Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर - Page 17 - SexBaba
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Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर

वक़्त के हाथों मजबूर--43




इन सब से बेख़बर इधर बिहारी के अड्डे पर.....



राधिका के शरीर पर जगह जगह घाव के निशान थे. होंठो से हल्का खून भी बह रहा था और उसके निपल्स का रंग नीला पड़ गया था..करीब 6 बजे काजीरी वहाँ पर आती हैं और राधिका के जिस्म को शॉल से ढक देती हैं और फिर उसे गाड़ी में लेकर बिहारी के पास आती हैं. राधिका अभी भी बेहोशी की हालत में थी.. राधिका की ऐसी हालत देखकर बिहारी गुस्से से बौखला जाता हैं..



बिहारी- मैने तुझे कहा था ना कि इसे कुछ नहीं होना चाहिए फिर भी तेरे रहते इसकी ऐसी हालत हुई. अगर इसे कुछ हो गया तो मैं तेरी मा चोद दूँगा... तू मुझे अभी लगता हैं अच्छे से जानती नहीं हैं..



काजीरी- मैं क्या करती वे लोग कहने लगे कि हम ने 10 लाख रुपए दिए हैं एक रात के इसलिए मुझे बाहर निकाल दिया और अपनी मनमानी करते रहें...काजीरी के मूह से ग़लती से 10 लाख वाली बात निकल जाती हैं और इतना सुनते ही बिहारी गुस्से से भड़क जाता हैं...



बिहारी- क्या............10 लाख...मदर्चोद.... कामिनी कहीं की ..हम को 5 लाख दी और उन सब से 10 लाख....सच में तू बड़ी मदर्चोद हैं... मैने तेरे जैसी पैसों की लालची औरत नहीं देखी.. तू तो पैसों के लिए अपनी बेटी को भी बेच दे... निकल जा अभी इसी वक़्त मेरे सामने से और तेरे लिए यही बहतार होगा कि तू अपनी ये मनहूस शकल मुझे दुबारा मत दिखाना....और हां मेरे सामने अब दुबारा आने की कोई ज़रूरत नहीं हैं अगर ऐसा हुआ तो कहीं ऐसा ना हो कि मेरे हाथों को तेरा खून करना पड़े.. दफ़ा हो जा इसी वक़्त ....कजरी चुप चाप वहाँ से बाहर निकल जाती हैं. तभी शंकर काका कमरे में आते हैं और राधिका की हालत देखकर वो चीख पड़ते हैं...



शंकर- ये सब क्या किया मालिक.. इस फूल जैसी बच्ची का क्या हाल किया हैं आप सब ने... सच में आप सब इंसान नहीं हैवान हैं..अगर आप सब के अंदर ज़रा सी भी इंसानियत होती तो इस फूल जैसी बच्ची के साथ ऐसा सुलूख कभी ना करते... इससे अच्छा होता कि इसका अपने हाथों से इसका गला घोंट देते मालिक. कम से कम इसको इतनी ज़ल्लत तो नहीं सहनी पड़ती...देखिए गौर से इसे मालिक जब ये पहले दिन यहाँ आई थी तब ये कैसी लग रही थी और आज इसकी कैसी हालत हैं. अब भी मैं आपके हाथ जोड़ता हूँ मालिक भगवान के लिए इसे अब छोड़ दो नहीं तो ये अब मर जाएगी...



शंकर की बाते से बिहारी भी काँप उठता हैं और अपना सिर नीचे झुका लेता हैं.. तभी विजय शंकर के पास जाता हैं और एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर जड़ देता हैं.



विजय- कमीना ... नमक हराम कहीं का. जिस थाली में ख़ाता हैं उसी में छेद करता हैं. हमारा ही नौकर हैं और आज हमे ही आँख दिखा रहा हैं..अरे ये क्या बोलेगा जो कुछ पूछना हैं मुझसे पूछ ये तो खुद ही इस लौंडिया के प्यार में पड़ गया हैं.. अभी आज आखरी दिन हैं. और कल सुबेह ये लड़की आज़ाद हो जाएगी तब तक तो ये हम सब की रखैल हैं...



बिहारी ज़ोर से चिल्लाते हुए.... तेरी हिम्मत कैसे हुई कि तूने शंकर काका पर अपना हाथ उठाया...अगर तू मेरा दोस्त नहीं होता तो तुझे मैं यहीं ज़िंदा ज़मीन में गाढ देता..



विजय- बहुत खूब बिहारी आख़िर तूने एक नौकर के बदले अपने दोस्त पर उंगली उठा ही दी.. मगर ये मत भूल कि तू मेरा बिज्निस पार्ट्नर भी हैं. और मैं तेरा कोई गुलाम नहीं हूँ कि तू जो बोलेगा वो मैं करूँगा....



बिहारी-विजय आख़िर तूने अपनी औकात दिखा ही दी.. आज के बाद मैं तेरे साथ सारे रिलेशन्स तोड़ता हूँ...



विजय- ठीक हैं बिहारी तोड़ लेना पर मैं भी इतना बेवकूफ़ नहीं हूँ पहले मेरे सारे हिसाब क्लियर कर और कल तक मैं यहीं रहूँगा फिर तू मेरा हिसाब क्लियर कर देना मैं अलग हो जाउन्गा और नये सिरे से अपना धंधा शुरू करूँगा... बिहारी गुस्से से विजय को देखता हैं मगर कुछ नहीं बोलता.... ये सब देख कर जग्गा भी अपना पासा पलट देता हैं और वो भी विजय का पक्ष लेता हैं...

 
इधेर राधिका की हालत बिगड़ने लगती हैं. और शंकर काका उसे अपने रूम में ले जाते हैं और उसकी मलहम पट्टी करना शुरू कर देते हैं. राधिका के गुप्तांगों से हल्की हल्की ब्लीडिंग अभी भी हो रही थी. शंकर काका एक गीले कपड़े से उसके जिस्म को अच्छे से पूछते हैं और उसके चेहरे पर पानी की छींटे मरते हैं...राधिका को होश आता हैं और तुरंत उसकी ओमोटिंग शुरू हो जाती हैं. रात भर जो कुछ उसके साथ हुआ था वो सब ओमिटिंग के रास्ते उसके मूह से बाहर आता हैं. राधिका के मूह से कुछ खून भी बाहर निकलता हैं.. और थोड़ी देर के बाद वो अपने आप को काफ़ी हल्का महसूस करती हैं...



शंकर काका उसके जिस्म की सिकाई करते हैं और फिर उसके सिर पर तेल लगाते हैं और उसे बाथरूम में लेजा कर उसे अच्छे से नहलाते हैं. फिर वहीं शॉल उसे पहना देते हैं. राधिका थोड़ा सा खाना खाती हैं फिर वो वहीं बिस्तेर पर जाकर सो जाती हैं... आज राधिका का चेहरे पूरा पीला पड़ गया था और उसके निपल्स पर और उसके बदन के कई हिस्सों पर नीले और काले रंग के निशान पड़ गये थे.. वो थोड़ी देर के बाद गहरी नींद में सो जाती हैं. करीब शाम को 5 बजे उसकी नींद खुलती हैं और वो तुरंत उठ कर बैठ जाती हैं.. अब वो पहले से काफ़ी अच्छा महसूस कर रही थी...



