Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर - Page 18 - SexBaba
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Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर

बिहारी- आओ आओ बिरजू देखा तुमने हमारा सोर्स और पॉवर..... बिरजू भी बिहारी को देखकर मुस्कुरा देता हैं...



बिरजू- मालिक आपने कैसे मुझे याद किया...



तभी विजय उसको आँखों ही आँखों में कुछ इशारा करता हैं और बिहारी बिरजू को लेकर एक दूसरे कमरे में चला जाता हैं...



बिहारी- आज मैं तुमसे बहुत खुस हूँ बिरजू.. इस लिए मैने सोचा कि आज तुम्हें एक नायाब तोहफा दूँगा और मुझे यकीन हैं कि तुम बहुत खुस होगे... जानते हो वो तोहफा क्या हैं ...बिहारी की इस तरह की बातो से बिरजू सवाल भरी नज़रो से और हैरत से बिहारी की ओर देखने लगता हैं...



बिरजू- कैसा तोहफा मालिक??



बिहारी- आज मैने तेरे लिए एक जवान चूत का इंतज़ाम किया हैं.. लड़की करीब 23 साल की हैं.. और हम ने तेरे लिए उसे मना भी लिया हैं... आज चूत चोदना चाहेगा ना तू... मैने सोचा इतने बरसों से तूने हमारी वफ़ादारी की हैं तो तुझे भी हमारी तरफ से कुछ इनाम तो मिलना ही चाहिए..



बिहारी की ऐसी बातो से बिरजू अपनी नज़रें नीची कर लेता हैं और मुस्कुरा कर हां में इशारा करता हैं...



बिहारी- मगर लड़की की एक शर्त हैं... वो नहीं चाहती कि तू उसे देखे इस लिए उसकी ख्वाहिश हैं कि तू जब उसकी चूत चोदेगा तब तेरी आँखों पर एक काली पट्टी बँधी होगी.. जब तू उसकी चूत चोद लेगा फिर मैं तेरे सामने उस लड़की को बिन कपड़ों के लाउन्गा. फिर तू उसे जी भर कर देख लेना... बोल मंज़ूर हैं तुझे मेरी ये शर्त....



बिरजू कुछ नहीं कहता और हां में अपना सिर हिला देता हैं... फिर वो बिरजू को दूसरे कमरे में बैठने के लिए बोल देता हैं.. उसे तो ये भी नहीं मालूम था कि वो जिसके साथ उसे ये सब करने को कह रहा हैं वो उसकी अपनी बेटी राधिका है..पता नहीं आने वाला वक़्त राधिका के दिल पर कितना बड़ा सितम ढाने वाला था इसका अंदाज़ा ना तो बिरजू को था और ना ही राधिका को...



तभी बिहारी कमरे से बाहर निकलता हैं और उसका सामना शंकर काका से होता हैं... शंकर को ऐसा घूरता हुआ देखकर बिहारी एक पल के लिए मानो थितक जाता हैं...



शंकर- मलिक मुझे आपसे कुछ बात करनी हैं..अगर आपको बुरा ना लगे तो मैं कहूँ...



बिहारी- हां काका बोलो क्या बात हैं....



शंकर- मैने अभी अभी आपकी और बिरजू के बीच हुई सारी बातें सुनी.. ये आप कैसा अनर्थ कर रहें हैं मालिक... आपको अंदाज़ा भी हैं कि इसका अंजाम कितना भयानक होगा... भला आप एक बाप के साथ उसकी अपनी बेटी के साथ ये सब कैसे करवाने की सोच सकते हैं..ये पाप हैं मालिक... अभी भी समय हैं मालिक रोक लीजिए इस अनर्थ को.... नहीं तो सब कुछ पल भर में तबाह हो जाएगा... और जब ये बात राधिका और उसके बाप को पता लगेगी तब क्या होगा ... क्या बीतेगी मालिक उन दोनो के दिल पर... राधिका तो जीते जी मर जाएगी और शायद बिरजू भी ये सदमा नहीं से पाएगा...



बिहारी- काका जो लड़की अपने भाई के साथ सो सकती हैं वो लड़की अपने बाप का बिस्तेर भी तो गरम कर सकती हैं.. आप चिंता मत करो उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा... आज राधिका एक रंडी हैं और रंडियों का कोई ईमान धरम नहीं होता... आखरी बार कहता हूँ काका आप इन सब मामलों में ना ही पड़े तो अच्छा है...



शंकर- मैने तो ये सोचा था मालिक कि आपके अंदर इंसानियत आज थोड़ी बहुत भी ज़िंदा होगी मगर ये मेरी भूल थी.. मैं ये भूल गया था कि जो आदमी अपनी पत्नी का ना हो सका वो भला किसी और का कैसे हो सकता हैं... मुझे माफ़ कर दो मालिक मैं ही ग़लत था.. आज भी आपसे झूठी आस लगाए बैठा था कि देर सबेर आप एक अच्छे इंसान बन जाएँगे मगर शायद मैं ही आपको पहचान ना सका... तभी एक ज़ोरदार थप्पड़ शकर काका के गाल पर पड़ता हैं...



बिहारी- तू ये भूल रहा है कि तू एक नौकर हैं और तुझे ये भी नहीं पता कि अपने मालिक से कैसे बात की जाती हैं..



शंकर- आप ग़लत बोल रहें हैं... अब आप मेरे मालिक नहीं आज के बाद मैं आपकी ऐसी नौकरी को लात मारता हूँ. मुझे नहीं करनी आप जैसे इंसान की गुलामी...



बिहारी- तो निकल जा अभी इस वक़्त...



शंकर- चला जाउन्गा मगर उस लड़की को भी अपने साथ लेकर जाउन्गा... और बिहारी वहीं गुस्से से बाहर निकल जाता हैं.....



तारीख- 20-जून


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21 जून यानी कल राधिका की शादी राहुल से होने वाली थी...सुबेह के 7:15 बज रहें थे और राधिका अभी अभी फ्रेश होकर बाथरूम से बाहर निकली थी.. उसे तो ये भी नहीं मालूम था कि उसका बाप यहाँ पर मौजूद हैं और उसकी कुछ देर में उसकी चुदाई अपने बाप के हाथों होने वाली हैं... इस वक़्त भी राधिका की हालत ठीक नहीं थी.. अभी भी उसकी ब्लीडिंग हो रही थी... आँखों के नीचे कालापन दाग सॉफ दिखाई दे रहा था और उसका पूरा शरीर पीला पड़ गया था... बड़ी से बड़ी रंडिया भी इतनी चुदाई नहीं बर्दास्त कर पाती जितना आज राधिका ने बर्दास्त किया था इन 7 दिनों में.... तभी विजय उसके पास आता हैं...



विजय- ये बाँध ले कला कपड़ा अपनी इन आँखों पर और चल मेरे साथ हाल में... तेरा कस्टमर वहीं बड़ी बेसब्री से तेरा इंतेज़ार कर रहा है... राधिका इस वक़्त भी पूरी नंगी हालत में थी. वो बिना कुछ सोचे समझे वो काला कपड़ा अपनी आँखों पर बाँध लेती हैं और विजय के साथ लड़खड़ाते हुए कदमों से वो हाल की तरफ चल देती हैं....



उधेर बिहारी भी बिरजू को पूरे कपड़े निकालने को कहता हैं और उसे सॉफ सॉफ कुछ भी कहने को मना कर देता हैं.. वो अच्छे से जानता था कि अगर बिरजू एक शब्द भी बोला तो राधिका तुरंत उसकी आवाज़ पहचान लेगी...और उसका बना बनाया सारा खेल पर पानी फिर जाएगा.... तभी वो भी एक काला कपड़ा अपनी आँखों पर बाँध लेता हैं और बिन कपड़ों के वो भी हाल में आ जाता हैं.... इस वक़्त राधिका और बिरजू पूरी नंगी हालत में एक दूसरे के सामने खड़े थे... मगर ये उनका दुर्भाग्य था कि वो ये नहीं जानते थे कि उनका रिश्ता एक बाप बेटी का हैं......



