राहुल जी आप आज पहली बार आए हैं मेरे घर तो मेरा फ़र्ज़ बनता है. इतना कहकर राधिका किचन में चली जाती है और कुछ देर में स्नॅक्स ,चाइ वगेरह एक ट्रे में लेकर आती है.

राधिका- कहिए कैसे आना हुआ आपको मेरा घर का अड्रेस कैसे पता चला.

राहुल- उस दिन हम कॅंटीन में नाश्ता कर रहे थे तो आपका ये आइ-कार्ड वही फर्श पर गिरा हुआ मुझे मिला.बस इसमें तुम्हारा नाम, पता सब कुछ इस आइ कार्ड से ही मिल गया.और मैं यहाँ ...........

राधिका- ओह ये तो मुझे बिल्कुल ध्यान ही नही रहा .धन्यवाद राहुल जी नही तो ये गुम हो जाता तो मुझे प्राब्लम हो जाती.

राहुल- वैसे आप इस वक़्त घर पर अकेली हैं क्या. राहुल से ऐसे सवाल सुनकर राधिका घूर के राहुल को देखने लगती हैं.

राधिका- हाँ हूँ तो. क्यों कुछ ऐसा वैसा करने का इरादा है क्या. कही तुम मेरा रेप तो नही करना चाहते हो ना.

राहुल- हँसते हुए, आरे आप भी कमाल करती हो मैं और रेप,, मुझमें इतनी हिम्मत नही है कि मैं किसी लड़की का रेप कर सकूँ.

राधिका- क्यों इसमें हिम्मत की क्या बात है. सब जैसे करते है वैसे तुम भी... इतना बोलकर राधिका चुप हो जाती है.

राहुल- राधिका सब इंसान एक जैसे नही होते. यकीन मानो मैं ऐसा कुछ नही सोच रहा हूँ. वैसे तुम्हारा भाई और पिताजी कहाँ है इस वक़्त.??

राधिका- गये होंगे उस बिहारी के पास उसकी गुलामी करने. और तो कोई काम नही है ना सारा दिन उसके आगे पीछे घूमते रहते हैं और मुफ़्त में वो रोज़ उनको शराब देता है पीने के लिए.

राहुल- अगर तुम बुरा ना मानो तो मैं उनसे इस बारे में बात करू. हो सकता है वो सुधर जाए.

राधिका- आपने कभी कुत्ते का दुम को सीधा होते देखा है क्या !! नही ना ऐसे ही है वो दोनो. हमेशा टेढ़े ही रहेंगे.

राहुल- यार तुम कोई भी बात डाइरेक्ट्ली क्यों बोल देती हो. वही बात थोड़े प्यार से भी तो कह सकती थी. फिर राधिका उसको ऐसे नज़रो से देखती है कि वो उसे कच्चा चबा जाएगी.

राधिका- मैं ऐसी ही हूँ. और कोई काम है क्या आपको.

राहुल- नही !! आज थोड़ा फ्री हूँ. मेरे आने से तुम्हें कोई प्राब्लम है क्या.

राधिका- नही राहुल मेरा ये मतलब नही था.

राहुल- एक बात कहूँ. जब से मैने तुमको देखा है पता नही क्यों मैं दिन रात बेचैन सा रहता हूँ. हर पल तुम्हारा ही ख़याल आता रहता है. मेरे साथ पता नही ऐसा पहली बार हो रहा है क्या तुम्हें भी.......................

राधिका- मुझे कोई बेचैनी और किसी का ख्याल नही आता. जा कर डॉक्टर से अपना इलाज़ करवाईए. अगर नही तो बोल दो मैं इलाज़ कर देती हूँ.
 
राहुल- अरे नही राधिका जी आप मेरी बीमारी में ना ही पड़े तो अच्छा है. पता नही जो उन लोगों के साथ हुआ कही मेरे साथ भी हो गया तो .इतना कहकर राहुल मुस्कुरा देता है. और राधिका भी मुस्कुरा देती है. ऐसे ही कुछ देर तक इधेर उधेर की बातें करने के बाद राहुल का मोबाइल पर कॉल आता है.

राहुल- फोन विजय का था. बोल विजय क्या हाल चाल है.

विजय- यार मैं ठीक हूँ कहाँ है तू इस वक़्त मुझे तूने फोन करने को बोला था पर किया नही. बहुत बिज़ी रहता है आज कल तू .

राहुल- नही यार मैं इस वक़्त राधिका के यहाँ आया हूँ और अभी थोड़े देर के बाद तुझे फोन करता हूँ. इतना कहकर राहुल फोन काट देता है.

राधिका- एक बात कहु राहुल मुझे ये विजय ज़रा भी अच्छा नही लगता. तुम इसका संगत क्यों नही छोड़ देते. मुझे इसकी नियत ज़रा भी अच्छी नही लगती.

राहुल- नही विजय मेरा बचपन का दोस्त है वो कैसा भी हो मगर दिल का सॉफ है.

राधिका भी इस बारे में राहुल से ज़्यादा बहस नही करती है और राहुल भी अब जाने को कहता है. थोड़ी देर के बाद दोनो मैन डोर तक आ जाते हैं.

वैसे आज राहुल ग्रीन कलर का टी-शर्ट और जीन्स में था. थोड़ी देर वही बाहर खड़े रहने के बाद राहुल राधिका को बाइ बोलकर निकलता है तभी एक गोली उसके बाजू को छूती हुई निकल जाती है और वो लड़खड़ा कर ज़मीन पर गिर पड़ता है.

वो झट से उठता है और सामने दो नकाब पॉश अपनी मोटरसाइकल पर सवार होकर निकल जाते हैं. राहुल कुछ दूर तक उनके पीछे जाता है मगर वो निकल चुके थे. ये सब नज़ारा देखकर राधिका एक दम घबरा जाती है और झट से राहुल के पास दौड़ती हुई चली जाती है और उसके खून को अपना दुपट्टे से जल्दी से बंद कर अपने दोनो हाथों से कसकर दबाती है.

राहुल भी अब राधिका के साथ घर में अंदर आता है और सोफे पर बैठ जाता है. राधिका उसके बगल में एक दम सटे हुए अपने हाथ उसके बाजू पर रखी रहती है.

राहुल- ये आपने क्या किया आपका तो पूरा दुपट्टा मेरे खून से खराब हो गया.

राधिका- अजीब आदमी हो जान चली जाती उसका कोई गम नही था और इस दुपट्टे क्या गंदा हो गया इसकी बहुत फिकर है.

राहुल- तुम्हें तो मेरी बहुत फिकर हो रही है .मैं जियुं या मरूं मेरी चिंता करने वाला इस दुनिए में हैं कौन.

राधिका- क्यों मैं नही करती क्या तुम्हारी चिंता...................................... राधिका के मूह से पता नही ये शब्द कैसे निकल गया . वही बात हुई कमान से निकला तीर एक बार छूट जाता है तो वापस नही आता. अब राधिका भी समझ चुकी थी कि राहुल को सब पता चल गया है कि वो उसके बारे में क्या सोचती हैं.

राधिका- ये तुम पर हमले करने वाले कौन लोग थे.

राहुल- अगर बुरा ना मानो तो हम एक अच्छे फ्रेंड बन सकते हैं. आइ वॉंट यू टू फ्रेंडशिप वित यू. विल यू आक्सेप्ट???

राधिका इशारे में हां कहकर अपनी गर्देन झुका लेती है.

राहुल- मुझे बहुत ख़ुसी है तुम जैसा एक अच्छा दोस्त को पाकर. अब मैं इस दुनिया में तन्हा नही हूँ. इतना कहकर राहुल मुस्कुरा देता है और राधिका भी .