तभी शंकर काका उसके पास आते हैं और और उसके सिर पर बड़े प्यार से अपना हाथ फिराते हैं. आज शंकर काका बिहारी से बात करके राधिका को आराम करने के लिए मना चुके थे. और बिहारी ने उसकी पर्मिशन भी दे दी थी..अब सिर्फ़ 12 घंटों का फासला था राधिका की आज़ादी के लिए मगर इन बारह घंटों में ऐसा कुछ होने वाला था जो राधिका ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था..




उधेर राहुल राधिका के लिए बहुत परेशान था. उसे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि राधिका बिन बताए अचानक कहाँ जा सकती हैं..और वही हाल उधेर निशा का भी था..राहुल फिर निशा को उसके घर तक छोड़ आता हैं और तुरंत राधिका के घर की ओर निकल पड़ता हैं. फिर वो आस पास के लोगों से उसके बारे में पूछ-ताछ करता हैं. सबकी बातो से उसे ये तो पता चलता हैं कि राधिका इस वक़्त बिहारी के पास हैं और उसी ने राधिका को कहीं छुपा कर रखा हुआ हैं... कहीं वो राधिका के साथ कुछ ग़लत तो नहीं .............नहीं.. नहीं ऐसा नहीं हो सकता .ये सारी बाते सोचकर राहुल का चेहरा गुस्से से लाल पड़ जाता हैं.



थोड़ी देर के बाद वो सीधा पोलीस स्टेशन जाता हैं और जाकर कृष्णा से जैल में मिलता हैं... राहुल को ऐसे इतनी रात गये उसके पास आता देखकर कृष्णा भी चौंक जाता हैं और सवाल भरी नज़रो से कृष्णा को देखने लगता हैं..



कृष्णा- साहेब..इतनी रात गये... क्या कोई ज़रूरी बात थी जो मुझसे मिलने तुम्हें अभी इस वक़्त आना पड़ा...



राहुल- देखो कृष्णा बात बहुत ही सीरीयस हैं.. और इस वक्त मुझे तुमसे कुछ जानकारी चाहिए.. जो मैं पूच्छू तुम अगर मुझे सारी बातें सॉफ सॉफ मुझे बताओगे तो ये हम सब के लिए अच्छा होगा... कृष्णा को राहुल की बातें कुछ भी समझ में नही आती... की राहुल उससे क्या कहना चाहता हैं..



कृष्णा- मैं कुछ समझा नहीं साहेब आख़िर तुम किस बारे में मुझसे जानकारी चाहते हो??



राहुल- बिहारी के बारे में.... मुझे बिहारी के बारे में जो कुछ भी तुम जानते हो वो मुझे सारी इन्फर्मेशन चाहिए..



कृष्णा- मगर अभी इस वक़्त....



राहुल- हां .... इस वक़्त....और तुम्हारे बापू नहीं दिख रहें.. कहाँ हैं वो...क्या किसी ने उनकी ज़मानत दी हैं???



कृष्णा- आज शाम को ही बिहारी के आदमी आए थे और उनकी जमानत करवा कर उन्हें अपने साथ ले गये हैं.. कह रहे थे कि एक दो दिन में मेरा भी ज़मानत वे लोग करवाएँगे...



राहुल- कहाँ गये होंगे वो इस वक़्त.. तुम्हें कुछ मालूम हैं.. मैं इसी वक़्त तुम्हारे घर से ही आ रहा हूँ. तुम्हारे घर पर ताला लगा हुआ हैं. वो तो अपने घर पर भी नहीं गये... तो फिर कहाँ जा सकते हैं वो...राहुल की बातो से कृष्णा चौंक जाता हैं...



कृष्णा- क्या??? ताला लगा हुआ हैं... मगर राधिका तो होगी ना अपने घर पर इस वक़्त.. वो इतनी रात को कहाँ जा सकती हैं??? कहीं वो निशा के घर तो नहीं गयी होगी..हो ना हो..वो ज़रूर निशा के घर पर ही गयी होगी...



राहुल- नहीं.... वो निशा के घर पर भी नहीं हैं.. निशा ने मुझे खुद फोन करके मुझे मुंबई से आज ही यहाँ बुलाया हैं... वो तो उससे 6 दिनों से मिली भी नही ... और तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूँ कि राधिका पूरे 6 दिनों से अपने घर से गायब हैं... मैं अगल बगल के लोगों से उसके बारे में पूछ चुका हूँ..और सब ने यही कहा हैं कि वो 6 दिनों से अपने घर नहीं आई. हां 6 दिन पहले कोई गाड़ी आई थी उसे लेने के लिए.. तब से वो अब तक अपने घर नहीं लौटी.. मुझे तो पूरा यकीन हैं कि इन सब के पीछे बिहारी का ही हाथ हैं...इस लिए मुझे इतनी रात गये तुम्हारे पास आना पड़ा क्यों कि बिहारी के ठिकाने के बारे में तुम जानते हो...
 
राहुल की बातो को सुनकर कृष्णा के होश उड़ जाते हैं और वो वहीं धाम्म से ज़मीन पर बैठ जाता हैं... नहीं साहेब........ऐसा नहीं हो सकता... मेरी बेहन के साथ ऐसा नहीं हो सकता...वो ज़रूर किसी मुसीबत में हैं... मैं आपके आगे हाथ जोड़ता हूँ साहेब उसे कहीं से भी ढूंड कर ले आओ... अगर उसे कुछ हो गया तो मैं उसके बगैर जी नहीं पाउन्गा.... और कृष्णा वहीं रोने लगता हैं... राहुल के आँखों से भी आँसू छलक पड़ते हैं और वो भी कुछ देर तक यू ही खामोश रहता हैं........



राहुल- देखो कृष्णा मेरी बात ध्यान से सुनो..मैं जानता हूँ की राधिका जहाँ कहीं भी है वो ज़रूर किसी मुसीबत में हैं. और उसका मोबाइल भी स्विच ऑफ आ रहा हैं. बेहतर यही होगा कि तुम बिहारी के सारे ठिकाने मुझे बताओ और जिन लोगों से उसके कॉंटॅक्ट्स हैं उन सभी आदमियों के बारे में मुझे सारी जानकारी दो.. हो सकता हैं कि राधिका का पता हमे जल्दी ही मिल जाए... फिर कृष्णा एक एक कर सारी बाते राहुल को बताता चला जाता हैं और जब राहुल वो सारी बातें सुनता हैं तो उसके होश उड़ जाते हैं....



कृष्णा ने अपने और राधिका के बीच रिस्ते को और निशा वाला बात छोड़ कर सारी बातें बता देता हैं...



राहुल- बिहारी ने इतना कुछ तुम लोगों के साथ किया और तुम ने मुझे कोई भी बात बताना ज़रूरी नहीं समझा.. इसका मतलब अब तो सॉफ हैं की इन सब के पीछे बिहारी का ही हाथ हैं... बताओ मुझे वो इस वक़्त कहाँ मिलेगा और नहीं तो उसके खास खास आदमियों के बारे में मुझे जानकारी दो... कृष्णा को जो याद आता हैं वो सारी जानकारी राहुल को दे देता हैं..