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उधेर राहुल अपने थाने पहुँचता हैं और ख़ान उसके सामने आकर वहीं चेर पर बैठ जाता हैं और सारे स्टाफ के लोगों को बाहर जाने को बोलता हैं... थोड़ी देर के बाद कमरा पूरा खाली हो जाता हैं...फिर ख़ान कहना शुरू करता हैं...



ख़ान- देखिए सर जो बात अब मैं आपसे कहना चाहता हूँ उससे सुनने से पहले आप अपने दिल पर पत्थर रख लीजिए.. शायद आप बर्दास्त नहीं कर पाएँगे सच जानकर...



राहुल- तुम ऐसा क्यों कह रहे हो ख़ान... बात क्या हैं???



ख़ान- सर अभी अभी काजीरी ने जो स्टेट्मेंट दिया हैं वो ये हैं कि वो बिहारी की ख़ास एजेंट हैं. और वो लड़की सप्लाइ करती हैं...और तो ..........



राहुल- और क्या ख़ान.... आगे बोलो...



ख़ान- और इसने राधिका को भी एक रात के लिए दूसरे कस्टमर्स के पास भेजा था..और बदले में उसने 10 लाख एक रात के लिए थे उन कस्टमर्स से... ख़ान के मूह से ऐसी बातो को सुनकर राहुल अपने सिर पर दोनो हाथ रखकर बैठ जाता हैं.. उसे तो कुछ समझ नहीं आता कि वो क्या कहे...



ख़ान- सर आप ठीक तो हैं ना..... क्या हुआ आपको....



राहुल के आँखों में इस वक़्त आँसू थे- अपने दोनो हाथों से वो अपने आँसू पोछता हैं ......मैं ठीक हूँ ख़ान आगे बोलो....



और ख़ान फिर एक एक कर सारी बातें राहुल को बताता चला जाता हैं...



राहुल- तो इन कमिनो ने आब मेरी राधिका को गंदा कर दिया.. कहाँ हैं राधिका इस वक़्त.. ले चलो मुझे उसके पास.... तभी एक और हवलदार मोनिका को लेकर उसके पास आता हैं.... और जो भी मोनिका ने करतूत किया था वो सारी बातें राहुल को बताता हैं...
 
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]राहुल वहीं खड़ा होता हैं और वो मोनिका के करीब जाकर एक ज़ोर का तमाचा उसके गालों पर जड़ देता हैं- तो तू ही हैं वो जिसकी वजह से मेरी राधिका की आज ये हालत हुई हैं..सच सच बता मुझे कहाँ हैं राधिका इस वक़्त..नहीं तो मैं तेरी खाल खीच लूँगा....[/font]



[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]मोनिका बिना रुके सब कुछ सच सच बताती चली जाती हैं....[/font]



[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]राहुल- ले जाओ इसे और इसे लॉकप में बंद कर दो... मैं भी देखता हूँ कि ये कैसे अब जैल से बाहर आती हैं और कौन इसकी जमानत देता हैं... फिर ख़ान और उसके साथ के कई पोलिसेवालों का एक टीम रवाना होती हैं बिहारी के अड्डे की तरफ.... जहाँ पर इस वक़्त राधिका मौजूद थी.. मगर उन्हें वहाँ तक पहुँचने में कम से कम एक से डेढ़ घंटा तो लगना ही था... और यहाँ बिहारी और विजय ने तो सब कुछ उस एक घंटे में सोच रखा था कि उन्हें क्या करना हैं.....[/font]



[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]अब जो भी फासला था इस एक घंटे का था.... मगर राधिका और बिरजू के लिए ये एक घंटा पूरे एक सदी के बराबर था... वो दोनो एक दूसरे के सामने पूरी नंगी हालत में खड़े थे... मगर ना राधिका अपने बाप को देख सकती थी और ना ही बिरजू उसे पहचान सकता था....[/font]



[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]बिहारी- देख मेरी जान तेरा कस्टमर तेरे सामने खड़ा हैं.. चल जा उसके पास और जाकर जल्दी से उसको मस्त कर दे...और हां मेरे कस्टमर को किसी भी तरह की शिकायत नहीं आनी चाहिए उसे पूरा मस्त कर देना और वैसे भी ये तेरी आख़िरी चुदाई हैं इसके बाद तू हमेशा हमेशा के लिए आज़ाद हैं...पता नहीं राधिका की ये आज़ादी उसे कहाँ किस मोड़ पर लेकर जाने वाली थी.[/font]



[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]बिहारी- सोच क्या रही हैं मेरी जान आगे बढ़ और अपना काम शुरू कर...राधिका आगे बढ़ती हैं और वो अपने बापू के पास जाकर उसका हाथ थाम लेती हैं.. इधेर बिरजू भी एक हाथ आगे बढ़ाकर पहले राधिका को अपनी बाहों में जाकड़ लेता हैं फिर अपने होंटो को आगे बढ़ाकर धीरे धीरे राधिका के होंटो पर रख देता हैं और बहुत धीरे धीरे उसके होंटो को चूसना शुरू करता हैं.. राधिका अपने बापू की गरम साँसों को महसूस कर रही थी और उधेर बिरजू भी बड़े हौले हौले राधिका के नरम होंटो को चूसे जा रहा था और उसकी साँसों और बढ़ते हुए धड़कनों को पल पल महसूस कर रहा था.. राधिका को इस बात का बिल्कुल अंदाज़ा नहीं था कि जो शक्श उसके सामने खड़ा हैं वो उसका बाप हैं और इधेर बिरजू भी नहीं जानता था की इस सामने उसके सामने उसकी अपनी बेटी राधिका हैं...[/font]



[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]फिर बिरजू अपने हाथों को हरकत करता हैं और पहले वो राधिका के सीने पर अपना हाथ फिराता हैं और उसके बूब्स को अपने कठोर हाथों से धीरे धीरे मसलता हैं...इस वक़्त राधिका की जो हालत थी वो इस समय सेक्स करने की स्तिथि में बिल्कुल भी नहीं थी.... उपर से उसकी ब्लीडिंग भी बंद नहीं हो रही थी... और दर्द भी बढ़ता जा रहा था...ऐसी हालत में भी वो उन दरिंदों की बात मान रही थी वो ये भी भूल चुकी थी कि वो जिससे उम्मीद कर रही हैं उनके अंदर इंसानियत नाम की कोई चीज़ नहीं हैं...[/font]



[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]राधिका के नरम बदन को ऐसे छूने से थोड़ी देर में बिरजू का लंड पूरा खड़ा हो जाता हैं.. फिर वो राधिका को अपने हाथों से नीचे की ओर पुश करता हैं उसे नीचे बैठने के लिए.. राधिका चुप चाप वहीं घुटनों के बल बैठ जाती हैं और बिरजू का लंड धीरे धीरे अपने होंठो में लेकर चूसना शुरू करती हैं..वहीं दूर खड़े बिहारी और विजय इस सीन का पूरा पूरा मज़ा ले रहें थे... इधेर राधिका जल्द से जल्द बिरजू का लंड फारिग करवाना चाहती थी... तभी बिरजू वहीं राधिका को अपनी गोद में उठा लेता हैं और अपना लंड राधिका की चूत पर रखकर आहिस्ता आहिस्ता अपना लंड राधिका की चूत में डालना शुरू करता हैं...[/font]