राहुल- पता नही कौन मेरे पीछे पड़ा हुआ है. ये अब तक मेरे पीछे तीसरा हमला है. पिछले 6 मंत्स में ये तीन बार मुझपर जान लेवा हमले हो चुके हैं. अब तक हमलावरों का कोई सुराग नही और ना ही कोई वजह पता लगी है.

राधिका- तुम यही बैठो मैं दवाई लगा देती हूँ. और कुछ देर बाद राधिका राहुल को दवाई और पट्टी बाँध देती है जिससे राहुल को काफ़ी आराम हो जाता है. फिर राहुल की नज़रें राधिका पर पड़ती है और दोनो एक तक एक दूसरे की आँखों में खो जाते हैं......................

राधिका और राहुल काफ़ी देर तक एक दूसरे की आँखों में देखते रहते हैं. तभी राधिका तुरंत अपनी नज़रें नीची झुका लेती है और शर्म से उसका चेहरा लाल हो जाता है. राहुल भी इधेर उधेर देखने लगता है.

राधिका- आप यही बैठिए मैं आपके लिए खाना बनाती हूँ.

राहुल- अरे राधिका इसकी कोई ज़रूरत नही मैं अब चलता हूँ.

राधिका- ऐसे कैसे आप यू ही चले जाएँगे पहली बार मेरे घर आए हैं तो आज तो मेरे हाथों का खाना खा कर ही जाना होगा. राधिका की बात को शायद राहुल मना नही कर पाता और वो वही पर रुक जाता है.

करीब एक घंटे के बाद राधिका खाना ले कर राहुल के पास आती है. राहुल भी झट से हाथ मूह धो कर खाना खाने बैठ जाता है. दोनो एक साथ खाना खाते हैं.

राहुल- अरे वाह कितना बढ़िया खाना बना है. ये तो मेरा पासिंदिदा खाना है. कितने दिनो के बाद आज घर का खाना खाने को मिला है. खाने में पुलाव और पनीर बना था और भी कई आइटम्स थे.

खाना खाने के बाद राधिका बाहर मेन डोर तक आती है और राहुल ने जाते वक़्त राधिका की आँखों में एक अजीब सी कशिश देखी थी जो राहुल को बार बार उसकी ओर उसका ध्यान खींच रही थी.और रास्ते भर उसको राधिका का ही ख्याल आता रहा और वो मन ही मन मुस्कुरा देता है.
 
दूसरे दिन उधेर विजय भी बार बार राधिका के लिए बेचैन था. और हर रोज़ शाम को सोने के पहले और सुबह उठने के बाद राधिका की नाम की मूठ मारता रहता था.

विजय- ये तूने क्या कर दिया है राधिका क्यों मेरा लंड तेरे लिए इतना बेचैन हैं. जब तक तेरे नाम का मैं मूठ नही मार लेता मेरे लंड को चैन ही नही मिलता. अब चाहे कुछ भी हो जाए मैं तुझे किसी भी तरह हासिल करूँगा चाहे उसके लिए मुझे कोई भी कीमत,चाहे मुझे किसी की भी बलि क्यों ना देनी पड़े. तुझे मुझसे कोई नही छीन सकता राहुल भी नही इतना सोचकर विजय के चेहरे पर कुटिल मुस्कान आ जाती है.

विजय फिर मोनिका के पास फोन करता है

विजय- कैसी है मेरी रांड़!!!

मोनिका- ठीक हूँ बोलो कैसे याद किया मुझे.

विजय- तू तो जानती है ना कि जब मेरा लंड खड़ा होता है तो तेरी याद आती है. चल मेरे घर पर आ जा मैं बहुत बेचैन हूँ.

मोनिका- नही मुझे तुम्हारे साथ सेक्स नही करना. तुम आज कल बहुत वाइल्ड होते जा रहे हो. मुझे तो डर लगता है अब तुमसे.

विजय- आरे आ जा ना मेरी जान क्यों नखरे करती है . चल वादा करता हूँ कि अब तुझे मैं अपने चंगुल से आज़ाद कर दूँगा. अब तो तू खुस है ना चल जल्दी से आ जा .

मोनिका- ठीक है ठीक है अभी आती हूँ और मोनिका फोन रख देती है.

थोड़ी देर के बाद मोनिका राहुल के घर पर पहुँच जाती है.

विजय- आ गयी मेरी रांड़ देख ना मेरा लंड तेरी याद में खड़ा ही रहता है. चल अपने पूरे कपड़े उतार कर एक दम नंगी हो जा.

मोनिका- विजय आज भी तुमने ड्रग्स लिया है ना. मैं इसी वक़्त यहाँ से जा रही हूँ.

विजय- अरे मेरी जान तेरे नशे के आगे तो ये ड्रग्स भी क्या चीज़ है. लत लग गयी है मुझे क्या करू छूट ती ही नही .

मोनिका- मुझे तुमसे बहुत डर लगता है. पता नही कब क्या करदोगे मेरे साथ.

विजय- अरे गैरों से डरना चाहिए अपनो से नही. चल अब फटाफट नंगी हो जा.

मोनिका अपनी साड़ी पेटिकोट, ब्लाउस, ब्रा और पैंटी सब कुछ उतार कर एक दम नंगी होकर वही विजय के सामने खड़ी हो जाती है.

विजय- अब वही खड़ी भी रहेगी क्या,, देख ना मेरे जूते कितने गंदे हो गये हैं. चल आ कर सॉफ कर दे ना. विजय अपने जूते को मोनिका की ओर दिखाता हुआ बोला.

मोनिका जब उसके बात का मतलब समझती है तो उसके होश उड़ जाते हैं. मगर वो चुप चाप आकर विजय के बाजू में बैठ जाती है.

विजय- यहाँ नही जानेमन नीचे मेरे जूते के पास बैठ ना. मोनिका भी धीरे से उसके जूते के पास बैठ जाती है.

विजय- अब देख क्या रही है चल मेरे जूते सॉफ कर ना. तुझे तो हर बात बतानी पड़ती है क्या. देख एक बात बोल देता हूँ जितना मैं बोलता हूँ उतना ही कर उसी में तेरी भलाई है. वरना अंजाम बहुत बुरा होगा.

विजय की बात सुनकर मोनिका का डर और बढ़ जाता है और वो चुप चाप अपना सिर नीचे झुका लेती है.

विजय- चल ना अब सॉफ भी कर ना अपने इन प्यारे होंठो से.

मोनिका भी धीरे से झुक कर उसके जूते को अपने जीभ से साफ करना सुरू कर देती है. और तब तक करती है जब तक विजय उसको मना नही कर देता.

मोनिका को इतनी शर्मिंदगी लगती है उसका दिल करता है कि अभी यहा से फ़ौरन निकल का भाग जाए.

विजय- चल अच्छे से चाट और एक भी धूल का कण नही रहना चाहिए. कुछ देर तक मोनिका उसके जूते अपने मूह से सॉफ करती है और फिर विजय अपना दूसरा जूता आगे बढ़ा देता है. और वो फिर उसे भी सॉफ करने लगती है.

विजय- साबाश मेरी रांड़ तूने तो मेरे जूते चमका दिए. अब से मैं तुझसे ही अपने जूते सॉफ कराउन्गा. मोनिका उसको घूर कर देखती है मगर कुछ नही बोलती.

विजय- चल अब मेरा लंड चूस और हाँ पूरा अंदर लेना नही तो आज तेरी गान्ड फाड़ दूँगा.

मोनिका झट से उसके पॅंट को खोल देती है और फिर अंडरवेर, और उसका मूसल उसकी नज़रों के सामने आ जाता है.

मोनिका भी चुप चाप उसे मूह में लेकर चूसने लगती है. थोड़े देर की चुसाइ के बाद विजय का लंड एकदम अकड़ जाता है.

