Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर - Page 19 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर

निशा- ये सब क्या हो गया राहुल... मेरी राधिका की किसने की ऐसी हालत...... मैं इसी वक़्त राधिका से मिलना चाहती हूँ. कहाँ हैं वो....ठीक तो हैं ना...



निशा की बातो को सुनकर राहुल भी रोने लगता हैं- पता नहीं निशा ये सब कैसे हो गया... मैं जब राधिका से मिला तब वो बेहोश थी... अभी इस वक़्त वो आइसीयू में हैं और उसका ऑपरेशन चल रहा है... इस सहर की बड़ी बड़ी हस्ती आई हुई हैं और उसका ऑपरेशन कर रहे हैं....



निशा वहीं अपनी मम्मी के गले से लिपट कर रोने लगती हैं... मम्मी अगर राधिका को कुछ हुआ तो देख लेना मैं भी अपनी जान दे दूँगी.. मैं उसके बगैर नहीं जी सकती.... वो मेरी सहेली ही नहीं मेरी जान से बढ़कर हैं... पता नहीं ये सब कैसे हो गया....



सीता- बेटा चुप हो जा राधिका को कुछ नहीं होगा..... सब ठीक हो जाएगा.......फिर वो अपनी बेटी के आँखों से बहते आँसू पोछती हैं और उसे अपने सीने से लगा लेती हैं.



जैसे जैसे वक़्त बीतता जा रहा था वैसे वैसे राहुल और निशा के दिल में डर भी बढ़ता जा रहा था..... वो तो बस उपर वाले से यही दुआ कर रहा था कि राधिका कैसे भी बच जाए.....मगर उपरवाले को तो कुछ और ही मंज़ूर था....



दो घंटे बाद......................



दो घंटे की कड़ी मेहनत के बाद एक एक कर सभी डॉक्टर्स आइसीयू वॉर्ड से बाहर निकलते हैं.. सब के चेहरे झुके हुए थे और सबके चेहरे पर निराशा सॉफ झलक रही थी..... सब एक एक कर अपने वॉर्ड में चले जाते हैं....राधिका को भी प्राइवेट वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया जाता हैं.... आख़िरकार राहुल और उन सब का इंतेज़ार ख़तम होता है और ड्र. अभय आइसीयू वॉर्ड से बाहर निकलता हैं..... अभय को देखते ही राहुल तुरंत उसके पास पहुँच जाता हैं और सवाल भरी नज़रो से अभय के चेहरे को पढ़ने की कोशिश करता हैं... राहुल के ऐसे देखने से अभय अपना चेहरा दूसरी तरफ फेर लेता हैं.....



राहुल- क्या हुआ अभय.... सभी डॉक्टर्स के चेहरे पर ऐसी उदासी क्यों हैं.. सब ठीक तो हैं ना.. मेरी राधिका बच तो जाएगी ना... कह दो ना अब वो ख़तरे से बाहर हैं.... अब वो ठीक हो जाएगी......



अभय झट से राहुल के कंधे पर अपना हाथ रख देता हैं ... उसके चेहरे पर पसीने की बूँदें सॉफ छलक रही थी....



राहुल- क्या हुआ अभय... तुम कुछ बोलते क्यों नहीं... मेरी राधिका ठीक तो हैं ना...



अभय फिर भी अभी तक खामोश खड़ा था....
 
राहुल- तुम कुछ बोलते क्यों नहीं.... मेरा दिल बैठा जा रहा हैं....भगवान के लिए कुछ तो बोलो...



अभ- क्या कहूँ राहुल.. आज मेरी ज़ुबान भी लड़खड़ा रही हैं.. समझ में नहीं आ रहा कि मैं तुमसे कैसे कहूँ कि............



राहुल का गला सूखने लगता हैं- क्या....... ??? बात क्या हैं अभय... खुल कर बताओ मुझे...



अभय- बात ये हैं कि राधिका की ब्लीडिंग अभी भी बंद नहीं हो रही हैं... उसके प्राइवेट पार्ट्स बुरी तरह से ज़ख़्मी हैं और अंदर की नसें कयि जगह से फट चुकी हैं.. ये सब उसके साथ रफ सेक्स की वजह से और लगातार कंटिन्यू सेक्स की वजह से हुआ हैं....हम ने अभी तो काफ़ी कंट्रोल कर लिया हैं मगर............



राहुल- मगर क्या अभय....



अभय- अगर ब्लीडिंग की बस प्राब्लम होती तो हम कैसे भी उसे कंट्रोल कर लेते....मगर राधिका ने फेनायल का पूरा बॉटल पी लिया हैं. जिसकी वजह से उसके शरीर में ज़हर अब पूरी तरह फैल चुका हैं. अगर थोड़ी देर पहले तुम राधिका को यहाँ पर लाए होते तो शायद हम कुछ कर सकते थे बट आइ अम सॉरी......अब बहुत देर हो चुकी हैं....



राहुल- व्हाट सॉरी अभय.... कुछ भी करो जितना पैसा चाहिए मैं तुम्हें दूँगा... जो बन पड़ेगा वो मैं करूँगा मगर मैं तुम्हारे आगे अपनी राधिका की ज़िंदगी की भीख माँगता हूँ. कुछ भी करके तुम उससे बचा लो..... ये सारी बातें सुनकर निशा भी ज़ोर ज़ोर से रोने लगती हैं...



निशा- प्लीज़ डॉक्टर मेरी राधिका को कैसे भी करके बचा लीजिए. अगर आपको ब्लड की ज़रूरत हैं तो मेरे शरीर से पूरा ब्लड ले लीजिए मगर उसे बचा लीजिए...



अभ- ट्राइ टू अंडरस्टॅंड..... जो अब पासिबल नहीं हैं वो हम कैसे कर सकते हैं... बात आप समझने की कोशिश कीजिए... हम राधिका को अब बचा नहीं पाएँगे....क्यों कि ज़हर उसकी रगों में पूरी तरह से फैल चुका हैं... और अब बहुत देर हो चुकी हैं....



राहुल की आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं... कहाँ हैं राधिका... मैं उससे मिलना चाहता हूँ... कितना समय हैं उसके पास डॉक्टर...



अभ- एक घंटा .....ज़्यादा से ज़्यादा दो.... इससे ज़्यादा वक़्त नहीं हैं उसके पास... अभी वो इस वक़्त होश में हैं.. आप सब चाहे तो जाकर उससे मिल सकते हैं... मुझे माफ़ कर देना राहुल आज मैं पहली बार नाकाम हुआ हूँ.... और अभय अपनी नज़रें नीची करके वहाँ से अपने कॉम्पोन्ड में चला जाता हैं.
 