[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]राधिका की दर्द से इस वक़्त उसकी हालत खराब हो रही थी.. उसे तो ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने कोई खंज़र उसकी चूत में डाल दिया हो.. और जैसे जैसे बिरजू की स्पीड बढ़तेएे जाती हैं राधिका की सिसकारी और दर्द भी बढ़ता जाता हैं मगर राधिका बिरजू को रोकने की कोई कोशिश नहीं करती..... फिर बिरजू तुरंत अपने होंठ राधिका के होंटो पर रख देता हैं और उसके होंटो को चूसने लगता हैं... राधिका की दर्द भरी आहें वहीं अंदर ही घुट रही थी....इस वक़्त बिरजू पूरी तरह चुदाई में मस्त था मगर उसका लंड पूरा खून से लाल हो चुका था...और वो भी अपनी बेटी का खून...[/font]
 
करीब 15 मिनिट के बाद बिरजू का लंड अकड़ने लगता हैं और वो राधिका को पूरी ताक़त से अपनी बाहों में जाकड़ लेता हैं और उसे अपने आप से पूरा चिपका लेता हैं... फिर बिरजू ज़ोर ज़ोर से चीखते हुए अपना कम राधिका की चूत में पूरा उतारना शुरू करता हैं और तब तक नहीं रुकता जब तक उसका पूरा कम राधिका की चूत में नही निकल जाता.. इस वक़्त बिरजू की साँसें बहुत ज़ोरों से चल रही थी... और राधिका बस दर्द से तड़प रही थी... जैसे ही बिरजू अपना लंड बाहर निकलता हैं राधिका की चूत से बिरजू का कम की कुछ बूँदें और साथ ही साथ खून की बोंदें भी फर्श पर टपक पड़ती हैं...



जब बिरजू पूरी तरह से ठंडा हो जाता हैं तब वो राधिका को अपने आप से दूर करता हैं.. इस वक़्त बिरजू के लंड पर खून लगा हुआ था जो राधिका कि चूत से निकल रहा था....और अब राधिका की ब्लीडिंग और तेज़ हो चुकी थी.... जब बिहारी और विजय चुदाई का पूरा खेल देख लेते हैं तब वो दोनो उन्दोनो के पास जाते हैं... फिर विजय और बिहारी उन्दोनो की तरफ जाते हैं और विजय बिरजू के पीछे जाकर खड़ा हो जाता हैं और उधेर बिहारी राधिका के ठीक पीछे... तभी विजय झट से बिरजू के आँखों पर लगी काली पट्टी हटा देता हैं और उधेर बिहारी भी राधिका के आँखों पर चढ़ि पट्टी आज़ाद कर देता हैं फिर वो दोनो किनारे हट जाते हैं...



इस वक़्त दोनो की आँखें बंद थी.. राधिका का दिल ज़ोरों से धड़क रहा था..... उसके दिमाग़ में बस यही सवाल उठ रहा था कि ये शक्श कौन हैं.. और उधेर बिरजू के दिल में भी हसरत जाग चुकी थी कि वो कौन लड़की हैं जो अभी अभी उसके साथ उसने ये सब किया हैं... ये ख्याल आते ही बिरजू झट से अपनी आँखें खोल लेता हैं और राधिका की ओर देखने लगता हैं.... राधिका की आँखे इस वक़्त भी बंद थी.... जब बिरजू की नज़र ठीक सामने अपनी ही बेटी राधिका पर पड़ती हैं तो उसके होश उड़ जाते हैं.... उसने तो कभी राधिका को यहाँ पर होने की उम्मीद कभी नहीं की थी और ना ही उसने कभी सोचा था कि वो अपनी बेटी के साथ ये सब करेगा.....



बिरजू की जब नज़र राधिका के चेहरे पर पड़ती हैं तो वो मानो चीख पड़ता हैं.... ना...................ह....हीं.....................न्न्न..ऐसा नहीं हो सकता.....??



उसकी आवाज़ सुनकर राधिका झट से अपनी आँखें खोल लेती हैं और सामने अपने बाप को देखकर उसे ऐसा लगता हैं कि जैसे उसके शरीर से किसी ने पूरा खून निचोड़ लिया हो... वो बस एक टक अपने बाप को देखे लगती हैं......और तुरंत उसकी आँखों से आँसू बहने लगते हैं.... वो अपना जिस्म को बिल्कुल छुपाने की कोशिश नहीं करती और बस चुप चाप वहीं खड़ी रहती हैं... तभी बिरजू झट से आगे बढ़ता हैं और वहीं रखा शॉल वो झट से राधिका के नंगे जिस्म पर ओढ़ा देता हैं...और तुरंत अपने कपड़े लेकर पहनने लगता हैं... राधिका बिना कुछ कहे चुप चाप वहीं खड़ी थी मगर उसकी आँखो से आँसू अब भी बह रहे थे........उसे अब तक तो बहुत से सदमे बर्दास्त किए थे मगर इस सदमे से वो अब पूरी तरह से टूट चुकी थी.



थोड़ी देर के बाद.................................



बिरजू के भी आँखों में इस वक़्त आँसू थे....वो ही जानता था की इस वक़्त उसके दिल पर क्या गुजर रही होगी... जिन हाथों से वो अपनी फूल जैसी बच्ची को पाला पोशा था आज उन्ही हाथों ने उसकी इज़्ज़त की धज्जियाँ उड़ा दी थी...उसके दिल में राधिका के प्रति वो आज कितने अरमान सँजोकर रखा था मगर आज बिहारी और विजय की वजह से वो अपनी बेटी की नज़रो में हमेशा हमेशा के लिए गिर गया था.... वैसे ये बात अभी राधिका भी जान चुकी थी कि जिस तरह से उसके साथ धोखा किया गया उसी तरह उसके बापू के साथ भी वहीं छल किया गया .... वो वहीं फर्श पर काली पट्टी देखकर समझ चुकी थी...



बिरजू अपने दोनो हाथ जोड़कर राधिका के कदमों के पास बैठ जाता है और राधिका के कदमों को पकड़कर वो रोने लगता हैं...मगर राधिका इस वक़्त जैसे ऐसा लग रहा था कि वो एक ज़िंदा लाश बनकर वहीं चुप चाप खड़ी थी... ये सब नज़ारा देखकर बिहारी और विजय की गंद फट जाती हैं.. वो भी वहीं चुप चाप खड़े रहते हैं....आज इन दोनो ने राधिका की भावनाओं को एक गहरी ठेस पहुँचाई थी..थोड़ी देर तक बिरजू वहीं रोते रहता हैं मगर जब राधिका कोई रिक्षन नहीं करती तो तुरंत उठकर उसके पास खड़ा हो जाता हैं और उसे बड़े गौर से देखने लगता हैं... राधिका इस वक़्त पूरी तरह से खामोश खड़ी थी.. मगर उसकी आँखों से आँसू अभी भी बह रहे थे....



बिरजू राधिका के बहते आंसूओं को अपने हाथों से पोछता हैं और राधिका को झंझोरकर उसे हिलाता हैं.. मगर राधिका चुप चाप अभी भी एक टक लगाए खामोश खड़ी थी... ये सब देखकर बिरजू डर जाता हैं और वो तुरंत राधिका को अपने सीने से लगा लेता हैं....



बिरजू- मुझे माफ़ कर दे बेटी... मुझे तेरी कसम... मुझे कुछ नहीं पता था कि ये सब मैं जिसके साथ कर रहा हूँ वो मेरी अपनी बेटी है.. इन लोगों ने मेरे साथ धोखा किया हैं.... मैने तो कभी तेरे बारे में ऐसे ख़यालात अपने मन में भी कभी आने नहीं दिया...फिर भला मैं तेरे साथ ये सब.... मगर अभी भी राधिका खामोश खड़ी थी......ये देखकर बिरजू चीख पड़ता हैं... तू कुछ बोलती क्यों नहीं.. तू चुप क्यों हैं राधिका कुछ तो बोल.... मेरा दिल बैठा जा रहा है... भगवान के लिए कुछ तो बोल.. तेरी ऐसी उदासी मुझे देखी नहीं जा रही...
 