कृष्णा- अगर बापू होते तो वो तुम्हें उसके सारे पते बता देते. क्यों कि वो उसकी हर बात जानते हैं. और वो सभी आदमियों को भी अच्छे से पहचानते हैं... पर इस वक़्त वो भी यहाँ पर मौजूद नहीं हैं....



राहुल- ठीक हैं कृष्णा.. जो हुआ सो हुआ.. अब मैं एक एक उसके सभी ठिकानों पर छापा मारता हूँ. हो सकता हैं राधिका का पता चल जाए.. मैं आसमान ज़मीन एक कर दूँगा मगर राधिका को कहीं से भी ढूँढ निकालूँगा... फिर राहुल अपने मिशन पर अपनी पूरी पोलीस फोर्स के साथ राधिका की तलाशी में निकल पड़ता हैं.. पहले वो बिहारी के कॉंटॅक्ट्स में दो तीन होटेल्स में छापा मरवाता हैं और कई सारे लड़कियों को प्रॉस्टियुयेशन के धंधे से आज़ाद करवाता हैं. फिर वो काजीरी के आशियाना पर धावा बोलता हैं और उसे अपने रेमंड पर लेता हैं....



थोड़ी देर के बाद काजीरी भी लॉक अप में होती हैं-- तू तो बिहारी के लिए ही काम करती हैं ना.. उसके लिए लड़कियों तू ही कस्टमर्स तक पहुँचाती हैं ना... तेरी भलाई इसी में हैं कि तू चुप चाप सब कुछ सच सच बक दे.. नहीं तो मुझे सच उगलावलने के और भी तरीके आते हैं.. और हां ये मत समझा कि तू एक औरत हैं तो मैं तुझपर तरस खाउन्गा... अगर तू अपनी भलाई चाहती हैं तो जो कुछ भी जानती हैं चल फटा फट बकती जा..



काजीरी- मुझे कुछ नहीं मालूम साहेब... सच में मैं बिहारी के बारे में कुछ नहीं जानती... वो कहाँ रहता हैं मुझे नहीं मालूम.. उसको जब ज़रूरत पड़ती हैं तो वो कभी कभी मेरे यहाँ पर आता हैं मगर जब से वो एमएलए बन गया तब से वो अपने घर पर ही लड़कियों को बुलवा लेता हैं. इसी ज़्यादा मैं कुछ नहीं जानती...



राहुल फिर राधिका के फोटो को उसके सामने रखता हैं और तुरंत काजीरी के चेहरे का रंग बदल जाता हैं और राहुल उसके बदले हुए भाव को अच्छे से पढ़ लेता हैं.- तू इसे जानती हैं.. गौर से देख इसे..इसका नाम राधिका हैं...ये पूरे 6 दिनों से अपने घर से गायब हैं और बिहारी इसके पीछे हाथ धो कर पड़ा हुआ हैं. अगर तूने इसे वहाँ देखा हैं तो सब कुछ सच सच बता दे वरना मैं तेरा वो हाल करूँगा कि अपनी आप परछाई से भी डरेगी...



काजीरी- मैं ...नहीं.. जानती इसे.. मुझे कुछ नहीं मालूम..



राहुल- ले जाओ इसी और इसकी थोड़ी अच्छे से खातिर दारी करो और तब तक करो जब तक ये सब कुछ बक ना दे... फिर दो हवलदार काजीरी को ले जाते हैं और फिर उसके दोनो हाथ और पैर एक रस्सी से बाँध देते हैं और फिर डंडे बरसाना शुरू कर देते हैं. पोलीस स्टेशन में काजीरी की दर्द भरी चीखें सुनाई देती हैं... कजरी ने तो सोच रखा था चाहे कुछ हो जाए वो पोलीस को कुछ नहीं बताएगी मगर यहाँ तो राहुल के सिर पर खून सवार था. उसने भी तय कर लिया था चाहे काजीरी मार खाते खाते अपनी दम क्यों ना तोड़ दे वो आज इसी सब कुछ उगलवा कर ही दम लेगा... काफ़ी मार खाने के बावज़ूद काजीरी अपना मूह नहीं खोलती और कई दफ़ा वो बेहोश हो जाती हैं... इधेर राहुल अपने आदमियों के साथ फिर से राधिका की तलाशी शुरू कर देता हैं...
 
उधेर निशा का भी रो रो कर बुरा हाल था.. वो पल पल राधिका के लिए बेचैन थी.. वो घर जाकर अपनी मम्मी सीता से लिपटकर बहुत रोती हैं... रोने की वजह भी थी.. आज उसकी जान से बढ़कर उसकी सहेली राधिका पूरे 6 दिनों से ला-पता थी और उसे तो अपने आप पर भी गुस्सा आ रहा था कि वो इतने दिनों तक उससे मिलने क्यों नहीं आई.. अगर इस बीच वो उसके घर आई होती तो ये बात उसे बहुत पहले पता चल गयी होती.. मगर आब उसके हाथ में क्या था...बस उसको अपनी राधिका के लिए इंतेज़ार ही तो करना था उसे तो ये भी नहीं मालूम था कि आज राधिका ज़िंदगी और मौत के बीच में झूल रही हैं..




उधेर बिहारी बस चुप चाप खामोश बैठा हुआ था..तभी विजय की आवाज़ सुनकर बिहारी अपनी सोच से बाहर आता हैं...



विजय- अगर तुझे लगता हैं कि हम अलग रहकर अपना धंधा कर सकते हैं तो इतना समझ ले कि ये हमारे दुश्मनों के लिए ये खुशी की बात होगी...बहतार यही होगा कि हम एक साथ रहकर कोई भी काम करें... इसी में हम सब की भलाई हैं और दोस्ती यारी में तो ये सब होता ही रहता हैं.. बोल तू क्या बोलता हैं...चल यार मैने तेरा दिल दुखाया इसके लिए मैं तुझसे माफी माँगता हूँ.. बिहारी भी कुछ नहीं कहता और विजय तुरंत उसके गले लग जाता हैं...



विजय- बिहारी मुझे तुझसे कुछ अकेले में बात करनी हैं अगर तू थोड़ा मुझे टाइम दे तो.... तभी बिहारी विजय के साथ दूसरे कमरे में चला जाता हैं...



विजय- देख बिहारी मैं जो बात अब तुझसे कहना चाहता हूँ तू मेरी बातो का बुरा मत मानना. अभी राधिका की रिहाई में 12 घंटे बचे हैं..और सोच इन 12 घंटों के बाद राधिका कहीं ऐसा ना हो कि वो सीधा अपने आशिक़ के पास जाकर वो हमारे बारे में सब कुछ सच सच बक दे.. अगर ऐसा हुआ तो राहुल हमे किसी भी हाल में ज़िंदा नहीं छोड़ेगा... बाकी तू खुद समझदार हैं..



बिहारी विजय की बातो से गुस्से से भड़क पड़ता हैं- तेरा दिमाग़ खराब हो गया हैं विजय.. तो तू ये कहना चाहता हैं कि हम राधिका को अब जान से मार दे.. ताकि वो अब राहुल को कुछ ना बता पायें...तेरा कहने का यही मतलब हैं ना...अगर तू ऐसा कुछ सोच रहा हैं तो मैं इसमें तेरा कोई साथ नहीं देने वाला.. पहले ही हम पार्वती को मार कर अपने आप को शक के दायरे में ला चुके हैं..अब अगर राधिका के साथ ऐसा कुछ हम ने किया तो हमारा बचना नामुमकिन हैं..............