वक़्त के हाथों मजबूर--46





अभय की बातें सुनकर राहुल की आँखें भर आती हैं.. और वो वहीं घुटने के बल बैठ कर रोने लगता हैं.. तभी निशा उसके पास आती हैं और उसके कंधे पर अपना हाथ रखकर उसका हौसला बढ़ाती हैं... फिर वो तुरंत उठकर उस वॉर्ड की ओर चल पड़ता हैं जहाँ इस वक़्त राधिका अड्मिट थी.... जैसे जैसे उसके कदम आगे बढ़ते हैं वैसे वैसे उसकी दिल की धड़कनें बढ़ने लगती हैं..... आखरिकार वो राधिका के वॉर्ड में पहुँच जाता हैं और जब उसकी नज़र राधिका पर पड़ती हैं तो वो लगभग दौड़ते हुए वो उसके पास आता हैं.... राधिका इस वक़्त बेड पर सोई हुई थी और उसके दोनो हाथों में एक तरफ ब्लड की बॉटल लगी हुई थी और दूसरी तरफ ग्लूकोस की बॉटल.....



उसकी आँखें इस वक़्त बंद थी....मगर जब राहुल उसके पास आता हैं और उसके सिर पर अपना हाथ फेरता हैं तब वो अपनी आँखें धीरे से खोल लेती हैं....इस वक़्त राहुल की आँखें पूरी तरह से नम थी... वो वहीं राधिका के बगल में बैठ जाता हैं तभी कमरे में निशा , सीता और मिस्टर.अग्रवाल (निशा के पापा) भी अंदर आते हैं.....



राहुल- ये सब क्या हो गया जान..... मैं तो बस कुछ दिनों के लिए बाहर क्या गया तुम्हारा साथ इतना कुछ हो गया.... और तुमने मुझे बताना भी ज़रूरी नहीं समझा... क्यों किया तुमने ऐसा.... एक पल के लिए भी ये नहीं सोचा कि मेरे दिल पर क्या बीतेगी....कैसे जीऊंगा मैं तुम्हारे बगैर.....



राधिका के आँखों में आँसू आ जाते हैं और वो अपना हाथ आगे बढ़ाकर राहुल के मूह पर रख देती हैं.... और अपनी गर्देन को ना में हिलाती हैं.... वहीं दूसरी तरफ निशा भी आकर उसके पास बैठ जाती हैं.. उसकी आँखें भी नम थी... वो भी बस रोए जा रही थी... तभी राधिका अपना हाथ आगे बढ़ाकर राहुल की आँखों से बहते आँसू पोछती हैं और फिर वो निशा की आँखों से आँसू पोछती हैं.. राहुल झट से राधिका का हाथ थाम लेता हैं और उधेर निशा भी ऐसा ही करती हैं....



निशा- क्यों किया तुमने ऐसा राधिका.. मुझे बताना भी ज़रूरी नहीं समझा... एक पल के लिए भी नहीं सोचा कि अगर तुझे कुछ हो गया तो मैं तेरे बगैर कैसे जिउन्गि....



राधिका- चुप हो जा निशा....मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा तुम्हारी इन आँखों में आँसू....



राहुल- तुम ठीक हो जाओगी राधिका... मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूँगा...



राधिका- नहीं राहुल.... मैं जानती हूँ कि अब मेरे पास ज़्यादा वक़्त नहीं हैं.... मैं चन्द घंटों की मेहमान हूँ. मुझे मरने का दुख नहीं हैं... दुख तो इस बात का हैं कि मैं अपना वादा नहीं निभा सकी..तुम्हारे साथ जीने मरने का....मुझे माफ़ कर दो....



राहुल- नहीं राधिका ऐसा मत कहो.... मैं तुम्हारे बिन जी नहीं पाउन्गा.... क्यों किया तुमने ऐसा... एक पल के लिए भी नहीं सोचा कि मेरा क्या होगा.... कैसे जीऊँगा मैं तुम्हारे बगैर..........
 
राधिका- आज मेरे पास और कोई रास्ता नहीं बचा था राहुल...सिवाए मरने के... मेरे साथ इस एक हफ्ते में क्या हुआ अभी मेरे पास इतना वक़्त नहीं हैं कि मैं तुम्हें वो सारी बातें बता सकूँ.... बस इतना समझ लो कि जो हुआ अच्छा नहीं हुआ.. और कुछ ऐसा हुआ जिसकी वजह से मुझे ये कदम उठाना पड़ा....मैने अपनी डायरी में सब कुछ लिख दिया हैं... उसे मेरे मरने के बाद तुम ज़रूर पढ़ना....शायद तुम्हें अंदाज़ा हो जाएगा कि मैने क्या क्या बर्दास्त किया हैं इन दिनों में.....और अब निशा ही तुम्हारे लिए सच्ची जीवन साथी हैं... मैं ये बात जानती हूँ कि वो भी तुमसे ही प्यार करती हैं...उसका कोई बाय्फ्रेंड नहीं हैं... वो भी तुम्हें ही चाहती हैं... मगर शायद मेरी वजह से इसने तुम्हें कभी अपने प्यार का इज़हार नहीं किया....और शायद मैं निशा के बीच आ गयी थी....



राधिका की ऐसी बातो को सुनकर निशा के होश उड़ जाते हैं.... तो क्या तुम्हें पता था.. ये सब... लेकिन कैसे???



राधिका- जिस तरह मुझे डाइयरी लिखने का शौक हैं उसी तरह तुम्हें भी हैं.. और एक दिन मैं तुम्हारे घर पर गयी थी तब मुझे तुम्हारी डायरी मिली और मैं उसे अपने पास रख ली... कोई कबाड़ी वाला उसे नहीं ले गया था... तब से वो डायरी मेरे पास है....और आज भी मैने उसे संभाल कर रखा हुआ हैं.....



निशा- झूट..... धोखा किया हैं तुमने मेरे साथ....आज मुझे समझ में आ गया कि क्यों तुम अपने आप को बर्बाद करने पर तुली रही... क्यों शराब... और नशे में हमेशा चूर रहती.... इन सब की वजह बस मैं थी.. आज ये सब तुमने मेरी वजह से ही किया हैं.... आख़िर आज फिर तुमने दिखा ही दी अपनी दोस्ती... आज फिर से मुझे अपनी नज़रो में गिरा दिया..... अब समझ में आया मुझे कि तुमने मेरी वजह से अपने आप को आज इस मुकाम तक पहुँचाया हैं.. इन सब की मैं ज़िमेदार हूँ ...क्यों किया तुमने ऐसा... सब कुछ तो अच्छा चल रहा था फिर क्यों किया तुमने ऐसा.... मुझे तुमसे अब कोई बात नहीं करनी... मैं जा रही हूँ ये समझ लेना की आज के बाद तेरी कोई दोस्त नहीं.....



राधिका अपना हाथ आगे बढ़ाकर निशा के हाथों में रख देती हैं.....मत जा निशा.... अब तो मेरे पास चन्द साँसें बची हैं उपर से तू मुझसे ऐसी बाते करेगी तो मैं बर्दास्त नहीं कर पाउन्गि.... मत रूठ मुझसे ऐसे... नहीं तो मेरा दिल टूट जाएगा....



निशा झट से राधिका के सीने से लग जाती हैं और फुट फुट कर रोने लगती हैं.... आख़िर क्यों किया तुमने ऐसा.. क्या हासिल हुआ तुझे आज अपने आप को बर्बाद करने से....