तभी बिरजू विजय और बिहारी की ओर मुड़ता हैं- मालिक.. क्यों किया आपने ऐसा... आख़िर क्या बिगाड़ा था मैने...मैने तो हमेशा आपको देवता का दर्ज़ा दिया.... आख़िर मुझसे कौन सी ऐसी भूल हुई जो आपने मुझे इतनी बड़ी सज़ा दी..... आज तो आपने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा... मैने ये सब किया भी तो अपनी फूल जैसी बच्ची के साथ...आज मुझे अपने आप पर शरम आ रही हैं... ये सब देखने से तो अच्छा होता कि मैं मर गया होता... आज आपने एक बाप और बेटी के बीच की पवित्रता को भंग किया हैं.. भगवान आपको कभी माफ़ नहीं करेगा... आज मेरी बच्ची की आप सब ने क्या हालत की हैं ये मैं इसे देखकर अंदाज़ा लगा सकता हूँ... बस मेरी बरसों की वफ़ादारी का आपने मुझे ये इनाम दिया हैं मालिक...आप ने तो मेरे साथ ऐसा किया हैं जो कोई अपने दुश्मन के साथ भी नहीं करेगा.....



आख़िर क्या मिला आपको ये सब करने से... थोड़ी देर की खुशी.. लेकिन इस थोड़े पल की खुशी के लिए तो आपने मेरी और मेरी बच्ची की पूरी ज़िंदगी तबाह कर दी.. भला कौन ऐसा दुनिया में बाप होगा जो अपनी बेटी के साथ ऐसा करने की भी सोचेगा... आज आपने मुझे मेरे ज़िंदा रहने का भी हक़ मुझसे छीन लिया हैं..... मैं अब अपनी बेटी की नज़रो में कभी नहीं उठ पाउन्गा.. और ना ही मेरी बेटी मुझे अब वो बाप होने का दर्ज़ा कभी देगी.. तबाह कर दिया मालिक आपने हमे... कलंकित कर दिया आपने एक बाप और बेटी के रिश्तों को...बिरजू की ऐसी बातो से वो दोनो आज एक दम खामोश खड़े थे.. आज बिहारी की भी बोलती बंद हो चुकी थी...



फिर वो राधिका के पास आता हैं और फिर से उसकी आँखों में देखने लगता हैं- कुछ तो बोल राधिका... आख़िर क्या हो गया तुझे.. मैं जानता हूँ कि इन सब का कासूवार् मैं हूँ..... मगर अब तो बस कर अपने आप को और कितनी सज़ा देगी... तेरे सामने पूरी जिंदगी पड़ी हैं जीने के लिए... मेरा क्या... तभी बिरजू फिर से राधिका के कंधो को पकड़कर ज़ोर से हिलाता हैं और राधिका तुरंत ज़ोर ज़ोर से चिल्ला कर बिरजू के कंधे पर सिर रखकर रोने लगती हैं... ये सब देख कर बिरजू भी रोने लगता हैं... ना जाने कितनी देर तक राधिका बिरजू से लिपटकर रोती रहती हैं....तभी बिरजू उक्से माथे को चूम लेता हैं और उसके सिर पर अपना हाथ बड़े प्यार से फेरने लगता हैं....



राधिका- बापू आज सब कुछ ख़तम हो गया... इन लोगों ने हमे कहीं का नहीं छोड़ा... मैं अब जीना नहीं चाहती बापू.... भगवान के लिए अपने हाथों से अब मेरा गला घोंट दो... कम से कम मेरी आत्मा को तो मुक्ति मिल जाएगी........ और फिर से राधिका अपने बापू से लिपटकर रोने लगती हैं..



बिरजू- नहीं बेटी... इसमें तेरा कोई कसूर नहीं हैं.. शायद यही विधि का विधान हैं...और लोग इसी लिए इसे कलयुग कहते हैं क्यों कि आज धीरे धीरे इंसानियत ख़तम होती जा रही हैं...मुझे माफ़ कर दे बेटी मैं एक अच्छा बाप ना बन सका और ना ही बाप का कोई फ़र्ज़ निभा सका.... भगवान से तू यही दुआ करना कि मुझ जैसा बाप तुझे कभी ना मिले.. मुझे आज भी तुझ पर नाज़ हैं बेटी...



बिरजू- मालिक आज तो मेरे पास कोई शब्द नहीं बचा हैं कि मैं आपसे कुछ कह सकूँ.. क्यों कि आज आपने मुझे कुछ कहने लायक छोड़ा ही नहीं.... शायद इससे अच्छी वफ़ादारी की कोई कीमत मुझे मिल ही नहीं सकती... जो आपने मुझे दी हैं एक बाप के हाथों अपनी बेटी को कलंकित करने का... आप ये कैसे भूल गये मालिक की आपकी भी एक बेटी हैं.. अगर उसके साथ ये सब आपको करना पड़ा होता तब उस वक़्त आपको एहसास होता जो इस वक़्त मेरे दिल पर बीत रही है.. उस दर्द का तब आपको एहसास होता...बस ईश्वर से अब यही दुआ करूँगा कि आपको भी जल्दी ही उस दुख का एहसास करवाए... तब आपको समझ में आएगा कि एक बाप और बेटी के बीच रिस्ता क्या होता हैं.....



इस वक़्त बिहारी बिल्कुल खामोश था... और अपनी नज़रें नीचे झुकाए खड़ा था... तभी बिरजू फिर से राधिका के पास आता हैं और उसका माथा चूम लेता हैं.. बेटी मुझे माफ़ कर देना. समझ लेना कि तेरा कोई बाप भी था.... राधिका चुप चाप वहीं खड़ी रो रही थी... तभी बिरजू अपने कदम आगे बढ़ाते हुए आगे वाले कमरे में जाता हैं और धीरे से उस दरवाज़े को सटा देता हैं.. राधिका चुप चाप वहीं खड़ी अपने बाप को जाता हुआ देख रही थी मगर उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब बिरजू कहाँ जा रहा हैं और ना ही वहाँ खड़े बिहारी और विजय को कुछ समझ में आता हैं....



करीएब 5 मिनिट तक कहीं से कोई आवाज़ नहीं आती और इधेर राधिका का डर बढ़ने लगता हैं..फिर राधिका उस कमरे में जाने की सोचती हैं ..इससे पहले कि वो अपना एक कदम भी आगे बढ़ाती तभी गोली की ढायं की आवाज़ पूरे कमरे में गूँज जाती हैं और जब राधिका गोली की आवाज़ सुनती हैं तो उसका पूरा शरीर ठंडा पड़ जाता हैं...यही हाल इधेर बिहारी का भी था.. उनके भी पाँव तले ज़मीन खिसक जाती हैं.. और वो दोनो भी दरवाज़े की ओर देखने लगते हैं....



राधिका समझ चुकी थी कि क्या हुआ होगा.. फिर भी वो अपने कदम धीरे धीरे आगे बढ़ाते हुए उस कमरे की ओर जाने लगती हैं... उसकी ब्लीडिंग से उसका शॉल भी उसके खून से धीरे धीरे रंग रहा था....फिर भी वो दीवाल का सहारा लेकर उस कमरे तक पहुँच जाती हैं और जब वो दरवाज़ा खोलती हैं तब वो किसी बुत की तरह सामने का नज़ारा देखने लगती हैं... सामने बिरजू की लाश पड़ी हुई थी.. और उसके हाथ में एक रेवोल्वेर भी था.. उसने कनपटी पर अपनी गोली चलाई थी. कमरे में चारों तरफ फर्श पर खून बह रहा था... राधिका ज़ोर से चीखते हुए अपने बापू के पास जाती हैं और उसे अपनी गोद में लेकर उन्हें उठाने की कोशिश करती हैं.. मगर इस वक़्त बिरजू की साँसें थम चुकी थी...