विजय- यार तू तो उस लड़की के प्यार में पड़ चुका हैं और नहीं तो तेरी मति मारी गयी हैं... ज़रा ध्यान से सोच मेरी बातो को ..मैने ये कब कहा कि हम राधिका को जान से मारेंगे...पर हमे कुछ तो ऐसा करना होगा कि साँप ही मर जाए और लाठी भी ना टूटे... यानी राधिका भी ज़िंदा रहें और हम सब पूरी तरह सेफ रहें...



बिहारी- तो बोल क्या सोचा हैं.....अगर तेरे पास कोई आइडिया हैं तो बता मुझे...



विजय- मैने सोच तो बहुत कुछ रखा हैं मगर मुझे बस तेरी रज़ामंदी चाहिए... अगर तेरी इज़ाज़त हो तो...



बिहारी- कैसी रज़ामंदी....



विजय- मैं बस यही चाहता हूँ कि जैसे तू इन 6 दिनों तक जैसे अपनी मनमानी करता रहा और अपने हिसाब से हम सब को जैसे चाहा वैसा नचाता रहा.. बस मैं यही चाहता हूँ कि तू अब मुझे ये 12 घंटा मुझे दे दे.. और चुप चाप तमाशा देखता जा. यकीन मान मेरा बिहारी देख लेना हम जैसा चाहते हैं वैसा ही होगा...ये तो मुझे भी नहीं मालूम कि मुझे क्या करना हैं मगर कोई ना कोई सल्यूशन ज़रूर निकल जाएगा....
 
बिहारी कुछ देर सोचता हैं फिर बोलता हैं- तू इतने यकीन से कैसे कह सकता हैं.. अगर हम जैसा चाह रहें हैं वैसे नहीं हुआ तो.......



विजय- तो अब बता मुझे.... हैं कोई दूसरा रास्ता हमारे पास... एक आखरी बाज़ी खेल कर देख लेते हैं... शायद कोई सल्यूशन निकल जाए... अगर कोई सल्यूशन नहीं निकेलगा तो तू राधिका से सीधा बात करना इसके बारे में शायद वो मान जाए....



बिहारी हंसते हुए- तुझे क्या लगता हैं कि उसके साथ इतना कुछ हम ने किया हैं और वो आसानी से मान जाएगी... खैर तू घबरा मत अगर वो राहुल को जाकर सब बक भी देगी तो भी राहुल हम सब का कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा.. हां मगर हमे कुछ दिनों के लिए अंडरग्राउंड होना ज़रूर पड़ेगा...ऐसे ही काफ़ी देर तक वो दोनो प्लॅनिंग बनाते हैं और विजय फिर कमरे से बाहर झट से निकल जाता हैं. और करीब 1/2 घंटा में वो फिर वापस आता हैं... मगर इस बार वो अकेले नहीं आता साथ में उसके कोई और भी आई थी... और जब वो उसे लेकर राधिका के सामने जाता हैं तो राधिका बड़े गौर से उस औरत को देखने लगती हैं..



ये औरत और कोई नहीं बल्कि मोनिका ही थी... राधिका के दिल में फिर से मोनिका के प्रति नफ़रत उमड़ पड़ती हैं और वो अपना मूह दूसरी तरफ फेर लेती हैं... मोनिका भी चुप चाप वहीं खड़ी रहती हैं... बिहारी तो चुप चाप एक मूर्ति की तरह खड़ा तमाशा देख रहा था और वहीं जग्गा भी विजय के बगल में खड़ा था... तभी विजय बोलना शुरू करता हैं...



विजय- देख राधिका अब तेरी रिहाई में केवल 11 घंटे ही बचे हैं... यानी सुबेह के 7 बजे तक तू अपने घर जा सकती हैं मगर इस वक़्त तुझे इन 11 घंटों में जो भी बोला जाएगा तू वो सब कुछ करेगी.. इस वक़्त तू हम सब की रंडी हैं... और इसे तो तू अच्छे से जानती होगी.. ये तेरी नयी दोस्त...मोनिका..उर्फ तन्या...



राधिका एक बार फिर से विजय की ओर नफ़रत से देखती हैं मगर कुछ नहीं कहती...



विजय- तेरे लिए ये खुशी की बात हैं कि हम ने तेरी सारी शर्तें पूरी कर दी हैं.. अब हम ना तेरे आशिक़ को कुछ करेंगे और ना ही तेरी सहेली निशा को... और अब तो तेरा भाई कृष्णा भी एक दो दिन में जैल से रिहा हो जाएगा.. और तेरा बापू तो जैल से अब आज़ाद हो ही चुका हैं.. चिंता मत कर तेरे अपने चाहने वालों से तेरी जल्दी ही मुलाकात होगी... बस थोडा सा और इंतेज़ार....



राधिका- अब क्या बच गया हैं मुझे और नीचा गिराने में...तुम लोगों ने तो कोई कसर नहीं छोड़ी.... बोलो अब जो कुछ बच गया हो वो भी मैं इन 11 घंटों में तुम्हारी हर ख्वाहिश पूरा कर देती हूँ... बोलो क्या चाहते हो तुम..



राधिका के ऐसे वयहहार से विजय की मानो बोलती बंद हो जाती हैं मगर फिर उसके चेहरे पर हँसी आ जाती हैं और वो फिर से कहता हैं..



विजय- नाराज़ क्यों होती हैं मेरी जान ऐसा तो हैं नहीं कि चुदाई के इस खेल में केवल हमे ही मज़ा आता हैं. मज़ा तो तू भी बहुत लेती हैं... अगर तुझे मज़ा नहीं आता तो हम सब के पैरों में गिरकर हम से अपनी चूत चुदवाने के लिए भीख नहीं मांगती... खैर मुझे तो अब तेरे साथ एक नया गेम खेलना हैं और मैं जानता हूँ कि तू इस बार भी हमे निराश नहीं करेगी... बोल करेगी ना हम जो कहेंगे..



राधिका एक नज़र बिहारी पर डालती हैं वो अब भी खामोश था.. फिर वो झट से अपने जिस्म पर ओढ़ा हुआ शॉल निकाल कर अपने बदन से अलग कर देती हैं... राधिका का नंगा जिस्म उन सब की आँखों से सामने हो जाता हैं... अब तो राधिका के अंदर शरम लगभग ख़तम हो चुकी थी..इसलिए अब उसके मन में कोई झीजक नही थी.. मोनिका बड़े गौर से उसे देख रही थी...



विजय- चल मेरी रंडी अब तुझे भी कहना पड़ेगा क्या अपने कपड़े उतारने के लिए... चल तू भी फटफाट अपने सारे कपड़े उतार.. मोनिका कुछ नहीं कहती और अपना हाथ धीरे से अपनी साड़ी की ओर ले जाती हैं और एक एक कर अपने सारे कपड़े उतारना शुरू करती हैं. कुछ देर में वो भी पूरी नंगी हो जाती हैं...
 