राधिका- जानती हैं निशा अगर प्यार और दोस्ती में समर्पण ना हो तो वो दोस्ती और प्यार का कोई वजूद नहीं रहता.. फिर वो दोस्ती और प्यार हवस और लालच बन जाता हैं... और मैने तो अपने प्यार और दोस्ती के बीच कोई स्वार्थ नहीं आने दिया....



राहुल-मैं बहुत किस्मत वाला हूँ राधिका कि मुझे तुम जैसी लड़की का साथ मिला... मगर आज मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता.....



राधिका- मैं तुमसे कहाँ दूर जा रही हूँ राहुल... हम भले ही दो जिस्म हैं मगर एक जान तो हैं...और आत्मा कभी नहीं मरती..बस मुझे कभी अपने दिल से जुदा मत करना और कहीं मुझे भूल ना जाना.... राहुल भी झट से राधिका को अपने सीने से लगा लेता हैं और उससे लिपट का रोने लगता हैं.... इस वक़्त कमरे में सबकी आँखें नम थी... निशा के मम्मी पापा के भी आँखों में आँसू थे.....



तभी इनस्पेक्टर ख़ान भी कमरे में एंटर होता हैं और वो राहुल के पास आता हैं और उसके कंधे पर अपना हाथ रख देता हैं..... सर हिम्मत रखिए...



राधिका- चुप भी हो जाओ राहुल...कब तक ऐसे आँसू बहाते रहोगे....



राहुल- कैसे रखू हिम्मत राधिका... मेरी जान की ऐसी हालत हैं और मैं हिम्मत रखूं.... मुझसे ये नहीं होगा....



ख़ान- देखो राधिका तुमसे मिलने कौन आया हैं....



राधिका एक नज़र दरवाज़े पर डालती हैं.. सामने कृष्णा खड़ा था.... जब राधिका कृष्णा को देखती हैं तो वो अपने आँसू को बहने से नहीं रोक पाती.... कृष्णा भी इस वक़्त वहीं खड़ा रो रहा था.....
 
कृष्णा धीरे धीरे अपने कदमो को बढ़ाते हुए आगे आता हैं और वहीं राहुल के बगल में बैठ जाता हैं और अपना सिर झुका कर राधिका का माथा चूम लेता हैं.... और फिर वो राधिका के गले लग जाता हैं..और वहीं फुट फुट कर रोने लगता हैं....



कृष्णा- ये सब कैसे हो गया राधिका... तू ये सब अकेले सहती रही और मुझे भी बताना ज़रूरी नहीं समझा... आज इन सब का गुनेहगार मैं हूँ.... आज जो कुछ भी तेरे साथ हुआ हैं वो आज सब मेरी वजह से हैं... तू ईश्वर से यही दुवा करना कि मेरा जैसा भाई तुझे कभी ना मिले....



राधिका- नहीं भैया ऐसा मत कहो.....मुझे कोई पछतावा नहीं हैं बस अपने रब से यही दुवा करूँगी कि आप सुधर जाओ... समझ लेना मुझे आपने सारी खुशियाँ दे दी....अब मेरा वक़्त आ गया हैं भैया..शायद आप लोगों का साथ मेरे यहीं तक था....



कृशन- नहीं राधिकीया ऐसा मत बोल.. मैं तेरे बगैर नहीं जी पाउन्गा... तू ऐसा नहीं कर सकती.. तू मुझे छोड़ कर नहीं जा सकती....



राधिका- भैया जो सच हैं उससे झूटलाया तो नहीं जा सकता... अब मेरे पास कुछ देर का और वक़्त हैं....फिर मेरा सफ़र यहीं पर ख़तम हो जाएगा...माफी चाहती हूँ कि मैं आपका साथ आगे नहीं निभा सकूँगी... मगर अपनी बेहन को कभी भूल मत जाना....



तभी राधिका के मूह से धीरे धीरे खून आना शुरू होने लगता हैं... और उसकी आवाज़ भी लड़खड़ाने लगती हैं.. धीरे धीरे उसकी आँखें भी बंद होनी शुरू होने लगती हैं...तभी वहीं रखा हार्ट बीट डेटकटोर बीप करने लगता हैं और तुरंत ड्र. अभय वहीं कमरे में आते हैं और राधिका को एक इंजेक्षन देते हैं... इंजेक्षन के थोड़ी देर बाद राधिका की हालत कुछ नॉर्मल होती हैं.... मगर उसके मूह से खून आना बंद नहीं होता....



राहुल अपना रुमाल निकालकर राधिका के मूह से बहते खून को पोछता हैं... निशा का रो रो कर बुरा हाल था...



राहुल- कितना खुस था मैं कि कल हमारी शादी होगी... मैने शादी की पूरी तैयारी भी करवा ली थी... और तुम्हें कुछ प्रेज़ेंट भी देना चाहता था....और मैने तो तुम्हारे लिए शादी के लाल जोड़े भी खरीद कर रखे थे.... कितने सपने सजाए हे मैने तुम्हारे लिए... मगर मुझे क्या पता था कि जिस दिन हमारी शादी होगी उसी दिन तुम्हारी अर्थी उठेगी.....और इतना कहकर राहुल फिर से रो पड़ता हैं......



राधिका- नहीं राहुल.....अब मैं तुम्हारे लायक नहीं रही... और मैं ये कभी नहीं चाहूँगी कि तुम अब मुझसे शादी करो.... क्यों कि ये दुनिया वाले हमेशा तुमपर उंगली उठाते कि इसकी बीवी ना जाने कितनों के साथ रात बिता कर आई हैं... और मेरी वजह से तुम्हें हर जगह शर्मिंदा होना पड़ता... और मैं नहीं चाहती कि तुम पर कोई उंगली उठाए....



ख़ान- भाभी कसम हैं मुझे आपकी मैं उन कमीनो को नहीं छोड़ूँगा... आपके हर दर्द का और हर आँसू का बदला मैं उनसे लूँगा.. जिसने भी आपका ये हाल किया हैं वे लोग कभी चैन और सुकून से जी नहीं पाएँगे... उन्हें ऐसी मौत मारूँगा कि मौत भी देखकर काँप उठेगी....और ख़ान के भी आँखों में आँसू आ जाते हैं और वो भी फुट फुट कर रोने लगता हैं.... राधिका अपनी एक हाथ आगे बढ़ाकर ख़ान के हाथों में रख देती हैं और उसे चुप करती हैं.... ख़ान वहीं राधिका के बाजू को पकड़ कर वही रोने लगता हैं.... ये सब देखकर राहुल भी फिर से रो पड़ता हैं.....



राधिका- मुझे तुम पर नाज़ हैं ख़ान .... तू सच में एक काबिल ऑफीसर हो और मेरे राहुल के एक बहुत अच्छे दोस्त भी... मैं जानती हूँ कि मेरे जाने के बाद राहुल पूरी तरह टूट जाएगा... मगर इस वक़्त उसे एक अच्छे दोस्त की ज़रूरत हैं...और तुम मुझसे वादा करो कि तुम उसे सहारा दोगे उसका पूरा ख्याल रखोगे..... उसके हर सुख दुख में हमेशा उसके पास रहोगे....



