desiaks
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कुछ दिन गुजरे... उन दोनों के बीच वोही छेड़खानी, हाथ से खेलना, हग करना ऊपर-ऊपर किसेस वगैरह करना चलता रहा। कई बार प्रवींद्र ने नेहा को बाहों में भरके गरमा गरम किस किए, और नेहा ने रेस्पांड भी किए अच्छी तरह से। मगर सेक्सुअल एनकाउंटर नहीं हुए दोनों के बीच। प्रवींद्र का मन तो बहुत कर रहा था मगर अपने आप पर काबू रख रहा था और नेहा को फोर्स नहीं करना चाहता था, बल्की चाहता था की खुशी-खुशी खुद नेहा उसके साथ सेक्स के लिए तैयार हो। वैसे किस करते वक्त जब कभी भी प्रवींद्र और आगे बढ़ना चाहता तो नेहा झट से किस रोक कर उसके चंगुल से निकल जाती थी।
मगर ससुर हर रात को नेहा के साथ खूब एंजाय करता था और अक्सर प्रवींद्र उन दोनों को देखने जाता, अपने सीक्रेट जगह से और सब देखने के बाद नेहा को अपने पिता के साथ सोचकर मूठ मारता। उसने नोट किया की
नेहा बहुत ही कामुक है और अपने ससुर के साथ बहुत खुशी से एंजाय करते हुए सब करती है। तो प्रवींद्र सोचता रहता की क्यों नेहा उसको नहीं करने देती जबकी उसके पिता के साथ इतने मजे से सब करती थी। यह उम्मीद
करते हुए प्रवींद्र ने धीरज से काम लिया की आज नहीं तो कल नेहा उसको भी वो मजा देगी।
एक दिन ऐसा हुआ की प्रवींद्र को शहर किसी जरूरी काम से जाना था और एक दिन बाद वापस आना था। खेत के लिए केमिकल्स की खरीदारी की डील के लिए उसको उसके पिता ने भेजा था। दूसरे दिन जब शहर से घर वापस आ रहा था और अपने घर के गेट तक पहँचा तो उसके चाचा, उसके पिता के भाई गेट से बाहर निकल रहे थे।
प्रवींद्र ने अपने चाचा को नमस्ते किया।
चाचा ने पूछा- “कहाँ से आ रहा है?"
बड़े आदर के साथ प्रवींद्र ने चाचा को बताया की शहर गया था केमिकल्स की डील के लिए। फिर प्रवींद्र ने चाचा से पूछा- “वो इस वक्त यहाँ पर कैसे?” क्योंकी वो तो बहुत दूर खेतों के पास का रहने वाला है।
तो चाचा ने बताया- “वो एक खेत का औजार लौटने के लिए आया था जो उसने उसके पिता से लिया था.."
प्रवींद्र अंदर दाखिल हुआ तो नेहा ने मुश्कुराते हुए उसको देखा और पूछा- “क्या पिएगा और थक गया है क्या?"
प्रवींद्र ने हाँ कहा और पूछा- चाचा क्यों आए थे?
नेहा ने जवाब दिया- "पिताजी से मिलना चाहते थे इसीलिए..."
प्रवींद्र को हैरानी हुई नेहा का जवाब सुनकर। और नेहा से पूछा- “पिताजी से मिलने के लिए, और किसी चीज के लिए नहीं?"
नेहा ने आराम से मुश्कुराते हुए कहा- “नहीं... उसने पूछा क्या पिताजी देर करेंगे वापस आने में?"
तो प्रवींद्र को शंका हुई। उसने सोचा कुछ तो गड़बड़ है, या तो चाचा झूठ बोल रहे हैं या नेहा। चाचा ने कहा की औजार लौटाने आया था और नेहा बता रही है की पिताजी से मिलने के लिए आया था। कुछ देर बाद प्रवींद्र ने गंभीरता से नेहा से पूछताछ करने को निश्चय किया।
मगर ससुर हर रात को नेहा के साथ खूब एंजाय करता था और अक्सर प्रवींद्र उन दोनों को देखने जाता, अपने सीक्रेट जगह से और सब देखने के बाद नेहा को अपने पिता के साथ सोचकर मूठ मारता। उसने नोट किया की
नेहा बहुत ही कामुक है और अपने ससुर के साथ बहुत खुशी से एंजाय करते हुए सब करती है। तो प्रवींद्र सोचता रहता की क्यों नेहा उसको नहीं करने देती जबकी उसके पिता के साथ इतने मजे से सब करती थी। यह उम्मीद
करते हुए प्रवींद्र ने धीरज से काम लिया की आज नहीं तो कल नेहा उसको भी वो मजा देगी।
एक दिन ऐसा हुआ की प्रवींद्र को शहर किसी जरूरी काम से जाना था और एक दिन बाद वापस आना था। खेत के लिए केमिकल्स की खरीदारी की डील के लिए उसको उसके पिता ने भेजा था। दूसरे दिन जब शहर से घर वापस आ रहा था और अपने घर के गेट तक पहँचा तो उसके चाचा, उसके पिता के भाई गेट से बाहर निकल रहे थे।
प्रवींद्र ने अपने चाचा को नमस्ते किया।
चाचा ने पूछा- “कहाँ से आ रहा है?"
बड़े आदर के साथ प्रवींद्र ने चाचा को बताया की शहर गया था केमिकल्स की डील के लिए। फिर प्रवींद्र ने चाचा से पूछा- “वो इस वक्त यहाँ पर कैसे?” क्योंकी वो तो बहुत दूर खेतों के पास का रहने वाला है।
तो चाचा ने बताया- “वो एक खेत का औजार लौटने के लिए आया था जो उसने उसके पिता से लिया था.."
प्रवींद्र अंदर दाखिल हुआ तो नेहा ने मुश्कुराते हुए उसको देखा और पूछा- “क्या पिएगा और थक गया है क्या?"
प्रवींद्र ने हाँ कहा और पूछा- चाचा क्यों आए थे?
नेहा ने जवाब दिया- "पिताजी से मिलना चाहते थे इसीलिए..."
प्रवींद्र को हैरानी हुई नेहा का जवाब सुनकर। और नेहा से पूछा- “पिताजी से मिलने के लिए, और किसी चीज के लिए नहीं?"
नेहा ने आराम से मुश्कुराते हुए कहा- “नहीं... उसने पूछा क्या पिताजी देर करेंगे वापस आने में?"
तो प्रवींद्र को शंका हुई। उसने सोचा कुछ तो गड़बड़ है, या तो चाचा झूठ बोल रहे हैं या नेहा। चाचा ने कहा की औजार लौटाने आया था और नेहा बता रही है की पिताजी से मिलने के लिए आया था। कुछ देर बाद प्रवींद्र ने गंभीरता से नेहा से पूछताछ करने को निश्चय किया।