विजय- चल तू पूरा मूह खोल मैं अब तेरे मूह में अपना पूरा लंड डालूँगा. इतना कहकर विजय खड़ा हो जाता है और मोनिका को सोफे पर पीठ के बेल लेटा देता है और वो सामने से आकर अपना लंड मोनिका के मूह में डाल देता है. अब मोनिका भी धीरे धीरे विजय का लंड पूरा अपने मूह में लेने लगती है.
 
कुछ देर में विजय का पूरा लंड मोनिका के हलक तक पहुच जाता है और वो तड़पने लगती है. विजय अपने लंड पर दबाव बनाए रखता है और मोनिका की आँखो से आँसू निकलने लगते हैं. मोनिका के मूह से लगातार गूऊ...... गूऊ की आवाज़ें बाहर आती है और उसकी साँसें तेज़ हो जाती है. विजय उसी तरह पूरा अपने लंड पर प्रेशर बनाए रखता है. जैसे ही वो अपना लंड बाहर निकालता है मोनिका ज़ोर ज़ोर से साँसें लेती है.

मोनिका- तुम तो मुझे मार ही डालोगे. भला कोई ऐसे भी पूरा मूह में डालता है क्या.??

विजय- जानता हूँ तू मेरी पक्की छिनाल है. अरे इससे भी बड़ा मेरा लंड होता तो तू वो भी पूरा निगल जाती. अब नखरे मत कर और मेरा माल जल्दी से निकाल दे.

मोनिका फिर तेज़ी से विजय का लंड अपने मूह में पूरा लेती है और धीरे धीरे अपने हलक में उतारने लगती है. विजय का कुछ देर में शरीर अकड़ने लगता है और वो उसका कम कुछ मोनिका के हलक में और कुछ बाहर उसके मूह के साइड से होता हुआ फर्श पर गिर जाता है और कुछ बूँदें सोफा पर.

विजय- वाह मेरी रांड़ तूने तो मेरा लंड का माल निकाल दिया. चल अब जल्दी से नीचे गिरे मेरे अमृत को अपने जीभ से चाट कर सॉफ कर.

मोनिका भी झुक कर पहले सोफे पर गिरे उसका कम को चाट कर सॉफ करती है फिर नीचे फर्श पर झुक कर विजय का कम अपनी जीभ से चाट का सॉफ करती है पर कुछ बूँदें वही रह जाती है.

विजय- मोनिका तूने तो ज़मीन पर गिरे मेरे कम को अच्छे से सॉफ नही किया हरामी साली आज तुझे तेरी औकात बताता हूँ. इतना कहकर विजय उसके बाल ज़ोर से अपनी मुट्ठी में भीच लेता है और मोनिका दर्द से कराह उठी है.

विजय उसके मूह के एकदम पास जाता है और फिर से उसके बालों को ज़ोर से झटक देता है. जैसे ही मोनिका फिर चिल्लाति है विजय ढेर सारा थूक उसके मूह में थूक देता है. और मज़बूरन मोनिका को अपने हलक के नीचे उतारना पड़ता है.

विजय- जानती है जूते को हमेशा पैरों में ही पहनना चाहिए.उसकी शोभा पैरों में हैं सिर पर नही .उसी तरह औरत को हमेशा अपनी पाँव की जूती में ही बैठानी चाहिए. ये है तेरी औकात. और इतना कहकर विजय एक बार मोनिका के चेहरे पर थूक देता है.

मोनिका- रोते हुए आख़िर मेरा कसूर क्या है तुम मुझसे चाहते क्या हो. जैसा तुम कहते हो मैं तो वैसे ही करती हूँ ना फिर???

विजय- तेरी औकात एक नाचने वाली कोई बाज़ारु रंडी के जैसी है. लास्ट बार तुझे मैं वॉर्निंग देता हूँ अगर मेरे कहे पर नही चलेगी तो इस बार तुझे काजीरी के पास ज़रूर भेज दूँगा. जानती हैं ना फिर तेरा क्या हाल होगा. वैसे भी काजीरी को सिर्फ़ पैसों से प्यार है. अगर एक साथ 15, 20 कस्टमर आ जाए और तुझे पसंद कर लिया तो जानती है ना तेरे साथ क्या होगा. सारे के सारे तेरी चूत और गान्ड को ऐसे फाड़ेंगे की साली जिंदगी भर चलना फिरना तो दूर रंडी का भी धंधा ठीक से नही कर पाएगी.

मोनिका- देखो मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ इस वक़्त तुम ड्रग्स के नशे में हो प्लीज़ मैं वही तो कर रही हूँ जो तुम कह रहे हो. बस एक दो बूँद ही तो छूट गया था उसके लिए इतनी नाराज़गी.

विजय- ठीक है अगर अगली बार मैं तुझसे खुस नही हुआ तो तू समझ लेना...............इतना बोलकर विजय चुप हो जाता है.
 
वक़्त के हाथों मजबूर--9

मोनिका भी कुछ नही बोलती है और बस विजय के हुकुम का इंतेज़ार करती है.

विजय- चल सबसे पहले ये अपने आँसू सॉफ कर. अगर मुझे खुस रखेगी तो तू भी खुस रहेगी समझी.

मोनिका भी चुप चाप हां में गर्देन हिला देती है.

विजय- चल अब तू पेट के बल सो जा आज मैं तेरी सिर्फ़ गांद मारूँगा. इतना कहकर विजय अपना शर्ट और बनियान निकाल देता है.

मोनिका भी पेट के बल लेट जाती है और विजय के लंड को अपनी गान्ड में लेने का इंतेज़ार करती हैं.

थोड़ी देर के बाद विजय का लंबा लंड मोनिका के गान्ड के द्वार पर रखता है और मोनिका के दिल की धड़कन तेज़ हो जाती है. वो धीरे धीरे अपने लंड पर प्रेशर बढ़ाना शुरू कर देता है और मोनिका के मूह से चीख धीरे धीरे तेज़ होनी शुरू हो जाती है.

मोनिका- प्लीज़ ज़रा धीरे करना बहुत दर्द होता है. तुम एक ही बार में अपना पूरा लंड डाल देते हो. थोड़ा धीरे धीरे करना.

विजय- क्या करू मेरी जान तेरी गान्ड ही ऐसी है और तू तो जानती है कि मेरी सबसे बड़ी कमज़ोरी औरत की गान्ड ही है. कोई बात नही तू मेरे लिया इतनी तो तकलीफ़ सह ही सकती है. इतना कहकर विजय एक ही झटके में अपना लंड मोनिका की गंद में घुसाने की कोशिश करता है मगर लंड करीब 4 इंच तक मुश्किल से जा पाता है और मोनिका की ज़ोर से चीख निकल जाती है.

मोनिका- प्लीज़ बहुत दर्द हो रहा है ज़रा धीरे डालो ना मैं मर जाउन्गि.

विजय- रिलॅक्स बेबी लगता है तेरी गंद अभी पूरी खुली नही है चिंता मत कर मेरी शरण में तू आई है ना तो तेरी गंद का इतना बड़ा होल करूँगा कि चूत भी उसके आगे फीकी लगेगी.

फिर विजय एक झटके से अपना लंड बाहर निकाल लेता है और फिर कुछ सेकेंड में दुबारा उसी रफ़्तार से मोनिका की गंद में डाल देता है. अब की बार लंड करीब 8 इंच तक चला जाता है. और मोनिका बहुत ज़ोर से चिल्ला पड़ती है.

विजय- क्या हुआ मेरी बुलबुल आज तेरी गंद इतनी टाइट क्यो लग रही है. अरे मैने तो बस अपनी लाइफ में सिर्फ़ 2 बार ही तेरी मारी है. और इतना बोलकर विजय हंसता है.