ख़ान- मैं वादा करता हूँ भाभी... ऐसा ही होगा... मैं सर को कभी मायूस नहीं होने दूँगा...और उनका पूरा ध्यान रखूँगा.....



निशा- बस कर राधिका बस कर..... जो सज़ा मुझे देनी हैं वो तू दे दे.. चाहे तो तू मुझसे ज़िंदगी भर बात मत करना.... मगर ऐसे मुझे अकेला छोड़ कर मत जा. मैं तेरे बिन एक दम अकेली हो जाउन्गि...कौन रहेगा मेरे साथ जो मुझे हिम्मत देगा... कैसे जिउन्गि मैं तेरे बिन..नहीं जी सकती अब मैं....



तभी वहाँ पर मिस्टर-अग्रवाल आते हैं- मुझे नाज़ हैं बेटी तुम पर और तुम्हारी दोस्ती पर...ख़ुसनसीब हैं मेरी बेटी जिसे तुम जैसा दोस्त मिला... आज अगर तुम मेरी बेटी होती तो मेरा सिर गर्व से ऊँचा होता.. और वैसे भी मैने तुम्हें अपनी बेटी ही समझा हूँ .... कभी तुम्हें पराया नहीं समझा.... और ना ही निशा में और तुममें कोई फ़र्क समझा..... आज मिस्टर.अग्रवाल के आँखों में भी आँसू आ गये थे.. कहते कहते उनका भी गला भारी हो जाता हैं और वो झट से बाहर निकल जाते हैं.....वहीं सीता भी रो पड़ती हैं...



इस वक़्त कमरे में जितने लोग भी मौजूद थे सबकी आँखों में आँसू थे... इधेर वक़्त बीत रहा था और उधेर राधिका की साँसें धीरे धीरे रुकती जा रही थी.... और साथ ही साथ उसकी तकलीफ़ भी बढ़ने लगी थी....
 
राधिका- राहुल मेरे साथ जो कुछ हुआ वो सब मैने उस डायरी में लिखा हैं...तुम उसे ज़रूर पढ़ना. तब तुम्हें मालूम होगा कि मैने क्या क्या सहा हैं तुम्हारी खातिर.... मेरे साथ जो भी बुरा होता उस वक़्त मैं बस तुम्हें ही याद करती... मेरी हर दर्द के सामने बस तुम्हारा चेहरा नज़र आता और मैं अपना दर्द भूल जाती.... मैं पूरे एक हफ़्ता उन दरिंदों के बीच रही और उन सब ने मुझे बारी बारी से गंदा किया.... मगर उन दरिंदों के बीच एक फरिस्ता भी थे...... और वो थे शंकर काका.. जिन्होने मेरे सारे दर्द को अपना बनाया... मेरे हर दर्द की दवा बने.... मुझे नयी हिम्मत और हौसला दिया.... तुम उनसे ज़रूर मिलना .... और मेरी डायरी और वो और अंगूठी उनसे ले लेना.. उस अंगूठी की मैं अब हक़दार नहीं... उस अंगूठी की असली हक़दार निशा हैं....



फिर राधिका कृष्णा की ओर देखते हुए कहती हैं- मैं ना कहती थी भैया कि एक दिन मेरी ये खूबसूरती मेरी जान लेकर रहेगी...और आज देखो सच में आज मैं मौत के एकदम करीब हूँ....आज तो मेरी ये खूबसूरती ही मेरी जान की दुश्मन बन गयी... अगर खूबसूरत होने का ये अंजाम होता हैं तो नहीं चाहिए मुझे ऐसी खूबसूरती.....जिसके वजह से आज मेरी ये हालत हुई....आज मेरी ये सुंदरता ही मेरे लिए अभिशाप बन गयी...



कृष्णा- मत बोल ऐसा राधिका.. मुझे आज भी तुझ पर नाज़ हैं..सच तो ये हैं कि मैं ही एक अच्छा भाई का फ़र्ज़ नहीं निभा सका.... मुझे माफ़ कर देना राधिका.... मैं तेरे प्यार को समझ ना सका.....



राधिका की हालत धीरे धीरे बिगड़ रही थी.. अब उसके मूह से खून आना और बढ़ गया था और उसकी धड़कनें भी धीरे धीरे बंद होने लगी थी... उसकी हालत देखकर राहुल चीख पड़ता हैं....



राहुल- आँखे खोलो राधिका.. तुम ऐसे मुझे छोड़ कर नहीं जा सकती... मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूँगा....



राधिका बड़े मुश्किल से अपनी आँखे खोलती हैं... राहुल....मेरे ...पास ...आअब... ज़्यादा...समय ...नहीं ...हैं.....और ...मेरी सासें.... रुक... रही.... हैं.... मैं... मरने से...पहले... एक बार... तुम्हारे ...गले ....लगना.....चाहती ....हूँ.... मैं.....चाहती...हूँ ....कि मेरा....दम ...तुम्हारी....बाहों ....में .....निकले......



राहुल की आँखों से इस वक़्त बस आँसू बह रहे थे- नही राधिका नहीं... ऐसा मत बोलो.. मुझे सब गंवारा हैं मगर तुम्हारे बगैर मैं जी नहीं पाउन्गा.....



राधिका- सब...ख़तम.... हो ..गया.... राहुल.....अब ....वक़्त ....तो वापस....नहीं... आ... सकता.... वो ..देखो... मेरी ...मा ...और बापू.....मुझे बुला...रहें... हैं... मैं.... अपनी....ज़िंदगी....से पूरी ......तरह ....थक ....चुकी....हूँ....आब...मैं.......सोना.....चाहती...हूँ.......



राहुल झट से राधिका को अपने सीने से लगा लेता है और उसके होंटो और गालों को पागलों की तरह चूमने लगता हैं ... तभी निशा भी उसे अपनी बाहों में ले लेती हैं और उधेर कृष्णा भी राधिका को अपने गले लगा लेता हैं.... इस वक़्त राहुल निशा और कृष्णा तीनों राधिका को अपने पास अपने सीने से लगे हुए थे.....



राधिका- राहुल.....मैं....वो... गीत......सुनना....चाहती.....हूँ......जो.....तुमने.....मुझे......पहली....बार.....सुनाया.....था.....मेरी...बस...ये .....ख्वाहिश......पूरी.....कर...दो....राहुल....



राहुल झट से अपना मोबाइल निकालता हैं और फिर ऑडियो प्लेयर में वही गीत प्ले कर देता हैं.....


"


चाँद सी महबूबा हो मेरी कब ऐसा मैने सोचा था......


हां तुम बिल्कुल वैसी हो जैसा मैने सोचा था........


"



औ ये गाना प्ले होने लगता हैं......



इधेर राधिका एक बार अपनी आँखें खोलती हैं और बड़े प्यार से एक नज़र कृष्णा को और फिर निशा को और कमरे में सभी को एक एक नज़र डालती हैं..इस वक़्त एक तरफ राहुल और दूसरी तरफ कृष्णा और वहीं निशा भी और उन सब के बीच में राधिका सबकी बाहों में थी... फिर वो राहुल को देखती हैं और धीरे से अपनी आँखे बंद कर लेती हैं....