राधिका वहीं ज़ोर ज़ोर से अपने बापू को अपनी गोद में लेकर वहीं रोने लगती हैं.... ये क्या किया बापू आपने ....मेरी ग़लती की सज़ा अपने आप को दी....इससे अच्छा होता कि आप मेरा गला घोंट देते.. सारा कसूर मेरा हैं .....मेरा... आपने क्यों किया ऐसा... क्यों....................तभी कमरे में बिहारी और विजय भी दाखिल होते हैं और जब वो नज़ारा देखते हैं तो उनके भी होश उड़ जाते हैं..
 
वक़्त के हाथों मजबूर--45





राधिका- अब तो तुम्हें सुकून मिल गया होगा... यही चाहते थे ना तुम... सच में तुम्हारे अंदर ज़रा भी इंसानियत नाम की कोई चीज़ नहीं हैं.. तुमसे अच्छे तो जनवार होते हैं कम से कम वो अपने मालिक का हक़ तो अदा करते हैं ..तुमलोग तो उन सब से भी गये गुज़रे हो... आज इन सब के ज़िम्मेदार तुम सब हो....



मैं तुम्हें कभी माफ़ नहीं करूँगी....अब तुम्हें मेरी हाय लगेगी.. देख लेना बिहारी तू भी ऐसे ही एक दिन तडपेगा... वो देख रहा हैं उपर से सब कुछ..देख लेना उसकी लाठी में आवाज़ नहीं होती.... जैस दिन उसकी लाठी तेरे उपर बरसेगी उस दिन तू अपनी मौत की भीख माँग रहा होगा. मगर तुझे इतनी आसानी से मौत भी नहीं मिलेगी....उस दिन तुझे मेरी कही हुई एक एक बातें याद आएँगी...मगर सिवाय पस्चाताप के तुझे कुछ हासिल नहीं होगा...उस दिन तुझे समझ में आएगा कि बद-दुवा क्या होती हैं.....



क्या मिला तुझे ये सब करके.. तुमने जो कुछ बोला वो सब मैने किया.. जहाँ बोला वहाँ मैं गयी.. जिसके साथ तुमने मुझे सोने को कहा मैने बिना कुछ कहे ना किसी विरोध के..ये भी नहीं पूछा कि मेरा वे लोग क्या हश्र करेंगे.... फिर भी मैं उसके साथ सोई.. मगर तुझे इससे भी चैन और सुकून नहीं मिला... आज तेरी वजह से मैं आज पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी हूँ.. और इस समाज़ में और इस दुनिया की नज़रो में मैं सिर्फ़ एक रंडी बनकर रह गयी हूँ...



आज तो तूने मुझे मेरे राहुल के लायक भी नहीं छोड़ा....तू क्या समझता हैं कि मैं अपने भैया का बिस्तेर गरम कर रही थी तो इसके पीछे क्या मेरी जिस्म की भूक थी...अरे तू क्या जाने कि प्यार किसे कहते हैं... मैने सिर्फ़ अपने आप को इसलिए उनके हवाले किया कि कम से कम मैं बर्बाद होकर भी उन्हें आबाद कर सकूँ..... मगर तूने तो मेरे समर्पण को एक नयी परिभाषा दे डाली.. और मेरे भैया को बेहन्चोद का नाम दे दिया....



प्यार का दूसरा नाम समर्पण होता हैं... मगर तेरा प्यार में सिर्फ़ लालच और हवस हैं... तू क्या जाने जब तेरी सती जैसी बीवी तेरी ना हो सकी तो दुनिया की कोई औरत तेरी नहीं हो सकती.. खूब दिया तूने भी उसे इनाम.... उसकी सच्चे प्यार के बदले उसी को मौत के घाट उतार दिया... तू किसी का नहीं हो सकता बिहारी...........किसी का नहीं...



अब तो राहुल भी मुझे कभी किसी हाल में नहीं अपनाएगा... और मैं खुद नहीं चाहती कि अब मैं उससे शादी करूँ.. क्यों की मैं उसे किसी की नज़रो में गिरता हुआ नहीं देख सकती.... और अगर राहुल ने मुझे अपना भी लिया तो ये समाज़ हर पल उससे ये एहसास दिलाता रहेगा कि उसकी बीवी कितनों के साथ मूह काला कर के आई हैं...और मैं नहीं चाहती कि मेरे राहुल को मेरी वजह से कभी झुकना पड़े...मगर मुझे उसका कोई गम नही हैं.. मैं तो खुद उसकी ज़िंदगी से दूर जाना चाहती थी.... मगर आज तूने तो मुझे मेरी ही नज़रो में गिरा दिया... और जब इंसान खुद की नज़रो में गिर जाता हैं तो वो कभी जी नहीं पाता.. आज तो मेरे पास भी मरने के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचा हैं.. तू चिंता मत कर बिहारी मैं तेरे जैसी निर्दयी और स्वार्थी नहीं हूँ मरते वक़्त भी तुझपर इल्ज़ाम नहीं आने दूँगी....



बिहारी की आँखों में इस वक़्त आँसू आ गये थे राधिका की बातो को सुनकर..आज उसके अंदर भी पस्चाताप हो रहा था मगर आब बहुत देर हो चुकी थी.....



बिहारी अपने दोनो हाथों को जोड़ कर राधिका के सामने खड़ा हो जाता हैं और अपना सिर झुका लेता हैं- मुझे माफ़ कर दे राधिका .. मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गयी.. शायद मैं तेरे प्रति निस्वार्थ प्रेम को समझ नहीं सका और हवस ने मुझे अँधा बना दिया था...



राधिका- माफी.............अब ये पाप मुझसे मत करने को बोल बिहारी... मैं तुझे कभी माफ़ नहीं कर सकती... अगर आज मैने तुझे माफ़ कर दिया तो मेरे दिल में एक दर्द हमेशा के लिए चुभेगा कि मैने ऐसा क्यों किया... बहुत घमंड हैं ना तुझे अपनी पॉवर और सत्ता पर देख लेना.. जब ये बात मेरे राहुल को पता चलेगी तो वो तेरी लंका एक दिन पूरा बर्बाद कर देगा और तेरा भी वजूद इस दुनिया से मिटा देगा... वो तुझे कभी नहीं छोड़ेगा...
 
अभी भी तेरे पास मौका है भाग जा और जाकर कहीं छुप जा वरना वो आ गया तो तेरा क्या हाल करेगा तू इसका अंदाज़ा भी नहीं लगा सकता.. मुझसे बेहतर तू नहीं जानता होगा राहुल को......फिर वो विजय की ओर देखते हुए कहती हैं- और तू तो उसका दोस्त हैं ना... तेरे जैसे गद्दार दोस्त से तो अच्छा होता कि उसका कोई दोस्त ही ना रहता... तू तो जिस थाली में ख़ाता हैं उसी में छेद करता हैं.. जब तेरी असलियत पता चलेगी तब देखना राहुल तेरा भी क्या हाल करेगा....



विजय उसका हाथ पकड़कर उसे दूसरे कमरे में ले जाता हैं- चल यार यहाँ से अब निकलते हैं.. वो सही कह रही हैं अगर वो यहाँ आ गया तो हमारी बॅंड बजा देगा... तभी बिहारी को कुछ याद आता हैं और वो अलमारी की ओर बढ़ता हैं और जाकर अलमारी में से राधिका की सारी ब्लू फिल्म्स की सीडीज़, डीवीडी, और पेनड्राइव वहीं हाल में फर्श पर रख देता हैं फिर वहीं केरोसिन का तेल उसपर गिराकर वो वहीं माचिस से आग लगा देता हैं... थोड़ी देर में वो सारी फिल्म्स जलने लगती हैं और फिर वो राधिका के पास जाता हैं और अपने दोनो हाथों को जोड़ कर वो तेज़ी से बाहर निकल जाता हैं.... और साथ ही साथ विजय भी उसके साथ निकल जाता हैं.....