मोनिका- तुम्हें हँसी आ रही है और मेरी जान जा रही है प्लीज़ विजय निकाल लो ना बहुत दर्द हो रहा है.

विजय- चिंता मत कर थोड़ी देर में तुझे भी मज़ा आएगा इतना कहकर फिर विजय पूरा लंड निकाल कर एक बार फिर पूरी गति से अंदर डाल देता है और मोनिका की हालत खराब होने लगती है. कुछ देर तक वो कुछ नही करता फिर आगे पीछे अपना लंड मोनिका की गंद में करता है.

मोनिका भी सिसकारी लेती है उसे तकलीफ़ और मज़ा दोनो का एहसास एक साथ होता है. कुछ देर में विजय अपने लंड की रफ़्तार को तेज़ कर देता है और मोनिका की आहें तेज़ हो जाती है.

विजय- कसम से क्या गंद है तेरी जी करता है ज़िंदगी भर अपना लंड इसी में डाले रखूं.

करीब 20 मिनिट तक विजय मोनिका की गंद को चोद्ता है और फिर उसका शरीर अकड़ने लगता है और उसका वीर्य मोनिका की गंद में ही झाड़ जाता है. और शांत हो कर मोनिका के उपर ही पसर जाता है.

करीब 5 मिनट तक दोनो की साँसें बहुत तेज़ चलती है और दोनो एक दूसरे को देखते है.

मोनिका- अब मन भर गया ना तुम्हारा अब मैं चलती हूँ. और हां मुझे अब तुम आज़ाद कर दो अब मुझे ये सब अच्छा नही लगता.

विजय- वाहह .... मेरी सती सावित्री क्या बात है आज प्यास भुज गयी तो आज़ादी की दुआ माँग रही है. याद कर मैं तेरे पास नही गया था बल्कि तू खुद चुदवाने मेरे पास आई थी , तू ये बात कैसे भूल सकती है ...आज मैं तेरे जिस्म की आग को ठंडा करता हूँ तो तू अब कह रही है मुझे आज़ाद कर दो. तू इतनी स्वार्थी कैसे हो सकती है....

विजय की बात का मोनिका के पास कोई जवाब नही था. इसलिए वो कुछ नही बोलती और अपनी गर्देन नीचे झुका लेती है.

विजय- तुझे मेरे साथ एक डील करनी होगी. अगर तू मेरा डील मानेगी तो मैं वादा करता हू कि मैं तुझे हमेशा के लिए आज़ाद कर दूँगा.

मोनिका- क.....कैसी डील??????

विजय- घबरा मत तुझे मेरा एक छोटा सा काम करना होगा . अगर तू मेरा वो काम करेगी तो समझ ले तू आज़ाद हो गयी नही तो काजीरी है ना दूसरा ऑप्षन तेरे लिए.

मोनिका- मुझे करना क्या होगा.

विजय- तू सवाल बहुत पूछती है . वक़्त आने दे तुझे सब बता दूँगा.इतना कहकर विजय घर से बाहर निकल जाता है.

मोनिका- हे भगवान !!! ये मेरी कैसी ज़िंदगी बन गयी है .कितनी खुस थी मैं जब मेरी शादी तय हुई थी. मेरा भी हंसता खेलता परिवार था. सब की में लाडली थी.

मोनिका के साथ ऐसा क्या हुआ था वो अपने आतीत में खो जाती है.............................................,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

घर पर सब खुस थे. मेरा बी.ए फाइनल एअर था. मेरा भी सपना था कि मैं पढ़ लिख कर खुद अपनी ज़िम्मेदारी निभाऊ, अपने परिवार और अपने होने वाले पति को सारी ख़ुसीया दूँ. मगर ख़ुसीयों को ग्रहण लगते देर नही लगती. मेरी जिंदगी का सूरज भी ऐसा डूबा कि आज भी मेरे जीवन में अंधकार के सिवा कुछ नही है.

आज मेरे घर पर मम्मी पापा, और मेरा एक छोटा भाई के साथ मैं बहुत खुस थी. आज मैने अपनी ग्रॅजुयेशन कंप्लीट कर ली. और मेरे को देखने लड़के वाले आ रहे थे. कुछ देर में वो लोग आए और मुझे देखकर पसंद भी कर लिया. मैं भी बहुत खूबसूरत थी. गोरा बदन उम्र करीब 25 .

कुछ दिन में मेरी शादी हो गयी और मैं अपने ससुराल चली गयी. घर से बहुत दूर. मैं वहाँ बहुत खुश थी. गोपाल मेरे पति करीब 28 साल के थे. वो ट्रक ड्राइवर थे.मेरे सास ससुर गाओं में रहते थे. हम सहर में आ कर रहने लगे क्यों कि गाओं का महॉल कुछ ठीक नही था. इस लिए गोपाल भी यही चाहता था कि मैं भी सहर में ही रहू. हमारी शादी हुए अभी 2 साल ही हुए थे कि एक दिन रोड आक्सिडेंट में उनकी मौत हो गयी. मेरे सर पर मानो पहाड़ टूट पड़ा. मैने भी सोचा कि अब सहर में क्या रखा है सोचा अपने सास ससुर के पास जाकर उनकी सेवा करू.
 
लेकिन गाओं की कुछ औरतों ने मुझे ये कहकर मेरे सास ससुर की नजरो में गिरा दिया कि तुम्हारी बहू के कदम ठीक नही हैं. आते ही घर की औलाद को खा गयी. मैने उन्हे बहुत समझाने की कोशिश की पर वे लोग नही माने. फिर हारकर मैने अपने मा बाप के पास जाने का फ़ैसला किया तो उन्होने भी अपने हाथ खीच लिए. ये कह दिया कि जो भी है तेरा ससुराल है अब ये तेरा घर नही है. उस वक़्त तो मुझे आत्महत्या करने के सिवा कुछ नही सूझा. और मैं वो कर भी देती.

मगर मेरी नसीब में और रोना लिखा था. मेरी विजय से मुलाकात हो गई. मैने भावुक होकर उसे वो सारी बात बताई जो मेरे साथ बीती थी. तो उसने मुझे झट से शादी करने के लिए हां कर दी. मैं बहुत खुस हुई. मगर मुझे क्या पता था कि वो इंसान की खाल में छुपा हुआ भेड़िया है. उसकी नियत शुरू से ही मेरे जिस्म पर थी. इसी बहाने मुझे अपनी क्लिनिक में काम दिलवाकर एक दिन उसने धोके से मुझे ड्रग्स के नशे में सिड्यूस किया.

मैं इस लिए उसे कुछ नही बोल पाई क्यों कि अब मेरा इस दुनिया में कोई नही था जो मेरा अपना हो. कहते हैं ना इंसान की असली परख बुरे दिन में ही होती है. जब मेरा बुरा समय आया तब सब ने अपने हाथ खीच लिए. तब मैने भी ये सोच लिया की मर जाउन्गि मगर उनके दरवाज़े पर पाँव नही रखूँगी.

विजय इसी तरह से मुझे अपनी क्लिनिक में रोज़ ले जाता और वही मेरे साथ चुदाई का खेल खेलता. कैसे मना करती मैं. वो ही तो था जो मुझे पैसे और किसी चीज़ की कमी नही होने देता था. तो मैने भी सब कुछ भूल कर अपने आप को उसके हाथों में सौप दिया...........

मोनिका की आँख से आँसू लगातार बह रहे थे. वो चाह कर भी अपने अतीत को नही भूल पा रही थी. और उसको विजय का कहा भी बार बार उसके दिमाग़ में बंब की तरह फट रहा था. डील..........आख़िर विजय मुझसे कैसे डील चाहता है. क्या है उसका मकसद.