राधिका- र...आ...ह...उ...एल...... आइ ........ल....ओ....व.....ए......................य...........................................................................ये शब्द पूरे भी नहीं हो पाये थे कि राधिका की साँसें थम जाती हैं......राहुल तुरंत राधिका को अपने से अलग करता हैं और उसके आँखों की ओर देखने लगता हैं... राधिका की आँखे बंद हो चुकी थी.... उसकी साँसें अब रुक चुकी थी..... उसको सारी तकलीफ़ों से मुक्ति मिल गयी थी..... कमरे में बस चारों ओर सबके रोने की आवाज़ें गूँज रही थी.... धीरे धीरे उसका शरीर अब ठंडा पड़ता जा रहा था... और उसका शरीर पूरा नीला पड़ चुका था... अभी भी राधिका के मूह से खून निकल रहा था........



आज इस हवस की आग ने ना जाने कितनों की ज़िंदगी पर इसका असर डाला था...राधिका अब इन सब के बीच एक लाश बनकर पड़ी हुई थी मगर ना ही राहुल उसे अपने से अलग किया और ना ही निशा ने और ना ही कृष्णा ने......आज राधिका इन सब से हमेशा हमेशा के लिए दूर जा चुकी थी...... वहाँ ....जहाँ से किसी का लौट कर आना संभव नहीं था.
 
सबकी आँखों में इस वक़्त आँसू थे...थोड़ी देर बाद ख़ान राहुल के पास जाता हैं और उसे राधिका से दूर ले जाता है...राहुल पागलों की तरह रो रहा था....उसकी आँखें इस वक़्त भी लाल थी...तभी वो ख़ान को पीछे धकेल देता हैं और तुरंत अपने जेब से रेवोल्वेर निकालता हैं और बिना देर किए उसे अपनी कनपटी पर लगा देता हैं....कुछ सेकेंड्स की अगर देर हो जाती तो इस वक़्त राहुल की भी लाश वहीं फर्श पर पड़ी होती... मगर ऐन मौके पर ख़ान उसके हाथों को दूसरी ओर कर देता हैं और गोली दूसरी तरफ निकल जाती हैं....पूरे वातावरण में गोली की आवाज़ गूँज जाती हैं....



ख़ान- होश में आइए सर....इस तरह से जान देने से कुछ नहीं होगा... मरना तो उन कमिनो को हैं जिन्होने भाभी के साथ ये सब किया हैं....भाभी के हर आँसू का बदला उन कुत्तों से लेना हैं... तभी राहुल फिर से फुट फुट कर रो पड़ता हैं....ख़ान फिर राहुल के पास आता हैं और उसको अपने गले लगा लेता हैं... ना जाने कितनी देर तक राहुल ऐसे ही रोता रहता हैं....



दूसरे दिन........



आज तारीख 21-जून ......आज के दिन राहुल की शादी होने वाली थी राधिका के साथ.... मगर आज यहाँ पर दो दो चितायें एक साथ जल रही थी.... एक राधिका की और दूसरी ......बिरजू की....इस वक़्त राहुल चुप चाप वहीं खामोश खड़ा था मगर कृष्णा की आँखो में आँसू थे... और निशा का रो रो कर बुरा हाल था. वो तो एक बार सदमे से बेहोश भी हो चुकी थी.....थोड़ी देर बाद कृष्णा को फिर से जैल भेज दिया जाता हैं... अब वो भी पूरी तरह से टूट चुका था....आज उन सब के बीच राधिका नहीं थी....



दो दिन बाद..................................



राहुल अपने कमरे में खामोश बैठा हुआ था..ना ही वो कुछ खा रहा था और ना ही किसी से बात कर रहा था.... बस ना जाने दिन रात खामोश रहता.और बस राधिका के बारे में सोचा करता..... तभी उसके दरवाज़े पर एक कार आकर रुकती हैं..... और उस कार में से निशा और उसके मम्मी पापा बाहर आते हैं....



मिस्टर अग्रवाल- कैसे हो राहुल.....



राहुल- नमस्ते अंकल....कैसा हो सकता हूँ मैं ...अगर जिस्म से जान निकाल ली जाए तो उस शरीर का कोई अस्तिस्त्व नहीं रह जाता...आज वैसी ही हालत मेरी हैं राधिका के बगैर....



अग्रवाल- नहीं बेटा यादों के सहारे तो ज़िंदगी नहीं बिताई जा सकती... मैं मानता हूँ कि राधिका का इस तरह से हमारे बीच ना रहना कितना हम सब को उसकी कमी महसूस हो रही है मगर जो सत्य हैं उससे तो मूह नहीं फेरा जा सकता....कब तक ऐसा चलेगा बेटा....



राहुल- मैं तो यही सोच रहा हूँ कि मैं ज़िंदा भी हूँ तो किस वजह से....इससे अच्छा होता कि मैं राधिका के साथ मर गया होता....



निशा उसके पास आती हैं और राहुल का हाथ थाम लेती हैं- नहीं राहुल... तुम्हें क्या लगता हैं कि मुझे राधिका का दुख नहीं हैं.... उसके मारना का मुझे भी दुख हैं....लेकिन वक़्त के साथ बड़े से बड़ा ज़ख़्म भी भर जाता हैं.... कब तक अपने आप को सज़ा दोगे राहुल.....



तभी रामू काका आते हैं और उसे बताते हैं कि कोई शंकर नाम का आदमी आया हैं और वो आपसे मिलना चाहता हैं..... राहुल तुरंत उन्हें अंदर आने को बोलता हैं....



शंकर काका अंदर आते हैं...उनके हाथो में डायरी थी....वो तुरंत राहुल के पास आते हैं और और वो दोनो डायरी उन्हें थमा देते हैं...और साथ ही साथ वो हीरे की अंगूठी भी उसे दे देते हैं....



शंकर- ये लीजिए साहेब.... राधिका ने मरते वक़्त मुझसे कहा था कि ये उसकी अमानत हैं और मैं इसी आप तक पहुँचा दूं...इस डायरी में उसके साथ जो कुछ भी हुआ उसने हर एक चीज़ का ज़िकरा किया हैं...और मैने भी अब बिहारी के यहाँ काम करना छोड़ दिया हैं...



राहुल- ठीक हैं काका...मैं इस डायरी को ज़रूर पढ़ुंगा....आपका और कौन हैं इस दुनिया में.....



शंकर- नहीं मेरा इस दुनिया में और कोई नहीं... राधिका को मैने अपनी बेटी माना था अब तो वो भी मुझसे रूठ कर दूर चली गयी... कमिनो ने उसके साथ बहुत ज़ियादती की हैं... हर रात मैने उसकी चीखें सुनी है....हर रात वो पल पल मरती रही... रात रात भर वो दरिंदे उसके साथ......



राहुल- बस करो काका मैं ये सब सुन नहीं पाउन्गा.....और रही बात उन कमिनो की तो उन्हें तो मैने सोच लिया हैं कि उन्हें मैं कैसी मौत मारूँगा....