इस वक़्त राधिका अभी भी अपने बापू के पास रो रही थी वहीं फर्श के पास और उसकी नज़रो के सामने उसकी सारी फिल्म्स बिहारी ने जला दिया था.... आज इस हवस की वजह से राधिका की ज़िंदगी पूरी तरह से उजड़ चुकी थी देखना ये था कि आने वाला वक़्त उसे अब किस मोड़ पर ले जाने वाला था.



अभी राहुल को वहाँ पहुँचने में करीब 1/2 घंटे का समय तो लगना ही था...अभी भी राधिका अपने बापू के पास चुप चाप वहीं बैठी सिसक रही थी... बिरजू का जिस्म पूरा ठंडा पड़ चुका था.... तभी थोड़ी देर में दरवाज़ा फिर से खुलता हैं और शंकर काका अंदर आते है और जब उनकी नज़र कमरे में पड़ती हैं तो उन्हें एक गहरा दुख होता हैं.. चौंके तो वे इसलिए नहीं थे क्यों कि उनको इस बात का अंदाज़ा पहले से था कि ऐसा ही कुछ अंजाम इसका होगा.....इस बात का अंदाज़ा उन्हें पहले से था. जिस बात का उन्हें डर था वहीं हुआ... वो धीरे धीरे अपने कदमों को बढ़ाते हुए राधिका के पास आते हैं और वहीं उसके बाजू में बैठ जाते हैं और राधिका के कंधे पर अपना हाथ रखकर उसे सांत्वना देते हैं...



इस तरह से शंकर काका को अपने पास महसूस करते ही राधिका वहीं उनके कंधे पर अपना सिर रखकर फुट फुट कर रोने लगती हैं.... शंकर काका बड़े प्यार से उसके सिर पर अपना हाथ फेरते हैं और उसे थोड़ी हिम्मत देते हैं...



शंकर- चुप हो जा बेटी.. जो हुआ वो अच्छा नहीं हुआ... मैने बिहारी को पहले भी समझाया था मगर वो मेरी बात नहीं माना.. मैं जानता था कि इसका परिणाम बहुत भयानक होगा... अगर बिहारी ने आज मेरी बात मान ली होती तो ऐसा अनर्थ कभी ना होता.....आज उसने बाप बेटी के बीच के पवित्र रिस्ते को हमेशा हमेशा के लिए कलंकित कर दिया.... और यही सदमा बिरजू नहीं सह पाया और इसी वजह से उसने आज जान दी... मैं अच्छे से जानता हूँ कि बिरजू ऐसा नहीं था.... उसने कभी तेरे बारे में ग़लत नहीं सोचा और हमेशा तेरी भलाई चाही.....अगर इसकी जगह आज मैं होता तो मैं भी यही करता जो बिरजू ने किया हैं....खैर जो हुआ बेटी उसे तो वापस लाया नहीं जा सकता...



राधिका कुछ नहीं कहती और बस एक टक शंकर काका को देखने लगती हैं... आज उसकी आँखें पूरी तरह से लाल थी...वो थोड़ी देर तक कुछ सोचती हैं फिर वो थोड़ी हिम्मत करके शंकर काका से कहती हैं...



राधिका- काका मुझे थोड़ा बाथरूम तक सहारा दे दीजिए.... मेरे जिस्म से इस वक़्त बहुत ब्लीडिंग हो रही हैं.. मुझे इस वक़्त चलने में भी बहुत तकलीफ़ हो रही हैं... अगर आप वहाँ तक मुझे सहारा देंगे तो मुझे अच्छा लगेगा.... राधिका की बातें सुनकर शंकर काका वहीं राधिका के बाजू को पकड़कर उठाते हैं और उसे अपनी गोद में अपने दोनो हाथों से उठाकर बाथरूम की ओर ले जाते हैं... ये देखकर राधिका बोल पड़ती हैं- काका आप मुझे नहीं उठा पाएँगे... अब आप बूढ़े हो चुके हैं.. बस मुझे सहारा दे दीजिए.. मैं चली जाउन्गि.....



शंकर- नहीं बेटी..... आज भी इन बूढ़े हाथों में वो ताक़त बाकी हैं.. तू फिकर मत कर.... फिर शंकर काका उसे बाथरूम की ओर ले जाते हैं....और वहीं दरवाज़े के पास राधिका को उतार देते हैं....



राधिका-काका ज़रा मेरी डायरी मुझे देंगे...



शंकर काका वहीं उसके बॅग से वो डायरी लेकर आता हैं और राधिका को वो डायरी थमा देता हैं... राधिका वहीं फर्श पर बैठ कर वो डायरी लिखने बैठ जाती हैं... ये देखकर शंकर काका की आँखें नम हो जाती हैं...



शंकर- बेटी तू ऐसा क्या लिखती रहती हैं इस डायरी में हर रोज़.....



राधिका- एक ये ही तो मेरा सहारा हैं काका ... जिसमें मैं अपनी यादें और अपना दुख सुख लिखती हूँ...जो पल मैने बिताए अच्छा बुरा.... सब कुछ... अब तो ये डायरी मेरी ज़िंदगी बन चुकी हैं....



शंकर- बेटी तू यहीं पर आराम कर और थोड़ा फ्रेश हो जा.. मैं तेरे लिए दवाई और कुछ नाश्ता वगेराह लेकर आता हूँ.... फिर मैं तुझे थोड़ी देर में अस्पताल ले चलूँगा... तू फिकर मत कर बेटी तू बिल्कुल ठीक हो जाएगी...
 
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]शंकर की बातो से राधिका थोड़ा सा मुस्कुरा देती हैं- नहीं काका रहने दीजिए.. अब मलहम पट्टी करने से अब कोई फ़ायदा नहीं होगा.. जो घाव मेरे दिल में हैं उसका इलाज़ तो दुनिया के किसी भी डॉक्टर के पास नहीं है... बस एक बात आपसे कहनी थी अगर आपको बुरा ना लगे तो....[/font]



[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]शंकर- बोलो बेटी मैं तुम्हारी बातो का भाल बुरा क्यों मानूँगा.... आख़िर तू भी तो मेरी बेटी जैसी हैं....[/font]



[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]राधिका अपने हाथों में से राहुल की दी हुई वो हीरे की अंगूठी निकाल लेती हैं और फिर शंकर काका को थमा देती हैं..... शंकर काका उसे हैरत से देखने लगते हैं- काका राहुल अभी शायद थोड़ी देर में यहाँ पर आने वाला हैं...मैने उनलोगों के मूह से ऐसा कहते सुना था.... मैं चाहती हूँ कि आप ये मेरी डायरी और ये अंगूठी उसे सौंप दें....और ये भी मेरे राहुल से कहना कि मैं अब उसके लायक नहीं रही.... इन सब ने मिलकर मुझे गंदा कर दिया है.....इस डायरी में मैने वो सब कुछ लिखा हैं जो अब तक मेरे साथ होता आया हैं.... मेरे राहुल से कहना कि मैने उसका हर पल हर घड़ी इंतेज़ार किया है....हर एक लम्हा उसकी याद में मैं तड़पति रही.....मगर शायद उसी ने आने में बहुत देर कर दी... अब तो सब कुछ ख़तम हो गया..... सब कुछ ख़तम...... काका.....[/font]