मोनिका ये बात अच्छे से जानती थी कि विजय एक नंबर का अयाश आदमी है. वो किसी भी हद्द तक गिर सकता है. आख़िर वो किस डील की बात कर रहा है. मोनिका अपने दिमाग़ पर ज़ोर देते हुए लगातार अपने सवालों का जवाब बार बार अपने आप से पूछ रही थी. आख़िर देर तक सोचने के बाद उसका ध्यान एक बार राधिका की ओर चला जाता है.

कहीं राधिका का इस डील से कोई कनेक्षन तो नही है. हे भगवान ये विजय क्या चाहता है. कहीं अब वो मेरे बदले राधिका के साथ तो नही..... नही ये नही हो सकता. हो ना हो मुझे जल्दी से जल्दी पता करना होगा कि ये राधिका कौन है और इस विजय से इसका क्या रीलेशन है.

मोनिका के सामने हज़ारों सवाल खड़े होते जा रहे थे मगर उसके पास एक सवाल का भी जवाब नही था. लेकिन काफ़ी हद्द तक वो विजय का मकसद भाप गयी थी. और फिर अपने कपड़े पहन कर वो विजय के घर से निकल जाती है.

--------------------------------------------

जहाँ वक़्त बीत रहा था. एक तरफ तो राहुल और राधिका एक दूसरे के करीब और करीब आते जा रहे थे. हर रोज़ राधिका उसको फोन करके गुड मॉर्निंग विश करके उठाती तो वही राहुल भी कोई ना कोई बहाने से राधिका के करीब रहता. राधिका को तो मानो उसे जन्नत मिल गयी थी. जिस प्यार के लिए वो बचपन से तरषी थी वो आज उसे मिल गया था. वो भी जानती थी कि राहुल भी उसे अपनी जान से ज़्यादा प्यार करता है. एक तरफ राहुल और राधिका का प्यार किसी दीवानगी , जुनून की तरह बढ़ता जा रहा था वही दूसरी तरफ निशा भी अपने दिल में राहुल को चाहने लगी थी . वो भी मन ही मन राहुल से बे- इंतेहः प्यार करने लगी थी.

राहुल को निशा के दिल का हाल नही मालूम था वो तो बस राधिका के ख्यालों में खोया रहता था. वही राधिका को निशा के दिल की बात का कुछ अंदाज़ा हो गया था मगर उसे ये नही पता था कि निशा भी राहुल से ही प्यार करती है. वो तो बस ये ही समझ रही थी कि निशा को कोई और मिल गया है.

हो ना हो राहुल , राधिका और निशा की ज़िंदगी में आने वाले एक बहुत बड़े तूफान का इशारा था. क्यों कि राधिका इस हद्द तक राहुल को प्यार करती कि वो राहुल को किसी भी हाल में खोना नही चाहती थी. वही दूसरी तरफ अपनी जान से बढ़कर उसकी सहेली निशा वो उसकी खुशी के लिए कुछ भी कर सकती थी. ये बात निशा भी जानती थी कि राहुल और राधिका एक दूसरे को पसंद करते हैं मगर वो इस हद्द तक एक दूसरे को चाहने लगे हैं उसे ज़रा भी अंदाज़ा नही था. वरना वो भी इन दोनों के बीच में कभी नही आती. मगर क्या करे प्यार किया नही जाता हो जाता है. और निशा अपने दिल के हाथों मज़बूर थी.

वही दूसरी तरफ मोनिका के दिन बुरे और बुरे होते जा रहे थे. विजय उसको जानवरो जैसे उसके साथ सुलूख करता और बहुत रफ सेक्स करता था. वो किसी भी हालत में बाहर निकलना चाहती थी उसके लिए वो कुछ भी करने को तैयार थी. उसके बदले अगर किसी की कुर्बानी भी देनी पड़े तो भी.............

जहाँ एक तरफ़ राहुल और राधिका में प्यार जनम ले रहा था वही दिन -ब-दिन मोनिका के दिल में नफ़रत. ना ही सिर्फ़ विजय से बल्कि इस पूरे समाज़ से पूरी दुनिया उसे अपनी दुश्मन नज़र आ रही थी. वो भी चाहती थी कि वो भी अब सुकून की जिंदगी बसर करे. और वो इस शहर को छोड़ कर हमेशा के लिए कही और जाना चाहती थी. मगर होनी को कौन रोक सकता है.

इधेर राधिका के मिलने से राहुल का भी नसीब खुल चुका था. उसकी भी दिन-ब-दिन तरक्की हो रही थी. जल्द ही वो एसीपी बनने वाला था. और उसका मान ना था कि इस सफलता के पीछे राधिका का प्यार है. लेकिन वक़्त से पहले किसी को कुछ नही मिलता.

वक़्त के आगे किसी की नही चलती. आने वाला एक तूफान जो कि राहुल, मोनिका, निशा, और मोनिका की ज़िंदगी हमेशा के लिए बदलने वाली थी. पता नही वक़्त को क्या मंज़ूर था........................
 
आज राहुल और राधिका के प्यार को, करीब 5 महीना हो चुके थे मगर अब भी राहुल ने एक भी बार राधिका को प्रपोज़ नही किया था.और आज राहुल कुछ राधिका के लिए स्पेशल करना चाहता था. आज वो राधिका को अपने घर ले जाना चाहता था. भला राहुल की बात को राधिका कैसे मना कर देती. वो झट से तैयार हो जाती है .

राहुल- राधिका आज में तुम्हें अपने घर ले जाना चाहता हूँ. चलोगि ना मेरे घर. विश्वास है ना मुझ पर.

राधिका- ये भी कोई पूछने वाली बात है. अपने आप से ज़्यादा तुम पर विश्वास करती हूँ.

और दोनो मुस्कुरा कर राहुल की गाड़ी में बैठ जाते हैं. कुछ देर में ही वो एक बंगले के पास पहुँचते हैं. राधिका को राहुल का बंगला देखकर उसे विश्वास नही होता कि ये राहुल का है.

राहुल- जानती हो राधिका जब से तुम मिली हो मेरी तो चाँदी हो गयी है. मैं बहुत जल्दी ही एसीपी बनने वाला हूँ. घर के अंदर चलो मुझे कितने सारे मेडल्स मिले हैं. चलो चलकर दिखाउन्गा.

राधिका- तो जनाब आज मुझे पार्टी देना चाहते हैं अपनी प्रमोशन होने की खुशी में.

राहुल- नही राधिका पार्टी तो गैरों को देते हैं तुम तो मेरी बेस्ट फ्रेंड से भी बढ़कर हो जानती हो तुम कितनी लकी हो जब से तुम मिली हो लगता है मेरी दुनिया ही बदल गयी हैं.

राधिका- चलो चलो ज़्यादा मस्का मत लगाओ... और इतना केकर दोनो गाड़ी से उतरकर बंगले में जाते हैं.

राधिका बंगला देखकर बोलती है - बहुत खूबसूरत बंगला है आपका. इतने बड़े घर में अकेले रहते हैं क्या.

राहुल - हाँ और कौन है मेरा . हां रामू काका मेरे साथ इस तन्हाई में मेरा साथ देते हैं. वो ही इस घर की देखभाल करते हैं.

और राहुल रामू काका को आवाज़ देकर बुलाता है. रामू दौड़ कर राहुल के पास आता है.

रामू- बोलिए मालिक क्या सेवा करू.

राहुल- ये राधिका है. ज़रा इनके लिए नाश्ता वगेरह बना दीजिए. और रामू किचन में चला जाता है.

राधिका- गुस्से से घूर कर देखते हुए...... राहुल मैं तुमसे एक बात कहना चाहती हूँ. मैं भी अब शादी करना चाहती हूँ. मेरी ज़िंदगी में भी कोई है जिसे मैं बहुत प्यार करती हूँ.