सीता- बेटा हमे कुछ काम हैं इसलिए हमे जाना होगा.. मगर इस वक़्त निशा तुम्हारे पास रहेगी...
 
सीता फिर निशा के पास आती हैं और उससे कहती हैं- मैं जानती हूँ कि मेरी बेटी कभी ग़लत कर ही नहीं सकती.. इस लिए मैं तुम्हें राहुल के पास छोड़ कर जा रही हूँ तुम्हारे रहने से राहुल को थोड़ी हिम्मत मिलेगी....और बेटा अब राहुल को तू ही संभाल सकती हैं.. और वैसे भी अब तू उसके बहुत करीब हैं और वो तेरा एक अच्छा दोस्त भी हैं... अगर तुझे दोस्ती के लिए कुछ भी करने पड़े तो पीछे मत हटना...क्यों कि राहुल जैसा तेरे लिए जीवन साथी कोई और मिल ही नहीं सकता....



निशा- नहीं मा... अब मैं राधिका की जगह कभी नहीं ले सकती... और अगर राहुल ने मुझसे शादी भी कर ली तो वो मुझे कभी भी राधिका का दर्ज़ा नहीं दे पाएगा.....



सीता- बेटी वक़्त वो इलाज़ हैं जो बड़े से बड़े ज़ख़्मों को भी भर देता हैं..देख लेना एक दिन सब ठीक हो जाएगा......थोड़ी देर के बाद निशा के मम्मी पापा वहाँ से अपने घर की ओर निकल पड़ते हैं मगर निशा वहीं रुक जाती हैं...



राहुल- ठीक हैं काका आप चाहें तो यहाँ पर रह सकते हैं.. अगर आप मेरे पास रहेंगे तो मुझे बहुत खुशी होगी... राहुल के रिक्वेस्ट को शंकर काका मना नहीं कर पाते और वहीं रामू काका के साथ उसी बंगले में रहने लगते हैं.....



फिर धीरे धीरे शंकर काका बिहारी के सारे राज़ बताते चले जाते हैं और उसके हर एक अड्डे के बारे में भी.. कहाँ कहाँ उसके आदमी हैं और किससे उसके तालुकात हैं...



करीब एक घंटे के बाद राहुल थोड़ा फ्री होता हैं तब निशा उसे उसके बेडरूम में ले जाती हैं- तुम थोड़ा आराम कर लो राहुल... मैं यहीं तुम्हारे पास हूँ... अगर किसी भी चीज़ की कोई ज़रूरत पड़े तो मुझसे बे-झिझक माँग लेना....



राहुल- निशा मैं कुछ देर सोना चाहता हूँ.... मुझे थोड़ा आराम करना हैं फिर राहुल वहीं सोता हैं मगर फिर उसकी आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं.... तभी निशा उसके पास आती हैं और राहुल के सिर को अपनी गोद में लेकर उसके सिर पर बड़े प्यार से फिराती हैं...थोड़ी देर के बाद राहुल गहरी नींद में डूबता चला जाता हैं.



करीब 1 घंटे बाद राहुल की नींद खुलती हैं...निशा वहीं बेड पर बैठी हुई थी....



निशा- आर यू ऑलराइट राहुल...किसी चीज़ की अगर कोई ज़रूरत हो तो तुम मुझसे बेझिझक कह सकते हो.....



राहुल- नहीं निशा मैं ठीक हूँ....एक बात तुमसे कहना था...सोच रहा हूँ तुमसे कहु की नहीं...



निशा बड़े प्यार से मुस्कुरा देती हैं- कहों राहुल...क्या बात हैं...



राहुल- सोच रहा हूँ कि तुम आज रात मेरे पास रुक जाती तो मुझे बहुत खुशी होती... शायद मुझे राधिका की कमी थोड़ी कम महसूस होती...



निशा- नहीं राहुल...ये पासिबल नहीं हैं...ये समाज़ पता नहीं हमारे बारे में क्या सोचेगा....लोग ना जाने हमारे बारे में क्या क्या बातें करेंगे...



राहुल- मगर तुम तो मुझसे प्यार करती हो....फिर तुम्हें इस दुनिया की कैसी परवाह....आज मेरी खातिर रुक जाओ...मैं तुम्हारे मम्मी पापा से बात कर लूँगा...



निशा- मम्मी पापा की मुझे चिंता नहीं हैं राहुल...बस इस दुनिया से डर लगता हैं....



राहुल- ठीक हैं ऐज यू विश....तुम जाना चाहे तो जा सकती हो.... मैं तुम्हें आब नहीं रोकुंगा....मैं एक पल के लिए भूल गया था कि तुम मेरी राधिका हो.....आइ अम रियली सॉरी...राहुल के चेहरे पर गुस्से के भाव सॉफ दिखाई देते हैं.... और निशा उसके चेहरे को सॉफ पढ़ लेती हैं...



निशा- ट्राइ टू अंडरस्टॅंड राहुल....अभी मेरी शादी नहीं हुई हैं तुमसे....भला मैं ऐसे कैसे तुम्हारे पास रुक सकती हूँ....कहीं कुछ ग़लत हो गया तो....



राहुल- कमाल हैं निशा....प्यार भी करती हो मुझसे और ग़लत सही के बारे में भी सोचती हो....आज अगर तुम्हारी जगह पर मेरी राधिका होती तो वो इस दुनिया की परवाह किए बगैर मेरी खुशी के लिए वो मेरे पास यहीं रुक जाती...जानती हो क्यों...क्यों कि उसके प्यार में कोई स्वार्थ नही था...उसे अपने से ज़्यादा दूसरों की फिकर रहती थी....और तुम कभी मेरी राधिका की जगह नहीं ले सकती.....चली जाओ यहाँ से.....



निशा झट से राहुल के पास आती हैं और उसकी पीठ अपने सीने से सटा अपने दोनो हाथों से राहुल के सीने को जाकड़ लेती हैं- नहीं राहुल तुम मुझे ग़लत समझ रहे हो... मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ...नहीं जी पाउन्गि अब मैं तुम्हारे बगैर....तुम्हारे खातिर मैं कुछ भी कर सकती हूँ....



राहुल उसके दोनो हाथों को अपने सीने से हटाता हैं और वहीं जाकर बिस्तेर पर बैठ जाता हैं...निशा चुप चाप वहीं खड़ी रहती हैं....उसके आँखो से आँसू छलक पड़ते हैं....



राहुल- सच तो ये हैं निशा कि आज राधिका की मौत की ज़िम्मेदार तुम हो....आज राधिका की तुमसे दोस्ती ही उसकी जान की दुश्मन बन गयी... कसूर तुम्हारा नहीं मेरे नसीब का हैं... मैने जिसे चाहा वो मुझे कभी ना मिला....



निशा- नहीं राहुल ऐसा मत कहो....मैं आज तुम्हारे लिए अपनी जान तक दे सकती हूँ....कुछ भी कर सकती हूँ मैं तुम्हारे खातिर....