विजय- अभी तक तो हम ने कई सारे तुम दोनो के शोज देखे हैं. मगर लेज़्बीयन शो कभी नहीं देखा.. लेज़्बीयन जानती हैं ना मेरी जान.. जैसे पॉर्न मूवीस में होता हैं..औरत और औरत में... तुम दोनो को आज एक दूसरे की प्यास आपस में बुझानी हैं.. और हम सब यहाँ बैठ कर तुम्हारा लाइव शो देखेंगे... चलो फटाफट शुरू हो जाओ...



मोनिका ना चाहते हुए भी राधिका के पास जाती हैं और उसके बगल में बैठ जाती हैं.. राधिका ने भी सिर्फ़ पॉर्न मूवीस में लेज़्बीयन सेक्स देखे थे मगर ऐसा आज पहली बार उसके साथ होने वाला था... उसे बहुत अजीब लग रहा था... तभी मोनिका अपना एक हाथ राधिका के सिर के पीछे ले जाती हैं और राधिका के होंटो को चूम लेती हैं.. राधिका को ये सब बहुत अजीब लग रहा था... और इस तरह का सेक्स मोनिका ने भी आज तक नहीं किया था.. वो भी बड़ी आसमंजश में थी....



थोड़ी देर के बाद वो दोनो एक दूसरे के होंटो को चूसना शुरू करते हैं और मोनिका धीरे धीरे अपना जीभ राधिका के गालों से फिराते हुए उसके पीठ तक ले जाती हैं. अब राधिका फिर से गरम होने लगती हैं.. उसे ये सब अजीब तो लग रहा था मगर अच्छा भी लग रहा था..मोनिका धीरे धीरे पहले राधिका के होंटो को चूस्ति हैं फिर उसकी गर्देन से होते हुए उसके निपल्स पर अपने जीभ फिराती हैं और राधिका भी एक हाथ मोनिका के बूब्स पर रखकर उसके निपल्स को कुरेदने लगती हैं... इधेर मोनिका भी अब गरम हो रही थी... मोनिका नीचे झुक कर राधिका की चूत के पास अपना मूह रख देती हैं और फिर अपनी जीभ उसकी चूत पर फिराती हैं... राधिका अपनी आँखें बंद कर लेती हैं और मस्ती में उसके मूह से सिसकारी निकल पड़ती हैं... वहीं डोर वो तीनों अपने लंड को अपने हाथों से मसल रहें थे... फिर एक एक कर सब अपने कपड़े उतारना शुरू कर देते हैं और कुछ देर में सब नंगे हो जाते हैं...



इधेर राधिका और मोनिका एक दूसरे के बदन को आपस में चूस और चाट रही थी.. कभी राधिका उसके निपल्स को अपने दाँतों से कुरेदति तो कभी मोनिका उसकी चूत में अपनी जीब डालकर अच्छे से चाटती... फिर वो दोनो 69 पोज़ीशन में होते हैं और एक तरफ मोनिका अपनी चूत चुसवाती हैं तो दूसरी तरफ राधिका... तभी विजय उनके करीब आता हैं और एक एक फुट का डिल्डो उन्हें थमा देता हैं... वो डिल्डो दोनो तरफ से यूज़ कर सकते हैं और उसकी मोटाई भी काफ़ी थी... मोनिका और राधिका समझ जाती हैं कि उन्हें क्या करना हैं.. तभी राधिका वो डिल्डो अपने हाथ में लेती हैं और उसे मोनिका की चूत पर रखकर धीरे धीरे प्रेशर बढ़ाने लगती हैं. वो डिल्डो धीरे धीरे उसकी चूत में समाता चला जाता हैं और करीब 8 इंच अंदर जाने के बाद राधिका भी उस डिल्डो पर अपनी चूत रख देती हैं और धीरे धीरे वो उसपर बैठती चली जाती हैं...



कमरे में इस वक़्त पूरा गरमा गरम महॉल था... थोड़ी देर के बाद राधिका की चूत के अंदर वो डिल्डो 8 इंच पूरा चला जाता हैं... उधेर मोनिका भी अपना एक हाथ राधिका के निपल्स पर ले जाती हैं और उसको मसल्ति हैं और अपनी जीभ से राधिका की जीभ को चाटना शुरू करती हैं... इस वक़्त दोनो पूरी मस्ती में थी... उन्हें ये भी नहीं मालूम था कि वो दोनो क्या कर रहें हैं... धीरे धीरे कभी मोनिका अपनी चूत पर दबाव डालती तो कभी राधिका .. जब उन तीनों को नहीं बर्दास्त होता तो वो सब लोग बारी बारी से राधिका और मोनिका के अगल बगल आते हैं.. और जग्गा आकर पहले मोनिका के बूब्स को मसलता हैं और फिर उसकी गान्ड पर अपने हाथ फेरता हैं.



विजय उन दोनो को अपने पास आने को कहता हैं मगर उनकी चूतो से वो डिल्डो नहीं निकालने देता... वो पहले तो राधिका के बूब्स को पूरी ताक़त से मसलता हैं और एक हाथ से मोनिका के बूब्स को दबाता हैं.. दोनो के मूह से सिसकारी निकल जाती हैं..तभी वो झट से बिस्तेर पर पीठ के बल सो जाता हैं और मोनिका को अपने उपर आने को कहता हैं... मोनिका भी समझ जाती है कि अब वो उसकी गान्ड मारना चाहता हैं..फिर वो अपनी चूत में रखा डिल्डो बाहर निकालती हैं और वो विजय के उपर आती हैं..
 
मोनिका भी चुप चाप अपनी गान्ड विजय के लंड पर रखकर धीरे धीरे बैठती चली जाती हैं... धीरे धीरे उसका लंड मोनिका की गान्ड में जाना शुरू हो जाता हैं.. और विजय अपने दोनो हाथों से मोनिका के दोनो बूब्स को अपनी मुट्ठी में थाम लेता हैं और पूरी ताक़त से उन्हें बेरहमी के साथ मसलना शुरू करता हैं... उधेर राधिका भी उसके उपर आती हैं और फिर से वो डिल्डो मोनिका की चूत में डालती हैं और वो भी अपनी चूत पर दबाव डालती हैं... इस वक़्त ऐसी सिचुयेशन्स थी कि विजय मोनिका की गान्ड मार रहा था और मोनिका अपनी पीठ के बल लेटी हुई अपनी चूत में डिल्डो ली हुई थी और उसके उपर राधिका अपनी चूत आगे पीछे कर रही थी.. मोनिका की तो हालत खराब थी...और साथ ही साथ दोनो के लिप्स एक दूसरे से जुड़े हुए थे. कभी मोनिका राधिका के होंटो को चूस्ति तो कभी राधिका....



तभी जग्गा भी राधिका के पास आता हैं और अपना लंड राधिका की गान्ड में डालने लगता हैं...राधिका भी अपनी गान्ड पूरा फैला देती हैं और धीरे धीरे जग्गा का पूरा लंड राधिका की गान्ड में समा जाता हैं... फिर बिहारी वहीं उनके सामने जाता हैं और अपना लंड राधिका के मूह के पास रख देता हैं... राधिका भी एक नज़र बिहारी को देखती हैं फिर वो उसका लंड धीरे धीरे अपने मूह में पूरा लेने लगती हैं और बिहारी राधिका के सिर के बाल को पकड़कर अपना पूरा लंड अंदर बाहर करता हैं... कमरे में सबकी आहें गूँज रही थी....बिहारी का लंड कभी राधिका चूसी तो कभी मोनिका.. बारी बारी वो दोनो बिहारी का लंड चूस रही थी...मोनिका और राधिका का ऐसा पहला अनुभव था पर जो भी था वो बहुत मज़ेदार था....