इतना सुनते ही राहुल के होश उड़ जाते है और वो एक दम लड़खड़ाते हुए बोलता है- क्यी.....आ राद....धिका. ये...तुम..........क्या बोल्ल्ल्ल्ल्ल.............रही हो..............

राधिका- हाँ भाई .........तुम तो मुझे प्रपोज़ करने से रहे तो मैने सोचा अगर कोई मुझे प्रपोज़ कर रहा है तो मैं मना क्यों करू.

राहुल- कौन है वो ........साले को जैल में सड़ा दूँगा.........ऐसा केस बनाउन्गा की साला 10 साल के बाद ही छूटेगा.

राधिका- तुम्हें उससे क्या. आज पूरे 5 महीने हो गये तुमसे मिले. तो मैने सोचा कि बस तुम मेरे साथ टाइम पास कर रहे हो तो मैने भी झट से उसे हां बोल दिया.

राहुल- क्या...............मेरा प्यार को तुम टाइम पास बोल रही हो. बस यही तुम्हारा प्यार है. इसका मतलब बस मैं ही तुमसे प्यार करता था. तुम मुझसे नही .............

राधिका- हाँ मैने सोचा तुम तो कभी प्रपोज़ करोगे नही तो कही और मज़ा किया जाए.

राहुल- नही राधिका तुम झूट बोल रही हो तुम सिर्फ़ मुझसे ही प्यार करती हो ना.

राधिका- अरे कह तो रही हूँ कि ................

राहुल- जल्दी से बताओ उसका नाम और पता साले को इस दुनिया से उठा दूँगा. राहुल एक दम गुस्से से बोला.

राधिका- सच में मेरी खातिर उसको जान से मार दोगे क्या...... .

राहुल- तुम्हारे और मेरे बीच में अगर कोई आ जाए तो देख लेना वो इस दुनिया में ज़िंदा नही रहेगा. अगर किसी ने तुमको मुझसे छीन लिया तो इस प्युरे दुनिया को आग लगा दूँगा. किसी को नही छोड़ूँगा मैं.

राधिका- तो जनाब इतना ही प्यार करते हो तो इतना वक़्त क्यों लगाया. पहले नही बोल सकते थे क्या मुझसे ये बात.

राहुल- क्या.................. तो इसका मतलब तुम मुझसे ............. और राहुल खुशी से चीख पड़ता है और राधिका को अपनी गोद में उठा लेता है.

राहुल- आज मैं तुमसे अपने दिल की सारी बातें कहना चाहता हूँ राधिका.

राधिका- आइ लव यू राहुल....................लव यू टू मच राहुल और राधिका राहुल को अपने सीने से लगा लेती है.

राधिका- बहुत देर कर दी तुमने लेकिन देर आए दुरुस्त आए. इतना कहकर राधिका ज़ोर से हँसने लगती हैं.................
 
वक़्त के हाथों मजबूर--10

थोड़ी देर में रामू काका भी कुछ स्नॅक्स कोफ़ी वगेरह लेकर वहाँ पर आते हैं और राहुल और राधिका को हंसता देखकर कहते हैं.

रामू- देखा बेटी तुम्हारे कदम इस घर पर क्या पड़े, आज साहब को कितने अरसे के बाद मैने हंसते हुए देखा है.

राधिका- तो क्या जनाब कभी हंसते नही थे क्या.

रामू- हाँ मालकिन ये ड्यूटी से घर आते और खाना खाकर अपने रूम में सो जाते और सुबह फिर नाश्ता करके बाहर निकल जाते. इनका रोज़ का यही रुटीन है.

राधिका- देखिएगा रामू काका अब मैं आ गयी हूँ ना अब ट्रेन बिल्कुल पटरी पर दौड़ेगी. इतना कहकर रामू काका , राधिका और राहुल ज़ोर से हंसते हैं.

थोड़ी देर के बाद दोनो नाश्ता करते हैं. नाश्ता करने के बाद राहुल राधिका को अपने पर्सनल रूम मे ले जाता है.

राधिका- वाह!!! कितना बेहतरीन कमरा है. सब कुछ वेल फर्निश्ड. राधिका एक टक राहुल के रूम को देखने लगती हैं. वही डबल बेड के उपर राहुल की बचपन की तस्वीर थी और उसके माता पिता की भी साथ में थी. राधिका वो फोटो उठा कर देखने लगती हैं.

राहुल- ये ही हैं मेरे मोम, डॅड, इनकी रोड आक्सिडेंट में डेत हो गयी थी. तब से मैं अकेला.....................

राहुल ये शब्द आगे बोल पाता उससे पहले राधिका अपना हाथ राहुल के मूह पर रखकर चुप करा देती है. राहुल भी आगे कुछ नही बोल पाता.

राधिका- किसने कहा कि तुम दुनिया में अकेले हो. अब मैं हूँ ना तुम्हारे साथ. मेरी कसम आज के बाद तुम कभी आपने आप को अकेला मत कहना.

राहुल- ठीक है नही कहूँगा प्रॉमिस इतना कहकर राहुल राधिका का हाथ पकड़ लेता है..

राधिका- हाँ तुम मुझसे कुछ कहने चाहते थे ना अपने दिल की बात ज़रा मैं भी तो सुनू कि तुम्हारे दिल में क्या है.

राहुल- राधिका सच कहु मुझे तो विश्वास ही नही हो रहा कि तुम अब मेरी हो. लग रहा है कि मैं कोई सपना देख रहा हूँ. मैने तुम्हारे जिस्म से प्यार नही किया है बल्कि मैं तुम्हारी उस आत्मा को चाहता हूँ. तुम अब मेरी रूह में समा चुकी हो. राधिका ये मेरी खुसकिस्मती है कि अब तुम्हारा प्यार मेरे साथ है. जानती हो मैने एक गीत जो मैं बचपन से सुनता चला आ रहा हूँ उस गीत में मैने सिर्फ़ तुम्हें देखा हैं. वो गीत जो मेरी जिंदगी का एक हिस्सा बन चुका है. जिसमे मैने पल पल सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हें महसूस किया है.

राहुल नज़दीक में सीडी प्लेयर को ऑन करता है और एक बहुत ही पुराना गीत बजने लगता है. वो गीत है.............

चाँद सी महबूबा हो मेरी, कब ऐसा मैने सोचा था............

हाँ तुम बिल्कुल वैसी हो जैसा मैने सोचा था...................

जिसे राधिका भी सुनकर लगभग खो सी जाती है. जैसे ही वो गीत ख़तम होता है राहुल राधिका के एक दम नज़दीक आकर उसके हाथ अपने हाथ में लेकर चूम लेता है.

इस गीत में मैने तुम्हें पाया है. जैसी मैने कल्पना की थी सच में तुम उससे भी बढ़कर हो. और इतना कहकर राहुल राधिका को अपने सीने से लगा लेता है. कुछ देर तक वो एक दूसरे से यू ही सटे रहते हैं. फिर राधिका आगे बढ़कर अपने लब धीरे धीरे राहुल के लब से चिपका लेती है. और फिर दोनो आँख बंद कर के एक दूसरे में खोते चले जाते हैं.

राधिका धीरे धीरे राहुल के होंठो को अपने होंठो से चिपका कर ऐसे चुसती है जैसे कोई दूध पीता बच्चा अपनी मा का दूध पीता है.दोनो की धड़कनें एक दम तेज़ हो जाती है. राधिका धीरे धीरे अपने होंठ पूरा खोल देती है और राहुल भी अपने होंठ धीरे धीरे राधिका के मूह में लेकर चूस्ता है. पहले वो राधिका के उपर के लिप्स को अच्छे से चूस्ता है फिर धीरे धीरे नीचे के लिप्स को बड़े प्यार से अपने दाँत से दबाकर हल्का सा काटने लगता है. राधिका भी अब पूरी तरह से राहुल में खो जाती है. राधिका और राहुल को कोई होश ही नही रहता कि वो किस दुनिया में हैं.