राहुल- कुछ भी....



निशा-हां राहुल........कुछ भी...



राहुल- ठीक हैं तो फिर अपने कपड़े उतारो......मैं तुम्हें अभी बिन कपड़ों के देखना चाहता हूँ..... मैं भी तो देखूं कि तुम मुझसे कितना प्यार करती हो.... राहुल के मूह से ऐसी बातें सुनकर निशा के होश उड़ जाते हैं....
 
निशा- तुम होश में तो हो राहुल...तुम्हें पता भी हैं तुम क्या कह रहे हो.... भला मैं ऐसे कैसे कर सकती हूँ....



राहुल- बस....यही हैं तुम्हारा प्यार....इतना में ही तुम हार गयी...तुम भला क्या मेरा ज़िंदगी भर साथ दोगि.....दावा करती हो कि तुम्हें मुझसे प्यार है....आज तुम्हारी जगह पर मेरी राधिका होती तो अब तक वो बिना किसी सवाल जवाब के वो अपने आप को मेरे हवाले कर चुकी होती...यही फ़र्क हैं तुममें और राधिका में... तुम कभी राधिका नहीं बन सकती....कभी नहीं....



इस वक़्त निशा की आँखों में भी आँसू थे...उसे तो कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करें...



निशा थोड़ा हिम्मत करके बोलती हैं- ठीक हैं राहुल....अगर तुम्हें ऐसा लगता हैं कि मैं तुम्हारे सामने अपने पूरे कपड़े उतार देने से ये साबित हो जाएगा कि मैं तुमसे प्यार करती हूँ...तो फिर ठीक हैं मैं तुम्हारी खातिर ये भी करने को तैयार हूँ.... फिर तुम्हें यकीन हो जाएगा कि मेरा प्यार सच्चा हैं.....



राहुल- ठीक हैं निशा तुम्हारे ऐसा करने से मुझे तुम पर विश्वास हो जाएगा.....नाउ रिमूव युवर क्लोद्स....



निशा के लिए आज ये सबसे बड़ा इम्तिहान था...वो तो आज तक किसी के सामने बिन कपड़ों में नहीं आई थी....शरम तो उसे बहुत आ रही थी मगर आज उसे अपने प्यार को भी साबित करना था....वो धीरे से पहले अपनी चुनरी फर्श पर गिरा देती हैं...फिर धीरे धीरे अपनी सूट को अपने जिस्म से अलग करती हैं....थोड़ी देर बाद उसका सूट भी फर्श पर गिरा रहता हैं... फिर वो अपनी लॅगी को अपने हाथो में लेकर धीरे धीरे उसे सरकाने लगती हैं....और थोड़ी देर बाद वो लॅगी भी उसके जिस्म से अलग हो जाता हैं....



इस वक़्त निशा केवल सफेद ब्रा और सफेद पैंटी में राहुल के सामने खड़ी थी अपनी नज़रें झुकाए हुए..... और उसके आँखों से आँसू बह रहें थे....



राहुल- रुक क्यों गयी निशा....प्रूव इट....रिमूव एवेरितिंग....डोंट वेस्ट युवर टाइम...



निशा एक नज़र राहुल की तरफ देखती हैं और फिर अपने दोनो हाथ वो धीरे से पीछे लेकर जाती हैं और अपनी ब्रा के स्ट्रिप्स को खोल देती हैं.... आज ज़िंदगी में पहली बार वो किसी मर्द के सामने ऐसी हालत में खड़ी थी...जैसे जैसे उसके सीने से वो ब्रा हटती जाती हैं राहुल के दिल की धड़कनें बढ़ती जाती हैं.... और फिर एक झटके से निशा अपनी ब्रा अपने हाथों में ले लेती हैं और उसका बूब्स राहुल के सामने बे-परदा हो जाते हैं.... निशा के बूब्स एकदम टाइट थे और किसी भी मर्द को घायल बनाने के लिए काफ़ी थे...फिर वो अपनी पैंटी में दोनो हाथों की उंगली फन्साती हैं और धीरे धीरे वो सरका देती हैं...उसकी पैंटी तुरंत उसके पैरों के पास पड़ी रहती हैं...



आज निशा के बदन पर एक कपड़े का टुकड़ा नही था...वो इस वक़्त राहुल के सामने पूरी नंगी हालत में खड़ी थी...लेकिन अभी भी उसकी आँखों में आँसू थे....राहुल बड़े गौर से निशा के जिस्म को देख रहा था...राधिका के जिस्म में और निशा के जिस्म में कोई ज़्यादा फ़र्क नहीं था...जितनी गोरी राधिका थी उतनी निशा भी थी...हां उसके दूध राधिका से छोटे थे और अन-छुएें थे.... नीचे चूत पर हल्के बाल थे जो उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रहें थे...राहुल आँखें फाडे निशा के बदन को देख रहा था.....



राहुल फिर तुरंत उठता हैं और निशा के पीछे जाकर खड़ा हो जाता हैं....और फिर निशा के मूह को अपनी ओर करता हैं और उसके लिप्स पर अपने होंठ रख देता हैं....धीरे धीरे वो उसके होंटो को चूसना शुरू करता हैं...निशा झट से अपनी आँखें बंद कर लेती हैं..उसकी धड़कनें बहुत ज़ोरों से धड़क रही थी... उसके लिए ये एहसास बिल्कुल नया था..आज पहली बार किसी मर्द ने उसके लबों को चूमा था..... करीब 2 मिनिट तक राहुल निशा के होंठो को चूस्ता हैं फिर तुरंत वो निशा से दूर हट जाता हैं .....निशा की आँखें पूरी तरह से लाल हो चुकी थी..कुछ लज़्ज़त से और कुछ उसके बदन की आग से.....उसका जिस्म पूरा काँप रहा था...



राहुल के ऐसे दूर हट जाने से निशा लगभग चौंक जाती हैं और राहुल को बड़े हैरत से देखने लगती हैं....



निशा- रुक क्यों गये राहुल...कर लो जो करना हैं.....मैं तुम्हें अब नहीं रोकूंगी....आज से मेरा जिस्म पर तुम्हारा पूरा हक़ हैं... कर लो जो तुम्हारे जी में आयें..
 
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]वक़्त के हाथों मजबूर--47[/font]
[font="Lucida Grande", "Trebuchet MS", Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]


राहुल- निशा आइ अम सॉरी.....तुम अपने कपड़े पहन लो...मैं ये सब नहीं कर सकता... और राहुल तेज़ी से बाहर निकल जाता हैं.....निशा सवाल भरी नज़रो से राहुल को बाहर जाता हुआ देखने लगती हैं...... करीब 15 मिनिट बाद निशा अपने कपड़े पहन कर वहीं हाल में राहुल के पास जाती हैं.... निशा भी जाकर वहीं राहुल के बगल में बैठ जाती हैं.....राहुल झट से निशा के सीने में अपना सिर रखकर रो पड़ता हैं..... आइ आम सॉरी निशा... आज मैने तुम्हार साथ बहुत ग़लत किया... मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था.... क्या करूँ मैं एक पल के लिए भी राधिका को अपने दिल से नहीं भुला पा रहा....बहुत मुश्किल हैं उसके बगैर जीना.....