इस वक़्त राधिका और मोनिका की चूत गान्ड में एक तरफ डिल्डो था तो दूसरी तरफ जग्गा और विजय का लंड...जब भी जग्गा और विकज का लंड आगे पीछे होता उनकी चूत में रखा डिल्डो भी अंदर बाहर जाता.. और उधेर बिहारी बारी बारी से कभी राधिका की मूह में अपना लंड पेलता तो कभी मोनिका के मूह में... राधिका और मोनिका झरने के काफ़ी करीब थी और उनकी मादक सिसकारी निकल रही थी..और उधेर जग्गा और विजय अपने लंड तेज़ी से आगे पीछे कर रहें थे... पाँचों आपस में एक साथ एक दूसरे की चूत और लंड की प्यास बुझाने में लगे हुए थे.... तभी राधिका ज़ोर से चीख पड़ती हैं और उसका ऑर्गॅनिसम हो जाता हैं और साथ ही साथ मोनिका भी चिल्ला पड़ती हैं और वो भी अपनी आँखें बंद करके झरने लगती हैं...थोड़ी देर तक इसी तरह चुदाई का दौर चलता हैं...



अभी तक बिहारी ,जग्गा और विजय तीनों फारिग नहीं हुए थे वो तीनों उठते हैं और बिस्तेर के पास खड़े हो जाते हैं... अभी भी राधिका और मोनिका की साँसें तेज़ चल रही थी और उनकी आँखें बंद थी... तभी विजय वहीं ड्रॉयर के पास जाता हैं और उसमें ड्रग्स की शीशी और इंजेक्षन लेकर आता हैं... इस वक़्त राधिका पूरी तरह से ड्रग्स की अडिक्ट हो चुकी थी.. जब तक वो ड्रग्स नहीं लेती वो बहुत बेचैन रहती... इन सब ने उसे ड्रग्स की पूरी तरह से अडिक्ट बना दिया था... तभी विजय वो इंजेक्षन पहले राधिका के हाथों में लगाता हैं फिर वो दूसरा इंजेक्षन मोनिका के हाथों में लगाता हैं.. वैसे ये पहली बार था कि मोनिका को ड्रग्स का इंजेक्षन दिया गया था... जो हालत राधिका की पहली बार हुई थी वही हालत अभी इस समय मोनिका की थी...



फिर बिहारी जग्गा और विजय ये तीनों वियाग्रा की गोली लेते हैं और फिर से चुदाई का वहीं दौर शुरू हो जाता हैं... इस बार बिहारी बिस्तेर पर लेट जाता हैं और राधिका को अपने लंड पर बैठने को कहता हैं.. राधिका अपनी गान्ड उसके लंड पर रखकर धीरे धीरे बैठ जाती हैं और उधेर विजय उसके पास आता हैं और अपना लंड राधिका की चूत पर रखकर उसकी चूत में एक ही झटके में अपना पूरा लंड डाल देता हैं.. राधिका के मूह से सिसकारी निकल पड़ती हैं और पहले धीरे धीरे फिर बहुत तेज़ी से राधिका की चूत गान्ड की कुटाई शुरू हो जाती हैं... तभी जग्गा मोनिका को वहीं बिस्तेर पर लेटने को कहता हैं और अपनी चूत को वो राधिका के मूह पे रख देती हैं... राधिका भी मोनिका की चूत को धीरे धीरे चाटना शुरू करती हैं और इधेर अपनी चूत और गान्ड एक साथ चुदवाती हैं... तभी जग्गा उसके उपर आता हैं और अपना लंड मोनिका की गान्ड में डाल देता हैं और उसकी गान्ड चोदने लगता हैं...



राधिका और मोनिका फिर से पूरा गरम हो चुकी थी और उधेर विजय और बिहारी अपने लंड आगे पीछे राधिका की चूत और गान्ड में डाले हुए थे... और राधिका इधेर मोनिका की चूत भी चाट रही थी... जग्गा भी पूरे ज़ोर शोर से लगा हुआ था... ऐसे ही करीब 15 मिनिट के बाद मोनिका अब नीचे आती हैं और विजय और बिहारी उसकी चूत और गान्ड मारते हैं और इस बार राधिका अपनी चूत मोनिका के मूह पर रख कर अपनी गान्ड जग्गा से मरवाती हैं..



धीरे धीरे विजय और बिहारी मोनिका की चुदाई करीब 15 मिनिट तक ऐसे ही करते हैं और उधेर मोनिका की हालत खराब होने लगती है..


और तभी विजय अपने लंड पर प्रेशर और तेज़ बनाने लगता हैं और उधेर बिहारी का भी प्रेशर तेज़ हो जाता हैं.. तभी वो चीज़ होता हैं जो किसी ने कभी उम्मीद नहीं की थी. इस तरह बिहारी और विजय का प्रेशर बनाए रखने की वजह से मोनिका को बर्दास्त से बाहर हो जाता हैं वो और चिलाते हुए उसकी मूत बाहर निकल पड़ती हैं... मोनिका तो बहुत कंट्रोल करती हैं मगर अब कुछ नहीं हो सकता था. वहीं बिस्तेर थोड़ा सा गीला हो जाता हैं और मोनिका शरम के मारे अपनी आँखें बंद कर लेती हैं...
 
ये सब देखकर बिहारी मुस्कुरा देता हैं और वो विजय से कहता हैं..



बिहारी- यार थोड़ा धीरे मार ना अपनी जानेमन की गान्ड को.. बेचारी की मूत निकल गयी.. और इतना कहकर वो दोनो ज़ोर ज़ोर से हँसने लगते हैं..मोनिका को तो ऐसा लग रहा था कि वो कहीं जाकर अपना मूह छुपा ले.. राधिका भी उनकी बातो से शरम्शार हो जाती हैं और अपनी आँखें बंद कर लेती हैं...



ऐसे ही ये दौरा चलता रहता हैं और तब तक चलता हैं जब तक उन तीनो का कम नहीं निकल जाता... मगर आज यहाँ पर ये खेल बिहारी नहीं विजय खेल रहा था.. और वो निहायती बहुत गंदा किसम का इंसान था... जब उनका कम मोनिका की चूत और गान्ड में निकल जाता हैं तो वो राधिका से उसकी चूत और गान्ड से वो कम उससे चाट कर सॉफ करवाता हैं और राधिका बिना कुछ कहें अपने जीभ से मोनिका की चूत और गान्ड से बहते हुए कम को चाट ती हैं और फिर उसकी गान्ड का भी कम पीती हैं..