फिर राधिका धीरे धीरे अपना हाथ राहुल के हाथों में देती है और फिर उसका दाया हाथ अपने हाथ में पकड़कर धीरे धीरे अपने कंधे पर रखकर अपने हाथों से उसे नीचे अपनी सीने की तरफ बढ़ाती है. राहुल का हाथ भी जैसे राधिका घुमाति है वो वैसे ही घूमता है. कुछ देर में वो राहुल का हाथ धीरे धीरे सरकाते हुए अपने लेफ्ट सीने पर रख देता है और अपने हाथ को ज़ोर से राहुल पर प्रेशर करती है.
 
राहुल भी उसके सीने को अपने हाथों से महसूस करता है और सोचता है कितनी मुलायम है राधिका के बूब्स किसी मखमल तरह.इस बीच राधिका और राहुल एक दूसरे के लिप्स को आपस में चूस्ते रहते हैं. दोनो के थूक एक दूसरे के मूह में थे. मगर एक ही पल में जैसे राहुल को होश आता है और वो अपना हाथ राधिका के सीने से झटक देता हैं. और वो राधिका से दूर हो जाता है.

उसके इस तरह बदलाव को देखकर राधिका चौक जाती है और फिर कुछ देर में दोनो नॉर्मल होते हैं.

राधिका- क्या हुआ राहुल मुझसे कोई ग़लती हो गयी क्या.

राहुल- नही राधिका ये ठीक नही है. मैने तुमसे कहा था ना कि मैं तुम्हारी आत्मा से प्यार करता हूँ .मुझे तुम्हारा जिस्म नही चाहिए. और ये सब शादी के बाद ही ठीक हैं और मैं नही चाहता कि कल को कोई बात हो जाए तो ये दुनिया तुम पर उंगली उठाए.

राधिका- मुझे दुनिया की परवाह नही है राहुल मुझे बस तुम्हारा साथ चाहिए. राहुल मैं पूरी तरह से तुम्हारी होना चाहती हूँ और हमारे पूरे मिलन के लिए हमारा एक होना बहुत ज़रूरी है ,मेरे पास आओ राहुल मुझे अपने सीने से लगाकर मुझे अपना बना लो. मैं तुम्हारे साथ सोना चाहती हूँ राहुल, अब मैं लड़की से औरत बनना चाहती हूँ. मेरी प्यास बुझा दो राहुल. आइ लव यू..............

राहुल- होश में आओ राधिका. तुम्हें ये क्या हो गया है भला तुम ऐसे कैसे बहक सकती हो. मैं तुम्हें यहाँ पर इसलिए लेकर नही आया था कि मैं तुम्हारे जिस्म को भोग़ू. बल्कि मैं तो तुम्हें अपने प्यार का इज़हार करने के लिए अपनी दिल की बात बताने के लिए लाया था. और तुम कुछ और ही समझ रही हो.

राधिका- नही राहुल मैं अब बस पूरी तरह तुम्हारी होना चाहती हूँ. अगर तुम्हें शरम आ रही मेरे कपड़े उतारने को तो बोल दो मैं खुद ही तुम्हारे सामने अपने पूरे कपड़े निकाल देती हूँ.

राहुल- ज़ोर से चीखते हुए. राधिका ये तुम क्यों बहकी बहकी बातें कर रही हो. मैं जानता हूँ कि तुम्हारी भी कुछ ज़रूरतें हैं मगर अभी उसका वक़्त नही आया है. अब हम मिल गये हैं तो हमे कोई नही रोक सकता हमारा मिलन होने से.

राधिका- कैसे मर्द हो तुम राहुल एक लड़की खुद अपनी इज़्ज़त देना चाहती है और तुम मना कर रहे हो. आज मेरे पीछे हज़ारों की लाइन लगी हैं. मगर मैं जमाना पीछे छोड़कर बस तुम्हारे लिए ये सब करना चाहती हूँ. प्लीज़ राहुल मुझे अपना लो. मेरी प्यास शांत कर दो राहुल. वरना मैं बहक जाउन्गि.

राहुल- कैसे मैं तुम्हें समझाऊ राधिका ये ठीक नही है कल को अगर तुम बिन ब्याही मा बन गयी तो ज़माना तुम पर हसेगा.

राधिका- मुझे ज़माने की कोई फिकर नही है राहुल. ज़माना हंसता है तो हँसे. मैं तुम्हारे लिए बिन ब्याही मा बनने को भी तैयार हूँ. इस वक़्त मुझे तुम्हारा प्यार चाहिए.

तभी रामू काका कमरे में आते हैं और बोलते हैं कि खाना बन गया है. आप दोनो नीचे मूह हाथ धोकर बैठिए मैं खाना निकाल देता हूँ. फिर रामू काका कमरे के बाहर चले जाते हैं.

राधिका- जानते हो राहुल अपने अंदर इस आग को मैने पूरे 22 साल तक रोका है. आज मेरा सब्र टूट चुका है. आज अगर मेरी ये आग ठंडी नही हुई तो राहुल मैं कहीं बहक कर कोई ग़लत काम ना कर बैठू कि कभी फिर तुम्हारी नज़रों में फिर उठ ना पाऊ.

राहुल- ऐसा कुछ नही होगा राधिका. मुझे तुम पर पूरा विश्वास है. अब जल्दी से मूह हाथ धो लो और खाना खाने चलो.

राधिका- ठीक हैं लेकिन कब तक मुझसे बचते फ़िरोगे देख लेना एक दिन ये खबर ज़रूर आएगी कि एक लड़की ने पोलिसेवाले का रेप किया..

और राहुल मुस्कुरा देता हैं.

राहुल - मैं आपने आप को बहुत किस्मत वाला समझूंगा जिस्दीन तुम मेरा रेप करोगी...........इतना कहकर राधिका और राहुल दोनो मुस्करा देते हैं.

थोड़ी देर में राधिका और राहुल नीचे खाना खाते हैं और ऐसे ही बातों में 4 बज जाते हैं और राहुल राधिका को घर पर लाकर छोड़ देता है. और वो सीधा थाने चला जाता है.............

राधिका सीधे वहाँ से अपने घर आती है. और घर आकर घर का मंज़र देखकर उसके होश उड़ जाते हैं. घर पर उसके बड़े भैया एक हाथ में शराब की बॉटल लिए और दूसरे हाथ में सिग्रेट की कश लेकर फर्श पर बैठे पूरे नशे में धुत थे. वो अचानक राधिका को देखकर चौंक जाते है और शराब की बॉटल को अपने पीछे छुपाने की कोशिश करते हैं..
 
राधिका- भैया , ये आपने क्या हाल बना रखा हैं. और आप इस वक़्त शराब पी रहे हैं. आपको शरम नही आती घर पर ये सब करते हुए.

कृष्णा- राधिका!! मेरी बेहन तू कहाँ रह गयी थी आज, आने में इतनी देर कर दी.

राधिका-भैया कभी तो होश में रहा करो. दिन रात शराब में ही डूबे हुए रहते हो. घर की थोड़ी भी चिंता है क्या आपको.

कृष्णा- चिंता हैं ना, बहुत चिंता है. घर पर एक जवान बेहन हैं. मुझे उसकी शादी भी तो करनी है. लेकिन तुझे तो मेरी कोई चिंता ही नही है.

राधिका- ये आपको किसने कह दिया कि मुझे आपकी चिंता नही हैं. अगर आपको पीने से फ़ुर्सत मिले तब तो आपको कुछ दिखेगा ना.

