hotaks444
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बिहारी- आओ आओ बिरजू देखा तुमने हमारा सोर्स और पॉवर..... बिरजू भी बिहारी को देखकर मुस्कुरा देता हैं...
बिरजू- मालिक आपने कैसे मुझे याद किया...
तभी विजय उसको आँखों ही आँखों में कुछ इशारा करता हैं और बिहारी बिरजू को लेकर एक दूसरे कमरे में चला जाता हैं...
बिहारी- आज मैं तुमसे बहुत खुस हूँ बिरजू.. इस लिए मैने सोचा कि आज तुम्हें एक नायाब तोहफा दूँगा और मुझे यकीन हैं कि तुम बहुत खुस होगे... जानते हो वो तोहफा क्या हैं ...बिहारी की इस तरह की बातो से बिरजू सवाल भरी नज़रो से और हैरत से बिहारी की ओर देखने लगता हैं...
बिरजू- कैसा तोहफा मालिक??
बिहारी- आज मैने तेरे लिए एक जवान चूत का इंतज़ाम किया हैं.. लड़की करीब 23 साल की हैं.. और हम ने तेरे लिए उसे मना भी लिया हैं... आज चूत चोदना चाहेगा ना तू... मैने सोचा इतने बरसों से तूने हमारी वफ़ादारी की हैं तो तुझे भी हमारी तरफ से कुछ इनाम तो मिलना ही चाहिए..
बिहारी की ऐसी बातो से बिरजू अपनी नज़रें नीची कर लेता हैं और मुस्कुरा कर हां में इशारा करता हैं...
बिहारी- मगर लड़की की एक शर्त हैं... वो नहीं चाहती कि तू उसे देखे इस लिए उसकी ख्वाहिश हैं कि तू जब उसकी चूत चोदेगा तब तेरी आँखों पर एक काली पट्टी बँधी होगी.. जब तू उसकी चूत चोद लेगा फिर मैं तेरे सामने उस लड़की को बिन कपड़ों के लाउन्गा. फिर तू उसे जी भर कर देख लेना... बोल मंज़ूर हैं तुझे मेरी ये शर्त....
बिरजू कुछ नहीं कहता और हां में अपना सिर हिला देता हैं... फिर वो बिरजू को दूसरे कमरे में बैठने के लिए बोल देता हैं.. उसे तो ये भी नहीं मालूम था कि वो जिसके साथ उसे ये सब करने को कह रहा हैं वो उसकी अपनी बेटी राधिका है..पता नहीं आने वाला वक़्त राधिका के दिल पर कितना बड़ा सितम ढाने वाला था इसका अंदाज़ा ना तो बिरजू को था और ना ही राधिका को...
तभी बिहारी कमरे से बाहर निकलता हैं और उसका सामना शंकर काका से होता हैं... शंकर को ऐसा घूरता हुआ देखकर बिहारी एक पल के लिए मानो थितक जाता हैं...
शंकर- मलिक मुझे आपसे कुछ बात करनी हैं..अगर आपको बुरा ना लगे तो मैं कहूँ...
बिहारी- हां काका बोलो क्या बात हैं....
शंकर- मैने अभी अभी आपकी और बिरजू के बीच हुई सारी बातें सुनी.. ये आप कैसा अनर्थ कर रहें हैं मालिक... आपको अंदाज़ा भी हैं कि इसका अंजाम कितना भयानक होगा... भला आप एक बाप के साथ उसकी अपनी बेटी के साथ ये सब कैसे करवाने की सोच सकते हैं..ये पाप हैं मालिक... अभी भी समय हैं मालिक रोक लीजिए इस अनर्थ को.... नहीं तो सब कुछ पल भर में तबाह हो जाएगा... और जब ये बात राधिका और उसके बाप को पता लगेगी तब क्या होगा ... क्या बीतेगी मालिक उन दोनो के दिल पर... राधिका तो जीते जी मर जाएगी और शायद बिरजू भी ये सदमा नहीं से पाएगा...
बिहारी- काका जो लड़की अपने भाई के साथ सो सकती हैं वो लड़की अपने बाप का बिस्तेर भी तो गरम कर सकती हैं.. आप चिंता मत करो उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा... आज राधिका एक रंडी हैं और रंडियों का कोई ईमान धरम नहीं होता... आखरी बार कहता हूँ काका आप इन सब मामलों में ना ही पड़े तो अच्छा है...
शंकर- मैने तो ये सोचा था मालिक कि आपके अंदर इंसानियत आज थोड़ी बहुत भी ज़िंदा होगी मगर ये मेरी भूल थी.. मैं ये भूल गया था कि जो आदमी अपनी पत्नी का ना हो सका वो भला किसी और का कैसे हो सकता हैं... मुझे माफ़ कर दो मालिक मैं ही ग़लत था.. आज भी आपसे झूठी आस लगाए बैठा था कि देर सबेर आप एक अच्छे इंसान बन जाएँगे मगर शायद मैं ही आपको पहचान ना सका... तभी एक ज़ोरदार थप्पड़ शकर काका के गाल पर पड़ता हैं...
बिहारी- तू ये भूल रहा है कि तू एक नौकर हैं और तुझे ये भी नहीं पता कि अपने मालिक से कैसे बात की जाती हैं..
शंकर- आप ग़लत बोल रहें हैं... अब आप मेरे मालिक नहीं आज के बाद मैं आपकी ऐसी नौकरी को लात मारता हूँ. मुझे नहीं करनी आप जैसे इंसान की गुलामी...
बिहारी- तो निकल जा अभी इस वक़्त...
शंकर- चला जाउन्गा मगर उस लड़की को भी अपने साथ लेकर जाउन्गा... और बिहारी वहीं गुस्से से बाहर निकल जाता हैं.....