[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]शंकर राधिका के मूह से ऐसी बातो को सुनकर वो सवाल भरी नज़रो से राधिका की ओर देखने लगता हैं- नहीं बेटी तुझे कुछ नहीं होगा.... तू चिंता मत कर आज बिरजू नहीं हैं तो क्या हुआ अब से मैं तेरा बाप हूँ. और मैं तुझे कुछ नहीं होने दूँगा.. एक बेटी को तो मैने खो दिया मगर अब तुझे नहीं खोने दूँगा... तू चिंता मत कर सब ठीक हो जाएगा.......[/font]



[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]राधिका- काका मुझे थोड़ी देर अकेला छोड़ दो.. मैं थोड़ी देर अकेले रहना चाहती हूँ....आप जाकर मेरे लिए कुछ नाश्ता वगेरह बना कर ले आयें... फिर मैं आपके साथ चलूंगी............[/font]



[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]शंकर काका एक नज़र बड़े प्यार से राधिका को देखते हैं फिर वो अपना हाथ राधिका के सिर पर फेरते हैं और वहाँ से उठकर किचन की तरफ चले जाते हैं.... इस वक़्त भी राधिका के हाथों में वो डायरी और अंगूठी थी....फिर से राधिका वो डाइयरी खोलती हैं और तुरंत लिखने बैठ जाती हैं और करीब 10 मिनिट में वो अपनी डायरी ख़तम करती हैं... फिर वो अपनी दोनो डायरी (एक निशा की और एक अपनी ) और साथ ही अंगूठी भी वहीं रख कर वो खड़ी होती हैं... फिर वो दीवार के सहारे लेकर खड़ी होती हैं और बाथरूम की ओर जाती हैं... जैसे ही वो बाथरूम में घुसती हैं उसकी नज़रें कुछ तलाश करने लगती हैं.[/font]



[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]कुछ देर के बाद राधिका की आँखे चमक जाती हैं जब उसे वो चीज़ दिखाई देती हैं....वो फिर धीरे धीरे आगे बढ़कर उस चीज़ को अपनी हाथों में लेती हैं और बड़े गौर से उसे देखने लगती हैं.... उसके चेहरे पर हल्की सी मायूसी थी...... इस वक़्त राधिका के हाथों में एक फिनायल की शीशी थी...थोड़ी देर के बाद उसकी आँखों से आँसू बहने लगते हैं.....[/font]



[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]राधिका- मुझे माफ़ कर देना राहुल.... आज मेरे पास और कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा... सिवाए आत्महत्या करने के....आज तुमने आने में बहुत देर कर दी.... मैं तुम्हारा हर पल हर घड़ी इंतेज़ार करती रही और इन सब का जुर्म हंसकर सहती रही...मगर शायद मेरी इंतेज़ार अब यहीं पर ख़तम होगी....शायद मेरी किस्मेत में तुम्हारा प्यार नहीं था...आज इन सब ने मुझे पूरी तरह से गंदा कर दिया हैं.. और मैं अपने पाप का भागीदार तुम्हें नहीं बनाना चाहती...जो कुछ मेरे साथ हुआ उसका मुझे दुख नहीं .....बल्कि दुख तो इस बात का हैं कि तुमने मुझे जिस लायक समझा था अब मैं उस लायक नहीं रही.. मैने अपनी पवित्रता खो दी हैं..... मुझे माफ़ कर देना.... अब तो मैं अपनी निशा के रास्ते में भी नहीं आउन्गि....और तुम को अब उससे अच्छी बीवी और कोई मिल ही नहीं सकती.. हो सके तो अपनी राधिका को हमेशा हमेशा के लिए भूल जाना.... आइ आम सॉरी राहुल.... आइ आम सॉरी.....[/font]



[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]और राधिका फिर वो फिनायल की शीशी का ढक्कन खोलती हैं और अपनी आँखे बंद करके वो उस फिनायल को अपनी होंटो से लगा लेती हैं और धीरे धीरे वो उस बॉटल में रखा ज़हर अपने हलक के नीचे उतारना शुरू करती हैं.... बर्दास्त तो उसे बिल्कुल नहीं होता मगर फिर भी वो एक एक घूँट पीती जाती हैं और तब तक नहीं रुकती जब तक कि वो शीशी पूरी ख़तम नहीं हो जाती... फिर वो वही बॉटल को फर्श पर रख देती हैं और बाथरूम से बाहर निकल आती हैं और वहीं फर्श पर आकर बैठ जाती हैं.... इस वक़्त उसकी ब्लीडिंग और साथ ही साथ वो ज़हर धीरे धीरे अब अपना असर दिखाना शुरू कर देता हैं.... और राधिका वहीं अपनी आँखे बंद कर के फर्श पर बैठ जाती हैं.......[/font]
 
करीब 10 मिनिट के बाद शंकर काका अपना काम पूरा ख़तम करके उसके पास आते हैं और राधिका को वहीं फर्श पर आँखे बंद किए बैठा देखकर वो उसके करीब आकर वो भी वहीं ज़मीन पर बैठ जाते हैं और उसके सिर पर अपने हाथ बड़े प्यार से फिरते हैं... मगर राधिका इस बार आनकिएं नहीं खोलती... शंकर काका थोड़ा उसको आवाज़ देकर उसके बाज़ू को हिलाते हैं मगर राधिका कोई जवाब नहीं देती... शंकर काका का दिल ज़ोरों से धड़कने लगता हैं.. तभी उनके मन में कुछ ख्याल आता हैं और वो दौड़ कर बाथरूम की ओर जाते हैं... और जब उनकी नज़र फर्श पर फिनायल की खाली शीशी पर पड़ती हैं तब उनका डर हक़ीकत में बदल जाता हैं.... वो समझ जाते हैं कि राधिका ने ज़हर पी लिया हैं......



वो तुरंत उसके पास जाते हैं और उसके गालों पर अपना हाथ फेरते हैं और उसे उठाने की कोशिश करते हैं मगर राधिका की आँखे इस वक़्त भी बंद थी...... तभी शंकर काका ज़ोर से उसे झटका देते हैं और इस बार राधिका अपनी आँखें खोल लेती हैं.....



शंकर- क्यों किया तुमने ऐसा... आख़िर तुम्हें मुझपर भरोसा नहीं था ना.. इस लिए तुमने वो फिनायल पी ली...



राधिका बस एक नज़र शंकर काका को देखती हैं - काका मुझे माफ़ कर दो.. अब मेरे जीने की कोई वजह नहीं बची थी... इसलिए मुझे ये कदम उठाना पड़ा..........आइ अम फिनिश काका!!! आइ अम फिनिश!!! और इतना कहकर राधिका की आँखें एक बार फिर से बंद हो जाती हैं ....



राधिका की हालत को देखकर शंकर काका की आँखों में आँसू आ जाते हैं..... वो भी वहीं राधिका के पास बैठे हुए थे... शंकर काका राधिका का सिर अपने गोद में रख लेते हैं और उसके सिर पर बड़े प्यार से अपना हाथ फ़िराते हैं.... करीब 15 मिनिट के बाद राहुल अपनी टीम के साथ वहाँ पर पहुँचता हैं...कमरे में सभी पोलीस वाले एक एक कर सारे सामानों की तलाशी लेते हैं और राहुल राधिका को खोजते हुए इधेर उधेर फिरता रहता हैं.... आख़िरकार उसकी प्यासी नज़रो को उसका प्यार मिल ही जाता हैं और जब राहुल की नज़र राधिका पर पड़ती हैं तो वो लगभग चीखते हुए वो दौड़ कर राधिका के पास आता हैं...इस वक़्त भी शंकर काका उसे अपनी गोद में लिए हुए थे...वो तुरंत राधिका के करीब आता हैं और राधिका को झट से अपनी बाहों में ले लेता हैं..... वहीं शंकर काका भी बैठे हुए थे.. और उनकी आँखों में आँसू थे....