कृष्णा- अगर तुझे मेरी इतनी ही चिंता होती तो तू मेरी बात क्यों नही मान लेती. आख़िर क्या बुराई हैं इसमें.

सब लोग तो करते हैं फिर ...............

राधिका- भैया प्लीज़ इस वक़्त आप होश में नही हो इस लिए कुछ भी बोल रहे हो. आपका नशा उतर जाएगा तो फिर बात करेंगे.

जैसे ही राधिका जाने के लिए मुड़ती हैं कृष्णा जल्दी से उठकर उसका हाथ पकड़ लेता है और राधिका को अपने करीब खीच लेता हैं.

राधिका- भैया ये क्या बदतमीज़ी हैं. छोड़ दीजिए मेरा हाथ. आप इस वक़्त बिल्कुल होश में नही हैं. मेरा इस वक़्त आपके सामने से चले जाना ही बेहतर हैं.

कृष्णा- तू कहीं नही जाएगी जो कुछ भी बात होगी मेरे सामने होगी, और अभी होगी , इसी वक़्त. कृष्णा की आँखों में तो जैसे खून उतर आया था राधिका जैसे ही उसकी नजरो में देखती हैं वो वही डर से सहम जाती है और रुक जाती हैं.

राधिका- आपको थोड़ी भी समझ हैं भैया कि आप मुझसे क्या माँग रहे हैं. भला कोई भाई अपनी ही बेहन से ...................

राधिका इतना बोलकर चुप हो जाती हैं.

कृष्णा- इसी बात का तो दुख हैं राधिका कि तू मेरी बेहन हैं. अगर तू मेरी बीवी होती तो तुझे रात दिन मैं प्यार करता.

राधिका- देखिए भैया अब बात हद्द से ज़्यादा बढ़ रही हैं. आप प्लीज़ जा कर सो जाइए जब आपका नशा उतर जाएगा तो बात करेंगे.

कृष्णा- मैं पूरे होश में हूँ राधिका. मुझे इस वक़्त सबसे ज़्यादा तेरी ज़रूरत हैं.

राधिका- भैया और भी तो ज़रूरतें होती हैं , वो तो मैं पूरा करती हूँ ना फिर................

कृष्णा- एक औरत चाहे तो अपना घर बचाने के लिए कभी बीवी, बेहन, मा, बेटी सब कुछ बन सकती हैं.तो फिर तू क्यों इतना सोचती हैं.

राधिका- हां मैं मानती हूँ कि औरत वक़्त पड़ने पर सब कुछ बॅन सकती हैं मगर बेहन से बीवी कभी नही........ये नही हो सकता. और मा ने तो आपको वचन भी दिया था ना कि अपनी बेहन की इज़्ज़त की रक्षा करना लेकिन आप ही मेरी इज़्ज़त उतारने के पीछे पड़े हुए हो.

कृष्णा- ठीक है, अगर तुझे मेरी बात नही माननी तो जा यहाँ से मुझे मेरे हाल पर छोड़ दे. मैं कैसे भी जी लूँगा.

राधिका के आँख में आँसू आ जाते हैं उसे कुछ भी समझ नही आता कि वो क्या करे.

राधिका- प्लीज़ भैया मैं ये सब नही कर पाउन्गि, मैं मर जाना पसंद करूँगी लेकिन मुझसे इतना गंदा काम नही हो सकता. आप जानते हो कि भाई बेहन का रिश्ता कितना पवित्र होता हैं. और आप................

कृष्णा- गुस्से से लाल होते हुए..... राधिका !!! बस बहुत हो गया , अब तेरा मेरा कोई रिश्ता नही, आज से मैं तेरा कोई नही..तुझे तो अपनी झूठी शान और इज़्ज़त की परवाह हैं ना, मेरी कोई चिंता नही ना... ये समाज ये दुनिए की फिक्र हैं ना, तब मेरा इस घर में क्या काम, और मेरा इस घर में रहने का भी अब कोई मतलब नही .....

राधिका- भैया ये आप क्या बोल रहे हो ..........प्लीज़. ... आप ऐसे नही कर सकते आप घर छोड़ कर नही जा सकते......

राधिका के आँख से आँसू थमने का नाम ही नही ले रहे थे.......वो चुप वही खड़ी गुम्सुम सी खड़ी थी. कृष्णा उठकर अपने कपड़े और कुछ समान अपने बॅग में रखने लगा.

थोड़ी देर में उसका समान पॅक हो गया और जाने के लिए जैसे वो मुड़ा वैसे ही राधिका दौड़ कर मेन डोर का दरवाज़ा जल्दी से बंद कर देती हैं.

राधिका- आप ऐसे घर छोड़ कर नही जा सकते. मैं आपके बगैर नही रह पाउन्गि भैया. भला ये कैसी ज़िद्द हैं भैया कुछ भी हो जाए मैं आपको जाने नही दूँगी.

कृष्णा-हट जा मेरे रास्ते से. वरना आच्छा नही होगा. मुझे इस घर में एक पल भी और नही रहना हैं. .......

राधिका- भैया मान जाओ ना प्लीज़ आप समझते क्यों नही ये नही हो सकता. मैं आपको कैसे समझाऊ...........

कृष्णा- चल हट जा, मुझे अब कुछ समझने की ज़रूरत नही है. आज से समझ लेना कि मैं तेरे लिए मर चुका हूँ.

राधिका- आपने आँसू पोछते हुए. भैया रुक जाइए ना प्लीज़ मैं आपके बगैर नही रह पाउन्गि.........

कृष्णा- एक शर्त पर ही रुकुंगा बोल जो मैं चाहता हूँ वो तू करने को तैयार हैं कि नही . अगर तेरा जवाब ना हैं तो मैं अब किसी भी हाल में यही नही रहूँगा.............

लगभग कुछ देर तक राधिका यू ही खामोश रहती हैं और अपनी गर्देन नीचे झुका कर ज़मीन की ओर देखती हैं.

कृष्णा- नीचे क्या देख रही हैं. मुझे तेरा जवाब चाहिए..................हा ..........या ............... नाअ..................

राधिका- भैया ये कैसी ज़िद्द मैं.....मैं तुम्हें कैसे समझाऊ............

कृष्णा- मुझे तेरा ज़बाब चाहिए. हां ...........या ......ना.............

राधिका- अपने आँखों से आँसू पोछते हुए.. ठीक हैं भैया अगर आपकी यही ज़िद्द हैं तो मैं आपके साथ वो सब करने को तैयार हूँ. अगर इसी में आपको खुशी मिलती हैं तो आइए आपका जो दिल में आए मेरे साथ कर लीजिए मैं आपको आब मना नही करूँगी. . आइए और अपनी हवस की आग को ठंडा कर लीजिए और तब तक जब तक आपका मन नही भरता.

इतना कहकर राधिका अपना दुपट्टा नीचे ज़मीन पर फेंक देती हैं और अपनी गर्देन नीचे झुका लेती हैं. उसकी आँखो से अब भी आँसू थमने का नाम ही नही ले रहे थे.

कृष्णा भी राधिका की बात को सुनकर लगभग शर्म से अपनी गर्देन नीचे झुका लेता हैं और धीरे से राधिका के करीब आता हैं.

कृष्णा- मुझे माफ़ कर दे राधिका, मुझे ये शराब जीने नही देती, जब मैं नशे में होता हूँ तो मुझे कुछ पता ही नही चलता कि क्या सही है और क्या ग़लत. और तू है भी इतनी खूबसूरत कि जब भी मैं तुझे देखता हूँ अपना सब कुछ भूल जाता हूँ. मुझे ये भी ध्यान नही रहता कि तू मेरी बेहन है.
 
Back
Top