इधेर मोनिका भी वही चीज़ दोहराती हैं और राधिका का गान्ड चाट चाट कर सॉफ करती हैं... ऐसे ही ये दौरा रात के करीब 3 बजे तक चलता हैं और इस बीच इन सब का कम तीन बार निकलता हैं और इस बीच राधिका और मोनिका दोनो उन सब का कम बारी बारी चाटती हैं और साथ ही साथ कम अपने मूह में ट्रान्स्फर भी करती हैं..जो ये सब आज राधिका कर रही थी वो निहायती एक बहुत गंदा काम था मगर इन एक हफ्तों में वो इस हद्द तक गिर चुकी थी कि अब उसे ये सब कुछ भी गंदा नहीं लग रहा था... रात के करीब 3 बजे सब थक कर वहीं एक दूसरे से लिपट कर सो जाते हैं....



करीन 6 बजे उन सब की नींद खुलती हैं.. इस वक़्त सब के जिस्म पर कपड़े के एक रेशा भी नहीं था... मोनिका तुरंत उठती हैं और झट से अपने कपड़े पहनने लगती हैं और इधेर राधिका भी वहीं रखा शॉल अपने जिस्म पर ओढ़ लेती हैं... बिहारी जग्गा और विजय भी अपने कपड़े पहन लेते हैं...



विजय- चल मेरी जान आज से तू आज़ाद हो गयी... जा आज मैं तुझे आज़ाद करता हूँ. फिर विजय वहीं रखे ड्रॉयर में से वो कांट्रॅक्ट पेपर्स निकालता हैं और वो मोनिका को थमा देता हैं..जा आज के बाद तू पूरी तरह आज़ाद हैं... मोनिका धीरे से मुस्कुरा देती हैं और वो वहाँ से जाने के लिए मुड़ती हैं तभी राधिका की ताली की आवाज़ सुनकर वो वहीं थितक जाती हैं.
 
वक़्त के हाथों मजबूर--44



राधिका- वाह मोनिका वाह..... क्या खूब निभाई है तुमने दोस्ती....तूने तो कोई कसर नहीं छोड़ी मुझे बर्बाद करने में...आज तो तू बहुत खुस होगी ना अपनी रिहाई पर... गौर से देख मुझे आख़िर क्या बिगाड़ा था मैने तेरा जो तूने मेरे साथ इतना बड़ा विश्वास घात किया.. मेरा यही कसूर हैं ना कि मैने तुझे अपना एक अच्छा दोस्त समझा... आज मुझे तुझसे कोई शिकायत नही हैं मगर जाते जाते तुझसे इतना ज़रूर कहूँगी कि अब भगवान के लिए किसी के साथ ऐसा मत करना जैसे तुमने मेरे साथ किया हैं.. तूने तो मुझे आज कहीं का नहीं छोड़ा मगर क्या तू इन सब चीज़ों से बच पाई... नहीं.... आज मैं तो एक रंडी बन ही चुकी हूँ मगर आज तू भी कोई सती सावित्री नहीं रही... मुझे रंडी बनाने के चक्कर में तू आज खुद एक रंडी बन चुकी हैं... तूने तो मेरे लिए खड्‍डा खोदा था ना.. देख मैं तो इस खड्डे में गिरी हूँ मगर तू आज अपने आप को भी इस खड्डे में गिरने से नहीं बचा पाई.....



राधिका की ऐसी बातो को सुनकर मोनिका की आँखों से आँसू छलक जाते हैं और वो तुरंत राधिका के कदमों में आकर गिर पड़ती हैं- मुझे माफ़ कर दे राधिका मुझसे बहुत बड़ी भूल हुई जो मैने ये सब किया.. अपनी ज़िंदगी को बर्बाद होता हुआ देखकर मुझे मज़बूरन ये सब करना पड़ा.. मुझे माफ़ कर दे राधिका...



राधिका- माफी.........तूने तो मेरी हँसी खेलती ज़िंदगी बर्बाद कर दी... कितनी खुस थी मैं अपनी छोटी सी दुनिया में.. सब कुछ अच्छा चल रहा था अब तो मैं खुद इतना नीचे गिर चुकी हूँ कि अब मेरा राहुल भी मुझे कभी नहीं अपनाएगा... आज मैं जिस जगह पर खड़ी हूँ वहाँ से दुबारा मेरा लौटना ना-मुमकिन हैं..तेरी वजह से आज मेरे पास आत्महत्या करने के सिवा अब कोई चारा नहीं बचा हैं... मगर तू चिंता मत कर मैं तेरे जैसे नहीं हूँ स्वार्थी... और मैं कमज़ोर भी नही हूँ कि मैं आत्महत्या करूँगी...तेरे उपर मैं कोई इल्ज़ाम नही आने दूँगी और आज के बाद मेरी तेरे से यही विनती हैं कि तू अपनी ये शकल मुझे कभी मत दिखना ...जिसे मैने दोस्ती समझा था आज उसी दिल में तेरे लिए बस नफ़रत हैं नफ़रत.......चली जा मेरे सामने से अभी इसी वक़्त... अब मैं तुझसे कोई बात नहीं करना चाहती...और इतना कहकर राधिका अपना मूह गुस्से से दूसरी तरफ फेर लेती हैं... मोनिका चुप चाप रोते हुए कमरे से बाहर निकल जाती हैं और साथ में जग्गा भी वहाँ से बाहर निकल जाता हैं....



बिहारी तो कुछ कह नहीं पाता और अपनी नज़रें नीचे झुकाए खड़ा रहता हैं...तभी विजय उसके पास आता हैं और उसके सामने खड़ा हो जाता हैं...



रात भर की चुदाई की वजह से इस वक़्त राधिका की चूत और गान्ड से ब्लीडिंग शुरू चुकी थी..मगर अब भी वो अपने अंदर दर्द को बर्दास्त की हुई थी...



विजय- अब तेरी रिहाई में केवल 1 घंटे बचा हैं मगर मैं चाहता हूँ कि तू आखरी बार यहाँ से जाने से पहले तू अपनी चूत चुदवा ले.. इसके बाद हम सब तेरी ज़िंदगी से हमेशा हमेशा के लिए दूर चले जाएँगे... बोल चुदवायेगि ना आखरी बार हमारी खातिर...



राधिका कुछ नहीं कहती और अपना मूह फेर लेती हैं..



विजय- तू सोच रही होगी कि हम तेरी चुदाई करेंगे.. मगर नहीं... हमारा तो अब तुझसे मन भर गया हैं.. मगर एक बंदा हैं जो बहुत ख़ास हैं और वो किसी जवान लड़की की चूत चोदना चाहता हैं... बस तू उसकी ये इच्छा पूरी कर दे.. फिर तू आज़ाद हैं..



राधिका बिहारी की बातो को सोचने लगती हैं -कौन हैं वो..



विजय- शाबाश मेरी जान मैं जानता था कि तू मुझे निराश नहीं करेगी.. मिल्वाउन्गा तुझे अभी ..थोड़ी देर में इतनी भी क्या जल्दी हैं...मगर हमारी कुछ शर्तें हैं वो तुझे माननी पड़ेगी.. बोल मानेगी ना..



राधिका- जब इतना नीचे गिर ही चुकी हूँ तो फिर सोचना क्या विजय.. बोल क्या हैं तेरी शर्तें...



विजय के चेहरे पर कुटिल मुस्कान तैर जाती हैं और बिहारी मूह फाडे विजय की बातें सुनता रहता हैं मगर उसे भी कुछ समझ नहीं आता कि विजय आख़िर चाहता क्या हैं...



