hotaks444
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वक़्त के हाथों मजबूर--43
इन सब से बेख़बर इधर बिहारी के अड्डे पर.....
राधिका के शरीर पर जगह जगह घाव के निशान थे. होंठो से हल्का खून भी बह रहा था और उसके निपल्स का रंग नीला पड़ गया था..करीब 6 बजे काजीरी वहाँ पर आती हैं और राधिका के जिस्म को शॉल से ढक देती हैं और फिर उसे गाड़ी में लेकर बिहारी के पास आती हैं. राधिका अभी भी बेहोशी की हालत में थी.. राधिका की ऐसी हालत देखकर बिहारी गुस्से से बौखला जाता हैं..
बिहारी- मैने तुझे कहा था ना कि इसे कुछ नहीं होना चाहिए फिर भी तेरे रहते इसकी ऐसी हालत हुई. अगर इसे कुछ हो गया तो मैं तेरी मा चोद दूँगा... तू मुझे अभी लगता हैं अच्छे से जानती नहीं हैं..
काजीरी- मैं क्या करती वे लोग कहने लगे कि हम ने 10 लाख रुपए दिए हैं एक रात के इसलिए मुझे बाहर निकाल दिया और अपनी मनमानी करते रहें...काजीरी के मूह से ग़लती से 10 लाख वाली बात निकल जाती हैं और इतना सुनते ही बिहारी गुस्से से भड़क जाता हैं...
बिहारी- क्या............10 लाख...मदर्चोद.... कामिनी कहीं की ..हम को 5 लाख दी और उन सब से 10 लाख....सच में तू बड़ी मदर्चोद हैं... मैने तेरे जैसी पैसों की लालची औरत नहीं देखी.. तू तो पैसों के लिए अपनी बेटी को भी बेच दे... निकल जा अभी इसी वक़्त मेरे सामने से और तेरे लिए यही बहतार होगा कि तू अपनी ये मनहूस शकल मुझे दुबारा मत दिखाना....और हां मेरे सामने अब दुबारा आने की कोई ज़रूरत नहीं हैं अगर ऐसा हुआ तो कहीं ऐसा ना हो कि मेरे हाथों को तेरा खून करना पड़े.. दफ़ा हो जा इसी वक़्त ....कजरी चुप चाप वहाँ से बाहर निकल जाती हैं. तभी शंकर काका कमरे में आते हैं और राधिका की हालत देखकर वो चीख पड़ते हैं...
शंकर- ये सब क्या किया मालिक.. इस फूल जैसी बच्ची का क्या हाल किया हैं आप सब ने... सच में आप सब इंसान नहीं हैवान हैं..अगर आप सब के अंदर ज़रा सी भी इंसानियत होती तो इस फूल जैसी बच्ची के साथ ऐसा सुलूख कभी ना करते... इससे अच्छा होता कि इसका अपने हाथों से इसका गला घोंट देते मालिक. कम से कम इसको इतनी ज़ल्लत तो नहीं सहनी पड़ती...देखिए गौर से इसे मालिक जब ये पहले दिन यहाँ आई थी तब ये कैसी लग रही थी और आज इसकी कैसी हालत हैं. अब भी मैं आपके हाथ जोड़ता हूँ मालिक भगवान के लिए इसे अब छोड़ दो नहीं तो ये अब मर जाएगी...
शंकर की बाते से बिहारी भी काँप उठता हैं और अपना सिर नीचे झुका लेता हैं.. तभी विजय शंकर के पास जाता हैं और एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर जड़ देता हैं.
विजय- कमीना ... नमक हराम कहीं का. जिस थाली में ख़ाता हैं उसी में छेद करता हैं. हमारा ही नौकर हैं और आज हमे ही आँख दिखा रहा हैं..अरे ये क्या बोलेगा जो कुछ पूछना हैं मुझसे पूछ ये तो खुद ही इस लौंडिया के प्यार में पड़ गया हैं.. अभी आज आखरी दिन हैं. और कल सुबेह ये लड़की आज़ाद हो जाएगी तब तक तो ये हम सब की रखैल हैं...
बिहारी ज़ोर से चिल्लाते हुए.... तेरी हिम्मत कैसे हुई कि तूने शंकर काका पर अपना हाथ उठाया...अगर तू मेरा दोस्त नहीं होता तो तुझे मैं यहीं ज़िंदा ज़मीन में गाढ देता..
विजय- बहुत खूब बिहारी आख़िर तूने एक नौकर के बदले अपने दोस्त पर उंगली उठा ही दी.. मगर ये मत भूल कि तू मेरा बिज्निस पार्ट्नर भी हैं. और मैं तेरा कोई गुलाम नहीं हूँ कि तू जो बोलेगा वो मैं करूँगा....
बिहारी-विजय आख़िर तूने अपनी औकात दिखा ही दी.. आज के बाद मैं तेरे साथ सारे रिलेशन्स तोड़ता हूँ...
विजय- ठीक हैं बिहारी तोड़ लेना पर मैं भी इतना बेवकूफ़ नहीं हूँ पहले मेरे सारे हिसाब क्लियर कर और कल तक मैं यहीं रहूँगा फिर तू मेरा हिसाब क्लियर कर देना मैं अलग हो जाउन्गा और नये सिरे से अपना धंधा शुरू करूँगा... बिहारी गुस्से से विजय को देखता हैं मगर कुछ नहीं बोलता.... ये सब देख कर जग्गा भी अपना पासा पलट देता हैं और वो भी विजय का पक्ष लेता हैं...