तारीख- 20-जून
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बिरजू- मालिक आपने कैसे मुझे याद किया...
तभी विजय उसको आँखों ही आँखों में कुछ इशारा करता हैं और बिहारी बिरजू को लेकर एक दूसरे कमरे में चला जाता हैं...
बिहारी- आज मैं तुमसे बहुत खुस हूँ बिरजू.. इस लिए मैने सोचा कि आज तुम्हें एक नायाब तोहफा दूँगा और मुझे यकीन हैं कि तुम बहुत खुस होगे... जानते हो वो तोहफा क्या हैं ...बिहारी की इस तरह की बातो से बिरजू सवाल भरी नज़रो से और हैरत से बिहारी की ओर देखने लगता हैं...
बिरजू- कैसा तोहफा मालिक??
बिहारी- आज मैने तेरे लिए एक जवान चूत का इंतज़ाम किया हैं.. लड़की करीब 23 साल की हैं.. और हम ने तेरे लिए उसे मना भी लिया हैं... आज चूत चोदना चाहेगा ना तू... मैने सोचा इतने बरसों से तूने हमारी वफ़ादारी की हैं तो तुझे भी हमारी तरफ से कुछ इनाम तो मिलना ही चाहिए..
बिहारी की ऐसी बातो से बिरजू अपनी नज़रें नीची कर लेता हैं और मुस्कुरा कर हां में इशारा करता हैं...
बिहारी- मगर लड़की की एक शर्त हैं... वो नहीं चाहती कि तू उसे देखे इस लिए उसकी ख्वाहिश हैं कि तू जब उसकी चूत चोदेगा तब तेरी आँखों पर एक काली पट्टी बँधी होगी.. जब तू उसकी चूत चोद लेगा फिर मैं तेरे सामने उस लड़की को बिन कपड़ों के लाउन्गा. फिर तू उसे जी भर कर देख लेना... बोल मंज़ूर हैं तुझे मेरी ये शर्त....
बिरजू कुछ नहीं कहता और हां में अपना सिर हिला देता हैं... फिर वो बिरजू को दूसरे कमरे में बैठने के लिए बोल देता हैं.. उसे तो ये भी नहीं मालूम था कि वो जिसके साथ उसे ये सब करने को कह रहा हैं वो उसकी अपनी बेटी राधिका है..पता नहीं आने वाला वक़्त राधिका के दिल पर कितना बड़ा सितम ढाने वाला था इसका अंदाज़ा ना तो बिरजू को था और ना ही राधिका को...
तभी बिहारी कमरे से बाहर निकलता हैं और उसका सामना शंकर काका से होता हैं... शंकर को ऐसा घूरता हुआ देखकर बिहारी एक पल के लिए मानो थितक जाता हैं...
शंकर- मलिक मुझे आपसे कुछ बात करनी हैं..अगर आपको बुरा ना लगे तो मैं कहूँ...
बिहारी- हां काका बोलो क्या बात हैं....
शंकर- मैने अभी अभी आपकी और बिरजू के बीच हुई सारी बातें सुनी.. ये आप कैसा अनर्थ कर रहें हैं मालिक... आपको अंदाज़ा भी हैं कि इसका अंजाम कितना भयानक होगा... भला आप एक बाप के साथ उसकी अपनी बेटी के साथ ये सब कैसे करवाने की सोच सकते हैं..ये पाप हैं मालिक... अभी भी समय हैं मालिक रोक लीजिए इस अनर्थ को.... नहीं तो सब कुछ पल भर में तबाह हो जाएगा... और जब ये बात राधिका और उसके बाप को पता लगेगी तब क्या होगा ... क्या बीतेगी मालिक उन दोनो के दिल पर... राधिका तो जीते जी मर जाएगी और शायद बिरजू भी ये सदमा नहीं से पाएगा...
बिहारी- काका जो लड़की अपने भाई के साथ सो सकती हैं वो लड़की अपने बाप का बिस्तेर भी तो गरम कर सकती हैं.. आप चिंता मत करो उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा... आज राधिका एक रंडी हैं और रंडियों का कोई ईमान धरम नहीं होता... आखरी बार कहता हूँ काका आप इन सब मामलों में ना ही पड़े तो अच्छा है...
शंकर- मैने तो ये सोचा था मालिक कि आपके अंदर इंसानियत आज थोड़ी बहुत भी ज़िंदा होगी मगर ये मेरी भूल थी.. मैं ये भूल गया था कि जो आदमी अपनी पत्नी का ना हो सका वो भला किसी और का कैसे हो सकता हैं... मुझे माफ़ कर दो मालिक मैं ही ग़लत था.. आज भी आपसे झूठी आस लगाए बैठा था कि देर सबेर आप एक अच्छे इंसान बन जाएँगे मगर शायद मैं ही आपको पहचान ना सका... तभी एक ज़ोरदार थप्पड़ शकर काका के गाल पर पड़ता हैं...
बिहारी- तू ये भूल रहा है कि तू एक नौकर हैं और तुझे ये भी नहीं पता कि अपने मालिक से कैसे बात की जाती हैं..
शंकर- आप ग़लत बोल रहें हैं... अब आप मेरे मालिक नहीं आज के बाद मैं आपकी ऐसी नौकरी को लात मारता हूँ. मुझे नहीं करनी आप जैसे इंसान की गुलामी...
बिहारी- तो निकल जा अभी इस वक़्त...
शंकर- चला जाउन्गा मगर उस लड़की को भी अपने साथ लेकर जाउन्गा... और बिहारी वहीं गुस्से से बाहर निकल जाता हैं.....
तारीख- 20-जून
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