विजय- शर्त ये हैं कि तू वो बंदा बहुत शर्मीला हैं.. उसे बहुत शरम आती हैं इसलिए वो चाहता हैं कि जब तू उसके सामने जाए तो तेरी आँखों पर काली पट्टी लगी रहें.. ताकि वो तुझे देख सके मगर तू उसे नहीं...इस बात से बेख़बर रहे कि और भी कोई उसके साथ होगा.. वो सिर्फ़ अकेले होगा और तुझे उसे खुस करना हैं...और हां वो हमारा ख़ास आदमी हैं तुझे मैं उससे सेक्स करने के बाद उससे ज़रूर मिल्वाउन्गा.. तू उसे देखकर बहुत खुस होगी..



राधिका- ठीक हैं विजय मुझे तुम्हारी शर्त मंज़ूर हैं...कहाँ हैं वो???



विजय- अभी थोड़ी देर में वो यहाँ आता ही होगा तब तक तू जाकर फ्रेश हो जा ... और राधिका जाकर बाथरूम में फ्रेश होती हैं और फिर बाथ लेती हैं उसके दिल और दिमाग़ में बस यही सवाल उठ रहा था कि आख़िर कौन हैं वो आदमी..



इधेर राहुल भी अब तक राधिका की तलाश में पूरे जी जान से लगा हुआ था.. उसके सामने आब धीरे धीरे एक एक कड़ी सुलझती जा रही थी..सुबेह के करीब उसे एक आदमी की लाश मिलती हैं.. सहर के बाहर एक छोटे से तालाब के पास... वो पूरे लगन से लगा हुआ था हर कड़ी को सुलझाने में..उस आदमी का चेहरा पूरी तरह से डॅमेज था मगर आइ-कार्ड की वजह से उसकी पहचान हो गयी थी... ये आदमी और कोई नहीं इक़बाल था.. वही इक़बाल जिसने कृष्णा और बिरजू को पैसे दिए थे पार्वती के मर्डर केस में.. और इसी आदमी की तलाश राहुल को बहुत दिनों से थी... मगर जब वो उसके हाथ लगा भी तो उसे कोई फ़ायदा नहीं हुआ... बिहारी के लिए ये आदमी सबसे बड़ा ख़तरा बन चुका था...और इसी ख़तरे की वजह से बिहारी ने इसे अपने रास्ते से हटवा दिया था...बिहारी अच्छे से जानता था कि एक बार ये आदमी पोलीस के हाथ लग गया तो उसका खेल ख़तम....
 
राहुल- ले जाओ इसे और इसकी लाश को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दो.. देखते हैं अब और कितने रहस्यो से परदा उठना अभी बाकी हैं... और वहीं दो तीन कॉन्स्टेबल इक़बाल की लाश को लेकर पोलीस स्टेशन की ओर चल देते हैं... तभी ख़ान का फोन आता हैं और राहुल तुरंत फोन रिसेव करता हैं...



राहुल- कहो ख़ान राधिका का कुछ पता चला ...और वो औरत क्या नाम हैं उसका..हां काजीरी .. उसने कुछ बका कि नहीं???



ख़ान- सिर इसी वजह से आपके पास मैने फोन किया हैं उसने सब कुछ बक दिया हैं ...मज़बूरन हमे उसके उपर थर्ड डिग्री इस्तेमाल करना पड़ा...मैने उसका स्टेट्मेंट ले लिया हैं आप हो सके तो जल्द से जल्द पोलीस स्टेशन आ जायें.. क्यों की बात ऐसी हैं कि मैं आपको फोन पर कुछ नहीं बता सकता.... राहुल तुरंत अपनी जीप में बैठता हैं और फ़ौरन पोलीस स्टेशन की ओर चल देता हैं..... उसका दिल बहुत ज़ोरों से धड़क रहा था और एक अंजाना डर भी उसके मन में बार बार उठ रहा था...करीब 1/2 घंटे बाद वो पोलीस स्टेशन पहुँचता हैं....



तभी थोड़े देर के बाद उसका एक और कॉन्स्टेबल वीर सिंग का फोन आता हैं- सर वो मोनिका नाम की लड़की जिसकी हमे तलाश थी उसका पता चल गया हैं... वो अभी अभी अपने घर आई और हमने उसे अपने हिरासत में ले लिया हैं..मैं अभी थोड़ी देर में उसे आपके पास लेकर आता हूँ.... इधेर राहुल एक एक कर सारी कड़ी को धीरे धीरे सुलझाते जा रहा था और वो अब राधिका के बेहद करीब पहुँच चुका था......



इधेर बिहारी के मोबाइल पर एक अननोन नंबर से कॉल आता हैं.. ये उसका प्राइवेट डिटेक्टिव का फोन कॉल था....



सर एक बात आपको बता देना चाहता हूँ कि काजीरी इस वक़्त पोलीस हिसरत में हैं और शायद अब वो जल्दी ही सब कुछ उगल देगी... आपकी भलाई इसी में हैं कि आप वहाँ से जल्द से जल्द निकल जायें... राहुल कल रात ही मनाली पहुँच चुका हैं और कल रात से ही वो इस सहर में उसने राधिका की तलाशी भी शुरू कर दी हैं... और जितना वो सबकुछ जानता था वो सारी बातें बिहारी को बताता चला जाता हैं...सिवाए मोनिका के अरेस्ट वाली बात को छोड़ कर... फोन रखने के बाद बिहारी के चेहरे पर पसीने के कुछ बूँदें थी ....उसे परेशान देखकर विजय उससे आख़िरकार पूछ ही लेता हैं...



विजय- क्या हुआ बिहारी तेरे चेहरे पर बारह क्यों बजे हुए हैं...बात क्या हैं...



बिहारी- राहुल इस सहर में आ चुका हैं ..और उसने कल रात से ही राधिका की तलाशी शुरू कर दी हैं... और इस वक़्त काजीरी भी पोलीस की हिरासत में हैं.. और इक़बाल का भी लाश पोलीस वालों ने अपने क़ब्ज़े में ले लिया हैं... हमे जल्द से जल्द अंडरग्राउंड होना पड़ेगा... मैं तो समझा था कि राहुल आज दोपहर तक यहाँ आएगा और हम सब आराम से कहीं बाहर इस सहर से निकल जाएँगे मगर अब इसी सहर में हमे कहीं कुछ दिनों के लिए अंडरग्राउंड होना पड़ेगा....क्यों की हर जगह पोलीस ने नकबंदी की होगी...



विजय- तू चिंता मत कर बिहारी ये जगह सहर से बहुत दूर हैं और पोलीस को यहाँ तक पहुँचने में कम से कम एक घंटा तो लगेगा ही... अभी हमारे पास एक घंटे का समय हैं तू इतमीनान रख.. और वैसे भी इस घर में एक ख़ुफ़िया दरवाज़ा भी हैं जिससे हम एक सुरंग से होते हुए जंगल से बाहर निकल जाएँगे...चल अब तुझे मैं एक चीज़ दिखाता हूँ जिसे देखकर तू बहुत खुस होगा..... तभी कमरे में एक आदमी आता हैं और उस आदमी के साथ बिरजू भी था..... बिरजू को देखकर बिहारी विजय का पूरा खेल समझ जाता हैं कि विजय क्या चाहता हैं....
 
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