शंकर काका इस वक़्त राधिका को अपनी गोद में लिए चुप चाप बैठे हुए थे...आज उनके आँखों में आँसू थे.... वो भी अब राहुल के आने का इंतेज़ार कर रहें थे....करीब 15 मिनिट के बाद राहुल अपनी टीम के साथ वहाँ एंटर होता हैं और उसके साथ के सभी पोलीस वाले कमरे की तलाशी एक एक कर लेना शुरू करते हैं....



थोड़ी देर बाद उन्हें बिरजू की लाश मिलती हैं....मगर वहाँ उन्हें और कोई दिखाई नहीं देता... और इधेर राहुल की नज़र जब राधिका पर पड़ती हैं तब एक पल के लिए उसके दिल में खुशी की लहर उठती हैं मगर अगले पल जब राधिका की हालत पर उसकी नज़र जाती हैं तब उसे एक गहरा धक्का लगता हैं.... वो लगभग चीखते हुए वहीं राधिका के पास आता हैं और उसे झट से अपनी गोद में ले लेता हैं... शंकर काका भी वहीं फर्श पर बैठे हुए थे....



राहुल राधिका को झंझोड़ते हुए उठाता हैं मगर राधिका अपनी आँखें नहीं खोलती... इस वक़्त उसके शरीर में वो ज़हर धीरे धीरे फैल चुका था....



राहुल- अपनी आँखें खोलो राधिका... देखो तुम्हारा राहुल आया हैं....मैं जानता हूँ कि मुझे यहाँ आने मैने बहुत देर कर दी मगर अब मैं आ गया हूँ अब सब ठीक हो जाएगा.....राहुल बार बार उसे उठाने की कोशिश करता हैं मगर राधिका अपनी आँखें नहीं खोलती....
 
राहुल- क्या हुआ हैं इसे.... ये अपनी आँखे क्यों नहीं खोल रही.... सब ठीक तो हैं ना... और राहुल की आँखों में आँसू आ जाते हैं...



शंकेर- बेटा तुमने आने में बहुत देर कर दी...अब ये कभी नहीं उठेगी.....



शंकर की ऐसी बातो को सुनकर राहुल के होश उड़ जाते हैं- क्या.....क्या कहा आपने.. नहीं उठेगी.... मगर क्यों... ऐसा क्या हुआ हैं मेरी राधिका के साथ..... मैं अपनी जान को कुछ नहीं होने दूँगा.....



शंकर- इस वक़्त बेटा मैं तुम्हें ये सब नहीं बता सकता कि इसके साथ क्या हुआ हैं... मगर इतना जान लो कि जो कुछ भी इस बच्ची के साथ हुआ बहुत बुरा हुआ.... अभी ये सब जानने का समय नहीं हैं... बेहतर यही होगा कि तुम इसे जल्दी से जल्दी अस्पताल लेकर जाओ.... इसने ज़हर पी लिया हैं...



राहुल- क्या??? ज़हर.. मगर क्यों??? नहीं ऐसा नहीं हो सकता.... मेरी राधिका इतनी कमज़ोर नहीं हो सकती कि वो ख़ुदकुशी करेगी.....



तभी कमरे में ख़ान आता हैं और वो बिरजू के बारे में उससे बताता हैं... ख़ान की बातें सुनकर राहुल के होश उड़ जाते हैं....



तभी राहुल तुरंत राधिका को अपनी गोदी में उठाता हैं और वो तेज़ी से राधिका को लेकर बाहर की ओर निकल पड़ता हैं.. शंकर काका तो उससे बहुत कुछ कहना चाहते थे मगर उन्हें लगा कि ये सही समय नहीं हैं कि कोई बात कही जाए.... इस लिए वो चुप हो जाते हैं...



ख़ान- सर मैने आंब्युलेन्स के लिए फोन कर दिया हैं. आंब्युलेन्स जल्दी ही आती होगी...



राहुल- नहीं ख़ान..हमारे पास ज़्यादा वक़्त नहीं हैं. आंब्युलेन्स के आने में कम से कम 1 घंटा तो लगेगा ही.. और तब तक पता नहीं क्या हो जाएगा.. तुम एक काम करो जल्दी से जीप निकालो और सीधा सिटी हॉस्पिटल चलो... जितनी जल्दी हो सके... ख़ान को भी राहुल की बात सही लगती हैं और वो तुरंत अपनी जीप लेकर आता हैं और राहुल राधिका को पिछली सीट पर लेकर बैठ जाता हैं और ख़ान तुरंत जीप को फुल स्पीड पर दौड़ाता हैं.... राहुल ने अपनी गोद में राधिका के सिर को रखा हुआ था और बड़े प्यार से उसके बालों पर अपना हाथ फिरा रहा था.. साथ ही साथ उसकी आँखे भी नम थी.....



करीब 1/2 घंटे के बाद वे लोग सिटी हॉस्पिटल पहुँचते हैं... और इस समय ड्र. अभय वहाँ अपने स्पेशल टीम के साथ मौजूद थे.. राहुल ने रास्ते में ही ड्र.अभय को फोन करके सारी बातें बता दी थी... तभी दो कॉमपाउंडर आते हैं और वहीं राधिका को बेड पर सुला कर तुरंत उसे हॉस्पिटल के अंदर ले जाते हैं... उसके पीछे पीके ड्र.अभय और उनकी टीम जल्दी से आइसीयू वॉर्ड की ओर मूव करती हैं....



अभय जल्दी से राडिका को आइसीयू वॉर्ड में शिफ्ट करता हैं और तुरंत उसका इलाज़ शुरू करता हैं.. इस वक़्त भी राधिका बेहोश थी.. और धीरे धीरे उसका शरीर नीला पड़ता जा रहा था.. अब तक ज़हर उसकी रगों में पूरा फैल चुका था....



अभय राहुल के पास आता हैं और उसके कंधे पर अपना हाथ रखता हैं- धीरज रखो मेरे दोस्त.... सब ठीक हो जाएगा.. आइ विल ट्राइ माइ बेस्ट.... वैसे इस वक़्त राधिका की हालत बहुत क्रिटिकल हैं.. इस लिए ठीक से कुछ कहा नहीं जा सकता... मैं पूरी कोशिश करूँगा जो मुझसे बन पाएगा... और तुम चिंता मत करो राहुल ...मैं डॉक्टर से पहले तुम्हारा एक अच्छा दोस्त हूँ... और आज मैं अपनी दोस्ती के लिए राधिका को बचाउन्गा... मगर ये सब तो उपर वाले के हाथ में हैं....बस दुवा करना कि वो बच जाए...



राहुल अपने दोनो हाथ जोड़कर अभय के सामने खड़ा हो जाता हैं- मुझे तुम पर भरोसा हैं अभय... मैं जानता हूँ कि तुम एक बेस्ट डॉक्टर हो और तुम अपनी तरफ से पूरी कोशिश करोगे... पर दोस्त इतना ध्यान रखना कि अगर मेरी राधिका को कुछ हो गया तो.................अभय उसके कंधे पर अपना हाथ रखकर उसे सांत्वना देता हैं और झट से आइसीयू वॉर्ड में एंटर होता हैं और साथ ही तीन और डॉक्टर्स भी अंदर जाते हैं और फिर राधिका का ऑपरेशन शुरू हो जाता हैं....



इधेर जैसे ही ये खबर निशा को मालूम चलती हैं वो लगभग भागते हुए तुरंत हॉस्पिटल पहुँचती हैं.. और साथ ही उसके मम्मी पापा भी आते हैं.... इधेर ख़ान भी अपनी जीप लेकर झट से बाहर निकल जाता हैं .....राहुल इस वक़्त वहीं आइसीयू वॉर्ड के बाहर बैठा हुआ ईश्वर से राधिका की ज़िंदगी की दुवा कर रहा था.... तभी निशा भी वहाँ आती हैं और राहुल को देखते वो चीख पड़ती हैं....
 
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