इन सब से बेख़बर इधर बिहारी के अड्डे पर.....
राधिका के शरीर पर जगह जगह घाव के निशान थे. होंठो से हल्का खून भी बह रहा था और उसके निपल्स का रंग नीला पड़ गया था..करीब 6 बजे काजीरी वहाँ पर आती हैं और राधिका के जिस्म को शॉल से ढक देती हैं और फिर उसे गाड़ी में लेकर बिहारी के पास आती हैं. राधिका अभी भी बेहोशी की हालत में थी.. राधिका की ऐसी हालत देखकर बिहारी गुस्से से बौखला जाता हैं..
बिहारी- मैने तुझे कहा था ना कि इसे कुछ नहीं होना चाहिए फिर भी तेरे रहते इसकी ऐसी हालत हुई. अगर इसे कुछ हो गया तो मैं तेरी मा चोद दूँगा... तू मुझे अभी लगता हैं अच्छे से जानती नहीं हैं..
काजीरी- मैं क्या करती वे लोग कहने लगे कि हम ने 10 लाख रुपए दिए हैं एक रात के इसलिए मुझे बाहर निकाल दिया और अपनी मनमानी करते रहें...काजीरी के मूह से ग़लती से 10 लाख वाली बात निकल जाती हैं और इतना सुनते ही बिहारी गुस्से से भड़क जाता हैं...
बिहारी- क्या............10 लाख...मदर्चोद.... कामिनी कहीं की ..हम को 5 लाख दी और उन सब से 10 लाख....सच में तू बड़ी मदर्चोद हैं... मैने तेरे जैसी पैसों की लालची औरत नहीं देखी.. तू तो पैसों के लिए अपनी बेटी को भी बेच दे... निकल जा अभी इसी वक़्त मेरे सामने से और तेरे लिए यही बहतार होगा कि तू अपनी ये मनहूस शकल मुझे दुबारा मत दिखाना....और हां मेरे सामने अब दुबारा आने की कोई ज़रूरत नहीं हैं अगर ऐसा हुआ तो कहीं ऐसा ना हो कि मेरे हाथों को तेरा खून करना पड़े.. दफ़ा हो जा इसी वक़्त ....कजरी चुप चाप वहाँ से बाहर निकल जाती हैं. तभी शंकर काका कमरे में आते हैं और राधिका की हालत देखकर वो चीख पड़ते हैं...
शंकर- ये सब क्या किया मालिक.. इस फूल जैसी बच्ची का क्या हाल किया हैं आप सब ने... सच में आप सब इंसान नहीं हैवान हैं..अगर आप सब के अंदर ज़रा सी भी इंसानियत होती तो इस फूल जैसी बच्ची के साथ ऐसा सुलूख कभी ना करते... इससे अच्छा होता कि इसका अपने हाथों से इसका गला घोंट देते मालिक. कम से कम इसको इतनी ज़ल्लत तो नहीं सहनी पड़ती...देखिए गौर से इसे मालिक जब ये पहले दिन यहाँ आई थी तब ये कैसी लग रही थी और आज इसकी कैसी हालत हैं. अब भी मैं आपके हाथ जोड़ता हूँ मालिक भगवान के लिए इसे अब छोड़ दो नहीं तो ये अब मर जाएगी...
शंकर की बाते से बिहारी भी काँप उठता हैं और अपना सिर नीचे झुका लेता हैं.. तभी विजय शंकर के पास जाता हैं और एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर जड़ देता हैं.
विजय- कमीना ... नमक हराम कहीं का. जिस थाली में ख़ाता हैं उसी में छेद करता हैं. हमारा ही नौकर हैं और आज हमे ही आँख दिखा रहा हैं..अरे ये क्या बोलेगा जो कुछ पूछना हैं मुझसे पूछ ये तो खुद ही इस लौंडिया के प्यार में पड़ गया हैं.. अभी आज आखरी दिन हैं. और कल सुबेह ये लड़की आज़ाद हो जाएगी तब तक तो ये हम सब की रखैल हैं...
बिहारी ज़ोर से चिल्लाते हुए.... तेरी हिम्मत कैसे हुई कि तूने शंकर काका पर अपना हाथ उठाया...अगर तू मेरा दोस्त नहीं होता तो तुझे मैं यहीं ज़िंदा ज़मीन में गाढ देता..
विजय- बहुत खूब बिहारी आख़िर तूने एक नौकर के बदले अपने दोस्त पर उंगली उठा ही दी.. मगर ये मत भूल कि तू मेरा बिज्निस पार्ट्नर भी हैं. और मैं तेरा कोई गुलाम नहीं हूँ कि तू जो बोलेगा वो मैं करूँगा....
बिहारी-विजय आख़िर तूने अपनी औकात दिखा ही दी.. आज के बाद मैं तेरे साथ सारे रिलेशन्स तोड़ता हूँ...
विजय- ठीक हैं बिहारी तोड़ लेना पर मैं भी इतना बेवकूफ़ नहीं हूँ पहले मेरे सारे हिसाब क्लियर कर और कल तक मैं यहीं रहूँगा फिर तू मेरा हिसाब क्लियर कर देना मैं अलग हो जाउन्गा और नये सिरे से अपना धंधा शुरू करूँगा... बिहारी गुस्से से विजय को देखता हैं मगर कुछ नहीं बोलता.... ये सब देख कर जग्गा भी अपना पासा पलट देता हैं और वो भी विजय का पक्ष लेता हैं...