निशा भी बड़े प्यार से राहुल के सिर पर अपना हाथ फेरती हैं और उसे किसी बच्चे की तरह अपने सीने में छुपा लेती हैं.....काफ़ी देर तक वो दोनो कुछ नहीं बोलते हैं और फिर निशा अपने घर फोन करके वो आज रात राहुल के पास रुकने को कहती हैं... उसकी मम्मी थोड़ा विरोध करती हैं मगर निशा के दबाव देने से वो भी मान जाती हैं.....



राहुल को एक तरफ निशा का साथ मिलने से थोड़ी ख़ुसी होती हैं वहीं उसे हर पल राधिका का गम सता रहा था..... शाम को करीब 5 बजे राहुल वो डायरी लेकर अपने रूम में आता हैं और वो डायरी पढ़ना शुरू करता हैं... इस वक़्त निशा भी उसके बगल में बैठी हुई थी...




नोट- डायरी को मैं डीटेल में नहीं बताउन्गा..अगर वैसा किया तो कम से कम 20 ,या 25 अपडेट्स और लगेंगे.इसलिए मैं शॉर्ट्ली बताते जाउन्गा.और फिर से वहीं सारी बातें रिपीट होगी.....



******************लाल डायरी का ऱहश्य******************



राहुल जब डायरी का पहला पेज खोलता हैं तब उसमें राधिका ने वहीं तारीख लिखा हुआ था जब वो पहली बार राहुल से मिली थी कॉलेज कॅंपस में....वो धीरे धीरे एक एक पन्ने पलटता जाता हैं........डायरी का राज़ राधिका के शब्दों में.....................



मैं कितनी खुस थी जब मैं तुमसे पहली बार मिली थी....उस पहली मुलाकात को तुम मुझे भा गये थे.... मैने तो कभी सोचा नहीं था कि मेरी तुमसे दुबारा कभी मुलाकात होगी....मगर किस्मेत को कुछ और ही मंज़ूर था....मेरा आइ कार्ड ना वहाँ पर गिरता और उसे लेकर ना तुम मुझसे मिलने मेरे घर आते और ना तुमपर वो हमला होता.... सच कहूँ मैं तो लगभग चौंक गयी थी तुम्हें अपने घर पर देखकर...फिर जब उन हमलावर ने तुमपर हमला किया तब मेरे दिल पर क्या गुज़री इसका अंदाज़ा तुम नहीं लगा सकते... मैं अपनी भावनाओं को काबू नहीं कर पाई और मेरे दिल की बात जुबा तक आ गयी....और तुमने भी मुझे स्वीकार कर लिया....



तुम्हें पाकर मुझे ऐसा लगा की मुझे मेरी दुनिया मिल गयी....मगर किस्मत को शायद कुछ और ही मंज़ूर था...वक़्त बीतता गया और हमारे बीच दूरियाँ नज़दीकियों में बदलती गयी......फिर एक दिन मुझे पता चला कि निशा भी तुमसे ही प्यार करती हैं....और वो भी उस हद तक कि वो तुम्हारे बिन शायद जी नहीं पाएगी.... मेरे लिए यहाँ पर दोस्ती और प्यार में से मुझे किसी एक को चुनना था....मगर मैं दोनो को खोना नहीं चाहती थी... फिर मैने अपनी दोस्ती को चुना.....और तुमसे दूरियाँ बढ़ने लगी.....इस वजह से मैने अपने भैया के साथ जिस्मानी रिस्ता भी कायम कर लिया....ताकि मैं बर्बाद होकर भी उन्हें आबाद कर सकूँ... और मैं तुम्हारी नज़रो में गिर जाऊ जिससे तुम मुझे छोड़ सको....



मैने ये बात कई बार तुम्हें बताने की कोशिश की मगर शायद मुझ में इतनी हिम्मत नही थी.....फिर मैने ये सब अपने नसीब पर छोड़ दिया.... तुम्हें भूलने के लिए मैने शराब को अपने गले लगाया...फिर भी मैं तुम्हें ना भुला सकी.....दिन रात मैं शराब पीती रहती और तुम्हें अपने दिल से निकालने की नाकाम कोशिश करती.... वक़्त बीतता गया और एक दिन निशा को मेरे भैया के रिस्ते का पता चल गया....वो तो मानो मुझपर बरस ही पड़ी...लेकिन मैने उसे अपनी कसम देकर रोक ली....फिर वो हुआ जो मैने कभी सपने में भी नहीं सोचा था.....



एक रात मैं अपनी भैया के साथ सेक्स कर रही थी तभी बिहारी ने मेरे बापू को भड़का दिया और मेरे रिस्ते के बारे में उन्हें सारी बात बता दी....उस रात मेरे बापू ने मुझपर पहली बार अपना हाथ उठाया....फिर मैने उन्हें अपनी बीच संबंधो की वजह बताई...तब जाकर मेरे बापू को मुझ पर विश्वास हुआ.. मगर बिहारी से ये सब देखा नहीं गया... उसने मेरी जासूसी करने के लिए मोनिका नाम की लड़की को मेरे पीछे लगा दिया और मेरे भैया के बीच सारी सेक्स को रेकॉर्ड करके मुझे ब्लॅकमेलिंग करने की कोशिश की.....



मुझे अपनी फिकर नहीं थी मगर जब उसने तुम्हें और मेरे भैया बापू और निशा को अपना निशाना बनाया तब मैने अपने आप को उसके आगे समर्पण कर दिया....मैं अच्छे से जानती थी कि बिहारी मेरे साथ क्या करेगा मगर मुझे तुम्हारी खातिर सब मंज़ूर था.... फिर वो मुझसे एक दिन बिज्निस डील करने के वास्ते मुझे उसने बीच सड़क से उठवा लिया और मेरे साथ एक हफ़्ता गुजारने के लिए डील की....उसकी रखैल बनकर.... मगर मेरे पास कोई चारा भी नहीं था....मैने अपनों की खातिर अपने आप को उसके हवाल कर दिया...फिर वो एक दिन मेरे घर पर गाड़ी भिजवाया मुझे लेने के लिए....



मैं भी बिना किसी सवाल जवाब के उसके पास चली गयी और वो तुम्हारा बाहर भेजने के लिए हाइ कमॅंड से एक हफ्ते की दरख़्वास्त दी....बिहारी अच्छे से जानता था की तुम्हारे रहते वो मुझे छू भी नहीं सकता...इस वजह से उसने तुम्हें मुंबई भेज दिया...और मुझे अपने अड्डे पर बुला लिया.....वहाँ पर मेरी मुलाकात उस शख़्श से हुई जिसने तुमपर कई बार जान लेवा हमला करवाया था...जानना चाहते हो..कौन है वो सख्श है....विजय....तुम्हारा दोस्त....और उसके साथ जग्गा भी था..वही जग्गा जिसकी मैने कॉलेज कॅंपस में सब लोगों से उसकी पिटाई करवाई थी....[/font]
 
Back
Top